Manmarjiyan – S80
Manmarjiyan – S80
गुड्डू ने गुस्से से गोलू को घुसा मारा और गोलू नीचे जमीन पर जा गिरा। गोलू समझ गया की कही ना यही से गुड्डू को सच पता चल चुका है वह उठा और गुड्डू की तरफ आते हुए कहा,”गुड्डू भैया हम समझाते है आपको”
“का समझाओगे तुम ?”,कहते हुए गुड्डू ने गुस्से में गोलू को एक घुसा और जड़ दिया जिस से गोलू की नाक से खून बहने लगा गोलू को इसकी परवाह नहीं थी। उसने अपनी नाक पोछी और जैसे ही गुड्डू से कुछ कहने को हुआ गुड्डू ने गुस्से से कहा,”एक शब्द नहीं बोलना गोलू”
गुड्डू की आवाज सुनकर गुप्ता जी और उनकी पत्नी भी बाहर चली आयी , गुड्डू को गुस्से में देखकर उन्हें भी माजरा कुछ समझ नहीं आया , साथ ही आस पास के लोग भी वहा इक्क्ठा हो गए। गुड्डू गुस्से से गोलू को घूरे जा रहा था। उसकी आँखों से चल पता चल रहा था की सच जानकर उसे कितनी तकलीफ हो रही थी। गुड्डू ने गोलू को एक नजर देखा और गुस्से से दोनों हाथो से उसकी कॉलर पकड़कर आँखों में देखते हुए कहने लगा,”दोस्त कहा था तुम्हे और उस से भी ज्यादा भाई समझे थे तुमको , और साले तुम गद्दार तुमने हमायी पीठ में छुरा भोंका”
“गुड्डू भैया नहीं हम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू की आँखों में आंसू भर आये। गुड्डू के मुंह से अपने लिए गद्दार शब्द सुनकर गोलू को बहुत दुःख हुआ
“हमे लगता था तुम हमाये भाई जैसे हो , सोचते थे सारी दुनिया हमाये खिलाफ खड़ी हो तुम हमाये साथ रहोगे पर तुमने तो हमारा दिल ही तोड़ दिया गोलू,,,,,,,,,,पूरा कानपूर छोड़कर एक वही लड़की मिली तुमको,,,,,,,,,,,जिसने हमारा दिल तोड़ा तुमने उसी से दिल लगा लिया गोलू,,,,,,,,,,,,,जरा भी शर्म नहीं आयी , एक बार भी हमाये बारे में नहीं सोचा।”,गुड्डू ने तड़पते हुए कहा पिंकी ने जो गुड्डू के साथ किया गुड्डू उसे आज भी भूल नहीं पाया था ऐसे में गोलू का पिंकी से रिश्ता होना उसे और तकलीफ पहुंचा गया। गुड्डू के भरे जख्म फिर से हरे हो गए।
“भैया एक बार हमायी बात सुन लो हम बताते है सब ?”,गोलू ने गुड्डू से विनती की तो गुड्डू ने गुस्से से उसकी कॉलर छोड़ कर उसे पीछे धकियाते हुए कहा,”का बताओगे तुम गोलू गुप्ता , इतने दिन से तुम हमे बेवकूफ बनाते आ रहे हो आज भी बना लोगे , हमे सिर्फ जे बताओ की जिस लड़की से तुम शादी कर रहे हो उह पिंकी है या नहीं ?”
