Manmarjiyan – S79
Manmarjiyan – S79
शादी के बाद पहली दिवाली पर गुड्डू और शगुन साथ थे। मिश्रा जी और मिश्राइन ये देखकर काफी खुश थे जब उन्होंने कुछ दूर पटाखे जलाते शगुन और गुड्डू को देखा तो मिश्रा जी ने कहा,”मिश्राइन हम सोच रहे है की गुड्डू से बात करे”
“किस बारे में ? गुड्डू से फिर कोई गलती हुयी का ? देखिये जी इन दिनों तो हमारा गुड्डू कितना अच्छा बन गया है अब तो उसकी शिकायते आनी भी बंद हो गयी। उस से कोई गलती हुई है तो हमे बताईये ना हम बात करते है , पर अब उसे और मत डाटियेगा और आज तो दिवाली है आज के दिन तो बिल्कुल नहीं”,मिश्राइन सब एक साँस में कह गयी
“अरे अरे मिश्राइन इतना काहे सोच रही हो ? हम जे कह रहे की गुड्डू और शगुन के बीच एक अच्छा रिश्ता दिखने लगा है। गुड्डू शगुन की परवाह भी करने लगा है और शायद उसे पसंद भी करता है तो हम सोच रहे थे गुड्डू से शगुन और उसके रिश्ते की बात कर ले”,मिश्रा जी ने कहा
“पर उह दोनों तो पहले से शादीशुदा है”,मिश्राइन ने कहा
“गुड्डू के साथ रहय के आप भी उसके जैसे हो गयी है , शगुन गुड्डू की पत्नी है जे बात हम सब जानते है लेकिन गुड्डू तो नहीं जानता ना , उसे पुरानी बाते याद दिलाने से अच्छा है की पुराने रिश्ते को ही नया बना दिया जाये,,,,,,,,,,,,,,कुछो समझ आया”,मिश्रा जी ने कहा
“जे तो बहुते सही बात है , तो कब कर रहे है गुड्डू से बात ?”,मिश्राइन ने पूछा
“आज दिवाली है कल सुबह करते है वैसे भी कल शोरूम नहीं जाना सब घर पर ही है , हमे यकीन है गुड्डू हमारी बात कभी नहीं टालेगा”,मिश्रा जी ने कहा
“हम तो बहुत खुश है , एक बार सब ठीक हो जाये उसके बाद पुरे मोहल्ले में मिठाई बटवाएंगे”,मिश्राइन ने कहा
“उस से पहले गोलू की शादी की मिठाई खाने हमारे घर आना होगा”,गुप्ताइन ने गुप्ता जी के साथ उन दोनों के पास आकर कहा
“अरे बिल्कुल गुप्ता जी गुड्डू की तरह गोलू भी हमारा अपना ही बच्चा है उसकी शादी में बिल्कुल आएंगे आप चिंता न करे”,मिश्रा जी ने कहा
“ठीक है भाईसाहब अब रात बहुत हो चुकी है हमे चलना चाहिए , कल भाभीजी को लेकर घर जरूर आईयेगा”,कहते हुए गुप्ता जी ने कुछ दूर खड़े गोलू को आवाज देकर कहा,”गोलू महाराज घर नहीं चलना , कुछ पटाखे अपनी शादी के लिए छोड़ दयो वरना उसमे का बजाओगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे ?”
“आ रहे है पिताजी”,कहते हुए गोलू गुड्डू के पास आया और उसके कान में धीरे से फुसफसाते हुए कहा,”भैया देर हो उस से पहिले अपने मन की बात कह दीजिये का पता फिर देर हो जाये”
“अरे गोलू ऐसा कुछ भी नहीं है”,गुड्डू ने झिझकते हुए कहा
“अरे भैया हमे सब पता है हम तो सोच रहे है दोनों भाई एक ही मंडप में शादी करे”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने सूना तो शगुन की तरफ देखने लगा , हाथ में फुलझडी पकडे मुस्कुराते हुए शगुन वेदी के साथ हंस मुस्कुरा रही थी। गुड्डू को शगुन की तरफ देखता पाकर गोलू ने कहा,”तो फिर मैं मिश्रा जी से जाकर कह दू की आपके लिए शेरवानी सिलवा ले”
“अबे गोलू रुको,,,,,,,,,,,अभी नहीं”,गुड्डू ने गोलू को रोकते हुए कहा
“अच्छा है नहीं बोल रहे कुछ भी लेकिन आप बोल दो , शगुन बहुते अच्छी लड़की है आपको और इस घर को सम्हाल लेगी”,गोलु ने मुस्कुरा कर कहा और वहा से जाने लगा चलते चलते रुका और गुड्डू के पास आकर कहा,”अच्छा गुड्डू भैया कल शाम में हमसे मोती झील मिलो ना कुछो जरुरी बात करनी है आपसे”
“अभी बता तो का बात है ?”,गुड्डू ने कहा
“अभी नहीं कल शाम में मिलते है”, कहकर गोलू वहा से चला गया। वह मन बना चुका था गुड्डू को सब सच बताने का इसलिए उसने गुड्डू को मोतीझील आने को कहा। गोलू चाहता तो मिश्रा जी या अपने घर पर भी गुड्डू से बात कर सकता था लेकिन वह नहीं चाहता था की गुड्डू के गुस्से का शिकार दूसरे लोग भी हो। गोलू को अपनी और गुड्डू की दोस्ती पर पूरा यकीन भी था की गुड्डू उसकी बात को जरूर समझेगा
गोलू के जाने के बाद मिश्रा जी और मिश्राइन भी निचे चले आये। गुड्डू शगुन के साथ कुछ वक्त अकेले बिताना चाहता था इसलिए उसने वेदी से कहा,”वेदी हमाये लिए पानी लेकर आओगी ?”
