Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 20

Main Teri Heer – 20

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Main Teri Heer – 20

अनु , काशी और अंजलि तैयार होकर धनतेरस की शॉपिंग के लिए निकल गयी। साथ में किशन को भी ले गयी क्योकि गाड़ी चलाने वाला भी तो कोई होना चाहिए ना। मुन्ना घर के बाहर वाले लॉन में बैठा धुप सेक रहा था। उसका मन उदास था और इस उदासी की वजह खुद भी नहीं जानता था। दिवाली की छुट्टियों की वजह से कॉलेज भी बंद थे और घर में मुरारी के रहते मुन्ना बाहर चला जाये ऐसा ही हो नहीं सकता। कुछ देर बाद मुरारी बाहर आया उसने किशन को आवाज दी तो घर के माली ने आकर कहा,”मालिक किशना तो भाभी जी के साथ गया है”
“अरे यार हमे बाहर जाना था किसी जरुरी काम से , गाडी कौन चलाएगा ? और चलेगी तो बाद में साला गाड़ी भी नहीं है कैसे जायेंगे ?”,खुद में ही बड़बड़ाते हुए मुरारी की नजर बाहर लॉन में बैठे मुन्ना पर गयी और उन्होंने आवाज दी,”ए मुन्ना हिया आओ तनिक”
मुन्ना उठा और मुरारी की तरफ चला आया। मुरारी के सामने आकर मुन्ना ने कहा,”हां पापा कहिये”
“अरे यार हमारे वाली गाड़ी तो कार्यालय में खड़ी है , दूसरी वाली तुम्हायी अम्मा ले गयी। हमको किसी जरुरी काम से जाना था बाहर और हमारे हाथ में लगी है हल्की सी चोट तो गाड़ी चला नहीं पाएंगे। तुम अगर फ्री हो तो तुम काहे नहीं हमरे साथ चलते ,, छोटा सा एक्को काम है करके तुरंत आ जायेंगे”,मुरारी ने अपनी समस्या मुन्ना को सुनाई तो मुन्ना ने कहा,”ठीक है लेकिन बाइक से जाने में आपको कोई परेशानी तो नहीं होगा ना”
“बाइक से काहे जायेंगे उह खड़ी है ना हमाई जीप उस से चलते है , वैसे भी हमे देर हो रही हो जल्दी चलो”,मुरारी ने आँखो पर चश्मा लगाते हुए कहा
“हम चाबी लेकर आते है”,मुन्ना ने कहा और चाबी लेने चला गया जब तक वापस आया देखा मुरारी पहले से जीप की आगे वाली सीट पर बैठा है। मुन्ना आकर ड्राइवर सीट पर बैठा और जीप स्टार्ट कर वहा से चला गया।
मुन्ना और मुरारी दोनों बाप बेटे थे लेकिन जैसे 23
-24 की उम्र में लड़के अपने पापा से एक डिस्टेंस बना लेते है वैसा ही कुछ डिस्टेंस मुन्ना और मुरारी के बीच था। मुरारी ने मुना को एड्रेस बताया , मुन्ना ख़ामोशी से गाड़ी चला रहा था। मुरारी ने किसी को फोन किया और मिलने को कहा। जैसे ही जीप बनारस चौक से निकली सबकी नजर मुन्ना और मुरारी पर चली गयी। दोनों को साथ कब देखा था लोगो ने वो भी ऐसे जीप में। जीप वहा से निकल गयी और कुछ देर बाद मुरारी के बताये एड्रेस पर पहुंची। मुरारी ने मुन्ना को वही जीप के पास रुकने का बोलकर मुरारी अंदर चला गया। अंदर 5-6 लोग और बैठे थे। मुरारी को देखते ही सबने नमस्ते की और उसके बाद सबके बीच बात करने लगा। मुन्ना बाहर जीप से अपनी पीठ लगाए खड़ा रहा। सुबह से ही उसका मन कुछ उदास था। जीप के पास खड़ा मुन्ना मुरारी के आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद वहा एक गाडी आकर रुकी। गाड़ी से प्रताप उतरा और उस ओर बढ़ गया जहा मुरारी और बाकि सब बैठे थे। आज की मीटिंग में शिवम् नहीं आया था , शायद मुरारी ने उसे बताया ही नहीं था इस बारे क्योकि पिछली बार भी मुरारी प्रताप से उलझते उलझते बचा था।
