Sanjana Kirodiwal

शाह उमैर की परी – 50

Shah Umair Ki Pari – 50

Shah Umair Ki Pari

Shah Umair Ki Pari – 50

 दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-

”फर्श पर बिछी  गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों पर परी को अपने साथ लेकर चलती हुई नफिशा और मरयम उसके कमरे तक पहुँचाती है !

”लो अब मेरा काम यहाँ तक पूरा हुआ हल्दी, मेहँदी शादी विदाई सब में मैं तुम्हारे साथ रही।  अब तुम और उमैर आज से एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करो। मुझे इजाजत दो कल मेरी भी शादी है मुझे भी तैयारियाँ करनी है !” शाहजादी मरयम ने परी को बेड पर बैठाते हुए कहा !

”मरयम आप का बहुत बहुत शुक्रिया। आप ने एक सच्चे दोस्त की तरह मेरे हर काम में मदद की। बस हमेशा ऐसे ही मेरे साथ रहियेगा !” परी ने शफ़क़त से मरयम का हाथ थामे हुए कहा !

”हाँ क्यों नहीं? सब रिश्तों में सब से ऊँचा दोस्ती और वफ़ा का रिस्ता होता है। जो हम सब को एक दूसरे से है। मैं तुम सब के साथ हूँ चाहे हम कंही भी रहे !” मरयम ने कहा !

”भाभी अगर आप ने नूर का पेट भर दिया है, तो इसे मुझे दे दो। मैं आज इसे अपने पास रखती हूँ। आप  उमैर भाई  को अपना वक़्त  दो। बेचारे अंदर आने के लिए कब से मचल रहे है और वैसे सुबह से उठ कर इस नफिशा की शादी के भी इंतजाम करने है !” अमायरा ने प्यार से नफिशा के गाल खिंचते हुए कहा !

”ठीक है ले जाओ इसे। वैसे भी यह एक बार सोता है तो सुबह में ही उठता है !” परी  ने कहा !

परी को कमरे में छोड़ सभी वहां से चले जाते है परी उठ कर कमरे  में काफी  देर तक टहलते रहती है मगर उमैर नहीं आता है !

”अभी तो जल्दी थी मुझसे मिलने की और अब जब सब चले गए तो  जनाब भी ना जाने कहा गायब है !” परी ने खुद में बड़बड़ाते हुए कहा !

अचानक उसे उमैर पीछे से आकर थाम लेता है और अपने हाथ आगे कर के कहता है ! ”यह लो जलेबी वो भी गरमा गरम तुम्हे बहुत पसंद है ना? बस इसलिए मैंने सोचा हम अपनी नयी ज़िन्दगी की शुरुवात जलेबी की मिठास के साथ करेंगे चलो खाते है साथ में !”

”उमैर तुम मुझे  छोड़ोगे तभी तो मैं जलेबी खाऊँगी !” परी ने कहा तो उमैर उसे छोड़ देता है ! उमैर जलेबियों से भरी प्लेट लेकर बेड पर बैठ जाता है और परी को अपने पास बैठने का इशारा करता है तो परी उसके पास आकर बैठ जाती है। इससे पहले के उमैर जलेबी उठा कर खाता परी उसके मुँह से जलेबी छीन कर खा लेती है !

”ओह तो हमारी नयी नवेली बेगम को शरारत सूझ रही है !” उमैर ने अपने भौंए चढ़ाते हुए कहा !

”हाँ अब तक मैं तुम्हारी शरारतें झेलती रही। अब तुमहारी बारी है !” परी ने उमैर के मुँह में जलेबी का टुकड़ा खिलाते हुए कहा !

”तुम शरारत करो मैं तो यही चाहता हूँ। फ़िलहाल तो तुम मेरे पास आओ !” कहते हुए उमैर परी को बेड पर लिटाते हुए जैसे ही उसके होठों को अपने होठों से सटाता है तभी उसे नफिशा की हंसी की आवाज़ सुनायी देती है ! उमैर जल्दी से हड़बड़ाते हुए उठ कर पुरे कमरे में नफिशा को तलाश करने लगता है तभी वो उसे परदे के पीछे छुपी दिखती है !

