Meri Aakhari Mohabbat – 15
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Meri Aakhari Mohabbat – 15
पाखी अब पूरी तरह बदल चुकी थी , ऐसा नहीं की उसकी जिंदगी में फिर प्यार नहीं आया बहुत बार आया लेकिन पाखी सबसे किनारा कर चुकी थी ,, उसने अपनी जिंदगी के दरवाजो को इस कदर बंद कर लिया की कोई फिर उसकी जिंदगी में शामिल हो ही नहीं पाया ……. मनु अपनी नयी जिंदगी में खुश था उसने फिर कभी पाखी के बारे में जानने की या उससे मिलने की कोशिस ही नहीं की
पूजा भी धीरे धीरे पाखी से दूर हो गयी जो लोग पाखी को जिंदगी भर साथ देंने का वादा कर रहे थे वो एक एक करके उस से दूर होते गए ,, पर पाखी इतनी कमजोर नहीं थी इतना सब होंने के बाद भी उसने कभी खुद को अकेला महसूस नहीं किया , उसने अपने चारो तरफ अपनी एक अलग ही दुनिया बना ली उसने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए लिखने का सहारा लिया ..
वो एक राइटर बनना चाहती थी पर कभी किसी ने उसके सपनो को तवज्जो नहीं दी लेकिन अब उसके पास काफी वक्त था अपने इस सपने को पूरा करने के लिये , उसने लिखना शुरु किया शायरी , कविताये , लेख , कहानिया बहुत कुछ था उसके पास लिखने को .. उसकी लेखन शक्ति गजब थी धीरे धीरे लोगो ने उसे प्रेरित किया वो अक्सर अपने आस पास होने वाली घटनाओ को कहानी का रूप दिया करती थी ,,
पर वो कितना भी अच्छा लिख ले उसे हमेशा अपनी लिखी हर चीज अधूरी सी लगती थी , अक्सर कुछ ना कुछ कमी रह ही जाती थी … महीनो गुजर गए पर विनीत और उसके घरवालों को अपनी गलती का अहसास नहीं हुआ , विनीत पाखी को घर ले जाना चाहता था लेकिन अपनी शर्तो पर और पाखी को ये मंजूर नहीं था पाखी अपनी नजर में सही थी और इसलिए उसने विनीत से तलाक लेने का फैसला किया ,,
देर सवेर पाखी के घरवालों को भी ये अहसास हो गया की विनीत पाखी के लायक नहीं है ,, बात को ज्यादा ना बढ़ाते हुए उन्होंने विनीत के घरवालों से रिश्ता खत्म करने की बात सोची और अगले ही दिन पाखी के चाचा , मम्मी और कुछ रिश्तेदार विनीत के घर पहुंच गए ..
पाखी ने अपने पापा से भी साथ जाने की बात की लेकिन वो नहीं रुके और शहर छोड़कर चले गए बस उसी दिन से पाखी ने उन्हें अपना पिता मानना बंद कर दिया , उस नफरत हो गयी उनसे वो पाखी को ु वक्त छोड़कर गए जब उसे उनके सहारे की सबसे ज्यादा जरुरत थी
iविनीत के घर जाने के बाद दोनों परिवारों में खूब बहस हुयी दोनों पक्ष एक दूसरे पर कीचड़ उछलने लगे पर बात खत्म नहीं हुयी और उसके बाद विनीत और उसकी माँ ने पाखी पर गलत इल्जाम लगाने लगे सबको बहुत गुस्सा आ रहा था पर सब चुप थे ,,, क्युकी बात पाखी की जिंदगी की थी जहर की तरह सब विनीत और उसकी माँ की कड़वी बाते सुनते रहे और निगलते रहे …
एक लड़की जब सही हो तो उसे गलत ठहराने का सिर्फ एक ही रास्ता बचता है और वो होता है उसके चरित्र पर दाग लगाना … और यही विनीत ने उस दिन किया , वो कितना सही था और कितना गलत ये सिर्फ वहा मौजूद लोग जानते थे … सारी बहस के बाद ये फैसला हुआ की 1 महीने बाद पाखी और विनीत के तलाक को मंजूरी मिल जाएगी ,,,
सब घर वापस आ गए घर आकर जब सबने पाखी को बताया तो उसका दील अंदर ही अंदर टूटकर बिखर गया वो चुपचाप सब सुनती रही … वो जानती थी ऐसा भी होगा विनीत जो की अपनी झूठी शान और घमंड में चूर था वो इतनी आसानी से पाखी को नह छोडेगा ,,,पर पाखी हर चुनौती के लिए तैयार थी ,, ना वो लोगो के तानो से डरी ना ही विनीत के जरिये की गयी बदनामी से वो जानती थी की उसने कुछ गलत नहीं किया था
ये एक महीना पाखी पर 1 साल की तरह गुजर रहा था और आखिरकार वो दिन भी आ गया जब वो विनीत के जाल से हमेशा हमेशा के लिए आजाद होने वाली थी , अदालत में वो सर झुका कर नहीं खड़ी थी ना ही उसकी आँखों में विनीत का कोई डर था वो बेखौफ और मजबूती से विनीत के सामने खड़ी थी ,
कार्यवाही शुरू हुयी विनीत ने उसपर हर घटिया से घटिया इल्जाम लगाया और उसे गलत ठहराने की कोशिश की लेकिन उसकी एक नहीं चली पाखी ने अपने पक्ष में सिर्फ इतना कहा की उसे विनीत से तलाक चाहीये …
और पाखी को विनीत से तलाक पर मंजूरी मिल गयी , दोनों का तलाक हो गया तलाक के साथ साथ उस पाखी को 5 लाख रूपये भी देने पड़े .. एक हारे हुए मुजरिम की तरह विनीत अदालत से बाहर आ गया उसका सर शर्म से झुका हुआ था उसकी हिम्मत नहीं हुयी पाखी को नजरे उठाकर देखने की .. और फिर वो अपनी माँ के साथ वहा से बाहर निकल गया ..
