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कितनी मोहब्बत है – 24

Kitni mohabbat hai – 24

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

Kitni mohabbat hai – 24

मीरा ने जैसे ही बक्सा खोला उसमे उसे कुछ पेपर्स मिले जो की उसके नाम से बने थे ! उन्हें देखते ही मीरा का दिल धक् से रह गया ! मीरा ने जब पेपर अक्षत की और बढा दिए अक्षत ने जैसे ही पेपर्स देखे हैरान रह गया ! मीरा के नाम करोडो की जायदाद थी , जिसकी वो इकलौती वारिस थी ! जो मीरा अब तक अक्षत के घरवालो पर निर्भर थी आज वह पुरे 200 करोड़ की मालकिन थी !! अक्षत ने मीरा से कहा,”तुम तो बहुत अमीर निकली यार !”
मीरा ने अक्षत की और देखा और कहा,”हम इस बारे में कुछ नहीं जानते !”
अक्षत घुटनो के बल उसके सामने बैठ गया और प्यार से कहा,”पर सच्चाई यही है मीरा , इस बॉक्स में और क्या क्या है देखो ? शायद तुम्हे तुम्हारे सवालों का जवाब मिल जाये !”
“हम्म्म !”,मीरा ने कहा और बक्से में देखने लगी ! एक एक करके वह सामान बाहर निकालने लगी ! सबसे ऊपर एक बड़ा सा डिब्बा था मीरा ने उसे निकाला और उसे खोला तो ऊपर एक कागज रखा हुआ था जिसपर लिखा था – ये शादी का जोड़ा है जो मैंने तुम्हारे लिए बनवाया है मीरा , इसमें रखी पोषक और गहने सब राजपूती वंश के है ,, मैं चाहती हु जब भी तुम्हारी शादी हो तो इसी पोशाक में हो !
ये पोशाक और गहने मुझे मेरे ससुराल से मिले है !!”
मीरा ने कागज साइड में रखा और डिब्बे में रखी पोषक को निकालकर देखने लगी , सुर्ख लाल रंग की पोशाक पर हरे और पिले रंग की कसीदाकारी के साथ महंगे हिरे और मोती जड़े थे ! उनकी चमक से मीरा की आँखे चुंधियाने लगी थी !! उसने उसे साइड में रखा और डिब्बे में पड़ा रत्नजड़ित छोटा डिब्बा उठाया जिसमे सोने के भारी और कीमती गहने रखे हुए थे ! मीरा ने देखे अक्षत भी चुपचाप सब देखे जा रहा था ! ! मीरा ने उन्हें वापस डिब्बे में रख दिया ! बक्से में एक छोटी कटार रखी थी ! कुछ कीमती चीजे थी और उसके बाद एक बड़ी सी किताब थी मीरा ने उसे बाहर निकाला उसके बाहरी कवर पर बहुत ही सुंदर डिजाइन बनाया हुआ था ! मीरा ने कांपते हाथो से उस किताब को खोला पहले पन्ने पर एक आदमी की तस्वीर थी ! तेज तर्रार आँखे , रोबीली मूंछे , मोहक मुस्कान और चेहरे से एक तेज झलक रहा था ! तस्वीर के बिल्कुल निचे उनका नाम लिखा था – श्री वीर प्रताप सिंह !
मीरा ने जैसे ही पन्ना पलटा उसके पीछे कुछ लाइन देखकर रुक गयी और उन्हें पढ़ने लगी – ये तुम्हारे दादाजी है मीरा ! राजस्थान के अजमेर जिले में इनका बहुत बड़ा वर्चस्व रहा है ! जब तुम इस किताब को देख रही होगी तब तक ये इस दुनिया से जा चुके होंगे ! जब तुम्हारा जन्म हुआ उसके कुछ महीने बाद ही इनका देहांत हो गया !! “
ये पढ़कर मीरा की आँखे छलक आयी अक्षत को कुछ समझ नहीं आया बस उसने मीरा के गाल पर आये आंसुओ को अपनी उंगलियों से पोछ दिया ! मीरा ने आगे पन्ना पलटा तो एक आदमी जो की उसकी पिता की उम्र का था और साथ में राजपूती पोशाक में गहनों से लदी एक औरत की तस्वीर थी ! मीरा का दिल अभी भी धड़क था उस तस्वीर के निचे लिखा था – श्री सूरज प्रताप सिंह , श्रीमती लाड कँवर !
