Meri Aakhari Mohabbat – 16
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Meri Aakhari Mohabbat – 16
शादी वाले दिन सपना पाखी को बहुत याद कर रही थी लेकिन गुस्से की वजह से उसने उसे फ़ोन नहीं किया उधर पाखी किताबे रैंक में जमा रही थी तभी उसकी नजर सामने रखे एल्बम पर गयी पाखी उसे लेकर बैठ गयी और तस्वीरें देखने लगी ये उसका, वाणी और सपना की बचपन से लेकर बड़े हों तक की यादो से भरा था ,, पाखी तस्वीरें देखते हुए मुस्कुराती जा रही थी एक पल के लिए वो उन तस्वीरों में जैसे खो सी गयी
दूसरी तरफ सपना का होने वाला पति आकाश अपने दोस्त शिव को फोन करके कहता है
– कमीने !! इतना बड़ा हो गया तू की अब दोस्त की शादी में भी नहीं आएगा है न
शिव – सॉरी यार तू तो जानता है ना मुझे ये शादी वादी में बिलकुल इंट्रेस्ट नहीं है ..
– हां तू बड़ा महान जो है ,, देख तू जानता है की तू मेरा इकलौता दोस्त है और तेरे बिना मैं शादी करूँगा भी नहीं इसलिए भाव खाना बंद कर और चुपचाप आजा शाम को 4 बजे बारात रवाना होगी
शिव – अक्कू प्लीज़ यार मेरी मीटिंग है कल , मैं नहीं आ सकता
– मुझे कुछ नहीं सुनना सब मीटिंग कैंसिल कर और शादी में आ , अगर नहीं आया तो समझ लेना तेरी मेरी दोस्ती ख़त्म
शिव – ठीक है , शाम को मिलता हु
– लव यू मेरी जान , अब मुझे पार्लर जाना है तुझसे अच्छा भी तो दिखना है
शिव – कितनी भी लीपा पोती कर ले मुझसे अच्छा नहीं दिख पायेगा
हसने लगते है दोनों और फिर फोन कट जाता है …. शिव अपना बैग पैक करता है और बस स्टैंड के लिए निकल जाता है उधर पाखी सपना की तस्वीरें देखते देखते अचानक भावुक हो जाती है और उठकर अपना बैग पैक करने लगती है और फिर जल्दी जल्दी में घर से निकल जाती है ,,
शिव और पाखी दोनों एक ही शहर के रहने वाले थे लेकिन थे दोनों एक दूसरे से अनजान पाखी बस स्टैंड पहुँचती है घडी में 3 बज रहे थे सपना के गांव जाने वाली आखरी बस 3.15 की थी पाखी जल्दी से अपन बैग सम्हाले बस की तरफ कदम बढाती है
दूसरी और शिव भी तेजी से अपनी बस की तरफ बढ़ रहा था की अचानक दोनों एक दूसरे से टकरा गए शिव की नजर पाखी पर पड़ी पर वो उसका चेहरा देख नहीं पाया सिर्फ आँखे देख पाया दरअसल अचानक टकराने से पाखी ने हाथ में पकड़ी किताब चेहरे के सामने आ गयी …शिव तो बस उसकी आँखों में देखे जा रहा था …
लड़कियों से अक्सर दूर रहने वाला शिव पाखी को बिना पलके झपकाये देखे जा रहा था पाखी ने अपना सामान सम्हाला और सॉरी कहते हुए निकल गयी ,, शिव पलटकर उसे देखता रहा , ऐसा उसके साथ पहली बार हुआ था की वो किसी लड़की को पलटकर बार बार देख रहा था अचानक उसकी नजर सामने जाती बस पर पड़ी उसकी बस निकलने वाली तह उसने दौड़कर बस पकड़ी और खिड़की वाली सीट पर अपना कब्जा जमा लिया
शिव के पास खुद की गाड़ी थी फिर भी वो बहुत बार बस से सफर करता था दरअसल उसे खिड़की वाली सीट से बहुत प्यार था , अपने माँ बाप का इकलौता बेटा था जिसको उसके माँ बाप ने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी ,, लेकिन उसके बावजूद भी उसने खुद के सपनो को अपने दम पर पूरा करने का फैसला किया
पाखी ने भी अपनी बस पकड़ी और उसे भी खिड़की वाली सीट मिली , दोनों की बसों को विपरीत जाना था दोनों की बस पास पास से निकली पाखी और शिव एक दूसरे के बहुत करीब से गुजरे थे पर दोनों का ध्यान कही और था
