Kitni mohabbat hai – 66
“कितनी मोहब्बत है”
कितनी मोहब्बत है – 66
तेज बारिश में भीगते हुए वो दो जिस्म एक दूसरे से लिपटे हुए थे जो एक दुसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे ! अक्षत और मीरा एक दूसरे को गले लगाए हुए वही खड़े रहे बारिश थी की रुकने का नाम नहीं ले रही थी ! अक्षत को अहसास हुआ की दोनों काफी देर से ऐसे ही खड़े है तो उसने धीरे से कहा,”मीरा !
“हम्म्म्म !”,मीरा ने आँखे मूंदे हुए कहा
“ठण्ड लग रही है !”,अक्षत ने एकदम से कहा तो मीरा अक्षत से दूर हटी और मुस्कुरा दी ! अक्षत भी मुस्कुराने लगा तो अक्षत ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर ले आयी ! मीरा ने नौकर से टॉवल लाने को कहा , अक्षत पूरी तरह भीग चुका था ! मीरा ने टॉवल लिया और खुद ही अक्षत का सर पोछते हुए कहने लगी,”पागल है इतनी बारिश में ऐसे ही चले आये , सर्दी लग जाएगी !”
“तुमसे मिलने की ख़ुशी में कुछ याद नहीं रहा !”,अक्षत ने प्यार से मीरा को देखते हुए कहा
मीरा ने अक्षत के बाल पोछे और टॉवल वापस नौकर को थमा दिया ! उसने नौकर से अक्षत के लिए कपड़ो का इंतजाम करने को कहा ! कुछ देर बाद अक्षत नौकर के साथ चला गया और मीरा भी कपडे बदलकर हॉल में आ गयी ! कुछ देर बाद अक्षत भी आया लेकिन भीगने की वजह से उसे ठंड लग रही थी , मीरा ने उसे शॉल ओढ़ाया और कहा,”आप बैठिये हम आपके लिए चाय लेकर आते है !”
अक्षत सोफे पर आ बैठा मीरा उसके लिए चाय बनाने चली गयी , कुछ देर बाद वह चाय लेकर आयी और अक्षत को दी अक्षत ने जैसे ही एक घूंठ पीया मुस्कुरा उठा ! उसे मुस्कुराते देखकर मीरा ने पूछा,”क्या हुआ चाय अच्छी नहीं बनी ?”
“बहुत अच्छी है !”,अक्षत ने कहा
“फिर ?”,मीरा ने कहा
अक्षत ने प्यार से मीरा की और देखते हुए कहा,”तुम आज भी चाय में चीनी डालना भूलना गयी !”
“माफ़ करना , लाईये हम अभी दूसरी ले आते है !”,मीरा ने कहा
“नहीं , फीकी चाय पिने की आदत हो चुकी है अब , इन्फेक्ट दिल्ली में मैं हमेशा फीकी चाय ही पिता था !”,अक्षत ने कहा
“अक्षत जी !”,मीरा ने कहा
“हां मीरा , कुछ कहना चाहती हो ?”,अक्षत ने चाय पीते हुए कहा !
“अब हमे छोड़कर मत जाना , ये तीन साल अकेले बहुत मुश्किल से गुजारे है हमने , ऐसा कोई पल नहीं था जब हमने आपकी कमी महसूस ना की हो !”,कहते कहते मीरा भावुक हो गयी ! अक्षत ने उसे अपने पास आने का इशारा की मीरा उसकी बगल में आ बैठी तो अक्षत ने उसके सर को चूमते हुए कहा,”ये तीन साल मेरे लिए वैसे ही थे जैसे रेगिस्तान में भटकता कोई प्यासा , ऐसा कोई मंदिर , कोई दरगाह नहीं बची थी जहा मैंने तुम्हारा साथ ना माँगा हो ! तुम कहती थी प्रार्थना करने से सब मिल जाता है , तुम सही कहती थी सच्चे दिल से कुछ मांगो तो जरूर मिलता है !”
“हमे यकीन था आप जरूर कामयाब होंगे !”,मीरा ने कहते हुए अपना सर अक्षत के कंधे पर रख दिया ! अक्षत ने शॉल से दोनों को ढका और मीरा का हाथ थामकर उसे तीन सालो में जो जो हुआ बताने लगा और मीरा खमोशी से सुनती रही , उसे सिर्फ अक्षत की आवाज को सुनना था वो आवाज जो मीरा अक्षत के ना होने पर भी अक्सर महसूस किया करती थी !
