Kitni mohabbat hai – 64
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
कितनी मोहब्बत है – 64
अक्षत पानवाले से एड्रेस लेकर मुरारी के घर पहुंचा , गाड़ी एक बड़े से गेट के सामने आकर रुकी अक्षत ने गाड़ी साइड में लगाई और उतरकर गेट के सामने आया , गेट के पास दिवार पर बड़ी सी नंबर प्लेट लगी हुई थी जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था “मुरारी कुमार मिश्रा – बनारस विधायक”
अक्षत को देखकर गार्ड ने गेट खोला और अक्षत से वहा आने के बारे में पूछा तो अक्षत ने कहा,”जी मैं दिल्ली से आया हु किसी काम के सिलसिले में , मुझे आपके विधायक से मिलना है !”
“ठीक है साहब जी अंदर आईये !”,गार्ड ने गेट खोलकर कहा !
अक्षत अंदर चला आया उसने देखा वो बहुत बड़ी खुली जगह थी , हरी घास के मैदान थे और कुछ ही दूर सामने एक बहुत ही प्यारा सा घर बना हुआ था ! गार्ड अक्षत को लेकर आगे बढ़ गया अक्षत ने देखा वो जगह काफी खूबसूरत थी , कुछ ही दूर घर के बिल्कुल सामने कुछ आदमी हाथ बांधे किसी के सामने खड़े थे , अक्षत ने चलते चलते उस बैठे हुए आदमी को देखने की कोशिश की लेकिन नहीं देख पाया ! गार्ड और वह दोनों आकर कुछ ही दूरी पर खड़े हो गए
अक्षत ने उन आदमियों के बिच से देखने की कोशिश की कभी उसे सफ़ेद कुर्ते का कुछ हिस्सा दिखाई देता तो कभी हाथ में पहना कड़ा , अक्षत ने फिर से देखने की कोशिश की तो इस बार उसे धुप वाला चश्मा देखने को मिला लेकिन अक्षत उसका चेहरा नहीं देख पाया !! कुछ देर बाद ही अक्षत ने देखा की सामने बैठा वह आदमी अचानक से खड़ा हुआ और कहने लगा,”तुम लोग का बवाल मचा रखी हो बनारस में हां , जब हम कह दिए की घाट पर किसी तरह का नाटक नहीं चाही है तो मतलब नहीं चाही है ,, उहा बच्चे , औरते , बूढ़े सब होत है ऐसे में उनकी भी तो कछु जिम्मेदारी बनती है की नहीं ,, कमिशनर से कह दियो पूरी सुरक्षा चाहिए नहीं ट्रांसफर करवा दी है , फिर घर बैठ के करियो नौकरी !”
“लेकिन विधायक जी एक घाट पर इतनी कड़ी सुरक्षा मुमकिन नहीं है !”,एक आदमी ने कहा
“कंटाप जानते हो बेटा , उ ही धरके मारेंगे ना तो सारी अक्ल घुटनो से भेजे में आ जाहि है ,, जब तुमरे बेटे की शादी होइ रही तो तुमको अच्छा खासा पुलिस का इंतजाम चाही क्योकि तुम ठहरे वी.आई.पी. पर साला बनारस की जनता के लिए ये नामुमकिन हो गया !! अभी समझा रहे है आज शाम तक बंदोबस्त हो जाना चाही वरना सुरक्षा की जरूरत तुम लोगन को पड़ेगी ,, चलो निकल लो अब !”,मुरारी ने अपना भगवा गमछा गले में घुमाकर कहा ! सामने खड़े लोग उसके आगे क्या बोलते सभी चुपचाप वहा से चले गए !! मुरारी अपनी कुर्सी पर आ बैठा गार्ड उसके पास आया और कहा,”साहब जी आपसे मिलने शहर से कोई बाबू आये है , कह रहे है जरुरी काम है !”
