Love You जिंदगी – 42
Love You Zindagi – 42
मोंटी सबको लेकर लखनऊ की सबसे खास जगह भूलभुलैया लेकर पहुंचा ! गाड़ी पार्किंग में लगाकर सभी गाड़ी से बाहर आये ! शीतल और रुचिका पहली बार लखनऊ आयी थी उन्होंने देखा सामने बहुत दूर तक एक एक फैली हुई जगह थी जो की लखनऊ का “बड़ा इमामबाड़ा” नाम से प्रसिद्ध है ! मोंटी ने नैना को देखा और कहा,”अंदर चले !”
“मोंटी यार तू हम सबको यहाँ क्यों लाया है ?”,नैना ने कहा
“क्योकि ये लखनऊ की सबसे फेमस जगह है और फिर तुम्हारी दोस्तों के लिए भी तो लखनऊ यादगार होना चाहिए ना !”,मोंटी ने कहा
“हां लेकिन गाइड की जरूरत पड़ेगी ना !”नैना ने कहा
“ओह्ह हेलो मेरे होते गाईड की जरूरत क्यों पड़ेगी ?”,मोंटी ने नैना को घूरते हुए कहा
“मैंने पढ़ा था बिना गाईड के भूलभुलैया घूमना आसान नहीं है , आप कितना भी ध्यान दे रास्ता भटक जाते है !”,शीतल ने कहा
“ऐसा नहीं है बचपन से लेकर कॉलेज तक मैं अपने दोस्तों के साथ बहुत बार यहाँ आया हूँ ! आप लोग चलो तो सही !”,मोंटी ने कहा
“ओके डन !”,नैना ने कहा और चारो अंदर चले आये !
चारो चलते हुए वहा के खूबसूरत नजारो को देखते हुए जा रहे थे ! परिसर में दोनों तरफ और आगे दूर तक पार्क बना हुआ था ! जिसमे पेड़ पौधे और हरी घास थी ! घूमने आये काफी लोग वहा बैठे सुस्ता रहे थे ! ऊपर नीला आसमान और सामने खूबसूरत नजारा देखने वाले को अपनी और आकर्षित कर रहा था ! मोंटी उन तीनो लड़कियों के आगे चल रहा था जैसा उसने कहा था की वह खुद गाईड बनकर उन्हें ये जगह घुमायेगा ! बांये हाथ की तरफ एक बड़ी सी आलिशान ईमारत देखकर रुचिका ने कहा,”ये क्या है ?”
मोंटी रुका और कहने लगा,”ये असाफी मस्जिद है , इसमें गैर-मुस्लिम लोगो का जाना मना है इसलिए हम लोग नहीं जा सकते ! वैसे कहा जाता है की यहाँ हर दुआ कुबूल होती है और इस इमारत की सबसे खास बात है की इसके अंदर बैठे इंसान को बाहर घूमते सभी लोग दिखाई देते है लेकिन बाहर से कोई अंदर देखना चाहे तो उसे सिवाय अँधेरे के कुछ दिखाई नहीं देता !”
“इंट्रेस्टिंग !”,रुचिका ने मोंटी की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा ! “इंट्रेस्टिंग तो है बट जाना मना है सो आगे बढ़ते है !”,कहकर मोंटी आगे बढ़ गया ! तीनो फिर उसके साथ चलने लगी चलते हुए चारो भूलभलैया के मेन रास्ते पर पहुंचे ! नैना पहले भी ये देख चुकी थी इसलिए वो जरा भी एक्साइटेड नहीं थी लेकिन शीतल और रुचिका पहली बार यहाँ आयी थी इसलिए उन्हें अजीब ही ख़ुशी का अहसास हो रहा था ! चारो आगे बढे चलते हुए मोंटी ने कहा,”ख़ामोशी से चलना बात करनी हो तो धीरे से करना !”
“ऐसा क्यों ?”,रुचिका ने सवाल किया तो मोंटी उसकी और पलटा और बड़े प्यार से कहा,”क्योकि मैडम यहाँ कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक भी वह आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है , ये जो पूरा हॉल है ना वो पुरे 50 मीटर के दायरे में बना है !”
