Pakizah – 41
Pakizah – 41
पाकीजा से मिलने के बाद रूद्र वापस घर के लिए निकल गया l आज कितने दिनों बाद वह पाकीजा से मिला था उसे बहुत अच्छा लग रहा था l दूसरी और पाकीजा रूद्र के बदले रवैये से थोड़ा परेशान थी l आज उसके बात करने का तरीका , पाकीजा को देखने का तरीका , और सहसा ही उसके मन की बात जान लेना जैसे कभी शिवेन जान लिया करता था रोजाना से अलग था l रूद्र वो रूद्र था ही नहीं जिससे पाकीजा पहली बार मिली थी l
अपने सवालों में उलझी पाकीजा बेसब्री से अगले दिन का इंतजार करने लगी l
रूद्र घर पहुंचा थकान की वजह से उसे नींद आने लगी उसने खाना खाया और जाकर कमरे में सो गया l शाम को डोरबेल बजने से उसकी नींद खुली l रूद्र उठकर दरवाजे पर आया उसने दरवाजा खोला सामने असलम खड़ा था l रूद्र ने उसे अंदर आने को कहा l
“क्या बात है सर ? कल आप फोन पर बहुत परेशान नजर आ रहे थे l”,असलम ने अंदर आकर रूद्र से पूछा l
“असलम अब मैं जो तुम्हे बताने जा रहा हु उसे ध्यान से सुनो”,कहकर रूद्र ने असलम को पाकीजा की बीती जिंदगी के बारे में सब बता दिया l जैसे जैसे रूद्र बोलता गया असलम के चेहरे के भाव बदलते तो कभी आँखे आश्चर्य से फ़ैल जाती l पाकीजा की कहानी बताकर रूद्र ने कहा ,”असलम उस लड़की के साथ बहुत अन्याय हुआ है , पर तुमसे मैं ये जानना चाहता हु की क्या सच वही था जो उन पन्नो में लिखा है या फिर कुछ और”
असलम सोच में पड गया और फिर कहा,”सर उस दिन जब मैंने आपसे पूछा था की उस किताब में क्या है ? अगर आप उस दिन मुझे ये सब बता देते तो आपको इतना परेशान होना नहीं पड़ता l हां सर ये सच है शिवेन और पाकीजा मुझसे मदद मांगने आये थे l मैंने ही अम्माजी को गिरफ्तार भी किया था लेकिन उनके खिलाफ मैं कुछ कर पाता उस से पहले ही 6 महीनो के लिए मेरा ट्रांसफर हो गया l मैं जानता था की अम्माजी को रिहा कर दिया जायेगा पर मैं कुछ नहीं कर सका”
“हम्म्म ! असलम तुम पाटिल को जानते हो ? कभी देखा है उसे ?”,रूद्र ने बैचैनी से कहा
“नहीं सर मैंने उसे नहीं देखा , उस वक्त भी सिर्फ उसका नाम ही सुना था”,असलम ने अफ़सोस जताते हुए कहा
“पाकीजा की जिंदगी बर्बाद करने में उन तीन लोगो का हाथ है “,रूद्र ने नफरत से कहा l
“कौन तीनो सर ?”,असलम की आँखे फ़ैल गयी l
“पाटिल , कमिशनर और शर्मा , इन तीनो ने ही अम्माजी को छुड़ाया , इन्होने ही शिवेन का खून किया और पाकीजा को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया”,रूद्र ने कहा
“ये सब आप इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकते है सर , हो सकता है खुद को बचाने के लिए पाकीजा ने ये सब झूठ लिख दिया हो l”,असलम ने कहा l
“नहीं असलम पाकीजा ने कुछ झूठ नहीं लिखा है l मुझे सिर्फ ये पता लगाना है की आखिर ये तीनो है कौन जो हमारे बिच रहकर भी हमसे छुपे हुए है”,रूद्र ने सोचते हुए कहा
