Shah Umair Ki Pari – 47
Shah Umair Ki Pari – 47
शहर धनबाद में :-
परी कमरे में जल्दी जल्दी उमैर के कपड़े को तलाश करती है मगर उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा होता है के वो कहा ढूंढे? लकड़ी के अलमारी में आसिफ के अमल के सामान पड़े होते है तभी परी की नज़र एक थैले पर पड़ती है , परी जब उस थैले को खोलती है तो उसे उसमे उमैर के कपड़े बत्ती बनाए हुए मिल जाते है वो खुश होकर जैसे ही कमरे से बाहर निकलने के लिए मुड़ती है उसके सामने आसिफ मुस्कुराता हुआ खड़ा रहता है !
”आ आ…आसिफ तुम ? तुम तो सो गये थे ना ?” परी ने अटकते हुए कहा !
”मैं तो सोने की नाटक कर रहा था ! मुझे तुम पर हमेशा से शक रहा है ! बता क्या करने आयी थी तुम मेरे इस कमरे में ?” आसिफ ने परी के हाथ से थैला छीनते हुए कहा !
”आसिफ छोड़ो इसमें कुछ भी नहीं है !” परी ने थैले को मजबूती के साथ पकड़ते हुए कहा !
”मैं क्या शक्ल से तुम्हे बेवक़ूफ़ लगता हूँ ? चल बता आखिर तू क्या करना चाहती है? बता जल्दी ! वरना अब हाथ नहीं तुझे जलाऊंगा। ” आसिफ ने परी को बालों से पकड़ते हुए कहा !
”आसिफ छोड़ो मेरे बालों को दर्द हो रहा है , तुम्हे क्या लगता है तुम उमैर को जान से मार दोगे उसके जरिये ताक़तवर बन जाओगे और मैं हाथ पर हाथ थामे बस तुम्हारे जुल्म सहूँगी? बिलकुल भी नहीं आसिफ अब तुम्हारा वक़्त खतम हुआ।बहुत जुल्म कर लिया तुमने मुझ पर अब तुम्हारी बारी है !” परी ने कहा !
”क्या कर लेगी तू? शायद तुम भूल रही हो के तुम्हारा वो जिन अभी भी मेरे कब्जे में है। ज्यादा बकवास की ना तो अभी के अभी उसकी लाश तुम्हारे सामने रख दूंगा !” आसिफ ने गुस्से में कहा !
”अच्छा …. तो मेरे उमैर को मारोगे तुम ? जाओ मार दो शौक़ से जरा मैं भी तुम्हारी हिम्मत देखूँ !” परी ने कहा !
आसिफ गुस्से में भौखलाते हुए किचन में जाता है बोतल लेने जहा उसने उमैर को क़ैद रखा था मगर वो बोतल उसे कंही पर भी नहीं मिलती है ! वो गुस्से में परी को मारते हुए चिल्लाते हुए कहता है !
” बता कहा रखी तूने वो बोतल ? बोल कौन सी चाल चला है तूने? बता नहीं तो तुझे जान से मार दुंगा। … बता मुझे !
”मैंने उमैर को उसकी दुनिया में पहुंचा दिया है। अब तुम भी बहुत जल्द अपने असल मुकाम तक पहुँच जाओगे और हाँ दोबारा मुझ पर हाथ उठाने की कोशिश भी मत करना। मैं तब तक ही कमज़ोर थी जब तक मेरा उमैर तुम्हारे कब्ज़े में था मगर अब नहीं !” परी ने कहा !
परी के मुँह से यह बातें सुनते ही आसिफ डर सा जाता है वो जल्दी से अपने गुलाम जिन को हाज़िर होने के वज़ईफ़ पढ़ता है मगर उसका जिन उसके कई बार बुलाने पर भी नहीं आता है ! वो पागलों की तरह घर में इधर उधर चक्कर लगाता फिर स्टोर रूम में जाता है !
”इसी आईने से आएंगे ना वो लोग ? जब यह आईना ही नहीं होगा तो कैसे आयेंगे ?” आसिफ कहता है फिर स्टोर रूम में रखे एक मोटे डंडे से शीशे पर मार कर उसे तोड़ देता है ! पागलों की तरह हँसते हुए अपने कमरे आकर लेट जाता है !
”परी यह कैसा शोर है क्या हो रहा है इस घर में आखिर कोई मुझे बताएगा ?” रफ़ीक साहब ने पूछा !
