Kitni mohabbat hai – 65
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
कितनी मोहब्बत है – 65
अस्सी घाट की आरती देखने के बाद अक्षत होटल चला आया और खाना खाकर लेट गया ! मीरा की उसे बहुत याद आ रही थी , आज जब उसने शिवम् और सारिका को साथ देखा तो मीरा का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया , वह सोचने लगा शादी के बाद मीरा और वह भी ऐसे ही खुश रहेंगे ! उन सबके बारे सोचते हुए अक्षत को नींद आ गयी ! सुबह जब अक्षत उठा तो एक बहुत ही खूबसूरत सुबह थी , बारिश का मौसम था और ठंडी मन को शांत करने वाली हवाएं चल रही थी ! अक्षत खिड़की पर आकर खड़ा हो गया और वहा का नजारा देखने लगा सामने नदी बाह रही थी , मधुर संगीर कानो में , पूजा अर्चना की आवाजे अक्षत के कानो में पड़ रही थी इस से प्यारी सुबह भला कोई हो सकती थी !! अक्षत कुछ देर वही खड़ा प्रकृति की सुंदरता को निहारता रहा और उसके बाद नहाने चला गया , नहाधोकर वह निचे आया नाश्ता किया और अपनी गाड़ी लेकर सीधा शिवम् के ऑफिस आ पहुंचा जहा वह दूसरी पार्टी से मिलने वाला था ! शिवम् के ऑफिस में बैठा अक्षत उनके आने का इन्तजार कर रहा था , चपरासी ने कॉफी दी और चला गया अक्षत कॉफी पीते हुए वहा पड़ी कोई मैगजीन देख रहा था की कुछ देर बाद एक आदमी अपने वकील और शिवम् के साथ अंदर आया , शिवम ने उनका परिचय देते हुए अक्षत से कहा,”अक्षत जी ये है इस केस से जुड़े दूसरे शख्स मिस्टर ‘अमर सिंह राजपूत’
अक्षत ने जैसे ही ये नाम सूना हक्का बक्का रह गया उसके सामने मीरा के पिता अमर खड़े थे , अक्षत ने अपना हाथ उनकी और बढ़ा दिया लेकिन अमर ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया और अक्षत को ताना मारते हुए कहा,”ओह्ह तो आप है , हमारी बराबरी नहीं कर पाए तो सीधा लड़ने चले आये ,, वैसे आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा ,, लड़ने में मजा आएगा !!”
“आप दोनों बात कीजिये मैं अभी आता हु !”,कहकर शिवम् वहा से चला गया
अमर अक्षत के सामने पड़े सोफे पर आ बैठा और कहा,”सूना है काफी तररकी कर ली है आपने , और ये भी सुनने में आया है की ये आपका पहला केस है लेकिन जो केस आपने अपने हाथो में लिया है उसे जितना आसान नहीं है !”
“मैं नहीं जानता था ये केस आपके खिलाफ है !”,अक्षत ने सहजता से कहा
“जानते नहीं या ना जानने का नाटक कर रहे हो , मुझे हराने का इस से अच्छा मौका और तुम्हे कहा मिलेगा ?”,अमर ने कहा
“मैं यहा हारने या हराने के लिए नहीं आया हु बल्कि सच का साथ देने आया हु , जिस जगह को आप अपना बता रहे है वो मेरे क्लाइंट की है जिस पर वह अपनी फैक्ट्री बनाकर यहाँ के लोगो की मदद करना चाहता है , फिर आप क्यों इसके खिलाफ है ? आपको आपकी संस्था के लिए और जगह भी मिल जाएगी !”,अक्षत ने कहा
“वकील साहब या तो आप बहुत भोले है या बहुत चालाक बनने की कोशिश कर रहे है ! जिस फैक्ट्री की आप बात कर रहे है वो यहाँ के लोगो के लिए नहीं बल्कि शहर से बाहर माल सप्लाई करने के लिए बनायीं जा रही है , जिसमे काम करने वाले लोग भी बाहर से ही होंगे मतलब यहाँ के लोगो को उसके बनने से ना कोई रोजगार मिलेगा ना ही को फायदा ! फैक्ट्री से निलकने वाले विषैले पर्दार्थो के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है जिसका साफ मतलब है की वो सारा गन्दा कचरा मणिकर्णिका घाट की नदी में जाएगा , एक ऐसा चलता रहा तो एक साल में यहाँ की नदिया बंजर हो जाएगी और ये मैं हरगिज नहीं होने दूंगा !”,अमर ने कहा
“आप ये इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकते है ?”,अक्षत को उनकी बातो में कुछ सच्चाई दिखी !
