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Love You जिंदगी – 8

Love You जिंदगी – 8

Love You जिंदगी - 1 Season 3
Love You जिंदगी – 1 Season 3

अवि को जब पता चला कि नैना के साथ सौंदर्या भी मिली हुई है तो उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा , वह कभी अपनी मॉम तो कभी नैना को देखता। नैना को मुस्कुराते देखकर सौंदर्या ने कहा,”नैना ! बताओ ना अब आगे क्या करना है ?”
सौंदर्या की आवाज से नैना की तंद्रा टूटी और उसने उनकी तरफ पलटकर कहा,”मॉम ! अब आगे जो करेंगे डेड करेंगे,,,,,,,,!!”


सौंदर्या ने सुना तो समझ गयी नैना क्या कहना चाहती है इसलिए जवाब में वे भी मुस्कुरा दी लेकिन अवि को अभी भी कुछ समझ नहीं आया तो उसने कहा,”कोई मुझे बताएगा यहाँ क्या हो रहा है ?”
“पडोसी ! तुम्हारी ट्यूबलाइट देर से जलती है क्या ? अह्ह्ह्ह मॉम इसे छोडो लेकिन मुझे आपसे शिकायत है”,नैना ने नाराजगी भरे स्वर में कहा
“क्यों बेटा ? अब मैंने क्या किया ?”,सौंदर्या ने हैरानी से पूछा


“आपने कहा आप विहान के क्लिनिक आएँगी लेकिन आप वहा नहीं आयी,,,,,,,,,,,,मैं वहा कितना अकेली महसूस कर रही थी !!”,नैना ने मायूस होकर कहा
सौंदर्या ने सुना तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने कहा,”ओह्ह्ह आई ऍम रियली सॉरी नैना , मैं दरअसल निबी और अनुराग के चक्कर में ये बात भूल गयी,,,,,,,,,डॉक्टर ने क्या कहा ?”


नैना कुछ कहती इस से पहले अवि ने कहा,”विहान ने कहा है हमे जल्द से जल्द नैना का ट्रीटमेंट शुरू करना होगा , वो नहीं चाहता कि हम किसी भी तरह की लापरवाही बरते या इलाज में देरी करे,,,,,,,,,,इसके लिए नैना को कुछ दिन एडमिट भी होना पड़ सकता है क्योकि ट्रीटमेंट थोड़ा लंबा चलेगा”


“अगर ऐसी बात थी तो तुम्हे मुझे फोन करना चाहिए था अवि , मैं तुरंत वहा आ जाती और तुम लोग वापस क्यों आये हो ? तुम्हे आज से ही बल्कि अभी से नैना का ट्रीटमेंट शुरू करना था,,,,,,,,,,,,तुम नैना को लेकर इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो ?”,सौंदर्या ने अवि पर गुस्सा करते हुए कहा

नैना एकदम से अवि और सौंदर्या के बीच में आ गयी और सौंदर्या से कहा,”मॉम , मॉम , मॉम शांत हो जाईये इसमें इनकी कोई गलती नहीं है बल्कि मैंने ही एक दिन बाद एडमिट होने के लिए कहा था,,,,,,,,!!”
“पर क्यों नैना ? तुम जानती हो ना इस वक्त तुम कितनी बड़ी बीमारी से लड़ रही हो , एक एक मिनिट तुम्हारे लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट है बेटा,,,,,,,,,,,,,,अवि मुझे विहान का नंबर दो मैं उस से बात करती हूँ,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा


नैना ने उनके दोनों हाथो को अपने हाथो में लिया और प्यार से कहा,”मॉम ! कल मेरा जन्मदिन है , प्लीज सिर्फ कल के दिन मुझे अपनी जिंदगी जीने दीजिये उसके बाद मैं आपकी हर बात मानने के लिए तैयार हूँ , मैंने कभी अपना जन्मदिन सेलिब्रेट नहीं किया , पर इस बार करना चाहती हूँ। प्लीज मॉम कल के बाद क्या पता मेरा जन्मदिन दोबारा आये ही ना,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“नैना,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने तड़पकर कहा और ऐसा कहते हुए उनकी आँखों में लगभग आंसू भर आये। वे जानती थी नैना जिस बीमारी से लड़ रही थी उसके लिए नैना का मजबूत होना कितना जरुरी था।  
अवि ने नैना की बात सुनी तो कहा,”नैना ! तुम अपने कमरे में जाओ और थोड़ा आराम कर लो,,,,,,,,मैं थोड़ी देर में आता हूँ।”


