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“मैं तेरी हीर” – 1

Main Teri Heer – 1

“मैं तेरी हीर” – 1
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Main Teri Heer – 1

“बनारस” शहर जो अपने आप में ही खास है। इस शहर का नाम सुनते ही जहन में आते है खूबसूरत घाट , महादेव की संध्या आरती , बनारसी साड़िया/दुपट्टे , यहाँ के खाने का स्वाद और यहाँ के लोग,,,,,,,,,,,,पर मेरे जहन में आते है यहाँ की शाम के वो खूबसूरत नज़ारे जो आँखों के रस्ते सीधा दिल में उतरते है। लोग कहते है की बनारस में हर कोई प्रेम में डूबा है जबकि मेरा मानना है इस शहर की हवा में भी इश्क़ बहता है। बेशक आपको बनारस में पानी से लबालब घाट दिखते है लेकिन मुझे दिखता है उन घाट सीढ़ियों पर बैठे किसी रांझणा का इंतजार,,,,,,,,,,,,,,,,बेशक बनारस की उन संकरी गलियों में आपको बनारस का इतिहास नजर आता होगा पर मुझे नजर आता है किसी काशी का खिलखिलाकर उनमे दौड़ना,,,,,,,बेशक शाम की आरती में महसूस करते होंगे तुम रोमांच पर मुझे महसूस होता है सुकून जो दुनिया के किसी कोने में नहीं।
कहते है की बनारस दुनिया का सबसे पुराना शहर है जिसे भगवान् “शिव” और माँ “पार्वती” का निवास स्थान भी माना जाता है। इस शहर में 23 हजार मंदिर है और 84 घाट है , अगर आपको इस शहर की खूबसूरती देखनी है तो शाम के समय यहाँ के किसी भी घाट पर आकर बैठ जाये। “बनारस” सिर्फ शहर नहीं है बल्कि ज्ञान का वो समंदर है जिसमे आप जितना गहरे उतरेंगे उतना ही कुछ नया सुनने और देखने को मिलेगा। इसी शहर को लेकर एक काल्पनिक कहानी “रांझणा लिखी गयी थी और इसी शहर को लेकर एक बार फिर मैं उस कहानी का दूसरा संस्करण लिखने जा रही हूँ “मैं तेरी हीर” के रूप में