मीरा के मन में बस एक ही बात चल रही थी की कही ये उसके पिता न हो ! उसने पन्ना पलटा पीछे फिर कुछ लाईने लिखी हुई थी – ये तुम्हारे बड़े ताऊजी और ताईजी है ! अपने परिवार के साथ ये भारत के बाहर चले गए और कभी लौटकर नहीं आये , कभी कभी 6-4 महीनो में एक बार इनकी चिट्ठी आ जाया करती थी !”
मीरा को थोड़ी शांति मिले वो उसके पिता की तस्वीर नहीं थी ! उसने आगे पन्ना पलटा तो एक नवविवाहित जोड़े की तस्वीर थी जिसके निचे लिखा था – विवान सिंह राजपूत , रतन कँवर
मीरा ने पन्ना पलटा तो उनके बारे में बस इतना ही लिखा था – ये दोनों तुम्हारे चाचा और चाची है !! मीरा मुस्कुरा दी उसने पन्ना पलटा तो एक बहुत ही रूपवान औरत की तस्वीर दिखाई दी जिसके निचे लिखा था – सौंदर्या सिंह राजपूत ! मीरा एक टक उस तस्वीर को देखती रही उसमे एक खिंचाव था , आकर्षण था जिसकी और मीरा खींचती चली गयी उसने पन्ना पलटा – ये तुम्हारी भुआ है , मेरे अच्छे बुरे वक्त में इन्होने हमेशा मेरा साथ दिया ! तुम्हारा नाम इन्होने ही रखा था बड़े प्यार से जानती हो क्यों क्योकि इनकी आँखे और तुम्हारी आँखे बिल्कुल एक जैसी है !
मीरा की आँखों में आंसू और होंठो पर मुस्कान तैर गयी ! उसने पन्ना आगे पलटा तो कुछ बच्चो की तस्वीरें थी जिनमे दो 2 बड़े बड़े लड़के , एक छोटी लड़की , एक छोटा लड़का , दो बड़ी लड़किया , और सबसे छोटी एक बच्ची पालने में थी और बाकि सब बच्चे उसके इर्द गिर्द थे ! मीरा ने सबको देखा पर वह किसी को नहीं जानती थी ! उसने उम्मीद से पन्ना पलटा तो पीछे फिर लिखा पाया – ये सब तुम्हारे बहन है जो दो बड़े लड़के है वो तुम्हारे बड़े ताऊजी के बच्चे है ! और जो एक छोटी बच्ची है वो उनकी बहन है !! जो दो बड़ी लड़किया है वो तुम्हारी भुआ के बच्चे है , एक छोटा लड़का तुम्हारे चाचा चाची का है और जो सबसे छोटी गुड़िया पालने में है वो तुम हो !! तुम इन सब बच्चो का खिलौना थी जिस से ये सब बहुत प्यार करते थे ! मीरा ने पन्ना वापस पलटा और अपनी तस्वीर पर ऊँगली रखकर कहा,”अक्षत जी ये हम है ! हमारे बचपन की फोटो , और ये सब हमारे भाई बहन है !”
कहते कहते मीरा की आँखे भर आयी !! अक्षत उसकी आँखों में उभरे दर्द को साफ साफ देख पा रहा था ! उसने धीरे से कहा,”सब बहुत क्यूट है !”
“हम्म्म !”,कहते हुए मीरा ने आँखों के किनारो को साफ किया और आगे देखने लगी बहुत सारी तस्वीरें थी , अजमेर में स्तिथ उनके बड़े से आलिशान घर की , राजसी ठाठ बाट और राजपूती वंश के रीती रिवाजो की , मीरा सब बड़े ध्यान से देखते जा रही थी पर उन तस्वीरों में कही भी उसे अपने पिता की तस्वीर नहीं मिली ! मीरा हैरान थी की आखिर ऐसा क्यों ? उसने किताब वापस बंद कर दी
उसने किताब साइड में रखी और बक्से में देखने लगी !! एक कोने में उसे रखी एक पुरानी छोटी डायरी मिली उसे लेकर मीरा ने खोलकर देखा ! मीरा का दिल एक बार फिर धड़कने लगा वो सच के बहुत करीब थी ! अक्षत ने उस से डायरी ली और देखने लगा कुछ देर बाद मीरा को देकर कहा तुम्हे इसे पढ़ना चाहिए लेकिन यहाँ नहीं बाहर आँगन में चलकर ! यहाँ बहुत कम रौशनी है और मच्छर भी !”
