Manmarjiyan – S83
Manmarjiyan – S83
गोलू की हल्दी की रस्म हो चुकी थी लेकिन गुड्डू उसमे नहीं आया। गुड्डू की खमोशी घर में सबसे ज्यादा अगर किसी को खलती थी तो वो थी शगुन , लेकिन आज शगुन ने भी गुड्डू को छेड़ ही दिया और बदले में उस से थोड़ी डांट भी खा ली , वैसे गुड्डू का चिढ़ना भी सही था अब कोई लड़का उसके सामने शगुन की तारीफ करेगा और उसी से शगुन के नंबर मांगेगा तो चिढ़ेगा ही ना बेचारा।
मिश्राइन ने गुड्डू को मिश्रा जी के लिए टिफिन पैक करके दिया और कहा,”शाम में वेदी और शगुन को भेज रहे है शोरूम शादी में पहनने के लिए नए कपडे दिलवा देना उन्हें और कुछ और सामान चाहिए तो वो भी दिलवा देना”
“हम क्यों दिलवाये खुद से भी तो ले सकती है”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू गोलू का गुस्सा हम सब पर काहे उतार रहे हो बेटा ? तुम्हे नहीं जाना तुम मत जाओ हमे मत रोको”,मिश्राइन ने गुड्डू के जले पर नमक छिड़कते हुए कहा
“हाँ तो जाईये हम कहा रोक रहे है ? और हम कोई मरे नहीं जा रहे है उसकी शादी में जाने के लिए”,कहते हुए गुड्डू वहा से चला गया।
टिफिन लाकर बाइक के हैंडल पर लगाया और वहा से निकल गया
मिश्रा जी का टिफिन लेकर गुड्डू शोरूम पहुंचा आज उसका पारा हाई था ये देखकर लड़के चुपचाप अपने काम में लग गए। पहले शगुन ने उसे छेड़ दिया और फिर मिश्राइन ने गोलू की शादी की बात करके उसकी चिढ और बढ़ा दी। उसने टिफिन तिवारी जी को दिया और काम देखने लगा। थोड़ी देर बाद उसका फोन बजा गोलू का नंबर देखकर गुड्डू ने फोन काट दिया। उधर गोलू ने तीन चार बार फोन किया लेकिन हर बार फोन कट हुआ तो गोलू उदास हो गया। गुड्डू को मनाने की वह हर नाकाम कोशिश कर रहा था लेकिन गुड्डू उस से कुछ ज्यादा ही नाराज था। गोलू घर से बाहर भी नहीं जा सकता था और ऐसे में गुड्डू को मनाना उसके लिए और मुश्किल हो गया।
शाम में शगुन और वेदी शोरूम आयी। शगुन शादी के बाद बार शोरूम आयी थी तिवारी जी ने देखा तो उन दोनों की तरफ आये और शगुन ने कहा,”कितने दिनों बाद इस घर की लक्ष्मी के कदम यहाँ पड़े है , मिश्रा जी अक्सर आपके बारे में बताते है आज आपसे मिलकर ख़ुशी हुई ,, कहिये कैसे आना हुआ ?”
