Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 25

Love you Zindagi
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Love You Zindagi – 25

सुमि आंटी के घर से निकलकर नैना का दिमाग गर्म हो चुका था ! इसे अपने रिश्तेदारों से एक अजीब सी चिढ थी ना रिश्तेदारों को नैना पसंद थी और न ही नैना को अपने रिश्तेदार ! सुमि आंटी के घर से वह पैदल ही चल पड़ी ! चलते चलते उसकी नजर चाय की दुकान पर गयी आँवले का जूस पीकर उसके मुंह का स्वाद तो वैसे ही ख़राब हो चुका था ! नैना ने दुकानवाले से आकर एक कप चाय देने को कहा और वहा पड़ी बेंच पर बैठ गयी ! सुमि आंटी के लेक्चर ने उसका दिमाग ख़राब कर दिया था उस पर रुचिका और शीतल का ख्याल उसे और परेशान कर रहा था ! नैना बड़बड़ाने लगी,”सबकी जिंदगी में प्रॉब्लम्स है लेकिन मेरी जिंदगी कुछ ज्यादा ही है ,, अच्छा खासा सबसे पीछा छुड़ाकर दिल्ली आयी सोचा यहाँ लाइफ अच्छी होगी लेकिन यहाँ आकर तो और झंड हो गयी है ! उस पर ये रिश्तेदार , इनका हरामीपन कभी खत्म नहीं होता है जब इनका मन करेगा ये जिंदगी में भसड़ मचाने आ ही जायेंगे और मुझे तो ये सब विरासत में मिले है ! इन सालो का बस चले ना तो मरने के बाद भी उठाकर पूछेंगे,”और बेटा मर गए ? कब मरे तुमने तो बताना भी जरुरी नहीं समझा !” जीना हराम कर रखा है यार इन लोगो ने !
नैना के पीछे उसकी और पीठ किये बैठे लड़के को नैना की बातें सुनकर मन ही मन हंसी आने लगी थी ! वह अच्छे घर का लड़का नजर आ रहा था और शायद पैसेवाला भी लेकिन चाय की दुकान पर बैठकर अपनी गाड़ी के ठीक होने का इन्तजार कर रहा था ! लड़का नैना को चाय देकर चला गया नैना ने जैसे ही एक घूंठ पीया उसका मुंह बन गया वह उठी और दुकानवाले के पास जाकर कहा,”ये क्या है ?”
“चाय है मैडम !”,दुकान वाले ने पतीले में चम्मच घुमाते हुए कहा !
नैना ने चाय को अपने ही हाथ पर उड़ेला जो की ठंडी हो चुकी थी और ग्लास चायवाले की और बढाकर कहा,”इसे पानी बोलते है दादा , ऐसी घटिया चाय पिलाकर क्यों चाय को बदनाम कर रहे हो ?”
“चाय अच्छी नहीं है क्या मैडम ?”,बेचारे दुकानवाले ने डरते डरते पूछा
“इसे अच्छी चाय बोलते हो आप ? चाय को ना मोहब्बत की तरह बनाना चाहिए बिजनेस की तरह नहीं !”,नैना ने कहा , कुछ दूर बेंच पर बैठा वो लड़का ख़ामोशी से नैना की बात सुन रहा था नैना की इस बात पर जब उसने पलटकर देखा तो बस नैना को देखता ही रह गया ! कोई मेकअप नहीं , कोई एक्स्ट्रा फैशन नहीं नैना उसे सबसे अलग लगी ! लड़का नैना को देखता रहा !
“आपको ज्यादा पता है तो आप बना लो !”,दुकानवाले ने नैना को घूरते हुए कहा नैना भी कहा पीछे हटने वाली थी उसने कहा,”हटो परे अभी बनाती हूँ !”
नैना ने उसके हाथ से पतीला लिया और चाय बनाने के लिए गैस पर चढ़ाते हुए कहा,”ये है जिंदगी इसमें डालना है ख्वाहिशो वाला पानी , जब ख्वाहिशे (पानी) उबलने लगे तो उसमे डाला जाता है सब्र यानि चायपत्ती , जब सब्र का रंग दिखने लगता है तो उसमे डाला जाता है थोड़ा सा इंतजार यानि,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
”यानी इलायची और अदरक”,पास खड़े लड़के ने कहा जो कुछ देर पहले नैना को चाय देकर गया था ! उसका जवाब सुनकर नैना ने मुस्कुराते हुए कहा,”अई गजब बहुते आगे जाओगे बाबू ,, इंतजार के बाद डाली है जाती है थोड़ी सी मोहब्बत यानि दूध ,, सबको मिलाकर अच्छे से जिंदगी (पतीले) में घोला जाता है और सबसे आखिर में डलती है ख़ुशी याने चीनी , ख़ुशी ना ज्यादा ना कम क्योकि ज्यादा हुई तो हजम नहीं होगी कम हुई तो मजा नहीं आएगा ! और उसके बाद बनती है चाय वो चाय जिसकी तलब इंसान को यहाँ तक खिंच लाती है !! समझे !”