खैर प्रताप उस मीटिंग में नहीं आया था वह किसी और काम से उसी जगह आया था लेकिन मुरारी को देखते ही उसकी भँवे तन गयी। मीटिंग खत्म कर मुरारी बाहर चला आया। प्रताप भी उसके पीछे पीछे चला आया और कहा,”कमिशनर के साथ मीटिंग रखके तुमको लगता है कोनो फायदा है मुरारी ? नहर वाले प्रोजेक्ट को लेकर तुम जो सोच रहे हो वो तो हम नहीं होने देंगे”
मुरारी मुस्कुराया और धीमे से कहा,”बेटा हम चाहे ना तो दो मिनिट में तुमको उठाकर अंदर डाल सकते है और तुम हमारा बाल भी ना उखाड पाओगे ,, हम चुप हैं तो सिर्फ शिवम् भैया के लिए वरना कबका तुम्हारी अस्थिया गंगा में बहा दिए होते। जिंदगी के कुछ ही दिन और बचे है उन्हें हमसे उलझने में वेस्ट ना करो वरना सुलझाने में बची खुची जिंदगी चली जाएगी”
“ए मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पास खड़े प्रताप के आदमी ने मुरारी से बदतमीजी से कहा तो मुरारी ने आंव देखा ना तांव सीधा एक थप्पड़ खींचकर आदमी को जड़ते हुए कहा,”ए ए का लगा रखा है बे तुम्हारी घरवाली है हम ,, कायदे में रहो वरना पेल दिए जाओगे और तुम प्रताप जे आखरी बार है अपने आदमियों को और अपने आप को ना जरा काबू में रखो वरना विधायकी गयी तेल लेने इतना पेलेंगे एक दूसरे की शक्ल ना पहचान पाओगे”
प्रताप ने सूना तो गुस्से से मुरारी को घूरने लगा। मुरारी यहाँ कमिशनर से मिलने आया था और इस वजह से कमिशनर ने मुरारी की बात ख़ुशी ख़ुशी मान भी ली और पप्रताप अपने इरादों में नाकामयाब हो गया। मुन्ना चुपचाप खड़े खड़े सब सुन रहा था। प्रताप ने गुस्से से धीमी आवाज में जैसे ही मुरारी को गाली दी पास खड़े मुन्ना को वह सुन गया उसने दोनों हाथो से प्रताप की कोलर पकड़ी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”क्या बोला फिर से बोलना ज़रा ?”
मुरारी ने माहौल गर्माते देखा तो कहा,”ए मुन्ना छोड़ो का कर रहे हो ?”
“पापा लेकिन इन्होने,,,,,,,,,,,,,,,!!”,दांत पीसते हुए कहा
“अरे हमने कहा ना छोडो इसे , अब गोबर में पत्थर मारेंगे तो गंदे हम ही ना होंगे ,, छोडो इसे”,मुरारी ने मुन्ना को साइड करते हुए कहा
मुन्ना ने प्रताप की कोलर छोड़ दी। प्रताप ने गुस्से से मुरारी को देखा और कहा,”अपने लौंडे से कहो थोड़ा कंट्रोल में रहे , हम कोई लुच्चे लफंगे नहीं है बनारस के जाने माने व्यापारी है”
