Sanjana Kirodiwal

साक़ीनामा – 30

Sakinama – 30

Sakinama
Sakinama by Sanjana Kirodiwal

सागर हाथ में निवाला लिए मृणाल को देखे जा रहा था। मृणाल की आँखों में आँसू देखना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। मृणाल ने सागर का हाथ नीचे किया और कहा,”मुझे इन सब की आदत नहीं है”
सागर ने महसूस किया कि उस एक हादसे ने मृणाल को कितना बदल दिया है। उसने निवाला प्लेट में रखा और उठते हुए कहा,”तुम खा लो”


मृणाल धीरे धीरे खुद से ही खाने लगी और सागर अपने कमरे में चला गया। बिस्तर पर बैठा सागर मृणाल के बारे में सोचने लगा। वह मृणाल को इस दर्द से निकालना चाहता था लेकिन कैसे नहीं समझ पा रहा था ? मृणाल ने नाश्ता किया और प्लेट उठाकर खुद ही धोने लगी तो सागर ने उसे रोकते हुए कहा,”रहने दो ये मैं कर लूंगा”
“मुझे आदत है”,मृणाल ने कहा और अपनी प्लेट धोकर रख दी।


वह वापस हॉल में चली आयी और सोफे पर आ बैठी। सागर किचन की दिवार के पास हाथ बांधे खड़ा मृणाल को देखता रहा और फिर बगल वाले सोफे पर आ बैठा। दोनों कुछ देर खामोश रहे और फिर सागर ने कहा,”तुम जितने दिन चाहो यहाँ रह सकती हो,,,,,,,,,,,,,मैं जानता हूँ ये सब तुम्हारे लिए इतना आसान नहीं है पर तुम्हे सब भूलकर आगे बढ़ना होगा मृणाल,,,,,,,,,,,,,,,तुम समझ रही हो ना ?”
“कुछ रिश्ते कभी खत्म नहीं होते है ,,,,,,,,,हम कहते है कि खत्म हो गए है पर क्या सच में खत्म होते है।

कुछ रिश्तों का दर्द ताउम्र हम से जुड़ा रहता है और इस दर्द से हम खुद को जीते जी आजाद नहीं कर पाते,,,,,,,,,,मेरा दर्द भी कुछ ऐसा ही है”,कहते हुए मृणाल की आँखों में आँसू भर आये
“मैं तुम्हे इस दर्द से आजाद करने के लिए कुछ भी करूंगा मृणाल,,,,,,,तुम जो कहोगी वो,,,,,,,,,,,,,,,,बस मैं तुम्हे इस दर्द में देख सकता , तुम खुद को इस तरह सजा नहीं दे सकती”,सागर ने तड़पकर कहा
“क्या तुम उसे मेरे लिए वापस ला सकते हो ?”,मृणाल ने सागर की तरफ देखते हुए तड़पकर कहा


सागर खामोश आँखों से उसे देखने लगा अगले ही पल मृणाल की आँख में ठहरा आँसू गालों पर लुढ़क आया और उसने कहा,”मैं आख़री बार उस से मिलना चाहती हूँ , उस से पूछना चाहती हूँ कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? क्या तुम उसे ला सकते हो ?”
सागर ने सूना तो उसका दिल टूट गया जिस इंसान ने मृणाल को इतनी तकलीफ दी , जो मृणाल के दर्द की वजह था मृणाल उसी से मिलना चाहती थी। वह कुछ देर खामोश रहा और फिर उठते हुए कहा,”मैं कोशिश करूंगा”


सागर वहा से चला गया और मृणाल ने अपना सर सोफे पर पीछे लगा लिया उसकी आँखों से बहकर आँसू कनपटी को भीगाने लगे। वही अपने कमरे की खिड़की के पास खड़े सागर की आँखों में आँसू थे। मृणाल और सागर दोनों एक ही आग में जल रहे थे,,,,,,,,,,,,,,,,,और ये आग थी मोहब्बत की।
दिनभर मृणाल हॉल में ही रही दोपहर बाद उसे नींद आ गयी वह वही हॉल के सोफे पर सो गयी।

सागर को किसी जरुरी काम से बाहर जाना था उसने मृणाल को सोते देखा तो अंदर से चददर ले आया और मृणाल को ओढ़ा दिया। वह मृणाल को अकेले छोड़कर जाना नहीं चाहता था लेकिन ऑफिस से फोन था और उसका जाना बहुत जरुरी था। सागर ने एक चिट लिखकर टेबल पर रखा और वहा से चला गया।

शाम 7 बजे डोरबेल की आवाज से मृणाल की नींद खुली उसने देखा सागर वहा नहीं है। बार बार बजती डोरबेल से मृणाल उठी और दरवाजे के पास चली आयी  उसने दरवाजा खोला सामने उसकी हमउम्र एक लड़की खड़ी थी जिसे मृणाल नहीं जानती थी। लड़की मृणाल को देखकर काफी हैरान हुयी और फिर अंदर आते हुए कहा,”सागर,,,,,,,,,,,सागर,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“वो बाहर गया है शायद,,,,,,,!!”,मृणाल ने आकर कहा
“तुम कौन हो ? और यहां क्या कर रही हो ?”,लड़की ने पूछा


मृणाल भला उसे क्या बताती , मृणाल को चुप देखकर लड़की ने उसकी बाँह पकड़ी और गुस्से से घूरते हुए पूछा,”बोलती क्यों नहीं मुंह में जबान नहीं है क्या ? कौन हो तुम ? और सागर के फ्लेट में क्या कर रही हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट क्या तुम उसकी गर्लफ्रेंड हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं वो तुम जैसी लड़कियों को मुँह भी नहीं लगाता,,,,,,,,,,,,,,बोलो कौन हो तुम ?”
मृणाल की आँखों में आँसू भर आये। वह कुछ कहती इस से पहले ही सागर वहा चला आया। उसने आकर लड़की के हाथ से मृणाल का हाथ छुड़ाते हुए कहा,”अपनी हद में रहो प्रिया”