“समझ गए दीदी आज से पहले चाय बनाना ऐसे तो किसी ने नहीं समझाया था !”,बेचारा दुकानवाला अवाक् था ! नैना ने चाय ग्लास में छानी और लेकर पीने लगी जैसे ही एक घूंठ पीया एक सुकून उसके चेहरे पर उभर आया ! बेंच पर बैठा लड़का मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था ! बची हुई चाय को ग्लास में छानकर लड़के ने एक घूंठ भरा तो नैना की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाया और कहा,”वाह दीदी क्या चाय बनी है , मजा आ गया ! आप ऐसे रोज चाय बनाओ ना तो चाय पिने वालो की लाइन लग जाएगी !”
नैना ने ध्यान नहीं दिया वह बस चाय पीती रही , चाय खत्म करके उसने ग्लास रखा और दुकान वाले की और 20 रूपये का नोट बढ़ा दिया ! दुकानवाले ने कहा,”अरे रहने दीजिये !”
“क्यों बाप लगे हो हमारे ? नहीं ना तो रखो और थोड़ी ढंग की चाय बनाया करो !”,कहकर नैना ने पैसे उसे थमाए और वहा से चली गयी ! बेंच वाला लड़का किसी से फोन पर बात करते हुए कुछ देर के लिए साइड में चला गया जब वापस आया तो नैना वहा नहीं थी उसने इधर उधर देखा लेकिन नैना नजर नहीं आयी ! लड़का दुकानवाले के पास आया और कहा,”हेलो एक्सक्यूज मी , अभी वो जो लड़की यहाँ थी वो कहा गयी ?”
“वो तो चली गयी भैया !”,दुकानवाले ने कहा
“आप उसके बारे में कुछ जानते है ? कुछ भी कौन है ? कहा से है ? समथिंग !”,लड़के ने कहा
“नहीं भैया मैं नहीं जानता पर हां उन मैडम का मिजाज चाय से भी ज्यादा गर्म है , आपके दूर रहने में ही भलाई है !”,दुकानवाले ने कहा जो की कुछ देर पहले ही नैना के मिजाज से रूबरू हुआ था ! लड़के को नैना के बारे में कोई जानकारी वहा से नहीं मिली वह कुछ और बात कर पाता इस से पहले ही उसकी गाड़ी ठीक होकर आ गयी ! लड़का गाड़ी में बैठा और ड्राइवर से चलने को कहा ! साइड मिरर में उसे वह बेंच दिखाई दी जिस पर कुछ देर पहले तक नैना बैठी थी ! “शी इज अमेजिंग”,कहकर लड़का मुस्कुरा उठा !
“क्या हुआ सर ? आपने कुछ कहा ?”,ड्राइवर ने गाड़ी चलाते हुए कहा
“नहीं कुछ नहीं तुम चलो !”,कहकर लड़के ने अपना लेपटॉप खोला और उसमे काम करने लगा !
रुचिका को सुबह से शाम हो गयी लेकिन वह कुछ सही नहीं कर पायी ! सचिन के झूठ और धोखे से रुचिका अंदर से टूट चुकी थी ! अपना दुःख बाटने के लिए उसके पास कोई नहीं था नैना से उसका पहले से झगड़ा चल रहा था और शीतल उसे तो अपने राज से फुर्सत नहीं थी ! रुचिका इस वक्त खुद को बहुत अकेला महसूस आकर रही थी ! शीतल को मार्किट जाना था कुछ सामान लेने तो उसने आकर रुचिका से कहा,”रुचिका मैं बाहर जा रही हूँ तुम भी चलो तुम्हारा मन दुसरा हो जाएगा ,, ऐसे अकेले रहोगी तो ज्यादा परेशान हो जाओगी !”