अमर के बदले व्यवहार पर राधा को थोड़ी हैरानी भी हुई जब अमर सबसे अलग बालकनी में खड़ा किसी से फोन पर बात कर रहा था तब राधा चाय देने के बहाने उसकी और आई उसने अमर को चाय दी और वही खड़े हो गयी ! अमर ने फोन रखा और चाय पिने लगा राधा को वहा खड़ा देखकर उसने कहा,”तुम शायद कुछ कहना चाहती हो ?”
“अमर ये सब जो हो रहा है क्या सच में तुम में बदलाव आया है या फिर से अक्षत को कोई दर्द देना चाहते हो तुम ?”,राधा ने कहा
“नहीं राधा ऐसा कुछ नहीं है , मैं पहले ही उन बच्चो को अलग करके बहुत बड़ी गलती कर चुका हु अब मैं उनकी खुशिया छीनना नहीं चाहता !”,अमर ने कहा तो राधा को कुछ तसल्ली मिली लेकिन वह निश्चिंत होना चाहती थी इसलिए उसने कहा,”लेकिन अचानक से तुम में ये बदलाव ?”
अमर मुस्कुराया और कहने लगा,”मेरे इस बदलाव की वजह अक्षत है , उस लड़के ने जो कहा वो अपनी मेहनत और लगन से करके दिखाया , बनारस में जब मैंने उसे देखा तो बहुत खुश हुआ लेकिन अपनी ख़ुशी उसके सामने जाहिर नहीं की , मैं देखना चाहता था जितने के लिए वो क्या कर सकता है ? लेकिन उसने सच का साथ दिया और उसकी ये बात बहुत अच्छी लगी , उसने हमेशा मुझे सर कहकर बात की , जब वह केस हार गया तब भी उसने कहा की वो और मेहनत करेगा और मीरा को लेने आएगा ! बड़े बड़े लोग जहा मेरे सामने नजरे झुकाकर बात करते है वहा तुम्हारा बेटा मेरी आँखों में देखकर बात करता है , वह बहुत स्वाभिमानी है राधा अपनी मंजिल पाने के लिए उसने कभी गलत रास्ता नहीं चुना ! मीरा के लिए उसका प्यार सच्चा था और सच्चा प्यार करने वालो को तो भगवान भी दूर नहीं कर सकता तो मैं तो एक इंसान हु !! तुमने अपने बच्चो को बहुत अच्छे संस्कार दिए है राधा !!”
अमर की बातो में राधा को सच्चाई नजर आ रही थी ! उसने कहा,”मुझे माफ़ कर देना अमर , अनजाने में मैंने भी तुम्हे बहुत ठेस पहुंचाई है आज अगर मेरी दोस्त जिन्दा होती तो तुम्हे इस रूप में देखकर बहुत खुश होती !”
“वो एक बुरा वक्त था राधा जो अब गुजर चुका है , अतीत में जो हुआ उसे भुलाकर हम अपने बच्चो के साथ एक नयी शुरुआत कर सकते है !”,अमर ने कहा
“तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है अमर , मैं वादा करती हु मीरा इस घर में हमेशा खुश रहेगी उसे कभी माँ की कमी महसूस नहीं होगी !”,राधा ने अमर के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा
“जानता हु इसलिए मीरा को तुम्हारे घर भेज रहा हु , दुल्हन बनाकर !”,अमर ने कहा
बीते वक्त के गीले शिकवे भुलाकर अमर और राधा वही खड़े बाते करते रहे बारिश रुकने के बाद अमर ने कहा,”बारिश रुक गयी है अब मुझे चलना चाहिए , शादी की तैयारियां भी करनी है !”
“हां चलिए !”,कहते हुए राधा अमर के साथ हॉल में चली आयी , विजय और अमर एक दूसरे से गले मिले और एक दूसरे को मुबारकबाद दी ! सबसे मिलकर अमर वहा से निकल गया !