“भैया हमारी बात,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मिमियाते हुए कहा
“हां या ना ?”,गुड्डू ने चिल्ला कर कहा तो गोलू ने सर झुकाकर धीरे से कहा,”हाँ”
गुड्डू ने गुस्से से गोलू की तरफ हाथ उठाया तभी गोलू की अम्मा ने कहा,”गुड्डू रुक जाओ बेटा”
लेकिन गुड्डू का गुस्सा इतना था की उसने उठाये हुए हाथ को गोलू को ना मारकर पास की दिवार पर दे मारा। गुड्डू के हाथ से खून निकलने लगा ये देखकर गोलू जल्दी से उसके पास आया और कहा,”गुड्डू भैया ये आपने का किया ? ए अम्मा पट्टी लेकर आओ अंदर से देखो कितना खून निकल रहा है”
“हाथ मत लगना हमे गोलू , इस चोट से हमे सिर्फ यहाँ (हाथ की तरफ इशारा करके कहता है) दर्द हो रहा है पर तुमने जो चोट हमे पहुंचाई है उस से यहाँ (अपने सीने की तरफ ऊँगली करते हुए) दर्द हो रहा है , एक बार हमसे कहते हम ख़ुशी तुम्हायी शादी उस से करवा देते लेकिन जे बात छुपाकर तुमने हमे धोखा दिया है गोलू , हमारा भरोसा तोड़ा है जो हमे तुम पर था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“भैया हम बताना चाहते थे पर मौका ही नहीं मिला”,गोलू ने कहा
“मौका नहीं मिला,,,,,,,,,,,,,,,,और कितने बहाने बनाओगे गोलू , दिन के 12-16 घंटे हम तुम्हारे साथ रहते थे , एक बार नहीं कई दफा हमने तुमसे खुद तुमसे उस लड़की के बारे में पूछा जिस से तुम शादी करने वाले थे लेकिन तुमने सच नहीं बताया। दुःख इस बात का नहीं है गोलू की तुम उस लड़की से शादी कर रहे हो दुःख इस बात का है की हमारे दोस्त होते हुए भी हमे जे बात किसी और ने बताई,,,,,,,,,,,,,,बहुत अच्छी दोस्ती निभाई तुमने गोलू बहुत अच्छी।”,कहते हुए गुड्डू की आँखों में नमी तैरने लगी। इस वक्त उसे कितना दुःख हो रहा था ये उसका चेहरा देखकर ही समझ आ रहा था। लोग आपस में खुसर फुसर कर रहे थे। गुप्ता जी को भी मामला अब कुछ कुछ समझ आ रहा था लेकिन बात इतनी बिगड़ चुकी थी की उन्होंने गुड्डू और गोलू के बीच बोलना सही नहीं समझा। गोलू जैसे ही गुड्डू के सामने आया गुड्डू ने कहा,”बहुत सही वक्त पर हमे धोखा दिया है हमे तुमने गोलू”
“गुड्डू भैया,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने आँखों में आंसू भरकर कहा
“शादी मुबारक हो गोलू , खुश रहो”,कहकर गुड्डू ने गोलू को साइड किया और अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया। चलते चलते उसने अपनी बाजु से आँखों की नमी पोछी और बाइक लेकर वहा से चला गया। गुप्ता जी और गुप्ताइन गोलू के पास आये लेकिन गोलू कुछ कहने की स्तिथि में नहीं था उसे बस गुड्डू की नम आँखे याद आ रही थी और चेहरे पर उदासी जो उसकी वजह से आयी थी।
“तुम सब खड़े खड़े का देख रहे हो ? तमाशा हो रहा है ,, जाओ सब अपने अपने घर”,गुप्ता जी ने सबको फटकार लगाईं तो सब अपने अपने घरो की तरफ चले गए। गोलू को उसकी अम्मा अंदर ले आयी और गुप्ता जी भी अंदर चले आये। गोलू ने हाथ मुंह धोये उसके कानो में अभी भी गुड्डू की आवाज गूंज रही थी और ये सब सोचकर उसे बहुत दुःख हो रहा था। उसने गुड्डू का दिल तोडा उसे तकलीफ पहुंचाई , आज से पहले गुड्डू और उस के बीच कभी लड़ाई नहीं हुई दोनों बचपन के दोस्त थे। गुड्डू खुद भले गोलू की कितनी भी चिकाई करे लेकिन कोई और उसके बारे में कुछ बोलता था तो गुड्डू उस से भीड़ जाता था। गोलू को हमेशा उसने अपना छोटा भाई माना था लेकिन आज गोलू ने उसे इतना बड़ा दर्द दे दिया। आज शाम ही गोलू गुड्डू से मिलकर उसे अपने और पिंकी के बारे में बताने वाला था लेकिन उस से पहले ही गुड्डू को सच पता चल गया और ये सब हो गया। परेशान सा गोलू अपने कमरे में चला आया और बिस्तर पर बैठ गया। फोन बजा पिंकी का था लेकिन गोलू ने काट दिया और फोन साइड में रख दिया।
अपने दोस्तों से फारिग होकर मिश्रा जी घर आये। घर आते ही उन्होंने मिश्राइन से कहा,”गुड्डू उठ गया ?”