“अच्छा और तुम जो अपनी हदें पार कर रहे हो उसका क्या ? कौन है ये लड़की और तुम्हारे फ्लेट में क्या कर रही है ?”,प्रिया ने कहा जिससे कुछ दिन पहले ही सागर की सगाई होने वाली थी
“ये कोई भी है तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”,सागर ने सवाल किया
“मैं यहाँ क्या कर रही हूँ ये तुम पूछ रहे हो ? तुम घर आने वाले थे और इस बार हमारी सगाई होने वाली थी लेकिन तुमने बीच में ही आना केंसल कर दिया।

सबको कितना बुरा लगा मम्मी पापा ने तो इस रिश्ते से मना तक कर दिया लेकिन मैं फिर भी तुम्हे लेने यहाँ चली आयी,,,,,,,,,,,,,,सोचा मुझे यहाँ देखकर तुम खुश हो जाओगे लेकिन नहीं,,,,,,,,,,,,तुम्हारे तो चेहरे का रंग उड़ा हुआ है जैसे यहाँ आकर मैंने तुम्हारी चोरी पकड़ ली हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,इस लड़की के लिए तुम नहीं आये यही सच है ना”,प्रिया ने नफरत भरे स्वर में कहा  
“मृणाल के बारे में तुम कुछ नहीं जानती प्रिया , इसके बारे में ऐसी बातें मत करो,,,,,,,,,,!”,सागर ने मृणाल की तरफ देखकर कहा जो कि सहमी हुयी सी एक तरफ खड़ी थी।


सागर को मृणाल की साइड लेते देखकर प्रिया को और गुस्सा आ गया और उसने कहा,”क्यों ना करू तुम यहाँ इसके साथ रंगरलिया मना सकते हो और मैं बातें भी ना करू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसकी भोली शक्ल देखकर ही लग रहा है कि इसने फंसा लिया है तुम्हे,,,,,,,,,,,इसे तो मैं,,,,,,,,,!”
प्रिया की बाते सुनकर मृणाल की आँखों से आँसू बहने लगे।

प्रिया मृणाल की तरफ आती इस से पहले ही सागर ने उसकी बाँह पकड़ी और उसे दरवाजे की तरफ करते हुए कहा,”फ़िलहाल तुम्हे यहाँ से जाने की जरूरत है प्रिया और अब अगर तुमने मृणाल के बारे में एक और गलत शब्द कहा तो मैं भूल जाऊंगा कि तुम मेरी दोस्त हो,,,,,,,,,,,,,,,,,नाउ गेट आउट”
सागर की बात सुनकर प्रिया को गुस्सा आया , गुस्से से उसकी आँखे लाल हो उठी। उसने वाशबेसिन के पास पड़ी शीशे की बोतल उठाकर सीधा मृणाल पर फेंकते हुए कहा,”इसने छीन लिया है तुम्हे मुझसे”


बोतल सीधा आकर मृणाल के ललाट पर बांयी तरफ लगा और खून निकलने लगा। सागर ने देखा तो वह गुस्से से पलटा और जैसे ही प्रिया की तरफ हाथ उठाने को हुआ मृणाल ने रोते हुए कहा,”हाथ मत उठाना प्लीज,,,,,,,,,,,,,,हाथ मत उठाना”
कहते हुए मृणाल अपने दोनों हाथो से अपना सर छुपाते हुए नीचे बैठ गयी।  ये सब देखकर वह इतना घबरा गयी कि वह रोते हुए बार बार एक ही बात कहे जा रही थी। सागर ने देखा तो उसने प्रिया का हाथ पकड़कर उसे फ्लेट से बाहर किया और दरवाजा बंद कर दिया।

वह भागकर मृणाल के पास आया और उसे सम्हालने लगा। मृणाल को काफी गहरी चोट आयी थी उसके गाल और हाथ पर खून लगा था। वह घबराई हुई थी सागर को अपने पास देखकर वह रोते हुए कहने लगी,”उस पर हाथ मत उठाना प्लीज,,,,,,,,,,,,,,हाथ मत उठाना”
मृणाल को ऐसी हालत में देखकर सागर की आँखों में भी आँसू आ गए वह समझ गया मृणाल ऐसा क्यों कह रही थी। मृणाल रोते हुए आगे कहने लगी,”मेरी वजह से तुम अपनी जिंदगी को परेशानी में मत डालो।

वो लड़की,,,,,,,,,,,,,,वो शायद तुम से प्यार करती है। मुझे यहाँ देखकर उसे ग़लतफ़हमी हो गयी शायद,,,,,,,,,पर तुम उसे रोक लो , तुम उसे जाने मत दो प्लीज , मैं यहाँ से चली जाउंगी , यहाँ रहकर मैं सिर्फ तुम्हारे लिए मुश्किलें बढ़ाउंगी,,,,,,,,,,,,मुझे यहाँ से जाने दो प्लीज,,,,,,,,,,,,उस लड़की को रोक लो , उसे मत जाने दो”
कहते हुए मृणाल ने सागर के शर्ट को अपने हाथो से पकड़ा और सर झुकाकर रोने लगी। सागर ने उसके हाथो को थामा और उठाते हुए कहा,”जाने दो उसे,,,,,,,,,उसने अभी कुछ देर पहले जो किया वो प्यार नहीं था

मृणाल,,,,,,,,,,,,,,,,तुम से बेहतर इस बात को कौन जान सकता है ? तुम ने तो इतनी प्रेम कहानिया लिखी है ना फिर तुमने उसका प्यार पहचानने में भूल कैसे कर दी ?”
मृणाल नम आँखों से सागर को देखने लगी। सागर ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और मृणाल के ललाट पर रखते हुए कहा,”चलो मेरे साथ”
मृणाल ने कुछ नहीं कहा बस सागर के साथ चल पड़ी। सागर मृणाल को लेकर नीचे आया हर्ष ने देखा तो वह भी चला आया और कहा,”ये क्या हुआ ?”


