Shah Umair Ki Pari – 33
Shah Umair Ki Pari-33
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
”इरफ़ान भाई अब्बा सो गए है। चलो तहखाने में उमैर और उसकी बहनों से मिलने !” शहजादी मरयम शहजादे इरफ़ान को नींद से जगाते हुए कहती है !
“माफ़ करना मरयम मेरी आँख लग गयी थी, चलो चलते है मगर ध्यान से किसी की नज़र महल में हम पर ना पड़े !” शहजादे इरफ़ान ने उठते हुए कहा ! फिर दोनों ख़ामोशी से हाथ में मशाल लिए महल के पीछे की तरफ से जाते है !
“दरबान काल कोठरी का दरवाज़ा खोलो हमे अंदर जाना है !” शहजादे इरफ़ान ने कोठरी के दरवाज़े पर खड़े दरबान से कहा !
”माफ़ करियेगा शहजादे। मगर मैं आप को अंदर जाने नहीं दे सकता, शहंशाह का हुक्म है कि मैं आप तो क्या किसी मच्छर या मक्खी को भी अंदर ना जाने दूँ। इसलिए आप बिना मुझसे बहस किये यहाँ से चले जाये। वरना मैं शहंशाह को खबर कर दूंगा !” दरवाज़े पर खड़े दरबान ने कहा तो शहजादे इरफ़ान और मरयम एक दूसरे की तरफ बेबस भरी निगाहों से देखते है !
“अब क्या होगा इरफ़ान भाई? यह तो हमें अंदर जाने ही नहीं दे रहा !” शहजादी मरयम ने कहा !
“मरयम कोई दूसरा रास्ता जरूर होगा जो कोठरी तक जाता हो। हमे वही दूसरा रास्ता तलाश करना होगा, वैसे अभी हम अपने अपने कमरों में चलते है रात में पहरेदारी सख्त होती है। सुबह के वक़्त टहलते हुए ढूंढेंगे !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“ठीक है इरफ़ान भाई मगर हम शुरुआत कहा से करेंगे? महल काफी बड़ा है हमारा !” शहजादी मरयम ने कहा !
“तुम परेशान ना हो कही ना कही से तो शुरुवआत करनी ही होगी हमें !”शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“इरफ़ान भाई एक उपाय है अगर हम ये पता करे कि उनका खाना कौन लेकर जाता है और किस वक़्त, तो हम उस वक़्त अंदर जा सकते है !” शहजादी मरयम ने सोचते हुए कहा !
“तुम्हे क्या लगता है वो खड़ूस दरबार हमे जाने देगा? इतना आसान नहीं है मरयम आसान होता तो उमैर और उसका परिवार जिन है। वो आसानी से खुद को रिहा कर सकते थे अब तुम जाकर सो जाओ और सब मुझ पर छोड़ दो !” शहजादे इरफ़ान ने कहा तो मरयम उदास अपने कमरे में चली जाती है !
अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी मरयम खुद को उमैर के ख्यालों से आज़ाद नहीं कर पा रही होती है ! वो सारी रात बेचैनी में गुजरती है, फज़र की अज़ान के बाद जैसे ही हल्का उजाला होता है वो फिर से शहजादे इरफ़ान को उठाती है !
“मेरी प्यारी बहन आज तुमको हो क्या गया है? इतनी सुबह सुबह क्यों उठा रही हो? थोड़ा दिन चढ़ने दो फिर चलता हूँ !” शहजादे इरफ़ान करवट बदलते हुए कहते है !
“ठीक है आप सोते रहो। मैं ही खुद कुछ करती हूँ !” कहते हुए शहजादी मरयम अकेले ही महल से बाहर उसके पीछे हिस्से की तरफ जाती है !
”गुस्ताखी माफ़ शहजादी मगर आप इतनी सुबह महल से बाहर किधर जा रही है ?” शहजादी की खादिमा गुलरेज ने पूछा !
“मैं तो बस ऐसे ही टहलने के गरज़ से बाहर जा रही थी, तुम बताओ तुम क्या कर रही हो ?” शहजादी ने गुलरेज से कहा !
“जी मैं तो हर रोज इतनी सुबह आती हूँ मुझे कैदियों के लिए खाना बना कर सारे क़ैदियों को पहुँचाना भी होता है !” गुलरेज ने कहा !
“इसका मतलब तुम ही काल कोठरी में खाना लेकर जाती हो ?” शहजादी मरयम ने पूछा !
