Shah Umair Ki Pari – 35
Shah Umair Ki Pari – 35
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
परी आसिफ के साथ आईने से उमैर के कमरे में पहुँचती है और चारो तरफ नज़रे दौड़ाती है।अँधेरा खमोशी के अलावा वहाँ कुछ भी नहीं होता है !
वाक़ई उन तीनों भाई बहनों के बगैर यह घर वीरान पड़ा होता है !
” वाह अब तो मैं कभी भी आसानी से जिनो की दुनिया में आ सकता हूँ,यह आईना किसी खजाने से कम नहीं है। अब हर एक को अपना गुलाम बनाऊंगा मैं !” आसिफ ख़ुशी से उछलते हुए कहता है !
”आसिफ तुम यह सब क्या कह रहे हो? मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा !” परी ने कहा !
”तुम गलत मत समझो परी मैं तो बस यह कह रहा हूँ के अगर मुझे अमल में कोई जरुरत पड़ी जिनो की दुनिया में आने की तो यह आइना मेरे काम आएगा !” फिर आसिफ अपने गुलाम जिन को हुक्म देता है के वो उनको महल के उस हिस्से में पहुँचा दे जहाँ उमैर है !
आसिफ के कहते ही पल भर में वो लोग एक कमरे के दरवाज़े पर खड़े होते है जहाँ उमैर और बाकी सब जमा रहते है वो दोनों ख़ामोशी से छुप कर महल के अंदर का ये मंज़र देख रहे होते है !
महल में चारों तरफ खुशगवार माहौल बना होता है चारों तरफ तरह तरह के शाही लिबास में हज़ारों जिन चारो तरफ घूम रहे होते है ! शहंशाह फरहान अब्बास अपने दरबार में क़बीले फरीज़ के शहशांह उस्मान के साथ बैठे होते है उनके साथ बगल उनके बेटे अल्तमश और बेटी शालेहा और उनकी बेगम सुमय्या बैठी होते है नाच गाने से लुत्फ़ अंदोज हो रही होती है !
”आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया यहाँ आने का। पहले मैं आप सभी से माजरत चाहता हूँ के पिछले दिनों में मैंने जो ऐलान किया था अपने बेटे इरफ़ान और बेटी मरयम को लेकर अब उनका रिस्ता क़बीले फ़रीज़ के शहंशाह उस्मान के बेटे अल्तमश और बेटी शालेहा से उसी तारीख को करने का ऐलान करता हूँ। तारीख वही चाँद की चौदह तारीख रहेगी बस रिस्ता अब एक गुलाम खानदान में ना हो कर एक शाही ख़ानदान में होने जा रहा है ! क्योकी शाह ज़ैद के बेटे उमैर ने एक इंसानी लड़की के मोहब्बत में मेरी बेटी का रिस्ता ठुकरा दिया था और इंसान से मोहब्बत हमारी दुनिया में ना क़ाबिले बरदास्त है इसलिए आज उसका पूरा परिवार अपने किये की सजा भी कैद में काट रहा है। मुझे उम्मीद है आप सब मेरी बातों को समझेंगे और पिछली बातों को भुला कर हमारे बच्चो को अपनी दुआए देंगे !” शहशांह फरहान अब्बास खड़े होकर ऐलान करते है ! पूरा हॉल जहाँ क़रीब हज़ारों लोग होंगे तालियों से गूंज उठता है !
शहजादी मरयम को कुछ गुलाम जिन जादिया त्यार कर के लेकर आती है और शहजादे अल्तमश के बगल में बैठा देती है ! वो ख़ामोशी से बैठ जाती है वो कर भी किया सकती थी जिससे मोहब्बत करती है वो किसी और को चाहता है इसलिए उसे इस रिश्ते के लिए हाँ करना पड़ता है !
शहंशाह फरहान काफी वक़्त तक शहजादे इरफ़ान का इंतज़ार करते है जब वो नहीं आते है तब वो सामने गुलाम की कतार में खड़े हनीफ से कहते है !