“मेरा पैर फिसल गया और चोट लग गयी”,मृणाल ने सच छुपाते हुए कहा
“मैं गाड़ी लेकर आता हूँ”,हर्ष ने कहा और कुछ देर बाद ही गाड़ी ले आया। सागर मृणाल को लेकर पीछे जा बैठा और हर्ष से हॉस्पिटल चलने को कहा।
कुछ ही देर में तीनो हॉस्पिटल पहुंचे। सागर मृणाल को लेकर इमरजेंसी वार्ड में आया। संयोग से डॉक्टर वही मिल गया। डॉक्टर ने मृणाल को चेक किया और नर्स से पट्टी करने कहा।

सागर वही मौजूद था कुछ देर में हर्ष भी चला आया। जैसे जैसे नर्स मृणाल के घाव को साफ कर रही थी दर्द के मारे उसकी आह निकल रही थी
“जरा आराम से , उसे दर्द हो रहा है”,सागर ने कहा
“आप इन्हे बाहर लेकर जाईये”,नर्स ने कहा तो हर्ष सागर को बाहर ले आया। दोनों बाहर आकर खड़े हो गए सागर दरवाजे पर लगे शीशे से बार बार मृणाल को देख रहा था। मृणाल का दर्द उसके चेहरे से झलक रहा था।


“तू प्यार करता है उस से ?”,दिवार के पास खड़े हर्ष ने कहा
“हाँ,,,,,,,,,,!!”,सागर ने पलटकर हैरानी से कहा
“प्यार करता है ना इस लड़की से ?”,हर्ष ने फिर अपना सवाल दोहराया
“नहीं ऐसा कुछ नहीं है”,सागर ने हर्ष से नजरे चुराते हुए कहा लेकिन हर्ष सच जानता था वह सागर से आगे कुछ बात करता इस से पहले मृणाल बाहर चली आयी।

सागर उसके पास आया और कहा,”तुम ठीक हो ना ? दर्द हो रहा होगा,,,,,,,,,,मैं मेडिसिन ले आता हूँ। ए हर्ष तू मृणाल को लेकर बाहर चल मैं अभी आया”
हर्ष मृणाल को लेकर चला गया और सागर मेडिकल शॉप की तरफ चला गया।
सागर , हर्ष और मृणाल अपार्टमेंट चले आये। मृणाल को खाना खिलाकर उसे दवा देकर सागर ने उसे आराम करने को कहा और कमरे से बाहर चला आया।

सागर हॉल में सो रहा था देर रात पानी लेने किचन एरिया की तरफ आया तो नजर अपने कमरे में चली गयी जहा बिस्तर के किनारे जमीन पर बैठी मृणाल रो रही रही थी। सागर दरवाजे के पास चला आया मृणाल की बातें सुनकर सागर के कदम वही रुक गए
मृणाल रोते हुए कह रही थी,”मुझे एक बार उस से मिलवा दीजिये महादेव,,,,,,,,,,,,,,,,,वो बुरा इंसान नहीं है , मैंने उस से मोहब्बत की है मेरी मोहब्बत गलत नहीं हो सकती,,,,,,,,,,,,,

मुझे एक बार उस से मिलना है महादेव मुझे पूछना है उसने ऐसा क्यों किया ? वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है ? मैंने उस से मोहब्बत की है मेरी मोहब्बत तो सच्ची थी ना महादेव,,,,,,,,,,,,,,फिर मेरे हिस्से में ये दर्द क्यों आया ?”
सागर ने अपने कदम वापस पीछे ले लिए और आकर सोफे पर लेट गया। उसकी आँखों में अब नींद नहीं थी बस था तो इंतजार सुबह होने का।

अगली सुबह सागर ने देखा मृणाल सो रही है उसने बिस्तर पर पड़ा चददर उठाया और मृणाल को ओढ़ा दिया। सागर कमरे से बाहर चला आया उसने देखा हर्ष आया हुआ है। सागर ने हर्ष को मृणाल के बारे में सब बता दिया और उसे मृणाल का ख्याल रखने को कहा।
“उसके साथ अच्छा नहीं हुआ यार,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तू उसे अकेला छोड़कर कहा जा रहा है ?”,हर्ष ने पूछा
“मैं राघव से मिलने जा रहा रहा हूँ , मृणाल के लिए,,,,,!”,सागर ने कहा


“तू पागल हो गया है , तू उसे फिर से उसी दलदल में धकेलना चाहता है”,हर्ष ने परेशान होकर कहा
“मृणाल की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करूंगा,,,,,,,,,,मुझे अभी निकलना होगा , मैंने उसे दवा दे दी है तू बस उसका ध्यान रखना और वो पूछे तो कहना मैं जल्दी आऊंगा,,,,,,,,,,,,,,!!”,सागर ने कहा और वहा से चला गया।

सागर राघव से मिलने पूछा इत्तेफाक से राघव उसे अपने ऑफिस के बाहर ही मिल गया। सागर उसके पास चला आया और कहा,”राघव ?”
“जी हाँ लेकिन आप कौन है ?”,राघव ने हैरानी से कहा वह सागर से पहली बार मिल रहा था
“मुझे तुम से कुछ बात करनी है , जरा साइड में आओगे ?”,सागर ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,!”,राघव ने कहा और ऑफिस से थोड़ा दूर साइड में चला आया।