बारिश रुकने के बाद अक्षत भी वहा से घर के लिए निकल गया ! अमर जैसे ही घर पहुंचा उसने मीरा से कहा,”अक्षत से आपका रिश्ता तय करके आये है , आज शाम पंडित जी से शादी की तारीख निकलवा लेंगे ,, आपको जो कुछ भी चाहिए बता दीजियेगा !”
मीरा ने अमर के मुंह से ये सब सूना तो उसकी आँखों में आंसू आ गए ! वह कुछ बोल ही नहीं पाई अमर वहा से जाने लगा तो मीरा ने कहा,”पापा !”
मीरा के मुंह से पहली बार अपने लिए पापा सुनकर अमर के कदम वही रुक गए , उनकी आँखों में नमी उतर आयी , मीरा के मुंह से ये शब्द सुनने के लिए वो ना जाने कबसे तड़प रहे थे और आज जब सूना तो उनकी आँखे भर आयी उन्होंने अपने आंसुओ को आँखों में ही रोक लिया और मीरा की और पलटकर कहा,”हां मीरा !”
मीरा ने उनकी आँखों में देखा और फिर दौड़कर उनके गले लग गयी ! एक सुखद अहसास अमर को उस वक्त हो रहा था उन्होंने कांपते हाथ से मीरा का सर सहलाते हुए कहा,”क्या बात है मीरा ?”
“हमे आपसे अब और कुछ नहीं चाहिए , अक्षत जी ही हमारी सारी दुनिया थे और वो आप हमे दे रहे है ,, इस से ज्यादा कीमती हमारे लिए क्या हो सकता है ? हम आपको समझ ही नहीं पाए , हमेशा आपसे दूर रहे , आपको अपनी माँ की मौत का जिम्मेदार समझा , आपको ठेस पहुंचाई हमे माफ़ कर दीजिये पापा ,, इन तीन सालो में हमने आपके साथ रहकर देखा है आप हमसे कितना प्यार करते है , आपने हमारी हर जरूरत पूरी की , हमारा साथ दिया आप बहुत अच्छे है पापा , बहुत अच्छे इंसान है !!”,मीरा ने रोते हुए कहा
अमर मुस्कुराने लगे , आज का दिन उनके लिए बहुत अच्छा था जिन्होंने उन्हें गलत समझा वो सभी आज उन्हें अपना मान रहे थे ! अमर ने आँखों में आये आंसू पोछे और कहने लगे,”हम भले अच्छे पिता ना बन पाए पर आप एक बहुत अच्छी बेटी है , आपने अपना हर फर्ज निभाया आपने अपने पिता के फैसले का सम्मान भी रखा और अपने प्यार को भी निभाया ,, आप बहुत मजबूत और समझदार बेटी है मीरा और अब इस समझदार बेटी की जिम्मेदारी हम किसी और के हाथो में सौंपने जा रहे है !”
“नहीं हम कही नहीं जायेंगे !”,मीरा ने उनके गले लगे हुए कहा।
“बेटियों को तो एक ना एक दिन जाना ही पड़ता है , और आप किसी अनजान घर में थोड़े जा रही है बल्कि अपने ही घर में जा रही है !”,अमर ने बड़े प्यार से कहा
अमर को अपनी बेटी मिल चुकी थी और मीरा को उसके पापा ! अमर और विजय ने मिलकर शादी की तारीख निकलवाई जो की 4 दिन बाद की थी ! शादी में बहुत कम वक्त था इसलिए अमर ने विजय से कहा की सभी बंदोबस्त वह करवा देंगे ! अमर ने अपने सभी रिश्तेदारों को न्योता भिजवा दिया , सौंदर्या भुआ तो उसी शाम आ गयी वह मीरा के लिए बहुत खुश थी ! बाकि घरवाले भी आ चुके थे और घर के सभी लोग मीरा की मान मनुहार कर रहे थे ! दूसरी तरफ अक्षत के घर में भी तैयारियां चल रही थी ,, जीजू और तनु जो की अक्षत के साथ घरवालो से मिलने आये थे उन्हें भी राधा ने अक्षत की शादी के लिए वही रोक लिया ! राधा चाहती थी अक्षत और मीरा की शादी के सभी शगुन एक ही घर में साथ साथ हो लेकिन अमर ने मना कर दिया क्योकि उनके रस्मो रिवाज अलग थे , यहाँ तक के शादी से पहले अक्षत और मीरा को एक दूसरे से मिलने की इजाजत भी नहीं थी ! अक्षत ने अमर की बात मान ली , सबने देखा अक्षत ने इतनी आसानी से ये बात मान ली जबकि मीरा को देखे बिना तो उसे चैन ही नहीं आता था ! पर ये कोई नहीं जानता था की वक्त के साथ अक्षत में परिपक्वता आ चुकी थी लेकिन जीजू इस बात को महसूस कर रहे थे !