“नमस्ते , घर में शादी है उसी के लिए कुछ कपडे चाहिए थे ,, आप परेशान मत होईये हम लोग देख लेंगे”,शगुन ने कहा
“अरे इसमें परेशानी की क्या बात है ? आप आईये मैं लड़के से कहता हूँ”,कहते हुए तिवारी जी शगुन और वेदी को लेकर दूसरी तरफ चले गए जहा लहंगो और साड़ियों का अच्छा कलेक्शन था। गुड्डू उस वक्त वहा नहीं था वह ऊपर वाले फ्लोर पर किसी काम से गया हुआ था। वेदी ने गोलू की शादी में पहनने के लिए एक अच्छा सा लहंगा और दो सूट लिए। अपने लिए पंसद करने के बाद उसने शगुन से कहा,”भाभी आप भी देख लीजिये अपनी पसंद का कुछ”
“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है वेदी तुम ही पसंद कर लो ना”,शगुन ने इधर उधर नजरे दौड़ाते हुए कहा लेकिन गुड्डू उसे कही दिखाई नहीं दिया।
“भाभीजी ऐसे पसंद नहीं आएगा रुकिए मैं आपको ट्राय करवाता हूँ”,कहते हुए लड़के ने गोल्डन-ग्रीन मिक्स एक लहंगा उठाया और शगुन से खड़े होने को कहा
शगुन वेदी की तरफ देखने लगी , वेदी ने शगुन को असमझ में देखा तो कहा,”भाभी ये सही कह रहे है ट्राय कर लीजिये”
शगुन उठी और आकर लड़के के सामने खड़ी हो गयी। लड़के ने जैसे ही लहंगा शगुन की कमर से लगाने के लिए हाथ बढ़ाया गुड्डू वहा आया और लड़के का कन्धा थपथपाते हुए कहा,”लाओ हमे दो हम करवा देते है ट्राय , तुम ऊपर जाकर मदद करो”
“अरे गुड्डू भैया हम कर लेंगे”,लड़के ने कहा
“जानते हो इह कौन है ? इह है शगुन गुप्ता जबान ना कैंची की तरह चलती है इनकी , कही बातो बातो में तुम्हे घायल कर दिया तो लग जाने है तुम्हाये , चलो जाओ”,गुड्डू ने कहा तो शगुन गुड्डू को घूरने लगी। गुड्डू के कहने पर लड़का चला गया। गुड्डू शगुन के करीब आया और लहंगे को उसकी कमर से लगाते हुए बंद कर दिया। दुपट्टा लहंगे से अटैच किया और पल्लू को कंधे पर रखकर शगुन को शीशे की तरफ घुमा दिया। वेदी तो बस प्यार से दोनों को देख रही थी। शगुन ने देखा लहंगा उस पर बहुत जच रहा था और उसे भी ज्यादा जच रहा था उसकी बगल में खड़ा गुड्डू। डायरेक्ट तो वह गुड्डू को देख नहीं पाती थी इसलिए
शीशे के बहाने ही सही वह गुड्डू को प्यार से देखने लगी। गुड्डू ने देखा काफी देर तक शगुन का कोई रिएक्शन नहीं आया है
“तुम कही जे पहनकर घर जाने का तो नहीं सोच रही”,गुड्डू ने एकदम से कहा
“हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब”,शगुन ने गुड्डू की तरफ पलटकर कहा तो लड़खड़ाई और जैसे ही गिरने को हुई गुड्डू ने सम्हाल लिया और इस चक्कर में उसका हाथ शगुन की कमर पर चला गया। शगुन ने खुद को सम्हाला और कहा,”सॉरी”
“एक लहंगा तो सम्हाल नहीं रहा तुमसे हमे का सम्हाल लोगी”,गुड्डू बड़बड़ाया
“आपने कुछ कहा ?”,शगुन ने कहा
“नहीं तुम्हाये कान बज रहे है , जे पसंद है या और दिखाए ?”,गुड्डू ने शगुन की कमर से लहंगे का हुक हटाते हुए कहा
“अच्छा है यही दे दीजिये”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखते हुए कहा
“और कुछ चाहिए ?”,गुड्डू ने लहंगे और दुपट्टे को साइड में खड़े लड़के को देकर पैक करने का इशारा करते हुए पूछा
“आप”,शगुन ने कहा गुड्डू ने जैसे ही सूना उसका दिल धड़क उठा उसने शगुन की तरफ देखा तो शगुन ने कहा,”आप चल रहे है ना हम लोगो के साथ बाहर”
शगुन ने तुरंत बात पलट दी तो गुड्डू ने कहा,”हम्म्म ठीक है तुम दोनों चलो हम आते है”
शगुन और वेदी के जाने के बाद गुड्डू मिश्रा जी के पास आया और उनसे बाहर जाने की बात कही तो मिश्रा जी ने उसे कुछ रूपये पकड़ा दिए और कहा,”उन्हें जो चाहिए दिलवा देना”