मीरा को याद आया की अक्षत तबसे उसके साथ ही बैठा है ! वह उठी और कहा,”माफ़ करना वो हमे याद नहीं रहा , इस कमरे की दिवार से लगाकर नाली है ना तो अक्सर यहाँ मच्छर आ जाते है ! आप आंगन में चलिए !”
दोनों उठकर उस कमरे से बाहर आ गए ! अक्षत आँगन में पड़ी कुर्सी पर आ बैठा ! मीरा भी कुछ दूर बैठ गयी और डायरी को खोलकर पढ़ने लगी !

“प्रिय मीरा ! जानती थी कभी न कभी ये सच तुम्हारे सामने आएगा ही ! ये डायरी मैंने इसलिए लिखी क्योकि मैं चाहती थी मेरे मरने के बाद तुम्हे तुम्हारे हर सवाल का जवाब मिले ! मैं ब्राह्मण परिवार से थी माँ पापा , भाई भाभी , उनके बच्चे और मैं भोपाल के एक बड़े से घर में बहुत खुश थे !! मेरे पिता यानि तुम्हारे नानाजी एक कृष्ण मंदिर के पुजारी थे ! भाई सरकारी टीचर थे और इनकी आमदनी से घर चलता था ! मैंने 12वी की परीक्षा पास की और फिर आगे पढ़ने के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया ! एक औरत होने के नाते मेरे सीने में भी एक दिल था और वो कब तुम्हारे पिता “अमर” के लिए धड़कने लगा मुझे कुछ पता नहीं चला ! वो राजपूत थे उनका नाम “अमर सिंह” था और मैं ब्राह्मण घरवाले हमारे प्यार को कभी मंजूरी नहीं देते इसलिए हम छुप छुप कर मिलने लगे और वो रिश्ता गहरा होता गया !! मेरी एक सहेली थी उसे अमर बिल्कुल पसंद नहीं था वो मुझसे हमेशा कहती थी की वो मेरे लायक नहीं है पर मैं प्यार में अंधी थी सच नहीं देख पाई !
कुछ वक्त बाद घर वालो को पता चला और उन्होंने मेरा घर से निकलना बंद कर दिया ! मेरे लिए रिश्ता देखा जाना लगा और शादी तय कर दी ! शादी वाले दिन मुझे अमर का खत मिला और मैं अपनी शादी छोड़कर उसके साथ भाग गयी !! पिताजी इस सदमे को बर्दास्त नहीं कर सके और उन्होंने हमेशा हमेशा के लिए मुझसे रिश्ता तोड़ दिया ! वो अपने पुरे परिवार के साथ भोपाल छोड़कर चले गए ! मैंने और अमर ने मंदिर में शादी कर ली ! कुछ दिन हम लोग यहाँ वहां भटकते रहे और फिर मेरे कहने पर वो मुझे अपने घर लेकर गए ! अजमेर में उनके घरवालों ने मुझे अपनाने से साफ इंकार कर दिया ! ! हम लोग वही पास में ही रहने लगे मुश्किल से गुजर बसर होती थी !! फिर एक दिन तुम्हारे दादाजी का मन पिघल गया जब उन्होंने सूना की मैं पेट से हु ! उन्होंने हमे अपना लिया !! धीरे धीरे सबका प्यार मुझे मिलने लगा ! पर ज्यादा खुशियों को हमेशा नजर लग जाती है ! मेरे पेट में जो बच्चा था वो इस दुनिया में आने से पहले ही मर गया !! मैं टूट गयी लेकिन घरवालों ने सम्हाल लिया !! उसके बाद से तुम्हारे पिता का व्यवहार मेरे प्रति बदलने लगा वो अक्सर बाहर ही रहते थे ! हर साल मैं पेट से होती और मेरा गर्भ गिर जाता , जिसकी वजह मैं नहीं जानती थी !! 