Sanjana Kirodiwal

लेटते ही नींद आगयी-01

Lette hi neend aagyi-01

Lette hi neend aagyi-01

तेज़ तूफ़ान में क़ब्रिस्तान में कुदाल लिए क़ब्र खोदता 50 साल का अब्दुल रमीज़ निहायत ही शरीफ ईमानदार और नूरानी सख्सियत का मालिक रहता है ! सादा लिबास सिर पर हर वक़्त टोपी हाथों में तस्बीह बूढ़े लब जो हर वक़्त रब की तस्बीह पढ़ा करते है ! अपने गाँव रहमतगंज के पुराना क़ब्रिस्तान की निगरानी करने का काम  किया करता है ! क़ब्रिस्तान के दरवाज़े के पास ही उसकी छोटी सी झोपड़ी रहती है जिसमे में वो अपने आराम का वक़्त गुज़ारा करता है ! 

रात को मस्जिद में नमाज़ ईशा के बाद एक मयत को सुपुर्दे खाक करना रहता है मयत के  घर वालों की मौजूदगी में नमाज़े जनाज़ा के बाद रमीज़ मयत को क़बर में उतार कर मिट्टी देकर नहाने चला जाता है ! रमीज़ जब तक नहा कर आता है तब तक सारे लोग जा चुके होते है ! अब्दुल रमीज़ क़ब्रिस्तान की दोनो तरफ की बड़ी गेट को बंद कर के अपने छोटी सी झोपड़ी में बिछी चारपाई पे जाकर लेट जाते है  खाना कही ना कही से किसी घर से आजाया करता है यह वो खुद ही कुछ बना कर खा लेता है आज उसका कुछ भी खाने को दिल नहीं करता है तो वो सारे दुनियां और जहाँ से बे नियाज़ होकर नींद की मीठी आगोस में धीरे धीरे समा जाता है ! जहाँ से उनकी ख़्वाबों का सिलसिला शुरू होता है !

रमीज़ रमीज़ कहा हो तुम अब बस भी करो इस तरह आँख मिचौली का खेल मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है अगर तुम बाज नही आए अपनी शरारतों से तो मैं फिर कभी नही आउंगी तुमसे मिलने !””नरगिस आम के बाग में पेड़ो के बीच रमीज़ को ढूंढती हुई आवाज़ लगाती है !

मोटे और घने आम के पेड़ के पिछे छुपे रमीज़ की हंसी निकल जाती है और वो जल्दी से अपने मुँह पे हाथ रख कर हंसी को रोकता है !

‘’ठीक है तो तुम यही रहो छुप कर मैं जारही और हाँ फिर मुझसे बात करने की कोशिश भी मत करना यह हर रोज का है तुम्हारा !” नरगिस गुस्सा में कहती हुई जैसे ही जाने लगती है तो रमीज़ उसे पीछे से आकर अपनी बाहों में भर लेता है  और कहता है! “अपनी ज़िंदगी को कैसे रूठ कर जाने दू इतनी मिन्नतों के बाद  तो मौके मिलते है तुमसे दीदार को मैं इस खूबसूरत मौके को हाथ से कभी जाने ना दूँ!”

बातें ही करनी आती है तुम्हे बस ,एक तो इतनी मुश्किल से मैं सब की नज़रों से छुप कर तुम से हर रोज इस सुनसान पड़े आम के बाग में मिलने आजाती हु और फिर जब यहाँ पहुंचो तो तुम मेरे साथ लुका छुपी का खेल खेलते हो !”नरगिस नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए रमीज़ के सींने में घुसे मारते हुए कहती है !

अरे बाबा बस बस अब से ऐसी शरारते नही करूँगा घूसों से मार डालोगी किया अपने इस आशिक को ! और मेरी जान मुझे बातों के एलावा भी बहुत कुछ करना आता है चलो कर के दिखाता हु !” रमीज़ नरगिस का हाथ रोकते हुए कहता है ! फिर दोनों दुनियां की सारी बंदीसों के पार आम के बागीचे में अपने इश्क़ को मुकमल करते हुए हर हदे पार करते है!’’

फजर की अज़ान सुन कर रमीज़ की आंखे खुलती है!