“नहीं नहीं मैं नहीं जाती वहां, अंदर मेरे शौहर जाते है। हम औरतों को वहां जाने की इजाजत नहीं है और शहजादी मैं ऐसी खौफनाक अँधेरी जगह में जाउंगी भी नहीं !’’ गुलरेज ने कहा !
”सुनो गुलरेज मेरी बात गौर से उस तहखाने में मेरे बहुत ही खास दोस्त क़ैद है और मुझे उनसे मिलना है तुम अगर कोई ऐसा रास्ता जानती हो जिससे हम काल कोठरी के अंदर जा सके, तो खुदा के लिए बताओ मैं तुम्हे मुँह मांगे इनाम दूंगी !” शहजादी मरयम गुलरेज को धीमी सी दबी आवाज़ में कहती है !
”शहजादी वो सब तो ठीक है अगर शहंशाह को किसी ने इसकी खबर दे दी तो फिर मेरी खैर नहीं। मेरी आँखे नुचवा लेंगे वो !” गुलरेज डरते हुए कहती है !
”तुम्हे कुछ नहीं होगा तुम बस वो रास्ता बताओ और यह भी के किस वक़्त वहां जाना सही रहेगा !” शहजादी मरयम ने पूछा !
“ठीक है शहजादी तो सुनिए क़ैदियों को सिर्फ एक ही टाइम खाने को दिया जाता है वो भी सिर्फ सुबह में उसके बाद पहरेदार सुबह , दोपहर , शाम और रात में एक बार सारे कोठरी का मुआइना जरूर करता है। हमे उसके तहखाने में जाकर वापस आने का इंतज़ार करना होगा फिर हम जा सकते है !” गुलरेज ने कहा !
“वो सब तो ठीक है मगर जाने का रास्ता किधर से है ?” शहजादी मरयम बेचैनी से पूछा !
”बस समझ लो आप की नज़रों के सामने ही है मगर आप देख नहीं पा रही हो !” गुलरेज ने कहा !
”तुम्हारे कहने का क्या मतलब है? समझी नहीं मैं !”शहजादी मरयम ने कहा !
” आप चलो मेरे साथ मैं दिखाती हूँ आप को, मगर खामोश रहियेगा शहजादी !”
पुरे महल में ऊपर के कमरों में आने जाने के लिए कुल आठ सीढिया बनी होती है जिनमे से सीढ़ी स्टोर रूम के पास होती है वहाँ पर बहुत ही कम लोगों का गुज़रना होता है ! गुलरेज शहजादी को अपने साथ लेकर महल के अंदर ही सीढ़ियों के पास लेकर जाती है फिर सीढ़ियों को बहुत ही मोहतात अंदाज़ में इधर उधर देखती है जब उसको इत्मीनान हो जाता है के इस वक़्त अभी वहाँ कोई नहीं है तब वो सीढ़ी के नीचे खड़े होने लायक जगह पर जाकर खड़ी होती है, ठीक सामने की ओर अपने हाथ को दिवार पर रखती है तो बिना शोर के एक दरवाज़ा खुलता है ! गुलरेज शहजादी की तरफ़ देख कर कहती है !
” लीजिए शहजादी खुल गया रास्ता। अब आप जा सकती हो अंदर !
”नहीं गुलरेज अभी नहीं मैं पहले इसके बारे में इरफ़ान भाई को बता दूँ, मैं और इरफ़ान भाई साथ में जायेंगे !” शहजादी मरयम ने कहा !
“मगर शहजादी अगर शहजादे को यह सब पता चल जाये और वो यह सब शहंशाह को बता देंगे तो मेरे लिए बड़ी मुश्किल होगी, बहतर होगा के आप अभी इस वक़्त मेरे साथ चले और अपने दोस्तों को मिल आये !” गुलरेज ने कहा !
“तुम बहुत परेशान हो रही हो इरफ़ान भाई भी उनसे मिलना चाहते है इसलिए इस अँधेरी काल कोठरी में मैं उसके साथ ही जाउंगी। तुम्हारा शुक्रिया मेरी मदद करने के लिए, तुम परेशान न हो। तुम्हारा नाम कंही नहीं आएगा!” शहजादी मरयम ने कहा !