हल्दी वाले दिन सुबह सुबह अक्षत हल्दी में पहनने वाले कपड़ो को लेकर कन्फ्यूज था जीजू और अर्जुन उसके कमरे में आये और बिस्तर पर पसरते हुए कहा,”अरे कुछ भी पहन लीजिये वकील साहब क्या फर्क पड़ता है !”
“जीजू ये व्हाइट वाला अच्छा है या ये ग्रीन वाला ?”,अक्षत ने जीजू से पूछा
“ग्रीन वाला अच्छा है साले साहब , जल्दी से पहनो और निचे चलो आपकी हल्दी का फंकशन है”,जीजू ने कहा
“हम्म दो मिनिट में आया !”,कहकर अक्षत बाथरूम की और चला गया ! जैसे ही बाहर आया जीजू और अर्जुन ने एक साथ कहा,”जच रहे हो !”
तीनो निचे चले आये , बाहर लॉन में हल्दी का फंक्शन था सभी मेहमान वहा मौजूद थे , अक्षत आकर सबके बिच बैठा सबने बारी बारी अक्षत को हल्दी लगना शुरू किया , अर्जुन और जीजू मीरा का नाम लेकर उसे बार बार छेड़ रहे थे और वह बस मुस्कुरा कर रह जाता जबकि असल में वह उस जगह मीरा की कमी महसूस कर रहा था ! दूसरी तरफ अपने परिवार वालो बिच बैठी मीरा को भी हल्दी लग रही थी ! उसने राजपूती पोशाक पहन रखी थी और घर
की सभी औरते मंगल गीत गाते हुए उसे हल्दी लगा रही थी ! दूर खड़े अमर की ये सब देखकर आँखे नम हो गयी मीरा ने जब उन्हें दूर खड़े देखा तो अपने पास आने का इशारा किया , अमर ने आँखों के किनारे साफ किये और मीरा के पास चले आये मीरा ने कहा,”आप हमे हल्दी नहीं लगाएंगे ?”
अमर ने मुस्कुराते हुए अपनी उंगलियों में हल्दी उठायी और मीरा के गालो पर लगाते हुए कहा,”आप हमेशा खुश रहे और हमेशा ऐसे ही मुस्कुराती रहे !”
मीरा मुस्कुरा दी अमर बाकि इंतजाम देखने के लिए वहा से चले गए !
शाम को जीजू , निधि , तनु , अर्जुन और नीता बाजार चले गए , उन्होंने अपने लिए शादी के कपडे गहने और सामान खरीदा और देर रत लौट आये अक्षत अपने कमरे सो रहा था , सब निचे हंसी मजाक कर रहे थे और अक्षत नहीं था और जीजू ने कहा,”अरे जिसकी शादी है वो कहा है ?”
“भैया ऊपर सो रहे होंगे अपने अपने कमरे में !”,निधि ने कहा
“अरे ऐसे कैसे सो सकता है वो ? हम लोग यहाँ उसके लिए जाग रहे है और वो आराम से सो रहा है ! मैं अभी जाकर उसे लाता हु !”,कहते हुए जीजू उठे और अक्षत को लाने चले गए , ऊपर कमरे में आकर देखा अक्षत सोया हुआ था जीजू ने उसे उठाने की कोशिश की तो अक्षत ने मुंह पर तकिया रखकर नींद में बड़बड़ाते हुए कहा,”सोने दो ना जीजू , सुबह से ये सब रस्मे करते करते थक गया हु”
“तुम्हे ही शादी का लड्डू खाना था !”,जीजू ने कहा
अक्षत ने साइड में पड़ा तकिया जीजू को फेंककर मारा और कहा,”अरे जाईये ना आप !”
