Shah Umair Ki Pari – 46
Shah Umair Ki Pari – 46
शहर धनबाद में :-
आसिफ का बूरा रवैया परी के मम्मी पापा को अंदर से हिला देता है वो दोनों एक साथ सोफे पर बैठ कर रो रहे होते है !
ना जाने अब क्या होगा जिस बेटी को हमने बचपन से नाजों से पाला आज उसकी ऐसी हालत मुझसे नहीं देखी जाती आप कुछ करिये ना आपने देखा ना उस बद्ज़ात ने हमारी फूल सी बच्ची के हाथ तक जला दिए हमे उससे मिलने भी नहीं दिए !” नदिया जी दहाड़े मार मार कर रोते हुए कहती है !
”मत रोइये परी की अम्मी ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसे मामले आते है जो हमे अंदर से तोड़ देते है , मगर मैं आप को एक बात बता दूँ हमारी बेटी बहुत बहादुर है वो सब संभाल लेगी , आप उसके हक़ में बस दुआ करिये देखिएगा अल्लाह जल्द ही कोई रास्ता निकालेगा !” हसन जी ने समझाते हुए कहा !
परी को अँधेरे स्टोर रूम में बंद कर के आसिफ अपनी बाइक लेकर घर से बाहर निकल जाता है ! परी दरवाज़ा पार बार बार दस्तक देती है मगर रफ़ीक साहब अपने बेटे के डर से दरवाज़ा नहीं खोलते है स्टोर रूम में इतना ज्यादा अँधेरा होता है के परी को कुछ भी दिखाई नहीं देरहा होता है , वो किसी तरह स्विच बोर्ड की तरफ बढ़ती है सारे स्विच ऑन करती है मगर बल्ब नहीं जलता है थक हार कर वो कमरे की दिवार से लग कर बैठ कर रोने लगती है अचानक उसे ख्याल आता है के आसिफ ने बताया था के आईना उसने स्टोर रूम में ही रखा है वो फ़ौरन ही उठ कर हाथ से टटोलते हुए आईने को ढूंढने लगती है अँधेरे की वजह से उस के जले हुए हाथ में काफी चोटे लगती है मगर वो दर्द को बर्दास्त किये आईने को ढूंढ़ने में लगी रहती है आखिर के कुछ ही देर में उसे कमरे के एक कोने में आईना मिल ही जाता वो बेसाख्ता उसपर हाथ से मारते हुए फिर से अमायरा और नफीशा को आवाज़ देने लगती है काफी देर तक जब कोई जवाब उसे नहीं मिलता तो मायूस होकर आईने के पास ही बैठ जाती है ! कुछ ही देर बाद आईने में धुंध हटती दिखाई देती है परी जल्दी से अपने दुपट्टे से आँसू पोछते हुए आईने के सामने खड़ी होजाती है ! धुंध के हटते ही परी के सामने एक अधेड़ उमर के नूरानी शख्सियत वाले बुजुर्ज खड़े होते है जो परी को हैरत से देख रहे होते है !
”जी बाबा आप कौन ? नफिशा और अमायरा कहा है उन्हें खुदा के वास्ते बुला दे उन्हें कुछ बहुत जरुरी बाते बतानी है मुझे !” परी ने जल्दी जल्दी में कहा !
”शांत हो जाओ बच्ची पहले यह बताओ तुम नुरैन की पोती परी होना !” शाह कौनैन ने पूछा !
”जी हाँ और आप कौन ?” परी ने पूछा !
”मैं उमैर का दादा शाह कौनैन हूँ ! परी बच्चे यह बताओ तुम इस तरह आईने पर अपने हाथ क्यों मार रही थी सब ठीक है ना !” शाह कौनैन ने पूछा !
”दादा जी उमैर को आसिफ ने एक बोतल में क़ैद कर लिया है और उसे आज़ाद करने के बदले मुझसे जबरदस्ती शादी कर ली अब वो उमैर को आज़ाद नहीं कर रहा कहता है के अब उमैर के पास ज्यादा दिन नहीं बचे है और पल पल मर रहा है !” परी ने कहा !
”बच्चे आराम से मुझे सारी बातें बताओ शुरू से तब ही मैं कोई रास्ता निकाल पाउँगा !” शाह कौनैन ने कहा तो परी ने शुरू से लेकर अबतक सारी बातें उनको बता दी !