“मैं मृणाल के सिलसिले में यहाँ आया हूँ,,,,,,,,,,तुमने उसके साथ जो किया वो गलत था। तुम्हे उसके जज्बातों से नहीं खेलना चाहिए था , तुम शायद नहीं जानते वो आज भी इस सब के लिए खुद को जिम्मेदार मानती है। उसने सबसे किनारा करके खुद को एक अलग ही दुनिया में कैद कर लिया है , अगर तुम एक बार उस से मिलकर उसे समझाओगे तो शायद वो इन सब से बाहर निकलकर अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत करे,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे लेने आया हूँ राघव”,सागर ने उम्मीदभरे स्वर में कहा


राघव ने सूना तो मुस्कुराया और कहने लगा,”इतनी जल्दी उसे अपनी औकात पता चल गयी,,,,,,,,,,,,,,वो तो बड़े घमंड के साथ छोड़कर गयी थी मुझे , क्या हुआ उसके घरवालों ने उसे रखा नहीं। खुद को बहुत बड़ी राइटर समझती है वो , उसे लगता है आई ऍम समथिंग,,,,,,,,,,,,,,अरे सपनो की दुनिया में जीती है वो उसे लगता है सब वैसा ही होगा जैसा वो अपनी किताबो में लिखती है। वो बस एक बेवकूफ लड़की है।”


“और तुमने ये साबित कर दिया कि उसके सपनों की कोई कीमत नहीं है। तुमने उसे दर्द दिया , जलील किया , उसकी मुस्कुराहट , उसका सुकून यहाँ तक के उस से जीने की वजह तक छीन ली और तुम कहते हो वो बेवकूफ है,,,,,,,,,,,,,,,हाँ वो बेवकूफ है जिसने तुम जैसे घटीया इंसान से मोहब्बत की , हाँ वो बेवकूफ है जिसने तुम पर भरोसा किया , हाँ वो बेवकूफ है जो आज भी इन सब के लिए खुद को जिम्मेदार मानती है। मुझे लगा तुम में थोड़ी तो इंसानियत होगी , तुम्हे अपनी गलती का अहसास होगा लेकिन नहीं,,,,,,,,,,,,

तुम जैसे इंसान को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता , सच तो ये है कि तुम उसके लायक ही नहीं हो”,सागर ने गुस्से से सागर को घूरते हुए कहा
सागर की बातें सुनकर राघव खामोश हो गया। सागर ने एक नजर राघव को देखा और कहने लगा,”तुम्हारे बारे में जानने के बाद तुम से मिलना तो दूर मैं तुम्हारी शक्ल देखना भी पसंद नहीं करता लेकिन सिर्फ मृणाल के लिए मैं यहाँ आया। वो एक बार तुम से मिलना चाहती थी , बात करना चाहती थी।  तुमने उसे इतना दर्द दिया है कि तुम्हारे जिक्र पर उसकी आँखों में आँसू भर आते है। अपने भगवान के सामने तुम्हारा नाम लेकर रोती है वो।

खुद से सवाल करती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ ? इन सब में उसकी क्या गलती थी। बहुत तकलीफ होती है मुझे जब मैं उसे इस हाल में देखता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,दिल तो करता है तुम्हारी जान ले लू पर अफ़सोस कि मृणाल की वजह से मैं ऐसा नहीं कर सकता,,,,,,,,तुम्हे अहसास तक नहीं है कि वो किस नरक से गुजर रही है,,,,,,,,,,,,,,,काश तुम समझते,,,,!!”
कहकर सागर वहा से जाने लगा सहसा ही उसे कुछ याद आया और वह राघव के सामने आ खड़ा हुआ।

राघव कुछ समझता इस से पहले सागर ने खींचकर एक थप्पड़ राघव के गाल पर मारा और गुस्से से दबी आवाज में कहा,”आइंदा से किसी लड़की पर हाथ मत उठाना”
राघव अपने हाथ को गाल पर लगाए सागर को देखता रहा और सागर वहा से चला गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!

पुरे 2 दिन बाद सागर घर आया था। सागर जैसे ही हॉल में आया मृणाल उसके सामने आकर कहा,”तुम,,,,,,,,,,,,,,,तुम कहा चले गए थे ? तुम शायद राघव से मिलने गए थे , है ना ? तुम्हारी बात हुई उस से,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे दूर होकर वो परेशान होगा न , उसने,,,,,,,,उसने तुम से मेरे बारे में पूछा,,,,,,,,,,,,,,कैसा है वो ? जब मैं उस से आखरी बार मिली थी तब अच्छे हाल में नहीं था वो,,,,,,,,,,,,,होता भी कैसे मैंने उसे छोड़ने का फैसला करके उसे दुःख जो पहुंचाया,,,,,,,,,,,,,सब मेरी गलती है”


सागर ने गुस्से से मृणाल की दोनों बाँहे पकड़ी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”खुद पर तरस खाना बंद करो मृणाल,,,,,,,,,,,,,,,जिस राघव के लिए तुम ये सब महसूस करती हो उसे तुम्हारे दर्द का अहसास तक नहीं है। तुम्हारे सपनो की , तुम्हारी भावनाओ की उसे कोई कदर नहीं है इसलिए उस इंसान के लिए रोना-तड़पना बंद करो।”
सागर को गुस्से में देखकर मृणाल पीछे हट गयी। सागर का गुस्सा अब तकलीफ में बदल चूका था मृणाल उसकी आँखों में आयी नमी को ना देख ले सोचकर वह पलट गया और कहने लगा,”हाँ मिला मैं उस से,,,,,,,,,,,,