बनारस , उत्तर-प्रदेश
शाम के 7 बज रहे थे “मुन्ना मिश्रा” उर्फ़ “मानवेन्द्र मिश्रा” बनारस के विधायक “मुरारी कुमार मिश्रा” के इकलौते बेटे कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ उनके कमरे से बाहर निकले। डार्क ब्राउन रंग का चैक्स वाला शर्ट , जींस पेंट , एक हाथ में चाँदी से बना बहुत ही प्यारा कड़ा , दूसरे हाथ पर बड़े बड़े अक्षरों में बना “महादेव” के नाम से टैटू उसे स्टाइलिश बना रहा था। लम्बा भरा चेहरा जो की आधा दाढ़ी से ढका हुआ था , एक कान में सोने की बाली , बालो को अच्छे से जमाकर बिना मांग के सीधा बना रखा था। उसकी आँखे काली और समंदर सी गहरी , होंठ सुर्ख जो की दाढ़ी मुछो में कुछ कुछ दिखाई दे रहे थे। नैन नक्स बहुत ही सुन्दर और रंग हल्का सांवला लेकिन आकर्षक। हर साल की तरह इस साल भी मुन्ना कॉलेज के इलेक्शन में “युवा नेता” के लिए खड़ा होने वाला था और इसी को लेकर प्रिंसिपल सर उस से चर्चा कर रहे थे।
“अच्छा मानवेन्द्र मैं ये कह रहा था कॉलेज के पीछे जो जमीन है , कुछ लोगो ने उस पर अवैध कब्जा कर रखा है और अब उसे कचरा डालने के लिए इस्तेमाल करने लगे है। बारिश की वजह से वहा जगह जगह पानी जमा हो गया है जिस से काफी बदबू और गंदगी फ़ैल गयी है। तुम अगर विधायक जी से बात करके इस मामले को निपटवा देते तो,,,,,,,,,,,,,,,,,बदबू की वजह से उन क्लासो में कोई बैठना नहीं चाहता इस से उन सब स्टूडेंट्स की पढाई पर असर पड़ रहा है”,प्रिंसिपल सर ने मुन्ना के साथ चलते हुए कहा
“सर इतनी छोटी सी बात के लिए उन्हें क्यों परेशान करना , कल सुबह हम देख लेंगे”,मुन्ना ने कहा
“मानवेन्द्र बात अगर सामान्य होती तो मैं ये नहीं कहता , जिन लोगो ने कब्जा किया है उन्हें समझाने की कई बार कोशिश की ,, पिछली बार ही मैनेजमेंट के लोग गए थे तो उन्होंने पत्थर फेकना शुरू कर दिया।”,प्रिंसिपल सर ने कहा
“आपने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की ?”,मुन्ना ने कहा
“उनमे से एक पुलिसवाला ही है , इसलिए मैं चाहता हूँ की तुम्हारे पापा अगर इस मामले में हमारी कोई मदद कर सके तो,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रिंसिपल सर ने कहा
“सर आप चिंता मत कीजिये हम करते है कुछ , कल शाम तक वो लोग और वो कचरा वहा से साफ हो जाएगा”,मुन्ना ने कुछ सोचते हुए कहा
“ठीक है मुझे तुम पर पूरा भरोसा है , अब तुम जा सकते हो”,प्रिंसिपल सर ने मुस्कुरा कर कहा और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गए। मुन्ना कॉलेज के गेट के बाहर आया देखा बाइक पर बैठा लड़का उसी का इंतजार कर रहा है।
“वंश गुप्ता” बनारस के सबसे बड़े सीमेंट व्यापारी “शिवम् गुप्ता” का बेटा , उम्र 23 साल , गोरा रंग , चिकना चेहरा , दाढ़ी मुछ के नाम पर सिर्फ हल्की हल्की मुछे , बालो को जेल लगाकर सेट किया हुआ था , काले रंग का चुस्त शर्ट , स्क्रेच्ड जींस , गले में रुद्राक्ष के मनको से बनी माला , हाथ में काले मोतियों से बनी माला को लपेटा हुआ था। उसे देखकर कोई कह नहीं सकता था की वह 23 साल का है। इसी कॉलेज में मुन्ना के साथ ही पढता था।
मुन्ना आया और पीछे बैठते हुए कहा,”वो हम,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही वंश बोल पड़ा,”हां हां मालूम है अब तुम कहोगे की प्रिंसिपल सर ने रोक लिया , बातो बातो में फिर कोई नयी समस्या बताई होगी और तुमने कहा होगा की तुम सॉल्व कर दोगे जैसे हमेशा करते हो,,,,,,,,,,और इसी वजह से तुम लेट हो गए जैसे हमेशा होते हो”
“अबे बड़े भाई है तुम्हारे , तुमसे पहले पैदा हुए है जरा तमीज से बात करो”,मुन्ना के वंश के सर पर चपत लगाते हुए कहा
वंश ने अपना सर सहलाया और मुन्ना की तरफ गर्दन घुमाकर कहा,”सिर्फ 25 मिनिट पहले पैदा हुए हो”
“हां लेकिन रहेंगे तुम्हारे बड़े भाई ही ,, अब चलो”,मुन्ना ने कहा तो वंश ने बाइक आगे बढ़ा दी।

मुन्ना और वंश दोनों साथ साथ एक ही स्कूल में पढ़े थे , अब कॉलेज में भी साथ थे। बचपन से दोनों साथ खेलकर बड़े हुए। वंश और मुन्ना की उम्र में सिर्फ 25 मिनिट का फर्क था इसलिए वंश कभी उसे भैया कहकर नहीं बुलाता था , भाई से ज्यादा दोनों दोस्त थे। मुन्ना जितना शांत मिजाज का था वंश उतना ही गुस्सैल और मस्तीखोर था। घर में दोनों बाबा के चहेते थे और सबसे ज्यादा दोनों शिवम् से डरते थे। वंश तो शिवम् के सामने भीगी बिल्ली बन जाता था। बचपन में मुन्ना शरारती था वह अपने पापा के नाम से मोहल्ले और स्कूल के लड़को पर धौंस जमाया करता था। एक बार ऐसे ही उसने एक लड़के से कहा की “पापा विधायक है हमारे” बस फिर क्या था सामने वाले लड़के ने मुन्ना को इस बात पर भी पेल दिया और तबसे मुन्ना ने ये लाइन बोलनी छोड़ दी और मुरारी से भी थोड़ा डिस्टेंस बना लिया।
वंश को पार्टी करने का , बाइक पर घूमने का , दोस्तों के साथ बाहर घूमने का , नयी नयी जगहों पर जाने का और विडिओ गेम्स खेलने का बहुत शौक था। वह हमेशा खुश रहता था और अपने आस पास के लोगो को भी खुश रखता था वही मुन्ना को किताबे पढ़ने का , गाने सुनने का और लोगो की मदद करने का शौक था उसके पुरे कमरे में बस किताबे ही किताबे थी। ना वह किसी से झगड़ा करता ना ही ज्यादा बातें बस खुद में ही उलझा रहता था। उसे नयी नयी चीजों के बारे में जानने का बहुत शौक था। अपने शहर से उसे बहुत लगाव था और यहाँ के घाटो में तो उसकी जान बसती थी जब कभी उदास होता या परेशान होता तो यही चला आता और देर तक बैठकर इन्हे निहारा करता। कॉलेज में प्रिंसिपल से लेकर सब टीचर तक मुन्ना को पसंद करते थे और पिछले 3 साल से वही कॉलेज का प्रेजिडेंट बनता आ रहा था।