“सर वो तीनो ही बहुत बडे लोग है है अगर वो हमे मिलते भी है तो हम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे l बिना किसी सबुत के ये सब करने का कोई फायदा नही है उल्टा हम लोग ही मुसीबत में फस जायेंगे”,असलम ने कहा l
“राघव इस वक्त कहा मिलेगा ? वो मिल जाये तो उसके बाप को पकड़ना आसान हो जायेगा और एक बार उसका बाप हाथ लग जाये तो सारा सच वो खुद ही उगल देगा”,रूद्र ने कहा
“आप किस राघव की बात कर रहे है सर ?”,असलम ने हैरानी से पूछा
“राघव शर्मा ! शिवेन का दोस्त जिसके पिता एक बहुत बड़े बिजनेस टाइकून है”,रूद्र ने कहा
“लेकिन उन्हें मरे तो 1 साल हो गया”,असलम ने कहा
“व्हाट ? ये तुम क्या कह रहे हो असलम ?”,रूद्र को बड़ा झटका लगा l
“मैं सच कह रहा हु सर ! पाकीजा को सजा होने के बाद उसे जेल लाया गया l एक शाम जब राघव उसकी मम्मी और उसके पापा पाकीजा से मिलने आये थे तब गुस्से में आकर पाकीजा ने उन तीनो का खून कर दिया l
बचाव करने के लिए आये गार्ड को भी उसने मार डाला l उसके बाद पाकीजा पर 4 मर्डर का इल्जाम लगा और उसे हमेशा हमेशा के लिए सेंट्रल जेल भेज दिया गया”,असलम ने रूद्र को आगे की कहानी कह सुनाई l
रूद्र कटे तने की भांति सोफे पर गिर पड़ा l पाकीजा ऐसा करेगी उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था असलम के शब्दों पर भरोसा नहीं कर पा रहा था रूद्र l
“मैं समझ सकता हु सर इस वक्त आप पर क्या गुजर रही है लेकिन जिसे आप बचाने की कोशिश कर रहे है वो एक बहुत बड़ी गुनहगार है l जिस बेरहमी से उसने उन सबका क़त्ल किया उस से तो ये ही साबित होता है की शिवेन को भी उसी ने मारा है”,असलम ने सामने पडी कुर्सी पर बैठते हुए कहा l
ये सब सुनकर रूद्र कुछ देर के लिए सुन्न रह गया l क्या सच में पाकीजा पर भरोसा कर कोई गलती की या फिर सच्चाई कुछ और थी l
रूद्र ने एक गहरी साँस ली और कहा ,”असलम अगर पाकीजा गलत साबित हुई तो मैं खुद उसे हथकडिया पहनाउंगा l अच्छा तूम एक बात बताओ उस वक्त जब तुमने अम्माजी के ठिकाने से गैर क़ानूनी सामान जब्त किया था उसके बारे में कुछ पता चला ?
“सर जो सामान हमने जब्त किया था वो किसी बड़े आदमी का ही था लेकिन अम्माजी ने सारा इल्जाम अपने ऊपर लेकर असली गुनहगार को बचा लिया”,असलम ने कहां
“तुमने कुछ अजीब देखा हो अम्माजी के ठिकाने पर या उस जब्त सामान के साथ तो मुझे बताओ ? एक छोटा सा क्लू हमे उन तक पहुँचने में बहुत बड़ी मदद कर सकता है”,रूद्र ने आसभरे स्वर में कहा l
असलम सोचने लगा और फिर कहा,”हाँ सर याद आया l जब मैंने अम्माजी को गिरफ्तार किया था तो कमिशनर साहब बार बार मुझ पर उन्हें छोड़ देने के लिए दबाव बना रहे थे l जिस सामान को मैंने जब्त किया था उसके हर पैकेट पर एक सिग्नेचर था जो की हर पैकेट पर था”,