“हां भेजो !”,मुरारी ने कहा
अक्षत मुरारी के सामने आया और अपना हाथ मुरारी की और बढाकर कहा,”हेलो सर मेरा नाम एडवोकेट अक्षत व्यास है , मैं दिल्ली से आया हु”
“बहुत बहुत स्वागत है आपका बनारस में वकील साहब , खड़े काहे है बैठिये ना !”,मुरारी ने अक्षत से हाथ मिलाते हुए कहा ! अक्षत सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा उसने मुरारी को देखा गोरा रंग , साफ सुथरी बनी दाढ़ी मुछ , सफेद कुरता और उस पर गले में पड़ा वो भगवा गमछा मुरारी को आकर्षक बना रहा था , आँखों पर काळे शीशे वाला चश्मा , दाहिने हाथ में चांदी का कड़ा , दूसरे में अच्छी कम्पनी की घडी ऊँगली में सोने की अंगूठी जो धुप में चमचमा रही थी ! अक्षत मुरारी को देखकर काफी प्रभावित हुआ , मुरारी ने आखो से चश्मा हटाते हुए अक्षत से कहा,”कहिये वकील साहब हिया कैसे आना हुआ ?
“सर दरअसल मेरे क्लाइंट ‘प्रमोद कुमार गुप्ता’ की मणिकर्णिका घाट के पास कोई जमीन है जिस पर वह एक फैक्ट्री बनाना चाहते है , लेकिन यहाँ की सरकार का कहना है की वो जमीन सरकारी है और किसी संस्था के लिए अलॉट कर दी गयी है , मेरे क्लाइंट ने उस संस्था के खिलाफ केस दर्ज किया है जिसकी सुनवाई जल्दी ही है ,, सर आप यहाँ के लॉकल विधायक है आपको तो इस बारे मे जानकारी होगी ही की वो जगह मेरे क्लाइंट की है उस पर ऐसे कैसे कोई अपना हक़ जता सकता है ? अगर आप उनके वकील से बात करके कुछ सेटलमेंट कर सके तो ये मेरे लिए अच्छा होगा !”,अक्षत ने शार्ट में मुरारी को अपनी बात बताई , मुरारी को समझते देर नहीं लगी उसने मुस्कुरा कर कहा,”अरे इह तो बहुते छोटी पिरोब्लम है वकील साहब , सुनिए वो जगह सरकारी नहीं है बल्कि हमरे शिवम् भैया ही है , शिवम् कुमार गुप्ता बनारस की सीमेंट फैक्ट्री के मालिक है ,, उन्होंने वो जमीन किसी अच्छे काम के लिए किसी को दी है , अब आप कह रहे की उह जमीन आपके क्लाइंट की है तो भैया से बात करके देखते है का होता है ?”
“थैंक्यू सर !”,अक्षत ने कहा
नौकर दोनों के लिए चाय रखकर चला गया ! मुरारी ने अक्षत को चाय दी और एक कप खुद उठा कर पीने लगा , अक्षत ने चाय पीते हुए कहा,”सर आप यहाँ के विधायक है अभी कुछ देर पहले मैंने देखा आप उन सब लोगो को धमका रहे थे , ऐसा क्यों ?”
मुरारी मुस्कुराया और कहा,”उह का है ना इह है बनारस हिया लोगो को दो तरीके से समझाया जाता है एक बातो से , दूसरा लातो से ,, जो हिया थे वो थे लातो से समझने वाले , जब बातो से नहीं समझते तो कंटाप मारना ही पड़ता है !”
“कंटाप ?”,अक्षत को समझ नहीं आया
“कंटाप नहीं जानते , आपकी भासा में थप्पड़ लगाने को हमारे हिया कंटापे ही बोलते है ,, बनारस हमारा दिल है और हिया के लोगो बहुते भरोसे के साथ हमको अपना विधायक चुना तो अब आप ही बताओ की उन लोगो की तरह जनता को पूरी सुविधा मिलनी चाही के ना चाही , कल शाम अस्सी घाट पर महा आरती है बस उसी के बंदोबस्त कर रहे है”,मुरारी ने कहा !!
“आपसे मिलकर अच्छा लगा , मैं दो दिन यही बनारस में ही हु !”,अक्षत ने कहा
“बनारस में कहा रुके है आप ?”,मुरारी ने कप रखते हुए कहा
“जी यहाँ किसी होटल में रुकूंगा !”,अक्षत ने कहा
“अरे होटल में काहे रुकेंगे , मेहमान है हमरे घर में रुकिए शाम को शिवम् भैया से भी मिलवा देंगे आपको और हमरे साथ बनारस भी घूम लीजियेगा”,मुरारी ने कहा
“लेकिन मैं ?”,अक्षत ने कहना चाहा तो मुरारी ने कहा,”अरे वकील साहब अब आ ही गए है तो हमे भी कछु मेहमाननवाजी का मौका दीजिये !”