“हां कबका ही , अभी गोलू जे घर गया है कुछ सामान देने थोड़ी देर में आता ही होगा”,मिश्राइन ने पानी का ग्लास मिश्रा जी की तरफ बढ़ाकर कहा।
“ठीक है गुड्डू आ जाये उसके बाद बैठकर उस से बात करते है। “,मिश्रा जी ने कहा
“हम आपके लिए खाना लगा देते है”,मिश्राइन ने कहा
“अरे नहीं आज हम गुड्डू के साथ ही खाएंगे”,मिश्रा जी ने मुस्कुराते हुए कहा। उनकी ख़ुशी देखकर मिश्राइन समझ रही थी की मिश्रा जी गुड्डू से कितना खुश है उन्होंने हां में सर हिला दिया और रसोई की तरफ चली गयी। शगुन वहा पुरिया बना रही थी। मिश्राइन आयी और गैस बंद कर दिया। शगुन ने देखा तो कहा,”ये क्या माजी आपने गैस बंद क्यों कर दिया ?”
“अरे जे सब छोडो शगुन हमायी बात सुनो , आज का दिन ना बहुते शुभ है तुम्हायी जिंदगी में”,मिश्राइन ने शगुन को अपनी तरफ करते हुए खुश होकर कहा
“मैं कुछ समझी नहीं माजी”,शगुन ने कहा
“अरे गुड्डू के पिताजी आज गुड्डू से तुम्हायी और गुड्डू की शादी की बात करने वाले है”,मिश्राइन ने कहा लेकिन शगुन को कोई ख़ुशी नहीं हुई उलटा जो ख़ुशी पहले थी वो भी उदासी में बदल गयी। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”का बात है बिटिया जे सुनकर तुम खुश नहीं हो ?”
“नहीं माजी ऐसी बात नहीं है , गुड्डू जी और मैं पहले से शादीशुदा है फिर से हमारी शादी कैसे हो सकती है ? मुझे ख़ुशी होती अगर उन्हें सब याद् आ जाता या फिर इतने दिनों साथ रहने के बाद वो खुद आकर मुझसे कहते की वो मुझे पसंद करने लगे है ,, लेकिन उनसे इस तरह शादी की बात करके मैं कभी जान ही नहीं पाऊँगी की उनके मन में मेरे लिए कुछ है भी या नहीं। पापाजी की ख़ुशी के लिए गुड्डू जी शादी के लिए हां कह देंगे जैसे पहले की थी पर इस से वो मुझ पर सिर्फ एक अहसान करेंगे”,शगुन ने उदास होकर कहा
“ए शगुन जे कैसी बाते कर रही हो ? हमारा गुड्डू तुम्हे बहुते पंसद करता है हां थोड़ा शर्मिला है और पगलेट भी इसलिए तुम्हे बताता नहीं पर सच तो जे है की उह तुम्हे पसंद भी करता है और प्रेम भी। हमहू उसकी अम्मा है और माँ की आँखे कबो धोखा नहीं खाती है”,मिश्राइन ने कहा
“माजी आज तक मैं इस घर में सिर्फ इसलिए रुकी हूँ ताकि अपने पति का प्यार पा सकू , उनकी आँखो में अपने लिए सम्मान देख सकू , अपना पत्नी धर्म निभा सकू,,,,,,,,,,,,जब तक गुड्डू जी को ये अहसास नहीं हो जाता उनके और मेरे रिश्ते की बात करना सही नहीं होगा”,शगुन ने कहा
“बिटिया जे सब तो हम और गुड्डू के पिताजी सिर्फ इसलिए कर रहे है ताकि तुम और गुड्डू अपना शादीशुदा जीवन अच्छे से बिता सको”,मिश्राइन ने कहा
“नहीं माजी”,शगुन ने कहा
“ऐसे कब तक गुड्डू की यादास्त आने का इंतजार करोगी बिटिया ? तुम्हायी भी जिंदगी है , कुछो अरमान है”,मिश्राइन ने कहा
“जिंदगीभर इंतजार करना पड़े तो करुँगी माजी , मुझे अपने महादेव पर पूरा भरोसा है वो मेरी जरूर सुनेंगे”,शगुन ने कहा और वहा से चली गयी। मिश्राइन के चेहरे पर कुछ देर पहले जो ख़ुशी थी वो उदासी में बदल गयी।
गोलू के यहाँ से निकला गुड्डू सीधा मोती झील चला आया। जब भी वह उदास या परेशान होता यहाँ आकर बैठ जाता था। आज भी गुड्डू बहुत तकलीफ में था उसने अपनी बाइक को साइड में लगाया और अंदर चला आया। गुड्डू झील किनारे आकर बैठ गया उसकी आँखों में नमी और चेहरा गुस्से से लाल था। गुड्डू गोलू से बहुत नाराज था। गोलू ने जो किया उस से गुड्डू बहुत हर्ट था। झील किनारे बैठे गुड्डू को अपनी और गोलू की दोस्ती के सारे पल एक एक करके याद आने लगे। उनका बचपन जब वो साथ में मोहल्ले की गलियों में कंचे खेलते थे , लोगो के घरो की बेल बजाकर भागते थे , क्रिकेट खेलते थे , पैसे बचाकर हर शाम चाट खाने जाते थे , स्कूल में साथ एक साइकिल पर जाते थे , एक ही बेंच पर