रुचिका ने सूना तो वह मोंटी से काफी इम्प्रेस हुई , अपने शहर के बारे में मोंटी को कितनी जानकारी थी ! मोंटी ने हाथ से चलने का इशारा किया और सभी उसके साथ साथ चल पड़े ! संकरा सा वो रास्ता था जिसमे मोंटी धीरे धीरे उन्हें अपने बचपन , स्कूल और कॉलेज के किस्से सुनाते जा रहा था ! वो भूलभलैया दिखने में काफी खूबसूरत थी हालाँकि वहा की दीवारे अब थोड़ी पुरानी और जर्जर हो चुकी थी ! मोंटी ने चलते चलते बताया,”इस इमारत की छत तक जाने के लिए 84 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो किसी अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें ताकि अनजान व्यक्ति इसमें भटक जाए और बाहर न निकल सके. इसीलिए इसे भूलभुलैया कहा जाता है”
“बनाने वाले ने कितना दिमाग लगाया होगा ना इसमें !”,शीतल ने कहा
“वो तो है ! चलो चलते है !”,कहकर मोंटी फिर आगे बढ़ गया ! भूलभुलैया में घूमते हुए मोंटी उन्हें ऊपर छत पर लेकर आया ! रुचिका और शीतल का मुंह तो खुला का खुला रह गया ! उस छत से लखनऊ का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था ! नैना ने भी देखा तो मोंटी से कहा,”यार अपना शहर तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गया है !”
“हां लेकिन तुम्हे कहा फुर्सत है लखनऊ आने की ?”,मोंटी ने ताना मारते हुए कहा तो नैना ने मुंह बना लिया ! नैना ने जेब से अपना फोन निकाला और सबके साथ सेल्फीज लेने लगी ! रुचिका शीतल और नैना तीनो बहुत खुश थी ! मोंटी ने भी अपना फोन लेकर पहले नैना के साथ फोटो क्लिक की , शीतल अब तक उसके साथ कम्फर्ट हो चुकी थी इसलिए मोंटी ने शीतल की परमिशन के बिना ही उसके साथ सेल्फी ले ली और शीतल ने कोई आपत्ति भी नहीं जताई ! नैना की तरह वह भी मोंटी से अच्छे से बात कर रही थी ! मोंटी थोड़ा झिझकते हुए रुचिका के पास आया और कहा,”फोटो ?”
“ओके !”,कहकर रुचिका उसकी बगल में खड़ी हो गयी ! मोंटी ने सेल्फी ली और मुस्कुरा दिया ! कुछ देर वही छत पर घूमने के बाद तीनो निचे चले आये ! नैना ने देखा सच में मोंटी एक अच्छा गाईड था ! कितनी आसानी से उन उन्हें भूलभुलैया घुमा दी ! वहा से बाहर निकलकर नैना कहा,”तो अब ?’
“अब क्या ? अभी तो बावड़ी देखनी बाकि है !”,मोंटी ने कहा
“तुम मेरे दोस्तों को ये सब दिखाकर बोर कर रहे हो !”,नैना ने कहा मोंटी कुछ कहता इस से पहले ही शीतल बोल पड़ी,”बिल्कुल नहीं हमे तो ये सब देखकर बहुत मजा आ रहा है ! चलो ना मोंटी बावड़ी देखते है मैंने उसके बारे में भी नेट पर पढ़ा था” कहते हुए मोंटी और शीतल आगे बढ़ गए और नैना ने रुचिका से चलने का इशारा किया ! चलते चलते शीतल ने मोंटी से कहा,”मैंने पढ़ा है की इस बावड़ी की कोई रहस्य्मयी कहानी है , तुम्हे क्या लगता है ये सच होगा ?”
“सच ही होगा शायद , क्योकि ऐसी बातें अफवाह तो हो नहीं सकती वैसे कहते है की इस बावड़ी के पानी में खजाने का नक्शा छुपा हुआ है !”, मोंटी ने कहा
चारो सीढिया उतरते हुए निचे आये , ये बावड़ी इमामवाड़ा के बांयी और बनी थी जिसमे सीढ़ियों से निचे उतरते हुए आगे जाकर पानी पानी भरा हुआ था ! रुचिका चलते चलते अब तक थक चुकी थी ! उस से अब और चला नहीं जा रहा था कुछ सीढिया उतरकर वह वही सीढ़ियों पर बैठ गयी और नैना से कहा,”नैना मुझसे अब और चला नहीं जायेगा , तुम लोग जाकर देखो !”