गुड्डू बाहर चला आया बाइक से तो जा नहीं सकते थे इसलिए गाड़ी की चाबी ली और शगुन वेदी के साथ बाहर चला आया। शगुन गुड्डू के बगल में आ बैठी और वेदी पीछे बैठ गयी। गुड्डू ने गाड़ी वेदी के बताये रास्ते की तरफ मोड़ दी। गुड्डू का चेहरा देखकर शगुन समझ गयी की वह अभी भी अपसेट है तो उसने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया लेकिन लव सांग सुनकर आज खुश होने के बजाय गुड्डू और अपसेट हो गया उसने सिस्टम बंद कर दिया। शगुन ने देखा तो वापस चला दिया। गुड्डू ने फिर बंद कर दिया तो शगुन ने फिर चला दिया। अब तो दोनों में बंद चालू बंद चालू की होड़ सी लग गयी। गुड्डू ने देखा की शगुन नहीं मान रही है तो उसने शगुन का हाथ पकड़ा और उसे गेयर हेंडल पर रखकर ऊपर अपना हाथ रख लिया जिस से शगुन अपना हाथ ही ना हिला पाए। शगुन ने अपना हाथ निकालने की कोशिश की तो गुड्डू ने उसे और कसके पकड़ लिया और अपना ध्यान सामने लगा लिया। पीछे बैठी वेदी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी और फिर अपनी नजरे बाहर जमा ली। शगुन को भी गुड्डू के हाथ में अपना हाथ अच्छा लग रहा था , वह शांत बैठ गयी। गाड़ी एक मार्किट के बाहर आकर रुकी गुड्डू ने उसे साइड में लगाया और वेदी शगुन के साथ नीचे उतरा। शगुन और वेदी को जो जो सामान चाहिए था उन्हें दिलवाया और उनके बैग उठाये उनके पीछे पीछे भी चल रहा था। शगुन को ये सब देखकर बड़ा मजा आ रहा था। हल्का अँधेरा होने लगा था तीनो घर जाने के लिए निकल गए। रास्ते में वेदी ने पावभाजी खाने की जिद की तो गुड्डू को गाडी रोकनी पड़ी। तीनो एक पावभाजी वाले पास चले आये और तीन प्लेट लगाने को कहा। गुड्डू गोलू के साथ यहाँ अक्सर आया करता था जब उसकी नजर वहा खाली पड़ी बेंच पर पड़ी तो उसे गोलू की याद आ गयी। याद क्या वह खुद को और गोलू को उस बेंच पर बैठा देख रहा था। उसे खोया हुआ देखकर शगुन ने उसके सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”कहा खो गए ?”
“कही नहीं मुझे भूख नहीं है तुम दोनों खाओ”,कहकर गुड्डू उसी बेंच पर जाकर बैठ गया। शगुन ने वेदी से खाने को कहा और खुद अपनी प्लेट लेकर गुड्डू की तरफ चली आयी और उसकी बगल में बैठते हुए कहा,”पर मैंने तो सूना तो आपको ये सब खाना बहुत पसंद है”
“पसंद है लेकिन अभी मन नहीं है”,गुड्डू ने कहा
“तो फिर मुझे भी नहीं खाना , मैं इसे वापस कर देती हूँ”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और वापस बैठने का इशारा किया। गुड्डू ने एक निवाला तोड़ा और शगुन की तरफ बढ़ा दिया। गुड्डू से इतने प्यार की उम्मीद शगुन को शायद ही थी उसने जैसे ही मुंह खोला गुड्डू वह निवाला खुद खा गया और हसने लगा। शगुन ने देखा तो मुंह बना लिया और बेचारी खुद ही खाते हुए कहने लगी,”कैसे पागल इंसान है एक लड़की क्या चाहती है ? इतना भी नहीं समझते”
गुड्डू भी उसी प्लेट से खाने लगा , वेदी भी उन दोनों के पास चली आयी तीनो ने खाया और फिर गुड्डू पैसे देने चला गया। तीनो वहा से घर के लिए निकल गए मिश्रा जी ने गुड्डू से सीधा घर चले जाने को कहा। गुड्डू घर आया गाड़ी साइड में लगा दी। शगुन और वेदी अंदर चली आयी दोनों ने सब कपडे और बाकि सामान मिश्राइन को दिखाया। गुड्डू ऊपर अपने कमरे में चला आया , दरअसल गुड्डू गोलू को मिस कर रहा था , कभी गोलू से बात किये बिना उसका दिन नहीं गुजरता था और आज एकदम से बाते बंद थी। गुड्डू जब बहुत अपसेट होता तो वह सो जाया करता था आज भी उसने कपडे बदले और सो गया। रात में मिश्रा जी घर आये आज भी गुड्डू खाना खाने नहीं आया तो मिश्रा जी ने कहा,”मिश्राइन हम गुड्डू से बात करे का ?”
