Shah Umair Ki Pari-48
Shah Umair Ki Pari-48
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
एक साल बाद :- अपने बेड पर लेटा उमैर अपने कमरे में रखे आईने को घूरता रहता है !
”अरे उमैर बेटा तुम इसी तरह उदास कब तक रहोगे? चलो मेरे साथ महल वहां अमायरा है दिल लगेगा तुम्हारा !”शाह ज़ैद ने कहा !
”मुझे कंही नहीं जाना है अब्बा। आप लोग बस यह बताए आखिर मैं परी से मिलने क्यों नहीं जा सकता हूँ ? एक साल हो गया है उसे देखे हुए और अब तो उसके कमरे में वो आईना भी नहीं जो मैं उसे देख सकूँ !” उमैर ने नाराज़ होते हुए कहा !
”इस बारे में तुम अपने दादा से बात करो। वो क्या चाहते है मुझे भी नहीं पता ! उन्होंने अगर अभी तुम्हारे इंसानी दुनिया में जाने पर रोक लगायी है, तो वजह वही जाने। वैसे भी मुझे तुम दोनों दादा पोते के बीच नहीं पड़ना !” शाह ज़ैद ने मुस्कुराते हुए कहा !
”मगर दादा अब्बू भी कहा नज़र आ रहे है सुबह से नज़र नहीं पड़ी उन पर !” उमैर ने कहा !
”वो नफिशा के साथ महल गए है जाओ वही जाकर मिल आओ सब से मैं भी उधर ही जा रहा हूँ साथ चलोगे !” शाह ज़ैद ने प्यार से कहा तो उमैर मना नहीं कर पाता है उनके साथ चलने को राजी हो जाता है !
”बेटा तुम्हे पता है पुरे छः महीने तुम बेहोश रहे हो। मुझे लगता था कि मैं तुम्हे खो दूंगा मगर अल्लाह का करम है के अब सब ठीक है ! शाह ज़ैद ने कहा !
”मगर अब्बा मैं इतने दिन बेहोश क्यों रहा !” उमैर ने कहा !
‘’तुम गहरे सदमे में थे बाकी तुम घबराओ मत अब सब ठीक होगा ! बस तुम खुश रहो मेरे बच्चे !” शाह ज़ैद ने चलते हुए उमैर के गाल थपथपाते हुए कहा !
”अब्बा एक बात पूछूँ आप से ?” उमैर ने कहा !
”हाँ कहो !”शाह ज़ैद ने कहा !
”आप खड़ूस से एक दम शांत कैसे हो गये? मतलब पहले तो आप मुझे हर बात पर डांटते रहते थे और आज !” उमैर अपने अब्बा के आगे पीछे होते हुए कहता है !
”बेटा सही से चलो वैसे मैं हमेशा से ही अच्छा हूँ। मगर सख्त बनना पड़ा था ताके तुम कुछ उलटी सीधी हरकत ना करो मेरे डर से मगर तुमने तो बहुत गड़बड़ की इसलिए अब गुस्सा करने का कोई फायदा नहीं है और प्यार तो तुम्हे हमेशा से करता हूँ। आखिर मेरे बच्चे हो तुम, भला कोई बाप अपने बच्चे से नफरत कर सकता है ?” शाह ज़ैद ने कहा !
”वैसे अब्बा अब आप बहतर लगते हो मुझे। दोबारा खड़ूस मत बन जाना ! आप आराम से आओ मैं चला !” कहते हुए उमैर गायब हो जाता है !
”यह नहीं सुधरेगा। .. बचकानी हरकतें इसकी न जाने कब जाएगी !” शाह ज़ैद ने हँसते हुए कहा !
”माशाअल्लाह उमैर भाई आप कब आये? आखिर के आप का दिल मान गया घर से निकलने को वरना आप तो महीनो से अपने कमरे में पड़े थे !” उमैर को आते देख नफिशा ने कहा !
”तुम तो चुप ही रहो नफिशा। जब देखो अपना घर छोड़ इस महल में घूमती रहती हो ! मैं अमायरा से बात करने आया हूँ !”
अमायरा को काम में मगन देख उमैर उसके पास जाता है ! ‘’अमायरा सुनो तुम अपने काम बाद में कर लेना पहले मेरी बात सुनो। दादा अब्बू को समझाओ मुझे परी से मिलने जाना है यह लोग मुझे जाने नहीं दे रहे है !” उमैर अमायरा अपने पास बैठाते हुए कहता है !