बताया उसे तुम्हारे बारे में लेकिन उसे इन सब से फर्क नहीं पड़ता। वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका है मृणाल , उसे तुम्हारे होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,,,,,वो कभी नहीं आएगा बेहतर होगा तुम उसे भूलकर अपनी दुनिया में वापस लौट जाओ,,,,,,,,,,,,वो तुम्हारी मोहब्बत के लायक नहीं है मृणाल , उस इंसान के लिए खुद को गलत समझना बंद कर दो तुम,,,,,,,,,,,,,प्लीज,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे अब और दर्द में नहीं देख सकता प्लीज”


 सागर की बात सुनकर मृणाल नम आँखों के साथ मुस्कुराने लगी और कहाा,”चलो आज ये आखरी भरम भी दूर हो गया। वो इंसान बेशक मेरे लिए गलत था ,  लेकिन मेरी मोहब्बत वो तो गलत नहीं थी ना , मैंने तो उस से मोहब्बत की थी ना तो क्या हुआ उसे अहसास नहीं , मुझे उसे सजा देने का कोई हक़ नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सागर ने सूना तो अपनी आँखों के किनारे साफ किये और मृणाल की तरफ पलटकर कहा,”तुम्हे हक़ है मृणाल,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे हक़ है उसे बुरा कहने का , उस सजा देने का , उस से सवाल करने का पूरा हक़ है।

तुम ऐसी नहीं हो अरे तुम तो अपने हक़ की बातें लिखा करती थी ना , अपने हक़ के लिए लोगो से लड़ जाने की बाते करती थी फिर एक इंसान के लिए इतना कैसे बदल गयी ?”
सागर की बातें सुनकर मृणाल ने अपने गालों पर आंसुओ को पोछा और कहने लगी,”जब उसने मेरा दिल तोडा , मुझे बीच रास्ते में छोड़ दिया और मैं फिर भी खामोश रही,,,,,,,,,,तब लोगो ने कहा कि मुझे उसे बुरा भला कहना था

, मन की भड़ास निकालनी थी , कम से कम एक थप्पड़ तो उसे मारना ही था। मैं पूछती हूँ क्यों ?,,,,,,,,,,क्या ऐसा करने से मेरा दर्द कम हो जायेगा ? क्या मेरी जिंदगी पहले जैसी हो जाएगी ? जिसने हमे दर्द दिया उसे बदले में दर्द देना जरुरी है क्या ? लोग ये क्यों भूल जाते है कि यही वो इंसान था जिसकी सलामती के लिए कभी मैंने अपने ईश्वर से दुआ मांगी थी , जिसके साथ मैंने अपनी आने वाली जिंदगी के सपने देखे थे , जिसके लिए मैंने खुद को भुला दिया,,,,,,,,,,,,,,,,तो जाने देते है , माफ़ कर देते है और आगे बढ़ते,,,,,,,!!


सागर ने सूना तो उसकी आँखों में फिर नमी तैर गयी और उसने मृणाल के सामने आकर कहा,”किस मिटटी की बनी हो तुम हां ? एक इंसान जिसने तुम्हे इतना दर्द दिया ,  इतनी तकलीफ दी तुम उसे माफ़ करने की बातें कर रही हो,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारी जगह होता तो मैं उसे कभी माफ़ नहीं करता”
“और अगर मैं उसकी जगह होती क्या तब भी नहीं ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मृणाल ने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा

सागर कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”मुझे लगता है अंत में सब जाने देने का नाम ही जिंदगी है। वो रिश्ते जिन में आपका शरीर ख़त्म हो। वो रिश्ते जो आपकी मानसिक शांति छीन ले। वो रिश्ते जिनमे आपकी भावनाओ का मजाक बने। वो रिश्ते जिनकी बुनियाद ही झूठ पर रखी गयी हो। वो रिश्ते जो आपको कमजोर , बेबस और लाचार बना दे। वो रिश्ते जिनमे खुलकर साँस लेने के बजाय आपको घुटन महसूस हो,,,,,,,,,,,,,,

ऐसे रिश्तो को अंत में जाने देना चाहिए क्योकि ऐसे रिश्तो की डोर को मजबूती से थामे रखने से इंसान अपने ही हाथो को जख्मी करता है।”सागर की बात सुनकर मृणाल खामोश होकर उसे तकने लगती है। सागर एक नजर उसे देखता है और फिर कहने लगता है,”इस जिंदगी में कुछ भी परमानेंट नहीं है। ना दोस्त , ना प्यार , ना रिश्ते और ना ही हम से जुड़े लोग,,,,,,,,,,,,

हम उम्मीद लगा लेते है कि कोई भी दोस्त , प्यार , रिश्ता और इंसान हमे छोड़ के नहीं जायेगा। यकीनन ये सब एक वक्त के लिए हमारी जिंदगी आते है और फिर चले जाते है लेकिन हम इस भरम में होते है कि जिंदगी हमेशा ऐसी ही रहेगी। दोस्त , प्यार , रिश्ते और इंसान हमे तकलीफ नहीं देते , हमे तकलीफ देती है उनसे लगाई गयी हमारी उम्मीद,,,,,,,,,,यक़ीनन अपने दर्द के लिए हम खुद जिम्मेदार है और यही सच है”
मृणाल ने महसूस किया कि सागर की कही हर बात सच है।

मृणाल ने अपने आँसू पोछे और धीमे स्वर में कहा,”मैं आख़री बार बनारस जाना चाहती हूँ उसके बाद तुम जहा कहोगे मैं चलने के लिए तैयार हूँ”
“बनारस ? और आख़री बार क्यों ?”,सागर ने हैरानी से पूछा
“जहा से ये कहानी शुरू हुई थी इसे वही खत्म करना है”,मृणाल ने कहा


“मृणाल,,,,,,,,,,,,,,!!”,सागर ने कहना चाहा
“प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज”,मृणाल ने आँखों में आँसू भरकर कहा
सागर ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।