”अंकल आप के बेटे को जितना बुरा करना था कर लिए उसने। अब उसकी बारी है वो सब लोग आयेंगे और मुझ पर हुए, उमैर पर हुए जुल्म का बदला लेंगे !” परी ने कहा तो रफ़ीक साहब का दिल खौफ से लरज कर रह गया वो दौड़ते हुए आसिफ के पास जाते है और कहते है !
” बेटा अभी भी वक़्त है माफ़ी मांग ले , देख मेरा तेरे एलावा कोई नहीं है , खुदा के वास्ते माफ़ी मांग ले और तौबा कर ले इन सब चीज़ों से !”
”पापा आप भी इस परी की बातों में आ रहे है? कुछ नहीं होगा मुझे।मैं उन सब को खतम कर दूँगा। मैं उनके पुरे क़बीले को खतम कर दूंगा। उससे पहले इस परी को मारूंगा !” आसिफ कहते हुए जैसे ही परी का गला दबाने लगता है अचानक आसमान में तेज़ बिजली चमकती है साथ में हज़ारों बिल्लियों की गुर्राने की आवाज़ माहौल को खौफ्फ़ ज़दा कर देती है। आसिफ डर से परी को छोड़ देता है ! बिजली लगातार कड़कती रहती है साथ साथ तेज़ तूफानी बारिश शुरू हो जाती है आसिफ दौड़ता हुआ छत पर जाता है यह पता करने के अचानक यह सब क्या होरहा ? तो वहां का मंज़र देख कर उसकी जान हलक में अटक जाती है , उसके छत, बागीचे में चारों तरफ बिल्लियाँ भरी होती है जो हज़ारों की तादाद में होती है और गुर्राते हुए आसिफ को घूर रही होती है उनकी आवाज़ सुन कर ऐसा लग रहा हो जैसे यह किसी का मातम मना रही हो आसिफ डर से चींखता हुआ वापस अपने घर के अंदर जाता है और रफ़ीक साहब के पास जाकर उनको कस कर पकड़ते हुए कहता है !
” पापा वो सब आ गये। मार देंगे जान से मुझे। प्लीज बचा लो मुझे मैं मरना नहीं चाहता हूँ !
”अभी भी वक़्त है बेटा तौबा कर ले मैं कब से तुझसे कह रहा हूँ यह सब तेरा ही किया धरा है !” रफ़ीक साहब ने घबराते हुए कहा !
”अब समझ आ रहा तुम्हे के ज़िन्दगी कितनी अनमोल होती है , तुम एक आलिम खानदान से थे तुम चाहते तो अपने अमल से दूसरों को फायदा पहुँचा सकते थे मगर आसिफ तुमने अपनी ताक़तों का इस्तेमाल सिर्फ अपने मतलब के लिए किया । मेरे पापा और उमैर दोनों को जान से मारने की कोशिश की मगर आज वो दोनों अपने जगह सही सलामत है ! बुराई का अंत एक ना दिन होता है आसिफ !” परी ने कहा तभी स्टोर रूम से कुछ आवाज़ें आती है आसिफ परी का हाथ पकड़े उसके साथ स्टोर रूम में आईने के पास भागता हुआ जाता है उसके आँखों के सामने आईने के टूटे हुए शीशे वापस से खुद बा खुद अपनी पहली जगह में वापस से लग जाते है और आइना पहले की तरह हो जाता है !
”देखो परी मैं तुम्हारा शौहर हूँ तुम चाहो तो यह सब रोक सकती हो खुदा के वास्ते तुम उनको कहो के मुझे माफ़ कर दे मैं अब दोबारा यह सब कभी नहीं करूँगा !” आसिफ डर से कांपते हुए कहता है !
”तुम्हे दोबारा मौका मिलेगा तब ना ज़िन्दगी के बदले ज़िन्दगी जिस तरह तुमने मेरे बच्चे की हालत ज़िंदा लाश की तरह कर रखी है उसी तरह हम तुम्हे भी नहीं छोड़ेंगे !” आईने से आते हुए शाह कौनैन ने कहा ! उनके साथ शाह ज़ैद और शहजादे इरफ़ान भी होते है !
”माफ़ कर दिजीए मेरे बेटे को मैं वादा करता हूँ अब से यह ऐसा कुछ भी नहीं करेगा !” रफ़ीक साहब हाथ जोड़ कर रोते हुए माफ़ी मांगते हुए कहते है !
”तुम्हारे खानदान ने हमेशा से हमे तंग किया है अब इसे छोड़ कर हम दोबारा गलती नहीं करेंगे ! परी तुम इसके वालिद को अपने अम्मी पापा के पास लेकर जाओ !