जीजू ने अक्षत को उठाकर कंधे पर डाला और कमरे से बाहर निकल गए अक्षत ने उतारने को कहा लेकिन जीजू कहा उसकी सुनने वाले थे लाकर उसे निचे सबके बिच सोफे पर पटका ! अक्षत की नींद उड़ चुकी थी वह उठकर बैठ गया ! उसने जीजू को खा जाने वाली नजरो से देखा और राधा से कहा,”क्या है माँ ?
“तेरी शादी है नालायक और क्या है ? अभी से पतियों वाली हरकते करने लगा तू !”,अर्जुन ने उसके सर पर एक चपत लगाते हुए कहा !
“शादी है तो ये सब टॉर्चर करना जरुरी है क्या ?”,अक्षत ने कहा
“टॉर्चर थोड़े है बेटा ये सब तो शादी की रस्मे है , सबको निभानी पड़ती है !”,राधा ने प्यार से समझाया
“भाभी एक कप कॉफी मिलेगी ?”,अक्षत ने नीता से कहा
“हां बिल्कुल अभी लाती हु !”,कहकर नीता किचन की और चली गयी जीजू आकर अक्षत की बगल में बैठे और फुसफुसाते हुए अक्षत से कहा,”साले साहब कहा ये कॉफी के चक्कर में रात बर्बाद कर रहे हो , हमारे साथ चलो पीछे लॉन में फुल इंतजाम है !”
“सच में !”,अक्षत की आँखे चमक उठी
“हां ! मैंने अपने हाथो से किया है !”,जीजू ने उसी अंदाज में कहा तो अक्षत ने एकदम से जोर से सबके सामने कहा,”तनु दी ये जीजू किसी इंतजाम की बात करे है , पीछे लॉन में !”
“कैसा इंतजाम सोमित ?”,तनु ने जीजू से पूछा
“क क क कुछ नहीं , ऐसे ही मैं तो कल के मेहँदी फंक्शन की बात कर रहा था , मौसाजी ने कहा था अंदर हॉल के बजाय बाहर खुले में रखते है फंक्शन !”,जीजू ने हकलाते हुए कहा
“अच्छा वो , लेकिन उसमे आप मर्दो का क्या काम ? वो तो ओरतो का काम है उसका इंतजाम तो हम लोग कर लेंगी !”,राधा ने कहा
“हो सकता है जीजू को भी मेहँदी लगवानी हो !”,अक्षत ने जीजू की और देखकर कहा
जीजू उसके करीब आये और फुसफुसाते हुए कहा,”मीरा मिल गयी तो जीजा के अहसानो को भूल गया , मुझे मरवाने पर तुला है सबके सामने कुछ भी बोल रहा है , देख लूंगा तुझे !”
“जरूरत नहीं है मुझे देखने वाली तो आ रही है , अब आप दिल्ली का रास्ता देखो !”,अक्षत उठा और सामने से आती नीता के हाथ से कॉफी लेकर उनसे कहा,”थैंक्यू भाभी , चीकू कहा है ?”
“वो और काव्या सो चुके है , दिनभर मस्ती कर रहे थे दोनों कुछ देर पहले ही उन्हें सुलाकर आयी हु , आपको और कुछ चाहिए ?”,नीता ने कहा
“नहीं भाभी थैंक्यू !”,कहकर अक्षत बालकनी की और आया और जेब से फोन निकालकर मीरा को फोन लगाया रात के 10 बज रहे थे , मीरा सबके साथ अपने कमरे में बैठी थी , जैसे ही अक्षत का फोन आया उसने सबको देखकर फोन काट दिया , अक्षत को अजीब लगा उसने एक बार फिर फोन किया फोन बजा तो सौंदर्य भुआ ने छेड़ते हुए कहा,”अरे उठा लो उठा लो , दामाद जी का ही होगा तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा होगा ना !”