बाइक आकर एक होटल नुमा जगह पर आकर रुकी। मुन्ना ने देखा तो कहा,”ये घर जाने के बजाय कहा आये है हम लोग ?”
“यहाँ कॉलेज की फ्रेशर पार्टी है उसी में”,वंश ने बाइक से उतरकर शीशे में देख अपने बालो को सही करते हुए कहा।
“फ्रेशर पार्टी ? हम दोनों ऍम.कॉम में है और यहाँ बीकॉम वालो की फ्रेशर पार्टी चल रही है , हमारा यहाँ क्या काम ?”,मुन्ना ने कहा
“अरे यार जिसने पार्टी ओरगरनाईज की है वो मेरा दोस्त है तो उसने मुझे भी बुला लिया , अब तुम चलो देखना बहुत मजा आयेगा”,वंश ने कहा
“बड़े पापा (शिवम्) को पता चल गया तो अच्छा नहीं होगा , घर चलते है”,मुन्ना ने वंश को समझाया
“भाई वो पापा है हमारे कोई डाकू गब्बर सिंह नहीं है जो हमे गोली मार देंगे , अब चलो भी”,कहते हुए वंश मुन्ना को अपने साथ ले गया। ये शोर शराबे वाली जगहे मुन्ना को कम ही पंसद आती थी लेकिन वंश के कहने पर वह चला आया जैसे ही दरवाजा खोल दोनों अंदर आये मुन्ना के कानो में गाने की तेज आवाज पड़ी –“ओह्ह्ह नदियों पार सजण दा ठाणा”
वंश झूमते हुए आगे बढ़ गया , मुन्ना भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा। वंश के कुछ दोस्त वहा मौजूद थे तो वह उनकी तरफ चला गया। पार्टी में एक लड़की की नजर मुन्ना पर पड़ी तो वह हाथ में सॉफ्ट ड्रिंक का ग्लास पकडे मुन्ना की तरफ आयी और ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया मुन्ना जो की इन सब से कोसो दूर था उसने नजरे नीची करके अपने हाथ जोड़े और हाथो को साइड में करते हुए लड़की को जाने का इशारा किया। लड़की मुंह बनाकर वहा से चली गयी। जूनियर्स ने जब अपने कॉलेज प्रेजिडेंट को वहा देखा तो एक दौड़कर आया और मुन्ना से कहा,”मुन्ना भैया आप , आईये बैठिये ना”
कहते हुए लड़के ने साइड में पड़ी कुर्सी खिसकाई तो मुन्ना आकर उस पर बैठ गया और सामने नाचते गाते लड़के लड़कियों को देखने लगा।