पाखी वही खड़ी थी उसे ना विनीत के हारने की ख़ुशी थी ना अपने जितने की उसे ख़ुशी इस बात की थी आज एक लड़की ने हार नहीं मानी थी ……
पाखी एक ऐसे समाज से थी जहा गलती हमेशा लड़कियों की मानी जाती थी , जहा झुकना हमेशा लड़कियों को पड़ता था जहा सहना हमेशा लड़कियों को पड़ता था .. जिन्हे किसी भी तरह की आजादी नहीं थी जहा आज भी मर्दो को ओरतो से ऊपर समझा जाता था ,,
जहा एक पति को भगवान का दर्जा दिया जाता है और फिर वो ही भगवान अपनी मनमर्जी से उसको दुःख पहुँचाता है , तकलीफ देता है , एक औरत अपना सब कुछ छोड़कर आँखे बंध करके उसे भगवान समझ उसके घर आती है और ये लोग उसे सम्मान देने के बजाय उसे प्यार देने के बजाय उसे अपने पैरो की धूल समझने लगते है …
हां वो एक ऐसे ही समाज से थी … जहा एक लड़की की जिंदगी से ज्यादा लोगो को अपनी झूठी शान और इज्जत ज्यादा प्यारी थी … पर पाखी ने इन सबके बारे में नहीं सोचा और विनीत जैसे इंसान को अपनी जिंदगी से दूर कर दिया
पाखी के दिमाग में यही सब घूम रहा था की अचानक उसे ख्याल आया
अगर मेरे साथ ऐसा हुआ है तो न जाने मुझ जैसी कितनी ही लड़कियो के साथ ऐसा होता होगा , जो समाज और अपने घरवालों के डर से कुछ बोल नही पाती , बस सहती रहती है ,, पर मैं ऐसा होने नहीं दूंगी अगर वो नहीं लड़ सकती अपने हक़ के लिए तो मैं लड़ूंगी …
और मन ही मन एक फैसला लेकर उसने मुड़कर अदालत को देखा और फिर मुस्कुरा कर बाहर निकल गयी ..
घर आकर वो सीधा बाथरूम में चली गयी और शावर चला कर उसके निचे खड़ी हो गयी बरबस ही उसकी आँखे बहने लगी आज सही मायनो में वो आजाद हो चुकी थी ,, शादी चाहे कितनी भी बुरी हो उसके टूटने का दर्द एक बारगी सबको जरूर होता है … पाखी थोड़ी देर बाद बाहर आ गयी
अब वो पहले से ज्यादा चुप रहने लगी थी …
अपनी जिंदगी को एक नया मोड़ देने के लिए पाखी ने l.l.b करने के लिए लॉ कॉलेज में एड्मिशन ले लिया , अपने सपनो को पूरा करने का उसे मौका मिला जिसे वो खोना नहीं चाहती थी .. उसने पूरी मेहनत से इंटेरस एग्जाम दिए और अच्छे नंबरों से पास हुयी उसे कॉलेज में एडमिशन भी मिल गया ,,
उसने अपना सारा वक्त और ध्यान पढ़ाई में लगा दिया ,, देखते ही देखते पाखी ने पहले साल लॉ कॉलेज में टॉप किया .. और उसके बाद वो फाइनल ईयर की तैयारी में जुट गयी इन दो सालो में पाखी अब तक सबसे दूर हो चुकी थी
एक शाम पढ़ाई करते वक्त माँ ने उसे बताया की प्रीति जो की सपना जो की पाखी के मामाजी की बेटी है उसकी शादी तय हो गयी है … शादी का नाम सुनते ही पाखी लिखते लिखते रुक गयी न चाहते हुए भी उसका अतीत उसकी आँखों के सामने आ गया .. उसने किताब में नजरे गड़ा ली और माँ की तरफ देखे बिना ही कहा – हां !! तो आप सबको जाना चाहिए
माँ – तुझे भी जाना चाहिए
– मुझे कही नहीं जाना , और आप तो जानती है मुझे पसंद नहीं शादियों में जाना
माँ – तो क्या जिंदगीभर घर में बंद रखेगी खुद को , कब तक इस तरह सबसे दूर रहेगी ,, इन दो सालो में तुमने घर से कॉलेज और कॉलेज से घर बस यही किया है ,, बाहर निकलेगी लोगो से मिलेगी , तभी तो अपना बिता हुआ कल भूल पायेगी ..
