Sanjana Kirodiwal

साक़ीनामा – 26

Sakinama – 26

Sakinama
Sakinama by Sanjana Kirodiwal

Sakinama – 26

रात के 2 बज रहे थे और सागर उस खाली पड़े स्टेशन की बेंच पर बैठा हाथ में पकड़ी किताब को देखे जा रहा था। उसके जहन में सिर्फ मृणाल का ख्याल था। राघव आज घर जा रहा था , पिछले काफी दिनों से घर में उसकी शादी की बात चल रही थी और सागर बहुत मुश्किल से माना था लेकिन उसकी किस्मत ने उसे आगे जाने ही नहीं दिया और वह एक बार फिर मृणाल के लिए ठहर गया।


सागर के पास सिर्फ मृणाल की लिखी किताब थी। वह नहीं जानता था इस वक्त मृणाल कहा है ? उसे बस मृणाल से मिलना था और इसी सोच में डूबा वह काफी देर तक वही बैठा रहा। अगली ट्रेन सुबह 5 बजे थी। सागर ने किताब को अपने बैग में रखा और चाय वाले की तरफ चला आया। सागर ने एक कप चाय ली और उसे पीने लगा। चाय पीते हुए उसे फिर मृणाल का ख्याल आने लगा। सागर एक ऐसे इंसान की मोहब्बत में था जिसका लिखा उसने सिर्फ पढ़ा था ,

जिसकी कुछ तस्वीरें देखी थी , जिस के बारे में वह अकेले में खुद से बात किया करता था , जिसके लिए वह अपने ईश्वर से खुशियों की दुआ माँगा करता था। सागर कभी मृणाल से मिला नहीं था फिर भी उसके दिल में मृणाल के लिए ना जाने कितने ही अहसास और ख्याल थे। उसने हमेशा मृणाल के लिए अपने मन में अपने शब्दों में सम्मान रखा। मृणाल की बीती जिंदगी के बारे में जानकर सागर बैचैन हो उठा। उसने चाय से भरा कप डस्टबिन में डाल दिया और पैसे चुकाकर वापस बेंच पर आकर बैठ गया।

हल्की ठण्ड थी सागर ने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को आपस में फंसाया और होंठो से लगाकर सोच में पड़ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ? मृणाल के बारे में कैसे पता करे ? उस तक कैसे पहुंचे ? वह सिर्फ उस शहर का नाम जानता था जहा मृणाल रहती थी इतने बड़े शहर में वह उसका घर कैसे ढूंढेगा ? सोच में डूबा सागर खुद में ही बड़बड़ाने लगा


“क्या मुझे राघव से पूछना चाहिए ? नहीं उस से पूछना बेकार है कही वो मुझे और मृणाल को लेकर गलत ना समझ ले,,,,,,,,,,,,,,नहीं मैं मृणाल छवि खराब नहीं कर सकता , तो क्या मुझे उसके शहर जाना चाहिए ? लेकिन इतने बड़े शहर में मैं उसे ढूंढूंगा कहा ? मृणाल का ऑफिस,,,,,,,,,,,,मृणाल के ऑफिस का एड्रेस मेरे पास है वहा से मुझे उसके घर का पता मिल सकता है। मैं उसके शहर जाकर उस से मिलूंगा,,,,,,,,,,,,,,पर क्या वो मुझसे मिलेगी ? वो जरूर मिलेगी,,,,,,,मैं उसे नहीं बताऊंगा मैं कि मैं उसकी कहानी जानता हूँ।

अगर वो नहीं भी मिलेगी तो मैं बस दूर से उसे देखकर वापस चला आऊंगा,,,,,,,,,,,,मुझे बस जानना है कि वो ठीक है। मैं उसे कोई दिलासा नहीं दूंगा ना ही उस से कोई शिकायत करूंगा बस उसके लिए दुआ करूंगा कि वो सब भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढे।”
सागर ने घडी में टाइम देखा और उठकर स्टेशन से बाहर चला आया। उसने ऑटोवाले से बस स्टेण्ड छोड़ने को कहा और अंदर आ बैठा। अगली ट्रेन सुबह 5 बजे थी लेकिन सागर अपना वक्त बर्बाद करना नहीं चाहता था।

