Meri Aakhari Mohabbat – 5
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Meri Aakhari Mohabbat – 5
पाखी और बाकि सब रिश्तेदार घर आ गये ,, विनीत और पाखी को शादी के मंडप में बिठाया गया !! शादी के रस्मे शुरू हो चुकी थी , पाखी शर्माते हुए मंडप में बैठी थी उसके और विनीत के पीछे बैठे भाई बहन दोनों की जमकर टांगे खींच रहे थे ,
पाखी अपनी नजरे झुकाये बैठी थी l मनु भीड़ में पीछे ही पीछे खड़ा था , अपने दिल में चल रहे सवालों से झूझ रहां था , पर अब वो बेबस था लाचार था , जानता था कुछ ही देर बाद वो पाखी को हमेशा हमेशा के लिए खो देगा ,, बस चुपचाप खड़ा उसे देखता रहा
पंडित जी ने विनीत और पाखी से फेरो के लिये खड़े होने को कहा विनीत पाखी का हाथ थामे फेरे लेने लगा , पाखी के लिए ये वक्त सबसे खूबसूरत था …शादी के 7 वचनो से पूरा घर गूंज उठा ,, जब विनीत ने अपने दाहिने हाथ से पाखी की सुनी मांग में सिंदूर भरा उसी पल पाखी सात जन्मो के लिए उसकी हो गयी ,, पाखी ने भी पलके झुकाकर खुद को विनीत के प्रति समर्पित कर दिया
सभी रस्मे होने के बाद वक्त आया विदाई का , पाखी बहुत मजबूत लड़की थी लेकिन आज इस मोके पर वो कमजोर पड़ गयी और फुट फुट कर रोने लगी .. ये पल ही ऐसा था की कोई भी अपने आंसू नहीं रोक पाया ..घर से बाहर जब उसे गाड़ी में बिठाया गया तो उसकी नजर सामने खड़े मनु पर पड़ी ,
पाखी का दिल किया गाड़ी से उतरकर दौड़कर जाये और एक बार उसे कसकर गले लगा ले लेकिन मर्यादा नाम की बेड़ियों में बंधी हुयी थी वो ,, बस जाते हुए उसे देखती रही ,, उसका रोना अब सिसकियों में तब्दील हो चूका था .. पाखी के देवर उसे हँसाने की कोशिश करने लगे और फिर पाखी मुस्कुरा दी l
पाखी के जाने के बाद मनु एक हारे हुए जुआरी की तरफ घर की तरफ निकल गया , घर पर पूजा उसका इंतजार कर रही थी ..अंदर जाते ही उसकी नजर पूजा से मिली मनु का उदास चेहरा देख पूजा समझ गयी की पाखी जा चुकी है , मनु खामोश खड़ा कुछ पल पूजा को देखता रहा और फिर उसके गले लग रोने लगा ,
पूजा ने भी उसे नहीं रोका कुछ देर बाद वो कमरे में चला गया और पाखी की तस्वीरें देखने लगा .. उसे पाखी बेइंतहा याद आ रही थी उसकी आँखों के सामने वो उस से दूर चली गयी उसने जानबूझकर पाखी को खो दिया
वो चाहता तो उसे रोक सकता था , लेकिन उसने ऐसा नहीं किया था l जिस लड़की से वो बहुत प्यार करता था उसे खो चुका था वो , सारी रात सो नहीं सका वो एक पल भी
इन सब से बेखबर पाखी अपनी नयी जिंदगी की तरफ कदम बढ़ा रही थी .. गाड़ी घर के दरवाजे पर आकर रुकी और पाखी अपने ख्यालो की दुनिया से बाहर आयी , गाड़ी से उतरकर उसने नए घर में अपना कदम रखा , घर की औरते उसे अंदर लेकर चली गयी ,, पाखी घूँघट में सिमटी हुयी सी सबके बिच बैठी थी ,, कुछ रस्मे होने के बाद कमरे में एक दो औरते ही बची बाकि सब सोने चली गयी ,
पाखी ने देखा उसकी सास और ननद के चेहरे पर ज्यादा ख़ुशी के भाव नहीं थे मामी सास के कहने पर पाखी कुछ देर के लिए लेट गयी और उसे नींद आ गयी ,, सुबह उठने के बाद फिर से सबने उसे घर की रस्मो में बिजी कर लिया सुबह से कब शाम हुई कुक पता ही नहीं चला , लगभग सभी मेहमान जा चुके थे ,,पाखी अपने साथ लाये कपडे गहने समेटने में लगी थी ..
