Sakinama – 3
Sakinama – 3
कुछ देर बाद मौसाजी ने आकर मुझसे बैठक में आने को कहा। मैं जैसे ही जाने लगी राघव की मम्मी ने कहा,”सर ढककर जाओ”
मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन बड़ो की बात मानने के अलावा मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था। अपनी कहानियो में मैं भले ही कितना भी फ्रीडम की बात करू असल जिंदगी में हमे चलना इन्ही बड़ो के हिसाब से पड़ता है।
कमरे से बाहर आकर मैंने एक बार फिर जिया से कहा,”देख अगर लड़का पसंद नहीं आया तो मैं उसे ना बोल दूंगी”
जवाब में जिया ने अपनी पलकें झपका दी।
मैंने दुपट्टे से अपना सर ढका और बैठक में चली आयी। बैठक में घर के सभी बड़े मौजूद थे। लड़का बिल्कुल मेरे सामने सोफे पर बैठा था और मेरी पलकें झुकी हुयी थी। कुछ देर बाद मुझे और राघव को अकेले छोड़कर सभी बैठक से बाहर चले गए।
राघव ने मुझे बैठने का इशारा किया। मैं उसके सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठी। मैंने नजर उठाकर पहली बार उसे देखा। सफ़ेद शर्ट और ब्लू पेंट की फॉर्मल ड्रेस में वह अच्छा लग रहा था। वह काफी सीरियस दिख रहा था और इसके पीछे 2 ही वजह हो सकती है पहली ये कि उसे भी मेरी तरह जबरदस्ती शादी के नाम पर यहाँ बैठाया गया होगा और दूसरा ये कि कुछ लड़को को लगता है कि वो कम बात करेंगे या सीरियस रहेंगे तो लोग उन पर ज्यादा ध्यान देंगे।
उसे सफ़ेद शर्ट में देखकर सहसा ही मुझे अपनी लिखी कुछ कविताये याद आ गयी जो मैं अक्सर सफ़ेद शर्ट को लेकर लिखा करती थी , मैं हल्का सा मुस्कुरा उठी। कुछ देर खामोश रहने के बाद मैंने ही बात की शुरुआत करते हुए पूछा,”आपका शुभ नाम ?”
“बॉयोडाटा देखा होगा ना आपने , उसमे लिखा है”,राघव ने कहा
उसका जवाब सुनकर मैंने एक नजर उसे देखा , हालाँकि मेरा सवाल थोड़ा बचकाना था लेकिन मुझे उस से इस जवाब की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी।
दिल किया इसी जवाब पर मैं अपना फैसला सूना दू लेकिन एकदम से दोस्त की कही बात याद आ गयी “मृणाल तुम्हे हर जगह सख्ती नहीं दिखानी चाहिए , कभी कभी तुम थोड़ा नॉर्मल भी रह सकती हो”
मैंने गुस्से और अपनी सख्ती को कुछ वक्त के लिए साइड रख दिया और कहा,”जी देखा , आप अगर कुछ पूछना चाहे तो पूछ सकते है”
राघव ने एक नजर मुझे देखा और बहुत ही सीरियस होकर कहा,”शादी क्यों करना चाहती है ? मतलब फॅमिली प्रेशर है या फिर कोई और रीजन ?”
मुझे लगा सिर्फ मैं अजीब सवाल करती हूँ पर वो भी कम नहीं था। लोग शादी क्यों करते है ? ऑफकोर्स जिंदगी की एक नयी शुरुआत करने के लिए , अपनी फॅमिली बनाने के लिए
मैं कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”फॅमिली प्रेशर नहीं है बल्कि एक न एक दिन तो शादी करनी ही है। आपसे नहीं तो किसी और से लेकिन करनी ही पड़ेगी क्योकि रिश्तेदार और समाज जीने नहीं देता”
“रिश्तेदार सबके यहाँ एक जैसे ही होते है। उनका काम है कुछ ना कुछ कहना”,राघव ने कहा
राघव के मुंह से रिश्तेदारों की तारीफ सुनकर ना जाने क्यों मेरे दिल को सुकून मिला। सुकून ये कि चलो कोई तो है जो मेरी तरह सोचता है। वो धीरे धीरे खुलने लगा था इसलिए मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा,”आप चाय लेंगे ?”