“पहले जाकर अपने आंकड़े साफ कीजिये , उसके बाद बात करते है ,, रही बात केस की तो वो मैं आपको हरगिज नही जितने दूंगा !!”,अमर ने कहा
“मेरे आंकड़े साफ है सर , मैं इसे जितने की पूरी कोशिश करूंगा !”,कहकर अक्षत वहा से उठा और बाहर निकल गया ! अमर को वहा देखकर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , अमर का गुस्सा और नफरत अक्षत के लिए अब भी वही थी उसमे कोई बदलाव नहीं आया था !! अक्षत अपने ही मन से उलझा हुआ था अगर वह केस हारता है
तो अमर से किया वादा पूरा नहीं कर पायेगा , और अगर जीत गया तो अमर की नफरत शायद उसके लिए कभी ख़त्म ना हो ! अक्षत ने बिना किसी को बताये अपने हिसाब से केस की छान बिन की सुबह से शाम तक वह इसी में लगा रहा अगले दिन उस केस को लेकर कोर्ट में सुनवाई थी , अक्षत ने वहा के वकील को सब समझा दिया कैसे क्या करना है ? एक घंटे की लम्बी बहस के बाद अदालत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और सुनवाई को दो घंटे बाद का वक्त दे दिया !! दो घंटे बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो अक्षत के साथ वकील ने बढ़ा चढ़ाकर अपना पक्ष रखा जिस से वह केस जितने ही वाला था की लास्ट मोमेंट पर अक्षत उठा और उसने बयान बदल दिया ! अक्षत ने अपने हिसाब से जो छान बिन की उसमे अपने ही क्लाइंट को दोषी पाया , अमर ने सही कहा था वो फैक्ट्री लोगो की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए बनायीं जा रही थी ! अक्षत ने उस से जुडी सारी सच्चाई वहा सबके सामने रखी जिसे देखने और सुनने के बाद जज ने अपना फैसला अमर के हक़ में सुनाया अक्षत वह केस हार चुका था लेकिन उसके चेहरे पर हार या अफ़सोस के कोई भाव नहीं थे , उसका क्लाइंट दोषी था जिसके लिए उसे जुर्माना भरना पड़ा , साथी वकील ने भी अक्षत को दो बाते सुनाई और वहा से चला गया लेकिन जज अक्षत के पास आया और उसका कंधा थपथपाते हुए कहा,”अगर वकील इस तरह सच बोलने लगे तो इन अदालतों में कोई भी केस पेंडिंग नहीं रहेगा”
अक्षत मुस्कुराया और वहा से चला गया ! लेकिन जैसे ही वह बाहर आया मीडिया उसके इंतजार में खड़ी थी , अक्षत को देखते ही सबने सवालों की बौछार कर दी
“मिस्टर अक्षत आपने अपने ही केस को हारने के लिए कोर्ट रूम में सबूत पेश किये , ऐसा क्यों ?
“सुनने में आया है की आपने मिस्टर अमर से पैसे लेकर इस केस को हारा है ?
“क्या आपका मिस्टर अमर से कोई सम्बन्ध है ?
“ये आपका पहला केस था और आप इसे हार गए , आपने जितने के लिए जरा सी भी कोशिश नहीं की ऐसा क्यों ?
“मिस्टर अक्षत मीडिया को उनके सवालों के जवाब दीजिये ?
“आप इस तरह खामोश नहीं रह सकते ?
इसी तरह के कई सवाल अक्षत के लिए इधर उधर से आते रहे लेकिन वह चुपचाप वहा से निकल गया ! अमर केस जितने से खुश था वह शिवम् से मिला शिवम् ने उन्हें जमीन के पेपर्स दिए और साथ ही उनका शुक्रिया अदा भी किया की उन्होंने फैक्ट्री की सच्चाई उनके सामने रखी ! वही मुरारी अक्षत के बारे में सोचकर थोड़ा परेशान था की जब वह आसानी से जीत सकता था तो हारा क्यों ? शिवम् ने अमर को शाम तक वही रुकने को कहा ताकि वे अस्सीघाट पर होने वाली महा आरती में शामिल हो सके ! शिवम् के आग्रह करने पर अमर रुक गए ! अमर को गेस्ट रूम में छोड़कर जब शिवम् बाहर आया तो मुरारी को सोच में डूबा देखकर कहा,”क्या बात है मुरारी ? ऐसे काहे खड़े हो !”