“ठीक है जैसा आप सही समझे। वैसे जिस वक़्त मैं इशारा करू जाने का उसी वक़्त जाना आप। वरना पहरेदारों की नज़र में आप लोग आ जाएंगे और हाँ दरवाज़े के पास ही मशाल रखी है, आप जैसे ही उसे हाथ में लेंगी वो जल जाएगी अब मुझे इजाजत दिजीए !” गुलरेज कहती हुई बावरची खाने में चली जाती है ! मरयम ख़ुशी ख़ुशी शहजादे इरफ़ान को उठाती हुई कहती है !
‘’इरफ़ान भाई जल्दी उठो तहखाने में जाने का रास्ता मिल गया है !”
”क्या ? रास्ता मिल गया मगर कैसे ?” शहजादे इरफ़ान ने उठते हुए पूछा !
”हाँ भाई मिल गया वो भी बहुत ही आसानी से। आप सुनोगे तो खुश हो जाओगे !” शहजादी मरयम ने कहा फिर मरयम इरफ़ान को सारी बातें तफ्सील से बताती है !”
”यह तो दुआ क़ुबूल होने जैसा हो गया मेरी बहन। चलो चलते है मगर हाँ एहतियात से कंही अब्बा को खबर ना लग जाये !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“इरफ़ान भाई रुको मैं कपड़े बदल आती हूँ जरा !” शहजादी मरयम कहते हुए जैसे ही दरवाज़े की तरफ मुड़ती है सामने शहंशाह खड़े होते है !
”कहाँ जा रहे हो तुम दोनों मुझसे छुप कर जरा मुझे भी तो बताओ ?” दरवाज़े से अंदर आते शंहशाह ने कहा तो दोनों के डर से पसीने छूटने लगते है !
शहर धनबाद में :-
”कितनी अच्छी धूप खिली हुई है ना? सर्दियों में धूप में बैठ कर बातें करने का अपना अलग ही मजा है !” आसिफ परी को आते देख कहता है !
“हाँ वो तो है, इसलिए तो मैं भी आ गयी वरना पहले जॉब करती थी तो कभी भी सर्दियों में धूप में बैठते का मौका ही नहीं मिला !” परी ने कहा !
”हम्म यह भी सही है , वैसे एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानोगी? ”आसिफ ने कहा !
”हाँ कहो। भला, मैं क्यों बुरा मानने लगी?” परी ने कहा !
”तुम्हारी यह भूरी आँखे सूरज की रौशनी में चमकती हुई और भी खूबसूरत लग रही है और उससे भी ज्यादा खूबसूरत तुम हो इतना के जितनी भी तारीफ करूँ कम है बस जी चाहता है के तुम्हे यूँ ही सारी उम्र देखता रहूँ !”आसिफ बेहद ही इश्क़िया अंदाज़ में परी को कहता है !
“तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना? तुमने मुझे छत पर अपने खानदान के बारे में बताने के लिए बुलाया है, ना की इस तरह की बात करने के लिए। बैठो तुम ही अकेले मैं जा रही !” परी गुस्से में उठ कर जाने लगती है !
” अच्छा बाबा गलती हो गयी अब माफ़ भी कर दो, अब तुम अच्छी लग रही थी तो जरा सी तारीफ कर दी। चलो बैठो मैं बताता हूँ !” आसिफ ने परी का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा !
”ठीक है बैठती हूँ अब मेरा हाथ तो छोड़ दो !” परी ने आसिफ को घूरते हुए कहा !
“ओह आई एम रियली सॉरी परी , हम्म तो बात उस वक़्त की है जब मेरे दादा ‘सेख अब्दुल हासमी’ जो के एक बहुत ही पहुंचे हुए आलिम थे। जिनके चर्चे दूर दूर तक फैले हुए थे। कैसा भी मसला हो लोगों का जैसे जिन ,भूत, चुड़ैल,जादू सब का इलाज था उनके पास। वो अपने अमल से सब के काम बना दिया करते थे ! एक रोज उनके पास तुम्हारे पापा अपने अम्मी की गुमशुदगी की खबर लेकर गए। उन्हें लगा के उनकी अम्मी पागल हो गयी है और इधर उधर कही चली गयी है !इसी बात का पता लगाने वो मेरे दादा के पास गए थे ।” आसिफ ने कहा !
“क्या सच में ? मगर पापा ने तो मुझे यह सब कभी नहीं बताया था !” परी हैरान होते हुए कहती है !
”अब यह मुझे नहीं मालूम उन्होंने तुम्हे क्यों नहीं बताया ? फिलहाल मैं जो बता रहा हूँ वही सुन लो !” आसिफ ने कहा !