5 साल बीत गए लेकिन मैं माँ नहीं बन पाई और इस बिच तुम्हारे चाचा की शादी हो गयी , सौंदर्या शादी करके अपने घर चली गयी और अमर ने शराब पीना शुरू कर दिया ,, एक बार फिर मैं पेट से हुई एक रात जब मैं आँखे बंद किये लेटी थी तब मैंने तुम्हारे पिता को अपने दूध में कोई दवा मिलाते देखा ! उन्होंने वो मुझे पिने को कहा और कहा की ताकत के लिए है पर अगले ही दिन मेरा फिर गर्भपात हो गया और तब समझ आया की वो दवा ताकत के लिए नहीं थी !! हर बार मेरा गर्भपात करवाने वाला कोई और नहीं खुद तुम्हारे पिता थे लेकिन मेरी बात का कोई विश्वास नहीं करता ! उन्होंने ऐसा क्यों किया जब मैंने पता लगवाया तो एक घिनोना सच मेरे सामने आया !! तुम्हारे पिता किसी और से प्यार करते थे और उस से शादी करना चाहते थे ! वो जानते थे अगर मैं माँ बनी तो इस घर में वारिस आ जाएगा और वो ऐसा नहीं चाहते थे !! जब मैंने ये सूना तो मेरा दिल टूट गया धीरे धीरे उनके नाजायज रिश्तो के बारे में सबको भनक लग गयी ! हर तरफ बदनामी होने लगी हमारे लोग घर आने से कतराने लगे !! तुम्हारे ताऊजी ताईजी हमेशा हमेशा के लिए वो घर छोड़कर चले गए ! मैंने अमर को बहुत समझाया और कुछ दिन वो हसी ख़ुशी रहे और मैं फिर से गर्भवती थी ! तुम्हारे दादाजी सच जानते थे शायद और इसलिए तुम्हारे जन्म के बाद उन्होंने अपनी जायदाद में से तुम्हारे पिता का हिस्सा तुम्हारे नाम कर दिया !! उन्होंने मुझे तुम्हे लेकर वहा से चले जाने को कहा ताकि मैं तुम्हे तुम्हारी पिता की नजरो से बचा सकू ! जब तुम पैदा हुयी तब तुम्हारे पिता शहर में नहीं थे और तुम्हरे दादाजी ने झूठ कहा की मेरा बच्चा मर चुका है !! मैं तुम्हे लेकर चली गयी ! कुछ महीनो बाद खबर मिली के तुम्हारे दादाजी नहीं रहे ! जब तुम्हारे पिता को पता चला की सब तुम्हारे नाम है तो तुम्हे ख़त्म करने के लिए वो हमे ढूंढने लगे ! उन हालातो में सौंदर्या ने ही मेरी मदद की , दो साल मैं उसके घर में छुपी रही और फिर पता चला की तुम्हारे पिता ने दूसरी शादी कर ली है !! मैं तुम्हे लेकर भोपाल चली आयी ! यहाँ मैंने हमेशा अपना सच सबसे छुपाकर रखा ! तुम्हे तुम्हारे पिता से बचाने का मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था मीरा !! जीते जी ये सच मैं तुम्हे कभी नहीं बता पाई क्योकि मैं नहीं चाहती थी मेरी नजरो के सामने तुम अपने पिता से नफरत करो वो पिता जो तुम्हारे पैदा होने से पहले ही तुम्हे मार देना चाहते थे !!
मैंने हमेशा तुम्हे खुद से दूर रखा ताकि मेरे अतीत की परछाई भी तुम पर ना पड़े ! मुझे माफ कर देना मीरा माफ़ कर देना ! तुम मेरी और अमर की संतान हो और इसलिए मैंने तुम्हे तुम्हारे पिता का उपनाम दिया है ! उस नाम की हमेशा लाज रखना , तुम्हारी परवरिश भले ही एक ब्राह्मण परिवार में हुई हो लेकिन तुम्हारी रगो में खून राजपूतो वाला ही है ! मैं नहीं चाहती मीरा की तुम कभी अपने पिता से नफरत करो हो सके तो उन्हें माफ़ कर देना !! तुम्हारी माँ सावित्री शर्मा !!