“तुम जाओ मेरा मन नहीं है !”,रुचिका ने निराशा भरे शब्दों में कहा शीतल उसके पास आ बैठी और कहा,”ऐसे कैसे चलेगा रुचिका ? सचिन तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता इस बात को तुम्हे एक्सेप्ट करना होगा और सब भूलकर आगे बढ़ना होगा !”
“मेरे लिए ये सब इतना आसान नहीं है शीतल , मैंने पहली बार किसी से सच्चा प्यार किया और वो अधूरा रह गया ! सचिन ने जो किया वो मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी और इसके बाद शायद मैं कभी किसी से प्यार ना कर पाऊ !”,रुचिका ने कहा तो उसकी आँखों में आंसू भर आये !
शीतल उसका दर्द समझ तो सकती थी लेकिन कम नहीं कर सकती थी , उसने रुचिका के कंधे पर हाथ रखा तो रुचिका ने कहा,”मैं ठीक हूँ तुम जाकर आओ !”
“हम्म , अपना ख्याल रखना मैं जल्दी ही आ जाउंगी ,, कोई भी जरूरत हो फोन करना !”,शीतल ने उसे गले लगाते हुए कहा
“हम्म्म !”,रुचिका ने कहा !
शीतल वहा से चली गयी अभी 5 बजे थे 7 बजे तक वापस लौटने का फैसला कर वह अपार्टमेंट के बाहर आकर ऑटो का इंतजार करने लगी ! कुछ देर बाद सार्थक बाइक लेकर उधर से निकला लेकिन शीतल को देखकर रुक गया और कहा,”तुम कही जा रही हो ?”
“हां वो कुछ सामान लेने मार्किट जाना था , ऑटो का इंतजार कर रही हूँ !”,शीतल ने कहा !
“चलो मैं छोड़ देता हूँ !”,सार्थक ने कहा
“तुम परेशान मत हो मैं चली जाउंगी !”,शीतल ने कहा
“अरे नहीं ! मैं खुद मार्किट ही जा रहा हूँ , मम्मी ने कुछ सामान लाने को बोला है !”,सार्थक ने कहा !
“ठीक है फिर !”,कहकर शीतल उसके पीछे बाइक पर जा बैठी अपना हाथ सार्थक के कंधे पर रखने में शीतल झिझक रही थी सार्थक ने देखा तो कहा,”रख सकती हो मैं गलत नहीं समझूंगा !”
शीतल ने अपना हाथ सार्थक के कंधे पर रखा और सार्थक ने बाइक आगे बढ़ा दी ! खिड़की पर खड़ी रुचिका ने उन्हें साथ बाइक पर जाते देखा तो उलझन में पड़ गयी नैना और सार्थक को लेकर उसने जो ग़लतफ़हमी अपने मन में बनाई थी वो सच उसके सामने था ! रुचिका को बहुत बुरा लग रहा था गुस्से गुस्से में उसने नैना से कितना सब बोल दिया था रात में ! वह बैचैन सी आकर सोफे पर बैठ गयी और अपना सर पकड़ लिया कुछ देर बाद उसका फोन बजा रुचिका ने देखा फोन सचिन का था उसने जल्दी से फोन उठाया और बेचैनी से कहा,”हैलो हैलो सचिन प्लीज एक बार मेरी बात सुनो !”
सचिन – रिलेक्स रुचिका मैंने तुमसे बात करने के लिए ही फोन किया है
रुचिका – सचिन मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ , प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो प्लीज ,, तुम जो कहोगे जैसा कहोगे मैं करुँगी प्लीज मुझसे दूर मत जाओ ,, आई रियली लव यू आई लव यू अलॉट !
सचिन – रुचिका मैं तुमसे कोई प्यार व्यार नहीं करता हूँ , मेरी आलरेडी एक गर्लफ्रेडं है यार !
रुचिका – सचिन तुम झूठ बोल रहे हो , ऐसा कुछ भी नहीं है मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए तुम ऐसा कह रहे हो ,, ये सच नहीं है !