”पापा से तो बाद में पूछती हूँ अच्छा फिर आगे क्या हुआ था बताओ ?” परी ने पूछा !
“मेरे दादा ने तुम्हारे पापा को बताया के उनकी अम्मी जिनो की दुनिया में तहखाने में क़ैद थी, वजह थी कि तुम्हारी दादी और एक जिन के बीच चल रहे सालों से इश्क़ । उस वक्त मेरे दादा के कब्जे में बेहद ही ताक़त वर जिन था, जिसकी मदद से वो उस तहखाने में एक ख़ुफ़िया दरवाज़े से अंदर जाकर तुम्हारी दादी को बस कुछ ही पल में यहाँ ले आये थे! यह बात वहाँ के शहंशाह को नागवार गुज़री वो अपना इन्तेक़ाम लेने के लिए तरकीबे निकालने लगा। मगर उस वक़्त बात नहीं बनी। मगर जब मेरे दादा ने उसी शंहशाह के क़बीले के जिनो को अपना गुलाम बनाना शुरू कर दिया, फिर वो जलाल में आ गया। सब से पहले तो उन्होंने तुम्हारे पापा का एक्सीडेंट करवा कर उन्हें अपाहिज बना दिया, क्योंकी उनसे उन्हें पुरानी खुन्नस थी ! उसके बाद यह जंग शुरू हो गयी, इसमें जिनो के साथ साथ मेरे दादा , मेरे दो चाचा चाची उनके बच्चे , मेरी अम्मी सब खतम हो गए !” आसिफ आँख साफ करते हुए कहता है !
”फिर तुम और तुम्हारे अब्बा कैसे बच गए ?” परी ने पूछा !
“मेरे अब्बा झाड़ फूँक से बहुत चिढ़ते थे उस वक़्त इसलिए वो इन सब माहौल से परेशान होकर मुझे और मेरे अम्मी के साथ कोलकाता में अलग रहते थे। अम्मी उन दिनों यहाँ धनबाद घूमने को आयी हुई थी फिर क्या उनकी जान भी इस हादसे में चली गयी। तब से मैं और अब्बा वापस यहाँ आ गये रहने , मैंने फिलहाल कुछ सालों से ही अमल करना शुरू किया है, क्योंकी मैं एक आलिम खानदान से हूँ मुझे बहुत जल्द ही कामयाबी हासिल हो गयी !” आसिफ ने कहा !
“तो क्या अब तुम भी झाड़ फूँक करोगे ?” परी ने कहा !
“नहीं बिलकुल भी नहीं। मगर हाँ कभी जरुरत पड़ी तो इस्तेमाल भी करूँगा वैसे एक बात कहूँ अगर तुम्हारी इजाजत हो तो?” आसिफ ने कहा !
“हाँ कहो ?” परी ने कहा !
“यह मोती तुम्हारे है ना ?” आसिफ ने अपनी जेब से सफ़ेद सच्ची मोतियाँ निकाल कर परी को दिखाते हुए कहा तो परी थोड़ा सा घबरा जाती है !
” हाँ मगर यह तुम्हे कहा से मिला ?” परी ने पूछा !
” हम्म तुम्हारे कमरे से और मुझे यह अच्छे से मालूम है यह कोई आम मोती नहीं है, यह वो मोती है जो तुम्हे उस जिन ने दिया है जो हॉस्पिटल में तुम्हारे साथ था। कही तुम अपनी दादी के ही नक़्शे क़दम पर तो नहीं चल रही हो ना ?” आसिफ परी की तरफ सवालियाँ नज़रों से देखते हुए कहता है !
”नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम्हे गलत फहमी हुई है। मैं भला किसी जिन से तालुक क्यों रखने लगी ?” परी ने नज़र चुराते हुए कहा !
”Oh COME ON परी मुझसे तो झूठ मत बोलो , तुम्हारे हाथ की ऊँगली में जो बेश किमती अंगूठी है क्या वो इस दुनिया की है ? मैं सब जनता हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, एक बार भरोसा कर के तो देखो !” आसिफ ने कहा !
परी आसिफ की बातें सुन कर सोच में पड़ जाती है उसे समझ नहीं आ रहा होता कि वो क्या बोले अब ?
”बोलो परी चुप क्यों हो ? तुम बिना डरे अपनी बातें मुझसे कह सकती हो AFTER ALL मैं तुम्हारा दोस्त हूँ सब से पहले , माना के मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मगर, उससे पहले तुम मेरी दोस्त हो और अपनी इस दोस्त की मैं हर कीमत पर मदद करूँगा !” आसिफ झूठी मुस्कराहट चेहरे पर सजाये कहता है !