“भैया एक्को बात नहीं समझ आय रही !”,मुरारी ने कहा
“कोनसी बात मुरारी ?”,शिवम् ने कहा
“यही की उह वकील साहब चाहते तो जीत सकते थे फिर साला इनसे हारे क्यों ?”,मुरारी ने कहा
“क्योकि वो सच के लिए लड़ रहे थे”,शिवम् ने कहा
“इह बात तो है पर हमको न बहुते जबरदस्त फीलिंग आ रही की उह अंदर बैठे आपके मेहमान और उह वकील साहब का कोई न कोई सीन तो जरूर है !”,मुरारी ने कहा
“का तुम भी कुछ भी सोचने लगते हो , शाम की आरती का बंदोबस्त कीये की नाही किये ! सारिका जी ने कहा है पुरे 1100 दीपक चाहिए उनको वहा जलाने के लिए इंतजाम कर दो”,शिवम् ने कहा
“अरे भैया चिंता नाही करो सीता मैया कछु कहे और हनुमान जी ना माने इह हो सकता है भला , अभी जाते है और सारा इंतजाम करवा देते है !”,कहते हुए मुरारी ने आँखों पर चश्मा लगाया और वहा से चला गया !
मुरारी अपनी जीप में सवार घाट की और चला जा रहा था उसने जीप साइड में लगाई और पानवाले के पास आकर कहा,”भैया एक्को पान लगा दो ज़रा , और हां चुना कम लगायियो !”
“हीहीहीही अरे का विधायक बाबू , चुना और आपको उह तो हम सोच भी ना सकी है !”,पानवाले ने पान लगाते हुए कहा !
मुरारी वहा खड़ा अपने गमछे से चश्मे के शीशे चमका रहा था की तभी सामने से आते उनके पुराने दोस्त ने कहा,”अरे मुरारी तुम और यहाँ उह भी बिना सिक्योरिटी ?”
“अबे अपने ही शहर में सिक्योरिटी काहे बे ? विधायक बाद में है पहिले बनारस के मुरारी है , क्यों चच्चा ठीक कही ना ?”,मुरारी ने पानवाले की और देखकर कहा
“101 प्रतिसत सही कहे हो बबुआ , इह लो तुमरा पान !”,पानवाले ने पान मुरारी की और बढ़ा दिया मुरारी ने पान मुंह में रखा और सामने खड़े अपने दोस्त से कहा,”आज शाम महा पूजा में आ रहे हो ना ?”
“अरे बिल्कुल आ रहे है पर पहले तुम इह बताओ तुम तो इह पान खाना छोड़ दिए थे फिर आज कैसे ?”,दोस्त ने कहा
“देखो दोस्त छोड़ने के लिए जिंदगी में बहुत कुछ है , वैसे भी एक्को ही जिंदगी है साला किस किस से परहेज करेंगे !”,मुरारी ने पीक थूकते हुए कहा
“तुम भी ना बवाल हो मुरारी , जिंदगी के असली मजे तो साला तुम्हे ही ले रहे हो , खुले सांड की तरह घूमते थे और साला बीवी मिली तो चाँद जैसी उसपर फूल सा बच्चा और रही सही कसर विधायकी ने पूरी कर दी , तुमरे तो ऐश ही ऐश है मुरारी !”,दोस्त ने कहा
“इतना भी आसान नहीं है शादीसुदा जिंदगी को सम्हालना उस पर तब जब घर में भौकाल जैसा प्राणी रखे हो !”,मुरारी ने दूसरी बार पीक थूकते हुए कहा
“तो का इनडायरेक्टली भाबी को भोकाल बताय रहे हो तुम , शिकायत कर दे तुम्हारी ?”,दोस्त ने मुरारी की टांग खींचते हुए कहा
“अरे भौकाल ही है और उन्होंने हमरी जिंदगी में बहुते बवाल मचा रखा है , बाकि शिकायत की बात है तो बाबू ऐसा है डरने के नाम पर सिर्फ भोलेनाथ से डरते है बाकि किसी के बाप से भी नहीं”,मुरारी ने कहा
“हेहेहेहे मैं तो मजाक कर रहा था मुरारी , चलो शाम को मिलते है !”,दोस्त ने कहा और वहा से चला गया ! मुरारी इंतजाम देखने घाट पर आया उसे देखते ही वहा का स्टाफ और मंदिर के पुजारी दौड़े चले आये , पंडित जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा,”अरे विधायक जी आप काहे चले आये , सन्देश भिजवा दिया होता हम चले आते !”
“का बात कर रहे हो पंडित जी , बनारस हमारा है , आपके सामने इह घाट पर खेल खेल कर बड़े हुए है और आज आप कह रहे आपको वहा बुला लेते काहे ? हम अभी भी उह ही मुरारी है जो आपको तंग करते थे”,मुरारी ने अपनेपन से कहा
“अरे बिटवा इह बोलकर हमरा मान बढ़ा दिए हो !”,पंडित जी ने कहा
मुरारी ने घुमकर सारा बंदोबस्त देखा दोपहर से शाम होने को आई और फिर अपने आदमियों से कुछ काम बताकर जैसे ही जाने लगा उसकी नजर घाट की सीढ़ियों पर बैठे अक्षत पर गयी , मुरारी उसकी और चला आया और उसके साइड में बैठकर कहा,”और वकील साहब अकेले हिया काहे बैठे है ?”