”नफिशा की बच्ची तुझे जरा सी भी शर्म नहीं है ?” उमैर ने नफिशा को कानों से खींचते हुए परदे के पीछे से निकालते हुए कहा !

”उमैर भाई छोड़ो मेरा कान। मैं तो बस देखना चाहती थी के पहली रात को आप और भाभी पहली बार किस तरह एक दूसरे से बातें करते हो ?”

“और मैं इन सब में अकेले नहीं हूँ। कुछ लोग आप के पलंग के नीचे भी है !” नफिशा ने पलंग की तरफ इशारा करते हुए कहा !

“और तो और कुछ लोग दरवाज़े पर कान लगाए बातें सुन रहे !” शहजादी मरयम पलंग के अंदर से निकलते हुए कहती है ! बेचारा उमैर और परी दोनों शर्मा से जाते है !

“इस नफिशा की बच्ची ने हँस कर सारा मज़ा किर  किरा कर दिया !” अमायरा कमरे में दाखिल होते हुए कहती है !

”अमायरा तुम भी? यह दोनों तो पागल  है मगर तुम ? , तुम सब बड़े बेशर्म हो भला कोई अपने भाई को ऐसे तंग करता है? जैसे तुम सब कर रही हो मुझे !” उमैर ने मुँह बनाते हुए कहा !

”उमैर भाई जैसे के परी  भाभी ने कहा के  बहुत तंग कर लिया आप ने। हमे अब हमारी बारी है !” अमायरा ने जलेबी उठा कर खाते  हुए कहा !

”हाथ जोड़ता हूँ तुम सब के सामने, आज परेशान ना करो। बाकी तुम सब से बाद में हिसाब किताब करूँगा मैं। अब जाओ और मुझे और परी को अकेला छोड़ दो !” उमैर ने कहते हुए सब को कमरे से निकाल दिया और कमरे की कुण्डी लगा ली फिर पुरे कमरे को अच्छे से देखता है के फिर कही  कोई तो नहीं है !

”चलो अब कोई नहीं है अब मैं अपनी परी  के साथ इश्क़ फरमा सकता हूँ !” उमैर कहते हुए फिर के एक बार परी  के करीब जाता है इससे पहले के वो कुछ करता दो बिल्ले उस पर कूदते है !

“रुको रुको हमे भी बाहर जाने दो हम इतने भी बेशर्म नहीं के किसी के तन्हाइयों के पल में खलल डाले !” शहजादे  इरफ़ान अपने असल हालत में आते हुए कहते है उनके साथ हनीफ भी खड़ा मुँह छुपाये हँस रहा होता है !

”यह सब है क्या आखिर? सब चाहते क्या हो ? जब मैं परी के क़रीब जाना चाहता हूँ कोई ना कोई बीच में टपक जाता है ! अगर देखना ही है तो खमोशी से देखे मुझे कोई हर्ज़ नहीं क्यों परी ?” उमैर ने परी के काँधे पर हाथ रखते हुए कहा  तो वो उसके हाथ को हटा देती है !

”देखो देखो अब यह मुझे अपने पास सटने भी नहीं दे रही !” उमैर ने ऐसे अंदाज़ में कहा के सब की हंसी निकल आती है !

” माफ़ी साले साहब , जितना मज़ाक करना था कर लिया। हम सब की गलती थी लेकिन मजा भी तो इसी में हैं। लेकिन अब तुम मज़े करो हम चलते है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !

”मैं कहता हूँ के आज हम सब यही बैठ कर बात करते है नींद तो आ नहीं रही क्यों परी ?” हनीफ ने उमैर के पलंग पर बैठते हुए कहा !

”चलो निकलो सब वरना मैं दादा अब्बू से शिकायत कर दूंगा अब ! ” उमैर ने थोड़े गुस्से में कहा !

”’ अरे अरे गुस्सा नहीं, जाता हूँ रहिये अकेले!” हनीफ कहते हुए हंसते हुए चला जाता है !

उमैर दोबारा दरवाज़े की कुण्डी लगा कर गुस्से में करवट लेकर आँख मूंद लेता है !