मीरा की आँखों से आंसू झर झर बहने लगे ! उसने डायरी को फाड़कर फेंक दिया और दौड़कर अंदर चली गयी ! उसी छोटे कमरे में आकर वह बक्से में कुछ ढूंढने लगी ! एक कोने में रखी एक तस्वीर उसने उठायी और उस पर जमी धूल को साफ करके देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ! तस्वीर वाला आदमी कोई और नहीं बल्कि वही आदमी था जिसका पासपोर्ट मीरा को सड़क पर गिरा मिला था ! तस्वीर के निचे लिखा नाम “अमर सिंह” देखकर उसका दिल धक् से रह गया ! आँखों से आंसू बहते रहे अक्षत भी उसके पीछे पीछे चला आया और कहा,”मीरा क्या हुआ ? तुम ठीक तो हो ना !
मीरा ने तस्वीर अक्षत की और बढ़ाकर रोते हुए कहा,”ये हमारे पापा है !”
“ये तो ख़ुशी की बात है ना मीरा , फिर तुम रो क्यों रही हो ?”,अक्षत ने प्यार से कहा
मीरा ने उस तस्वीर को फेंका और वहा से बाहर निकल गयी ! तस्वीर के शीशे कमरे में चारो और बिखर गए अक्षत कुछ समझ नहीं पाया और मीरा के पीछे चल पड़ा ! पीछे गलियारे में खड़ी मीरा अक्षत की और पीठ किये सिसकने लगी !! अक्षत ने धीरे से कहा,”मीरा !!
मीरा रोते हुए कहने लगी,”सबने हमसे झूठ कहा की हमारे पापा इस दुनिया में नहीं है ! जब भी हम अपने दोस्तों के पापा देखते थे तो हमे लगता था सिर्फ हमारे पास पापा नहीं है जबकि वो थे और ये सच हमसे छुपाये रखा !! दादा दादी , माँ पापा , चाचा चाची भाई बहन सब थे हमारे पास फिर भी हम अकेले थे ! बचपन में हमारे साथ खेलने के लिए कोई भी नहीं होता था ! हमेशा अकेले रहे हम ! और सबसे ज्यादा अपने पापा को मिस किया लेकिन आज जब ये जाना की वो हमसे नफरत करते है तो हमारा दिल सच में टूट गया ! हां नफरत , बहुत नफरत करते है वो हमसे ,इतनी की वो नहीं चाहते थे हम इस दुनिया में आये !
मीरा की बात सुनकर अक्षत अवाक् रह गया ! ये था मीरा का अतीत इतना काला जो लड़की सबको खुश रखना जानती है , सबकी परवाह करती है , सबका दर्द समझती है उस से भला कोई कैसे नफरत कर सकता है ? मीरा की आवाज में जो दर्द था अक्षत उसे महसूस कर रहा था ! वह थोड़ा आगे आया और कहा,”मीरा !
मीरा पलटी और उसके सीने से लगते हुए कहा,”हमे यहां से ले जाईये अक्षत जी , हम और सच नहीं सुन सकते ,, हम नहीं सुन सकते की जिस इंसान को हमने हमेशा अपने मन में रखा वो हमसे इतनी नफरत करते है !! हमे हमेशा लगता था की हमारा कोई नहीं है सिर्फ माँ है लेकिन इतने लोगो के होते हुए भी हम अनाथ थे !! हमे ले जाईये यहाँ से हमे कुछ नहीं चाहिए ये पैसा ये दौलत ये घर कुछ भी नहीं चाहिए !!”
वो रो पड़ी इस से आगे वो कुछ बोल नहीं पाई बस अक्षत के गले लगकर सिसकती रही ! जब अक्षत ने ये सब सूना तो उसकी आँखों में भी नमी उतर आयी उसने मीरा को सीने से लगाए रखा और कहा,”तुम अनाथ नहीं हो मीरा ! तुम्हारे पास अब भी एक परिवार है और तुम जब चाहो तब वहा जा सकती हो ! और वो मेरा घर !”
मीरा ने कुछ नहीं कहा बस वो सब भूलना चाहती थी जो कुछ देर पहले उसने पढ़ा था , महसूस किया था !! अक्षत वही खड़ा रहा अपनी मर्यादाये समझता था इसलिए उसने धीरे से मीरा को खुद से थोड़ा दूर किया और उसके आँसू पोछकर कहा,”हम लोग अभी यहाँ से चले जायेगे ! तुम इस तरह मत रोओ मैं देख नहीं पाऊंगा !! तुमसे नफरत करने वाले सिर्फ तुम्हारे पापा है पर तुमसे प्यार करने वाले बहुत से लोग तुम्हारे साथ है मीरा !!”