“मुझे अपने क्लाइंट और उनके वकील से भी मिलना है सो मेरा जाना जरुरी है !”,अक्षत ने अपनी समस्या बताई
“अच्छा ठीक है , खाना तो खा ही सकते है आप”,मुरारी ने अक्षत से कहा तो अक्षत मना नहीं कर पाया और उठकर मुरारी के साथ चल पड़ा ! मुरारी अक्षत से बाते घर के अंदर आया तो अक्षत की नजर वहा बरामदे में खेल रहे बच्चो पर गयी अक्षत के देखते देखते वहा मौजूद दो बच्चे झगड़ने लगे
“हम खेलेंगे !”,एक बच्चे ने कहा
“अरे पर तुमरी बारी तो लास्ट आयी है , हमारा नंबर है”,दूसरे बच्चे ने मिमियाते हुए कहा
“वो सब हमे नहीं पता , पहले हम खेलेंगे !”,पहले वाले बच्चे ने उसके सामने तनते हुए कहा , अक्षत उन सबको देख रहा था
“ऐसे कैसे खेलोगे ? हमारी बारी है”,दूसरे बच्चे ने थोड़ी हिम्मत दिखाई पर आवाज पहले से भी ज्यादा कमजोर थी की पहले वाले बच्चे ने उसके गाल पर एक थप्पड़ रख दिया और कहा,”बेटा पापा विधायक है हमरे , ज्यादा बोले ना तो दूसरे गाल पे भी कंटाप रख देंगे ,, का समझे , बेट लाओ इधर और चुपचाप बॉलिंग करो !”
अक्षत तो उसे देखता ही रह गया उसने बच्चे के तेवर देखे और फिर फोन पर लगे मुरारी को देखा दोनों में ज्यादा फर्क नहीं था ! दूसरा बच्चा रोने लगा तो मुरारी ने फोन काटा और उनके पास आकर कहा,”का हो गया बबुआ , रो काहे रहे हो ?”
“मुन्ना ने हमे मारा !”,बच्चे ने रोते हुए कहा
मुरारी ने मुन्ना की और देखा वो आँखों में गुस्सा और टतनकर खड़ा था मुरारी ने उस से कहा,”काहे मुनवा काहे पिटे इसको ?”
“खेलने नहीं दे रहा हमको !”,मुन्ना ने कहा
“अंकल इसने इसको थप्पड़ भी मारा और ये भी बोला की मेरे पापा विधायक है , ये हमेशा सबको ऐसे ही बोल के डराता है”,वहा खड़े तीसरे बच्चे ने डरते डरते कहा
मुन्ना ने उसे घूरते हुए धीरे से कहा,”बाहर मिलो बेटा बताते है तुमको”
“का बताओगे बे ? साला विधायकी के नाम पे किसी को भी पिटोगे , अरे तुमरे बाप की इज्जत है बनारस में तो तुम का उसको डुबोने के लिए ही पैदा हुए हो ? खड़े खड़े घूर का रहे हो , सब न तुमरी अम्मा के लाड प्यार का असर है (कहते हुए मुरारी ने अंदर की गर्दन घुमाई और कहा) अरे ! मिश्राइन सुनती हो ?”
अक्षत चुपचाप सब देख रहा था उसने देखा कुछ देर बाद गोरी चिट्टी , घुंघराले बालो वाली , बनारसी साड़ी में लिपटी एक औरत आयी और मुरारी के पास आकर कहा,”क्या हुआ ? ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो तुम ?”
‘चिल्ला रहे है , अपने सपूत को समझाओ जरा , छटांग भर का है जब देखो तब गुंडई करता फिरता है , हम बता रहे है मिश्राइन ऐसे ही चलता रहा ना तो एक्को दिन नाम डुबो दी है इह हमरा !”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा
“हां तो मुझे क्यों सूना रहे हो ? तुम्ही ने सिखाया है ये सब इसे , और सिखाओ इसे कंटाप मारना ,, दोनों बाप बेटे एक जैसे हो”,अनु ने नाख़ून को फूंक मारते हुए कहा !
