Pakizah – 42
Pakizah – 42
पहली बार रुद्र ने पाकिजा का दिल दुखाया था उसे बहुत बुरा लग रहा था l रुद्र उदास सा बेंच पर बैठा पाकिजा के बारे में सोच रहा था l
कुछ देर बाद जेल का रसोईया आया और कहा,”साहब चाय !!
रुद्र का मन नही था उसने मना कर दिया आदमी फिर भी वही खड़ा रहा l उसे वहां खड़े देखकर रुद्र को खीज होने लगी उसने आदमी की तरफ देखा उम्र कोई 70-75 के करीब होगी l
चेहरे और हाथों पर झुर्रियां पड़ चुकी थी l वह एक टक रुद्र को ही देख रहा था
“कहा ना नही चाहिए जाओ यहां से”,रुद्र ने आदमी से नजर हटाकर गुस्से से कहा l
“आप बुरा न माने तो एक बात कहूँ साहब जी”,आदमी ने कहा l
“कहो !”‘,रुद्र ने बिना आदमी की तरफ देखे कहा l
“उस लड़की को यहां से ले जाइए साहब , मैं यहां पिछले 40 सालों से काम कर रहा हू l मैंने बहुत से लोग देखे है जो गुनाह करके यहां आते हैं लेकिन उस लड़की को पिछले एक साल से देखता आ रहा हु उसकी आँखों मे मुझे सिर्फ दर्द दिखाई देता है l मैंने उसे आज तक कभी मुस्कुराते हुए भी नही देखा है ! वो यहां रहेगी तो मर जाएगी आप पुलिस वाले है आप उसकी मदद कीजिये “,कहते कहते आदमी का गला रुंध गया
“किसकी बात कर रहे हो तुम ?”,रुद्र ने हैरानी से आदमी की तरफ देखते हुए कहा
“पाकिजा साहब जी पाकिजा बिटिया के बारे में कह रहा हु”,आदमी ने कहा
“नाम क्या है तुम्हारा ? आओ यहां आकर बैठो ओर सारी बात बताओ मुझे ?”,रुद्र ने सहज भाव से कहा
बूढा आकर रुद्र के सामने नीचे घास पर बैठ गया और कहने लगा l
“साहब जी मेरा नाम मुस्तफा हैं मैं पिछले 40 सालों से यहां साहब लोगो की सेवा कर रहा हु l पाकिजा जब किसी जुर्म के चलते यहां आयी तब मुझे भी लगा कि शायद इसने कोई जुर्म किया होगा l जेल में यहां वहां घूमते हुए अक्सर मेरी नजर उस पर चली जाती वह सबसे अलग या तो एक कोने में बैठी रहती या फिर इस बेंच पर बैठी उदास आंखो से न जाने क्या देखा करती थी l
मैंने कभी उसे हंसते मुस्कुराते नही देखा उसके चेहरे पर हमेशा उदासी रहती आंखो में एक दर्द बहता दिखता l ना चाहते हुए भी मुझे उस से हमदर्दी होने लगी वह ज्यादा किसी से बात नही करती थी l हमेशा अकेली रहती ओर अपनी कोठरी में बैठी सफेद पन्नो पर ना जाने क्या लिखा करती थी l अक्सर रात में जब सब सो जाया करते तब मैं रोज यहां थोड़ी देर टहला करता था l हर रात मैं उसे रोते सिसकते देखता था l
न जाने क्यों मुझे उसमे अपनी बेटी नजर आने लगी थी l वो जब भी रोती मुझे दुख होता और मैं उसके सेल के बाहर खड़ा उसे हिम्मत बन्धाता l मैंने उसके दुखी रहने की वजह जानने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने कभी मुझसे अपना दुख नही कहा l
फिर एक रात एक साहब उस से मिलने आये यही कोई 24-25 उम्र होंगी उन साहब की उनके साथ एक औरत ओर बड़े साहब भी थे l