”पहले आप ज़ायरा को गोद में लो। दो महीने की हो गयी है यह और आप ने इसे एक बार भी गोद में नहीं लिया और ना ही प्यार किया है। आखिर मामा है आप इसके तब तक मैं आप के लिए शरबत लेकर आती हूँ फिर आराम से हम तीनो भाई बहन बात करेंगे !” अमायरा ने अपनी बेटी जायरा को पालने से उठा कर उमैर की गोद में थमाते हुए कहा !
”मगर मुझे बच्चे गोद लेना नहीं आता है और कंही इसने मेरे कपड़े गंदे कर दिये तो ?” उमैर कहते हुए ज़ायरा की तरफ देखता है तो वो उसे देख का मुस्कुरा रही होती है उमैर उसकी मुस्कराहट पर पिघल सा जाता है फिर उसे लेकर टहलते हुए खूब प्यार करता है !
अमायरा शरबत लेकर आती है देखती है उमैर ज़ायरा के साथ खूब बातें कर रहा और वो उसकी बातों पर ऐसे हँस रही जैसे वो सब समझ रही हो !
”लो उमैर भाई शरबत पी लो और मुझे ज़ायरा को दो नफिशा चल हम बाहर बालकनी में बैठ कर बातें करते है !” अमायरा ने उमैर की गोद से अपनी बेटी को लेते हुए कहा !
”यह बिलकुल तुम्हारी तरह है जैसे तुम मेरी हर बात समझती हो वैसे ही इससे बात करने पर ऐसा लग रहा जैसे यह मेरी बातों को समझ रही हो !” उमैर ने कहा !
”हाँ आखिर बेटी किसकी है? अमायरा आपी की जिनको सब से समझदार का ख़िताब दिया जाता है घर में !” नफिशा ने कहा !
”वो सब छोड़ो यह बताओ तुम लोग उस आसिफ का क्या हुआ? मेरी परी? मैं…. अपनी परी से… मैं उससे मिलने क्यों नहीं जा सकता ? आखिर दादा अब्बू क्या चाहते है ?” उमैर ने बालकनी में परेशानी से टहलते हुए कहा !
”भाई असल में परी भाभी आप से नहीं मिलना चाहती थी इसमें दादा अब्बू का कोई हाथ नहीं है !” नफिशा ने धीमे से कहा !
”क्या कहा परी मुझसे मिलना नहीं चाहती थी मगर क्यों ?” उमैर ने कहा !
”उमैर भाई असल में बात यह है के परी भाभी को लगता है के वो अब आप के लायक नहीं है !” अमायरा ने कहा !
”मतलब यह उसने कैसे सोच लिया के वो मेरे लायक नहीं है !” उमैर ने कहा !
”नफिशा तुम ज़ायरा को लेकर बाहर जा मुझे उमैर भाई से बात करने दे !” अमायरा ने कहा तो नफिशा ज़ायरा को गोद में लिए बाहर चली जाती है !
”अब कहो भी बात क्या है ?” उमैर ने कहा !
”उमैर भाई आप जब बेहोश थे तब एक बार परी दादा अब्बू के साथ आयी थी आप को देखने तब उन्होंने मुझे वो सब कुछ बताया जो आप के साथ और परी के साथ हुआ, बस उन्हें ऐसा लगता है के वो आप की क़ाबिल नहीं रही , उन पर सिर्फ आप का हक़ था मगर उस आलिम आसिफ ने आप से वो हक़ भी छीन लिया और वो उस वक़्त उस के बच्चे की माँ भी बनने वाली थी दादा अब्बू ने हमल गिराने को कहा मगर उन्होंने कहा के वो अब किसी और का क़त्ल होने नहीं देगी इसलिए वो हमल नहीं गिरायेंगी। साथ में उन्होंने आप की अँगूठी भी वापस कर दी यह कहते हुए के उनके अंदर इतनी हिम्मत नहीं है के वो आप का सामना करे !” अमायरा ने उमैर को अँगूठी देते हुए कहा !