” मगर दादा हुज़ूर आप इसे जान से ना मारे बल्के इसे कोई और सजा दे दे मैं नहीं चाहती के मेरे या उमैर की वजह से किसी की जान जाये !” परी ने गुज़ारिश करते हुए कहा !
‘’अगर यह ज़िन्दा रहा तो अब उमैर नहीं बच पायेगा इसलिए अपने बच्चे उमैर के लिए मुझे इसे मारना होगा ! कोई भी बकवास नहीं करेगा यहाँ पर परी तुम भी नहीं चुप चाप यहा से जाओ इसकी जो हालत होने वाली है वो तुम देख नहीं पाओगी ! इस आलिम से हिसाब किताब निपटाना है हमे !” शाह कौनैन ने गुस्से में कहा तो परी डर कर सहम जाती है !
”परी मुझे छोड़ कर मत जाओ वरना यह लोग मुझे मार देंगे, पापा मुझे बचा लो !” आसिफ रोता चिल्लाता रहता है !
”रफ़ीक साहब का कलेजा मुँह को आ रहा होता है उन्हें समझ में नहीं आता वो क्या करे ? वो बार बार उन सभी जिनो के सामने हाथ जोड़ कर अपने बेटे की माफ़ी मांगते है मगर कोई फायदा नहीं होता है ! बाहर बिजली की कड़क के साथ तेज़ तूफानी बारिश लगातार हो रही होती साथ में हज़ारों बिल्लियों की आवाज़ माहौल को खौफ्फ़ जदा बना रही होती है तेज़ बारिश में परी रफ़ीक साहब को अपने साथ लिए अपने घर की तरफ जाती है मगर बारिश में वो जरा सा भी नहीं भीगति है यह देख कर परी को काफी हैरत होती है दरवाज़े पर ही उसे उसके मम्मी पापा खड़े परेशान से मिल जाते है !
”परी बेटा यह सब क्या है ?अचानक ऐसी बारिश और यह इतनी बिल्लियों का शोर ऊपर से आसिफ के रोने की आवाज़ क्या होरहा यह सब और रफ़ीक साहब इतना रो क्यों रहे है ?” हसन जी ने हैरान व परेशान होते हुए कहा !
”पापा आप लोग जल्दी से अंदर चले सब बताती हूँ !” परी ने अंदर चलने का इशारा करते हुए कहा ! उन सब के चेहरे पर एक अजीब सा खौफ्फ़ रहता है !
”हसन भाई जिस बात का डर था वही हुआ वो सब मेरे बेटे को मार देंगे ! मुझे माफ करदे इनसब का जिम्मेदार मैं ही हूँ मैंने ही अपने बेटे को सर पर चढ़ा रखा था नाजाने किया होगा अब ? मेरा सब कुछ खतम होगया !” रफ़ीक साहब ने रोते हुए सारी बात हसन जी को बता दी !
‘’रफ़ीक साहब खुद को संभालिये उनलोगों के सामने हम कुछ कह भी नहीं सकते ! अल्लाह आप को सब्र दे ! ”हसन जी ने कहा !
”तुम एक खब्बीस जिन को काबू में कर के खुद को बहुत बड़ा अलीम समझने लगे थे , तुम्हारे लिए तो उमैर काफी था मगर तुमने उससे दोस्ती करके उसे धोखा दिया अब तुम्हे तुम्हारी आखरी मंज़िल तक तुम्हारा गुलाम जिन ही पहुँचायेगा इसके जिन को हाज़िर करो !” शाह कौनैन ने कहा ! तो कुछ गुलाम जिन जंजीरों में जकड़े आसिफ के जिन को लेकर हाज़िर होते है !
”अगर तुझे आज़ादी चाहिए तो क़त्ल कर इसे और आज़ाद हो जा ऐसी मौत दे इसे के इसकी रूह तक काँप जाये !” शाह कौनैन ने कहा !
”सारी रात आसिफ की करब भरी आवाज़ें सब की कानों को चीरती रही रात का वो मंज़र उनसब के लिए किसी क़यामत से कम नहीं होता है कोई नहीं जानता है के आसिफ के साथ क्या हो रहा होता है !
सुबह फज़िर की अज़ान के वक़्त आसिफ दर्द भरी आवाज़ें आना बंद हो जाती है साथ में वो सारी बिल्लियाँ भी गायब हो जाती हैं ! परी सहमी हुई नदिया जी की गोद में सर रख कर रो रही होती है जब उसकी नज़र अपने हाथ पर पड़ती है तो हैरान रहती है के उसके हाथ बिलकुल पहले की तरह होते है कंही पर भी जले हुए नहीं रहते है !