मीरा बस नम आँखों से अक्षत को देखती रही तो अक्षत ने कहा,”तुम यही रुको मैं अभी आता हु !”
मीरा वही रुक गयी उसका मन बहुत बैचैन था अक्षत उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और उसकी और बढ़ाकर कहा,”पि लो !
मीरा ने पानी पीया तो अक्षत ने ग्लास वापस लेते हुए कहा,”कुछ लेना चाहती हो अपने साथ तो ले लो , फिर चलते है !!”
“हमे कुछ नहीं चाहिए , बस दूर चलिए यहाँ से , इस अतीत से इस सच से !”,कहते कहते मीरा की आँखे फिर आंसुओ से भर गयी !!
अक्षत उसे लेकर घर से बाहर आ गया ! उसने बक्शे के बाहर पड़ा सामान अंदर रखा ! मीरा की वसीयत के कागज लिए और अपने जैकेट के अंदर वाली जेब में रख लिए ! घर को ताला लगाकर अक्षत ने चाबी मीरा को थमा दी ! दोपहर हो चुकी थी अक्षत ने गाड़ी निकाली और मीरा को लेकर वहा से रवाना हो गया ! रास्तेभर मीरा खामोश रही और खिड़की के बाहर देखती रही ! उसके चेहरे पर उभरे हुए दर्द को अक्षत देख पा रहा था ! वो जानता था मीरा को सच जानकर एक गहरा सदमा लगा है और इस वक्त उसे किसी के साथ की जरूरत है !
गाड़ी सड़क पर दौड़ती जा रही थी ! दिन ढलने लगा था ! गाड़ी सीहोर पहुंची जब गाड़ी झील किनारे पूल पर पहुंची तो मीरा ने अक्षत से गाड़ी रोकने को कहा ! अक्षत ने गाड़ी साइड में लगा दी ! मीरा गाड़ी से निचे उतरकर पुल किनारे आकर खड़ी हो गयी और उदास आँखों से पानी को देखते हुए कहां,”क्या कुछ देर के लिए हम यहाँ रुक सकते है ?”
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने कहा !
अक्षत भी कुछ दूर खड़ा होकर मीरा को देखने लगा ! मीरा का उदास चेहरा उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था ! ठण्ड थी ये देखकर अक्षत ने अपना जैकेट निकाला और आकर पीछे से मीरा को ओढ़ा दिया ! मीरा ने कोई प्रतिक्रया नहीं दी बस एक टक झील के शांत पानी को देखती रही !

अक्षत मीरा के पास ही खड़ा हो गया और कहा,”मीरा जिंदगी में कुछ चीजे हमे मजबूत बनाने के लिए आती है , ताकि हम सिचुएशन का सामना करना सीखे ! ये वक्त ऐसा ही है मीरा तुम्हे हिम्मत से काम लेना होगा ! वो सब पास्ट था और तुम अपने आज में खड़ी हो !”
“हम ये कभी नहीं भूल पाएंगे की हमारे पापा हमसे इतनी नफरत करते है !”,मीरा ने उदास होकर कहा
“पर तुम तो उनसे प्यार करती हो ना , फिर अपने प्यार को नफरत में क्यों बदल रही हो मीरा ?”,अक्षत ने कहा
” हमे कुछ समझ नहीं आ रहा ! काश ये सच हमे पता ही ना चलता तो हम जी लेते इस भरम में की हम अनाथ।।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा
मीरा आगे कुछ कह पाती इस से पहले ही अक्षत ने उसके होंठो पर अपना हाथ रखा और कहा,”तुम अनाथ नहीं हो मीरा !”
दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते रहे ! मीरा ने महसूस किया की अक्षत का हाथ ठण्ड की वजह से बर्फ जैसा हो गया है उसने अक्षत का हाथ अपने हाथ से हटाया और कहा,”आपके हाथ तो बहुत ठन्डे है !!”
“हम्म्म्म यहाँ ठण्ड है ना इसलिए ! “,अक्षत ने कहा उसके होंठ भी अब कांप रहे थे !
मीरा ने जैकेट उतारकर उसे देना चाहा तो अक्षत ने रोकते हुए कहा,”तुम रखो ! मैं ठीक हु !”