नैना को अहसास हुआ कि जब से उसे कैंसर के बारे में पता चला है वह खुद को लेकर थोड़ी नेगेटिव हो गयी है। वह अवि की तरफ पलटी और कहा,”मैं अपने लिए चाय बनाने जा रही हूँ , क्यों तुम पीना चाहोगे ?”
“तुम्हे इस वक्त चाय नहीं पीनी चाहिए,,,,,,,,,विहान ने कहा है ट्रीटमेंट तक तुम्हे ये सब चीजे बंद करनी होगी नैना , फ़िलहाल तुम्हे आराम की जरूरत है जाओ अपने कमरे में जाओ,,,,,!!”,अवि ने सहजता से कहा
नैना अवि से किसी तरह की बहस नहीं करना चाहती थी इसलिए सौंदर्या को गुड नाईट बोलकर वहा से चली गयी

“तुमने नैना को चाय के मना क्यों किया ? ऐसा तो किसी भी ट्रीटमेंट के दौरान नहीं होता अवि”,सौंदर्या ने पूछा
“मॉम ! मैं जानता हु वो इस वक्त चाय क्यों पीना चाहती है ? इस वक्त उसके दिमाग में एक तूफान चल रहा है और उसे शांत करने के लिए उसका सोना बहुत जरुरी है , अगर वो इस वक्त चाय पीयेगी तो बिल्कुल नहीं सो पायेगी और उसके दिमाग में कुछ ना कुछ चलता रहेगा। नैना के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है उसकी ओवरथिंकिंग , और मैं नहीं चाहता मॉम इस वक्त वो कुछ भी सोचे और परेशान हो,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने सौंदर्या को समझाते हुए कहा


सौंदर्या ने देखा अवि नैना को बहुत अच्छे से जानने लगा है और उसकी आँखों में नैना के लिए प्यार के साथ साथ परवाह के भाव भी साफ दिखाई दे रहे थे। सौंदर्या ने अवि के गाल को छुआ और कहा,”चिंता मत करो , तुम्हारी नैना को कुछ नहीं होगा”
अवि ने हामी में गर्दन हिला दी , वह सौंदर्या से निबी और अनुराग के बारे में बात कर पाता इस से पहले उसका फोन बजा स्क्रीन पर मृणाल का नंबर देखकर अवि ने कहा,”मॉम ! मैं जरुरी कॉल लेकर आता हूँ”


“ठीक है,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा और खुद सोफे पर आ बैठी , उसने नैना की ट्रीटमेंट फाइल को उठाया और उसे देखने लगी जिसमे नैना की टेस्ट रिपोर्ट्स के साथ नैना के बचने के कम चांस भी सौंदर्या को साफ नजर आ रहे थे।
उन्होंने घर के मंदिर की तरफ देखा और मन ही मन नैना के ठीक होने की प्रार्थना करने लगी।

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
“शीतल जल्दी करो ट्रेन का वक्त हो गया है हम लेट हो जायेंगे,,,,,,,,!!”,सार्थक ने अपनी कलाई पर घडी बांधते हुए कहा
शीतल जो कि किचन में थी वह डिब्बे में कुछ पैक कर रही थी , उसने जल्दी जल्दी डिब्बे में सामान रखा और बंद करते हुए कहा,”बस हो गया , अभी आयी”


“शीतल ! बेटा ये मुझे दो मैं करती हूँ तुम जाकर अपना बाकि सामान रखो,,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने कहा तो शीतल किचन से बाहर आयी और अपने कमरे में  
चली गयी। कुछ देर बाद वह तैयार होकर अपना बैग और बाकि सामान लिए बाहर चली आयी। मिसेज शर्मा ने सभी डिब्बों को एक बैग में रखा और किचन से बाहर आकर कहा,”शीतल ! तुम और शुभ घूमने जा रहे हो वहा ये घर का खाना किसलिए ?”


“अह्ह्ह्ह वो माँ बाहर ना खाना अच्छा नहीं मिलता और फिर आप ही तो कहती है कि बाहर के खाने से सेहत और पैसे दोनों खराब होते है तो बस इसलिए इस बार मैंने घर का खाना साथ रख लिया,,,,,,,,,,,,,ताकि बाहर से कुछ उलटा सीधा ना खाना पड़े”,शीतल ने झूठ कहा
“चलो अब चलते है,,,,,,,,,,,अच्छा माँ चलता हूँ अपना और पापा का ख्याल रखना”,सार्थक ने मिसेज शर्मा के पैर छूकर कहा


“तू भी अपना और बहू का ख्याल रखना , खूब मजे करना और घूमना,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने कहा
शीतल ने भी आकर अपनी सास के पैर छुए तो उन्होंने धीरे से कहा,”सदा सुहागन रहो,,,,,,,,,और हाँ वापस आओ तो इस घर में किलकारी मारने वाला कोई चाहिए मुझे,,,,,,,,,,!!”
शीतल मुस्कुरा दी , इस बार उसे अपनी सास की कही ये बात बिल्कुल बुरी नहीं लगी,,,,,,,,,,,शादी को एक साल होने में बस कुछ ही महीने बचे थे।