अगली सुबह सागर मृणाल को साथ लेकर बनारस के लिए निकल गया। ट्रेन में खिड़की वाली सीट पर बैठी मृणाल खाली आँखों से बाहर देखे जा रही थी। सागर ने देखा आज मृणाल बाकि दिनों के बजाय काफी ठीक है। आज उसके चेहरे पर उदासी नहीं थी ना ही आँखों में नमी। कुछ घंटो के सफर के बाद दोनों बनारस पहुंचे। मृणाल सागर के साथ बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर चली आयी। उसने अपने दोनों हाथ जोड़े और महादेव से प्रार्थना करने लगी। सागर बस उसे देखे जा रहा था। महादेव से प्रार्थना करते हुए वह कितनी मासूम लग रही थी।

मृणाल ने देखा सागर चुपचाप खड़ा है तो उसने सागर के दोनों हाथो को उठाया और उन्हें आपस में मिलाकर प्रार्थना करने का इशारा किया। सागर ने अपनी आँखे बंद की और मन ही मन कहने लगा,”मृणाल मुझे दे दीजिये महादेव,,,,,,,,,,,,,मैं वादा करता हूँ मैं हमेशा इसका ख्याल रखूंगा , इसे खुश रखूंगा। इसकी आँखों में कभी आँसू नहीं आने दूंगा”
वही पास खड़ी मृणाल मन ही मन कह रही थी,”मेरे अपने जिन्होंने मुझे पल में पराया कर दिया , वही मेरी बगल में खड़े इस अनजान शख्स ने मुझे अपने होने का अहसास दिलाया।

इसे दुनिया की हर ख़ुशी देना महादेव,,,,,,,,,,,,,सागर एक बहुत अच्छा इंसान है इसे कभी दर्द मत देना”
“चले ?”,सागर की आवाज से मृणाल की तंद्रा टूटी वह उसके साथ मंदिर से बाहर चली आयी। बगल में ही अनपूर्णा माता का मंदिर था दोनों वहा चले आये। दोनों ने प्रशाद लिया और वही बरामदे में आ बैठे। मृणाल ने प्रशाद उठाया और खाने लगी। सागर एक बार फिर उसे देख रहा था। उसे अपनी ओर देखते  पाकर मृणाल ने अपनी हथेली पर रखा प्रशाद उसकी ओर बढ़ा दिया।

सागर ने उसमे से थोड़ा उठाया और खा लिया तो मृणाल मुस्कुरा उठी। आज कितने दिनों बाद सागर ने उसे मुस्कुराते देखा था। कुछ देर बाद दोनों वहा से उठकर घाट की तरफ चले आये। सूरज आसमान में लालिमा लिए हुए धीरे धीरे डूबने की तैयारी कर रहा था। दोनों ख़ामोशी से वहा सीढ़ियों पर टहल रहे थे। एक जगह आकर मृणाल ठहर गयी और सामने बहते पानी को निहारने लगी। सागर उसके चेहरे को देखने लगा। मृणाल की आँखों में चमक थी और चेहरे पर सुकून।

वो शहर मृणाल के लिए क्या था ये सागर को आज समझ आ रहा था। मृणाल की असली ख़ुशी वो शहर था जहा आकर वो अपना हर दर्द भूल गयी। सागर मुस्कुराने लगा। मृणाल नीचे सीढ़ियों पर बैठ गयी।
सागर ने देखा तो कहा,”क्या मैं तुम्हारे साथ बैठ सकता हूँ ?”
“हम्म्म्म”,मृणाल ने कहा
सागर मृणाल के बिल्कुल बगल में बैठ गया और दोनों सामने पानी में चमकते सूरज को देखने लगे।

दोनों खामोश थे। मृणाल के बगल में बैठे सागर को एकदम से अपनी कही बात याद आ गयी “मैं चाहूंगा कि मैं तुम से बनारस में मिलू”
सागर ने देखा उसकी कही बात सच हो गयी। वह बनारस में था मृणाल के साथ,,,,,,,,,,,,,,अपनी मोहब्बत के साथ।
कुछ देर खामोश रहने के बाद मृणाल ने कहा,”मोहब्बत बिल्कुल आसमान में चमकते उस चाँद की तरह होती है जिस के पीछे हम जितना भागते है वो उतना ही हम से दूर होती जाती है। किसने सोचा था कि प्रेम कहानिया लिखने वाली मृणाल की कहानी अधूरी रह जाएगी”


“कोई भी कहानी अधूरी नहीं रहती , हर प्रेम कहानी पूरी होती है बस हमसफर बदल जाते है”,सागर ने मृणाल की तरफ देखकर कहा
मृणाल से सूना तो मुस्कुराई और कहा,”हाँ ये भी शायद मैंने ही कभी लिखा है लेकिन आज मैं ही इस सच को अपनाने से डरती हूँ”
“तुम्हे जो हुआ उसे भूल कर आगे बढ़ जाना चाहिए मृणाल,,,,,,,,,,,,,,,,किसी एक के चले जाने से जिंदगी नहीं रुक जाती है।

बंद आँखों से देखो तो सब ओर अँधेरा ही दिखता है लेकिन जब उन्ही आँखों को खोलकर देखो तो उजाला आपके सामने होता है जिसमे पूरी दुनिया दिखाई देती है। और फिर तुमने ही तो लिखा था कि टूटा हुआ दिल मोहब्बत कमाल की करता है तो क्यों न तुम फिर से खुद को एक मौका दो,,,,,,,,,,,,,फिर से मोहब्बत करो”,सागर ने धीमे स्वर में कहा
“तुम मेरी लिखी बातों पर बहुत यकीन करते हो ना ?”,मृणाल ने सागर की तरफ देखकर पूछा