“सांप के बिल में हाथ डालोगे तो उह तो काटेगा ना प्रतापवा , और तुमको भी ना साला चूल मची रहती है तुम का चाहते हो ? नहर वाले प्रोजेक्ट में से आधा हिस्सा ना ?”,मुरारी ने सीधा मुद्दे पर आते हुए कहा
“समझदार हो मुरारी”,प्रताप ने मुरारी की तरफ देखकर कहा
“हम तो पैदा ही समझदार हुए थे इसलिए तो तुम्हारी नियत भांप गए”,मुरारी ने कहा
“हां चाहिए आधा हिस्सा इसलिए उस दिन बिना किसी ना नुकर के हमने साईन किये”,प्रताप ने कहा
मुरारी प्रताप के थोड़ा पास आया और कहा,”नहीं मिलेगा जो उखाड़ना है उखाड लो , आधा तो का तुमको 1 परसेंट नहीं मिलेगा”
मुरारी की बात सुनकर प्रताप का गुस्सा और चढ़ गया और उसने कहा,”जे सौदा बहुते महंगा पड़ने वाला है तुमको मुरारी”
“अबे सस्ती चीजों का शौक मिश्रा रखता भी नहीं है”,कहते हुए मुरारी पीछे हटा और प्रताप के आदमी से कहा,”अबे ! ठंडा वंडा पिलाओ इनको थोड़ी गर्मी कम हो इनकी”
मुन्ना को ये सब देखकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसके पापा विधायक जरूर है लेकिन इस लाइन में मुन्ना को ईमानदारी कम और बेईमानी ज्यादा देखने को मिल रही थी। प्रताप मुरारी को घूरता रहा और मुरारी ने चश्मा जेब से निकाला , आँखों पर लगाया और मुन्ना की तरफ आते हुए कहा,”चलो मुन्ना”
मुन्ना ने आकर जीप स्टार्ट की और मुरारी को लेकर वहा से निकल गया। मुन्ना के चेहरे पर गुस्सा देखकर मुरारी ने कहा,”का बात है इतना लाल पीले काहे हो रहे हो ?”
“आपको ये विधायक वाला काम छोड़ देना चाहिए पापा”,मुन्ना ने सख्त स्वर में सामने देखते हुए कहा
“हम्म्म प्रतापवा की बातों पर ना जियादा ध्यान ना दो बेटा , उसको फड़फड़ाने की आदत है किसी दिन पंख काट देंगे उसके”,मुरारी ने कहा
“और जे कब तक चलेगा ? आप विधायक है फिर भी ऐसे गुंडों की तरह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम ये नहीं कह रहे की आप गलत है लेकिन आपके इस काम में डराने धमकाने और बेईमानी के अलावा है क्या ?”,पहली बार मुन्ना मुरारी से बहस कर रहा था और बहस नहीं बल्कि सच्चाई बता रहा था जिस से मुरारी भी अनजान नहीं था। मुरारी ने चश्मा निकालकर सामने रखा और मुन्ना की तरफ देखकर कहने,”राजनीती ना उह दलदल है बेटा जिसमे एक बार इंसान गया तो उसके बाद वह धंसता ही जाता है। जिसमे प्रताप जैसे लोगो से जितने के लिए हर रोज लड़ना पड़ता है। अब रही बेईमानी की बात तो हम तुमको एक बात बताये चोर के घर से चोरी करना बेईमानी नहीं कहलाता है उह कहावत तो सुनी होगी तुमने “घी जब सीधी ऊँगली से ना निकले ना तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है”
“बस इसलिए हमे ये पसंद नहीं है”,मुन्ना ने कहा
“हम चाहते भी नहीं तुम कभी राजनीती में आओ मुन्ना , का है की तुमहू हो बहुते सीधे और राजनीती का न एक्को रूल है यहाँ सीधे पेड़ पहले कटते है”,मुरारी ने कहा और अपना चश्मा वापस अपनी आँखों पर लगा लिया क्योकि धुप बढ़ गयी थी।