”परी का दिमाग खराब हो गया है। अमायरा भला उसके साथ जो भी हुआ उसमे उसका कोई भी कसूर नहीं इसमें मुझसे नज़र मिलाने में कैसी शर्म और मेरी मोहब्बत इतनी कमज़ोर नहीं की इनसब छोटी सी बातों के लिए मैं अपनी परी को छोड़ दूँ। उसे हमल नहीं गिराना था कोई बात नहीं थी मगर वो मुझसे रिस्ता क्यों तोड़ रही, सुनो अमायरा तुम तैयारियाँ करो हम रिस्ता लेकर जाएँगे उसके घर तब तक मैं दादा अब्बू और अब्बा से कहता हूँ सारी बात !” उमैर ने कहा !
”उमैर भाई मगर !” अमायरा ने कहा !
”अगर मगर कुछ नहीं मैं जा रहा हूँ परी के पास तुम्हे चलना है साथ तो चलो वरना मैं जा रहा !” उमैर ने कहा !
”अरे अरे उमैर भाई इतने गुस्से में क्यों हो ? ठहरो जरा भाई मुझे भी आप की बारात में शामिल होना है !” सामने से आते शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”शहजादे इरफ़ान आप ही बताये आखिर मैं अब परी से क्यों नहीं मिल सकता?”
”तुम्हे परी से मिलना है चलो चलते है !” शहजादे इरफ़ान ने उमैर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा !
‘’उमैर भाई मैं भी चलूंगी परी भाभी से मिलने !” नफिशा ने कहा !
‘’उमैर मैं भी चलूँगी मुझे भी इंसानी दुनिया देखनी है और परी से भी मिलना है !” शहजादी मरयम ने कहा !
”हाँ बिलकुल चलिए ना शहजादी मरयम वैसे आप मुझे माफ़ कर देना मेरे वजह से अगर आप को कोई परेशानी हुई हो तो !” उमैर ने कहा !
”उमैर हम दोस्त है और तुमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिससे तुम्हे मुझसे माफ़ी मांगने की जरुरत पड़े !’’ शहजादी मरयम ने कहा !
”आप का रिस्ता शहजादे अल्तमश से हो गया था तो आप ने अभी तक शादी नहीं की मुझे लगा अब तक आप के भी प्यारे प्यारे बच्चे होंगे जैसी हमारी छोटी सी ज़ायरा है !” उमैर ने शहजादी को छेड़ते हुए कहा !
”सोचा के हम दोनों की शादी तो एक दूसरे से नहीं हो सकती क्यों ना एक साथ अलग अलग लोगों से शादी कर ले? अब यह सब छोड़ो और चल कर परी को मनाते है बेचारी नफिशा की भी शादी अभी तक नहीं हुई है !” शहजादी मरयम ने कहा !
”हाँ सही कहा आप ने शहजादी उमैर भाई तो ऐसा बेहोश हुए के साल के बाद होश में आये के उनको शादी भी करनी है !” नफीशा ने कहा !
“हाँ तो मैं भी कोई शौक़ से अपनी परी से दूर नहीं रहा दादा अब्बू ने मुझे इस दुनिया में क़ैद कर के रख दिया है मुझे नहीं पता के उन्होंने ऐसा क्यों किया परी ने मना भी किया तो वो कम से कम एक बार मुझे उससे मिलवा तो सकते थे, मगर नहीं उनको खुद की मोहब्बत उनकी नुरैन नहीं मिली तो अपने पोते से बदला ले रहे वो !” उमैर सारी बातें ऐसी अंदाज़ में कहता है के सब को हंसी आ जाती है ! सब एक दूसरे को देख कर हँसने लगते है
”उमैर भाई आप बिलकुल पागल हो चलिए हम सब चलते है परी से मिलने ?” अमायरा ने कहा !
”ठीक है हम सब चलेंगे क्यों के परी को मनाना है तो अच्छे इंतजाम के साथ जायेंगे ऐसे थोड़ी ना रिस्ता पक्का कर आयेंगे भाई इंसानो को भी तो पता चले हमारे यहां की रिस्तेदारी कैसी होती है और हाँ साले साहब तुम अपना हुलिया जरा सुधार लो जाओ जाकर मेरे कमरे में जाकर तैयार होकर आओ तब तक मैं इंतजाम करवाता हूँ !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
Shah Umair Ki Pari-48
शहर धनबाद में :-
घर की छत पर खामोश खड़ी परी गुज़रे वक़्तों को याद कर रही होती है ,सामने डूबता हुआ सूरज देख उसका दिल बैठा जा रहा होता है वो अपनी आँखे बंद कर लेती है तभी एक ठंडी हवा का झोंका उसे छूकर गुज़रती है उसके लब बे इख्तयार बोल पड़ते है – उमैर !”