‘’तो यह उसी आलिम के खानदान से है जिसने आज से कुछ साल पहले दोनों दुनिया में तबाही मचायी थी कोई बात नहीं इसे भी हम देख लेंगे , फिलहाल तुम परेशान ना हो सब से पहले हमे उमैर को ढूंढ़ना होगा और साथ में आसिफ के पास जो शैतान जिन है उसे सब से पहले अपने कब्ज़े में करना होगा बेटा अगर मैं अभी इस वक़्त तुम्हारे घर आया तो उसे मेरे आने का पता चल जाएगा इसलिए तुम्हे खुद ही किसी तरह पता करना होगा के वो बोतल उसने कहा छुपा रखी है !” शाह कौनैन ने कहा !
”मगर दादा जी मैं कहा ढूंढूं अब मुझे नहीं मिल रहा सुबह से हर कमरे में ढूंढा मैंने मगर नहीं मिली मुझे !” परी ने परेशान होते हुए कहा !
”परी मेरी बच्ची वहाँ तलाश कर जहाँ तूने नहीं ढूंढा है कोई ना कोई कमरा तुझसे छूटा होगा ध्यान से सोचो के कहा तुमने नहीं ढूंढा है अगर मिल जाये तो फ़ौरन ही मुझे लाकर दे देना मैं यही हूँ!” शाह कौनैन ने कहा !
परी कुछ देर सोचती है फिर कहती है !” एक तो यह कमरा और दूसरा किचन में नहीं देखा मैंने मगर यहां इतना अँधेरा है कैसे ढूंढूंगी !”
”परी तुम ढूँढना शुरू करो कमरे में तुम जहाँ जहां तलाश करोगी वहां पर खुद बाखुद रौशनी होजायेगी !” शाह कौनैन ने कहा तो परी पुरे कमरे में तलाश शुरू करदेती है शाह कौनैन आईने में ही खड़े उसकी राह नुमाई कररहे होते है ! तभी अचानक दरवाज़ा खुलने की आवाज़ होती है तो परी चुप चाप दिवार से लग कर बैठ जाती है और शाह कौनैन आईने से गायब होजाते है !
आसिफ दरवाज़ा खोलता है तो उसे परी चुप चाप बैठी देखती है आसिफ उसके पास जाता है फिर उसका हाथ थामे कमरे में ले आता है !
”जरा देखो तो क्या हाल बना लिया है तुमने रो रो कर अपना , परी तुम मेरे सामने उस उमैर का नाम मत लिया करो मुझे अचानक गुस्सा आजाता है , कितना जल गया है हाथ तुम्हारा !” आसिफ परी के हाथ पर दवा लगाते हुए कहता है !
”पल पल तकलीफ देने से अच्छा है के तुम मुझे एक बार ही जान से मार दो सुकून मिलेगा तुम्हे !” परी ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा !
”ओफ्फो दवा लगाने दो परी वरना जलने का दाग रह जायेगा मैं चाहता हूँ के मेरा चाँद बे दाग रहे , अब चलो लाओ लगाने दो मुझे दवा !” आसिफ ने दोबारा से परी के हाथ को पकड़ते हुए कहा ! परी लाल आँखों से उसे घूरती रहती है !
”आसिफ बेटा खाना वगैरा बनेगा या तुमलोग के ड्रामे की वजह से मैं भूखे पेट सो जाऊ शाम को चाय भी नसीब नहीं हुई थी !” रफ़ीक साहब ने कमरे के बाहर से आवाज़ लगते हुए कहा !
”पापा आप के नखरे कब से शुरू होगये पहले तो आप खुद ही बना कर खा लेते थे फिर आज क्या दिक्कत है ?” आसिफ ने कमरे से जवाब दिया !
”ठीक है खुद ही बना कर खा लेता हूँ वैसे भी अब ये घर कम जेल खाना ज्यादा लगता है दम घुटता है मेरा यहां !” रफ़ीक साहब बड़बड़ते हुए किचन की तरफ चले जाते है !
”जाओ जाकर खाना बनाओ भूक लगी है मुझे भी और सुनो जरा अच्छे से बनाना कल सब्जी में नमक कम था !” आसिफ ने कहा तो परी किचन में चली जाती है जहा रफ़ीक साहब पहले से सब्जी काट रहे होते है !