शुभ ने कैब बुक कर दी और कुछ देर बाद ही कैब सोसायटी के बाहर खड़ी थी। मिसेज शर्मा सार्थक और शीतल को छोड़ने नीचे सोसायटी के गेट तक चली आयी। मिसेज गुप्ता और सोसायटी की कुछ औरते वही लॉन में मौजूद थे उन्होंने जब शीतल और सार्थक को बैग लेकर जाते देखा तो आपस में खुसर फुसर करने लगी। मिसेज शर्मा दोनों को बाय बोलकर अंदर आयी और जैसे ही सीढ़ियों की तरफ जाने लगी मिसेज गुप्ता ने कहा,”मिसेज शर्मा ! ज़रा सुनिए”


मिसेज आहूजा के सामने मिसेज गुप्ता थोड़ी ठीक थी इसलिए मिसेज शर्मा उसकी बात सुनने के लिए रुक गयी और जब मिसेज गुप्ता उसके पास आयी तो कहा,”कहिये मिसेज गुप्ता ! आज सुबह सुबह आप यहाँ ?”
“अरे मैं तो सुबह 6 बजे से ही लॉन में हूँ , वो क्या है ना इस बार सोसायटी के इलेक्शन में मैं भी हिस्सा ले रही हूँ। अब सोसायटी की लीडर खुद फिट नहीं रहेगी तो सोसायटी कैसे सम्हलेगी ?”,मिसेज गुप्ता ने इतराते हुए कहा


मिसेज शर्मा मुस्कुरायी और कहा,”लेकिन आप अभी इस सोसायटी की लीडर बनी नहीं है मिसेज गुप्ता , उस से पहले ही इतना बढ़ चढ़कर बात कर रही है”
“अरे छोड़िये ! मैंने सुना है आपने भी सोसायटी के इलेक्शन में अपना नाम दिया है , क्या ये सच है ?”,मिसेज गुप्ता ने बात बदलते हुए कहा


“हाँ वो मेरी बहु ने कहा कि इस बार मुझे भी अपना नाम देना चाहिए , वो क्या है कि मेरी बहु का कहना है अगर मैं अच्छी सास बन सकती हूँ तो अच्छी लीडर तो बन ही सकती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,और वो भी बिना किसी को कढ़ाई पनीर खिलाये”,मिसेज शर्मा ने कहा
मिसेज गुप्ता दबी सी हंसी हंसने लगी और कहा,”आप भी ना मिसेज शर्मा , भिगो कर जूते मारने में तो आपका कोई जवाब नहीं , वैसे मिसेज आहूजा और मिसेज तिवारी ने भी अपना नाम दिया है देखते है कौन बनती है लीडर,,,,,,,,,,,,,!!”


 मिसेज शर्मा ने कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा कर वहा से चली गयी। जबसे उन्होंने शीतल के साथ दोस्ताना बर्ताव करना शुरू किया था तब से सोसयती की इन महिलाओ से बात करना कम कर दिया था।

मिसेज शर्मा और मिसेज गुप्ता को नहीं पता था कि उस वक्त वहा उन दोनों के अलावा एक इंसान और मौजूद थी जो छुपकर उन दोनों की बाते सुन रही थी और वो थी मिसेज आहूजा , दोनों के वहा से जाने के बाद मिसेज आहूजा दिवार के पीछे से बाहर आयी और खुद में ही बड़बड़ाते हुए कहा,”हुंह ! बहुत घमंड है ना तुम्हे तुम्हारी बहू पर , तुम्हारी उस बहू के पर अगर मैंने नहीं काटे तो मेरा भी नाम मिसेज आहूजा नहीं और इस बार इलेक्शन में तो मैं ही जीतूंगी फिर इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े,,,,,,,,,,,,,मैं तुम दोनों सास बहू से अपनी बेइज्जती का बदला लेकर रहूंगी,,,,,,,,,,,,,!!”


मिसेज आहूजा की आँखों में नफरत और गुस्से के भाव तैरने लगे और वह पैर पटकते हुए वहा से चली गयी।

बीकानेर , रेलवे स्टेशन
सुबह सुबह मोंटी उतरे हुए चेहरे के साथ स्टेशन की बेंच पर बैठा अपनी ट्रेन के आने का इंतजार कर रहा था। चित्रकूट पहुँचने में उसे पुरे 17-18 घण्टे लगने वाले थे। सुबह का नाश्ता मोंटी ने स्टेशन से बाहर ही कर लिया था क्योकि खाली पेट उसका दिमाग वैसे भी काम नहीं करता था। कल रात से मोंटी को घर आने के लिए 4-5 बार फ़ोन आ चुका था और ऐसे में मोंटी का घर जाना बहुत जरुरी था क्योकि उसे जल्द से जल्द घरवालों की इस ग़लतफ़हमी को दूर करना था कि उसके और रुचिका के बीच सब ठीक है।