“चलिए चलते है !”,मीरा ने कहा तो दोनों आकर वापस गाड़ी में बैठ गए अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट की उसने घडी में देखा रात के 9 बज रहे थे ! भूख भी लगने लगी थी ! आगे चलकर उसने गाड़ी एक ढाबे पर रोक दी ! दोनों निचे उतरे और आकर बैठ गए पास ही आग जल रही थी जिसके पास बैठकर अक्षत और मीरा दोनों को ही अच्छा लग रहा था ! अक्षत ने खाना आर्डर किया मीरा खामोश बैठी रही उसके दिमाग में अभी भी वही सब बाते चल रही थी ! अक्षत ने मीरा को खोये हुए देखा तो कहा,”तुम्हारी एग्जाम्स कबसे है ?
“एक हफ्ते बाद !”,मीरा ने कहा
“पढाई की !”,अक्षत ने पूछा
“नहीं , अर्जुन भैया की सगाई और इन सब में इतना वक्त ही नहीं मिला की पढ़ पाते , और हिस्ट्री के नोटस समझ भी नहीं आते है !”, मीरा ने कहा
“ह्म्म्मम्म , एक हफ्ते बाद मुझे भी दिल्ली के लिए निकलना है मेरे इंटरस है !”,अक्षत ने कहा
अक्षत के जाने की बात सुनकर मीरा को कुछ अच्छा नहीं लगा उसने कहा,”क्या आपका जाना जरुरी है ? मतलब इंदौर रहकर भी तो कर सकते है इंटेरस”
“तुम कहो तो ना जाऊ !”,अक्षत ने मीरा की आँखों में देखते हुए कहा जो की उसका दिल धड़काने के लिए काफी था ! मीरा खामोश हो गयी तो अक्षत ने मुस्कुराते हुए कहा,”दिल्ली में सोमित जीजू है ना उनके पापा एडवोकेट है सो कुछ टिप्स मिल जायेगे , बाकि इंदौर में वकीलों के भाव आसमान पर है उनसे मिलने के लिए भी अपॉइंटमेंट लेनी पड़ती है ,, आज ही एक अपॉइंटमेंट थी और !!”
“और आप नहीं गए , मेरे साथ चले आये”,मीरा ने हैरानी से कहा
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने कहा
“क्यों ? !”,मीरा ने बेचैनी से कहा
“अपॉइंटमेंट तुमसे ज्यादा जरुरी नहीं थी !”,अक्षत ने एक बार फिर मीरा की आँखों में देखते हुए कहा बाते आगे चल पाती इस से पहले ही लड़का खाना ले आया ! दोनों ने खाया और कुछ देर वही बैठे रहे ! राधा का कॉल आया तो अक्षत उठकर वहा से साइड में चला गया ! मीरा वही बैठी थी तभी एक आदमी उसकी बगल में आकर बैठा और वेटर को आर्डर दिया ! मीरा ने जैसे ही उसे देखा उसका दिल धक् से रह गया वो आदमी कोई और नहीं उसके ही पिता अमर सिंह थे ! मीरा के मुंह से कोई बोल नहीं फूटे उसके होंठ काँपने लगे उसे लगा की वो उसे भी मार देंगे ! घबराकर जैसे ही वह उठी अमर ने उसे देखा और कहा,”अरे बेटा तुम वही हो ना !
डर और घबराहट के भाव मीरा के चेहरे से साफ झलक रहे थे , वही तेजी से अक्षत के पास आयी और कहा,”अक्षत जी प्लीज चलिए यहाँ से , प्लीज प्लीज प्लीज चलिए !”
“माँ मैं बाद में करता हु !”,कहकर अक्षत ने फोन काट दिया और मीरा से कहा,”क्या हुआ ? मीरा हुआ क्या ?”
“आप प्लीज चलिए यहाँ से”,मीरा ने पलटकर देखते हुए कहा अमर उसकी और ही आ रहा था !
अक्षत मीरा को लेकर गाड़ी में आ बैठा मीरा बार बार खिड़की से बाहर देख रही थी ! उसे इतना डरा हुआ देखकर अक्षत ने कहा,”तुम ठीक हो न मीरा ?”