”चाचा आप रहने दो मैं बना देती हूँ !”परी ने कहा तो रफ़ीक़ साहब चुप चाप सब्जी छोड़ कर बाहर हॉल में टीवी ऑन कर के बैठ जाते है ! अचानक परी को शाह कौनैन के बात याद आती है के जहां नहीं देखा वहां पर तलाश करो परी खाना चढ़ा कर किचन के सारे बर्तन के कपबोर्ड को खोल खोल कर देखती है मगर उसे वहाँ कुछ भी नहीं मिलता मायुश होकर वो खाना बनाना कम्पलीट कर के खाना लगाती है जब दोनों बाप बेटे खा चुके होते है तो परी सारे बर्तन सिंक में रख कर धोने लगती है हाथ जला हुए होने के कारन उसे सदीद दर्द और जलन भी होरहा होता है अचानक उसकी नज़र किचन में सब से ऊँची वाली कप्बोर्ड पर पड़ती है परी चुपके से चेयर लाकर उसे खोलती है तो उसमे खाली बोतल भरे होते है परी अहतियात से एक एक कर के सारे बोतल चेक करती है अचानक उसकी नज़र कोने में पड़े छोटे से बोतल पर पड़ती है जब परी उसे उठाती है तो उसे उसमे उमैर दिख जाता है परी की ख़ुशी की इन्तेहाँ नहीं होती है वो जल्दी जल्दी सारे बोतल को वापस उनकी असल हालत में रखती है और उमैर वाले बोतल को अपने कपड़ो में छिपाते हुए आसिफ की नज़रों से बचते हुए स्टोर रूम में आती है और आईने पर दस्तक देती है तो शाह कौनैन फ़ौरन ही हाज़िर होजाते है !
”दादा जी लिजिए मिल गया उमैर आप इसकी जान बचा लिजिए मैं जाती हूँ वरना आसिफ को शक होजायेगा !” परी ने आईने से बोतल शाह कौनैन को थमाते हुए कहा !
”शाबास मेरी बच्ची शैतान कितना भी ताक़तवर क्यों ना हो उस रब के आगे किसी की भी नहीं चलती है एक बात और तुम्हे उमैर के बचे वो कपड़े भी तलाश करने होंगे जिसे वो अलीम जला कर उमैर को मार रहा है !”शाह कौनैन ने कहा !
”मगर दादा जी उन कपड़ो के बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता है !” परी ने कहा !
”अगर मिले तो ठीक वरना हम कोई और रास्ता निकालेंगे फिलहाल तुम अब जाओ मैं उमैर को इस बोतल से निकलता हूँ ! शाह कौनैन ने कहा तो परी स्टोर रूम से निकल जाती है जैसे ही वो दरवाज़े को लगा रही होती है उसके सामने आसिफ खड़ा होता है !
”तुम स्टोर रूम में क्या कर रही थी ?” आसिफ ने पूछा !
”कक.. कुछ नहीं बस वो मेरी एयरिंग गिर गयी थी उसी को ढूंढ रही थी !” परी ने थोड़ा अटकते हुए जवाब दिया !
”मगर तुम्हारी एयरिंग तो तुम्हारे कानों में ही है !” आसिफ ने परी के कान की तरफ इशारा करते हुए कहा !
”अच्छा मुझे लगा गिर गयी है इसलिए मैं ढूंढ रही थी , मैं चाय बनाने जा रही हूँ पियोगे तुम !” परी ने कहा !
”हाँ बना दो पिलूँगा और हाँ पापा को भी देदेना !” आसिफ ने कहा तो परी ख़ामोशी से उसके सामने से निकल कर किचन में चाय बनाने चली जाती है ! आज उसपर इतने जुल्म होने के बावजूद परी सुकून महसूस कर रही होती है क्यों के आज उसका उमैर आज़ाद हो जायेगा ! आसिफ चाय पी कर दूसरे कमरे में जाता है और अपने अमल में लग जाता है सामने अलमारी से वो उमैर के कपड़े से बनी बत्ती को दिए में डाल कर जलाता है और फिर वही बैठ कर घंटो ध्यान लगा कर कुछ पढता रहता है ! परी दरवाज़े से झांक कर सब देख रही होती है ! जब आसिफ अपना काम कर के कमरे में सो जाता है तो परी जल्दी से बेड पर आकर सोने की एक्टिंग करती है जब आसिफ गहरे नींद में चला जाता है तो परी आहिस्ता से उठ कर उसी कमरे में जाती है जिसमे आसिफ कुछ देर पहले दुआ पढ़ रहा था !
Shah Umair Ki Pari – 46
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ”
शहजादे इरफ़ान अमायरा , मरयम , नफिशा और हनीफ के साथ उमैर के घर पहुँचते है जहा उन्हें शाह कौनैन दीखते है जो की आईने में किसी से बात कर रहे होते है !
”दादा अब्बू आप किस्से बात कररहे हो इस आईने से !” नफिशा ने पूछा !