“आसिफ असल में तुम सच कह रहे हो मुझे एक जिन बहुत पसंद है। हमने तो सगाई भी कर ली है मगर ना जाने क्यों हफ्ते भर से उससे मुलाक़ात नहीं हुई है। मेरा मन बहुत घबरा रहा है ! क्या तुम मेरी मदद करोगे उसका पता लगाने में ?” परी ने बड़ी ही मासूमियत से कहा !
“हाँ क्यों नहीं परी? चलो अभी के अभी मैं तुम्हे बताता हूँ बस उसकी कोई चीज़ तुम्हारे पास है तो बताओ ?” आसिफ ने कहा !
“हाँ है ना यह अंगूठी उसी ने मुझे पहनाई है तो उसकी ही हुई !” परी ने कहा !
“ठीक है तुम आराम से बैठो और हाँ खामोश रहना और हाँ अपना हाथ आगे करो !” आसिफ ने कहा तो परी अँगूठी वाले हाथ को आसिफ के तरफ कर देती है वो उसका हाथ थामे काफी देर तक कुछ पढ़ता रहता है फिर एक फूँक अँगूठी पर मरता है तो उसके नग में धुआँ सा छटते दिखता है उसके बाद उसमे उन्हें महल उसके बाद एक अँधेरी जगह दिखती है, जहाँ एक छोटी से मशाल जल रही होती है फिर उन्हें दिवार से टेक लगाए मायूस उमैर दिखता है !
”आसिफ देखो यही है उमैर यह कहा क़ैद है ?” परी ने पूछा !
”हम्म परी इसे और इसके पूरे परिवार को उमर क़ैद सजा मिली है, तुमसे मोहब्बत करने की !” आसिफ ने कहा !
“तो क्या उमैर और उसकी बहने हमेशा क़ैद रहेंगी आसिफ? मैं अपने उमैर से कभी नहीं मिल पाऊँगी !” परी दर्द से भरे लहज़े में कहती है !
”नहीं परी मेरे होते हुए ऐसा कभी नहीं होगा तुम घबराओ मत। मैं हूँ ना, मैं छुड़ा कर लाऊंगा तुम्हारे उमैर और उसके परिवार को, उस ज़ालिम शहंशाह के क़ैद से। वैसे भी मुझे उस शहशांह से अपने खानदान का बदला भी लेना है !” आसिफ कहता है !
“पर तुम यह सब कैसे करोगे ?” परी ने पूछा !
“वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो बस इतना बताओ तुम और उमैर कैसे मिले मेरे कहने का मतलब वो तुमसे मिलने कैसे आता था !” आसिफ ने पूछा !
“वो वो मेरे कमरे में जो दादी का आईना है ना, वो उसी के जरिये मुझसे मिलने आया करता था उसकी दुनिया में भी एक बिल्कुल ऐसा ही आईना है !” परी ने कहा तो आसिफ अपने भौवे चढ़ाता हुआ कुछ देर कुछ सोचने लगता है ! फिर कहता है
” चलो समझो अब तुम्हारा काम और भी आसान हो गया ! बस समझो आज रात में मैं तुम्हारा काम कर दूँगा उसके लिए मुझे तुम्हारे कमरे में आना होगा रात में। मगर तब, जब अंकल आंटी सो गये हो। तुम बस मेरे व्हट्सप्प मैसेज का इंतज़ार करना। अच्छा अब मुझे जाने दो कुछ तैयारियाँ भी करनी है मुझे तुम बेफिक्र रहो। तुम्हे तुम्हारे उमैर से मैं मिलवाऊंगा !”
आसिफ के जाने के बाद परी सोचों में उलझी रहती है के क्या उसने सही किया? आईने और उमैर के बारे में आसिफ को सब बता कर? या उससे कोई बहुत बड़ी गलती हो गयी है ! परी रात होने का इंतज़ार करते हुए नीचे अपने मम्मी पापा के पास आ जाती है !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-34
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Written By- Shama Khan
“इश्क़ में बेचैनी मिली है हर एक के किस्से में है ,
हर एक दिल को खवाहिश अपने महबूब की है
यह प्यार इश्क़ मोहब्बत का फ़साना भी कितना अजीब है
कही मिलन तो कही जुदाई आशिक़ों के हिस्से में है !“