“आर यू स्योर ? चल छोड़ मैं भी यही बैठ जाती हूँ तेरे साथ !”,नैना ने उसकी बगल में बैठते हुए कहा ! रुचिका की नजर सीढ़ियों से निचे जाते शीतल और मोंटी पर थी ! उसने नैना से कहा,”तू जा ना , शीतल को अच्छा नहीं लगेगा !”
“अरे उसके साथ मोंटी है ना , मैं इधर ही रूकती हूँ तेरे पास !”,नैना ने कहा
रुचिका ने मन ही मन नैना को कोसा वह चाहती थी की नैना उनके पास चली जाये पहली बार रुचिका को शीतल का मोंटी से बात करना अच्छा नहीं लग रहा था ! वह मन ही मन खीजती रही इतने में नैना का फोन बजा और वह बात करते हुए उठकर वहा से चली गयी !! चलते चलते मोंटी ने पीछे मुड़कर देखा ना उसे नैना दिखाई दी ना ही रुचिका ! उसने नजर दौड़ाई तो उसे सीढ़ियों पर बैठी रुचिका दिखी ! मोंटी सीढिया दौड़कर उस पास आया और कहा,”तुम नहीं आ रही ?”
“पैर दर्द कर रहे है , तुम लोग देखो ना !”,रुचिका ने कहा
“मैंने तो बहुत बार देखा है”,कहते हुए मोंटी एक सीधी छोड़कर रुचिका से कुछ दूरी बनाकर बैठ गया ! मोंटी का वहा बैठना रुचिका को अच्छा लग रहा था ! नैना ने देखा रुचिका के पास मोंटी बैठा है तो वह फोन पर बात करते हुए शीतल के पास चली गयी ! नैना के शीतल के कुछ पिक्चर्स क्लिक किये और दोनों वही खड़े बातें करने लगी ! कुछ देर खामोश रहने के बाद मोंटी ने कहा,”तुम हमेशा ही इतना कम बोलती हो क्या ? मतलब जबसे आयी हो तबसे शांत हो !”
“नहीं ऐसा नहीं है , नैना मैं और शीतल आपस में बहुत बातें करते है !”, रुचिका ने कहा
“सो तुम जयपुर से हो ?”,मोंटी ने पूछा
“हम्म्म ! फॅमिली जयपुर में है और मैं जॉब के लिए बाहर !”,रुचिका ने कहा
“जॉब की वजह से ही तो मैं बाहर हूँ वरना इतना अच्छा शहर छोड़कर मैं तो कभी नहीं जाना चाहूंगा !”,मोंटी ने कहा
“तुम और नैना बचपन से दोस्त हो ?”,रुचिका ने पूछा
“अहंमम बचपन से तो नहीं हां पहली बार हम लोग तब मिले थे जब मैं 12-13 साल का था ! उस दिन हम लोग नैना के बगल वाले घर में शिफ्ट हुए थे और नैना तीन चार लड़को से उलझी हुयी थी ! मैंने जाकर उन लड़को को वहा से भगाया लेकिन नैना ने मेरे मुंह पर पंच मार दिया ! बाद में उसे पता चला की मैं उन लड़को में शामिल नहीं था और तबसे हमारी दोस्ती हो ! उसके बाद स्कूल साथ साथ , कॉलेज चेंज हो गए और फिर मेरी फॅमिली चित्रकूट शिफ्ट हो गयी ! नैना से मिलना जुलना कम हो गया फ़ोन पर कभी कभी बातें हो जाती थी ! उसके बाद जॉब कैरियर में सब इतना बिजी हुए की वक्त का कुछ पता ही नहीं चला !”,मोंटी ने कहा रुचिका बस खामोशी से सुनती रही और फिर कहा,”मतलब नैना को बचपन से ही लड़को से प्रॉब्लम है ?”