“वेदी झूले की तरफ गयी जहा पानी का जग और ग्लास रखा था उसने ग्लास में पानी डाला और लाकर गुड्डू को दे दिया। गुड्डू ने बेमन से पानी लिया और कहा,”अच्छा वो हम कह रहे थे की पूजा हो गयी पर अम्मा ने किसी को मिठाई तक नहीं खिलाई , तुम ले आओ कुछ मीठा”
“वो रही मिठाई की प्लेट , का गुड्डू भैया अभी थोड़ी देर पहले ही तो हम सबने बैठकर नमकीन मिठाई खाई है”,वेदी ने कहा तो गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”ये भी गलत हो गया , अब कैसे भेजे इसको यहाँ से ?”
“अच्छा हमे लगता है अम्मा तुम्हे बुलाय रही है”,गुड्डू ने कहा , इतने में शगुन भी वहा चली आयी उसे देखकर वेदी ने कहा,”सीधे सीधे कहो न आप मुझे यहाँ से भेजना चाहते हो ताकि आपको,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हमको क्या ?”ने ,गुड्डू ने कहा
“ताकि आप शगुन से बात कर सको”,वेदी ने एकदम से कहा , वेदी गुड्डू के बहाने समझ गयी है देखकर गुड्डू ने कहा,”तुम्हे तो हम,,,,,,,,,,,,,,!! कहते हुए गुड्डू वेदी की तरफ लपका लेकिन तब तक वेदी वहा से नीचे भाग गयी
वेदी के जाने के बाद गुड्डू शगुन की तरफ पलटा और कहा,”वेदी की बात पर ध्यान नहीं देना वो बस ऐसे ही”
“मतलब आपको मुझसे बात नहीं करनी , ठीक है फिर मैं भी नीचे जाती हूँ”,शगुन ने कहा और जाने लगी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”थोड़ी देर रुक जाओ”
“क्यों ?”,शगुन ने पलटकर शरारत से मुस्कुराते हुए कहा तो गुड्डू की धड़कने बढ़ गयी बेचारा एक शगुन के सामने ऐसे ही कुछ नहीं बोल पाता था उस पर शगुन उसे इतने प्यार से देखना उसकी मुस्किले और बढ़ा देता था।
“क्यों ?”,शगुन ने अपना सवाल एक बार फिर दोहराया तो गुड्डू की तन्द्रा टूटी और उसने कहा,”वो थोड़ी देर में आसमान का माहौल बदलने वाला , जे बहुत सारे रॉकेट्स होंगे , इसलिए बोल रहे है रुक जाओ तुम देखोगी तो अच्छा लगेगा”
“ठीक है रुक जाते है”,शगुन ने कहा और दिवार की तरफ चली आयी। गुड्डू भी उसके साथ चला आया और दिवार से पीठ लगाए शगुन की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। सर्दी थी और थोड़ी हवाएं भी चल रही थी। कुछ देर बाद आसमान में आतिशबाजी शुरू हो गयी। शगुन बड़े प्यार से उन्हें देख रही थी और गुड्डू शगुन के चेहरे को। हवा से शगुन के बाल उड़कर उसके गालो पर आ रहे थे। गुड्डू ने देखा इस से बेखबर आतिशबाजी देखने में मशगूल है गुड्डू ने अपना हाथ शगुन के गाल की तरफ बढ़ाया और उसके बालो की लट को उसके कान के पीछे कर दिया। शगुन गुड्डू की तरफ देखने लगी तो गुड्डू ने हाथ हटाते हुए कहा,”वो तुम आतिशबाजी देखने में इतना खोयी हो की तुम्हे ध्यान नहीं रहा”
“हां आसमान कितना खूबसूरत लग रहा है ना , इतना अच्छा तो मैंने कभी बनारस में नहीं देखा”,शगुन ने खुश होकर कहा
“चलो फिर तुम्हारी तस्वीरें लेते है , हमाये पास बढ़िया कम्पनी का फोन है”,गुड्डू ने अपने जेब से फोन निकालते हुए कहा