.कुछ देर बाद ही मुन्ना को वहा घुटन सी होने लगी तो वह उठकर बाहर चला आया और अपनी बाइक पर आकर बैठ गया। मुन्ना को बस एक ही बुरी आदत थी और वो थी सिगरेट की और घर में इस बारे में सिर्फ वंश को पता था। बाहर अकेले बैठे बैठे मुन्ना को सिगरेट की तलब होने लगी तो उसने सामने की दुकान पर जाकर सिगरेट ली और वापस आकर अपनी बाइक पर बैठ गया। सिगरेट के कश लगाते हुए वह थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा था। कॉलेज की कुछ लड़किया पार्टी से निकलकर दरवाजे से बाहर आयी उनमे वो लड़की भी शामिल थी जिसने मुन्ना को ड्रिंक ऑफर की थी। मुन्ना को देखते ही उसने कहा,”हुँह बड़ा अजीब लड़का है , मैंने उसे ड्रिंक ऑफर की तो उसने मेरे सामने हाथ जोड़ दिए”
“कौन लड़का ? किसकी बात कर रही है तू ?”,साथ खड़ी लड़की ने कहा
“अरे वही जो सामने बाइक पर बैठा सिगरेट फूंक रहा है”,लड़की ने कुढ़ते हुए कहा
“अच्छा वो , वो तो हमारे कॉलेज के प्रेसिडेंड है मानवेंद्र मिश्रा , वो लड़कियों को भाव नहीं देते”,साथ वाली लड़की ने कहा
“हुँह इतनी अच्छी शक्ल सूरत और पर्सनालिटी है उस पर इतना गुरुर की देखा तक नहीं”,लड़की ने कहा
लड़किया मुन्ना को देखकर बातें कर रही थी और वह इत्मीनान से अपनी सिगरेट के खत्म होने का इंतजार कर रहा था। अगले ही पल उसकी नजर लड़कियों पर पड़ी तो सब की सब डर के मारे मुंह घुमाकर खड़ी हो गयी। मुन्ना ने ध्यान नहीं दिया और सिगरेट बुझाकर फेंक दी। कुछ देर बाद मुन्ना की नजर होटल के बाहर फटेहाल अपने बच्चे को गोद में उठायी औरत पर गयी जो आने जाने वाले से कुछ खाने को मांग रही थी। मुन्ना पास ही लगे ठेले वाले के पास गया उस से एक प्लेट खाना लिया और औरत की तरफ चला आया। उसे साइड में लाकर बेंच पर बैठने का इशारा किया और प्लेट उस तरफ बढ़ा दी।
औरत ने मुन्ना के हाथो से प्लेट ली। पहले दो चार निवाले अपने बच्चे को खिलाये और बाद में खुद खाने लगी। उसे खाता देखकर ही मुन्ना समझ गया था की वह कई दिनों से भूखी थी। मुन्ना ने दुकान वाले से पानी की बोतल लाने का इशारा किया। लड़का पानी की बोतल दे गया मुन्ना ने पानी की बोतल बेंच पर रख दी। औरत ने खाना खाया और पानी पीकर कर्त्तज्ञ भाव से मुन्ना को देखने लगी। मुन्ना ने अपने जेब से एक कार्ड निकाला जिस पर लिखा था “कावेरी ओल्डएज होम” उसने वह कार्ड औरत को देकर कहा,”कल सुबह आप यहाँ चली जाना , हमारी बड़ी माँ आपको वहा मिलेगी उन्हें हमारा नाम बता दीजियेगा ,, वहा आपको रहने की जगह और काम मिल जाएगा”
“क्या नाम है बेटा तुम्हारा ?”,औरत ने कहा
“मानवेन्द्र मिश्रा पर उनको हमारा नाम मुन्ना बताईयेगा , चलते है”,कहकर मुन्ना वहा से दरवाजे की तरफ चला गया ताकि वंश को ला सके। लड़की जो कुछ देर पहले मुन्ना के लिए कुढ़ रही थी अब एकदम से उसकी सोच बदल गयी और उसने अपने साथ वाली लड़की से कहा,”यार मैं तो खामखा इसे गलत समझ रही थी , ये कितना अच्छा है”
“ओये तमीज से बात कर सीनियर है हमारे”,साथ वाली लड़की ने कहा
“सीनियर होंगे तेरे मेरे तो अब ये पति परमेशवर बनेंगे”,लड़की ने सपने देखते हुए कहा
“तुमसे पहले बहुत लम्बी लाइन लगी है मैडम , कॉलेज की आधी से ज्यादा लड़किया इन्हे पसंद करती है पर मजाल है ये किसी की तरफ आँख उठाकर भी देख ले”,साथ वाली लड़की ने कहा
“ऐसा है क्या ?”,लड़की ने मुंह लटकाकर कहा
“हां , चल अब चलते है कल कॉलेज भी तो आना है”,लड़की ने कहा और फिर सभी वहा से निकल गयी।