“तो का इह हमरे अकेले का बेटा है , हम कोनसा इसको बारात में लेकर आये थे !”,मुरारी ने खीजते हुए कहा
“हां हां मैं तो इसे जैसे दहेज़ में लेकर आयी थी , सुनो मिश्रा जी हम पे गुस्सा किये हो तो ठीक नहीं होगा ,, बता रहे है !”,अनु ने तुनककर कहा
अक्षत को ये ड्रामा देखकर हंसी आने लगी ऊपर से मुरारी की भाषा और भी मजेदार थी अक्षत ने देखा सब उसे ही देख रहे है तो उसने खुद को संयत करके कहा,”सॉरी सॉरी सॉरी !
“वकील बाबू ये हमारी पत्नी है अनु और ये हमारा बेटा है मानवेन्द्र मिश्रा , थोड़ा शरारती है माँ पर जो गया है”,मुरारी ने कहते हुए अनु की और देखा !
“नहीं आप पर गया है , बट स्वीट फॅमिली !”,अक्षत ने कहा
“नमस्ते , अंदर आईये ना !”,अनु ने अपना सारा गुस्सा भूलकर अक्षत से कहा
बच्चे खेलने के लिए बाहर निकल गए और अनु मुरारी अक्षत तीनो अंदर चले आये ! मुरारी ने अनु से अक्षत और अपने लिए खाना लगवाने को कहा , अनु ने रसोईये से कहकर खाना तैयार करने को कहा तब तक मुरारी अक्षत के साथ बैठकर बाते करने लगा ! खाना लगने के बाद अनु ने दोनों के लिए खाना परोसा , अक्षत को मुरारी और अनु का बर्ताव अच्छा लगा बस जितने वक्त वो मुरारी के घर था उसने कई बार मुरारी और अनु के बिच मीठी नोक झोक देखी ! मुरारी ने अक्षत से शाम को शिवम् से मिलाने का वादा किया साथ ही गंगा घाट की आरती देखने का कहा , वह उसे जब गेट तक छोड़ने आया तो अक्षत ने मुरारी से कहा,”बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछ सकता हु”
“अरे बिल्कुल पूछो , बुरा काहे मानेंगे”,मुरारी ने ख़ुशी से कहा
“आप और अनु जी में इतनी नोक झोक क्यों रहती है ?”,अक्षत ने कहा
मुरारी हसने लगा और कहा,”अरे उह सब तो प्यार है हमरा , दिन में जब तक नोक झोंक नहीं हो जाती लगता ही नहीं जिंदगी में कछु है ,, हमारी पहली मुलाकात भी झगडे से ही हुई थी”
“आपकी लव मैरिज हुयी थी ?”,अक्षत ने थोड़ा हैरानी से कहा
“हम्म्म्म , तभी तो इतना प्यार है की उनके सारे नखरे उठाते है वरना मुरारी किसी के नखरे उठाये ऐसा बनारस में कोई पैदा नहीं हुआ !”,मुरारी ने कहा
“अच्छा अब मैं चलता हु , आपसे और अनु जी से मिलकर अच्छा लगा !”,अक्षत ने मुरारी से हाथ मिलाते हुए कहा
“शाम को मिलते है , चिंता मत कीजिये शिवम् भैया से मिलके तो और भी अच्छा लगने वाला है आपको “,मुरारी ने कहा
“जी जरूर !”,अक्षत ने कहा
मुरारी ने अपना कार्ड निकालकर अक्षत को देते हुए कहा,”इह रखिये हमरा कार्ड जरूरत पड़ेगी !”
“थैंक्यू !”,कहकर अक्षत वहा से चला गया ! मुरारी वापस अंदर आया और फिर से फोन पर किसी को कंटाप लगाने की बाते करने लगा !!
अक्षत अपने क्लाइंट और उसके वकील से मिला ! शाम को उसने मुरारी से बात की और उसके साथ शिवम् से मिलने जा पहुंचा ! शिवम् के घर में अक्षत मुरारी के साथ घर के बैठक में बैठा था ! कुछ ही देर बाद शिवम की आई आयी और मुरारी से कहा,”अरे ओह्ह मुरारी तनिक हमरे साथ आओ उह अचार की मर्तबान उठाय के रख दो !”