“मैं चाय नहीं पीता”,राघव ने कहा
वह रिश्तेदारों वाले पॉइंट पर मुझे थोड़ा पसंद आया ही था कि चाय के लिए ना बोलकर उसने मेरा 50 परसेंट इंट्रेस्ट कम कर दिया। चाय के लिए ना कौन कहता है यार ? और मैंने तो हमेशा एक ही चीज चाही अपनी जिंदगी में कि जब भी मुझे कोई पसंद आये तो वो एटलीस्ट चाय लवर हो।
“तो कॉफी ?”,मैंने आगे पूछा
“हाँ कॉफी पी लेता हूँ”,राघव ने कहा
राघव के मुंह से चाय के लिए ना सुनकर सहसा ही मेरे जहन में मेरे लिखे शब्द कौंध गए “इतिहास गवाह है “चाय प्रेमी” की जिंदगी में हमेशा “कॉफी लवर” ही आया है”
मैंने धीरे से अपना सर झटका और मन ही मन खुद से कहा,”नहीं नहीं अभी ये कौनसा तेरी जिंदगी में फिक्स हो गया है जो तू ये सब सोच रही है , चाय नहीं पीता बड़ा आया कॉफी लवर”
“सो क्या करती है आप ?”,मुझे चुप देखकर राघव ने पूछ लिया
“मैं अभी जॉब करती हूँ , इसके अलावा मैं एक राइटर हूँ। ऑनलाइन ब्लॉग और स्टोरी लिखती हूँ। देखिये दो चीजे मैं पहले ही क्लियर करना चाहती हूँ। पहली ये कि मेरे लिए मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट सबसे पहले है। मैं चाहे जिस से भी शादी करू मैं उस से हमेशा ये उम्मीद करुँगी कि वो मेरी इज्जत करे और दूसरी ये कि मैं शादी के बाद भी अपनी रायटिंग जारी रखूंगी। अपनी शादीशुदा जिम्मेदारियों को निभाते हुए मैं अपने काम को भी वक्त दूंगी। मुझे ऐसे इंसान से शादी करनी है जो मेरे काम को और मेरे सपनो को सपोर्ट करे”
मेरी बात सुनकर राघव पहले तो खामोश रहा और फिर कहने लगा,”सेल्फ रिस्पेक्ट होना बहुत जरुरी है और रही बात रायटिंग की तो मुझे और मेरे घरवालों को इस से कोई दिक्कत नहीं है।”
राघव का जवाब सुनकर मैं इतना तो जान चुकी थी कि कही ना कही वो इस रिश्ते के लिए तैयार हो रहा है। उसके बाद जो बातें शुरू हुयी तो फिर खत्म होने का नाम नहीं लिया। वह बोल कम रहा था और मेरी बातें सुन रहा था।
“तो आप बुक्स लिखती है , कहा पढ़ सकते है ?”,बातो बातो में राघव ने कहा
“मेरे पास कुछ बुक्स रखे है , आप चाहे तो उन्हें पढ़ने के लिए ले सकते है”,मैंने एकदम से कहा
“नहीं बुक्स नहीं , क्या है कि मैं दिनभर बिजी रहता हूँ। आपसे किताबे लेकर उन्हें गाड़ी या ऑफिस में रख दूंगा और पढ़ नहीं पाऊंगा , ऐसे में उनकी इंसल्ट होगी। हां घर आने के बाद कुछ देर ऑनलाइन रहता हूँ तो फ़ोन में देख सकता हूँ”,राघव ने कहा
राघव की ये बात ना जाने क्यों मुझे जेनुअन लगी। वैसे मुझमे एक कमी भी है कि जब भी कोई इंसान मेरे सामने मेरी रायटिंग या उस से जुडी बातें करता है तो मैं भावुक हो जाती हूँ। उस से एक इमोशनल अटेचमेंट हमेशा रहा है मेरा
“ऑनलाइन तो आपको गूगल और यूट्यूब पर मिल जाएगा , आप मेरे नाम से चेक कर लेना”,मैंने राघव की तरफ देखकर कहा
“आप लिंक भेज देना ना”,कहते हुए वह पहली बार मुस्कुराया। उसकी आँखे भूरी और छोटी छोटी थी जिन्हे मिचमिचाते हुए उसने ये कहा। मैंने ध्यान दिया की वह मुस्कुराते हुए ज्यादा अच्छा लगता है।
” डायरेक्ट नंबर नहीं मांग सकता नंबर मांगने का ये अच्छा तरिका है”,मैंने मन ही मन सोचा और राघव से कहा,”ठीक है मैं आपको लिंक भिजवा दूंगी”
बातें करते हुए कब एक घंटा बीत गया हमे पता ही नहीं चला। मैंने उसके सामने हर वो बात कह दी जो मैं अपने होने वाले हमसफर में चाहती थी और वो बस ख़ामोशी से सुनता रहा। मैंने दिवार पर लगी घडी में टाइम देखा और कहा,”तो अब मैं जाऊ ? देखिये ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है , आप अपना टाइम लीजिये अच्छे से सोचकर घरवालों को जवाब दे दीजियेगा”
“हम्म्म ठीक है”,राघव ने कहा तो मैं उठकर बैठक से बाहर चली आयी।
मेरे कमरे के बाहर बरामदे में राघव की मम्मी , मेरी मम्मी और जिया खड़ी थी। मुझे देखकर मम्मी ने सीधा ही पूछ लिया,”हो गयी बात , कैसा लगा ? पसंद आया ?”