“कैसा सिग्नेचर ?”,रूद्र ने हैरानी से कहा
“सर कुछ तीन अक्षरों का कोड जैसा था”,असलम ने सोचते हुए कहा l
“कैसा कोड असलम ? क्या तुम्हे याद है ?”,रूद्र की बेचैनी बढ़ने लगी l
“मेरे फोन में वो तस्वीर है एक मिनिट सर”,कहकर असलम ने फोन निकाला और उस तस्वीर को ढुढ़ने लगा l कुछ वक्त बाद असलम को वो तस्वीर मिल गयी और उसने रूद्र को दिखाई l
रूद्र ने तस्वीर को जूम करके देखा l “एस.बी.ऍम.” लिखा हुआ था l रूद्र ने कुछ देर तस्वीर को गौर से देखा और फोन असलम को थमा दिया l
“इन तीन शब्दों का क्या मतलब हो सकता है ? असलम !”,रूद्र ने कहा
” मैं खुद भी नहीं जान पाया हु सर”,असलम ने कहा
“कुछ भी हो असलम पर ये तीन शब्द कही ना कही उन तीनो से जुड़े है”,रूद्र ने कहा
“सर पाकीजा की कहानी में जिस कमिशनर का जिक्र हुआ है कही वो हमारे कमिशनर सर तो नहीं”,असलम ने रूद्र की आँखों में देखते हुए कहा
“असलम तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी , मैं जबसे यहाँ आया हु मेरा शक सबसे पहले कमिशनर साहब पर ही गया l पाकीजा की फाइल को लेकर जब उन्होंने हंगामा किया तब ही मैं समझ गया था की कमिशनर साहब कही ना कही इस राज से जुड़ा है”,रूद्र ने कहा
“सर कमिशनर साहब का नाम “मोहन लाल त्रिपाठी” है इनके नाम का पहला शब्द “ऍम” उन तीन शब्दों में भी है l कही वो आदमी कमिशनर साहब ही तो नहीं”,असलम ने सोचते हुए कहा
“ब्रिलियंट असलम ! राघव के पापा का नाम था “बृजेश शर्मा” याने “बी.” ,,,,,,,,,,,,!!”,रूद्र ने ख़ुशी से कहा
“इसका मतलब तीसरा आदमी कोई और नहीं “श्रीकांत पाटिल” है”,रूद्र और असलम ने एक साथ कहा और एक दूसरे की तरफ देखने लगे l
“सर समझ आया इन तीनो ने अपने अपने नाम के पहले अक्षरों को मिलाकर कोड बनाया हुआ है जिसे ये अपने हर काम में यूज़ में लेते है”,असलम ने कहा
“तुम्हे कैसे पता ?”,रूद्र ने हैरानी से पूछा
असलम ने अपनी जेब से एक चेक निकाला और रूद्र को दिखाते हुए कहा,”सर ये देखिये ! ये साइन जिसमे साइन के नाम पर सिर्फ 3 अक्षर लिखे हुए है sbm और ये चेक मुझे आज सुबह ही कमिशनर साहब से मिला है l
उन्होंने इसे बैंक में लगाने के लिए दिया था लेकिन मैं भूल गया और ये जेब में ही रह गया था”
रूद्र ने चेक को गौर से देखा और कहा,”तुम्हारी बात सही है असलम लेकिन उन लोगो का गुनाह सामने लाने के लिए ये काफी नहीं है l हम कुछ ऐसा करना होगा जिस से पाटिल खुद अपना गुनाह कुबूल कर ले l और इसके लिए मुझे फिर से ड्यूटी जॉइन करनी पड़ेगी”
“लेकिन आपके ससपेंड के अभी कुछ दिन बाकि है सर”,असलम ने कहा l
असलम की बात सुनकर रूद्र मुस्कुराने लगा l रूद्र को मुस्कुराते देखकर असलम ने कहा,”आप मुस्कुरा क्यों रहे है सर ?