तभी पीछे से नदिया जी आवाज़ देती है ! ”परी बेटा शाम हो गयी मगरिब का वक़्त है कब तक छत पर खड़ी रहोगी? चलो नूर भी उठ गया है तेरे पापा और वो जिन शाह कौनैन तो अभी तक बातों में लगे है, चल नीचे चाय पी ले मैंने बना दी है !”
”हाँ आती हूँ आप चलो !” परी ने आँखों के कोनो को साफ़ करते हुए कहा ! फिर नादिया जी के पीछे चल देती है अभी वो सीढ़ियों से उतर ही रही होती है के उसे सामने हॉल में उमैर उसके बेटे नूर को गोद में लिए उसे प्यार करता दिखता है ! उमैर पर नज़र पड़ते ही परी दौड़ते हुए उसके गले लग जाती है और फूट फूट कर रोने लगती है !
”पहले तो कहती हो के तुम्हे मुझसे कभी नहीं मिलना और आज जब मैं सामने आया तो सब कुछ भूल कर गले पड़ गयी मेरे तुम !” उमैर ने प्यार से परी की पेशानी चूमते हुए कहा !
”उहुह। उहुह .. उमैर भाई आप तो शुरू हो गये बड़ों का जरा लिहाज करे। सब यही पर खड़े है ! और परी भाभी अभी तो विदाई में वक़्त है अभी से रोने लगी आप !” नफिशा ने कहा तो दोनों एक दूसरे से अलग होकर खड़े हो जाते है ! परी जब अपनी नज़रे उठा कर देखती है तो सारे लोग उसे ही मुस्कुराते हुए देख रहे होते है !
”अअअ। .. आप सब अचानक यहा ?” परी ने पूछा !
”आना पड़ा यह जानने के लिए के आखिर तुमने हमारी मंगनी की अँगूठी वापस क्यों की थी ?” उमैर ने नफिशा की गोद में नूर को थमाते हुए कहा ! परी खामोश सोफे पर सर झुकाये बैठ जाती है !
”ऐसे चुप चाप बैठने से नहीं होगा परी चलो तयारियाँ भी तो करनी है शादी की। हम सब अकेले ही करेंगे के तुम भी साथ दोगी हमारा !” शहजादी मरयम परी के पास बैठते हुए कहती है !
”शादी ? मगर !” परी ने कहा !
”अब कोई सवाल नहीं परी देखो हमारे इस रिश्ते पर सब खुश है ! क्या हुआ अगर हम एक दुनिया के नहीं हम एक मखलूक नहीं मगर मोहब्बत जैसे जज़्बात हम दोनों में ही है। क्यों ना मिल कर अपनी एक अलग दुनिया बनाए !” उमैर परी के पास आकर घुटनों के बल बैठ कर परी के ऊँगली में उसकी वापस की हुई अँगूठी पहनाते हुए कहता है !
”मैं बस डर गयी थी के मेरे वजह से फिर तुम्हे कुछ हो ना जाए इसलिए यह सब किया !” परी बेहद ही मोहब्बत से उमैर की आँखों में देखते हुए कहा !
शाह कौनैन हसन जी के साथ बाहर बागीचे में टहलते हुए जब घर के अंदर आते है तो सब को परी के घर में देख हैरत से कहते है ”तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो ?”
”दादा अब्बू आप यहाँ आराम से घूम रहे हो मुझे यहां आने से मना कर के अगर परी ने मना किया था तो आप उसे मना तो सकते थे !” उमैर ने नाराज़ होते हुए कहा !
”उमैर बदतमीज़ी मत करो पहली बात तो यह के वो आलिम आसिफ परी का शौहर था अगर किसी भी औरत का शौहर मरता है तो उसे कुछ माह वक़्त की ईददत पुरानी पड़ती है और अगर औरत हामला हो तो उसकी ईददत बच्चे की विलादत तक की होती है! इस दौरान ना वो किसी गैर मरहम से मिल सकती थी ना ही उसका दूसरा निकाह किया जा सकता था इसलिए मैंने तुम्हे रोके रखा क्यों के बिना निकाह के तुम उसके लिए गैर मरहम हो जो मरा भले ही उसने हमारे लिए बुरा किया हो मगर हमे अपने इस्लामिक हक़ायक़ नहीं भूलने चाहिए ! अब परी का बेटा दो माह का हो चूका है मैं खुद कुछ दिन में तुम दोनों की शादी की बात करने वाला था !” शाह कौनैन ने कहा !