“अस्तग़फ़ेरुल्लाह… फिर से वही खवाब ना जाने यह ख्वाब मेरा पीछा कब छोड़ेंगे !” कहते हुए रमीज़ ज़हन से गुज़रे हुए दिनों की बातों को झटकते हुए वो चारपाई से उतर कर पास रखा लोटा उठा कर वज़ू करने चला जाता है!

फज़र की नमाज़ पास की मस्जिद में पढ़ने के बाद रमीज़ अपने माँ बाप की क़बर पर उनके लिए दुआ करता है उसके बाद  झाड़ू उठा कर पूरे क़ब्रिस्तान में झाड़ू देने लगता है !
”अस्सलाम अलैकुम रमीज़ भाई आओ पहले गरमा गरम चाय पिलो फिर झाड़ू देना !” दुआ से फारिग होकर मस्जिद के इमाम साहब रमीज़ को आवाज़ लगा कर कहते है जो उस वक़्त खुद कब्रिस्तान में आये हुए रहते है !!
”वालेकुम अस्सलाम इमाम साहब आता हु थोड़ी देर में !” कहते हुए अब्दुल रमीज़ झाड़ू को वही पर छोड़ कर मस्जिद की तरफ चल देते है !
”आप अपने घर क्यों नहीं चले जाते है रात में इस उम्र में अकेले एक क़ब्रिस्तान में गुज़ारना सही नहीं है रमीज़ भाई कभी अचानक तबीयत बिगड़ गयी तो क्या करोगे ? !” इमाम साहब कहते है !
”इमाम साहब इस तरह की बात आप की मुँह से अच्छी नहीं लग रही भला जब खुद को रब की राह में छोड़ दिया फिर कैसा डर , मौत तो बरहक़ है कही भी आ सकती है वैसे अब मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है ! कहा जाऊँगा इसलिए अपने आखिरी मंज़िल के पास ही रहता हूँ अब मौत के बाद तो यही मेरा ठिकाना होगा !” अब्दुल रमीज़ चाय की चुस्की लेते हुए कहते है !

”ऐसा कैसे हो सकता है के आप का कोई भी ना हो परिवार में कोई तो होगा रमीज़ भाई !” इमाम साहब ने कहा !

”हाँ है भाई मगर बस नाम के उनका होना ना होना बराबर ही है !” रमीज़ ने कहा !
फिर दोनों चाय ख़ामोशी से पिकर अपने अपने कामो में लग जाते है !

बारिश की शारद तूफानी रात और  आसमान में बिजलियों की कड़क से पूरा माहौल खौफनाक मंज़र पेश के रहा होता है  तभी क़ब्रिस्तान के बाहर सड़क पर एक तेज़ रफ़्तार गाड़ी दरवाज़ा खोल कर किसी इंसान के जिस्म को सड़क पर फ़ेंक कर पल भर में ही कही दूर गायब हो जाती है ! हाथ में छाता और लालटेन लिए अब्दुल रमीज़ क़ब्रिस्तान के दरवाज़े को लगाते हुए ये मंज़र देख रहा होता है !
बाहर का मंज़र बारिश और बिजली से इतना खौफनाक दिख रहा होता है के किसी का भी कलेजा मुँह को आजा ये  मगर अब्दुल रमीज़ उस खौफनाक रात में भी बिना किसी डर के सड़क पर पड़े लास के पास पहुँच कर उसका मोयना करता  है ! जो के 20  से 25 के आस पास के  उम्र के लड़के की रहती है ! लास के सर पे बंदूक की गोली की निशान रहती है ! अब्दुल रमीज़ समझ जाते है  के ये कोई क़तल का मामला है!
”फिलहाल इसको यही पे छोड़ देता हु कल सुबह पुलिस को खबर करदूंगा ! पता नहीं बेचारा कौन है ?  किसका बच्चा है?  सोचते हुए अब्दुल रमीज़ अपनी चारपाई सड़क किनारे बिछा कर लास को उसपे लेटा कर एक चादर से ढक देता है और चारो तरफ चादर को बांध देता  है ताके हवाओ के जोर से चादर उड़ न जाये ! वापस अपने झोपड़ी में आकर ज़मीन में तकया लेकर लेट  जाता  है ! धीरे धीरे रमीज़ को नींद अपनी आगोश में लेलेता है !