अक्षत ने सामने बहते पानी को देखते हुए कहा,”उन सवालो के जवाब ढूंढ रहा हु जिनके जवाब है ही नहीं !”
“वकीलों वाली भासा ना हमको बिल्कुल समझ नहीं आती , वैसे आज का केस बड़ा दिलचस्प रहा सुनने में आया की जितने वाले थे आप और जानबूझकर हार गए ऐसा काहे ?”,मुरारी ने कहा
“हां मुरारी जी जितने वाले थे और जीत भी चुके थे पर उस जीत को देखकर अंदर ही अंदर कुछ चुभ रहा था , जिस शहर ने हमे इतनी खूबसूरत यादे दी हो उसके साथ अन्याय होता नहीं देख पा रहे थे बस हार गए लेकिन सच जीत गया !”,अक्षत ने कहा
“कैसा अन्याय ?”,मुरारी ने कहा तो अक्षत ने उसे सारी बाते बता दी !
“इह तो समझ आ गया पर एक्को बात और जाननी थी , उह सेकेण्ड पार्टी से कोनो रिस्ता है का आपका ?”,मुरारी ने कहा
“वो एक लम्बी कहानी है !”,अक्षत ने कहा
“हां तो सॉर्ट में सूना दीजिये !”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा !
अक्षत ने मुरारी को अमर के बारे में बताया , मुरारी ने सूना और कुछ देर बाद सोचते हुए कहा,”इह साला ससुरो का परोब्लम ही यही है , अच्छे लौंडे उनकी आँखों के सामने रहेंगे लेकिन नजर नहीं आएंगे और साला किसी भी ऐरे गैरे को ले आएंगे , साला कोई एक्को बात बताये हमे पैसा प्यार से बड़ा होता है का ? लेकिन इन बाप लोगो को अक्ल नहीं आती है , हमरी कहानी में भी यही हुआ मेग्गी का बाप मानने को तैयार ही नहीं था उनको तो हम लगते थे आवारा लम्पट , और बाप का पहले पहल तो खुद बेटी भी मानने को तैयार नहीं रही ,, बहुत पापड़ बेले है भैया का बताये इह मोहब्बत के चक्कर में साला अच्छे अच्छे लोंडो का तेल निकल जाता है !”
“मैग्गी कौन है ?”,अक्षत ने कहा
“अरे वही हमरी मिश्राइन , प्यार में अंधे हुए थे ना तो मैग्गी ही बुलाते थे उह को , उह का है ना उसके बाल मैग्गी जैसे हि है और उसकी बाते भी उलझी उलझी , अब तो प्यार से मिश्राइन बुला लेते है उनको !”,मुरारी ने कहा
मुरारी की बात सुनकर अक्षत हंसने लगा मुरारी ने उसे हँसता हुआ देखा और कहा,”आपसे एक बात कहे चाहे जितनी परेशानिया आये हिम्मत मत हारियेगा , हमारे शिवम् भैया और सारिका भाभी उह तो 14 साल एक दूसरे से दूर रहे पर आखिर में मिले ना तो आपको भी आपकी मीरा जरूर मिल जाएगी और जिस दिन साला इन ससुरो को हम लौंडो की अहमियत समझ आएगी ना ये खुद सामने से चलकर आएंगे !”
अक्षत ने मुरारी की और देखा और कहा,”आप बहुत अच्छे इंसान है , एक अनजान शहर में आप हमारा साथ दे रहे है , हमे इतनी हिम्मत दी उसके लिए शुक्रिया !”
“तो फिर लोगो की फ़िक्र छोड़िये ऐसे 100 केस आएंगे आपके पास , भोलेनाथ सबकी सुनते है और आप जैसे सच्चा प्यार करने वालो की तो जरूर सुनेंगे ! जाने से पहले आज की महा आरती देखकर जाईयेगा !”,मुरारी ने उठते हुए कहा और फिर वहा से चला गया ! अक्षत उसे जाते हुए देखता रहा , मुरारी से बात करके उसका मन काफी हल्का हो चुका था ! केस हारने के बाद नाराज इशिका के बड़े पापा ने अक्षत से बात की और हारने की वजह पूछी तो अक्षत ने कहा की वह दिल्ली आकर इस बारे में बात करेगा !! अपनी जिंदगी का पहला केस अक्षत हार गया इस बात का उसे थोड़ा दुःख भी था लेकिन एक सुकून भी था की उसने कुछ गलत नहीं होने दिया !