खैर दोनों अपनी अपनी मंजिलो की तरफ निकल गए पाखी ने कानो में ईयर फोन लगाया और गाने सुनते हुए अपनी आँखे बंद कर ली उधर शिव वो बार बार उन दो आँखों के बारे में सोचा जा रहा था जो उसने बस स्टैंड पर देखि थी …जल्दी ही दोनों अपनी अपनी मंजिल पहुंच चूके थे बस से उतर कर पाखी ने वाणी को फोन किया और सपना के बारे में पूछा
तो वाणी ने बताया की सपना तैयार होने पार्लर आयी हुयी है
पाखी ने ठीक है कहकर फोन काट दिया और सीधा पार्लर पहुंची दरवाजा खोल वो जैसे ही अंदर दाखिल हुयी सपना ख़ुशी से चिल्ला उठी और दौड़कर पाखी को गले लगा लिया .. उसकी आँखों को नम होते देख पाखी ने कहा
– अब रोना मत वरना सारा मेक अप धूल जायेगा और जीजाजी शादी से भाग जायेंगे
पाखी की बात सुनकर सब हंसने लगे .. पार्लर वाली आंटी सपना को तैयार करने लगी और पाखी बिट्टू दी और गुड्डू दी से बाते करने लगी ,, सब लम्बे आरसे बाद पाखी से मिल रहे थे और हैरान भी थे उसे देखकर दो सालो में पाखी ने खुद को बहुत मेन्टेन कर लिया था … पाखी ने देखा गुड्डू दी का बेटा भी बड़ा हो गया है वो उसको गोद में लेकर चूमने लगी
सपना के तैयार होते ही सब घर आ गए बारात आने ही वाली थी सबसे मिलकर पाखी तैयार होने भाभी के कमरे में चली गयी उसने ब्लेक रंग की गोल्डन बॉर्डर वाली बहुत खूबसूरत साडी पहनी और साथ में बड़े बड़े झुमके , आँखों में गहरा काजल लगाया और होठो पर हल्के रंग की लिपस्टिक .. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी तभी बाहर सबकी आवाजे आने लगी बारात आ गयी बारात आ गयी
सब बाहर चले गए पाखी ने भाभी से कहा – भाभी आप चलो मैं आती हु कहकर पाखी हाथ में घडी पहनने लगी ,, घडी बंद करते करते वो रूम से बाहर आ गयी और जैसे ही दरवाजे की तरफ जाने लगी उसकी साड़ी का पल्लू अटक गया उसने पीछे मुड़कर देखा तो पीछे शिव खड़ा था ,, पाखी उसके पास आयी और अपना पल्लू निकालने लगी शिव उसकी बड़ी बड़ी आँखों में जैसे डूब सा गया ,
ये वही आँखे थी जो उसने बस स्टैंड पर देखी थी पल्लू निकलने के बाद पाखी ने अपनी पलके उठाकर एक बारगी शिव की तरफ देखा और फिर धीरे से सॉरी बोलकर निकल गयी वो पाखी को जाते हुए देखता रहा उसे लगा जैसे उसकी धड़कने बंद हो गयी है ,, वो पलके झपकाना तक भूल गया चलते चलते पाखी ने जैसे ही अपने बालो को हाथो से आगे किया शिव की नजर उसकी गर्दन पर बने टैटू पर पड़ी जहा हिंदी में “शिव” लिखा था
एक पल को शिव खुश हो गया अपना नाम देखकर लेकिन अगले ही पल परेशान भी की इसकी जिंदगी में शिव कौन आ गया
खैर पाखी के पीछे पीछे चलकर वो भी वरमाला वाली जगह आ गया , वो आकर आकाश के बगल में खड़ा हो गया पाखी के एकदम सामने पाखी सपना के साथ खड़ी थी सपना के दुल्हन होने के बावजूद भी सबकी नजरे पाखी पर टिकी थी यहाँ तक के शिव और आकाश की भी , तभी सपना ने धीरे से पाखी के कान में कहा – इस आकाश के बच्चे को तो मैं बताउंगी कैसे मुझे छोड़ तुझे घूर रहा है कमीना ..
पाखी – देख लेने दे बेचारे को वैसे भी साली आधी घरवाली होती है
और फिर दोनों हसने लगी तभी वाणी ने कहा – जीजाजी आपकी सपना इधर है उधर क्या ढूंढ रहे है आप
वाणी की बात सुनकर सब हसने लगे और आकाश झेंप गया , पर शिव की नजर बार बार पाखी पर चली जाती ,, वरमाला के समय जब सपना की बारी आयी तो आकाश तनकर खड़ा हो गया , बेचारी सपना अब कैसे पहनाये वरमाला … थोड़ी देर बाद पाखी ने कहा जीजाजी हमे तो लगता है शादी के चाव के कारण आपकी कमर अकड़ गयी है तभी झुक नहीं पा रहे
तभी शिव ने पाखी की तरफ देखते हुए धीरे से कहा – आपके लिए तो हम सारी जिंदगी झुकने को तैयार है
आकाश ने शिव की तरफ देखा और आँखों ही आँखों में शिव से पूछा – कबसे बेटा ?