ऑटो में चलते गाने के शब्दों ने सागर का ध्यान अपनी तरफ खींचा  
“तुम जाने नहीं ये दर्द मेरा , या जान के भी अनजाने हो,,,,,,,,,,,,,इक पल ये लगे अपने हो तुम , इक पल ये लगे बैगाने हो,,,,,,,,,!!!
उसकी आँखों के सामने फिर मृणाल का चेहरा आने लगा। उसका चेहरा फिर उदासी से घिरने लगा। वह बाहर खाली सड़क को देखने लगा। ठंडी हवा के थपेड़े उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहे थे।

कुछ देर बाद ऑटो बस स्टेण्ड पहुंचा। सागर ने ऑटोवाले को पैसे दिए और अंदर चला आया। उसने मृणाल के शहर जाने वाली बस के बारे में पता किया। आधे घंटे बाद ही एक बस थी। सागर बस में खिड़की वाली सीट के पास आ बैठा। उसने अपना सर सीट से लगा लिया और आँखे मूंद ली। उस किताब में लिखी एक एक बात या यू कहो मृणाल का दर्द सागर की आँखों में चलने लगा। वो सब सोचते हुए उसकी आँखे एक बार फिर नम हो गयी और आँसुओ की एक धार आँखों के किनारे से होकर कनपटी पर लुढ़क आयी।

वह मृणाल के दर्द को महसूस कर सकता था और यही वजह थी कि वह मृणाल से मिलने को लेकर इतना बैचैन था। सुबह 6 बजे गाड़ी उस शहर पहुंची जहा मृणाल रहती थी। सागर बस से नीचे उतरा और बस स्टेण्ड से बाहर चला आया। बाहर आकर सागर ने अपने फोन की गैलेरी खगालना शुरू कर दिया जिसमे मृणाल की एक तस्वीर थी। वो तस्वीर मृणाल के ऑफिस इवेंट की थी जिसमे उसके ऑफिस का नाम भी था। काफी देर ढूंढने के बाद सागर को तस्वीर मिल गयी और वह उसे लेकर कुछ ही दूर खड़े एक ऑटोवाले के पास आया।

सागर ने उसे वो तस्वीर दिखाते हुए कहा,”मुझे यहाँ जाना है आप ले चलेंगे ?”
“हाँ ये तो कोर्ट रोड की तरफ पडेगा , 30 रूपये लगेंगे बाबूजी ?”,ऑटोवाले ने कहा
“हाँ ठीक है , थोड़ा जल्दी पहुंचना है”,सागर ने कहा
“हाँ आप बैठिये”,ऑटोवाले ने ऑटो चालू करते हुए कहा और सागर के बताये पते पर चल पड़ा। सागर उस शहर की एक एक चीज को बड़े प्यार से देख रहा था। उस शहर की हर चीज , हर अहसास उसे मृणाल से जुड़ा नजर आ रहा था।  


कुछ देर बाद सागर मृणाल के ऑफिस के बाहर पहुंचा। उसने ऑटोवाले को पैसे दिए और ऑफिस की तरफ चला आया। सागर ने देखा वहा ताला लगा था। आस पास की दुकाने और बाकि सब भी बंद था। सफाई वाला वहा झाड़ू लगा रहा था। सागर उसके पास आया और पूछा,”यहाँ ताला क्यों लगा है ?”
“ये ऑफिस तो 10 बजे के बाद खुलता है और ये आस पास के दुकान भी उसी टाइम ही खुलते है , आपको कोई काम था ?”,सफाई वाले ने पूछा