शाम की महा आरती में अस्सी घाट पर भक्तो की भीड़ जमा थी ! अक्षत भी जाने से पहले वहा चला आया उसने जब अस्सी घाट का नजारा देखा तो बस देखता रह गया , चारो और दियो की सजावट , शंखनाद , सुंदर सुंदर कपड़ो में सजे लोग , अघोरी बाबा , साधु महात्माओ का जमाखेड़ा , मंदिर से आती घंटियों और आरती का स्वर उस माहौल को और भी खुशनुमा बना रहा था ! अक्षत एकटक सब देखता रहा , जैसे ही महा आरती शुरू हुई वह आँख मूंदकर खड़ा हो गया और भोलेनाथ से आने वाली जिंदगी और मीरा की खुशिया मांगने लगा , आरती खत्म होने की बाद जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो पाया की अमर हाथ जोड़े उसकी बगल में खड़े थे उन्होंने सामने देखते हुए अक्षत से कहा,”हारने के बाद मुंह छुपाकर यहाँ खड़े हो , मुझसे सामना करने की हिम्मत नहीं हो रही !”
अक्षत मुस्कुराया और उनकी और देखकर कहा,”आपसे सामना करने की लिए मुझे हिम्मत की जरूरत नहीं पड़ती है सर , रही बात हारने की तो कभी कभी हार जाना सही होता है , झुक जाने में भलाई है ,, अपने अहम् को संतुष्ट करने के बजाय मैंने सच सामने लाना सही समझा और वही मैंने किया !”
“पर तुम मुझसे हार गए”,अमर ने घमंड के साथ कहा
“इसका मुझे कोई अफ़सोस नहीं है की मैं आपसे हारा हु , बल्कि अपने पापा के सामने जाकर गर्व से कह सकता हु की मर्दो वाला काम करके आया हु !”,अक्षत ने कहा
अक्षत की बात सुनकर अमर खामोश हो गए अक्षत सामने देखते हुए कहने लगा,”जिंदगी में हमेशा जीतना इम्पॉर्टेंट नहीं होता सर , कई बार हारना भी पड़ता और हार का मतलब ये नहीं होता की हम दोबारा जीतने की कोशिश नहीं करेंगे ,, मैंने अपने पापा से एक बात सीखी है सर अगर आपसे लड़ने वाले लड़ने की सही वजह हो तो हार जाने में कोई बुराई नहीं है , फिर सामने वाला चाहे आपका दोस्त हो या फिर दुश्मन !! आपकी बराबरी जरूर करना चाहता हु मैं लेकिन गलत रास्ते से नहीं , और मेहनत करूंगा और जिस दिन लायक हो जाऊंगा आपके सामने जरूर आऊंगा !! जितना मेरे लिए मुश्किल नहीं था पर इस शहर में आने के बाद मैंने देखा की यहाँ के लोग कितने अच्छे एक अनजान को भी वो अपनों जैसा प्यार , मान सम्मान देते है ! आज अगर आप हारते तो ये उनके भरोसे की हार होती , उनकी उम्मीद की हार होती ! जाने अनजाने में अगर मैं कुछ गलत बोल गया हु तो माफ़ी चाहता हु सर ! (कुछ पल रुका और फिर कहा) चलता हु सर काफी लंबा रास्ता तय करना है !”
अक्षत वहा से चला गया और अमर वही खड़ा उसकी कही बातो के बारे में सोचता रहा ! अक्षत जब घाट से बाहर आया तो मुरारी और बाकि सारे लोग उसे वही मिल गए मुरारी ने कहा,”का वकील साहब जा रहे है ?”
“हां सर जाना तो पडेगा ना”,अक्षत ने कहा
“जाने से नहीं रोकेंगे पर वापस जरूर आइएगा उनके साथ !”,मुरारी ने कहा
“जी बिल्कुल आप सबने इतना प्यार दिया , सम्मान दिया हमेशा आपके शुक्रगुजार रहेंगे ,, आप सबसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई !”, अक्षत ने कहा
“हमे भी आपसे मिलकर अच्छा लगा , जो समझदारी आपने दिखाई , इतनी कम उम्र में इतनी समझ पहली बार देख रहे है !”,शिवम् ने कहा
“वक्त सब सीखा देता है सर !”,अक्षत ने मुस्कुरा कर कहा सारिका और अनु भी वही थी अक्षत ने उन्हें भी नमस्ते की काशी , यश और मुन्ना को बाय कहा जाने को हुआ तो सारिका ने एक पैकेट उसकी और बढाकर कहा,”ये आपके लिए !”