बैठते थे , गुड्डू का रोज किसी ना किसी से झगड़ा होता और गोलू उसे चढ़ाता और फिर दोनों साथ साथ पीटकर घर आते। जब जब मिश्रा जी गुड्डू को डांट लगाते गोलू आकर उसे बचा लेता ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जवानी के दिनो में दोनों का साथ कॉलेज जाना , हर शाम दोस्तों के साथ चाय की टपरी पर गप्पे लड़ाना , गुड्डू की बुलेट पर उसका और गोलू का साथ घूमना , गोलू का लड़की छेड़ना और बदले में गुड्डू का माफ़ी मांगना , उनका साथ में नए नए बिजनेस करना और उनमे गड़बड़ होना,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू की आँखों के सामने एक एक करके सब बातें किसी फिल्म की तरह चलना ये सब पल इतने खूबसूरत थे जिन्हे गुड्डू आज भी भूल नहीं पाया था। अचानक से उसे नवरत्न की बात और आज गोलू से हुआ झगड़ा याद आ गया और मन की कड़वाहट चेहरे पर दिखाई देने लगी
गुड्डू अपनी जगह सही था उसकी जगह कोई भी होता तो उसका पहला रिएक्शन शायद यही होता। जिस लड़की ने गुड्डू का दिल तोड़ा उसी लड़की से उसका दोस्त शादी करने वाला था। हमेशा हमेशा के लिए अपने घर लाने वाला था। गुड्डू वही बैठा पानी को घूरता रहा इस वक्त कोई नहीं था जिसे वह अपने मन का हाल बता सके। कुछ देर बाद वह वही झील किनारे लेट गया
दोपहर होने को आयी लेकिन गुड्डू नहीं आया तो मिश्रा जी ने वेदी से कहा,”बिटिया ज़रा गुड्डू को फोन लगाओ”
वेदी ने गुड्डू को फोन लगाया लेकिन बंद था
“पिताजी गुड्डू भैया का फोन बंद आ रहा है”,वेदी ने कहा
“तुम्हायी अम्मा बताय रही थी गोलू के हिया गया है गोलू को फोन लगाकर पूछो वही होंगे , लगे होंगे दोनों गप्पबाजी में”,मिश्रा जी ने कहा
वेदी ने गोलू को फोन लगाया और उस से गुड्डू के बारे में पूछा तो गोलू ने कहा की गुड्डू सुबह ही घर से निकल गया था। वेदी ने फोन काट दिया और मिश्रा जी से कहा,”पिताजी गुड्डू भैया वहा नहीं है ?”
“गोलू के घर नहीं है तो कहा है ? ज़रा उसके फोन पर दोबारा फोन लगाओ”,मिश्रा जी ने कहा
वेदी ने गुड्डू को फोन लगाया लेकिन बंद ही था जब उसने मिश्रा जी को बताया तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने वेदी को वहा से जाने को कहा और अपने फोन से गोलू को फोन लगाया। जब उन्होंने गुड्डू के बारे में पूछा तो गोलू ने मिश्रा जी को सारी बातें बता दी। मिश्रा जी ने सूना तो समझ गए की गुड्डू इस वक्त गुस्सा है इसलिए बाहर है उन्होंने फोन काट दिया और सोच में पड़ गए। उन्होंने ही गोलू और पिंकी का रिश्ता करवाया था और अब इसी वजह से गुड्डू नाराज भी था , कैसे भी करके गुड्डू को मनाना था ताकि वह गोलू और पिंकी की शादी में किसी तरह का बखेड़ा ना करे।
“गुड्डू शायद बाहर अपने दोस्तों के पास रुक गया होगा , आप चलकर खाना खा लीजिये”,मिश्राइन ने कहा
“हम्म्म्म हां चलिए”,मिश्रा जी ने कहा
मिश्राइन ने उनके लिए खाना लगा दिया। खाना खाते हुए उन्होंने मिश्रा जी को शगुन के मन की बात बताई तो मिश्रा जी की चिंता और बढ़ गयी। गुड्डू से जो बात मिश्रा जी करने वाले थे उन्होंने उस बात को अभी साइड रखना ही सही समझा। मिश्रा जी ने मिश्राइन के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”जे बख्त अभी शगुन और गुड्डू के सब्र और रिश्ते की परीक्षा का है मिश्राइन ,, हमे लगता है हमे थोड़ा रुक जाना चाहिए”
“हम्म्म आप सही कह रहे है”,मिश्राइन ने कहा
उधर सुबह का निकला गुड्डू शाम को घर वापस आया। शगुन सुबह से परेशान थी उसने कुछ खाया भी नहीं था वह गुड्डू के पास आयी और कहा,”कहा थे आप ? पता है सब कितना परेशान हो रहे थे”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा वह आगे बढ़ गया ये देखकर शगुन ने उसकी बांह पकड़ी और कहा,”क्या हुआ ? मुझसे कोई गलती हुई क्या ?”