शाम को उसने गहरे लाल रंग की साडी पहनी और साथ ही मैचिंग ज्वेलरी पहनी ,, खुद को तैयार कर विनीत के आने का इन्तजार करने लगी ,, आज विनीत के साथ उसकी जिंदगी की नयी शुरुआत थी ,, मन में एक अजीब सी बेचैनी थी , इन्तजार करते करते रात के 11 बज चुके थे विनीत अभी तक घर नहीं आया था
, पाखी ने जैसे ही विनीत को फोन करना चाहा इतने में विनीत आ गया .. घर के सब लोग सो चूके थे विनीत चुपचाप अपने कमरे में आया और दरवाजा बंद कर दिया ,,
पाखी खामोश खड़ी थी उसने विनीत से पूछा – इतनी देर कहा थे आप
Iविनीत ने कोट उतारते हुए कहा – दोस्तों के साथ था , उन्होंने शादी की पार्टी मांगी तो उसी में देर हो गयी .. और फिर बिस्तर पर बैठ गया पाखी के पास , पाखी पलके झुकाये बैठी थी तभी विनीत ने अपनी जेब से एक चैन निकाली और पाखी को पहना दी .. पाखी खुश थी विनीत को पाकर , उसने सोचा विनीत उसे अपने बारे में सब बताएगा ,
अपनी भावनाये उस से शेयर करेगा पर विनीत ने ऐसा कुछ नहीं किया उसने पाखी के चैहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ा और जैसे उसके नजदीक आया , पाखी ने उसे पीछे धकेल दिया
विनीत सकपका गया और कहा – ये क्या है पाखी मैं तुम्हारा पति हु …
पाखी की आवाज में बेचैनी उभर आयी उसने सहमी सी आवाज में कहा – आपने शराब पि रखी है ?
विनीत ने पाखी को बहुत समझाया लेकिन उसने उसकी एक बात नहीं सुनी , और अपने सवाल को बार बार दोहराती रही विनीत का झूठ पकड़ा गया और उसने कह दिया – हाँ मैंने पि रखी है तो क्या हो गया , सब पीते है और दोस्तों को पार्टी दी तो पि ली मैंने उनके साथ क्या गलत किया
पाखी – आपने शादी से पहले मुझसे कहा था की आप शराब नहीं पिते , आपने मुझसे झूठ क्यों कहा ?
पाखी !! पाखी जाने दो ना इस बात को आज की रात क्यों ख़राब कर रही हो कहकर विनीत ने उसे अपनी बांहो में भर लिया ,,
सारी रात वो पाखी के बदन से खेलता रहा , उसने पाखी की भावनाओ की कोई परवाह नहीं थी , विनीत को नींद आ गयी पाखी सारी रात जगती रही उसे अपनी आँखों के सामने वो सारे सपने टूटते नजर आ रहे थे जो उसने देखे थे , आंसुओ की बुँदे उसके गालो पर लुढ़क आयी वो रोती रही ,,, विनीत नशे में था उसे ना पाखी का रोना सूना न ही पाखी की भावनाओ की परवाह थी पाखी को कब नींद आयी उसे याद नहीं ,,
सुबह उसकी आँख खुली विनीत सोया हुआ था पाखी ने अपने कपड़े सही किये और नहाने बाथरूम की तरफ चली गयी ,,, बाल्टी भरने के लिए जैसे ही उसने नल चालू किया खुद को रोक नहीं पायी और रोने लगी ,, विनीत के नए रूप ने उसे बहुत गहरी ठेस पहुचायी थी , वो काफी दे बाथरूम में बैठी सिसकती रही और सोचने लगी
क्या सपने देखे थे मैंने , विनीत इतना निर्मम तो कभी नहीं था , क्या कहूँगी जब घरवालो को पता चलेगा विनीत के बारे में मेरी तरह उन लोगो का भरोसा भी टूट जायेगा ..