“नहीं ऐसा नहीं है लेकिन वो जल्दी किसी से घुलती मिलती नहीं है लड़को में मैं उसका इकलौता दोस्त हूँ ! कभी कभी तो सोचता हूँ की वो शादी कैसे करेगी ?”,मोंटी ने निचे मस्ती करती हुई नैना को देखकर कहा
“कर लेगी !”,रुचिका ने भी नैना को देखकर कहा
“तुम इतने यकीन से कैसे कह रही हो ? वेट वो किसी को पसंद करती है ? उसने मुझे नहीं बताया !”, मोंटी ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है , मेरा मतलब था की एक ना एक दिन तो शादी करनी ही पड़ती है !”, रुचिका ने कहा तो मोंटी मुस्कुरा उठा !! रुचिका एक पल को उसकी मुस्कराहट में खोकर रह गयी ! दोनों फिर खामोश हो गए क्या बात करे समझ नहीं आ रहा था कुछ देर बाद मोंटी ने कहा,”भूख लग रही है चलते है !”
“हम्म्म हां !”,रुचिका ने कहा मोंटी उठा और अपना हाथ रुचिका की और बढ़ा दिया ! रुचिका ने एक नजर उसे देखा और फिर उसका हाथ थामकर खड़ी हो गयी ! मोंटी को छूकर रुचिका को एक बार फिर वही जादुई अहसास हुआ ! मोंटी ने उसका हाथ छोड़ दिया और पलटकर नैना और शीतल को आवाज लगाई वे दोनों भी उनके पास चली आयी और चारो वहा से निकल गए ! गाड़ी के पास आकर मोंटी ने उन सबसे बैठने को कहा और खुद कही चला गया वापस आया तब उसके हाथ में चार चिप्स के पैकेट थे ! उसने गाड़ी में बैठते हुए वो पीछे नैना को देकर कहा,”खाने के लिए कोई अच्छी जगह चलते है जब तक वहा नहीं पहुँचते तब तक ये खा लो !”
“इट्स ओके ब्रो , चलो अब कहा चलना है ?”,नैना ने पैकेट खोलते हुए कहा !
“अब चलेंगे हजरतगंज , रास्ते में खाना भी खा लेंगे”,मोंटी ने गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकलते हुए कहा !
रुचिका उसकी बगल में ही बैठी थी ! ट्रैफिक की वजह से मोंटी को गाडीअ निकालने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी ! कुछ देर बाद उसने वहा से गाड़ी निकाली और मेन रोड पर आ गया ! गाड़ी एक बार फिर चल पड़ी ! नैना ने चिप्स निकालकर मोंटी की और बढ़ाया और उसे अपने हाथ से खिला दिया ! उन दोनों की दोस्ती देखकर रुचिका और शीतल दोनों को अच्छा लग रहा था !
“नैना आराम से पीछे बैठो , मुझे गाड़ी चलाने दो !”,मोंटी ने कहा तो नैना ने पैकेट रुचिका को देकर कहा,”ले तू खिला दे !” रुचिका ने पैकेट तो ले लिया लेकिन अपने हाथ से मोंटी को कैसे खिलाये ? वह सोच ही रही थी की तभी मोंटी बोल पड़ा,”अरे इट्स ओके मैं खुद खा लूंगा !” कहते हुए उसने पैकेट से चिप्स निकाला और खाकर फिर अपना ध्यान सामने लगा लिया ! थोड़ी देर बाद ही एक अच्छी जगह देखकर मोंटी ने गाड़ी साइड लगा दी और चारो खाना खाने के लिए ढाबे पर आये !
“तुमने कहा था किसी अच्छी जगह खाना खाएंगे , लेकिन यहा ?’,नैना ने वहा का जायजा लेते हुए कहा !