वैसे अक्सर बाहर के लोगो को अंदर आने की इजाजत बहूत कम मिलती है और रात में तो बिल्कुल नही पर वो बड़े आदमी थे तो कमिश्नर साहब ने उन्हें रोका नही l रोजाना की भांति उस रात भी मैं अपने कमरे से टहलने निकला और देखा कि वे तीन लोग वहां खड़े पाकिजा को कुछ समझा रहे थे l मैं आगे बढ़ गया उन लोगो ने मुझे नही देखा थोड़ी देर बाद वापस आया तो कदम बरामदे में ही रुक गए एक बड़ा सा आदमी और उसके साथ कुछ लोग ओर थे उन तीन लोगों से किसी बात पर बहस कर रहा था l
मैं खंबे के पीछे खड़ा होकर उनकी बाते सुनने लगा l कुछ देर बाद ही उस आदमी ने छुरा निकाला और जो लड़का और उसके साथ आदमी औरत आये थे उनका बेरहमी से गला काट डाला l ये देखकर पाकिजा बिटिया बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी l गार्ड ने जब चीखने की आवाज सुनी तो वे सारे आदमी भाग गए लेकिन वह आदमी जिसके हाथ मे छुरा था वही खड़ा रहा l उसने गार्ड को भी मार डाला l
कमिश्नर साहब भी वहां मौजूद थे उनसे पाकिजा की कोठरी की चाबी लेकर उस आदमी ने पाकिजा बिटिया को बाहर निकाला और उन लाशों से कुछ दूरी पर डाल दिया l छुरे से अपने निशान मिटाकर उसे पाकिजा के हाथ मे थमा दिया और वहां से निकल गए l खून देखकर मेरा सर चकराने लगा और मैं वही गिर पड़ा l
सुबह होश आया तो यहां बहुत सारे लोग इक्कठा थे पाकिजा बिटिया पर उन चारों के खून का इल्जाम लगाके उन्हें कुछ दिनों के लिए बड़े जेल भेज दिया गया l कुछ दिन बाद उसे वापस यहा लाया गया वह पहले से भी ज्यादा खामोश रहने लगी l उसने सच बताया लेकिन किसी ने उसकी बात का यकीन नही किया साहब जी l तबसे वो यहां है और दर्दमें जी रही हैं”
रुद्र अपना दिल थामे सब खामोशी से सुनता रहा बूढा खांसने लगा l
“तुमने सबको सच क्यों नही बताया ?”,रुद्र ने आंखे दिखाते हुए कहा
“क्या बताता साहब जी , कोई मेरी बात का विश्वास नही करता l उस गुनाह के वक्त खुद कमिश्नर साहब वहां मौजूद थे पर उन्होंने भी सच नही कहा तो मेरी कौन सुनता”,मुस्तफ़ा ने आंखो के किनारे पोछते हुए कहा l
“मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी मुस्तफा मैंने अनजाने में पाकीज़ा का दिल दुखा दिया”,रुद्र ने नम आंखों के साथ कहा
“साहब जी भले आप पुलिस वाले हो पर आपका दिल सोने का है l कोई भी पुलिस वाला किसी कैदी के लिए इतनी फिक्र नही करता है पर आपने की आपसे एक विनती है साहब जी कैसे भी करके उसे यहाँ से ले जाइए l उस बच्ची की कोई गलती नही है वो बेगुनाह है साहब जी वो किसी का खून तो क्या किसी को चोट पहुचाने का सोच भी नही सकती है l
इतनी कम उम्र में उसने इतना दुख सहा है कि पत्थर बन चुकी है l आप ही है जो उसे इस दर्द से निकाल सकते है , आप ही है जो उसके पत्थर जैसे दिल को पिघला सकते है , उसे इस पिंजरे से आजाद कर दीजिए साहब जी l “,आदमी कहते कहते फिर रुक गया l
“मुझसे पहले जो आफिसर थे उन्होंने कुछ क्यों नही किया ?”,रुद्र ने कहा