पाखी नहाकर बाथरूम से बाहर आयी तो आते ही सास ने कह दिया – आज से रसोई का काम तुम सम्हालोगी l
पाखी ने हाँ में अपना सर हिला दिया , और अपने कमरे में चली गयी और थोड़ी ही देर बाद किचन में आ गयी , पहले पूरे किचन की सफाई की और फिर सबसे पहले गैस की पूजा कर मीठा बनाया आज किचन में उसका पहला दिन था लेकिन सास ने उसे कुछ नहीं बताया बस अपने कमरे मे बैठी बातें करती रही ,
पाखी समझदार थी और घर के कामो में निपूर्ण थी इसलिए उसने खुद से ही सब बना लिया ,, सब उसके बनाये खाने की तारीफ कर रहे थे ,, किचन से काम निपटाते निपटाते दोपहर के 2 बज गए पर किसी ने उसे खाने तक का नहीं पूछा ,, सब खा पीकर अपने अपने कमरों में थे , विनीत भी खाकर बाहर चला गया ..
पाखी अपने कमरे में आयी और लेट गयी ,, आज उसे भूख नहीं थी सोचते सोचते आंसू की बुँदे आँखों के किनारे आ गयी …
दिन यु ही गुजरने लगे पाखी धीरे धीरे सबकी पसंद नापसंद जानने लगी थी , विनीत से भी उसकी बातचीत हो जाती थी लेकिन झगडे ज्यादा होते थे , विनीत एक बिगड़ा हुआ इंसान था छोटी छोटी बात पर शक करना , देर रात घर आना , शराब पीना , उसके शौक थे ,, पाखी जब भी उसे बाहर जाने का पूछती तो झगड़ा पक्का होता ,
उस घर में वो किसी से कुछ कह नहीं सकती थी , विनीत उसकी कोई बात सुनता नहीं था , सास ससुर हर वक्त सिर्फ बेटे क पक्ष लेते थे , ननद तो सीधे मुँह बात तक नहीं करती थी …
पाखी सारा दिन घर के कामो में लगी रहती , सास को पाखी पसंद नहीं थी सिर्फ विनीत के लिए उसने पाखी की शादी उस से कराई थी !! पाखी का सारा वक्त उस घर में काम करते हुए गुजर जाता , न कोई उसे समझने वाला था न उसकी बातें सुनने वाला था l उसे घुटन सी होने लगी एक शाम उसने विनीत से कहा – मैं फिर से नौकरी करना चाहती हु , अकेले पुरे दिन घर में बोर हो जाती हु …
विनीत को पता नहीं क्या हुआ उसने पाखी को तुरंत हां कह दी पाखी खुश हो गयी , अगले ही दिन से पाखी ने जॉब के लिए कुछ लोगो को मेल्स भेजे , और जल्दी ही उसे प्राइवेट कम्पनी में जॉब मिल गयी l पाखी खुश थी सुबह घर का काम करने के बाद वो ऑफिस जाती और शाम को वापस आ जाती , विनीत रोज उसे छोड़ने और वापिस घर लाने का काम किया करता था
अब सब सही चलने लगा था , विनीत भी पाखी के साथ खुश रहने लगा था लेकिन दोनों में अंडरस्टैंडिंग अब भी नहीं थी , विनीत को पाखी का बार बार रोकना टोकना पसंद नहीं था पाखी के सवालों से वो झुंझला जाता और फिर दोनों में झगड़ा हो जाता ,,
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