गुड्डू ने धीरे से अपने हाथ से शगुन का हाथ अलग किया और वहा से चला गया। शगुन को कुछ समझ ही नहीं आया की आखिर गुड्डू को क्या हुआ है ? वह जैसे ही वहा से जाने के लिए मुड़ी पीछे खड़े मिश्रा जी मिल गए शगुन उनके पास आयी और कहा,”पापाजी गुड्डू जी को क्या हुआ ?”
“उसे गोलू और पिंकी की शादी के बारे में पता चल गया है , इसलिए थोड़ा परेशान है हमारी मानो कुछ देर के लिए उसे अकेला छोड़ दो”,मिश्रा जी ने कहा
शगुन ने सूना तो उसे भी गुड्डू के लिए बुरा लगने लगा बीती रात गुड्डू कितना खुश था और आज उसके चेहरे पर उदासी के सिवा कुछ भी नहीं था। शगुन चुपचाप वहा से चली गयी।
रात के खाने पर गुड्डू नहीं आया शगुन ने उसके लिए थाली लगाईं और लेकर ऊपर चली आयी। गुड्डू अपने कमरे में सो रहा था उसे सोया देखकर शगुन ने उसे उठाना सही नहीं समझा और वही पास ही पड़ी कुर्सी पर बैठकर उसके उठने का इंतजार करने लगी। सुबह के नाश्ते के बाद से शगुन ने कुछ नहीं खाया था क्योकि खाना वह हमेशा गुड्डू के बाद ही खाती थी। गुड्डू तो नहीं उठा पर उसका इंतजार करते करते शगुन को नींद आ गयी और वह कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो गयी। टेबल पर रखा खाना ठंडा हो चुका था। कई घंटो तक जब शगुन नीचे नहीं आयी तो मिश्राइन ऊपर चली आयी शगुन और गुड्डू को सोया देखा और फिर जैसे ही नजर खाने की थाली पर गयी तो मिश्राइन ने शगुन को उठाया और अपने साथ नीचे ले गयी।
“वो सो गया है जब उठेगा तब खा लेगा वरना सुबह खा लेगा , तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है तुम थोड़ा खा लो”,मिश्राइन ने कहा लेकिन शगुन की भूख तो कबकी मर चुकी थी। उसने खाने से मना कर दिया और सोने चली गयी। सुबह गुड्डू जल्दी उठा और नहा-धोकर शोरूम जाने के लिए नीचे आया। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”गुड्डू नाश्ता तो करता जा”
“वही खा लेंगे अम्मा अभी भूख नहीं है”,गुड्डू ने कहा जबकि वह नहीं चाहता था मिश्रा जी और शगुन उस से कल के बारे में कुछ सवाल करे। गुड्डू जैसे ही घर से निकलने को हुआ सामने से आता गोलू मिल गया। गोलू आकर गुड्डू के सामने रुका और अपनी शादी का कार्ड गुड्डू की तरफ बढाकर कहा,”गुड्डू भैया जे हम,,,,,,,,,,,,,!”‘
गुड्डू ने गोलू के हाथ से शादी का कार्ड लिया तो गोलु को लगा गुड्डू ने उसे माफ़ कर दिया और वह मुस्कुराने लगा लेकिन गुड्डू के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसने कार्ड लिया उसे फाड़ते हुए उसके बहुत सारे टुकड़े किये और गोलू के हाथ में रखकर वहा से चला गया !
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संजना किरोड़ीवाल