“असलम तुम शायद कुछ भूल रहे हो ? ड्यूटी जॉइन के लिए मुझे किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है l”,रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा
“सॉरी सर मैं तो भूल ही गया था की आप तूफान है और तूफान कभी किसी की इजाजत लेकर नहीं आते l वेलकम बेक सर !!”,कहकर असलम भी मुस्कुरा उठा l
रूद्र ने दोनों के लिए चाय बनाई और बातें करते हुए पिने लगे l बातें करते करते कब रात हो गयी पता ही नहीं चला l असलम उठा और घर के लिए निकल गया l रूद्र बाहर बालकनी में आकर खड़ा हो गया ठंडी हवा के झोंके आकर उसके गालो को सहलाने लगे l
रूद्र हाथ बंाधे खड़ा पाकीजा के बारे में सोचने लगा ,”आखिर पाकीजा ने मुझसे ये सब बाते क्यों छुपाई ? वो मुझे बताना नहीं चाहती या फिर कोई और वजह है ? पाकीजा के मना करने के बाद भी राघव उस से मिलने क्यों आया था ? और राघव के पापा ने भी पाटिल का साथ दिया था फिर वो क्यों पाकीजा से मिलने आये ? पाकीजा ने आखिर इतना खतरनाक कदम क्यों उठाया होगा ? ये कहानी तो सुलझने के बजाय और उलझती जा रही है l “
तभी फोन की घंटी बजी तो रूद्र की तन्द्रा टूटी l रूद्र अंदर आया और टेबल से फोन उठाकर देखा घर से फ़ोन था
रूद्र – हेलो
बेटा ! कैसे हो ?
रूद्र – ठीक हु पापा l आप सब कैसे है ?
पापा – यहाँ सब ठीक है बेटा ! तुम्हे याद दिलाने के लिए फोन किया है , अगले हफ्ते तीन दिन बाद तुम्हारी और भावना की सगाई है वे लोग यहाँ एक दिन पहले ही आ जायेंगे l तुम वक्त पर आ जाना
रूद्र – हम्म्म ठीक है पापा (उदास होकर)
पापा – रूद्र ?
रूद्र – जी पापा
पापा – तुम इस रिश्ते से खुश तो हो ना बेटा ?
रूद्र – आप सब लोग खुश है ना पापा तो मैं भी खुश हु , अभी रखता हु कुछ काम है
रूद्र ने फोन काट दिया l उसका मन उदास हो गया इन सब कामो में वह भावना को तो बिल्कुल भूल ही चूका था l रूद्र कमरे में आया और बेड पर लेट गया l उसे बिता वक्त याद आ गया l
“दिल्ली से वापस आने के बाद रूद्र सबसे कटा कटा सा रहने लगा l ना वह किसी से ज्यादा बात करता ना ही किसी के साथ वक्त बीताता बस अकेला अपने कमरे में बैठा न जाने किस सोच में डूबा रहता था l
खुद में इस बदलाव की वजह वह खुद भी नहीं जानता था l भावना अक्सर रूद्र से मिलने घर आया करती थी l भावना से रूद्र कुछ देर बात कर लिया करता था पर उसके दिल में भावना को लेकर अब कोई फिलिन नहीं थी उसका दिल तो किसी और के लिए धडकता था पर किसके लिए वो खुद भी नहीं जानता था l
भावना के साथ रूद्र को हसता मुस्कुराता देखकर रूद्र के मम्मी पापा को लगा शायद भावना फिर से उसकी जिंदगी में खुशिया ले आये और यही सोचकर उन्होंने रूद्र और भावना का रिश्ता कर दिया l रूद्र को न तो कोई खुश हुई न ही कोई दुःख l वह अपनी कोई फीलिंग्स नहीं समझ पा रहा था l अकेलपन से दूर होने के लिए उसने फिर से ड्यूटी ज्वाइन की और ये उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा यु टर्न था l
किसी खास मकसद की वजह से उसका ट्रांसफर दिल्ली हुआ जहा उसके सामने कई राज खुले !!”
सोचते सोचते रूद्र को नींद आ गयी !!
अगली सुबह , सेंट्रल जेल –
बेंच पर बैठी उदास पाकिजा की नजर बार बार दरवाजे की तरफ चली जाती l काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब रूद्र नहीं आया तो वह उठकर अपनी सेल की और बढ़ गई l पाकीजा धीरे धीरे चली जा रही थी तभी अचानक से रूद्र उसके सामने आ गया l पाकीजा वही ठहर गयी पाकीजा ने अपनी नजरे उठा कर देखा सामने रूद्र खड़ा था l
पाकीजा कुछ कहती उस से पहले रूद्र ने उसका हाथ पकड़ा और लगभग गुस्से से खींचते हुए बेंच की तरफ लेकर गया l वहा आकर उसने झटके से पाकीजा का हाथ छोड़ा और कहा ,”और क्या क्या छुपाया है तुमने मुझसे ?