“आई थोड़ी तो इज्जत कर लो हमरी , अरे विधायक है हम हिया के मर्तबान किसी और से रखवा लो , काहे मेहमान के सामने हमरा कचरा करवाय रही हो”,मुरारी ने फुसफुसाते हुए कहा
“बिधायक होंगे अपने घर पर उठते हो की लगाए एक चमाट , चलो चलकर रखो 4 मर्तबान अनु बिटिया के लिए भी भिजवाने है”,आई ने डांटते हुए कहा तो मुरारी ने खिंसियाकर अक्षत से कहा,”हम जरा आते है !”
अक्षत को हंसी तो बहुत आ रही थी पर उसने रोककर कहा,”हम्म्म्म !”
मुरारी उठकर आई के साथ चला गया खिड़की से अक्षत देख रहा था बेचारा बनारस का विधायक मुरारी कुमार मिश्रा कैसे आई के सामने चुप चाप उनकी बाते मान रहा था ! मुरारी ने एक दो मर्तबान रखे की अगला मर्तबान उसके हाथ से छूटकर निचे जा गिरा और सारा अचार निचे फर्श पर फ़ैल गया , आई ने
देखा और फिर शुरू हुआ उनका परम ज्ञान,”अरे रे मुरारी इह का कर दी हो , तुम ना डाक्टरवा से जाय के अपनी आँखे चेक कराओ , सारा अचार गिराय दी हो , सत्यानाश जाये तुमरा एक बेटे के बाप हो चुके हो लेकिन सुधार बिल्कुल नहीं हुआ है तुमरे अंदर ,, तुम तो बस इह धरती पर हमरा नुकसान करने ही आये हो ,, पता नहीं कोनसे जन्म में पाप किये रहे होंगे जो तुम हमरी जिंदगी में आये रहे ! टुकुर टुकुर देख का रहे हो जाओ निकलो हिया से ,, बड़े आये बिधायक , एक मर्तबान तो सम्हाले नहीं सम्हलता बनारस सम्हालेंगे ,, मत मारी गयी तुमरे चाचा की जो तुमको हिया छोड़ गए हमरे सीने पर मुंग दलने को ! कितरा नुकसान कर दीये हो अनु बिटिया को का जवाब दी है अब ?”
बेचारा मुरारी चुपचाप सुनता रहा और वापस अक्षत के पास चला आया अक्षत को आई की आधी बाते समझ आयी आधी नहीं तो उसने मुरारी से कहा,”वो आंटी क्या कह रही थी ?”
“अच्छा उह , उह तो कह रही की हमसे बहुते प्यार करती है !”,मुरारी ने जैसे ही कहा पीछे से आकर परगॉन की चप्पल आकर उसकी पीठ पर लगी ! मुरारी ने मुस्कुराते हुए अक्षत को देखा और कहा,”चप्पल वही रह गयी थी हमरी तो वापस दी है , बस निसाना थोड़ा गलत है !”
अगले ही पल शिवम् कमरे में आया और मुरारी से कहा,”का बात है मुरारी ? आई इतना काहे बिगड़ रही है तुम पे ?”
“का बताये भैया पहिले खुद ही बोले रही मर्तबान रख दो , अब छूटकर टूट गया तो बिगड़ रही है हम पर , हमसे जियादा पियार तो उह अपने अचार से करती है ,, हम बताय रहे है भैया अगर प्रधान मंत्री भी बन जाये तो भी आई के लिए उनके मुरारी ही रहेंगे ,, खैर छोडो ये सब इनसे मिलो इह है अक्षत जी मणिकर्णिका घाट वाली जमीन के बारे में इनको आपसे कछू बात करनी थी !”,मुरारी ने कहा !
“नमस्ते !”,शिवम् ने अक्षत से कहा
“नमस्ते सर !”,अक्षत ने भी हाथ जोड़कर नमस्ते किया ,, शिवम् ने पास पड़ी कुर्सी पर आ बैठा उसने अक्षत की पूरी बात सुनी और कहा,”आपकी बात सही है , पर जिस संस्था को हमने ये जमीन दी है वो काफी बड़े आदमी है और उनके इरादे भी हमे नेक लगे ! फिर भी आपको लगता है की आपका प्रोजेक्ट सही है तो आप एक बार उनसे बात कर लीजिये , कल सुबह वो यहाँ आ रहे है ,, आप उनसे मिलकर अपनी बात उनके सामने रखिये अगर सब सही रहता है तो अपने कलाइंट से कहकर केस वापस ले लीजिये ,, इस से आपके वक्त की भी बचत होगी !”