“ठीक है”,कहकर शगुन ने कुछ पोज दिए। गुड्डू ने शगुन की कुछ तस्वीरें ली सभी बहुत अच्छी आयी थी। गुड्डू का मन था वह शगुन के साथ भी एक तस्वीर ले लेकिन हिचकिचा रहा था कुछ देर बाद कहा,”अगर तुम बुरा ना मानो तो हम तुम्हाये साथ भी एक तस्वीर ले , मतलब हमायी कोई तस्वीर नहीं है तुम्हाये साथ”
“अपना फोन दीजिये”,शगुन ने गुड्डू के सामने हाथ करके कहा
गुड्डू ने अपना फोन शगुन की तरफ बढ़ा दिया शगुन ने कैमरा ऑन किया और गुड्डू के बगल में खड़े होकर कहा,”लीजिये”
गुड्डू खुश हो गया उसने शगुन के साथ अपनी एक प्यारी सी तस्वीर ली जिसमे दोनों बहुत पास खड़े थे और ख़ुशी उन दोनों के चेहरों से साफ़ झलक रही थी। पीछे बैकग्राउंड में बहुत ही सुन्दर आसमान में आतिशबाजी का नजारा था जो उनकी फोटो के साथ कैद हो गया। गुड्डू ने फोन वापस अपनी जेब में रख लिया और शगुन के साथ आकर झूले पर बैठते हुए कहा,”अच्छा हम तुमसे कुछ पूछे ?”
“पूछिए ना”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“तुम्हे यह रहना कैसा लगता है ? मतलब यहाँ हम सबके साथ रहना”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखकर पूछा
“अच्छा लगता है , सब इतने अच्छे है आपके मम्मी पापा वेदी अम्मा और,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू बीच में ही बोल पड़ा,”और ?”
“और आप और गोलू जी सब बहुत अच्छे है”,शगुन ने कहा
“मतलब अगर हमेशा के लिए तुम्हे यहाँ रहना पड़े तो रह जाओगी ?”,गुड्डू ने पूछा
“हम्म्म , वैसे घर कैसा भी हो छोड़ा बड़ा अगर उस घर में रहने वाले लोग अच्छे है तो इंसान रह सकता है। वैसे आज आप अचानक से ऐसे सवाल क्यों कर रहे है मुझे यहाँ से भगाने की सोच रहे है ?”,शगुन ने कहा
“अरे नहीं नहीं हम तो कभी नहीं चाहेंगे तुम यहाँ से जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब जब तक तुम चाहो रह सकती हो”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,वैसे मैंने सूना गोलू जी की शादी हो रही है,,,,,,,,,,,,,आपका कोई इरादा है शादी का या ऐसे ही रहना है मेरी तरह”,शगुन ने पूछा
“तुम हां कहो हम कल ही कर लेंगे”,गुड्डू ने मन ही मन कहा उसे सोच में डूबा देखकर शगुन ने कहा,”अरे इतना क्या सोचने लगे ? कोई पसंद है क्या ?”
“नहीं मतलब अभी नहीं है होगी तो हम बताएंगे ना तुमको , और तुम काहे नहीं करोगी इति सुन्दर तो हो और अच्छी भी हो तुम्हे तो कोई भी लड़का मिल जाएगा”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखते हुए कहा
“कोई भी ?”,शगुन ने शरारत से गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा
“हाँ कोई भी”,गुड्डू भी शगुन की आँखों में देखने लगा जिनमे उसे एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी। गुड्डू का जवाब सुनकर शगुन ने एक बार फिर कहा,”कोई भी ?”