“आप प्लीज चलिए !”,मीरा ने कहा तो अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी ! मीरा ने देखा अमर दूर खड़ा उसे ही देख रहा है ! उसकी नजरो ने मीरा को इतना डरा दिया की उसने अक्षत की बांह पकड़ ली और सर उसके कंधे से लगाकर आँखे मुंद ली ! अक्षत कुछ नहीं समझ पा रहा था लेकिन खुश था की मीरा उस पर भरोसा करने लगी है ! ! उसने एक नजर मीरा को देखा उसने अपनी आँखे बंद कर के सर अक्षत के कंधे से लगाया हुआ था ! अक्षत मुस्कुराया और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी !! सफर में बस वह अकेले जाग रहा था मीरा सो चुकी थी ! लेकिन अभी भी उसने अक्षत की बांह को मजबूती से पकडे हुए था ! अक्षत को बोरियत महसूस होने लगी तो उसने म्यूजिक ऑन कर दिया गाना बजने लगा !

तेरे हाथो की तरफ मेरे हाथो का सफर – रोजाना रोजाना
तेरी आँखों से कहे , कुछ तो मेरी नजर – रोजाना रोजाना
रोजाना मैं सोचु यही , कहा आजकल मैं हु लापता ?
तुझे देख लू तो हसने लगे , मेरे दर्द भी क्यों खामखा ?
हवाओ की तरह मुझे छूके तू गुजर – रोजाना रोजाना
तेरे हाथो की तरफ मेरे हाथो का सफर – रोजाना रोजाना
अक्षत के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी और आँखों के सामने मीरा के साथ बिताया वक्त याद आने लगा ! मुस्कुराते हुए वह गाड़ी चलाता रहा ! वो सफर बहुत खूबसूरत था !! अक्षत रिपीट कर कर के उसी गाने को सुनता रहा ! वो उस गाने में इतना डूब चुका था की उसे कुछ याद नहीं था बस याद थी तो रात , मीरा और उसके दिल में उठने वाले वो अनगिनत अनछुए अहसास ! देर रात अक्षत घर पहुंचा उसने गाड़ी पार्किंग में लगाई मीरा सो रही थी उसने मीरा को धीरे से उठाया मीरा जैसे ही उठी उसके कान में पहना झुमका अक्षत के जैकेट में उलझ गया जो मीरा ने पहना हुआ था ! मीरा ने निकालने की कोशिश की तो अक्षत ने कहा,”मैं निकाल देता हु !” कहते हुए वह मीरा के थोड़ा करीब आया और उसका झुमका निकालने लगा गाड़ी के म्यूजिक सिस्टम पर अभी भी गाना बज रहा था ! और गाने की लाइन उन दोनों के लिए परफेक्ट थी जैसे ही बजी दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे इन आँखों से ये बता , कितना मैं देखु तुझे
रह जाती है कुछ कमी , जितना मैं देखु तुझे
रोजाना मैं सोचु यही की जी लुंगी मैं बिन साँस के
ऐसे ही तू मुझे मिलता रहे अगर – रोजाना रोजाना
तेरे हाथो की तरफ मेरे हाथो का सफर – रोजाना रोजाना
अक्षत को याद आया तो पीछे हट गया ! दोनों निचे उतरे और अंदर चले आये ! मीरा ऊपर अपने कमरे में चली गयी और अक्षत किचन में आया पानी पीया और ऊपर अपने कमरे में चला आया ! जैसे ही वह अंदर आया शुभ का फोन आ गया शुभ से बात करने के बाद वह अपने कमरे की बालकनी में चला आया ! बार उसकी आँखों के सामने मीरा का गले लगना , बांह पकड़ना , उसका हाथ पकड़कर सांसे लेना , और उसकी आँखों में झांकना याद आ रहा था !! आज अक्षत का गुनगुनाने का मन कर रहा था और जब खुद को नहीं रोक पाया तो बालकनी में खड़ा गुनगुनाने लगा
-तेरी बातो से ऐसे क्यों धड़कता है दिल ,
यादो में तेरी तड़पता है दिल
छू के तुझे गुजरी है जो
सांसे बसी है अब मुझमे वो !
आँखों में है ये कैसी नमी ,
तुझको पाकर हुयी पूरी सारी कमी
कैसे कहे ? हमे कितनी मोहब्बत है , कितनी मोहब्बत है
कैसे कहे ? हमे कितनी मोहब्बत है कितनी मोहब्बत है !!

Kitni Mohabbat Hai - 24
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संजना किरोड़ीवाल

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