”हनीफ जरा जा कर इरफ़ान को बुला कर ले आओ रस्मे शुरू करनी है !”
”उसकी कोई जरुरत नहीं है !” सामने से दरवाज़े से आते शहजादे इरफ़ान ने कहा जिनके साथ दुल्हन बनी अमायरा होती है उनके पीछे शाहज़ैद , शाह कौनैन ,और नफ़ीसा और उमैर होते है। सब की आँखे हैरत से फटी की फटी रह जाती है ! शहजादे इरफ़ान अमायरा का हाथ थामे उसके के साथ चलते हुए तख़्त के पास खड़े हो जाते है बाकी सब सामने साइड में जाकर खड़े हो जाते है ! पुरे माहौल में सन्नाटा छा जाता है !
”इरफ़ान यह सब क्या है ?” शहंशाह फरहान गुस्से में खड़े होते हुए कहते है !
” अब्बा आप खुदा के वास्ते थोड़े देर के लिए खामोश हो जाए मुझे कुछ कहना है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा, तो शहशांह खामोशी से अपनी जगह बैठ जाते है !
”हाँ तो आप सब यह सोच रहे होंगे के जब मेरे अब्बा ने मेरा दूसरी बार रिस्ता क़बीले फ़रीज़ की शहजादी शालेहा से अभी भी तय कर दिया था फिर मैं अचानक गुलाम ख़ानदान के जिनजादि अमायरा के साथ यहाँ क्या कर रहा हूँ ? हम्म तो मैं आप सब को को पूरी बात बताना चाहता हूँ गौर से सुनियेगा पहले तो मेरे प्यारे अब्बा हुज़ूर मेरी पसंद जान कर अमायरा से मेरी मंगनी ख़ुशी ख़ुशी करवा दिया मगर जैसे ही उन्हें यह पता चला के उमैर मरयम से नहीं किसी इंसान से मोहबब्त करता है, उन्होंने यह रिस्ता ख़तम कर दिया और इन्हे काल कोठरी में सजा काटने के लिए छोड़ दिया। अब मुझे आप सब एक बात बताये अगर उमैर ने इंसान से मोहब्बत की तो इन सब को सजा क्यों मिली? दूसरी बात मोहब्बत तो एक पाक जज़्बात है, जो कभी भी किसी से हो सकती है अब उमैर उस इंसान से कैसे मिला यह तो मैं नहीं जानता मगर किसी से इश्क़ करना उसका जाती हक़ है और इसमें मेरा और आप का दखल देना सही नहीं है ! सदियों से जिन और इंसान के बीच रिस्ता रहा है क्यों के मैं अब्बा के बिना इजाजत के इन्हे छुड़ा लाया हूँ। तो मैं आप सब से पूछना चाहता हूँ कि क्या मैंने गलत किया ? आप लोगों को यह नहीं लगता के हमे इनको माफ़ कर देना चाहिए? हाँ अगर सजा ही देनी है तो उमैर को दे उसके पुरे परिवार को नहीं !” शहजादे इरफ़ान संजीदगी से महफ़िल में जमा सभी लोगों को मुखातिब कर के कहते है !
Shah Umair Ki Pari-34
पुरे माहौल में ख़ामोशी फैली रहती है ! सब हैरानी से एक दूसरे का मुँह ताक रहे होते है !
”या अल्लाह आखिर ये शहजादे इरफ़ान क्या करना चाहते है ? कहि फिर से मेरी गर्दन पर तलवार तो नहीं चलने वाली है ना ?” यह सोचते हुए उमैर के हलक डर से सूखने लगते है तो वो सामने शरबत का गिलास से भरी ट्रे लिए गुलाम के हाथ से एक के बाद एक गिलास शरबत उठा कर जल्दी जल्दी पी कर रख देता है !