“मुझसे कैसी नाराज़गी ? मैंने किया किया है !” परी ने कहा !

”मुझे नींद आ रही है तुम भी सो जाओ रात काफी हो गयी है !” उमैर ने कहा !

”अच्छा सुनो कम से कम नज़रे फेर कर तो मत सोओ। आज पहली रात है हमारी शादी की  जहाँ  हम ख्वाबों में नही बल्कि असलियत में एक दूसरे के साथ हैं !” परी ने कहा  तो उमैर उसके तरफ अपना रूख कर लेता है ! दोनों काफी देर तक एक दूसरे की आँखों में ख़ामोशी देखते रहते है परी थोड़ा सा आगे बढ़ कर उमैर के इतना करीब आ जाती है कि दोनों की सांसें आपस में टकराती है। उमैर सारी नाराज़गी भूल कर फिर से परी के होठों से अपने होठों को लगा देता है ! दोनों एक दूसरे की मोहबब्त में इस क़दर डूब जाते है जैसे तपते हुए ज़मीन में बारिश की बूंदे समा जाती है ! आज वो दोनों एक दूसरे के लिए हो चुके होते  है साथ में मुकम्मल हो चुका होता है आग और खाकी की मोहब्बत का यह सिलसिला भी ! 

सुबह की पहली किरन के साथ उमैर की आँखे खुल जाती है वो परी के चेहरे पर फैले उसके ज़ुल्फ़ों को अपनी उँगलियों से हटाता है उसकी पेशानी को बोसा देकर बाहर चला जाता है ! 

दुल्हन के लिबास में नफिशा और मरयम स्टेज पर अपने अपने जोड़े के साथ बैठी होती है उनकी दूसरी तरफ उमैर और परी बैठे होते है पूरा महल गाने बजाने  और पटाखों के शोर में डूबा होता है ! उमैर स्टेज पर बैठा परी के हाथ में लगी मेहँदी में अपने नाम को बार बार देख रहा होता है !

”उमैर मेरा हाथ छोड़ो सब हमे ही देख रहे है !” परी ने उमैर के हाथों से अपना हाथ छुडाते हुए कहा !

”देखने दो। क्या दिक्कत है परी? मुझे अच्छा लग रहा है देखना  और सारा दिन तो तैय्यरियोँ में निकल गया अभी थोड़ा इत्मीनान मिला है !” उमैर ने कहा !

तभी शाह कौनैन अपने साथ परी के मम्मी पापा और रफ़ीक साहब को लेकर आते है !  तीनों  हैरान इधर उधर बस नज़रे घूमा कर देख रहे होते है !

”कैसी हो बेटा सब ठीक है ना ?” नदिया जी ने पूछा !

”हाँ मम्मी मैं ठीक हूँ आप सब कैसे हो ?” परी  ने कहा !

”हम सब अच्छे है बेटा बस आज थोड़ा अजीब लग रहा यहा आकर !” हसन जी ने कहा !

”क्यों अंकल? मेरा मतलब है पापा हमारी दुनिया आप को पसंद नहीं आयी ?” उमैर ने कहा !

”नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है। वो क्या है ना के हम पहली बार जिनो की दुनिया में आये है, तो इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा है !” हसन जी ने मुस्कुराते  हुए कहा !

“वैसे मैंने सुना है तुम्हारी दुनिया में मिठाई बहुत मज़ेदार होती है !” रफ़ीक साहब ने कहा !

”हाँ बिलकुल आप लोग बैठे बस खाना लग ही रहा सब के लिए !”उमैर ने कहा !

क़ारी साहब आकर बारी  बारी से नफिशा , हनीफ और शहजादी मरयम और शहजादे अल्तमश को निकाह पढ़ाते है , नफिशा का निकाह होते ही उमैर बिलकुल शांत सा हो जाता है उसके चेहरे पर अपनी बहन से बिछड़ने का दर्द परी को साफ़ दिखाई दे रहा होता है !