”आगये तुम सब बेटा हम सब का डर सही निकला उमैर को उस आलिम ने किसी बोतल में कैद कर रखा है !’’ शाह कौनैन ने कहा !
”हम सब अँगूठी में भी परी देखी थी इसलिए हम सब यहा आप के पास आये है !” अमायरा ने कहा तो शाह कौनैन ने उनसब को सारी बात बतायी !
”इस आलिम को तो छोडूंगा नहीं मैं वैसे भी इसके खानदान का खतम होना जरुरी है नाक में दम कर रखा है, !’’ शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”रुक जाओ हम सब मिल कर उसे सबक सिखायेंगे उससे पहले उमैर मिल जाये बस परी उसे ढूंढ रही होगी !” शाह कौनैन कहते है !
‘’हनीफ तुम महल जाकर अब्बा और शाह ज़ैद को ले आओ !” शहजादे इरफ़ान ने कहा तो हनीफ फ़ौरन ही चला जाता है फिर कुछ ही देर में सब को अपने साथ लेकर आता है !
सब ख़ामोशी से बैठे परी का इंतज़ार कररहे होते है तभी आईने पर दस्तक होती है तो शाह कौनैन सामने जाते है तो दूसरी तरफ से परी उन्हें बोतल थमा कर चली जाती है !
”या अल्लाह दादा अब्बू उमैर भाई को उस आलिम ने इतने छोटे से बोतल में बंद कर रखा है निकालिये जल्दी इन्हे !” नफिशा ने कहा !
शाह कौनैन उमैर को बोतल से निकाल कर बिस्तर पर लिटाते है , उमैर सुख कर काँटा हो चूका होता है , उसके सर और कपड़ो में खून लगे होते है ! उसकी इस हालत पर उसकी दोनों बहने रोने लगती है !
”उमैर मेरे बच्चे आँखे खोल देख तू अपनी दुनिया में अपनों के पास है !” शाह कौनैन उमैर के गालों पर हलके हलके थपथपाते हुए कहते है मगर उमैर कोई भी हरकत नहीं करता है वो बेजान सा अपने बिस्तर पर पड़ा रहता है उसके इर्द गिर्द सभी लोग उसे घेरे हुए खड़े होते है !
”मैंने हमेशा इसे मारा पीटा डांटा कभी भी प्यार नहीं दिया क्यों के मुझे डर लगा रहता था के अगर यह इंसानी दुनिया में गया तो कभी वापस लौट कर नहीं आएगा और आज वही हुआ मेरा बेटा मेरे सामने अधमरा सा पड़ा है ! शहंशा फरहान अब आप ही बताओ हम क्या करे ? मेरा बेटा मर रहा है !” शाह ज़ैद ने रोते हुए कहा !
”घबराओ नहीं ज़ैद कुछ नहीं होगा उमैर को वो आलिम अकेला है हम तादाद में कई है जाओ उसपर हमले की तैयारी करवाओ !” शहंशा फरहान ने कहा !
”मगर अब्बा हुज़ूर इस वक़्त अचानक हमला करना सही रहेगा उस आलिम के साथ उमैर की मोहब्बत परी भी है इनसब में अगर उसे कुछ होगया तो हम उमैर को क्या जवाब देंगे !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”कुछ नहीं होगा उसे हमारी दुश्मनी उस आलिम आसिफ से है उसके उसके एलावा किसी को भी कोई नुक्सान नहीं होगा!” शहंशा फरहान ने कहा !
” पहले करना किया है आप लोग यह तो बताओ !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”उस आलिम के कब्ज़े में एक खब्बीस जिन है पहले उसे पकड़ कर लाओ उसके बाद उस आलिम के टुकड़े मैं अपने हाथों से करूँगा उसने मेरे पोते को जान से मारने की साज़िश रची थी ना अब हम उसे बतायेंगे मौत कैसी होती है !” शाह कौनैन ने गुस्से में कहा !
”बेटी अमायरा उमैर के कपड़े निकाल कर हनीफ को दो हनीफ बेटा तुम उमैर के कपड़े बदल दो तब तक मैं हकीम साहब को लेकर आता हूँ उमैर के इलाज के लिए !” शाह ज़ैद ने उमैर के सर को सहलाते हुए कहा !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-47
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Written By – Shama Khan
उस रब की मर्ज़ी के बिना ना किसी की मौत होती है
और ना ही कोई जन्म लेता है !,
फिर भी मिटटी से बना इंसान ना जाने किस घमंड में रहता है !“