“सच सुनने की हिम्मत रखते है आप साहब जी , तो सुनिए l आप से पहले जितने भी अफसर आये मदद के नाम पर उन्होंने सिर्फ बिटिया के जिस्म को चाहा , उनकी हवस भरी नजरे , उनकी अश्लील बातें , उनका वो गंदे तरीके से छूना कैसे सह पाती वो l अपने खूबसूरत होने की उसे ये सजा मिल रही थी कि हर कोई उसे पाने की कल्पना करता लेकिन उसका दर्द जानने की हिम्मत किसी मे नही थी l
उसने कभी किसी से मदद नही चाही वो हमेशा एक बात कहती थी कि बाबा हमारी किस्मत में जो लिखा है उसे हम बदल नही सकते न ही बदलना चाहते है”
यहां कैद रहकर भी उसने सिर्फ दर्द देखा हैं l सिर्फ आप उसे नई जिंदगी दे सकते है l आप उसके दर्द की दवा बन सकते है आप ही है जो उसे इस नर्क से निकाल सकते है साहब जी”,बूढा फिर खाँसने लगा l
रुद्र की आंख से आंसू बहकर नीचे गिरने लगें तो बूढा कहने लगा
“पहली बार पाकिजा बिटिया की आंखो में बैचैनी देखी , पहली बार उसकी आंखो में किसी के लिए इंतजार देखा l पहली बार वो मुस्कुराई जब आप उसके सामने थे l ये सब यू ही नही है साहब आप उसकी जिंदगी उम्मीद की किरण बनकर आये है l आपने उसका दर्द महसूस किया है और अब आप ही उसका दर्द कम कर सकते है”,बूढ़े ने कहा
रुद्र ने जेब से रुमाल निकाला और आंखे पोछते हुए कहा,”उसे इंसाफ मैं दिलाऊंगा मुस्तफा , उसके एक एक आंसू का बदला लूंगा l उसे उसका सम्मान वापस दिलाऊंगा ये मेरा तुमसे , पाकिजा से ओर खुद से किया वादा है”
मुस्तफा के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी l वह उठा ओर कहा ,”तो इस बात पर आपके लिए एक गरमा गरम चाय ले आउ साहब जी”
“हा मुस्तफा “,कहते हुए रुद्र मुस्कुरा उठा l
रुद्र आगे क्या करना है इस बारे में सोचने लगा तब तक मुस्तफा उसके लिए चाय ले आया l रुद्र ने चाय पी ओर जाने लगा तो मुस्तफा ने कहा,”पाकिजा बिटिया से नही मिलोगे ?
“अब उस से अदालत में मिलूंगा मुस्तफा , चलता हूं बहुत काम करना बाकी है”,कहकर रुद्र जेलर के केबिन की ओर बढ़ गया
मुस्तफा के चेहरे पर विजयी की मुस्कान फैल गई उसने आंखे नम करते हुए कहा,”खुदा तुम्हे सलामत रखे !”
रुद्र आकर जेलर महेश से मिला और पाकिजा के लेस की फाइल मांगी l रुद्र एक सस्पेंडेड ऑफिसर था इसलिए महेश ने उसे फाइल देने से इनकार कर दिया l रुद्र ने जेब से अपना id कार्ड निकाला और महेश के सामने कर दिया महेश ने जैसे ही कार्ड देखा उसके माथे पर पसीना उभर आया l उसने रुद्र को सेल्यूट किया और सॉरी सर कहकर फ़ाइल रुद्र को थमा दी l
सेंट्रल जेल से सीधा वह पुलिस थाने आया l असलम वही मिल गया रुद्र अपने केबिन में आकर पाकिजा के केस से जुड़े सभी दस्तावेज जमा करने लगा l उसने एक नई फ़ाइल तैयार की ओर पाकिजा के केस को रि-ओपन करने की एप्लिकेशन दी l पाकिजा – मर्डर केस एक बार फिर से अदालत में आ गया l रुद्र को दो दिन बाद कि तारीख मिली इन दो दिनों में उसे पाटिल ओर कमिश्नर के खिलाफ सबूत इक्कठा करने थे l
सुनवाई के पहली शाम रुद्र ओर असलम बैठकर इस बारे में चर्चा कर रहे थे तभी रुद्र ने कहा,”असलम इस पाटिल की कोई ना कोई तो कमजोरी जरूर होगी ?