राघव की मम्मी जो कि मेरी ओर ही देखे जा रही थी उन्हें देखकर मैंने मम्मी से धीमी आवाज में कहा,”मैं बाद में बता दूंगी”
चाय नाश्ते के बाद राघव और उसके घरवाले वहा से चले गए। मैं अपने कमरे में आयी तो पीछे पीछे मम्मी और जिया भी चली आयी और जिया ने कहा,”तुम दोनों इतनी देर तक क्या बातें कर रहे थे ?”
“ऐसे ही इधर उधर की बातें”,मैंने सर से दुपट्टा उतारते हुए कहा
“लड़का तो ठीक लगा मुझे और इन लोगो को दहेज़ में भी कुछ नहीं चाहिए।
अच्छे लोग है मुझे तो लड़का पसंद आ गया अब तेरे ऊपर है”,मम्मी ने बैठते हुए कहा
“इतनी भी क्या जल्दी है लड़के ने कहा है कि वो कुछ दिन में बता देगा।”,मैंने बेपरवाही से कहा
“देखना वो तो हाँ ही कहेगा , इतनी अच्छी लड़की उसे और कही नहीं मिलेगी”,मम्मी ने खुश होकर कहा और कमरे से बाहर चली गयी।
“बता ना क्या बाते हुयी तुम दोनों में ?”,मम्मी के जाते ही जिया फिर शुरू हो गयी मैंने उसे डिटेल में सब बताया और फिर बिस्तर पर लेट गयी। घर में सब खुश थे। जिया ने राघव को मेरे ब्लोग्स और स्टोरी के कुछ लिंक्स भेज दिए उसने देखा या नहीं ये तो बस वही जानता था।
2 दिन गुजर गए एक सुबह मैं सो रही थी कि जिया ने कहा,”दी ! दी उठो आपको एक बात बतानी है आप सुनोगी तो शॉक हो जाओगी”
“ऐसा कौनसा भूकंप आ गया है जो तुम सुबह सुबह मेरी नींद खराब कर रही हो ?”,मैंने आँखे मूंदे तकिये में मुंह छुपाये हुए कहा
“ये देखो”,जिया ने अपना फोन मेरी तरफ बढाकर कहा
मैंने अधखुली आँखों से फोन की स्क्रीन देखी राघव का मैसेज था “अपनी सिस्टर से कहो मुझे फोन या मैसेज करे”
मेरे होंठो पर मुस्कुराहट फ़ैल गयी।
इतना तो यकीं था कि उस मुलाकात के बाद वो मुझसे बात जरूर करना चाहेगा। मैंने फोन जिया की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”इनको मेरे नंबर भेज दो और कहो की ये खुद ही कॉल या मैसेज कर ले”
जिया ने राघव को मेरा नंबर भेज दिया। तैयार होकर मैं ऑफिस चली आयी ना राघव का कोई मैसेज आया ना ही कोई फोन,,,,,,,,,,,,,,,ऑफिस में काम करते हुए मैं भी इस बारे में भूल गयी। काम ज्यादा होने की वजह से आज थोड़ी फ्रस्ट्रेशन भी होने लगी थी उस पर ऑफिस के खराब प्रिंटर ने मेरा फ्रस्ट्रेशन और बढ़ा दिया। लगभग 2 बजे के करीब एक अनजान नंबर से फोन आया। मैंने फोन उठाया और कहा,”हैलो !!”