”ठीक है जो होना था हो गया अब हमे इनकी शादी में देर नहीं करनी चाहिए वैसे हम सब शगुन लेकर आये है क्यों ना शादी की तयारियाँ शुरू कर दी जाए ?” शहजादे इरफ़ान ने दोनों को बहस करने से रोकते हुए कहा !
”मुझे कोई हर्ज़ नहीं है मैं बस अपने बच्चो को खुश देखना चाहता हूँ , तुम क्या कहते हो हसन बेटे !” शाह कौनैन ने हसन जी की पीट थपथपाते हुए कहा !
”अब मैं क्या कहूँ जो आप सब को अच्छा लगे मुझे बस सब की ख़ुशी चाहिए !” हसन जी ने कहा !
”चलो फिर जश्न शुरू किया जाये !” शाह कौनैन ने कहते हुए जैसे ही ताली बजाई पूरा घर रौशनी से जगमग फूलों की भीनी खुशबु से महक उठता है !
”अरे भाई हम भी है हम दोनों को तो तुम सब भूल गए थे साथ लाना !” शाह ज़ैद कहते है उनके साथ शहंशाह फरहान और शहजादे अल्तमश होते है ! उन्हें देख कर उमैर बेहद खुश होता है !
शहजादे आप यहाँ भी आगये मेरा पीछा करते करते !” शहजादी मरयम ने शहजादे अल्तमश से कहा !
”हाँ आगया तुम्हारे पास महल गया तो पता चला तुम सब इंसानी दुनियाँ में हो तुम्हारे अब्बा आरहे थे तो मुझसे भी रहा नहीं गया आगया तुमसे मिलने आखिर सुकून तो तुम्हे देख कर ही मिलता है !” शहजादे अल्तमश ने मोहब्बत से कहा !
नदिया जी और नफिशा , अमायरा मिल कर सब के लिए टेबल पर नास्ता लगाती है ! सब मिल कर साथ में खाते हुए बाते करते है !
”आप को थोड़ा अजीब नहीं लगता इतने सारे जिन्नात हमारे घर में ऐसे हम से मिल रहे जैसे यह भी इंसान ही हो !” नदिया जी ने धीमे से हसन जी से कहा !
”नदिया जी अभी तो सिर्फ हम परिवार वाले है शादी में तो हमारे मेहमानों में पूरा क़बीला रहेगा फिर कैसे महमान नवाज़ी करोगी आप !” शाह ज़ैद ने कहा !
”उसके लिए हम है दोनों तरफ का इंतजाम हम खुद देखेंगे क्यों इरफ़ान बेटा !” शाह कौनैन ने कहा !
”मगर नफिशा और मरयम की भी तो शादी है ना !” शहजादे इरफ़ान ने कुछ सोचते हुए कहा !
”पहले उमैर की हो जाए उसके वलीमे के दिन नफिशा और मरयम की भी शादी कर देंगे महल में ही !” शहंशा फरहान ने कहा !
नदिया जी बस हैरत से उन्हें देख रही होती है ! उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा होता है के उनकी बेटी की शादी एक जिन से होने वाली है ! रफ़ीक साहब ख़ामोशी से यह सब देख सुन रहे होते है !
”रफ़ीक तुम क्यों उधर खड़े हो आओ बैठो हमारे साथ !” शाह कौनैन ने कहा तो रफ़ीक साहब आकर उनके बगल में बैठ जाते है सब मिल कर शादी की बातें करने लगते है !
उमैर सब को बातों में देख चुपके से परी का हाथ थामे उसे कमरे में लेकर आता है अभी वो उसे प्यार से देखते हुए जैसे ही गले से लगाने जाता है वैसी ही नफिशा ,आकर उसे रोक देती है !
” उमैर भाई इतनी भी क्या जल्दी है? आप ने क्या सोचा? सब बातों में लगे है तो आप परी भाभी के साथ अकेले में मोहब्बत फरमाएंगे नहीं नहीं बिलकुल भी नहीं पहले अपने होने वाले बेटे से तो जान पहचान बढ़ाइये। और आप परी भाभी चलिए हमारे साथ उमैर भाई से अब शादी के बाद मिलना आप !” नफिशा ने उमैर की गोद में नूर को देते हुए कहा !