“हा सर एक कमजोरी है उसे भूतों की बातों से बहुत डर लगता है”,असलम ने कहा
“ग्रेट अपना काम हो गया”,रुद्र ने कहा और मंद मंद मुस्कुराने लगा l
रुद्र ने असलम को अपना प्लान बताया और उसी रात कामयाब करने का सोचा l रुद्र के कहे मुताबिक असलम चोरी से पाटिल के घर मे घुस गया और अपना काम करना शुरू कर दिया l सोने पे सुहागा ये था कि उस रात कमिश्नर भी वही था l पाटिल ओर कमिश्नर दोनो कमरे में बैठकर शराब पी रहे थे कि अचानक लाइट चली गयी l पाटिल घबरा उठा और नोकरो को आवाज लगाने लगा l
“पता नही कहा मर गए सब के सब रामु , विजय , बलिया कोई सुनता क्यो नही देखो जरा ये लाइट को क्या हुआ है ?”,पाटिल ने चिल्लाकर कहा l
“पाटिल तू इतना डरता क्यों है ? आ बैठ ओर दारू पी”,कमिश्नर ने बोतल की शराब को ग्लास में उड़ेलने लगा l
“तुझे पीने की पड़ी है , कल कोर्ट में फिर से सुनवाई है और वो सनकी इंस्पेक्टर पता नही क्या करने वाला है”,पाटिल ने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा l
“अरे कुछ नही कर पाएगा वो नया नया इंस्पेक्टर बना है ना तो ज्यादा फुदक रहा है फुदकने दो l”,कमिश्नर ने कहा
तभी तक साया पाटिल के पीछे से तेजी से गुजरा l कमिश्नर ने देखा तो ऊसकी आंखे फटी की फटी रह गयी
“क्या हुआ कमिश्नर ?”,पाटिल ने पूछा
“ऐसा लगा जैसे तुम्हारे पीछे से अभी अभी कोई गुजरा है”,कमिश्नर की आवाज में डर था l
“लगता है तुझे चढ़ गई है “,पाटिल ने ग्लास में शराब डालते हुए कहा
अगले ही पल खिड़की के दरवाजे खड़खड़ाने लगे l पाटिल डर गया लेकिन कमिश्नर उसके डर का मजाक बनाएगा ये सोचकर वह ख़ामोशी से शराब पीता रहा
कुछ देर बाद तेज हवा चलने लगी कमरे में एक अजीब सी बदबूदार गंध फैलने लगी l कमरे की लाइट जलने बुझने लगी बेहद डरावना माहौल हो चुका था l
“ये सब क्या है कमिश्नर ?”,पाटिल ने डरते डरते पूछा
“मुझे लगता है बृजेश की आत्मा यहां घुस आए है”,कमिश्नर भी अब डरने लगा था l
तभी एक काला साया तेजी से उन दोनों के सामने से गुजरा l दोनो की सांस अटक गयी l
“कौन है ? कौन है यहां ? “,पाटिल ने घबराए हुए स्वर में कहा l
तभी कमरे में किसी के हसने की आवाजें गूंजने लगी हंसी इतनी ख़ौफ़नाक ओर डरावनी थी कि पाटिल के हाथ पांव कांपने लगे l
तभी वह काला साया उनके सामने फिर आया और कहा,”तुम दोनों की मौत हु मैं , तुम दोनों ने क्या सोचा मुझे मारकर तुम बच जाओगे ? ऐसे कैसे छोड़ दूंगा तुम्हे ?”,कहकर साया फिर गायब हो गया l
ओर कुछ देर बाद आकर पाटिल का गला पकड़ लिया और कहा,”बोल क्यों मारा मुझे ? मेरा साथी होने के बाद क्यों मार डाला बता ?