सौंदर्या की बात सुनकर सभी हंस पड़ी और मीरा का चेहरा शर्म से लाल , उठकर भी नहीं जा सकती थी फोन बजता रहा तो उसने उठाकर कान से लगा लिया ! “फोन क्यों काटा ?”,अक्षत ने कहा
“हम्म्म्म !”,मीरा इसके अलावा कुछ बोल नहीं पाई
“अच्छा कोई है क्या साथ में ?”,अक्षत मीरा की आवाज से समझ गया
“हम्म्म्म !”,मीरा ने फिर वही कहा
“अच्छा तो मैं बाद में करता हु !”,अक्षत ने कहा।
“हम्म्म्म !”,मीरा ने तीसरी बार हम्म कहा तो अक्षत ने फोन काटकर जेब में रख लिया ! उधर मीरा ने फोन रखा तो उसकी बहनो में से एक ने कहा,”फोन क्यों काटा ? बेचारे जीजाजी बात करना चाहते थे”
मीरा मुस्कुराई और कहा,”उनके साथ तो हम हमेशा ही रहेंगे तब कर लेंगे बाते , पर आप लोगो के साथ तो कुछ ही दिन है ना !”
मीरा की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए !!
उधर अक्षत ने कॉफी खत्म की और फिर जीजू , अर्जुन , लक्ष्य के साथ पीछे लॉन में चला आया , पीछे दादू पहले से पैग हाथ में लिए बैठे थे ! सबने आपने अपने लिए जगह बनाई और बैठ गए ! अक्षत को जब जीजू ने ऑफर की तो उसे दो बार गलती से पि हुई याद आ गयी और उसने हाथ जोड़कर कहा,”माफ़ करो हम ऐसे ही ठीक है !”
“हम ? देखा दादू अभी से मीरा की बोली बोलने लगे है जनाब”,जीजू ने अक्षत को छेड़ते हुए कहा
“कुछ भी समझो , पर जो है सो है वैसे भी मैंने मीरा से वादा किया है मैं ये सब नहीं पियूँगा ! और आज तो मुझे सम्हालने के लिए वो भी नहीं है !”,अक्षत ने दादू के लिए पैग बनाते हुए कहा
“अरे उसकी चिंता क्यों कर रहे हो ? सम्हालने के लिए मैं हु ना तुम्हारी मेल मीरा !”,जीजू ने नजाकत से कहा तो सभी हंस पड़े ! अक्षत ने ढक्कन फेंककर मारा लेकिन बाद में खुद भी हंस पड़ा ! जीजू ने उसकी और एक पेग बढाकर कहा,”शादी के नाम से एक पेग तो बनता है यार , और जिसकी शादी है वो ही नहीं पियेगा तो महफ़िल में रौनक नहीं आएगी ना !”
“सिर्फ एक !”,अक्षत ने ग्लास लेकर कहा
“हां बस एक !”,जीजू ने कहा
अक्षत एक बार में ही गटक गया और ग्लास टेबल पर रख दिया ! पर हल्का हल्का नशा होने लगा था ! अक्षत वही बैठ गया सभी कुछ ना कुछ अपनी बाते बता रहे थे और अक्षत मीरा के बारे में सोच रहा था ! उसे मुस्कुराता देखकर जीजू ने कहा,”क्या बात है साले साहब एक पेग से चेहरे पर बड़ी रौनक आ गयी है आपके !”
“काहे की रौनक जीजू बेचारा मीरा से नहीं मिल पा रहा , उसके घरवालो ने मना किया और ये मान भी गया !”,अर्जुन ने कहा।
“इस बेचारे में इतनी हिम्मत कहा है की वहा जाये और मीरा से मिलकर आये ?”,जीजू ने अर्जुन की बात का समर्थन करते हुए कहा
“क्यों इसे तंग कर रहे हो ?”,दादू ने कहा
“हम कहा तंग कर रहे है दादू ? वो तो ये कह रहे है की अक्षत में दम नहीं है !”,अर्जुन ने कहा
अक्षत उठा सबको देखा और लड़खड़ाते हुए कहा,”आप सबको लगता है मैं डरपोक हु , मुझमे हिम्मत नहीं है !”
”यस , हां , बिल्कुल”,जीजू अर्जुन और लक्ष्य ने एक साथ कहा
“चलो फिर”,अक्षत ने कहा
“कहा ?”,जीजू ने कहा
“चलो !”,कहते हुए अक्षत वहां से आगे बढ़ गया ! अर्जुन ने जीजू से कहा,”जीजू लगी 2000 की ये अब पक्का मीरा के घर जाएगा !”