”उमैर भाई आप इतना परेशान क्यों हो रहे है ? कुछ नहीं होगा आप को !” नफिशा समझाते हुए कहती है !
“वो तो साफ़ दिख रहा है , तुम दोनों तो शादी कर लोगी मैं बेचारा कुंवारा ही मार दिया जाऊँगा ! दादा अब्बू आप कुछ करते क्यों नहीं ?” उमैर परेशान होते हुए कहता है !
”मेरे बच्चे पहले पूरी बात सुन लो फिर अपनी राय बनाना !” शाह कौनैन ने कहा !
”हम्म ठीक है दादा अब्बू !” शाह उमैर ने कहा ! फिर वो शहजादे इरफ़ान की बातें सुनने लगता है शहंशाह और बाकी सब भी खामोश इरफ़ान की बातें सुनते है !
”उमैर की यह सजा है के वो इंसानी दुनिया में चला जाये तब तक के लिए जब तक मेरे अब्बा उसको दिल से माफ़ ना कर दे। तब तक वो अपने परिवार और इस क़बीले से दूर रहेगा किसी से भी किसी भी तरह का कोई तालुक नहीं रखेगा और उससे पहले मैं चाहता हूँ के अब्बा शाह कौनैन को भी माफ़ कर दे उन्होंने अपने हिस्से की सजा काट ली है ! तब तक इससे पहले के उमैर को सजा सुनायी जाये मैं चाहता हूँ के वो जाते जाते अपनी बहन अमायरा के सर पर सहरा बांध कर जाए !”
फिर शहजादे इरफ़ान क़बीले फ़रीज़ के शहंशाह की तरफ मुखातिब होकर कहते है !
” हुज़ूर मैं आप से माफ़ी चाहता हूँ मैं आप की बेटी से शादी नहीं कर सकता मुझे अच्छा लगेगा अगर आप मेरे निकाह में शामिल होंगे !”
उमैर आगे बढ़ कर अमायरा को सहरा बांधता है फिर मोहब्बत से उसकी पेशानी को चूमता है और कहता है !
” अमायरा चाहे हमारे आगे की ज़िन्दगी में जो भी लिखा हो मैं कही भी रहूं, बस इतना याद रखना के तुम दोनों बहनों में मेरी जान बसी है तुम दोनों के साथ गुज़ारे पल मेरी ज़िन्दगी के सबसे हसीन पल है। हमेशा खुश रहना ।”
अमायरा रोते हुए उमैर के गले लग जाती है और कहती है!
” उमैर भाई अपना ख्याल रखना आप इंसानी दुनिया हम जिनो के लिए खतरों से भरी हुई है!”
”कुछ नहीं होगा मुझे बस तुम सब अपना ख्याल रखना!” उमैर कहता है फिर वापस से अपनी जगह पर आकर अपने आँखों से बहते हुए आँसू को पोछ कर खड़ा हो जाता है !
शहजादे इरफ़ान कारी को निकाह पढ़ाने का इशारा करते है वो उनके सामने आकर निकाह पढ़ना शुरू कर देता है ! ”निकाह के होते ही पूरा महल मोबारक हो मोबारक हो के शोर से गूंज उठता है !