“इस से अच्छी जगह कोई हो सकती है क्या ? चलो आओ !”,कहकर नैना रुचिका और शीतल को साथ लेकर वह अंदर चला आया ! ढाबे के पिछली साइड छोटी छोटी छतरियों के निचे टेबल्स लगे थे ! नैना ने वहा चलकर बैठने को कहा तो चारो आकर वहा बैठ गए ! मोंटी आर्डर देने चला गया और वापस आकर उनके बिच बैठ गया ! वह बिल्कुल रुचिका के बगल में ही बैठा था ! नैना और शीतल उसके सामने बैठे थे ! कुछ देर बाद खाना आया खाना देखते ही नैना की तो लार टपकने लगी ! सबने बातें करते हुए खाना शुरू किया
खाना खाते खाते दोपहर के 3 बज चुके थे ! कुछ देर वहा सुस्ताने के बाद सभी हजरतगंज के लिए निकल गए ! हजरतगंज लखनऊ का सबसे बड़ा बाजार है जहा काफी शोरूम है और साथ ही ये खाने के लिए भी मशहूर है ! मार्किट से कुछ पहले ही मोंटी ने गाड़ी पार्क कर दी और चारो पैदल ही चल पड़े ! नैना और शीतल आगे चल रहे थे ! मोंटी और रुचिका पीछे कभी कभी चलते हुए दोनों एक दूसरे को देख लेते ! नैना सबको लेकर एक शोरूम में आयी और कहा,”जिसे जो खरीदना है खरीद सकता है बिल मेरा दोस्त पे करेगा !”
“किस खुशी में ?’,मोंटी ने पूछा
“अरे तुमने बताया था ना शर्मा जी लड़की देख रहे तेरे लिए , बस उसी की ट्रीट चाहिए हम सबको और अब तो रुचिका और शीतल से भी तेरी दोस्ती हो चुकी है तो एक गिफ्ट तो बनता है हां !”,नैना ने मोंटी को बातो में फँसाते हुए कहा
“अच्छा ठीक है ! जाओ ले लो !”,मोंटी ने मुस्कुरा कर कहा !
नैना रुचिका और शीतल को साथ लेकर ऊपर वाले फ्लोर पर चली गयी ! नैना और शीतल दोनों ही अपनी पसंद के कपडे देख रही थी पर रुचिका को मोंटी से कुछ लेना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए बस वह देख रही थी ! नैना ने अपने लिए 2 नए जींस लिए और शीतल ने सिर्फ एक पिंक दुपट्टा ! दोनों वही घूमते हुए और कपडे देखने लगी ! मोंटी आया रुचिका को अकेले खड़े देखा तो उसके पास आकर कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ? तुम्हे नहीं लेना कुछ !”
“मुझे नहीं लगता ये सब कपडे मुझपर अच्छे लगेंगे !”,रुचिका ने कहा
“वो क्यों ?”,मोंटी ने कहा
“मेरा वजन ही मेरी सबसे बड़ी परेशानी है , इसलिए मुझे कभी कुछ मेरी पसंद का नहीं मिलता ना कपडे और ना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,”,रुचिका कहते कहते थोड़ा अपसेट हो गयी !
मोंटी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर मिरर के सामने लेकर आया और खुद उसके बगल में खड़े होकर कहने लगा,”जरा खुद को शीशे में देखो ! क्या दिखाई दे रहा है ?”
“ये कैसा सवाल है ?”,रुचिका ने हैरानी से कहा
“बताओ मुझे क्या दिख रहा है ?”,मोंटी ने फिर अपना सवाल दोहराया
“मैं दिखाई दे रही हूँ , और मेरा फैट !”,रुचिका ने धीरे से कहा
“देट्स द पॉइंट रुचिका , जब तुम खुद ही खुद को इस नजर से देख रही हो तो लोगो को भी वही दिखाओगी ! इस मिरर में एक क्यूट फेस भी दिखाई दे रहा है , दो मासूम सी आँखे , ब्यूटीफुल हेयर , अच्छी हाईट जो की फैटी लोगो में बहुत कम देखने को मिलती है ! लेकिन ये सब छोड़कर तुमने क्या देखा सिर्फ अपना फैट ! यू आर ब्यूटीफुल फैट का क्या है आज ज्यादा है कल कम , इसे तो हम कभी भी घटा बढ़ा सकते है ! सिर्फ एक अच्छी बॉडी ही इंसान को खूबसूरत नहीं बनाती बल्कि इंसान की सोच उसे खूबसूरत बनाती है और तुम्हारी सोच काफी अलग है बस जरूरत है कॉन्फिडेंस की ,, खुद को फैट समझने के बजाय खुद को बाकि लड़कियों से अलग समझो यू फील बेटर और तब तुम्हे तुम्हरी पसंद का सब मिलेगा कपडे भी और,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहकर मोंटी चुप हो गया रुचिका उसकी बातें सुनकर बस उसे देखती रही ! पहली बार किसी लड़के ने उसे उसकी सोच से अलग देखा था , पहली बार किसी ने उसकी बॉडी से पहले उसके मन को टटोला था और ये बात रुचिका को अंदर तक छू गयी !! उसे खामोश देखकर मोंटी ने कहा,”आई थिंक तुम कन्फ्यूज हो मैं हेल्प करता हूँ !”