“डन नहीं जाएगा !”,जीजू ने भी कहा
“अरे कैसे नालायक हो तुम दोनों ? वो नशे में है कही इधर उधर चला गया तो मुसींबत हो जाएगी , बगैर उसे लाने के तुम लोग यहाँ बैठकर शर्त लगा रहे हो ! जाकर वापस लाओ उसे !”,दादू ने जीजू और अर्जुन को झिड़कते हुए कहा तो दोनों उठकर अक्षत के पीछे चले गए ! अक्षत को हल्का सा नशा था बाकि पुरे होश में था वो , उसने रघु से चाबी मंगवाई और बाइक लेकर निकल गया ! पीछे पीछे निधि की स्कूटी से अर्जुन और जीजू भी चल पड़े , दोनों शर्त को लेकर डिस्कस कर रहे थे अक्षत की उन्हें परवाह ही नहीं थी बल्कि दो हजार हारने जितने की पड़ी थी ! तीनो मीरा के घर के पिछली साइड पहुंचे अक्षत को पता था मीरा का कमरा ऊपर है वह पाइप के सहारे चढ़ने लगा जीजू और अर्जुन अभी भी 2000 के लिए झगड़ रहे थे ! अक्षत बालकनी में लटक गया उसने मीरा को फोन किया , मीरा ने फोन उठाया तो अक्षत ने कहा,”तुम कोई सवाल नहीं करोगी चुपचाप उठकर अपने कमरे की बालकनी में आओ , अभी”
अक्षत ने फोन काट दिया मीरा उठी और सबके बिच से निकलकर बालकनी में आई अक्षत को वहा देखकर हैरान रह गयी और उसके पास आकर कहा,”आप यहाँ क्या कर रहे है वो भी ऐसे ? ऐसे चोरो की तरह क्यों आये है ?
मीरा की चोर वाली बात सुनकर अक्षत मुस्कुराने लगा तो मीरा ने कहा,”मुस्कुरा क्यों रहे है ? किसी ने आपको देख लिया तो”
“याद है मीरा पहली बार जब मिले थे तब भी तुमने मुझे चोर समझ लिया था , हाउ क्यूट ना ?”,अक्षत ने नशे में कहा
“आपने फिर से शराब पि है ?”,मीरा ने कहा
“नहीं मैंने जानबूझकर नहीं पि वो तो जीजू ने पीला दी , मुझे अपना प्रॉमिस याद है मैंने नहीं तोड़ा लेकिन जीजू ने कहा एक बार पिने से कुछ नहीं होता तो मैंने पि ली !”,अक्षत ने बच्चो की तरह सफाई देते हुए कहा
अक्षत मीरा को उस वक्त बहुत मासूम लग रहा था उसने कहा,”कोई बात नहीं पर अभी आप यहाँ से जाईये प्लीज , किसी ने आपको इस तरह देखा तो सही नही होगा !”
अक्षत ने मीरा को अपनी और आने का इशारा किया मीरा जैसे ही उसके करीब आयी अक्षत ने उसके गाल पर किस करके कहा,”आई लव यू !” और सीधा निचे कूद गया गनीमत था उसे कोई चोट नहीं आयी ! अक्षत वहा से वापस चला गया मीरा अपने गाल को हाथ लगाए खड़ी रही पीछे से आकर लड़की ने कहा,”दीदी यहाँ क्यों खड़ी हो ? अंदर चलो !”
“ह्म्म्मम्म ,, ह्म्मम्म्म्म !”,मीरा ने चौंकते हुए कहा और उसे लेकर वापस अंदर चली आयी , अक्षत की इस हरकत पर उसे हंसी भी आ रही थी और प्यार भी ! जीजू शर्त हार गए और अर्जुन के साथ घर वापस चले आये ! सुबह अक्षत सोकर उठा और निचे आया तो देखा जीजू मुंह लटकाकर बैठे है अक्षत ने उनके पास आकर कहा,”क्या हुआ चेहरा क्यों उतरा है आपका ?”
“थोड़े दिन उस से मिले बिना नहीं रह सकते थे !”,जीजू ने अक्षत को घूरते हुए कहा
“किस से ?”,अक्षत को जैसे कुछ याद ही नहीं था !