मुन्ना अंदर पहुंचा तो देखा वंश अपने दोस्तों के साथ है , मुन्ना को देखते ही सब वहा से भाग गए वंश अकेला ही हाथ में ग्लास लिए गाना गा रहा था। मुन्ना आया और अपना हाथ उसके कंधे पर रखा। वंश जैसे ही पलटा बियर की बदबू मुन्ना के नाक को छूकर गुजरी। मुन्ना समझ गया उसने वंश को उठाया और वहा से बाहर लेकर आया।
“ओह्ह नदियों पार सजन का जाना,,,,,,,,,,!!”,वंश को बियर चढ़ चुकी थी और मुन्ना के साथ चलते हुए वह कुछ भी गाये जा रहा था।
“तो इसलिए आये थे यहाँ , पापा और बड़े पापा को पता चला ना तो तुम्हारे साथ साथ हमे भी सुनने को मिल जाएगा”,मुन्ना ने वंश को सम्हालते हुए कहा
“उन्हें बताएगा कौन ?”,वंश ने पूछा
“हम थोड़े बताएँगे तुम्हारी हरकते देखकर खुद समझ जायेंगे वो , अब चलो बैठो”,कहते हुए मुन्ना ने बाइक स्टार्ट की और वंश उसके पीछे आकर बैठ गया साथ ही मुन्ना की कमर को पकड़ लिया और सर उसकी पीठ से लगा लिया। मुन्ना ने बाइक घर की तरफ मोड़ दी। रात के 10 बज रहे थे अभी कुछ ही दूर चले थे की मुन्ना का फोन बजा। मुन्ना ने बाइक रोककर फोन देखा शिवम् का था। मुन्ना ने डरते डरते फोन उठाया और कहा,”जी बड़े पापा”
“बेटा वंश तुम्हारे साथ है क्या उसका फोन बंद आ रहा है ?”,दूसरी तरफ से शिवम् ने कहा
“जी जी बड़े पापा मेरे साथ ही है , कल से नए सेमेस्टर चालू हो जायेंगे ना इसलिए उन्ही के बारे में डिस्कस करने आया था।”,मुन्ना को शिवम् से झूठ कहना पड़ा
“ठीक है वो जैसे ही फ्री हो उस से कहना की घर आ जाये , सारिका को परवाह हो रही है”,शिवम ने कहा
“जी बड़े पापा”,कहकर मुन्ना ने फोन काट दिया और चैन की साँस ली। पीछे बैठा वंश हसने लगा तो मुन्ना ने कहा,”तुम्हे क्यों हंसी आ रही है ? देखा तुम्हारी वजह से झूठ बोलना पड़ा मुझे”
“क्योकि तुम बहुत प्यार करते हो और मुझे पापा से पीटते हुए नहीं देख सकते”,वंश ने कहा
“जी नहीं क्योकि मैं नहीं चाहता तुम्हारे साथ साथ मुझे भी बड़े पापा की डांट सुनने को मिले”,कहकर मुन्ना ने फिर से बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। वंश ने अपने हाथो को मुन्ना की कमर से लपेटा और कहा,”मुन्ना तुम कितना भी छुपाओ लेकिन मुझे पता है तुम इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार मुझसे करते हो”
मुन्ना ने सूना तो मुस्कुराने लगा सच ही तो कह रहा था वंश वरना इतनी रात में वह वंश को इस हालत में लेकर क्यों घूमता ?
दोनों घर पहुंचे। अब तक वंश का थोड़ा थोड़ा नशा उतर चुका था वह बाइक से उतरा और कहा,”मैं पैदल ही निकल जाता हूँ बाइक लेकर गया तो पापा जाग जायेंगे”
“एक काम कर यही रुक जा सुबह चले जाना”,मुन्ना ने कहा
“ये बढ़िया रहेगा , चलो चलते है”,कहते हुए दोनों जैसे ही घर के गेट की तरफ आये सामने मुरारी मिल गया और कहा,”इतनी रात में कहा से आ रहे हो दोनों ?”
“वो पापा,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहना चाहा
“फ्रेशर पार्टी से,,,,,,,,,,,,,!!”,लेकिन वंश ने बात बिगाड़ दी
“जे कौनसी पार्टी है जो हर साल चलती है तुम्हारी , शिवम् भैया को पता चला ना तो तुम दोनों के साथ साथ मेरी भी पीपटी बजा देंगे। तुम दोनों की सजा ये है की आज रात तुम दोनों सोवोगे बाहर और सुबह उठते ही दोनों गाड़ियां धोवोगे”,मुरारी ने गुस्से से कहा
“लेकिन पापा,,,,,!!”,मुन्ना ने कहना चाहा तो मुरारी उसके पास आया और कहा,”वो छोटा है लेकिन तुम तो बड़े हो समझाया नहीं उसको”
“25 मिनिट बड़े है हम उस से”,मुन्ना ने कहा
“निकलो यहाँ से”,कहकर मुरारी अंदर चला गया और जाते जाते दरवाजा भी बंद कर दिया। मुन्ना ने खा जाने वाली नजरो से वंश को देखा और फिर उसे दो चार घुसे मारते हुए कहा”तुम्हारी वजह से हुआ है ये सब , वक्त से घर आ जाते तो बाहर नहीं सोना पड़ता”
वंश और मुन्ना दोनों आकर लॉन में पड़ी बेंच पर बैठ गए और कुछ देर बाद वही सो गए !

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संजना किरोड़ीवाल

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