सचिन – ये सच है और मैंने फोन तुम्हे तुम्हारी जॉब को बचाने के लिए किया है
रुचिका – हन्न , मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है सचिन मैं क्या करू ? कल मुझे खुद को इनोसेंट प्रूव करना है मैं कैसे करू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ? ये सब तुमने किया सचिन प्लीज ये सब सही कर दो प्लीज ,, ऑफिस में मेरी इमेज ख़राब हो जाएगी ! (रोने लगती है)
सचिन – रोना बंद करो और मेरी बात सुनो ,, मैंने आज ही निरंजन सर से बात की है और वो तुम्हे एक मौका देने के लिए तैयार है मेरे कहने पर ,, लेकिन तुम्हे बदले में वो करना होगा जो मैं कहूंगा
रुचिका – क्या करना होगा ? (रुचिका ने अपने आंसू पोछते हुए कहा)
सचिन – निरंजन सर को तुम पसंद हो , कल शाम ऑफिस की तरफ से एक पार्टी है और सब उसमे शामिल होंगे तुम्हे बस निरंजन सर को थोड़ा खुश करना है और बदले में सर वो फाइल गायब करवा देंगे !
रुचिका ने सूना तो उसे एक झटका सा लगा और उसने कहा,”पसंद ? लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ सचिन उनके साथ कैसे ?”
सचिन – सिर्फ एक रात की बात है रुचिका , उसके बाद तुम्हे तुम्हारा जॉब वापस मिल जाएगा
एक रात की बात सुनकर रुचिका का दिल धक् सा रह गया , उसकी आँखों से आंसू बहकर गालो पर बहने लगे , शब्द उसके गले में फंस गए उस से कुछ बोला ही नहीं गया उसे चुप देखकर दूसरी साइड से सचिन ने कहा,”सोच क्या रही हो ? बड़े शहरो में ये सब आम बात है रुचिका और तुम्हे करना ही क्या है सिर्फ एक रात उसके बाद मैनेजर तुम्हे नहीं जानता तुम उसे नहीं जानती ,, मैं सब सेटिंग कर दूंगा किसी को इस बारे में खबर तक नहीं होगी ,, यू आर लकी वन की मैनेजर ने तम्हे चुना !”
सचिन की बाते सुनकर रुचिका का दम घुटने लगा उसे अहसास हो गया की सचिन ने उस से कभी प्यार किया ही नहीं था ! उसकी आँखों पर पड़ा सचिन के प्यार का पर्दा हट चुका था ! उसने कहा,”तुम ये सब कैसे कह सकते हो सचिन ? क्या तुमने मुझसे कभी भी प्यार नहीं किया था ?”
रुचिका की बात सुनकर सचिन हसने लगा और कहा,”रुचिका तुम एक बेवकूफ लड़की हो , तुमने सोच भी कैसे लिया की मैं तुमसे प्यार करूंगा ? तुम्हारे जैसी लड़किया सिर्फ यूज एंड थ्रो के लिए होती है प्यार करने के लिए ,, मैं तो क्या कोई भी लड़का तुमसे प्यार नहीं करेगा ? जानती हो क्यों ? क्योकि तुम एक बेवकूफ , चिपकू और प्यार के पीछे भागने वाली लड़की हो ,, ना तुम्हारे पास अच्छा फिगर है ना अच्छी पर्सनालिटी कोई लड़का तुम्हे भाव क्यों देगा ? अब छोडो ये बात अगर अपनी जॉब बचानी है तो कल शाम की पार्टी में आ जाना वरना अपना रिजाइन लेटर तैयार रखना ! और हां आज के बाद मुझसे दूर रहना क्योकि 1 ,महीने बाद मेरी शादी है और मैं नहीं चाहता तुम्हारी वजह से मेरी शादी में कोई भी प्रॉब्लम आये ! बाय”,कहकर सचिन ने फोन काट दिया !
सचिन की बाते रुचिका के कानो में गूंजने लगी , आँखों से आंसू बहने लगे और दिल टूटकर बिखर गया उसने हाथ में पकड़ा फोन साइड में रखा और अपना चेहरा हाथो में छुपाकर रोने लगी ! रुचिका खुद को बहुत अकेला महसूस कर रही थी !!

सार्थक और शीतल मार्किट पहुंचे ! शीतल ने अपने लिए जरुरी सामान खरीदा सार्थक शीतल को कुछ देना चाहता था इसलिए वह इधर उधर नजर दौड़ाने लगा उसकी नजर एक दुकान पर गयी सार्थक उसे लेकर उस दुकान पर आया और चूडिया देखने को कहा ! शीतल ने देखा वहा बहुत से रंगो की कांच की चूड़िया थी उसने लाल और हरे रंग की चूड़िया ली और लेकर सार्थक की और बढ़ा दी ! सार्थक ने देखा तो मुस्कुरा दिया और कहा,”तुम्हारे लिए है , रखो !”