“बृजेश तुम ?”,सोफे पर पड़े कमिश्नर ने कांपती हुई आवाज में कहा
“हां मैं , तुम्हे क्या लगा मुझे मारकर तुम लोग बच जाओगे , किसी को नही छोडूंगा “,कहते हुए साये ने पाटिल को जोर का धक्का दे मारा वह दूर जा गिरा l
“बृजेश मेरे भाई तुझे मारने वाला ये पाटिल है मैं नही तू मुझे क्यों मारना चाहता है”,कमिश्नर ने मिमियाते हुए कहा l
काला साया बिना कोई जवाब दिए यहा से वहां घूमता रहा l पाटिल ने कमिश्नर की बात सुनी तो गुस्से में उबलता हुआ आया और कहने लगा ,”अबे ऐ कमिश्नर क्या बक रहा है मैंने इसे मारा पर तूने भी तो साथ दिया था l
ओर मारता नही तो क्या करता उस पाकिजा का साथ देने चला था ये l अपनी बरसो की मेहनत पर ऐसे कैसे पानी फेरने देता मैं”
“हा हा बहुत दूध का धुला है ना तू ? घोटाला करके जो करोड़ो कमाए तब तो कुछ नही कहा तूने ओर अब सारा इल्जाम मुझपर डाल रहा है”,कमिश्नर भी चिल्ला पड़ा
“जब उस पाकिजा की इज्जत लूटी तब तुझे ख्याल नही आया अपनी इज्जत का , कॉन्स्टेबल था तू तुझे कमिश्नर मैंने बनाया , ये गाड़ी ये बंगला मैंने दिया है तुझे”,पाटिल अब एक के बाद एक राज खोलने लगा
“कुछ भी किया हो पर तेरी तरह खून से हाथ नही रंगे पहले शिवेन ,
फिर अम्माजी ओर उसके बाद राघव ओर उसका परिवार सबको मार दिया तूने ओर सारे इल्जाम उस बेचारी पाकिजा पर लगा दिये उसे जेल भिजवा दिया “,कमिश्नर ने भी अब राज से पर्दा उठाना शुरू कर दिया l
“हा मार दिया मैंने सबको मार दूंगा , मेरे ओर मेरी किस्मत के बिच कोई भी आया तो मार दूंगा उसे “,पाटिल गुस्से में बौखलाने लगा l
कमिश्नर ओर पाटिल अब सब भूलकर एक दूसरे पर ही कीचड़ उछालने लगे l दोनो ही इस बात से बेखबर थे कि उनके अलावा एक ओर सख्स था जो उनकी इस सारे प्रोग्राम को कैमरे में रिकॉर्ड कर रहा था l
नशे में धुत दोनो वही गिर पड़े l साया जो कि कोई और नही असलम ही था कमरे के बाहर पीछे खिड़की की तरफ़ आया और नकाब हटाकर कहा,”कैसी थी सर मेरी परफॉर्मेंस ?
“बहुत बकवास ! ऐसे डायलॉग कौन बोलता है पर जो भी हो हमारा काम हो गया”,रुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा
“सर वैसे भी इनका सच सामने आ गया है क्यों ना इन्हें इसी वक्त गिरफ्तार कर ले”,असलम ने कॉस्ट्यूम उतारते हुए कहा
“नही असलम इनकी सच्चाई कल कोर्ट में सबके सामने आएगी l सबके सामने जब इनकी शराफत का ढोंग खत्म होगा तब मजा आएगा”,रुद्र ने कहा
“हा सर ! ऐसे लोगो की वजह से ही कानून और पुलिस को हमेशा गालियां ओर कटाक्ष सुनने को मिलता है”,असलम ने कहा
“आज से ऐसा नही होगा असलम कल के बाद इस शहर का हर आदमी पुलिस को सम्मान की नजर से सर उठाकर देखेंगा”,रुद्र ने कहा
दोनो वहां से निकलकर घर की तरफ बढ़ गए l रुद्र को रातभर नींद नही आई l कल की सुबह पकीजा के लिए एक नया सवेरा लेकर आने वाली थी l
अगले दिन अदालत में पाकिजा कटघरे में खड़ी थी l उसके चेहरे पर कोई भाव नही था l वह नजरे झुकाए खड़ी थी l रुद्र ने पाकिजा के बेगुनाही के सभी सबूत पेश किये लेकिन कोई ठोस सबूत ना होने के कारण केस कमजोर होने लगा l आखिर में रुद्र ने पिछली रात वाली वीडियो अदालत में सबके सामने चला दी l कमिश्नर ओर पाटिल ने देखी तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गयी l