“तुम्हारी वजह से मैं 2000 की शर्त हार गया !”,जीजू ने कहा
“सुबह सुबह क्या बोल रहे हो आप जीजू ?”,अक्षत ने कहा , उसका फोन बजा तो वह उठकर बाहर चला गया !! उसी दिन घर में मेहँदी का फंक्शन था , अक्षत के हाथो में मीरा के नाम की मेहँदी लगी ! उसी शाम घर में पार्टी थी जिसमे अक्षत के कॉलेज फ्रेंड्स और कुछ और लोग भी शामिल हुए थे ! अक्षत उन सब में बिजी हो गया ! मीरा के घर पर भी कई रस्मे थी , शाम को उसके हाथो में भी मेहँदी लगी , उसकी बहनो ने उसकी मेहँदी में छुपाकर अक्षत का नाम लिख दिया !
और आखिर में शादी वाला दिन भी आ गया ! दूल्हा बना अक्षत अपनी मीरा को लेने अपने पुरे परिवार के साथ घर से निकला , बारात में सभी शामिल थे नीता की तरफ से उसके घरवाले और हनी भी आया था , हनी के पापा ने उसके लिए निधि का हाथ मांगा तो विजय और राधा की ख़ुशी तो जैसे दुगनी हो गयी ! सभी नाचते गाते मीरा के घर पहुंचे , राजपुताना ढंग से उन सबका आलिशान स्वागत हुआ , अमर ने विजय जी के साथ बाकि घरवालो को फूलो का हार पहनाया , सभी अंदर आये ! अक्षत की नजरे तो बस मीरा को तलाश रही थी और उसकी बेचैनी देखकर जीजू और अर्जुन उसे छेड़ रहे थे ! अक्षत मंडप में था और जैसे ही मीरा सामने से अपनी बहनो के साथ आयी तो बस अक्षत तो जैसे पलके झपकना ही भूल गया , मीरा ने वही राजपूती पोशाक पहन रखी थी जो सावित्री ने उसके लिए रखी थी , मीरा घूंघट में थी लेकिन झीनी होने से उसका चेहरा साफ नजर आ रहा था ! मीरा आकर अक्षत की बगल में बैठ गयी ! शादी की रस्मे शुरू होने लगी , अक्षत बिच बिच में मीरा की और देख लेता , पंडित जी ने पुरे विधि विधान से दोनों की शादी की , शादी के बाद कुछ रस्मे हुयी जो अक्षत और मीरा ने पुरे दिल से निभाई ,,
सबने शादी में खूब एन्जॉय किया , दी जीजू , अर्जुन नीता , निधि हनी और बाकि सब मेहमान भी अक्षत मीरा को साथ देखकर बहुत खुश थे ! रातभर सभी का मान सत्कार होता रहा ! सुबह सभी विदाई के लिए मौजूद थे मीरा ने खुद को सबके सामने सम्हाल लिया पर जैसे ही वह अमर के सामने आयी फफक कर रो पड़ी , अमर ने उसे सम्हाला और कहा,”हम आपको बहुत मजबूत हाथो में सौंप रहे है , हमेशा खुश रहना और अपना ख्याल रखना !”
अमर ने मीरा का हाथ अक्षत के हाथो में सौंप दिया दोनों ने अमर के पेअर छुए ! सभी रिश्तेदार उनके साथ चलकर मीरा को विदा करते हुए दरवाजे तक आये मीरा को रोता देखकर जीजू भी रो पड़े तो अर्जुन ने कहा,”अब आप क्यों रो रहे है ?”
“मीरा ही थोड़े जा रही है मेरे साले साहब भी तो मुझसे दूर जा रहे है !”,जीजू ने सुबकते हुए कहा
जीजू की बात सुनकर सब हसने लगे और बेचारा अक्षत उसने सर पीट लिया ! तभी भीड़ से एक अंकल आये और कहा,”अरे रे ये बेचारे कौन है ? कबसे रो रहे है ?”
अर्जुन मुस्कुराया ओर जीजू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”ये हमारे दूल्हे राजा की मुंहबोली सहेली है !”
अर्जुन की बात सुनकर माहौल एक बार फिर हंसी के ठहाको से गूंज उठा और भीड़ से आवाज आयी
“आये हाय कितनी मोहब्बत है !”
समाप्त – kitni-mohabbat-hai-67
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संजना किरोड़ीवाल