Shah Umair Ki Pari -19
शहर धनबाद में :-
”उमैर तुम छुप जाओ वरना मम्मी तुम्हे देख लेगी !” परी घबराते हुए कहती है !
”परी तुम दरवाज़ा खोलो। कुछ नहीं होगा, तुम्हारे सिवा मुझे कोई नहीं देख सकता है !” उमैर कहता है तो परी कमरे का दरवाज़ा खोल देती है !
”क्या हुआ मम्मी ?” परी ने कहा !
”बेटा आधी रात को तुम किससे बात कर रही हो ? काफी देर से तुम्हारी बातें करने की आवाज़ आ रही है !”नदिया जी ने कहा !
”बातें ? नहीं तो मम्मी मैं किसी से भी बात नहीं कर रही थी आप को गलत फहमी हुई है, आपने सपना तो नहीं देखा कोई?!” परी अटकते हुए कहती है !
”अच्छा और यह खिड़की क्यों खुली रखी है तुमने ? , बाहर इतनी बारिश हो रही है !” नदिया जी कहती हुई परी के कमरे में खिड़की बंद करने चली जाती है ,डर से परी के हलक सूखने लगता है , मगर उमैर आराम से परी के बेड पर टेक लगाए बैठा मुस्कुराता रहता है !
”तुम इतना डर क्यों रही हो परी? कहा था मैंने के वो मुझे नहीं देख सकती फिर भी !” उमैर कहता है तो परी अपनी ऊँगली होंठ पे रख के चुप रहने का इशारा करती है तो उमैर खामोश होजाता है !
”मम्मी आज यह अचानक बारिश क्यों होने लगी !” परी ने पूछा !
‘’अरे बेटा मौसम कब बदल जाये यह तो ऊपर वाला ही जानता है ! चलो ठीक है परी बेटा मैं सोने जा रही। तुम भी अच्छे से रूम लॉक कर के सो जाओ !” नदिया जी कहते हुए चली जाती है परी उनके जाते ही फ़ौरन रूम लॉक कर के उमैर के पास आकर बैठ जाती है और कहती है !
” ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम सिर्फ मुझे दिख सकते हो और मम्मी और बाकि लोगों को नहीं?”
”क्योंकि मैं नहीं चाहता वो मुझे देखे इसलिए। मैं उन्हें नहीं दिख रहा हूँ !” उमैर ने कहा !
“क्यों ?” परी ने कहा !
”उफ्फ परी, क्योंकि मैं जिन हूँ और मेरे पास कुछ जादुई ताकते है जिससे मैं जब चाहुँ किसी के सामने हाज़िर हो सकता हूँ और नहीं भी , अब समझी या नहीं?”
“हम्म। पर क्या, मेरा मतलब क्या अब तुम ऐसे ही हर वक्त मेरे साथ ही रहोगे !” परी ने पूछा !
”नहीं….हर वक़्त तो नहीं रह सकता। मगर, अगर तुम चाहो तो रह सकता हूँ!” उमैर ने कहा !
‘’ नहीं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती ! वैसे भी मुझे ज्यादातर अकेले वक़्त गुज़ारना पसंद है !’’ परी ने कहा !
”अकेले रहना पसंद है मगर क्यों ?” उमैर भौएं चढ़ाता हुआ कहता है !
“क्योंकि जब हम तनहा होते है तो हम दुनिया के सब से अच्छे इंसान से मिलते है जो कि हम खुद होते है ! तन्हाई का वक़्त खुद से मिलने का सब से बहतरीन लम्हा होता है ! जिसमे हम सुकून से बैठ कर खुद से ढेरों बातें और मशवरे कर सकते है और उमैर मेरा मानों हमे खुद से बहतर मशवरा कोई भी नहीं दे सकता है ! दुनिया की भीड़ भाड़ में हम खुद को वक़्त दे ही नहीं पाते , इस तरह हम धीरे धीरे खुद को खोते जाते है ! बस इसलिए मुझे खुद को खोना नहीं है।” परी कमरे में टहलते हुए एक साँस में कह डालती है ! उमैर आँखे फाड़े उसकी बातें गौर से सुनता रहता है !