दोनो अपने अपने गुनाहों का बखान अपने मुंह से कर रहे थे l जज ने सबूत देखने के बाद उसी वक्त दोनो को गिरफ्तार करने को कहा l दोनो को कटघरे में लाया गया और आखिरकार दोनो ने अपना अपना गुनाह कबूल कर लिया पाकिजा ने जब सुना तो उसकी आंखो में आंसू भर आये वह नम आंखो से रुद्र की तरफ देखने लगीं l
जज साहब ने अपना फैसला सुनाया
“तमाम सबूतों ओर गवाहों को मध्य नजर रखते हुए लिहाजा ये अदालत कमिश्नर मोहन को एक साल पहले किये गए शिवेन के मर्डर में पाटिल का साथ देने और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के जुर्म में ससपेंड करती है ओर 10 साल की कैद की सजा सुनाती है l पाटिल जिसने शिवेन का कत्ल किया और पाकिजा की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया l अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और बृजेश ओर उनके परिवार के कत्ल के इल्जाम में ये अदातल श्रीकांत पाटिल को उम्रकैद की सजा सुनाती है “
पाकिजा खामोशी से कभी जज साहब तो कभी रुद्र को देखती l जज साहब ने आगे कहा,”पाकिजा के साथ हुई नाइंसाफी ओर अन्याय के लिए ये अदालत शर्मिंदा है l पाकिजा पर लगाये गए सभी इल्जाम झूठे ओर बेबुनियाद थे l लिहाजा ये अदालत पाकिजा को बाइज्जत बरी करती है l “
जज साहब ने अपना फैसला सुनाया ओर उठकर चले गए l पाकिजा की आंख से आँसू बहने लगें l इतने दिनों बाद उसे इंसाफ मिल ही गया l वह कटघरे में खड़ी रोने लगी रुद्र ने उसे सम्हाला l पुलिस पाटिल ओर कमिश्नर को गिरफ्तार करके वहा से ले गयी l पाकिजा कटघरे से बाहर आई और रुद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा,”हमने कभी अपने खुदा को नही देखा पर अगर वो कही है तो आप मे है l ”
रुद्र ने पाकिजा के हाथों को थाम लिया और कहा,”अभी तो ये शुरुआत है आज के बाद तुम्हारी जिंदगी में इतनी खुशियां आएगी की तुम्हारा दामन छोटा पड़ जायेगा”
रुद्र आज बहुत खुश था l पाकिजा को उनसे आजाद करवा दिया l जैसे ही रुद्र पाकिजा के साथ कोर्ट रूम से बाहर आये जज साहब मिल गए और कहने लगे,”पाकिजा हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटा अनजाने में मुझसे बहुत बड़ा अन्याय हुआ था मैं उस वक़्त तुम्हारी भावनाएं नही समझ पाया पर आज महसुस हुआ कि जीत हमेशा सत्य की होती है , हमेशा खुश रहो बेटा “
जज साहब वहां से चले गए l
“पाकिजा तुम चलो मैं आता हूं”,कहकर रुद्र जज साहब के पीछे चला गया
पाकिजा अदालत के गेट तक आकर खड़ी हो गयी l आजाद तो वह हो चुकी थी लेकिन अब जाना कहा है ये नही जानती थी l रुद्र के साथ किये गए गलत व्यवहार का भी उसे बहुत अफसोस था l पाकिजा अपने सवालों में उलझी खड़ी थी कि तभी रुद्र ने आकर कहा ,”चले पाकिजा !!
“कहा ?”,पाकिजा ने हैरानी से रुद्र की आंखों में देखते हुए कहा l
” घर , वो घर जहा औरत का सम्मान होता है”
कहते हुए रुद्र ने पाकिजा का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ गया l पाकिजा को लगा जैसे शिवेन ने ही उसका हाथ पकड़ा है वह रुद्र को ना नही कह पाई और आगे बढ़ गयी l
Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43
Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43 Pakizah – 43
Continue With Part Pakizah – 43
Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 41
Follow Me On facebook
Sanjana Kirodiwal