मोंटी रुचिका से नाराज था लेकिन इस घटना के बाद तो उसका गुस्सा रुचिका के लिए और ज्यादा बढ़ गया। गुस्से गुस्से में मोंटी ने अपना फोन निकाला और रुचिका का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद ही रुचिका ने फ़ोन उठा लिया। वह कुछ कहती इस से पहले ही मोंटी ने गुस्से में बोलना शुरू किया,


“तुम खुद को समझती क्या हो रूचिका ?  तुम्हे ब्याह-शादी क्या मजाक लगता है। आखिर तुमने हमारे बीच की बात को घरवालों के बीच लाने की गलती क्यों की ? और ये तो किया इसके साथ तुमने मेरे घर पर भी सब बता दिया,,,,,,,,,,,,,,तुम में दिमाग नहीं है क्या ? तुम जानती भी हो तुम्हारी इस हरकत की वजह से कितनी प्रॉब्लम हो सकती है,,,,,,,,,,,,,,,,झगड़ा हमारा था तुमने उसे घरवालों के सामने क्यों लाया ? क्यों तुमने ये सब बताकर मेरे माँ बाप परेशान किया ,, उनके साथ साथ तुमने मुझे भी एक बड़ी परेशानी में डाल दिया है रुचिका , मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी,,,,,,,,,,,,,,आखिर तुम ऐसी बेवकूफी कैसे कर सकती हो ?”


मोंटी की बात सुनकर रुचिका की आँखों में आंसू भर आये क्योकि जो कुछ हो रहा था उसमे रुचिका की गलती बस इतनी थी कि उसने अपने और मोंटी के बारे  में अपने घर पर बता दिया और मिस्टर शर्मा ने इन सब बातो को बढ़ा चढ़ाकर मोंटी के पिताजी को जिस से चीजे बेहतर होने के बजाय और ज़्यादा बिगड़ गयी।

“मोंटी मेरी बात सुनो ! तुम जो गलत समझ रहे हो ,  मैंने तुम्हारे पापा को कुछ नहीं बताया है वो पापा ने ही उनसे बात,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने मायूस होकर कहा
रुचिका की बात सुनकर मोंटी और भड़क गया और कहा,”ओह्ह्ह ! मैं ये कैसे भूल गया कि तुम्हारे महान पापा की नजर में तो मैं अब एक नालायक और बेरोजगार लड़का हूँ , लेकिन इन सब में मेरे घरवाले बीच में कैसे आ गए ? उन्होंने इसमें उन्हें इन्वॉल्व क्यों किया ? क्या उनमे मुझसे डायरेक्ट बात करने की हिम्मत नहीं थी ?”


अपने पापा के लिए मोंटी के मुंह से ऐसी बाते सुनकर रुचिका को भी गुस्सा आ गया और उसने कहा,”मोंटी ! जबान सम्हाल के तुम्हे कोई हक़ नहीं मेरे पापा के बारे में इस तरह से बात करने का , तुम अपनी हद पार कर रहे हो,,,,,,,,,!!”
कहते है ना कि गुस्से में इंसान को होश नहीं रहता वह क्या कह रहा है और क्या समझ रहा है ? मोंटी के साथ भी यही हुआ और उसने कहा,”ओह्ह्ह तो अब तुम मुझे हद में रहना सिखाओगी ? मैं अब तक अपनी हद में ही हूँ रुचिका,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम्हारे पापा ने हद पार कर दी,,,,,,,,,,,,और इसका अंजाम अब बहुत बुरा होगा,,,,,,,,,,!!


“तुम क्या मुझे धमकी दे रहे हों ? क्या अंजाम होगा मोंटी यही ना कि तुम मुझे छोड़ दोगे ,,,, हाह इस से ज्यादा और तुम कर ही क्या सकते हो ?”,रुचिका ने गुस्से से उबलते हुए कहा
रुचिका की छोड़ने वाली बात सुनकर मोंटी थोड़ा शांत हुआ और उलझन भरे स्वर में कहा,”छोड़ दूंगा ? पर मैंने ये कब,,,,,,,,,,,,रुचिका तुम गलत समझ रही हो  , अंजाम से मेरा मतलब,,,,,,,,,,,!!”


“मैं तुम्हारा मतलब सब समझती हूँ मोंटी , आज के बाद मुझे फ़ोन मत करना ,, भाड़ में जाओ तुम,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने रोते हुए कहा और फोन काट दिया
मोंटी अपना सर पकड़ कर बैठ गया , एक बड़ी गलती वह पहले ही कर चुका था रुचिका को उसके घर अकेला छोड़कर और अब उसने दूसरी गलती कर दी।

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