”मुझे तन्हा रहना बिलकुल भी पसंद नहीं है ! मैं बेचैन हो जाता हूँ अकेले में।” ! उमैर ने कहा !
‘’होता है.. सब एक जैसे नहीं होते ,अभी तो मैं ज्यादा तुम्हारे बारे में जानती भी नहीं हूँ ,सिवाए तुम्हारे नाम और इस बात के कि तुम एक जिन हो , जिससे मुझे डरना चाहिए। पर मैं ,मैं आराम से सामने खड़े बात कर रही हूँ तुमसे !” परी ने कहा !
“परी जिन भी इंसानो की तरह अच्छे और बुरे दोनों होते है। अब यह तुम्हे समझना होगा कि मैं अच्छा हूँ या बुरा? ठीक है अब तुम सो जाओ मैं जाता हूँ। सुबह होने वाली है। ” उमैर ने कहा !
”कहा जाओगे ?” परी ने पूछा
“अरे बाबा, अपने घर और कहा?” उमैर ने कहा !
”सुबह होने पर चले जाना अभी इतनी जल्दी क्यों है तुम्हे ? परी ने कहा !
“ठीक है तुम आराम से लेट जाओ मैं तुम्हारे पास ही बैठा हूँ !” उमैर कहता है तो परी लेट जाती है और वो उसके पहलु में बैठ जाता है और अपने हाथो से उसके सर को सहलाता है तो
परी उसकी आँखों में गौर से देखने लगती है !
“उफ्फ, परी सो जाओ इस तरह मुझे घुरोगी तो मैं शरमा जाऊंगा !” उमैर ने शरारत से कहा !
“देखने दो उमैर मुझे तुम्हारी आँखों में सुकून मिल रहा है !’’ परी बहुत ही प्यार से कहती है
‘’और मुझे तुम्हारे पहलु में बैठ के बेहद सुकून सा लग रहा , ऐसा लग रहा, जैसे मैं धूप में मेहनत कर के पेड़ के छाया में बैठा हूँ !” उमैर की आँखे नम किये कहता है !
“अरे यह क्या ? तुम रोते भी हो ?” परी उसे चिढ़ाते हुए कहती है !
“नहीं बिलकुल भी नहीं बस ऐसे ही आँखे नम हो गयी है। मैं थोड़ा जज़्बाती हूँ ना ! खैर अब तुम सो जाओ ! उमैर ने आंसुओ को छिपाते हुए कहा !
थोड़ी ही देर में परी नींद के आगोश में चली जाती है ! उसके साथ साथ उमैर भी बैठा हुआ सो जाता है ! फज़र की अज़ान की आवाज़ से उमैर की आँख खुलती है तो वो चुप चाप उठ कर पहले परी के ड्रेस पर हाथ फेर कर उसे पहले जैसा नया कर देता फिर एक नज़र परी को प्यार से देख कर आईने से अपने कमरे में चला जाता है!
‘’परी बेटा कब तक सोये रहोगी? उठो ग्यारह बज चुके है !” नदिया जी उसके कमरे के दरवाज़े को पीटते हुए कहती है !
”उफ्फ्फ ओ मम्मी उठ रही हूँ आप please दरवाज़ा पिटना बंद करे ! ”परी कहती है फिर उठ कर दरवाज़ा खोलती है और वापस आकर सोने लगती है !
“अरे अरे यह क्या बात हुई परी? ऐसे दिन चढ़ते नहीं सोते चलो उठो ! ” नदिया जी ने कहा !
“मम्मी नींद पूरी नहीं हुई है मेरी सोने दो ना please !” परी तकिये में मुँह छुपाते हुए कहती है !
‘’जाओ जाकर नहा लो अच्छा लगेगा तुम्हे। कपड़े भी धोने है मुझे और वो तुम्हारा गाऊन में कॉफ़ी की दाग लग गया था ना उसे भी धो देती हूँ। चलो चलो जल्दी उठो !” नादिया जी ने उतारे हुए कपड़े समेटते हुए कहा !
‘’Ok fine… उठ जाती हूँ! ‘’ परी ने कहा ! फिर फ्रेश होने चली जाती है !