“जी , जिस संस्था के बारे में आपने बताया है उस प्रोजेक्ट से मैं एग्री हु लेकिन सर जरा सोचिये , अगर उसकी जगह एक फैक्ट्री बनती है तो बनारस में रहने वाले कितने ही लोगो को उसमे रोजगार मिल जाएगा ! ,कोई भी बड़ी फैक्ट्री यहाँ बनती है तो उस से इस शहर का विकास भी होगा साथ ही यहाँ रहने वालो के लिए वहा बनने वाला सामान उचित रकम पर मिलेगा !! शहर का पैसा शहर में ही रहेगा”,अक्षत ने अपनी बात रखी !
शिवम् सोचने लगा तो मुरारी ने कहा,”बात तो इह सही कह रहे है भैया , यहाँ फैक्ट्री होगी तो आम जनता के रोजगार की संभावना तो बढ़ेगी ही ! संस्था का क्या है उह के लिए आप कही दिलवा दीजिये , कहो तो हम बंदोबस्त कर देते है !”
“नहीं मुरारी हमने उनको जबान दी है , उनसे मिलकर इस विषय पर बात करते है उह के बाद ही कोई फैसला करना सही रहेगा !”,शिवम् ने कहा
“इट्स ओके सर , मैं आपको फ़ोर्स नहीं कर रहा सिर्फ अपने कलाइंट के इरादे बता रहा हु !”,अक्षत ने कहा
“हम आपकी बात से सहमत है ! कल सुबह जैसे ही वो आते है हम आपकी उनसे मुलाकात करवा देते है वे काफी सज्जन है आपकी बात जरूर समझेंगे !”,शिवम् ने कहा ! कुछ देर बाद ही नौकर चाय नाश्ता रखकर चला गया , शिवम ने अक्षत से चाय लेने को कहा कुछ देर बाद 11 साल की एक प्यारी सी बच्ची हाथ में अपनी गुड़िया लेकर आयी उसकी आँखों में आंसू थे अक्षत को वो बहुत मासूम लगी उसने शिवम् के पास आकर कहा,”देखिये ना बाबा , यश भाई ने हमारी गुड़िया तोड़ दी !”
शिवम् ने उसके हाथ से गुड़िया ली और उसे देखते हुए कहा,”यश आपसे छोटा है न तोड़ दिया तो कोई बात नहीं हम आपके लिए दूसरी गुड़िया लाएंगे !”
अक्षत एकटक उसे देखे जा रहा था , उसके चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी तो शिवम् ने कहा,”ये हमारी बेटी है ‘काशी’ (और काशी से कहा) अंकल को नमस्ते करो”
काशी ने अपने दोनों हाथ जोड़कर अक्षत की और देखकर कहा,”नमस्ते अंकल !”
अक्षत ने प्यार से उसके गाल को छुआ और कहा,”नमस्ते बेटा , आपका नाम बहुत प्यारा है”
“शुक्रिया !”,काशी ने कहा और फिर वहा से चली गयी
“इतनी छोटी सी बच्ची इतनी शुद्ध हिंदी बोल रही है जानकर हैरानी हुई !”,अक्षत ने काशी से प्रभावित होकर कहा
“अरे इह तो हमरी भाभी के दिए संस्कार है , आप मिले नहीं अभी मिलवाते है”,मुरारी ने कहा और आवाज लगाई,”सारिका भाभी , सारिका भाभी”
लेकिन ना कोई जवाब आया ना ही सारिका आयी तो मुरारी ने शिवम् से कहा,”भैया हमरी कोई नहीं सुनता आप ही बुला लीजिये !”
शिवम् मुस्कुराया और कहा,”सरु , ज़रा यहाँ आना !”
अक्षत ने देखा कुछ ही देर बाद एक बहुत ही खूबसूरत , सफ़ेद रंग की लाल बॉर्डर वाली बनारसी साड़ी में पहने , सरु मतलब सारिका वहा आयी और शिवम् से कहा,”जी , आपने बुलाया हमे !”
“इनसे मिलिए ये हमारे मेहमान है , अक्षत जी !”,शिवम् ने अक्षत की और हाथ करके कहा , सारिका ने अपने हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए कहा,”नमस्ते !