”उमैर यह पल हर एक की ज़िन्दगी में आता है और हमें इसे जीना पड़ता है। मुस्कुराते हुए चलो अब हँसते हुए अपनी नफिशा को रुखसत करो !”परी ने उमैर का हाथ थामते हुए कहा ! तो जो आँसू अब तक उसने मन में दबा रखे थे वो आँखों से बहने लगते है और उमैर नफिशा के गले लग कर फूट फूट कर रोने लगता है !

महफ़िल में मौजूद उसके सभी अपने उसे चुप कराने की कोशिश कर रहे होते है मगर उमैर है की रोते  ही जा रहा होता है ! उसके इस तरह रोने से पूरी महफ़िल ग़मज़दा हो जाता है ! तभी शाह ज़ैद आकर उमैर को गले लगा कर चुप कराते है !

”ज़ैद बेटा देखा इन तीनो भाई बहनों की मोहब्बत को जो तुझे शरारत लगती थी , मैं तुझे इसलिए मना करता था तुझे के बच्चो को मत रोक हँसने खेलने से। क्यों के मुझे पता है एक उमर आने पर रिश्ते तो वही रहते मगर  सभी के रस्ते अलग हो जाते है !” शाह कौनैन ने कहा !

” हाँ अब्बा आप ने सही कहा , उमैर मेरे बच्चे चुप हो जा वरना लोग यह समझेंगे के यह बिदाई नफिशा और मरयम की नहीं बल्के  तेरी हो रही है !” शाह ज़ैद ने इस अंदाज़ से कहा  के उमैर रोते रोते हंसने लगता है ! उसे हँसता देख सभी लोग हँसने लगते है !

‘’देख रहे है आप कितना प्यार है इनसब के बीच अब मैं सुकून से मरूंगी क्यों के हमारी बेटी की शादी अब बहुत ही अच्छे घराने में हुई  है , मेरा तो यहा से जाने का बिलकुल भी मन नहीं है !” नदिया जी ने नम आँख और चेहरे पर मुस्कराहट सजाये कहा !

”यह बात तो है के अब हमारी बेटी सुकून से जियेगी वैसे बेगम तुम चाहो तो यहां रह सकती हो। मुझे कोई हर्ज़ नहीं है मगर इस बुढ़ापे में आप से यहा मेरे एलावा कोई भी इश्क़ नहीं फरमाएगा !” हसन जी ने नदिया जी को छेड़ते हुए कहा !

”आप ना नहीं सुधरोगे !” नदिया जी ने शरमाते हुए कहा !

”बेगम अभी तो बिगड़ने का वक़्त है मेरा !” हंसन जी ने कहा !

“मम्मी पापा अगर आप लोग की मोहबब्त भरी बातें खतम हो चुकी हो तो चलिए शहंशाह आप लोगों को बुला रहे मिलने के लिए !” परी ने कहा  तो दोनों ही शर्मा जाते है ! सभी लोग शहंशाह के दरबार में एक साथ बैठ जाते है

”मैं आप सब का शुक्र गुज़र हूँ के आप लोग हमारी दुनिया में आये और हमारी मेहमान नवाज़ी क़ुबूल की एक आखिरी दरख्वास्त है, आप लोगों से के हमारी इस छुपी हुई दुनिया का ज़िक्र किसी के सामने भूल से भी नहीं करना है ! अब  हम सब एक रिश्ते में बंधे है और यह रिस्ता हमेशा रहेगा हम सब एक दूसरे की दुनिया में इसी तरह आते जाते रहेंगे !” शहंशाह फरहान ने शफ़क़त के साथ कहा !

रात भर के जश्न के बाद सभी अपने अपने घर को लौट जाते है ! परी और उमैर कुछ दिन ज़ाफ़रान क़बीले में रहते है उमैर परी को अपनी दुनिया की हर जगह घुमाता है आईने से उन सब का एक दूसरे की दुनिया में आना जाना चलता रहता है उमैर आईने को घर में ऐसी जगह रख देता है जिससे दोनों दुनिया के लोग एक रास्ते की तरह इस्तेमाल करे  !