काशी , अनु और अंजलि दिनभर बनारस के मार्किट में खरीदारी करती रही। तीनो ने मिलकर मुरारी का खूब बिल बढ़ा दिया था। अनु ने सारिका और शिवम् के लिए भी तोहफे खरीदे और उसके बाद तीनो ज्वेलरी शॉप चली आयी। अनु को देखते ही शोरूम का मालिक उसे पहचान गया और कहा,”अरे मैडम आईये आईये आज विधायक जी नहीं आये आपके साथ”
“नहीं वो बिजी है”,अनु ने बैठते हुए कहा और काशी अंजलि से भी बैठने का इशारा किया।
“बताईये मैडम क्या दिखाए ?”,आदमी ने अपनी बातो में मिठास घोलते हुए कहा
“कुछ भी लेटेस्ट , दिवाली के अकॉर्डिंग ही कुछ दिखा दीजिये”,अनु ने कहा तो आदमी साइड में गया और अपने शोरूम के सबसे लेटेस्ट डिजायन लेकर अनु के सामने आया और रखते हुए कहा,”ये देखिये मैडम आज ही आया है और आप पर सूट भी करेगा”
अनु ने नेकलेस को हाथ में उठाया और देखते हुए कहा,”डिजायन तो बहुत सुंदर है लेकिन कुछ हट के दिखाईये
आदमी ने दुसरा पीस सामने रखते हुए कहा,”फिर ये देखिये मैडम ये आपकी पर्सनालिटी के हिसाब से बहुत अच्छा लगेगा आप पर”
अनु को वो पीस बहुत पसंद आया उसने गले से लगाकर शीशे में देखते हुए कहा,”अच्छा तो लग रहा है , देखो काशी”
“हां मौसी बहुत सुन्दर लग रहा है”,काशी ने कहा
“मैडम इस शोरूम के सारे गहने आप पर अच्छे लगेंगे लेकिन इस सेट की तो बात ही कुछ और है , ऐसा लग रहा है जैसे आपके गले के लिए ही बना हो”,आदमी ने मक्खन लगाते हुए कहा
“ठीक है ये पैक कर दीजिये”,अनु ने कहा
“बिटिया के लिए कुछो दिखाए ?”,आदमी ने अनु का पसंद किया सेट पास खड़े लड़के को देते हुए अनु से पूछा
“काशी तुम्हे कुछ चाहिए ?”,अनु ने काशी की तरफ पलटते हुए पूछा
“नहीं मौसी हमे कुछ नहीं चाहिए ऑलरेडी हम लोग इतना खर्चा कर चुके है”,काशी ने कहा
“अंजलि तुम कुछ ले लो”,अनु ने अंजलि से भी पूछा
“अरे नहीं मामीजी हमे भी कुछ नहीं चाहिए”,अंजलि ने कहा। कुछ देर बाद अनु का पसंद किया सेट आ गया आदमी ने अनु की तरफ बढ़ा दिया
अनु उठी और आदमी से कहा,”पेमेंट मिश्रा जी कर देंगे”
“अरे कोई बात नहीं मैडम आप ले जाईये पैसे का क्या है आ जायेगा”,आदमी ने दाँत दिखाते हुए कहा
अनु अंजलि और काशी के साथ शोरूम से बाहर चली आयी। गाड़ी रोड पर खड़ी थी और तीनो को दो गली पार कर जाना था। बातें करते हुए तीनो चली जा रही थी। आज मार्किट में खूब भीड़ थी ऐसे में काशी हर चेहरे में उस लड़के को ढूंढने की कोशिश कर रही थी जो उस शाम घाट पर उस से टकराया था
“क्या हुआ काशी किसी को ढूंढ रही हो ?”,अनु ने पूछा
“नहीं मौसी किसी को भी नहीं , आप चलिए ना”,काशी ने झिझकते हुए कहा जैसे अनु ने उसकी चोरी पकड़ ली हो। अभी कुछ कदम ही चले थे की गली के लोग इधर उधर भागने लगे। अनु काशी कुछ समझ नहीं पाई। अनु ने अंजलि का हाथ थाम लिया लेकिन धक्का मुक्की की वजह से काशी पीछे रह गयी। अनु और अंजलि वही पास की दुकान के पास खड़ी हो गयी एक भारी भरकम बैल बौखलाया हुआ सा दौड़े चले आ रहा था।
“अरे सब साइड हो जाओ और इसको जाने दो”,भीड़ में से एक आदमी चिल्लाया सभी साइड में होने लगे। बैल दौड़ते हुए जाने लगा सामने ही दिवार थी और काशी डर मारे वहा खड़ी थी। अनु ने देखा तो जोर से चिल्लाई,”काशी,,,,,,,,,,!!!”
लेकिन अनु को भीड़ ने आगे नहीं जाने दिया। बौखलाया हुआ बैल काशी की तरफ बढ़ा तो डरकर काशी ने अपने महादेव को याद किया और आँखे मीच ली
बैल काशी को छू पाता इस से पहले ही शक्ति काशी के सामने आया और बैल के दोनों सींग पकड़कर उसे रोक लिया। वहा मौजूद भीड़ ने शक्ति को वहा देखा तो खुश हो गए। अनु दौड़कर काशी के पास गयी और उसे सम्हालकर साइड में ले आयी। काशी अभी भी डरी हुई थी उसने अनु की बांह कसकर पकड़ रखी थी उसने ये तक नहीं देखा उसे बचाने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि शक्ति ही थी।

क्या शक्ति उस बैल से सामना कर पायेगा ? क्या काशी और शक्ति की दोबारा मुलाकात होगी ? क्या मुन्ना समझ पायेगा मुरारी को ? जानने के लिए पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

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संजना किरोड़ीवाल

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