‘’परी कल तो तेरी ड्रेस पे कॉफ़ी का दाग लगा हुआ था आज कही पर भी नहीं दिख रहा मुझे !” नदिया जी गुसल खाने में आकर कहती है जहां परी ब्रश कर रही होती है !
”मम्मी ध्यान से देखो होंगे दाग कोई जादू थोड़ी है जो खुद ब खुद गायब हो जाएगा।” परी ब्रश करते हुए कहती है !
‘’लो अब तुम खुद ही देख लो !” नदिया जी कहती हुई परी को ड्रेस दिखाती है जिसपे कही पर भी किसी तरह का दाग नहीं होता है !
”अरे मम्मी वो रात के अंधेरे में दाग लग रहा था आप को असल में कॉफ़ी मेरे ड्रेस पर नहीं बल्के मेरे सैंडल पर गिरी थी !”परी गड़बड़ाती लड़खड़ाती सी जबान में कहती है ,क्योंकि वो समझ चुकी थी यह सब उमैर ने ही किया है !
“मगर बेटा मैंने खुद अपनी आँखों से दाग देखे थे !” नदिया जी कहती है !
”क्या परी की मम्मी आप मेरी बेटी को क्यों परेशान कर रही ? माना के आप को कपड़े धोना बहुत पसंद है !इसका मतलब क्या कि अब आप कपड़े धोने के लिए दाग का भी बहाना करेंगी धोना है तो धो दिजीए ! ” हसन जी उनकी नोक झोंक देख कर कहते है !
“मैं तो बस पूछ रही बस। जब देखो आ जाते है अपनी बेटी की तरफ दारी करने !”नदिया जी थोड़ा चिढ़ के कहती है !
“चल बेटा जल्दी से आजा साथ मे नास्ता करते है ,मैं तेरा ही wait कर रहा था ,अगर late हुआ तो तेरी यह झगडालूँ माँ फिर से लड़ने लगेगी मुझसे किसी बात पे !”हसन जी मज़ाकिया लहजे में कहते है !
“हिहि ठीक है पापा। आप चलो मैं अभी आयी। ” परी ने हँसते हुए कहा!
नदिया जी मुँह बनाये कपड़े धोने लग जाती है !
परी नास्ता करने के बाद अपने लैपटॉप पर इ-मेल चेक करती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है एक साथ उसे बहुत सारे आर्डर के मेल आये हुए रहते है !
दूसरी दुनियाँ ” ज़ाफ़रान कबीला :-
”उमैर भाई आप अभी तक सोये हो? उठो अब्बा पूछ कर गए है आप के बारे में !” अमाइरा उमैर को उठाते हुए कहती है जो आराम से अपने पलंग पर सो रहा होता है !
”क्या पूछा उन्होंने ? और तुम ने कुछ बताया तो नहीं ना मेरे बारे में कुछ ?” उमैर डरते हुए कहता है !
“यही के ना आप महल में हो और ना ही घर पर फिर किधर हो ?”अमाइरा ने कहा !
”तुमने क्या जवाब दिया !” उमैर थोड़ा घबराते हुए पूछता है !
”आप परेशान ना हो मैंने उनसे कह दिया है कि आप महल की तरफ ही होंगे !” अमाइरा ने कहा !
”चलो कम से कम जान बची और मेरी प्यारी बहन बहुत बहुत शुक्रिया तुम्हारा। मुझे हमेशा बचाने के लिए ! उमैर अमाइरा के गाल खींचते हुए कहता है !
“तब भाई कैसी रही पहली मुलाकात आप की परी से, कुछ बात आगे बढ़ी आप दोनों की? ” अमाइरा ने पूछा !
“हम्म, क्या बताऊं मैं तुझे बहन ?” उमैर ने थोड़ा मुँह बनाते हुए कहा!
“उमैर भाई सब ठीक तो रहा ना ?” अमाइरा सवालिया नज़रो से देखते हुए कहा !