– माँ मुझे पढ़ने दो , और जाओ यहाँ से प्लीज़ ………. पाखी ने हाथ जोड़ते हुए कहा
माँ उठकर चली गयी . ऐसा हर दो चार दिन से होता रहता जब माँ पाखी को समझाती पर पाखी ना जाने क्यों अपने उस अतीत से निकलना ही नहीं चाहती थी या फिर डरती थी की कही फिर से कोई उसके जज्बातो के साथ ना खेल जाये पाखी सोच ही रही थी की तभी उसका फोन बजा फोन पर सपना का नंबर देख उसने एक बार तो फोन नहीं उठाया सपना ने फिर से फोन लगा दिया … इस बार पाखी को फ़ोन उठाना पड़ा
– हेलो
सपना – हेलो की बच्ची , भुआ बता रही है की तू शादी में नहीं आ रही
– हां वो फाइनल ईयर है ना तो मुझे पढ़ना है , और तू तो जानती है मुझे शादी भीड़भाड़ ये सब नहीं पसंद है
सपना – पसंद हो या ना हो मुझे नहीं पता मेरी शादी में आना है बस
– मैं नहीं आ सकती यार ,
सपना – क्या हो गया है तुझे पाखी , तू बिलकुल बदल गयी है ऐसी पहले कभी नहीं थी तू याद है पहले हम लोग कितनी मस्ती किया करते थे , कितनी बाते किया करते थे एक दूसरे से और आज तुझे 2 साल हो गए मिलना तो दूर तू बात तक नहीं करती ,, बुरा वक्त सबकी जिंदगी में आता है पर इसका मतलब ये नहीं की तुम खुश रहना ही छोड़ दो .. सबसे कितना दूर जा चुकी हो तुम ये तुम्हे खुद भी नहीं पता है पाखी … कही ऐसा ना हो इसके चलते तुम सब कुछ खो दो !!
पाखी ख़ामोशी से सुनती रही
सपना – तुझे नहीं आना तो मत आ , पर एक बार सोच तूने खुद को क्या बना लिया है , तेरा दिल सिर्फ एक इंसान ने तोड़ा पर तू अकेली सबका दिल तोड़ रही है मेरा , भुआ का , अपने दोस्तों का और इन सबके साथ खुद का भी .. आज सब तेरे साथ है पर कल जब तुझे अकेलेपन का अहसास होगा तो तेरे पास कोई नहीं होगा ,,, bye
कहकर सपना ने फोन काट दिया पाखी ने किताबे समेट कर साइड में रख दी और सपना के बारे में सोचने लगी सही तो कह रही थी वो ,, पाखी अपने कमरे से बाहर आयी और माँ के कमरे में गयी वहा सपना की शादी का कार्ड रखा हुआ था उसने उठाकर देखा शादी 10 दिन बाद थी ,, पाखी वापस अपने कमरे में चली गयी ,, दो सालो से बस वो उस कमरे तक ही सिमित थी उसी में अपनी सारी दुनिया बसा रखी थी …
दो दिन बाद माँ वाणी के साथ सपना की शादी में चली गयी , और जाते जाते पाखी से शादी में शामिल होंने की रिक्वेस्ट भी करती गयी .. सपना ने जब वाणी और भुआ को अकेले ही देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया पाखी पर उसने मन ही मन फैसला किया की वो पाखी से बिलकुल बात नहीं करेगी
पाखी की मम्मी को सबने पाखी के बारे में पूछपूछ कर परेशांन कर दिया ,, इधर पाखी अपनी पढ़ाई में लगी थी ,,, सपना की शादी की सभी रस्मे एक के बाद एक होती जा रही थी और सबसे ज्यादा पाखी की कमी सपना को खल रही थी क्युकी पाखी उसकी बहन नहीं उसकी बचपन की दोस्त भी थी ..
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