“पिताजी हमने , भाभी और गुड्डू भैया ने शाम में बाहर खा लिया था इसलिए गुड्डू भैया को भूख नहीं है”,वेदी ने कहा
“अच्छा फिर कोई बात नहीं,,,,,,,,,,,,,शगुन”,मिश्रा जी ने शगुन की तरफ देखकर कहा
“जी”,शगुन ने कहा
“जो चाहिए था वो खरीदा ना बिटिया ?”,मिश्रा जी ने बड़े ही प्यार से कहा
“जी पापा जी थैंक्यू”,शगुन ने कहा
“तुम्हारी बहन की शादी कब है ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“गोलू जी की शादी के हफ्ते भर बाद है पापाजी लेकिन मुझे गोलू जी की शादी के अगले दिन ही जाना होगा , दो दिन बाद मेरे दोस्त की शादी है मैं जा सकती हूँ ना ?”,शगुन ने पूछा
“इसमें पूछने की का बात है ? बिलकुल जा सकती हो हम तो चाहेंगे गुड्डू भी तुम्हारे साथ जाए”,मिश्रा जी ने कहा
“जब तक उन्हें सब याद नहीं आ जाता उनका जाना हम सबको परेशानी में डाल सकता है , सगाई में भले कम लोग आये थे और उस वक्त गुड्डू जी के सामने बहाना बना दिया लेकिन शादी में तो सब आएंगे और सब गुड्डू जी से पहली बार मिलेंगे तो जायज है सवाल जवाब भी करेंगे। ऐसे में वो कही परेशान होकर,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने बात अधूरी छोड़ दी
“तुम्हारी बात सही है शगुन गोलू की शादी के अगले दिन ही हम गुड्डू को सारा सच बता देंगे उसके बाद महादेव की इच्छा”,मिश्रा जी ने कहा। शगुन भी उनकी बात समझ गयी क्योकि शगुन और गुड्डू का रिश्ता अब ऐसे मोड़ पर आ चुका था जहा से सब खत्म भी सकता था। खाना खाकर मिश्रा जी अपने कमरे में चले गए मिश्राइन ने गुड्डू के लिए ग्लास में दूध रखा और जाने लगी तो शगुन ने कहा,”माजी ये मैं उन्हें दे आती हूँ”
“ठीक है तुम चली जाओ”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन दूध का ग्लास लेकर गुड्डू के कमरे में चली आयी। गुड्डू सो चुका था लेकिन उसकी आधी क़म्बल नीचे गिरी हुई थी शगुन ने ग्लास टेबल पर रखा और गुड्डू की तरफ आकर उसकी कम्बल उठायी और उसे ओढाने लगी। सोया हुआ गुड्डू इस वक्त कितना मासूम लग रहा था ये तो बस शगुन ही बता सकते थी। उसने गुड्डू को अच्छे से ओढ़ाया और फिर वही उसके सिरहाने बैठकर उसके बालो को ललाट से हटाते हुए खुद से ही कहने लगी,”बस कुछ दिन और गुड्डू जी उसके बाद आपकी सारी परेशानिया ख़त्म हो जाएगी , ये जो कुछ हो रहा है उसमे आपकी कोई गलती नहीं है चीजों को सही करने की कोशिश में हम सबने मिलकर उन्हें और उलझा दिया। काश आप कभी पिंकी से मिले ही नहीं होते , काश गोलू जी ने सब आपको पहले ही बता दिया होता तो आज हालात कुछ और होते। इन दिनों मैं जान बुझकर आपको परेशान करती हूँ ताकि गुस्से में