“चलो बता ही देता हूँ , वो भी मुझे उसी तरह चाहती है जैसे के में उसे चाहता हूँ मगर वो अंदर से परेशान है फैसला नही ले पा रही है, हाँ बोले या नही। मगर मोहब्बत तो उसे भी है और वो एक दिन जरूर आकर इज़हार करेगी यकीन है मुझे !””उमैर ने कहा!
“यह तो बहुत ही अच्छी बात है उमैर भाई अब बस अमाइरा आपी को भी कोई मिल जाए फिर हम तीनों एक साथ शादी करेंगे !” नाफिशा ने खुश मिज़ाजी से कहा!
“नफिशा बड़ी ही बेशर्म है तू ,कल बेशर्म की तरह अपने इश्क़ के अफ़साने सुना रही थी और आज तुझे शादी करनी है !” अमाइरा ने उसे डाँटते हुए कहा!
“आपी इसमे बेशर्म होने जैसी क्या बात हैं अब हमने मोहब्बत की है तो उसे अंजाम तक भी पहुंचना है ना ! क्या कहते हो उमैर भाई ?”नाफिशा ने कहा!
“सही तो कह रही है ! अब अम्मी तो है नहीं जो हमारी फिक्र करेंगी एक अब्बा है जो दिन रात उस महल की खिदमत में लगे होते है , तो बचे हम खुद। तो हमें ही एक दूसरे के बारे में सोचना होगा वैसे भी दिल पर किसका जोर है !” उमैर ने कहा !
“मगर उमैर भाई मोहब्बत का मतलब पाना नहीं है कभी-कभी किसी को खो कर भी उसे चाहना मोहब्बत होता है ! मोहब्बत एक पाक जज़्बात है , रूह से रूह का रिस्ता है उमैर भाई !” अमाइरा भरे मन से कहती है !
आपी यह आप कह रही है ? आप कब से मोहब्बत के जज़्बातों को समझने लगी !” नफिशा ने पूछा !
”क्यों नहीं कह सकती मैं !” अमाइरा ने कहा !
”क्योंकि बिना मोहब्बत किये कोई भी इसकी गहराई नहीं समझ सकता है अमाइरा और मैंने पहली बार तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुनी है !” उमैर ने कहा !
”हम्म, मैं आती हूँ नास्ता लेकर सब साथ में खाएंगे !” अमाइरा उदास होकर कहती हुई जैसे जाने लगती है उमैर उसका हाथ पकड़ कर कहता है !
”रुको पहले यह बताओ तुम हम दोनो से क्या छुपा रही हो ?
”कुछ नहीं उमैर भाई !” अमाइरा ने नज़रे चुराते हुए कहा !
‘’आपी आप यहां बैठो मैं नास्ता लेकर आती हूँ और उमैर भाई जरा आप इनसे राज़ उगलवाएँ। आखिर यह कौन सा राज़ लेकर बैठी है अपनी दिल में ? जो हमें आज तक नही पता चला।” नफीसा ने कहा !
”अमाइरा हम तीनो भाई बहन ही नहीं बल्कि एक दूसरे के हमराज़ और दोस्त भी है मगर तुम हम सब से कुछ छुपा रही हो,मेरी कसम है तुम्हे बता दो !” उमैर ने इल्तिजा करते हुए कहा !
अमाइरा फूट फूट कर रोने लगती है , सामने खड़े उमैर और नफिशा एक दूसरे को सवालिया नज़रों से देखते है !
(परी उमैर के दरमियाँ एहसास का रिश्ता शुरू हो चुका होता है ! अपने दुनिया के हालातों से परेशान जहाँ उमैर है दूसरी तरफ परी ने भी बहुत सारी मुसीबतें देखी है अपनी ज़िन्दगी में अब आगे देखना है कि इनकी मोहब्बत कैसे परवान चढ़ती है ! साथ में कौन सा राज अमाइरा अपने दिल में सालों से दबाए हुए है ! पढ़ते रहिए शाह उमैर की परी !)
क्रमशः shah-umair-ki-pari-20
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Wrriten By – Shama khan
”तू मेरे रूबरू मैं भी तेरे पास खड़ा ,
Shama Khan
आकर बैठ जा पहलु में मेरे ,
मोहब्बत भरी बातों का सिलसिला शुरू करते है !”