सागर ने देखा अभी सुबह के 7 बजे थे , उसने सफाईवाले की तरफ देखा और कहा,”नहीं मुझे किसी से मिलना था , थैंक्यू ।” सफाईवाला वापस अपने काम में लग गया। सागर वही सीढ़ियों पर आ बैठा और ऑफिस के खुलने का इंतजार करने लगा। सुबह सुबह हल्की ठंड थी। पास ही एक चाय की दुकान खुली थी। सागर उठा और उस तरफ चला आया। सागर ने दुकानवाले को एक चाय देने को कहा और लेकर पीने लगा। चाय पीते हुए वह बार बार ऑफिस की तरफ देख रहा था। उसे ऑफिस की तरफ देखते पाकर चाय वाले ने कहा,”बाबूजी आप बड़ा परेशान दिख रहे है , आप किसी को ढूंढ रहे है क्या ?


“नहीं कुछ नहीं , कितने पैसे हुए ?”,सागर ने कहा वह उस शहर में किसी अनजान पर ऐसे भरोसा करना नहीं चाहता था  
“10 रूपये बाबूजी”,चायवाले ने कहा और अपना काम करने लगा
सागर ने पैसे रखे और वापस ऑफिस की सीढ़ियों पर आकर बैठ गया। कुछ देर बाद उसका फोन बजा फोन घर से था सागर ने फोन उठाया और कान से लगाते हुए कहा,”हेलो !”


“सागर घर कब तक आ रहे हो बेटा ? प्रिया तो कल शाम से यही है और तुम्हारी राह देख रही है। सुबह से अब तक 20 बार पूछ चुकी है। तुम्हारी ट्रेन स्टेशन कब तक पहुंचेगी बेटा ?”,दूसरी तरफ से सागर की माँ ने पूछा  
“मैं,,,,,,,,मैं घर नहीं आ रहा माँ ?”,सागर ने धीमी आवाज में कहा
“घर नहीं आ रहे मतलब ? बेटा तुमने कल शाम में ही फोन करके कहा था कि तुम घर आ रहे हो , फिर ये अचानक से तुम्हे क्या हो गया ?”,सागर की माँ ने परेशान होते हुए कहा


“माँ आप परेशान मत होईये , एक जरुरी मीटिंग आ गयी तो मुझे रुकना पड़ा। मैं जल्दी घर आने की कोशिश करुंगा”,सागर ने कहा
“और प्रिया उसे मैं क्या कहूँगी ?”,सागर की माँ ने थोड़ा गुस्से से पूछा
“आप उसे कुछ भी बोल देना माँ , मैं आपको बाद में फोन करता हूँ”,सागर ने कहा
“सागर,,,,,,,,,,सागर”,फोन से आवाज आती रही लेकिन सागर ने फोन काट दिया उसके लिए इस वक्त सिर्फ अपनी सगाई से ज्यादा मृणाल का पता लगाना जरुरी था।  


सागर वही बैठा ऑफिस के खुलने का इंतजार करने लगा। 10 बजे के बाद ऑफिस खुला तो सागर सीधा अंदर चला आया। ऑफिस में आते ही सागर की नजर सामने लगे फिश टेंक की तरफ चली गयी। मृणाल ने कुछ साल पहले इसकी तस्वीर भी डाली थी। मृणाल के ना होते हुए भी सागर उसकी प्रेजेंस को वहा महसूस कर रहा था। एक अजनबी को वहा देखकर वहा काम करने वाले लड़के ने पूछा,”जी कहिये कैसे आना हुआ ?”
“मृणाल यही काम करती थी ना ?”,सागर ने कहा


“मृणाल मैडम ? उन्हें तो ऑफिस छोड़े काफी टाइम हो गया , उनकी शादी हो चुकी है और अब वो यहाँ नहीं रहती”,लड़के ने कहा
“हाँ मैं जानता हूँ , दरअसल मुझे मृणाल के घर का एड्रेस चाहिए”,सागर ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“तुम्हे उसके घर का एड्रेस क्यों चाहिए ? क्या तुम उसे जानते हो ?”,पीछे से किसी की भारी आवाज सागर के कानों में पड़ी उसने पलटकर देखा तो पाया एक रौबदार आदमी खड़ा था वह शायद वहा का मालिक था।