“आप क्या कह रहे है मैं कुछ समझी नहीं ?”,पाकीजा ने हैरानी से रूद्र की तरफ देखते हुए कहा
“ज्यादा बनने की कोशिश मत करो पाकीजा , क्या सच में वो किताब सच थी या तुमने सिर्फ झूठ लिखा है उसमे l”,रूद्र के चेहरे से गुस्सा झलकने लगा
“ये आप क्या कह रहे है ?”,पाकीजा ने कहा
“सच छुपाया है तुमने मुझसे ? राघव और उसकी फॅमिली तुमसे मिलने आयी थी , उनका खून हुआ ? ये सब क्यों नही बताया तुमने ? अगर सच छुपाना ही था तो वो किताब मुझे पढ़ने के लिए क्यों दी ? जवाब दो ?”,रूद्र ने गुस्से से कहा
पाकीजा की आँखो में आंसू भर आये अपने आंसुओ को छुपाने के लिए पाकीजा दूसरी तरफ पलट गयी or कहने लगी ,”शिवेन के जाने के बाद और उनकी कातिल कहलाने के बाद हमने खुद को एक दायरे में बांध लिया l
हमे किसी से बात करना पसंद नही था क्योक हम नहीं चाहते थे हमारी बुरी किस्मत का शिकार कोई हो l उस किताब में लिखा हर शब्द सच है लेकिन कोई उसे सच मानेगा नहीं इसलिए हमने कभी किसी से ये बातें कही ही नहीं l किसी अपने से मन की बात कहो तो मन का बोझ कम हो जाता l वो अपनापन पहली बार मुझे आपमें दिखा l ऐसा लगा जैसे कुछ तो रिश्ता है मेरा आपसे ?
लगा आप मेरा दर्द समझेंगे पर अफ़सोस बाकि लोगो की तरह आपने भी सिर्फ झूठ देखा उसके पीछे का सच नहीं”
पाकीजा तेजी से रूद्र की तरफ पलटी और उसके करीब आकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा,”देखिये मेरी इन आँखों में क्या दीखता है इनमे आपको ? क्या इन आँखों में आपको सच दिखाई नहीं देता ? क्या इनमे आपको दर्द दिखाई नही देता जो पिछले 15 दिनो से आप रोज पढ़ते आ रहे है ? क्या इन आँखों में आपको इंतजार नहीं दिखता ?
अगर नहीं दिखता तो फिर क्यों आप मेरे लिए परेशान हो रहे है ? मुझे मेरे हाल पर छोड़कर चले जाईये l जाईये “
रूद्र का दिल तेजी से धड़कने लगा उसने महसूस किया अनजाने में उस से बहुत बड़ी गलती हुई है l पाकिजा की आँखों में भरे आंसू बाहर आकर बह जाने को आतुर थे l पाकीजा वापस जाने के लिए मुड़ी कुछ ही कदम बढ़ी की रूद्र ने कहा
“पाकीजा ………………….!!”,
पाकीजा पलटी और आंसुओ से भरी आँखों से रूद्र की और देखते हुए कहा
“रहने दीजिये सर ! हर कोई शिवेन नहीं होता”
कहकर पाकीजा वहा से चली गयी l ये आखरी शब्द रूद्र के सीने में तीर की भांति जा लगे l उसने पाकीजा पर अविश्वास जताकर बहुत बड़ी गलती की उसकी आंख से आंसू निकलकर जमीं पर आ गिरा l रूद्र वही पड़ी बेंच पर बैठा जाती हुई पाकीजा को देखता रहा ll
Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41
Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41Pakizah – 41
Continue With Part Pakizah – 42
Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 40
Follow Me On facebook
Sanjana Kirodiwal