”नफिशा की बच्ची तुम नहीं सुधरेगी जाओ तुम यहा से मुझे परी के साथ अकेले थोड़ी देर के लिए छोड़ दो !” उमैर नफिशा को कमरे से बाहर करते हुए कहता है !
“अरे वो क्यों जायेगी बाहर तुम जाओ बाहर ,चलो निकलो जल्दी और हाँ अब एक ही बार सहरा बांध कर आना मिलने परी से मैं तो परी के तरफ रहूंगी शादी में क्यों परी सही कहा ना ?!” मरयम ने उमैर को कमरे से बाहर निकालते हुए कहा !
”हाँ सही कह रही हो तुम उमैर लाओ नूर को मुझे दे दो। तुम जाओ बाहर कुछ खालो सब खा रहे है !”परी ने उमैर की गोद से अपने बेटे को लेते हुए कहा !
”हाँ हाँ जाता हूँ एक तो इतने दिन बाद मिला हूँ और यह लोग है के मुझे परी से अकेले में बात भी नहीं करने दे रहे है !” उमैर खुद में बड़बड़ाता हूँ जाकर अपने दादा के पास बैठ जाता है !
छोटा सा नूर अपने आस पास इतने सरे लोगों को देख कर बेहद खुश हो रहा होता है !
”परी भाभी नूर और ज़ायरा को एक साथ पलंग पर डाल दो साथ में खेलेंगे दोनों ! आओ हम सब आप के लिए शादी के कपड़े लेकर आये है आप देख लो बाकी कपड़े कल तक आ जायेंगे हनीफ को कहा है बना कर रखने को !” अमायरा ने कहा !
सब रात का खाना खा कर परी के घर से रुखसत होजाते है !
यह लोग कब आएंगे कहा से आयेंगे और कब कैसे जायेंगे कुछ भी पता नहीं चलता बस बारात यह लोग दरवाज़े के सामने लेकर आये ताके हमारे लोग भी देखे हमारी बेटी की शादी !” नदिया जी ने सब के जाने के बाद कहा !
”बहुत सोचती हो बेगम आप यह क्यों भूल जाती है के आज हम जो भी ऐश ओ आराम की ज़िन्दगी गुज़ार रहे सब उन्ही लोगों की मेहरबानी है अब कल से बेटी की शादी में लग जाओ वैसे हमे कुछ करना नहीं पड़ेगा वो लोग सब खुद ही कर देंगे !” हसन जी ने सोफे पर अपनी पीठ सींधी करते हुए कहा !
अगले दिन परी का घर मेहमानों से भरा होता है उसके पुरे घर को फूलों से सजाया जा रहा होता है ! परी के चाचा अहसन और मोहसिन अपने परिवार के साथ परी के शादी में सरिक होने के लिए आते है !
”हसन भैया आप का घर तो बहुत ही खूबसूरत और बड़ा है हमारे घर से भी वैसे आप ने तो हमे परी की पहली शादी में बुलाया नहीं था फिर अचानक दूसरी शादी में हमारी याद कैसे आ गयी आप को !” हसन जी के भाइयों तन्ज़िया लहज़े में कहा !
”शुक्र करो के मैंने तुम लोगों को अपने घर आने दिया वरना तुम लोगों ने जो मेरे साथ किया था, वो माफ़ी के क़ाबिल नहीं था मेरे बुरे वक़्त मुझे आज भी याद है ! अब महमान बन कर आये हो तो महमान की ही तरह रहो अपने बनने की जरुरत नहीं है। आओ मैं तुमलोगों को कमरा दिखा देता हूँ आराम करने के लिए !” हंसन जी ने जवाब दिया तो उनके भाई शर्म से सर झुका लेते है !
”नदिया जी सभी महमानो की खातिर तवज्जह में लगी होती है रफ़ीक साहब अपने पोते को गोद में लिए पूरे माहौल का ज़ायज़ा ले रहे होते है !
” क्या बात है नदिया तूने अचानक से बेटी का रिस्ता तय कर दिया? हमे बताया भी नहीं वैसे एक दिन में कौन सा रिस्ता मिल गया तुम्हे और लड़का कहा का है !” पड़ोस में रहने वाली एक औरत ने कहा !