शिव खिसिया कर दूसरी तरफ देखने लगा … और फिर आकाश ने सर झुककर वरमाला पहन ली … सब सपना और आकाश पर फूलो की बरसात करने लगे … सभी अंदर आ गए पाखी वही रुक गयी उसके कान से एक झुमका निकल कर कही गिर गया था पाखी उसे ढूंढ़ने में लगी थी तभी उसे वो दिख गया उठाकर उसे कान में पहनने लगी पर उसके बाल उड़ उड़कर बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे
शिव ने देखा पाखी परेशान सी झुमके को पहनने की कोशिश में थी और बाल बार बार उड़कर कभी उसके गालो तो कभी उसके होंठो को छू रहे थे पाखी को परेशान देख शिव ने पंखे का बटन बंद कर दिया पाखी ने देखा शिव वही खड़ा था वो उसके पास गयी और शुक्रिया कहकर वहा से निकल गयी .. शिव के कुछ बोलने से पहले ही पाखी वहा से चली गयी
आकाश दूर बैठा सब देख रहां था … उसने इशारे से शिव को अपने पास बुलाया
– ये सब क्या हो रहा शिव , मैं देख रहा हु जबसे आये हो निगाहे नहीं हट रही आपकी उनके चेहरे से ,, जहा तक की मैं जानता हु आपको तो लड़कियों से दूर रहने की आदत है
शिव ने आकाश के पास बैठते हुए कहा
शिव – पता नहीं , पर उसे देखने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे मैं उसे बहुत पहले से जानता हु .. कुछ तो है जो हम दोनों को एक दूसरे से जोड़ता है ,,
आकाश – रुको रुको रुको , तुम कबसे इन सब में यकीं करने लगे
शिव – पहले नहीं करता था पर अब लगता है शायद करने लगु ..
आकाश – भाई मेरी शादी हो जाने दे पहले , उसके बाद सोचना ऐसा कुछ वरना कही ऐसा न हो तेरी वाली के चक्कर में मुझे मेरी वाली भी ना मिले
शिव मुस्कुराने लगा …
तभी दोनों ने देखा पाखी हाथो में दो ग्लास पकडे चली आ रही थी , पाखी ने एक ग्लास आकाश और दूसरा शिव को देते हुए बताया – जीजू पंडित जी ने फेरो का मुहूर्त रात 2 बजे का बताया है , और अभी बज रहे 9 तो मैंने सोचा इतनी देर आप क्या करेंगे इसलिए आपके लिए जूस लायी हु ,, जूस पीजिये और इन्तजार का मजा लीजिये
2 बजे – आकाश के मुँह से निकला तो पाखी हसने लगी .. और आकाश के गाल खींचते हुए कहा – जी हां , तब तक आप अपने दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाइये …
आकाश बेचारा जूस पिने ही वाला था की शिव ने उसे रोक दिया
– ना ना ना जूस नहीं पीना , क्या पता इसमें कुछ मिलाया हो इन्होने और हमारा तमाशा बन जाये
पाखी ने घूरते हुए शिव को देखा और कहा – ऐसा कुछ नहीं है , हमे इस तरह की शरारते करना पसंद भी नहीं लाईये पहले हम पिते है फिर आप पीना – कहकर उसने शिव से जूस का ग्लास ले लिया थोड़ा सा पीया की शिव ने ग्लास वापस ले लिया और जैसे ही पिने लगा पाखी ने रोक दिया
– अरे !! रुकिए ,आप हमारा झूठा पिएंगे , आप रुकिए हम दूसरा ले आते है
पाखी जूस लेने चली गयी और पाखी के जाते ही शिव ने सारा जूस पि लिया
आकाश आँखे फाडे उसे देखे जा रहा था ….. शिव को इस तरह उसने आज तक नहीं देखा था पाखी वापस आयी तो उसके साथ सपना की और बहने भी थी सब आकर आकाश की टांग खींचने लगी ,, आकाश भी कम नहीं था उसने भी अपने भाई और शिव को अपनी टीम में शामिल करके सालियों की टांग खींचने लगा
सब हंसी मजाक कर रहे थे तभी आकाश ने पाखी से कहा – अरे साली साहिबा !! इतनी देर से हमारी टांग खिचाई कर रही हो अपना नाम तो बता दो
– जी हमारा नाम पाखी है , जयपुर से है लॉ की तैयारी कर रहे है
लॉ का नाम सुनते ही शिव ने पाखी की तरफ देखा और सोचा इतनी मासूमियत लेकर वकालत सिख रही है कौन बेवकूफ होगा जो इसके खिलाफ जायेगा …
शिव सोच ही रहा था की तभी आकाश ने कहा – शिव भी एक ला………… उसके कहने से पहले ही शिव ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करते हुए कहा – आकाश के कहने का मतलब है की मैं भी जयपुर से ही हु
– जयपुर में कहा – पाखी ने फिर सवाल किया
शिव – जी सिंधीकैम्प ,
इसी तरह बातो का दौर चलता रहा …
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