“मेरे लिए , मैं ये कैसे ले सकती हूँ ?”,शीतल ने कहा
सार्थक उसके थोड़ा करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तुम्हे मेरा प्यार एक्सेप्ट नहीं करना मत करो पर तोहफा तो ले सकती हो ना , अगर नहीं लेना तो मैं समझूंगा की तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए फीलिंग्स है ,, और हो सकता है मेरे तोहफे से वो और बढ़ जाये !” सार्थक की बातें सुनकर शीतल ने चूड़िया दुकानवाले की और बढाकर कहा,”पैक कर दीजिये भैया !
सार्थक मुस्कुरा कर पीछे हट गया ! दुकानवाले ने चूड़िया पैक करके शीतल को दे दी और सार्थक पैसे चुकाकर आगे बढ़ गया ! शीतल भी उसके साथ साथ चलने लगी ! सार्थक की मम्मी ने जो सामान मंगवाया था वो लेकर दोनों मार्किट से बाहर आने लगी ! पार्किंग में आकर सार्थक गाड़ी निकालने लगा और शीतल कुछ ही दूर खड़ी उसका इंतजार कर रही थी की तभी उसकी नजर वहा से गुजरते सचिन पर गयी जो की एक लड़की का हाथ थामे चल रहा था ! शीतल को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह चाहकर भी सचिन से कुछ बोल नहीं पाई ! सार्थक बाइक लेकर उसके सामने आया और कहा,”अरे कहा खो गयी बैठो !”
“छी कितना बुरा इंसान है वो !”,शीतल ने जाते हुए सचिन को देखकर खुद से कहा
“कौन ? किसकी बात कर रही हो ?”,सार्थक ने कहा
“सचिन , जिस से रुचिका प्यार करती है , अभी कल ही तो सचिन ने उस से ब्रेक अप किया था और आज वो किसी नई लड़की के साथ घूम रहा है ,, रुचिका उसे पागलो की तरह चाहती है और ये घटिया इंसान इसे कोई फर्क नहीं पड़ता !”,शीतल ने बेहद नफरत भरे स्वर में कहा !
सार्थक कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”फर्क तो किसी को नहीं पड़ता शीतल , तुम भी तो यही कर रही हो अपने साथ !”
सार्थक की बात सुनकर शीतल खामोश हो गयी और उसकी और देखते हुए सोचने लगी,”मैं भी उन्ही प्यार की बेड़ियों में कैद हूँ सार्थक जिन से निकल तो सकती हूँ लेकिन कभी आजाद नहीं हो सकती !”
सार्थक भी उसकी आँखों में देखता रहा और सोचता रहा,”जितना प्यार तुम राज से करती हो उसका 10 परसेंट भी अगर वो तुमसे करता तो मैं ख़ुशी ख़ुशी तुम्हे उसके साथ जाने देता लेकिन वो भी वैसा ही है जैसा रुचिका के लिए सचिन और इस बात का तुम्हे बहुत जल्द अहसास होगा !”
“चले , देर हो रही है !”,शीतल ने कहा तो सार्थक ने हां में गर्दन हिला दी ! शीतल उसके पीछे आकर बैठ गयी और सार्थक बाइक स्टार्ट कर आगे बढ़ गया ! दोनों खामोश थे बात करने को बहुत कुछ था लेकिन शुरुआत किसी ने नहीं की ! हल्का अन्धेरा होने लगा था सूरज डूबने वाला था ! सार्थक शीतल को साथ लिए चला जा रहा था की अभी कुछ ही दूर पहुंचे थे और बाइक बंद पड़ गयी ! सार्थक ने बाइक साइड में लगायी तो देखा टायर पंचर है ! वह और शीतल दोनों पैदल बाइक को धक्का देते हुए आगे बढ़े उम्मीद की किरण एक दूकान नजर आयी सार्थक बाइक लेकर वहा आया और पंचर बनाने को कहा
“आधा घंटा लगेगा साहेब !”,लड़के ने कहा
“हम्म्म ठीक है !”,सार्थक ने कहा और शीतल को बताया ! दोनों वही पास पड़ी एक बेंच पर बैठकर बाइक ठीक होने का इंतजार करने लगे , सूरज की नारंगी रौशनी से वहा का नजारा और भी आकर्षक लग रहा था शीतल अपलक उसे देखती रही और सार्थक शीतल को ! अभी उसने ठीक से शीतल को निहारा भी नहीं था की शीतल का फोन बज उठा और शीतल उठकर वहा से कुछ दूर जाकर बात करने लगी क्योकि फोन राज का था !! बेचारा सार्थक अपने दिल को सम्हाले बैठा उस डूबते सूरज को देखता रहा जिसमे वह खुद को डूबता देख रहा था शीतल के प्यार में !!