“हेलो”,दूसरी तरफ से एक मर्दाना आवाज उभरी
“हां जी कौन बोल रहा है ?”,मैंने फोन को कंधे और कान के बीच रखकर कीबोर्ड पर उंगलिया चलाते हुए कहा
“आपका नंबर मिला था मुझे किसी से”,लड़के ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा
“ठीक है लेकिन बोल कौन रहे हो ? और काम क्या है वो बोलो ना ?”,मैंने उखड़े स्वर में कहा क्योकि लड़को से बात करने में मेरा एक्सपीरियंस काफी खराब था
“आवाज से पहचान लो”,लड़के ने मुझे और ज्यादा इरिटेट करते हुए कहा
ऐसे मामलो में अक्सर मैं ज्यादा बहस नहीं करती सीधा 2 गाली और उसके बाद फोन कट लेकिन यहाँ पहली बार मैंने खुद को संयत रखते हुए कहा,”देखिये आपको बताना है तो बताईये वरना फोन रख दीजिये”
मेरे इतना कहते ही उसने फोन काट दिया।
मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फोन साइड में रखकर वापस अपने काम में लग गयी। शाम में ऑफिस से घर आयी तो जिया ने मेरे पास आकर पूछा,”गुजरात वाले का फ़ोन आया ?”
जिया के सवाल से मुझे ऑफिस में आये फोन की याद आ गयी। “तो क्या वो उसका फोन था ?”,मैंने मन ही मन खुद से कहा
“क्या हुआ ? क्या सोचने लगी ? फ़ोन या मैसेज कुछ आया या नहीं ?”,जिया के सवाल से मेरी तंद्रा टूटी
“जरा अपना फोन देना”,मैंने जिया से कहा तो उसने अपना फ़ोन मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैंने उसके फोन में नंबर चेक किया और फिर अपने फ़ोन का लास्ट कॉल देखा और अपना सर पीट लिया। वो कॉल राघव का ही था। मैंने जिया को सब बताया तो उसने कहा,”उसे कॉल करो और कह दो कि तुम्हे नहीं पता था”
“मैं उसे कॉल नहीं करुँगी”,मैंने उलझनभरे स्वर में कहा
“तो फिर मैसेज कर दो”,जिया ने कहा
“पक्का ना ?”,मैंने झिझकते हुए कहा तो जिया ने हामी भरी और वहा से चली गयी।
मैंने राघव का नंबर सेव किया और व्हाट्सएप में जाकर एक मैसेज टाइप किया “माफ़ करना मुझे नहीं पता था ये आपका नंबर है”
लेकिन मेरी ऊँगली अभी भी सेंड बटन पर अटकी थी। ऐसा नहीं था कि पहले मैंने किसी लड़के को मैसेज नहीं किया या किसी से बात नहीं की बल्कि रिप्लाई से लेकर गालियां तक बड़े आराम से दिया है लेकिन राघव को वो मैसेज भेजने में एक अजीब बेचैनी हो रही थी। आख़िरकार हिम्मत करके मैंने वो मैसेज भेज दिया। कुछ देर बाद उसका मैसेज आया “मुझे लगा आप आवाज सुनकर पहचान जाओगे”
“लेकिन हमारी बात ही कितनी हुई है जो मैं आवाज से पहचानती”,मैंने मैसेज किया
“मैंने तो आपकी आवाज सुनकर पहचान लिया था , पर आप शायद बिजी थी”,राघव का मैसेज आया
“वो ऑफिस में थी तो थोड़ा,,,,,,,,,,,,आप बताईये ?”,मैंने डायरेक्ट पॉइंट पर आते हुए मैसेज किया
“अभी तो कुछ नहीं कल शाम में आपको फोन करता हूँ”,राघव का जवाब आया
“हम्म ठीक है”,मैंने भी लिखकर भेज दिया और उसके बाद उसका कोई मैसेज नहीं आया और मैं दूसरे कामो में बिजी हो गयी।
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