अक्षत ने सारिका को देखा तो उठ खड़ा हुआ और कहा,”इन्हे कौन नहीं जानता , आप सारिका शर्मा है मुंबई बिजनेस टाइकून , स्कूल में था तब आपका आपका इंटरवयू पढ़ा मैंने , आज आपको सामने देखकर अच्छा लगा !”
“बिजनेस टायकून है नहीं थे , अभी तो इन्ही की नौकरी कर रहे है !”,सारिका ने शिवम् की और देखकर कहा तो अक्षत और मुरारी हंस पड़े ! सारिका ने देखा अक्षत ने कुछ नहीं खाया है तो उसने कहा,”अरे ! आपने तो कुछ खाया ही नहीं , लीजिये ना !”
“थैंक्यू !”,अक्षत ने कहा
“अच्छा , सरु सुनिए यश को जरा समझाइये ना काशी को परेशान ना किया करे !”,शिवम ने सारिका से कहा
“ठीक है हम ध्यान रखेंगे !”,कहकर सारिका वहा से चली गयी !!
अक्षत ने नाश्ता किया और फिर मुरारी के साथ वापस निकल गया ! शाम हो चुकी थी सूरज भी ढलने लगा था मुरारी अक्षत को लेकर अस्सी घाट पर आया ! अक्षत ने देखा वहा सुबह से भी ज्यादा भीड़ जमा थी , चारो और सुगन्धित वातावरण था , शंखनाद और घंटियों की आवाजों से कानो को एक अलग ही सुकून का अहसास हो रहा था ! मुरारी को वहा देखकर सभी उसे नमस्ते किये जा रहे थे और मुरारी सबको हँसता मुस्कुराता जवाब देता जा रहा था अक्षत ने देखा विधायक होकर भी मुरारी में बिल्कुल अहम् नहीं था ! दोनों ने भोलेनाथ के दर्शन किये और फिर सीढ़ियों की और बढ़ गए ! वहा खड़े होकर अक्षत घाट की विशाल आरती देख रहा था ! उसे ये सब देखकर बहुत अच्छा लग रहा था , साथ ही मीरा की भी बहुत याद आ रही थी , मीरा ने इस जगह के बारे में सच ही कहा था अक्षत से , अक्षत अपलक उस नज़ारे को निहारता रहा , भोलेनाथ की भक्ति , शंखनाद , आरती का स्वर , प्रजवलित अग्नि और सुगंधित धुँआ देखकर अक्षत का मन खुश हो गया वह एक पल के लिए सब भूल चुका था , अपना पद , अपना केस , वो जमीन सब बस कुछ याद था तो मीरा वह उस नज़ारे को देखते हुए बुदबुदाने लगा
बनारस के इस घाट पर कुछ इस उम्मीद में खड़ा हु मैं
की तुम आकर किसी पहर ठन्डे पड़े इन हाथो को थाम लोगो यु ही
ये सालो का इंतजार कुछ यु ही ख़त्म हो जायेगा जैसे आज की सुबह
और ढल जाएगा इंतजार का वो पल इसी शाम की तरह
वो पहर जब एक लम्बे इंतजार के बाद तुम मेरे सामने होगी
तब कुछ ऐसा ही नजारा तुम्हारी आँखों में देखने को मिलेगा
सच कहा था तुमने की बनारस बहुत खूबसूरत हैं
हां क्योकि यहाँ आकर तुम्हे उतना ही महसूस कर रहा हु
जितना अपनी सांसो को महसूस किया करता हु रात में सोते हुए
तुम यहाँ नहीं हो फिर भी एक अहसास है तुम्हारे होने का
तुम्ही कहो क्या इजाजत है
मैं तुम्हारी गंगा सी पाक मोहब्बत का , बनारस बन जाना चाहता हु
कैसे कहु कितनी मोहब्बत है ?”
मुरारी पास खड़ा नदी ध्यान से अक्षत को सुन रहा था और जैसे ही अक्षत रुका मुरारी ने कहा,”का बात है बाबू , बड़ा अच्छा बोलते हो यार आप तो मतलब एकदम बवाल !!”
अक्षत मुरारी की बात सुनकर मुस्कुराने लगा और कहा,”बनारस सच में बहुत खूबसूरत है !”
क्रमश – kitni-mohabbat-hai-65
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संजना किरोड़ीवाल