सचिन की सच्चाई जानने के बाद रुचिका बुरी तरह टूट चुकी थी ! वह अकेले बैठी रो रही थी जब थक गयी तो उठी और मुंह धोने के लिए वाशबेसिन के पास आयी शीशे में खुद को देखा तो दुःख से आँखे फिर भर आयी ! रुचिका ऐसे जाल में फंस चुकी थी जिस से बाहर निकलना उसे मुश्किल लग रहा था ! उसने मुंह धोया और आकर सोफे पर बैठ गयी उसने अपना फोन उठाया और अपनी मॉम को फोन लगाया लेकिन उसकी मम्मी ने बिना रुचिका की बात सुने ही कहा,”बेटा मैं तुम्हे दो मिनिट में फोन करती हूँ अभी में पड़ोस वाली आंटी के घर आयी हूँ पूजा में !”
“मॉम !”,रुचिका ने कहा लेकिन उस से पहले ही फोन कट गया ! रुचिका ने थोड़ी देर बाद अपने पापा का नंबर डॉयल किया लेकिन उनकी तरफ से भी यही सुनने को मिला,”बेटा अभी ट्रेफिक में हूँ घर जाकर फोन करता हूँ !” उन्होंने भी रुचिका से बात नहीं की उसकी आँखो से आंसू बहते रहे ! उसने अपनी बहन कुकू को फोन लगाया और कहा,”हेलो कुकू वो सचिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!” रुचिका ने इतना ही कहा की कुकू ने उसकी बात बिच में ही काट दी और कहा,”हां हां मालूम है अब आप कहोगी सचिन ने आज आपसे ये कहा , सचिन ने वो कहा , सचिन ऐसा है , सचिन वैसा है , ओह्ह्ह दी मैं ना आपके सचिन की तारीफ सुन सुनकर थक गयी हूँ एक काम करना इस बार आओ तो उसे अपने साथ ही ले आना ! पापा से बात करके तुम दोनों की शादी मैं करवा दूंगी ! अच्छा दी रुको दरवाजे पर कोई है,,,,,,,,,,,,,,!! कहकर कुकू चली गयी रुचिका ने हेलो हेलो किया लेकिन उधर से कोई आवाज नहीं आयी ! उसके घरवालो के पास टाइम नहीं था उस से बात करने का ये जानकर रुचिका और ज्यादा दुखी हो गयी ! उसे शीतल की याद आयी उसने शीतल को फोन लगाया लेकिन उसका फ़ोन भी अदर नंबर पर बिजी आ रहा था ! रुचिका फिर रो पड़ी उसे बात करनी थी , अपना दर्द बताना था लेकिन आज उसके पास कोई नहीं था ! उसने अपने आंसू पोछे और नजर फोन की स्क्रीन के वॉलपेपर पर गयी जिसपर उसकी नैना और शीतल की फोटो लगी थी ! रुचिका ने कांपते हाथो से नैना का नंबर डॉयल किया एक रिंग में ही नैना ने फोन उठा लिया और कहा,”हैलो , हां रूचि बोल क्या हुआ ?”
रुचिका ने जब नैना की आवाज सुनी तो उसकी आँखों से आंसू बह निकले और मुंह से दर्द में लिपटा शब्द निकला – नैना !
नैना ने जब सूना तो उसे महसूस हो गया की रुचिका अपसेट है उसने बैचैन होते हुए कहा,”हां रूचि !”
“नैना !”,कहकर रुचिका सिसकने लगी उस से आगे कुछ बोला ही नहीं गया ! नैना ने सूना तो उसे हर्ट हुआ उसने अपने सामने से गुजरते हुए ऑटो को रुकवाया और रुचिका से कहा,”मैं घर आ रही हूँ !”
“हम्म्म्म !”,कहकर रुचिका ने फोन काट दिया !
फोन रखकर रुचिका रो पड़ी जिनसे उसे उम्मीद थी उन सबने आज उसे इग्नोर कर दिया था और जिस नैना को उसने बुरा भला कहा वही नैना उसके लिए परेशान थी ! नैना के साथ किया गया बर्ताव रुचिका को अंदर ही अंदर खाये जा रहा था उसने टेबल पर रखा चाकू उठाया और अपने हाथ की कलाई पर चला दिया ! !

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