”जी रिस्ता तो साल भर से लगा हुआ था बस सही वक़्त का इंतज़ार था आज वो दिन आ गया वो लोग दुबई के रहने वाले रईस लोग है हमारा दामाद लाखों में के है और अब वो हमारे साथ यही रहेगा और यही रह कर बिज़नेस भी करेगा आप लोग बैठे चाय पानी पिये मैं आती हूँ मुझे और भी काम है !” नदिया जी कहती हुई निकल गयी !
”हू जरा हम भी तो देखे कौन सा कोहिनूर मिल गया है इन गरीबों को। आज कल कुवारी लड़कियों को अच्छे लड़के नहीं मिलते इसकी बेटी तो फिर भी बेवा है !” पड़ोस वाली औरत ने दूसरे औरत से कहा !
”हाँ बहन बारात आने दो फिर देखते है सुनने में आया है के पहली शादी तो इन्होने अपनी बेटी की छुप कर की थी कुछ ही दिनों के बाद इसके पहले दामाद को जिनो ने मार दिया था इतना सब कुछ हो जाने के बाद नजाने इन लोगों को अब दूसरी शादी में इतना धूम धाम की किया जरुरत है !” दूसरी औरत ने कहा !
”पीछे खड़ी नदिया जी सब सुन रही होती है मगर उन्हें इनसब बातों से अब कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा होता है !
”मरयम बेटा हल्दी का टाइम हो गया है परी को तैयार किया के नहीं तुम लोगों ने !”नदिया जी शहजादी मरयम को आवाज़ देती है !
मरयम परी को तैयार कर के फूलों से सजे सेज़ पर ला कर बैठाती है जहा पर मोहल्ले की औरते पहले से बैठ कर गीत गा रही होती है ! पीले रंग की साड़ी में परी का गोरा रंग और भी निखर कर आ रहा होता है ! नदिया जी आगे बढ़ कर सब से पहले परी को शगुन की हल्दी लगाती है !
”अब मैं अपनी मोहब्बत की मोहब्बत को हल्दी लगाऊँगी !” मरयम ने परी को हल्दी लगाते हुए कहा !
”मरयम आप मुझसे नाराज़ तो नहीं होना !” परी ने कहा !
नाराज़ होती तो यहाँ ना होती अब चलो मेरा होगया दूसरों को भी लगाने का मौका देती हूँ !” मरयम कहते हुए हट जाती है ! फिर मोहल्ले की औरतें बारी बारी परी को हल्दी लगाती है ! हल्दी के बाद शाम में मेहँदी और संगीत का प्रोग्राम रहता है !
”परी इंसानी दुनियाँ में तो शादी में बहुत मज़े आते है कितने मज़ेदार गाने है और संगीत है तुम्हारी दुनिया में है दिल कर रहा मैं भी खूब नाचूँ !” मरयम ने कहा !
”हाँ तो जाओ ना किसने रोका है !” परी ने कहा !
”तुम भी चलो ना मुझे अकेले में शर्म आरही !” मरयम ने कहा !
”शहजादी मरयम मुझे मेहंदी लगी हुई है मैं गयी तो मेहँदी खराब हो जाएगी मेरी आप जाओ ना और भी लड़कियाँ तो डांस कररही है !” परी ने कहा !
”चलो मरयम बेटे मेरे साथ आज हम दोनों एक साथ डांस करेंगे भाई आखिर मेरी बेटी की शादी है !” नदिया जी ने कहा !
शहजादी मरयम और नदिया जी एक साथ खूब नाचती है ! पूरा माहौल बेहद खुशनुमा होता है , मोहबब्त भरे गाने , फ़िज़ा में फूलों की भीनी खुश्बू , सब कुछ अच्छा हो चूका था परी की ज़िन्दगी में , परी गोद में अपने प्यारे बेटे नूर को लिए हाथों की मेहँदी को मुस्कुराते हुए देखती है जिसमे उसने उर्दू में लिखवाया होता है !
”शाह उमैर की परी ”
( दोस्तों कल परी और उमैर की ज़िन्दगी की नयी शुरुवात होगी आईयेगा जरूर साथ में दोनों के ज़िन्दगी की नयी शुरुवात के लिए दुवाए देते जाईयेगा )
क्रमशः शाह उमैर की परी – 49
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Written By – Shama Khan
“ख्वाबों से जो सफर शुरू हुआ था ,
आज पहला क़दम उसका हक़ीक़त की तरफ है।
जो किसी और की होकर भी उसकी ही रही
ऐसी मोहब्बत भला कहा होती है किसी को !“