“ये सब “,अक्षत ने मना करना चाहा तो मुरारी ने कहा,”अरे रखी लो , बनारस से जाने के बाद हमारी याद भी तो आनी चाहिए ना वकील साहब”
अक्षत मुरारी के गले लगा और कहा,”आप मुझे बहुत पसंद आये , उस से भी ज्यादा आपका ये अंदाज और इस अंदाज को मैं कभी नहीं भूलूंगा , जब भी बनारस का नाम सुनूंगा आपकी याद जरूर आएगी , वैसे आप सब के बारे में और ज्यादा जानने की इच्छा थी पर जाना पडेगा !”
मुरारी ने अक्षत से कहा,”बस इतनी सी बात अरे उह ”राजस्थान” में कोई “संजना किरोड़ीवाल” है हमने सूना है उह हम सबके ऊपर बहुत कुछ लिखी है तो वक्त मिले तो उनको पढ़ लीजियेगा , हमरे और बनारस दोनों के बारे में जान जायेंगे !”
मुरारी की बात सुनकर सभी हंस पड़े अक्षत ने सबको अलविदा कहा और अपनी गाड़ी लेकर वहा से चला गया ! होटल आकर उसने कपडे बैग में रखे और फिर उसी शाम दिल्ली के लिए निकल गया ! मुरारी किसी काम से वापस घाट पर चला आया उसने अमर को देखा तो उनके पास चला आया और कहने लगा,”यहाँ खड़े होकर यही सोच रहे होंगे आप की जीते या फिर हारे !”
मुरारी की इस बात पर अमर उसकी और देखने लगा तो मुरारी ने आगे कहा,”लोगन के सामने आपकी जीत हुई है पर रिश्तें के मामले में आप हार गए , बिना किसी स्वार्थ के जो लड़का एक अनजान जगह के बारे में अच्छा सोचकर और अच्छा करके चला गया वो कितना महान होगा , उस से मिले तीन दिन हुए हमे और उह तीन दिन में बहुत कम बात हुई हमरे बिच पर जब हम उसकी आँखों में देखे रहे एक सच्चाई हमेशा झलकती रही है उन आँखों से ,, आप
बड़े है आपके फैसले की उसने कदर की खुद को इह लायक बनाया , उह मामूली इंसान नहीं है सोने का दिल है उसका सोने का , बस समझने वाला चाहिए !! वैसे आप हिया का कर रहे है चलिए प्रशाद ग्रहण कर लीजिये !”
मुरारी वहा से चला गया ! अमर ने प्रशाद लिया और घाट से बाहर चला आया गाड़ी में आकर बैठा और चलने को कहा !
अक्षत अगली शाम दिल्ली पहुंचा , काफी थक चुका था इसलिए सोने चला गया ,, सुबह जब उठा तो सीधा इशिका के बड़े पापा से मिला उन्हें सारी बात समझायी उन्हें अक्षत का फैसला सही लगा , उन्होंने आने वाले वक्त के लिए उसे बधाईया दी और अगले दिन से कोर्ट ज्वाइन करने को कहा अक्षत अपना काम शुरू करने से पहले एक हफ्ते की छुट्टी चाहता था ताकि घरवालों से मिल सके ! वह तनु के घर आया अपना सारा सामान पैक किया और गाड़ी में रखा , जीजू की गाड़ी उसने खुद रख ली और उनके लिए एक नई गाड़ी खरीदी जिसे जीजू पिछले कई सालो से खरीदना चाहते थे और ये सब उसने अपनी मेहनत से किया ! जीजू खुश थे अक्षत अपने साथ साथ तनु , जीजू और काव्या को भी इंदौर ले आया ! जैसे ही वह घर पहुंचा राधा तो उसे देखकर रो ही पड़ी , पुरे दो साल बाद वह अपने घर आया था , अक्षत सबसे मिला और जब नीता अपने बेटे चीकू को लेकर उसके पास आयी तो वह ख़ुशी से उछल पड़ा , उसने उसे कितने सारे किस कर डाले ! दादी माँ से मिला उनके लिए वह एक बहुत ही सुंदर शाल लेकर आया था , दादू को उसने चुपके से उनकी सबसे पसंदीदा ब्रांड दी , विजय ऑफिस में थे राधा के लिए वह कुछ किताबे लेकर आया था और बाकि सबके लिए भी कई तोहफे ! काव्या थोड़ी बड़ी हो चुकी थी इसलिए वह चीकू के साथ खेल रही थी , सबसे मिलने के बाद अक्षत सभी लोगो के साथ हॉल में बैठा था , उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी , देखकर राधा ने कहा,”ये क्या हाल बना रखा है बेटा ? देख कितना कमजोर हो गया है तु बैठ आज सारा खाना तेरी पसंद का बनेगा !”