रफ़ीक साहब अपने घर के तरफ पागलों की तरह दौड़ लगा देते है उनके साथ हसन जी भी धीरे धीरे लोगों का हुजूम उनके घर के पास जमा हो जाता है यह जानने के लिए के आखिर रात में जो उन सब ने देखा सुना वो क्या था ? जब सब मिल के अंदर जाते है तो उन्हें पुरे घर में चारो तरफ खून ही खून दिखता है ! रफ़ीक साहब जब स्टोर रूम में जाते है तो वहां वो आईना मौजूद नहीं होता है फर्स पर बस चारो तरफ खून पसरा होता है ! वो लोग जैसे जैसे घर के अंदर आते है उन्हें आसिफ के जिस्म के हिस्से इधर उधर फेंके हुए मिलते है उसका सर दिवार से टंगा हुआ मिलता है जिसमे उसकी आँखे बाहर की तरफ निकली हुई होती है ! उसके मुर्दा पड़े सर से वहसत अभी तक टपक रही होती है !
आसिफ की ऐसी हालत देख कर रफ़ीक साहब अपना दिमागी तवाज़न खो बैठते है और बार बार कहते है ! ‘’जिन्नातों ने मार दिया मेरे बेटे को कहा था मैंने उसे अलीम मत बन उनसे दुश्मनी ना ले मगर इसने मेरी नहीं सुनी और उनसे दुश्मनी कर बैठा वो सब कल रात को आये थे और मार कर चले गए ! ” वो बार बार इसी बात को दोहराने लगते है !
मोहल्ले वालों ने पहले ही पुलिस को खबर कर दिया होता है जिससे पुलिस भी आ जाती है और उसके बॉडी पार्ट्स को पोस्मार्टम के लिए भेज देती है मोहल्ले वालों और हसन जी से बयान लेती है जिनसे उन्हें बस यही मालूम होता है के आसिफ की मौत अमल करने के दौरान होती है इसलिए पुलिस वाले बिना किसी छान बीन के केस को बंद कर देते है !
कोई भी डर से आसिफ को दफ़नाने के लिए जाने को तैयार नहीं होता है बस कुछ ही बुज़ुर्ग लोग हिम्मत जुटा कर आसिफ को सपुर्दे ख़ाक कर के उसकी मगफिरत की दुआ कर के लौट आते है ! हालांकि हसन जी आसिफ के घर की सफाई अच्छे से करवा देते है मगर खून की बू खतम ही नहीं होती है आसिफ के घर में एक अजीब किस्म की नहूसत फ़ैल जाती है ! रफ़ीक साहब उस घर को ताला लगा कर हसन जी के साथ रहने लगते है सारा दिन वो बस उदास और गुमसुम से बैठे अपने घर को तकते रहते रहते है !
”पापा आसिफ के साथ जो हुआ वो नहीं होनी चाहिए थी सब मेरी गलती है मेरे वजह से उसकी जान गयी !” परी ने रोते हुए कहा !
”नहीं परी बेटा आसिफ के साथ जो हुआ उसमे तुम्हारा कोई कसूर नहीं है तुम खुद को कसूर वार ना समझो उसने खुद अपने लिए बुराई चुनी हालांकि वो एक अच्छा लड़का था मगर ना जाने क्यों उसने तुम्हारे साथ इतना जुल्म किया फिर उमैर को भी तो वो मारना चाहता था वैसे बेटा जिन बदला लिए बिना नहीं मानते है इसलिए तुम खुद को जिम्मेदार ना समझो !” हसन जी ने समझाते हुए कहा !
”आसिफ को मरे दो महीनो गुज़र जाते है मगर उस दिन के बाद से कोई भी दूसरी दुनिया से परी को मिलने नहीं आता है और यह बात परी को अंदर ही अंदर परेशान कर रही होती है !
नदिया जी किचन में चाय बना कर सब के लिए ट्रे में लेकर जैसे ही किचन से बाहर निकलती है उन्हें सामने सोफे पर तीन लोग बैठे देखते है डर से उनके हाथ से चाय की ट्रे छूट कर गिर जाती है जिसकी आवाज़ सुन कर परी और हसन जी अपने अपने कमरे से बाहर निकलते !
”नदिया जी डरीये मत। हम उमैर की दुनिया से आये है मेरा नाम शाह कौनैन है मैं उमैर का दादा और यह ज़ैद मेरा बेटा और यह है शहंशाह जिन के बेटे और हमारे दामाद शहजादे इरफ़ान !” शाह कौनैन ने कहा !