”फरहान अब्बास जब रिस्ता जोड़ना नहीं था तो हमे यहाँ सिर्फ बेइज्जत करने के लिए बुलाया है? तुम्हारा बेटा ना जाने कब से बकवास कर रहा था और तो और उसने यहां तुम्हारे सामने निकाह भी कर लिया और तुम खामोश रहे और तुमने उसको एक लफ्ज़ कुछ नहीं कहा !” शहंशाह उस्मान ने गुस्से में कहा ! जो कि न जाने कब से यह सब चुप चाप देख रहे थे
”देखिए उस्मान साहब मेरे बाद मेरा बेटा ही इस क़बीले का शहंशाह होगा इसलिए उसकी सभी बातों को मैं दर गुज़र नहीं कर सकता वैसे मेरी बेटी से तो आप के बेटे का रिस्ता हो ही रहा है आप शांत रहे और इनकी मंगनी की रश्म शुरू करे !” कहते हुए शहंशाह फरहान ने जैसे ही मंगनी की अंगूठी मंगवाई शहंशाह उस्मान अंगूठी की ट्रे को हाथ में लेकर फेंक देते है और कहते है !” जब मेरी बेटी का रिस्ता नहीं होगा यहाँ फिर मैं अपने बेटे का भी नहीं करूँगा और यह बेइज्जती मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगा ! शहंशाह फरहान उन्हें मनाने के लिए जैसे उनका हाथ पकड़ते है उस्मान उनको धक्का दे देते है जैसे ही शहंशाह फरहान गिरने लगते है उमैर जल्दी से उन्हें आकर थाम लेता है फिर उनको तख़्त पर बैठा कर एक जोर का तमाचा शहंशाह उस्मान के गाल पर मरता है और कहता है !
” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे हुज़ूर को धक्का देने की तुम सब को समझ नहीं आता के जब कोई प्यार में होता है तो उसे कुछ भी सही और गलत समझ नहीं आता ! रिस्ता करना है करो वरना चुप चाप से निकल जाओ हमारी शहजादी को अच्छे रिश्तों की कमी नहीं है ! “
उमैर की हिम्मत देख कर सब ही दंग हो रहे होते है और होते भी क्यों नहीं उसने शहशांह उस्मान को थप्पड़ मारा था किसी आम जिन को नहीं !
शहंशाह उस्मान अपने पुरे ख़ानदान को लेकर गुस्से में वहाँ से निकल जाते है !
”पागल लड़के तुमने शहंशाह उस्मान पर हाथ क्यों उठाया तुम्हे पता भी है तुम्हारे वजह से उनके और हमारे बीच एक दुश्मनी अब शुरू हो गयी है !” शाह ज़ैद ने उमैर को चांटा मारते हुए कहा !
“हाँ तो क्या करता अब्बा? उस बद्तमीज़ शहशांह ने हमारे शहंशाह को धक्का मारा अगर वो गिर जाते तो ?” उमैर ने कहा तो शाह ज़ैद उसे दोबारा थप्पड़ मारते हुए गले लगा लेते है !
‘’मेरे बच्चे मुझे माफ़ कर दे मैं तुझे कभी समझ नहीं पाया ! बस जहाँ भी रहना खुश रहना सलामत रहना सजा तो काटनी ही होगी मेरे बच्चे !”
उमैर अमायरा और नफिशा की तरफ देखता है तो नफिशा कहती है !” उमैर भाई कहा था ना के एक दिन अब्बा आप को गले जरूर लगाएंगे !
”अब्बा आप भी मुझे माफ़ कर देना मैंने भी आप की बात कभी नहीं मानी !” उमैर के कहा !
‘’अब जा मेरे बच्चे और हाँ इंसानी बस्ती से दूर रहना तुझे किसी विराने में रहना है !’’ शाह ज़ैद ने कहा !
अमायरा यह सब देख कर रोने लगती है तो उमैर और नफिशा उसे चुप कराते है !
शहजादे इरफ़ान गुलाम जिन जादियों को हुक्म देते है के वो अमायरा को उसके कमरे में ले जाये ताके वो आराम कर ले क्यों के उसकी तबीयत सही नहीं रहती है नफिशा भी अमायरा के साथ चली जाती है!
‘’उमैर अब तुम्हे जाना चाहिए और हाँ तुम परेशान मत होना यहाँ मैं तुम्हारे परिवार का ख्याल रखूँगा बस उस इंसानी दुनिया में खुद को आमिलों से बचा कर रखना वो दुनिया इतनी बुरी भी नहीं है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
उमैर सब से इजाजत लेकर अपने सजा के लिए इंसानी दुनिया में जाने के लिए महल से बाहर निकल कर अपनी घर की तरफ चल देता है परी से मिलने वो अपनी दुनिया को चलते हुए देखते जा रहा रहा होता है कि ना जाने फिर कब उसे यहाँ आना नसीब हो वैसे तो उसे किसी विराने में जाकर रहने का हुक्म होता है इंसानी दुनिया में मगर वो उधर ना जाकर सीधे अपने कमरे में जाता है जहाँ उसे आसिफ और परी दिखते है !