रमीज़ हाथ हटाओ मेरी आँखों पर से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं देरहा !” नरगिस कहती है !
इतनी जल्दी भी किया है थोड़ा सब्र रखो !रमीज़ नरगिस की आँखों को अपने हाथों से बंद किये आम के बगीचे के बीच में लेकर जाता है !
चलो अब धीरे धीरे अपनी आँखे खोलो ! ” रमीज़ कहता हुआ अपने हाथ नरगिस की आँखों से हटाता है !
रमीज़ ये झूला तुमने लगाया मेरे लिए !” नरगिस ख़ुशी में उछलती हुई झूले में जाकर बैठ जाती है !
कोई और तुम्हे दिख रहा किया यहां अरे मेरी जान मैंने ही लगाया है तुम्हें पसंद है ना इसलिए मैंने सुबह में ही लगाया अब चलो मैं झूले को पीछे से धकेलता हु और तुम मज़े लो !” रमीज़ कहता हुआ झूले के पीछे खड़ा होकर नरगिस के झूले को आहिस्ता आहिस्ता धकेलता है !

‘’हम कब तक इसतरह छुप कर एक दूसरे से मिलते रहेंगे रमीज़ तुम कोई अच्छा सा काम क्यों नहीं करते हो जिससे मेरे घर वाले हमारे रिश्ते के लिए मान जाये !” नरगिस ने कहा !

नरगिस मुझसे से किसी की गुलामी नहीं होती है मैं खुद का कुछ करने का सोच रहा हूँ मगर किया करूँ हालात साथ नहीं देते है और भाइयों से मदद मांगो तो ताने मारते है अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ ? ” रमीज़ ने कहा !

ठीक है फिर मेरी शादी में खाना खाने आ जाना जा रही हूँ मैं सालों से तुम्हारे यही बहाने है मुझे तो लगता है तुम बस मेरे साथ वक़्त गुज़ार रहे हो !” नरगिस ने गुस्सा होते हुए कहा !

ऐसा  नहीं  है  नरगिस  तुम मुझे गलत समझ रही हो मैं कैसे समझाऊँ के कितना प्यार करता हूँ तुम्हें  और  मेरे  प्यार  और  जज़्बात  तुम्हारे लिए झूठे नहीं  है  जो  मैं  तुम्हें  ऐसी  ही  किसी  और का होने देदूंगा !” रमीज़ ने नरगिस की कलाई पकड़ते हुए कहा !

हाँ  तो  एक  हफ्ते  में मेरा  रिस्ता लेकर आजाना  मेरे घर वरना भूल जाना मुझे हमेशा के लिए  !” नरगिस कहती हुई रमीज़ के हाथों से अपना हाथ छुड़ा कर बागीचे  से  बाहर चली जाती  है  रमीज़ उसे जाते देख रहा होता है उसे कुछ समझ नहीं आरहा होता है के वो आखिर किया करे !

अचानक दरवाज़े पर तेज़ दस्तक होती है जिसकी आवाज़ से रमीज़ की आँख खुल जाती है ,

”इस वक़्त कौन आगया !” रमीज़ खुद में कहता हुआ बिस्तर से उठ कर लालटेन की रौशनी को तेज़ कर के वो दरवाज़े की तरफ बढ़ता है जैसे ही दरवाज़ा खोलता है दरवाज़े  पर कोई भी मौजूद नहीं होता है  सेवाये रात के सनाटे के  बारिश भी कुछ हद तक कम हो चुकी होती है, दरवाज़े पर किसी को ना पाकर रमीज़ दरवाज़े को वापस से लगा देता है !

 अभी वो वापस अपने बिस्तर की तरफ लौट ही रहा होता है के वापस दरवाज़े पर दस्तक होती है , रमीज़ कुछ देर अपने खयालो में कुछ सोचता है फिर दरवाज़ा खोलता तो उसके सामने इस बार नक़ाब पहने एक औरत खड़ी होती है ! रमीज़ उसके पुरे सरापे पर नज़र डालता है सिवाये नक़ाब के उस औरत का जिस्म का एक हिस्सा भी नहीं दिख रहा होता है !