“हाँ क्योकि मुझे लगता है तुम कभी गलत नहीं लिखती”,सागर ने मृणाल की आँखों में देखते हुए कहा
“तुमने मेरी आख़री तस्वीर के साथ लिखे शब्द नहीं देखे शायद,,,,,,,,,,!”,मृणाल ने सामने देखते हुए कहा
“मैं समझा नहीं,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सागर ने कहा
“कुछ नहीं,,,,,,,,,थेंक्यू,,,,,,,,,,,!!”,मृणाल ने कहा
“ये किसलिए,,,,,?”,सागर ने पूछा


“बस थेंक्यू,,,,,!”,मृणाल ने कहा और एक बार फिर दोनों के बीच ख़ामोशी छा गयी। सूरज धीरे धीरे डूब रहा था और उसकी लालिमा से माँ गंगा का पानी चमक रहा था। मृणाल एकटक सामने देखे जा रही थी। सागर धीमी आवाज में कहने लगा,”मैंने कभी सोचा नहीं था मैं तुम से इस तरह मिलूंगा,,,,,,,,,,,,,मैं बचपन से ही चुप रहने वाला और अपने काम से काम रखने वाला लड़का रहा हूँ। माँ हमेशा कहती थी कि मैं कभी भावुक नहीं होता,,,,,,,,,,

दोस्त कहते थे मेरा दिल पत्थर का है जिसमे कोई फीलिंग्स ही नहीं है लेकिन ये बातें उस वक्त गलत साबित हुयी जब मैंने पहली बार तुम्हारा लिखा पढ़ा और मेरी आँखे नम हुई , जब मैंने उन शब्दों को महसूस किया,,,,,,,,,,!”
सागर ने इतना ही कहा था कि मृणाल का सर उसके कंधे से आ लगा। सागर हल्का सा मुस्कुराया उसे लगा आज मृणाल उसे सुनना चाहती है।

उस खूबसूरत अहसास को महसूस करते हुए वह सामने देखकर अपने दिल की बात मृणाल से कहने लगा। कुछ देर बाद उसने महसूस किया कि मृणाल अभी भी अपना सर उसके कंधे पर रखे वैसे ही बैठी है , उसके शरीर में कोई हरकत नहीं है। सागर ने मृणाल की तरफ देखकर कहा,”मृणाल ,, मृणाल ,, तुम ठीक हो न ?”
मृणाल का हाथ नीचे जा गिरा,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो इस दुनिया से जा चुकी थी। उसकी मौत उसी वक्त हो चुकी थी जब उसका सर सागर के कंधे पर आकर लगा था। सागर की सांसे एक पल के लिए थम चुकी थी।

वह फ़टी आँखों से बस मृणाल के निर्जीव शरीर को देख रहा था। उसने मृणाल के ठन्डे पड़े हाथ को अपने हाथ में थाम लिया , उसकी आँख से आँसुओ की मोटी मोटी बुँदे नीचे आ गिरी। उसका गला भर आया वह खुलकर रो भी नहीं पाया। वह बुत बना मृणाल का हाथ अपने दोनों हाथो में थामे वहा बैठा रहा। सूरज डूब चुका था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

अगले दिन बनारस के मणिकर्णिका घाट पर मृणाल की चिता को अग्नि दी गयी और उसका अंतिम संस्कार किया गया। सागर को कोई होश नहीं था वह खामोश और बेसुध सा बस उस जलती हुई चिता को देखता रहा। मृणाल की लिखी बात उसके जहन में आयी “मेरी जन्मभूमि चाहे कोई भी हो पर मैं अपना अंत  
 बनारस में चाहती हूँ” सागर की आँख से आँसू बहकर गालों पर लुढ़क आये। वह इतना टूट चुका था कि उसने मृणाल के चले जाने की बात उसके घरवालों को भी नहीं बताई जिनके लिए मृणाल अब इस दुनिया में नहीं थी।


मृणाल जा चुकी थी और सागर इस इस बात को सह ही नहीं पा रहा था। वह रातभर वही घाट की सीढ़ियों पर बैठा रहा और मृणाल के साथ बिताये पलों के बारे में सोचता रहा। रात से सुबह हो गयी और सुबह से शाम लेकिन सागर को अपना ख्याल नहीं था वह मृणाल को छोड़कर जाना नहीं चाहता था। सूरज एक बार फिर आसमान में अपनी लालिमा बिखेर रहा था और गंगा का पानी चमक रहा था।

डूबता सूरज देखकर सागर के जहन में मृणाल की कही बात याद आयी “तुमने मेरी आखरी तस्वीर के साथ लिखे शब्द नहीं देखे शायद”
सागर ने अपने आँसू पोछे और वहा से उठकर चला गया।

सागर वापस अपने शहर कानपूर चला आया। वह थके कदमो से अपार्टमेंट आया। उसका चेहरा मुरझाया हुआ था और आँखे सूजी हुयी थी। हर्ष ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो सागर ने उसे हटाया और आगे बढ़ गया। इस वक्त वह किसी से बात करना नहीं चाहता था। मृणाल के चले जाने का गम उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था। वह अपने फ्लेट में चला आया और सीधा उस कमरे में आया जिसमे मृणाल से जुडी यादें थी।

सागर एक बार फिर उस दिवार के सामने आ खड़ा हुआ जिस पर मृणाल की तस्वीरें लगी थी। उसकी नजर मृणाल की आखरी तस्वीर पर चली गयी जिसमे मृणाल ने सफ़ेद कमीज पहन रखी थी , और उसके हाथ में एक चाय का कप था,,,,,,,,,,,,,,,,,वो तस्वीर अब तक की सबसे खूबसूरत तस्वीर थी। उसकी आँखों में चमक और होंठो पर मुस्कराहट थी  
सागर ने देखा उस तस्वीर के नीचे कुछ शब्द लिखे थे “मेरी पहली मोहब्बत मेरे हाथो में थी और आख़री मेरे सामने”
सागर को एक धक्का सा लगा।