ही सही आप मुझे थोड़ा डांट दे तो अच्छा लगता है,,,,,,,,,,,,,,क्योकि आपकी ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती मुझे। जब आपको उदास देखती हूँ तो मन करता है दुनिया की सारी खुशिया लाकर आपके कदमो में रख दू और आप पहले की तरह मुस्कुरा दो। पता है मुस्कुराते हुए कितने अच्छे लगते है आप। महादेव से बस एक ही दुआ है की वो ये सब ठीक कर दे और आप फिर से पहले जैसे हो जाये , वही गुड्डू जी जो दिनभर घर में मुस्कुराते रहते है , वही गुड्डू जी जो बहुत सारी बातें करते है , वही गुड्डू जी जो मुझे बहुत बहुत बहुत पसंद है लेकिन मैं उन्हें बताने से डरती हूँ”
गुड्डू के ख्यालो में खोयी शगुन ना जाने क्या क्या कह गयी ? उसने देखा इन सब से बेखबर गुड्डू गहरी नींद में सोया है तो वह थोड़ा सा झुकी और गुड्डू के ललाट को अपने होंठो से छूकर कहा,”आई विश वो दिन जल्दी आये जब मैं आपसे अपने दिल की सारी बात कह सकू”
शगुन उठी और दूध का ग्लास लेकर वहा से चली गयी। जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद हुआ गुड्डू ने अपनी आँखे खोली , शगुन जब वो सब बातें खुद से कर रही थी उस वक्त गुड्डू जाग रहा था। वह सोने का नाटक कर रहा था ताकि शगुन की बात सुन सके। गुड्डू उठकर बैठ गया उसने अपने सर को छूकर देखा एक प्यारा सा अहसास उसे छूकर गुजरा गुड्डू मुस्कुराने लगा। उसे अभी भी शगुन के वहा होने का अहसास हो रहा था उसने पलटकर अपने सिरहाने की तरफ देखा तो महसूस हुआ जैसे शगुन वहा बैठकर वही सब बातें दोहरा रही है जो उसने कुछ देर पहले कही थी। गुड्डू ने जैसे ही उस तरफ अपना हाथ बढ़ाया शगुन गायब हो गयी। गुड्डू अपना सर सहलाने लगा और कहा,”इसका मतलब शगुन भी वही महसूस करती है जो हम उसके लिए करते है , जिस तरह से वो हमसे,,,,,,,,,,,,,,,सोये हुए गुड्डू से बातें कर रही थी कितनी प्यारी लग रही होगी। आज दिनभर हमे परेशान किया ताकि हमे दूसरी बातो से दूर रख सके,,,,,,,,,,,,,,,पर वो जे सब काहे कर रही है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,का उसे भी हमसे,,,,,,,,,,,,,,,अभी अभी तो उसने कहा की वो हमे बहुत बहुत बहुत पसंद करती है”
कहते हुए गुड्डू ने अपने दोनों हाथो के बाजुओं को सहलाया और कहा,”जे सब सोच कर ही सिहरन सी हो रही है”
गुड्डू मुस्कुराने लगा , मुस्कुराते रहा शगुन का अहसास आज उसे गुदगुदा रहा था। उसकी बातें रह रह कर उसके कानो में गूंज रही थी और उसका हाथ बार बार अपने ललाट पर चला जाता। शगुन के बारे मे सोचते हुए बिस्तर पर जा गिरा।
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संजना किरोड़ीवाल