”परी तुम यहाँ क्या कर रही हो ? और तुम इस आसिफ के साथ मेरे कमरे में क्या कर रही हो ? ” उमैर ने परी को अपने कमरे में बेचैनी से टहलते देख कहा ! तो परी उसे देखते ही उसके गले लगकर कहती है !” उमैर कहा चले गए थे तुम कितने दिन हो गये थे तुमसे मिले हुए ! मुझे तो एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे के मैंने तुम्हे खो दिया है आज ना जाने कितने दिनों बाद सुकून मिल रहा है मुझे !”
” मुझे भी आज सुकून मिला ! परी भला कभी ऐसा हो सकता है क्या के मैं अपनी परी को खो ने दूँगा? !” उमैर ने मोहब्बत से परी के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा ! सामने खड़ा आसिफ यह सब देख कर दिल ही दिल में चिढ़ रहा होता है !
”अगर तुम दोनों का मिलना मिलाना हो गया हो तो चले हम? वैसे हम तुम्हे यहाँ तहखाने से छुड़ाने आये थे मगर यहाँ आकर मालूम हुआ के तुम को रिहाई मिल गयी है इसलिए परी ने कहा के तुम सीधा घर ही आओगे इसलिए हम तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे।, चलो अच्छा ही हुआ के तुम रिहा हो गए हमे कुछ करना ही नहीं पड़ा !” आसिफ ने कहा !
”ओह तो तुम एक आलिम हो , खैर मुझे शहजादे इरफ़ान ने इंसानी दुनिया में रहने की सजा सुनायी है इसलिए मैं तुम्हारी दुनिया में ही आने के लिए आज घर आया और हाँ परी अमायरा की शादी आज शहजादे इरफ़ान से साधारण तरीके से हो गयी है नफिशा अब्बा और मेरे दादा महल में ही रुके है अब वो वही रहेंगे उन लोगों के साथ !” उमैर ने कहा !
”यह तो ख़ुशी की बात है उमैर के अमायरा को उसका हमसफ़र मिल गया और सब एक साथ है !”परी ने कहा !
”हाँ मुझे उनके लिए ख़ुशी है बस मैं अपने परिवार से दूर हो गया !” उमैर ने उदास होते हुए कहा !
”मेरे आक़ा आप का हुक्म हो तो मैं इस जिन को क़ैद कर दूँ !” आसिफ के गुलाम जिन ने हाज़िर होते हुए कहा !
”तुम फ़िलहाल चुप रहो !” आसिफ ने कहा !
”यह खब्बीस जिन तुम्हारे साथ क्या कर रहा है आसिफ ? क्या तुम मुझे क़ैद करना चाहते हो ?” उमैर ने कहा !
”अरे नहीं नहीं यह बस मेरा गुलाम है इसलिए ऐसा कह रहा मैं भला तुम्हे कैसे क़ैद करूँगा? मेरी परी की जान बसी है तुम में !” आसिफ ने कहा !
”उमैर आसिफ पर तुम भरोसा कर सकते हो यह मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त है और मेरे होते भला यह तुम्हे क़ैद कैसे कर सकता है ? अब ज्यादा सोचो मत चलो !” परी कहती है फिर उमैर का हाथ थामे अपनी दुनिया में आ जाती है !
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Written By – Shama Khan
“वो मोहब्बत ही क्या जो आसानी से मुकम्मल हो जाये ,
इश्क़ में आशिक़ों के हिस्से होती है हज़ारों परेशानियाँ !“
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