उसे समझ आया कि क्यों मृणाल उस दर्द से बाहर नहीं निकल पा रही थी और क्यों वो आख़री बार बनारस जाना चाहती थी ?
वो तस्वीर राघव ने ली थी और राघव ही मृणाल की आख़री मोहब्बत था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
सागर की आँखो में नमी तैर गयी। मृणाल के लिए उसके दिल में जो भावनाये थी वो सागर उस से कभी कह ही नहीं पाया,,,,,,,,,,,,,,,,!!
उसके सारे सवालो का जवाब उसे मिल चुका था। वह उस कमरे से जाने के लिए जैसे ही मुड़ा नजर बुक रेंक के पास पड़ी टेबल पर रखे एक बॉक्स पर चली गयी।

सागर अपनी आँखे पोछते हुए उस तरफ चला आया उसने बॉक्स उठाया और खोलकर देखा उसमे ब्लैक स्टोन वाली एक प्लेटिनम रिंग थी जिसके चारो ओर बारीक़ डायमंड्स थे। उस रिंग को देखते ही सागर को याद आया कि ये रिंग मृणाल ने राघव के लिए खरीदी थी लेकिन कभी उसे दी नहीं। सागर ने उस रिंग को डिब्बे से निकाला और अपनी ऊँगली में पहन लिया। मृणाल की लिखी बात फिर उसके जहाँ में कौंध गयी “हर सही चीज , एक सही इंसान के पास पहुँच ही जाती है”


सागर ने उस रिंग को अपने होंठो से छू लिया और अपनी आँखे बंद कर ली। आँखों में ठहरे आँसू निकलकर उंगलियों पर बह गए। मृणाल जा चुकी थी पर अपने होने का अहसास हमेशा हमेशा के लिए सागर के पास छोड़ गयी।

मृणाल के जाने के एक महीने बाद सागर बनारस पहुंचा। मृणाल की याद में उसने गंगा के उस पर एक खूबसूरत बेंच बनवायी जहा बैठकर बनारस के सभी घाट दिखाई देते थे। मृणाल को वो शहर बहुत पसंद था और इस से खूबसूरत तोहफा और क्या हो सकता था ? सागर हर महीने वहा आता और उस बेंच पर बैठकर मृणाल की यादों के साथ घंटो वक्त बिताता। हमेशा की तरह एक सुबह सागर वहा पहुंचा तो देखा बेंच के पास राघव खड़ा है। सागर को गुस्सा आया लेकिन उसने अपने गुस्से को मन में ही दबा लिया और राघव के पास आकर कहा,”तुम यहाँ क्यों आये हो ?”


“ये यहाँ मृणाल का नाम क्यों लिखा है ? दरअसल मैंने उस से मिलने की कोशिश की लेकिन मुझे कही नहीं मिली,,,,,,,,,क्या तुम जानते हो वो कहा है ?”,राघव ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“वो अब तुम्हे कभी नहीं मिलेगी,,,,,,,,,!”,सागर ने शांत भाव से कहा
“क्या मतलब ? वो मुझसे क्यों नहीं मिलेगी ? वो मुझसे कभी इतनी नफरत नहीं कर सकती कि मुझसे मिलने से ही इंकार कर दे,,,,,,,,,तुम बताओ ना वो कहा है ? मैं उस से मिलना चाहता हूँ ,

उस से बात करना चाहता हूँ , मैंने जो दर्द उसे दिया उसके लिए उस से माफ़ी मांगना चाहता हूँ,,,,,,मैंने जो किया वो माफ़ी के लायक नहीं है पर वो इतनी अच्छी है कि वो मुझे माफ़ कर देगी,,,,,,,,,,,,,,,तुम,,,,,,,,,तुम बताओ ना वो कहा है ?”,राघव ने कहा
“मृणाल अब इस दुनिया में नहीं है”,सागर ने अपना दिल मजबूत करके कहा
राघव ने जैसे ही सूना उसे एक धक्का सा लगा बदहवास सा वह उसी बेंच के किनारे पर बैठ गया।

वहा बहती हवा उसे छूकर गुजरी और उसे मृणाल की कही बात याद आ गयी “मरने से पहले मैं आपके साथ बनारस जाना चाहती हूँ , अपने महादेव का शुक्रिया अदा करने के लिए कि उन्होंने आपको मेरी जिंदगी में भेजा” “मैं ज्यादा जीना नहीं चाहती बस सिर्फ 30 साल और चाहती हूँ जब मैं मरू तो बनारस में मरू” “मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए आपकी गाडी , बंगला  , पैसा ये ऐशो-आराम की आराम की जिंदगी कुछ भी नहीं,,,,,,,,,,,,

मुझे बस आपके साथ रहना है , मैं बस आपको खुश देखना चाहती हूँ”
राघव की बांयी आँख से आँसू निकलकर गाल पर बह गया। वह नम आँखों से सामने फैले बनारस को देखता रहा। बेंच के दूसरे किनारे पर सागर आ बैठा और सामने देखने लगा। उसकी आँखों में आँसू नहीं थे बस सिर्फ़ खालीपन था।  

बेंच के एक किनारे पर वो शख्स था जिस से मृणाल मोहब्बत करती थी और दूसरे किनारे पर वो जिसने मृणाल से मोहब्बत की,,,,,,,,,,,,,,,इन दोनों में से सबसे ज्यादा तकलीफदेह क्या था ? मोहब्बत को हासिल ना करना या फिर मोहब्बत को ठुकरा देना,,,,,,,,,,,,,,,,!!

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समाप्त

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संजना किरोड़ीवाल

Sakinama by Sanjana Kirodiwal
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