सागर उनके सामने चला आया और कहा,”देखिये मेरा मृणाल से मिलना बहुत जरुरी है , क्या आप मुझे उसके घर का एड्रेस दे सकते है ?”
“मृणाल अब यहाँ काम नहीं करती और उसके घर का एड्रेस हम ऐसे किसी को नहीं दे सकते है , तुम यहाँ से जा सकते हो”,आदमी ने कहा और आगे बढ़ गया
“सर प्लीज , प्लीज मेरा उस से मिलना बहुत जरुरी है”,सागर ने आदमी के पीछे आते हुए कहा  
“देखो तुम सिर्फ मेरा वक्त बर्बाद कर रहे हो , मैं उसका एड्रेस तुम्हे नहीं दे सकता।

अब जाओ यहाँ से वरना मुझे गार्ड को बुलाना पड़ेगा”,आदमी ने थोड़ा गुस्से से कहा तो सागर पीछे हट गया। वह मृणाल के ऑफिस में किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं चाहता था। मृणाल तक पहुँचने की एक उम्मीद उसके पास थी वो भी टूट गयी हताश होकर सागर ऑफिस से बाहर चला आया। वह वहा से जाने लगा , चलते चलते जैसे ही चाय वाले के सामने से निकला चायवाले ने कहा,”बाबूजी आप मृणाल मैडम से मिलने आये है ?”
“आप उन्हें जानते है ?”,सागर को उम्मीद की एक किरण नजर आयी


“हाँ वो यही काम करती थी,,,,,,,,,,,,,बहुत अच्छी थी , अब तो काफी टाइम हो गया उन्हें देखे हुए”,चायवाले ने कहा
हालाँकि सागर को उम्मीद नहीं थी फिर भी उसने पूछ लिया,”क्या आप जानते है मृणाल कहा है ? मेरा मतलब उसका घर कहा है आप बता सकते है ?”
आदमी कुछ देर सागर को देखता रहा और फिर सागर को मृणाल के घर का पता बता दिया। सागर की आँखे ख़ुशी से चमक उठी उसने आदमी का शुक्रिया अदा किया और जाने के लिए आगे बढ़ गया।

दो कदम चलकर सागर वापस आया और कहा,”आपने बिना कोई सवाल किये मृणाल का पता मुझे कैसे बता दिया ?”
आदमी मुस्कुराया और कहा,”ये शहर छोड़ने से पहले उन्होंने कहा था कि कोई उनका पता पूछने जरूर आएगा”
सागर ने सूना तो थोड़ा हैरान हुआ और फिर मुस्कुरा कर वहा से चला गया।

कुछ देर बाद सागर मृणाल के घर के बाहर था। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने धड़कते दिल के साथ दरवाजा खटखटाया। कुछ देर बाद एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला। उनके नैन नक्श मृणाल जैसे ही थे वह शायद मृणाल की माँ थी। उन्होंने सागर को देखा तो कहा,”जी कहिये”
“मैं मृणाल का दोस्त हूँ क्या मैं उस से मिल सकता हूँ ?”,सागर सफ़ेद झूठ बोल गया क्योकि ऐसे वह अंदर नहीं जा सकता था


महिला ने सागर को एक नजर देखा और कहा,”अंदर आ जाओ”
सागर अंदर चला आया महिला ने उसे हॉल ने बैठने को कहा और खुद अंदर चली गयी। सागर हॉल में पड़े सोफे पर आकर बैठा अगले ही पल उसकी नजर सामने दिवार पर पड़ी तो वह झटके से उठ खड़ा हुआ। उसकी धड़कने जैसे एक पल के लिए बंद हो गयी और आँखे पत्थर हो गयी। सामने दिवार पर मृणाल की मुस्कुराती हुयी तस्वीर लगी थी और उस तस्वीर पर हार लगा था। सागर ने महूसस किया जैसे उसके जिस्म से एकदम से जान निकल गयी हो।

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संजना किरोड़ीवाल    

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