“हां कोई भी क्योकि पिताजी कहते है शादी के वक्त ना इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है”,कहते हुए गुड्डू जोर जोर से हसने लगा। शगुन ने सूना तो मुंह बना लिया और उठकर वहा से चली गयी। गुड्डू ने देखा तो उठकर शगुन के पीछे आते हुए कहा,”शगुन अरे सुनो,,,,,,,,,,अरे मजाक कर रहे है हम,,,,,,,अरे सुनो तो”
शगुन ने नहीं सूना तो गुड्डू ने आगे बढ़कर उसकी बांह पकड़ी और उसे अपनी तरफ करके कहा,”अरे यार मजाक कर रहे थे , हम ना बेवकूफ है हमे लड़कियों से बात करना ही नहीं आता , सॉरी,,,,,,,,,,,,,,कहो तो कान पकडे”
“जिस दिन मैं हमेशा के लिए यहाँ से चली जाउंगी उस दिन आपको अहसास होगा”,शगुन ने नाराज होकर कहा
“अरे यार माफ़ कर दो , अब एक तुम्ही तो हो इस घर में जिसके सामने हम बिना सोचे समझे बोल सकते है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने कहा
“ठीक है माफ़ किया अब नीचे चले जाए वरना बीमार पड़ जायेंगे आप”,शगुन ने गुड्डू के कुर्ते की बाजू को नीचे करते हुए कहा
गुड्डू मुस्कुराया और कहा,”पता है तुम्हायी सबसे अच्छी बात का है ? तुम ना गुस्सा हो लेकिन उसके बाद भी तुम्हे जे परवाह है की हम बीमार ना हो जाये ,, तुम का कभी खुद के बारे में नहीं सोचती का ?”
“अपने लिए तो हर कोई सोचता है गुड्डू जी , लेकिन जो दुसरो के लिए सोचे वही इंसानियत है और आपके लिए मेरी जो परवाह है वो हमेशा रहेगी ,,, !!”,शगुन ने गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा तो गुड्डू शगुन की मासूमियत में खोकर रह गया और मन ही मन कहा,”तुम पूछ रही थी ना तुम्हे कौन मिलेगा ? कोई और का शगुन , आज अगर तुम हमसे पूछो तो हम भी तुम्हे ना नहीं कह पाए”
“अब चले या पूरी रात यही रुकना है”,शगुन ने गुड्डू का हाथ पकड़कर उसे नीचे ले जाते हुए कहा।
शगुन नीचे चली आयी और गुड्डू अपने कमरे में चला आया। आज शगुन से बात करके गुड्डू को बहुत अच्छा लग रहा था। उसने कपडे बदले और अपने बिस्तर पर आकर लेट गया। हाथो को सर के पीछे लगाये हुए गुड्डू शगुन के बारे में ही सोच रहा था की उसे अपना फोन याद आया। साइड टेबल पर रखा गुड्डू ने अपना फोन उठाया और अपनी और शगुन की साथ में ली गयी तस्वीर को देखने लगा। गुड्डू बड़े प्यार से एकटक उस तस्वीर को देखने लगा और मन ही मन सोचने लगा,”हम दोनों साथ में कितने अच्छे लगते है ना शगुन , आज गोलू भी कह रहा था की हम तुमसे अपने दिल की बात कह दे पर का करे डरते है ना कही फिर से हमारा दिल ना टूट जाए जैसे पिंकी ने तोड़ा था। हां जे सच है की तुम हमे बहुत अच्छी लगती हो खासकर तब जब हम पर गुस्सा करती हो और फिर पल में मान भी जाती हो। तुम्हाये जितनी अच्छी और सीधी लड़की तो हम आज तक नहीं देखे। कितना परेशान करते है ना हम तुम्हे और तुम उतनी ही फ़िक्र करती हो हमारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हाये लिए झुमके लाये थे बरेली से देना ही भूल गए लेकिन कल देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कल देंगे का कल तुमसे अपने दिल की बात कहेंगे और झुमके भी देंगे,,,,,,,,,,,,,,वैसे मन तो है हमारा की हम अपने हाथो से पहनाये तुम्हे पर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम भी ना बहुत ज्यादा सोचते है , तुम तो हमे कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करती हो। तो तय रहा कल ना हम पिताजी से कहने वाले है की हम तुम्हे पसंद करते है।”
गुड्डू ने फोन को अपने सीने पर रख लिया और मुस्कुराने लगा।
गुड्डू , गोलू और मिश्रा जी तीनो को कल का इंतजार था। कल गोलू गुड्डू को अपने और पिकी के रिश्ते का सच बताने वाला था। मिश्रा जी गुड्डू से उसके और शगुन के रिश्ते की बात करने वाले थे और गुड्डू भी मिश्रा जी से अपनी भावनाये जाहिर करने वाला था पर गुड्डू और गोलू की जिंदगी में सब सीधे तरीके से हो ऐसा भला कैसे हो सकता है ? अगली सुबह गुड्डू उठा। आज शोरूम तो जाना नहीं था और दिवाली का दुसरा दिन था इसलिए गुड्डू ने कुरता पजामा ही पहन लिया और नीचे चला आया। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”अरे वाह आज तो बहुते सुन्दर लग रहे हो इन कपड़ो में , नजर ना लगे किसी की”
गुड्डू ने घर में इधर उधर नजर दौड़ाई ना शगुन दिखाई दे रही थी ना मिश्रा जी। गुड्डू मिश्राइन के पास आया पुजा की थाली से प्रशाद उठाया और खाते हुए कहा,”जे पिताजी कहा गए ?”