राधा नीता के साथ किचन की और बढ़ गयी ! जीजू दादू से बाते करने लगे और तनु निधि के साथ चली गयी ! अक्षत उठा और ऊपर चला आया सहसा ही नजर निधि के कमरे की और चली गयी , मीरा की याद् फिर से उसके जहन में घूम गयी ! अक्षत अपने कमरे में चला आया उसने दरवाजा खोला अंदर आकर लाइट ऑन की तो देखा उसका कमरा , साफ व्यवस्तिथ और जमा हुआ है तभी चाय लेकर आयी नीता ने कहा,”मम्मी जी हमेशा आपके कमरे को साफ सुथरा रखती थी ‘पता नहीं कब वो आ जाये उसे बिखरी हुई चीजे बिल्कुल नहीं पसंद’ पर आप तो आये ही नहीं ,, अब आये है तो वापस मत जाना मम्मी जी बहुत मिस करती है आपको !”
अक्षत की आँखों में ये सुनकर नमी तैर गयी लेकिन उसने उन्हें अपनी आँखों में ही रोक लिया और कहा,”मैंने भी आप सबको बहुत मिस किया है !”
नीता ने उसे चाय दी और कहा,”मीरा से मिले आप ?”
अक्षत ने ना में अपनी गर्दन हिला दी , तीन सालो में मिलना तो दूर उसने मीरा की आवाज तक नहीं सुनी थी ! नीता कुछ देर अक्षत से बाते करती रही और फिर निचे चली आयी , रात के खाने पर सभी मौजूद थे , राधा ने आज सब उसकी पसंद का बनाया था , अक्षत खाने लगा खाने के बाद विजय ने कहा,”आशु तीन साल हो गए है , तुम कहो तो मैं और तुम्हारी माँ जाकर मीरा के पापा से बात करते है , हम उन्हें समझायेंगे”
” नहीं पापा आप और माँ वहा नहीं जायेंगे !”,अक्षत ने बिना किसी भाव के कहा
“लेकिन क्यों बेटा ? आखिर ऐसा कब तक चलेगा , तुम्हारी पढाई पूरी हो चुकी है , एक अच्छी डिग्री तुम्हारे पास है तुम्हारी शादी”,कहते विजय रुक गया तो अक्षत ने बड़े शांत भाव से कहा,”पापा मेरा फ्यूचर मीरा है , उसके अलावा मैं किसी और के बारे में ना सोच सकता हु ना सोचना चाहता हु !”
अक्षत का जवाब सुनकर विजय ने आगे कुछ नहीं कहा !! देर रात तक सभी बाते करते रहे अक्षत सबको अपने तीन सालो के बारे में बताता रहा ! उसने अपना सर राधा की गोद में रखा हुआ था
सुबह अक्षत थोड़ा देर से उठा उसने शेविंग की और वापस अपने पहले वाले लुक में लौट आया ! अक्षत निचे आया उसने नाश्ता किया और काव्या चीकू साथ बैठकर टीवी देखने लगा ! सुबह से ही आज बारिश का मौसम और बादल गरज रहे थे साथ ही संडे होने की वजह से विजय और अर्जुन भी आज घर पर ही थे कुछ देर बाद डोरबेल बजी रघु ने दरवाजा खोला सामने अमर खड़ा था और उसके पीछे बड़े बड़े थाल लेकर चार आदमी खड़े थे ! रघु ने राधा को आवाज लगाई राधा ने अमर को वहा देखा तो हैरान रह गयी !
“क्या मैं अंदर आ सकता हु ?”,अमर ने कहा
राधा ने अमर को अंदर आने दिया अमर को वहा देखकर सभी घरवाले वहा जमा हो गए अमर ने साथ आये आदमियों से वो थाल टेबल पर रखने को कहा और विजय के पास आकर कहने लगे,”मैंने आप सबके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है , जिसके लिए मैं आप सबसे माफ़ी मांगता हु !”
विजय ने कुछ नहीं कहा तो अमर राधा के सामने आया और हाथ जोड़कर कहने लगा,”मुझे माफ़ कर दो राधा मैं तुम्हे समझ नहीं पाया , मैंने तुम्हे बहुत ठेस पहुंचाई है और तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है जबकि मेरे न होने पर तुमने हमेशा सावित्री का साथ दिया , मीरा को अपने पास रखा उसे अच्छे संस्कार दिए ! मैंने तुम सबके साथ जो किया उसे भुलाकर ये शगुन स्वीकार कर लो !”
“शगुन ?”,राधा ने हैरानी से कहा
“हां राधा शगुन मैं मीरा के लिए तुम्हारे घर अक्षत का हाथ मांगने आया हु !”,अमर ने भीगी आँखों के साथ कहा !