Shah Umair Ki Pari – 50

 ‘’शहर धनबाद में ‘’

 कार में बैठी परी अपने बेटे का सर सहला रही होती है । ड्राइवर अपनी सामान्य स्पीड पर गाड़ी चला रहा होता है परी के बेटे की तबियत कुछ दिनों से खराब थी आज इसलिए उसे हॉस्पिटल जाना पड़ा । डॉक्टर ने एक इंजेक्शन और कुछ दवाईया देकर कहा की वह ठीक हो जाएगा। गाड़ी की पिछली सीट पर बैठी परी अपनी बीती जिंदगी के बारे में सोचने लगी। उमैर का उसकी जिंदगी में आना , उसे प्यार करना , उसे प्यार पर विश्वास दिलाना सब कितना खूबसूरत था। उमैर के बारे में सोचते हुए उसके होंठ खुद बा खुद ही मुस्कुरा उठे । कुछ सालो पहले ही उसकी और उमैर की शादी हो चुकी थी और वह उसके साथ बहुत खुश रहती है । उमैर उसे दीवानो की तरह मोहब्बत करता है और उतना ही ऐतबार परी को अपने उमैर पर रहता है । परी खयालो में खोयी रहती है की तभी गाड़ी को एक ब्रेक लगा। परी माज़ी के ख्यालों से बाहर आते हुए कहा  !,”क्या हुआ ड्राइवर गाडी क्यों रोक दी ?”

“मैडम लगता है टायर पंचर हो गया है , आप अंदर ही बैठिये मैं थोड़ी देर में चेंज कर देता हूँ।” ड्राइवर ने कहा

“ठीक है जल्दी करो।” परी ने कहते हुए अपने बेटे की तरफ देखा जो की सो चुका होता है । परी ने उसे वही सीट पर सुला दिया। बेटे का सर सहलाते हुए परी की नजर पास ही की एक दुकान पर पड़ी। जहा भीड़ लगी हुई होती है । परी को जिज्ञासा हुई तो वह गाड़ी से उतरी और अचानक ही उसके कदम भीड़ की और बढ़ गये। परी ने वहा आकर देखा वो धनबाद का सबसे पुराना बुक स्टॉल होता है । वहा खड़े सभी लोग सिर्फ एक ही नाम पुकार रहे होते है “शमा खान” जी की किताब दीजिये।

परी को हैरानी हुई की आखिर कौन है ये शमा खान जिसका नाम सब पुकार रहे है? दुकानवाले ने सबको किताबे देनी शुरू की एक एक करके सभी अपनी अपनी किताबे लेकर चले गए। परी दुकानवाले के पास आयी , दुकानवाला वहा रखी किताबो की धूल झाड़ रहा था।

“शमा खान” की कोई किताब मिलेगी ?” परी ने कहा

दुकानदार ने परी को एक नजर देखा और अपनी बगल में पड़ी किताब उठाकर परी की और बढ़ा दी और कहा

“ये आखरी किताब बची है।”

परी ने किताब ली जैसे ही उसकी नजर किताब के नाम पर पड़ी वह मुस्कुरा उठी , किताब पर लिखा था “शाह उमैर की परी” परी ने अपने पर्स से 2000 का नोट निकालकर दुकानदार की और बढ़ा दिया। दुकानदार ने देखा तो कहा।

“छुट्टे दो”

“पुरे रख लीजिये।” परी ने कहा

“लेकिन किताब की कीमत सिर्फ 200 रूपये है।” दुकानदार ने कहा।

परी मुस्कुराई और कहा

“रख लीजिये भैया , दिल के अहसासों को पैसो से नहीं तौला जाता।”

कहकर परी अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गयी और दुकानदार बस हैरानी से उसे जाते हुए देखता रहा। वह जान ही नहीं पाया की जिस किताब को खरीदने के लिए धनबाद शहर बेताब था , वह लड़की उस कहानी की परी थी !!

समाप्त

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Written By – Shama Khan

जो थी तेरे साथ एक हसीं ज़िन्दगी जेने की जुस्तुजू ,

रही दिल में  हरदम तेरी ही आरज़ू ,

मुश्किल रहा सफर तेरे मेरे मिलन का

आज खत्म हो गयी वो सारी बंदिशें

मेरे हमनशी अब तू है मेरे रूबरू

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