”उमैर कैसा है ? वो ठीक है ना? वो नहीं आया आप लोगो के साथ मैं कब से आप लोग की राह देख रही थी !” परी ने उनको देख कर कहा !
”हाँ उमैर अब बिलकुल ठीक है वो हम कुछ जरुरी बातें करने है तुम्हारे माँ बाप से तो अगर आप लोगों की इजाजत हो तो हम बैठ कर कुछ बातें कर ले तब तक परी मेरी बच्ची तुम जाओ चाय बना ले आओ हम सब के लिए तुम्हारी अम्मी ने तो सारी चाय गिरा दी वैसे नुरैन ने एक बार चाय पिलायी थी मुझे बहुत मज़ेदार था !” शाह कौनैन ने कहा !
”जी अभी लायी बना कर !” परी ने कहा फिर वो चाय बना ने के लिए किचन में चली जाती है !
”क्या आप ही वो जिन हो जिनसे मेरी अम्मी मोहब्बत करती थी !” हसन जी ने अपनी अम्मी का नाम शाह कौनैन के मुँह से सुन कर कहा !
”हाँ मैं वही बदनसीब हूँ खैर मुझे तो मेरी मोहब्बत नहीं मिली मगर मैं अपने पोते की मोहब्बत को मुकम्मल करना चाहता हूँ मैं चाहता हूँ के हम उमैर और परी की शादी कर दे !” शाह कौनैन ने कहा !
”देखिए मुझे कोई ऐतराज नहीं है मैं बस अपनी बेटी को खुश देखना चाहता हूँ अगर वो राजी है तो हम दोनों को कोई हर्ज नहीं है मगर एक जिन और इंसान की शादी आप को अजीब नहीं लगती है ! ” हसन जी ने कहा !
” मोहब्बत में सब जायज़ है हसन बेटा तुम घबराओ नहीं मैं सब संभाल लूंगा मगर कुछ मसले है !” शाह कौनैन ने कहा !
”जी कैसा मसला है हम कुछ समझे नहीं !” हसन जी ने कहा !
”पहला बात यह है के अगर शादी होगी तो समाज में होगी आप लोग किसी पर भी ज़ाहिर नहीं करेंगे के हम कौन है और दूसरा यह है के आप की बेटी ढ़ाई महीने के हमल से है और यह उसी आलिम की औलाद है तो हम नहीं चाहते है के आप की बेटी उस आलिम का वंश बढ़ाए और आखिर में यह लिजिए इसी शहर में मैंने आपलोगों के लिए दूसरा मकान लेलिया है आप वही जाकर रहे इस घर को छोड़ दे !” शाह कौनैं ने हसन जी को घर के पेपर्स थमाते हुए कहा !
”आप जो कहोगे मैं मानने को तैयार हूँ मगर हमल गिराना गुनाह है हम यह नहीं कर सकते बाकी मेरी बेटी जैसे कहे गी वही होगा !” हसन जी ने कहा नदिया जी बस उन सब को ऊपर से नीचे तक घूर कर देखती रहती है !
तभी परी के माँ बनने की बात सुन रफ़ीक साहब शाह कौनैन के पैर पकड़ कर कहते है !” मेरा बेटे ने जो किया उसकी सजा आप लोगों ने उसे दे ही दी कम से कम उसके होने वाले औलाद को ना मारे मैं वादा करता हूँ के अब से मेरे खानदान में कोई भी आप लोगों से दुश्मनी नहीं लेगा एक आखरी मौका देदे !”
”मैं समझ सकता हूँ अपने औलाद को खोने का दर्द कैसा होता है ! जैसा के हसन जी ने कहा के परी का फैसला ही आखिरी फैसला होगा इसलिए तुम्हे मेरे पैर पड़ने की जरुरत नहीं है और हाँ तुम भी इनके साथ नए घर में चले जाओ इस घर को ताला लगा दो !” शाह कौनैन ने रफ़ीक साहब को अपने क़दमों के पास से उठाते हुए कहा !
”परी चाय बनाती हुई यह सारी बातें सुन रही होती है उसे खुद पता नहीं होता है के वो हमल से है ! अब उसे समझ नहीं आरहा होता है के वो आखिर क्या करे !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-48
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Written By – Shama Khan
इंसान किसी के साथ कुछ गलत करने से पहले भूल जाता है के ,
ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती !
आप जैसे किसी के साथ करते हो वैसा पाते हो !