“अपने दोस्त के घर गए है , थोड़ी देर में लौट आएंगे”,मिश्राइन ने कहा
“और जे शगुन कहां है ?”,गुड्डू ने आज सीधे सीधे शगुन के बारे में पूछ लिया
“का बात है गुड्डू आजकल शगुन के बारे में बड़ा पूछ रहे हो ? बताओ अपनी अम्मा से छुपाओगे ?”,मिश्राइन ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“पहले पिताजी को आने दो उसके बाद आपको और उनको साथ में ही बताएँगे का बात है ?”,गुड्डू ने शीशे में देख बालो में हाथ घुमाते हुए कहा
“अच्छा तुम्हाये पिताजी जब तक नहीं आते तब तक हमारा एक ठो काम कर दो”,मिश्राइन ने कहा
“हाँ बताईये का करना है ?”,गुड्डू ने कुर्ते की बाजू फोल्ड करते हुए कहा
“जे चांदी के कुछो बर्तन है जे गोलू की अम्मा को देकर आने है , दो दिन बाद गोलू की हल्दी है उसमे चाहिए और जे मिठाई का डिब्बा कल रात उन्हें देना भूल गए थे ,, हमारा जाना तो हो नहीं पायेगा तुम्ही दे आओ”,मिश्राइन ने थेला गुड्डू को देते हुए कहा
“इसमें का बड़ी बात है अभी दे आते है”,गुड्डू ने टेबल पर रखी बाइक की चाबी उठाई और थैला लेकर चल पड़े। नुक्कड़ पर पहुँचते ही सामने से आते नवरतन ने गुड्डू को आवाज दी,”अरे गुड्डू रुको ज़रा”
गुड्डू ने बाइक रोक दी तो नवरतन उसके पास आकर कहा,”गुड्डू गोलू के घर जा रहे हो ?”
“हाँ”,गुड्डू ने कहा
“तो एक काम करो जे गोलू की शादी के कपडे है , उसे दे दोगे ? का है की हम थोड़ा जल्दी में है”,नवरत्न ने कपडे गुड्डू की तरफ बढ़ा कर कहा
“सही है गोलू के नाम से सब लपेट लो हमे , लाओ दो दे देंगे”,गुड्डू ने कपड़ो का बैग लेकर बाइक के हेंडल पर टांगते हुए कहा
गुड्डू को नार्मल देखकर नवरत्न को ये बात हजम नहीं हुई तो उसने कहा,”अच्छा बुरा ना मानो तो एक बात पूछे”
“पूछो”,गुड्डू ने कहा
“गोलू शर्मा जी की लड़की से ब्याह कर रहा है तुमको कोई दिक्कत नहीं ?”,नवरत्न ने डरते डरते पूछा
“हमको काहे दिक्कत होगी ? जब गोलू को दिक्कत नहीं , शर्मा जी की बिटिया को दिक्कत नहीं खुद मोहन शर्मा को दिक्कत नहीं तो हमे काहे होगी ?”,गुड्डू ने कहा
“मोहन शर्मा ? गुड्डू हम पिंकिया की बात कर रहे है , अरे तुम्हायी गर्लफ्रेंड जिसके लिए सूट बनवाये थे हमसे , गोलू की शादी उस से हो रही है तुम्हे नहीं बताया उसने”,नवरत्न ने हैरानी से कहा
गुड्डू ने जैसे ही पिंकी का नाम सूना उसके चेहरे से ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी , दिल में एक टीस उठी और आँखों में गुस्सा भर आया। गुड्डू ने नवरत्न को कोई जवाब नहीं दिया और सीधा वहा से निकल गया गोलू के घर। बदकिस्मती से गोलू घर के बाहर ही मिल गया , गुड्डू को देखते ही उसने कहा,”अरे गुड्डू भैया सुबह सुबह आप जे तो कमाल ही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू इतना ही कह पाया की गुड्डू ने बाइक से उतरकर एक घुसा सीधा गोलू के मुंह पर दे मारा , गोलू लड़खड़ा कर जमींन पर जा गिरा।
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क्रमश – Manmarjiyan – S80
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संजना किरोड़ीवाल