घर मे सबने सूना तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन अक्षत बिना किसी भाव के खामोश खड़ा था उसके मन में जो चल रहा था वो सिर्फ वही जानता था ! अमर उसके पास आये और कहने लगे,”मेरी आँखों पर जो दौलत की पट्टी बंधी थी वो तुमने अपने नेक इरादों से खोल दी अक्षत , बनारस से लौटने के बाद मुझे महसूस हुआ की मैं कितना छोटा हु तुम्हारे सामने , जिस जीत पर मैं इतरा रहा था दरअसल वो तुम्हारी मेहनत थी , मैंने तुम्हारे और मीरा के साथ बहुत गलत किया है बेटा मुझे माफ़ कर दो ! तुम दोनों के प्यार के सामने मेरी दौलत कुछ भी नहीं है , मीरा को अपना लो और उसे अपने घर ;ले आओ बस यही चाहता हु मैं !! अपनी इकलौती बेटी का कन्यादान करना चाहता हु मैं !”
अक्षत ने उनके हाथो को थामा और कहा,”खुद को छोटा मत कहिये सर , आप मेरे पिता समान है और मैं कभी नहीं चाहूंगा मेरे पिता को मेरे सामने झुकना पडे” अक्षत की बात सुनकर विजय अक्षत के पास आये और कहा,”मीरा को हम सबकी जरूरत है”
राधा और घरवालों ने सारे शिकवे भुलाकर शगुन स्वीकार कर लिया ! अमर ने अक्षत को तिलक किया और उसे 11 सोने के सिक्के देकर शगुन पक्का किया सभी बहुत खुश थे अक्षत अमर के पास आया और कहा,”सर क्या अब मैं मीरा से मिल सकता हु ?”
अमर ने अक्षत के गाल को प्यार से थपथपाते हुए कहा,”हां , वो पुरे हक़ से”
अक्षत मुस्कुराया और दौड़ पड़ा बाहर आया तो देखा बारिश हो रही थी पर अक्षत आगे बढ़ गया वह अपनी बाइक के पास आया तो जीजू ने पीछे से आवाज लगाई – आशु !
अक्षत पलटा तो जीजू ने बाइक की चाबी उसकी और फेंकते हुए कहा,”बिना चाबी के बाइक स्टार्ट कैसे करेगा ?”
“थैंक्स जीजू !”,अक्षत ने प्यारी सी स्माइल के साथ कहा और बाइक लेकर वहा से चला गया ! राधा उसे रोकने आयी तब तक वो जा चुका था , राधा ने कहा,” आपने उसे रोका क्यों नहीं सोमित ?”
“जाने दीजिये मौसी , तीन सालो का इंतजार है ,, वो थोड़े रुकने वाला है अब !”,जीजू ने कहा और राधा को लेकर अंदर चला आया !!
अक्षत जितनी तेज बाइक चला सकता था उसने चलायी , तेज बारिश में भी वह नहीं रुका और जा पहुंचा मीरा के घर आज उसे किसी गार्ड ने नहीं रोका , अक्षत घर के लॉन में खड़ा जोर से चिल्लाया,”मीरा !!
मीरा ने अक्षत की आवाज सुनी तो दौड़ी चली आयी , सामने से आती मीरा को अक्षत ने देखा मीरा ने पिले रंग की साड़ी पहनी थी , वही सादगी , वही भोलापन और आँखों से मासूमियत झलक रही थी , अक्षत बारिश में पूरी तरह भीग चुका था , मीरा भी उसके पास पहुंची तब तक भीग चुकी थी अक्षत बस एकटक उसे देखे जा रहा था ! मीरा उसके सामने आकर रुक गयी उसकी आँखों में आंसू थे
उसने कांपते होंठो से कहा,”आप जीत गए !”
अक्षत ने ना में गर्दन हिलायी और उसके थोड़ा करीब आकर कहा,”हम जीत गए , हमारी मोहब्बत जीत गयी , हमारा इंतजार जीत गया !!”
अक्षत की बात सुनकर मीरा खुद को रोक नहीं पाई और उसके गले आ लगी ! अक्षत ने भी उसे अपने आलिंगन में भर लिया , दोनों की आँखे बंद थी और उन आँखों में आंसुओ का शैलाब था जो बारिश की बूंदो में घुल रहा था ! वे दोनों उस बारिश में एक दूसरे को गले लगाए भीगते रहे उन्हें ना अपनी सुध थी ना ज़माने की उस वक्त उन्हें कोई देखता तो शायद यही कहता
“उफ्फ्फ कितनी मोहब्बत है !”
क्रमश – kitni-mohabbat-hai-66
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संजना किरोड़ीवाल