कहकर मोंटी ने एक दो ड्रेसेज देखे और उसके बाद पिंक कलर का एक निकालकर लाया ! उसने उसे रुचिका की और बढाकर कहा,”ट्राय दिस !”
कुछ देर बाद रुचिका उसे पहनकर बाहर आयी तो मोंटी मुस्कुराता हुआ उसके पास आया उसे कंधो से पकड़ा और शीशे के सामने लाकर कहा,”परफेक्ट ना !”
रुचिका ने शीशे में खुद को देखा वो रंग उस पर बहुत अच्छा लग रहा था ! साथ ही उसके चेहरे से झलक रहा था कॉन्फिडेंस , इस बार उसे अपना फैट दिखाई नहीं दिया बल्कि दिखाई दी अपने क्यूट फेस की स्माइल , मासूम आँखे और बगल में खड़ा वो सख्स जो कुछ कुछ उस जैसा ही था !!
क्रमश – love-you-zindagi-43
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संजना किरोड़ीवाल !!
Wow
Superb 👌👌
Lucknow ki shair ho gayi aaj
मैम लखनऊ घुमा रहीं हैं तो सबको प्रकाश की कुल्फी भी खिला देना जो अमीनाबाद में हैं…बहुत फेमस हैं….मोंटी से तो पहले से ही प्रभावित थी रूचिका… अब तो उसकी सोच भी बहुत ही अच्छी हैं…आगे मोंटी रूचिका की सादगी देखकर उससे प्रेम करने लगे😊 awesome part👌👌👌👌
LOVELY PART
Bahut Hi Behtarin👌
Bahut hi khubsurat
Wonderful part…. Waiting ki kya monty hamari ek heroine ka hero banega😍😍😍😍😍
👌👌👌👌💕💕💕awesome part
👌👌💕
Fabulous
Lovely part😍🥰
bhut hi lazwab
Superb
Very beautiful
Waahhh….montii ki thinking 😍😍😍😍
Awesome part chlo ruchika ki life m koi to asa aya jisse uski achai dikh rhi h
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 awesome part ruchi ab tmko tmhara real love milega jise dill dikhta superb 👌👌👌
Nice 👌👌👌
Abhi kuch din pehle hi Lucknow ghuma tha meri adhuri si mohbbat story me arman anaya ke sath aaj naina sheetal or ruchika monty ke sath ghum liya mja aa gya
Monty ki entry ruchika ke liye hi hui hai
Nice 🙂
Wow febules part….monti ruchika ki jodi ban hi jani hai ab naina avi or sarthak Sheetal achhe lagenge ye teeno sath sath….
Osm part didu
wh yr lucknow bhi ghum rhe h hm …mje agye ruchi ko phli br koi boy mila jo uski inner beauty dkhta aur uska cutr face yh bnda to cha gya dono ki jodi mst …..
Wowww gjb part h yaar lucknow bhi ghum liye hum to
Sanjjana ji aap na hume aapki stories se pura india guma do yr banaras se le kr indore bhopal to gum aaye ab lakhnaw fir kahi or le chlna intresting story yr mje aa gye padh kr superb as always 😘😘😘😘
Lovely part..
Ruchika ko b partner milne vala h lagta h…
बहुत अच्छा i am from lucknow but jis tarah aap ne likha vo padh kr maza agaya thank you di for writing about lucknow.
Nice part
nice one
Monti or ruchika ki jodi achi jamegi
Mai Lucknow ke pass ke seher Barabanki se hu aksar jab mein Lucknow apni naani ke ghar aati hu to Lucknow ghumti hu par aaj aapki kahani me hazratganj, bhool bhulaiya, padhkar aur ghumkar bahut accha laga …..🥰🥰