”जी अस्सलाम वालेकुम मैं एक मुसाफिर हूँ अपने बेटे अहसन को ढूंढ रही हूँ जो कई दिनों से लापता है यह इसकी तस्वीर है क्या आप ने इस लड़के को देखा है !” नक़ाब पोश खातून ने कहा !

रमीज़ उस खातून के हाथ से तस्वीर लेकर लालटेन की रौशनी में देखने लगता है !

”जी मैं ने इस बच्चे को नहीं देखा है मगर कल मैं आस पास के लोगों से जरूर पूछूंगा इसके बारे में अगर किसी ने देखा होगा तो बता देगा आप परेशान ना हो , वैसे आप रात के आखिरी पहर में इस बारिश में क्यों निकली है सुबह का इंतज़ार कर लेती , आप अकेली है और कोई नहीं है आप के साथ!” रमीज़ ने कहा !

”अहसन एकलौता बेटा है मेरा उसके एलावा और कोई नहीं है मेरा इस दुनिया में और वो भी कई दिनों से गायब है उसे ढूंढने के लिए मुझे ना रात की फिक्र है और ना ही इस तूफ़ान की !” नक़ाब पोश औरत कहते हुए खामोश होजाती है !

”आप ऐसा करे जब तक सुबह नहीं होजाती आप मेरे घर पर आराम कर ले सुबह होते ही मैं आप के साथ आप के बेटे को तलाश करने चलूँगा !” रमीज़ ने कहा !

”मगर मैं कैसे रुक सकती हूँ आप के घर में ?” नक़ाब पोश औरत ने कहा !

”देखिए खातून सुबह होने में ज्यादा वक़्त नहीं रह गया है बस कुछ ही घंटो की बात है आप फिक्र ना करे और आराम से बैठ जाये , आये अंदर !” रमीज़ ने समझाते हुए कहा तो वो औरत अंदर आकर एक कोने में बैठ जाती है !

”आप इस चटाई पर बैठ जाये और आराम कर ले मैं उधर दूसरी चटाई बिछा कर बैठ जाता हूँ !” रमीज़ ने हाथ में चटाई लिए कहा !

”जी ठीक है ” नक़ाब पोश औरत उठ कर रमीज़ की बिस्तर पर आ बैठती है  और रमीज़ दूसरे कोने में चटाई बिछा कर लेट जाता है !

”आप यहा अकेले रहते हो !” नक़ाब पोश औरत ने पूछा !

”हाँ सालों से !” रमीज़ ने कहा !

”मगर क्यों ? आप का परिवार तो होगा ना !” नक़ाब पोश औरत ने कहा !

”नहीं मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है मैं अकेला हूँ !” रमीज़ ने मुख़्तसर सा कहा !

”अपनों के होते हुए भी हम अकेले ही होते है अब दुनिया में रिश्तों में लज़त कहा !” नक़ाब पोश औरत ने कहा !

”सही कहा आप ने अपनों के होते हुए भी हम अकेले ही होते है वैसे आप के सौहर कहा  है !” रमीज़ ने पूछा !

”जी मेरा कोई शौहर नहीं है असल में अहसन मेरे मोहब्बत की आखिरी निशानी है !”नक़ाब पोश ने कहा !

” तो क्या आप दोनों ने शादी नहीं की ?” रमीज़ ने पूछा !

”नहीं !” इस बार नक़ाब पोश औरत के आवाज़ में दर्द होता है ! रमीज़ समझ चूका होता है के जिस लड़के को यह ढूंढ रही है वो इसकी मोहब्बत की आखिरी निशानी है ! वो दोबारा कुछ सवाल नहीं करता और आँखे बंद कर के करवट बदल कर सोजाता है !

फज़र की अज़ान की आवाज़ कानो में पड़ते ही रमीज़ की आँखे खुलती है उठते के साथ उसे उस नक़ाब पोश औरत का ख्याल आता है जब वो दूसरी तरफ पलट कर देखता है तो वो औरत वहाँ पर मौजूद नहीं होती है , रमीज़ वज़ू कर के जब नमाज़ के लिए दरवाज़ा खोलता है अचानक उसे ख्याल आता है के जब दरवाज़ा अंदर से बंद है फिर वो औरत गयी कहा !……

क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-02

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Shama Khan

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