Manmarjiyan – S70
Manmarjiyan – S70
गुड्डू और गोलू कानपूर के लिए वापस निकल गए रास्ते भर गुड्डू शगुन के बारे में सोचे जा रहा था। गोलू अंगूठी के बारे में झूठ बोलकर एक बार फिर फंस चुका था लेकिन गुड्डू ने उसकी बातो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। गोलू अपनी मस्ती में गाड़ी चलाता रहा। बरेली से कानपूर का रास्ता 6-7 घंटे का था। गुड्डू ने सर सीट से लगाया और आँखे मूँद ली। दोपहर में सभी खाना खानें के लिए रुके और खाना खाकर वापस चल पड़े।
शाम होने से पहले गुड्डू और गोलू कानपूर पहुंचे। गुड्डू को घर छोड़कर गोलू वहा से निकल गया। शगुन ने गुड्डू को देखा तो दौड़कर किचन में गयी और उसके लिए एक गिलास पानी ले आयी। शगुन ने गिलास गुड्डू की तरफ बढ़ाया तो गुड्डू शगुन के चेहरे की तरफ देखने लगा। गुड्डू को अपनी तरफ देखता पाकर शगुन थोड़ा सा शरमा गयी और दूसरी तरफ देखने लगी। गुड्डू को शगुन इस वक्त कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी उसने हाथ बढाकर पानी लिया तो सहसा ही उसकी उंगलिया शगुन की उंगलियों से टकरा गई।
गुड्डू ने पानी पीया और पूछा,”अम्मा कहा है ?”
“वो बाहर गयी है अभी आ जाएँगी , आप बैठिये मैं चाय बना देती हूँ”,शगुन ने जाते हुए कहा
गुड्डू ने हाथ मुंह धोया और आकर आँगन में पड़े सोफे पर बैठ गया। शगुन ने गुड्डू के लिए चाय और मैग्गी बना दी और लेकर बाहर चली आयी। उसने ट्रे गुड्डू के सामने रखते हुए कहा,”बाहर से आये है भूख लगी होगी सोचकर मैंने मैगी भी बना दी”
“बहुत बहुत शुक्रिया आपका”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखकर कहा
“किसलिए ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“हमाये लिए टिफिन जो भेजा था आपने , जब पास होते है तब काटने को दौड़ती हो जब दूर होंगे तो परवाह करोगी , तुम्हारा जे कैरेक्टर कुछो समझ नहीं आता हमे”,गुड्डू ने शगुन की आँखों में देखते हुए कहा।
“पर नाराज तो आप थे”,शगुन ने भी गुड्डू की आँखों में झांकते हुए कहा
“अब हमाये सामने कोई आकर तुम्हारा हाथ पकड़ेगा तो गुस्सा आएगा ना , और वो तो गोलू था कोई और होता ना तो हाथ तोड़ देते हम उसका”,गुड्डू धीरे से बड़बड़ाया
“क्या क्या क्या क्या कहा आपने ? आप मेरे और गोलू जी के बारे में बात कर रहे है ,,, अरे मैं भाई जैसा समझती हूँ उनको और आप,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब आप इसलिए उस सुबह मुझसे नाराज थे और मैं सोच रही थी पता नहीं अब कौनसी गलती हो गयी”,शगुन ने हैरानी से कहा
“मतलब सच में तुम गोलू को अपने भाई जैसा ?”,गुड्डू ने बात अधूरी छोड़ दी
“हाँ मेरे और उनके बीच कुछ नहीं है वो तो बस ऐसे ही कभी कभार मुझे अपनी बातें बताते रहते है”,शगुन ने कहा
“अगर गोलू भाई जैसा है तो फिर हम ?”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखते हुए धीरे से कहा
“वक्त आने पर आपको भी पता चल जाएगा , चाय पीजिये ठंडी हो जाएगी”,कहते हुए शगुन उठी और वहा से चली गयी। गुड्डू मुस्कुराया और चाय पीने लगा। गोलू और शगुन को लेकर उसके मन में जो शंका थी वह दूर हो चुकी थी।
कुछ देर बाद मिश्राइन आयी जब उन्होंने गुड्डू को देखा तो ख़ुशी से भर गयी और उसके पास आकर कहा,”अरे गुड्डू आ गया तू बेटा , हम ना बगल वाली पड़ोसन के घर चले गए थे। तुमहू बताये काहे नहीं की तुमहू आय रहे हो बताये होते तो हमहू तुम्हायी पंसद का बनाकर रखते ना कुछ”
“अरे अम्मा साँस तो ले ल्यो हमहू कोनसा ससुराल गए थे अपने काम से गए थे”,गुड्डू ने हँसते हुए कहा
“अच्छा जे बताओ कैसा रहा तुम्हारा काम ?”,मिश्राइन ने बैठते हुए कहा
“काम बहुते बढ़िया चल रहा है अम्मा , सब एकदम मक्खन और पता है इस बार तो हमने अकेले ही सब काम सम्हाल लिया था”,गुड्डू ने कहा
“बस बिटवा तुमहू ऐसे ही मेहनत करते रहो और खूब नाम रौशन करो अपने पिताजी का”,मिश्राइन ने गुड्डू की बलाये लेते हुए कहा
“पिताजी शोरूम गए है का ?’,गुड्डू ने पूछा
“हाँ दिवाली आने वाली है तो काम ज्यादा बढ़ गया इसलिए सुबह जल्दी जाते है शाम में भी देर से ही आना होता है”,मिश्राइन ने सूना तो गुड्डू को अहसास हुआ की उसके और घर के लिए मिश्रा जी अकेले दिन रात कितनी मेहनत करते है उसने उठते हुए कहा,”अम्मा हम ना बूढ़ा से मिलके आते है”
गुड्डू उठकर दादी के कमरे में चला आया जहा बैठकर दादी हाथ में कोई माला लिए उसके मनके चुन रही थी। गुड्डू अंदर आया और उसके बगल में पड़ी खटिया पर लेटते हुए कहा,”का बूढ़ा अभी तक जी रही हो ?”
“अरे मरे हमाये दुश्मन अभी तो हमे तुम्हाये बच्चो का मुंह देखना है”,अम्मा ने कहा
“अरे बच्चे तो तब होंगे जब हमायी शादी होगी बूढ़ा”,गुड्डू ने कहा
जैसे जैसे उम्र हो रही थी अम्मा की यादास्त भी अब कमजोर होने लगी थी। उन्हें याद नहीं रहा की गुड्डू की यादास्त जा चुकी है और उसे अपनी शादी याद नहीं है इसलिए उन्होंने कहा,”धत पगलेट और किती बार शादी करि हो , शादी ना एक हे बार होती है और उसके बाद अपने जीवन साथी से जन्म जन्म का रिश्ता बन जाता है”,अम्मा ने कहा
“मतलब अगले जन्म में तुम हमाये दद्दा को ही मिली हो ?”,गुड्डू ने बैठते हुए कहा
“नहीं मिलेंगे”,अम्मा ने कहा
“काहे नहीं मिलोगी अभी तो तुमहू कह रही 7 जन्म वाली बात”,गुड्डू ने कहा तो अम्मा ने उसकी तरफ देखा और कहा,”काहे की जे हमाओ 7 वो जन्म समझो”
गुड्डू ने जैसे ही सूना खिलखिलाकर हसने लगा और अम्मा के गाल खींचते हुए कहा,”का बूढ़ा दिन ब दिन कतई जहर हुई जा रही हो तुमहू तो , अच्छा हम जाते है थोड़ा नहा ले बाहर से आये है चिपचिप सा लग रहा है हमको”
गुड्डू उठा और ऊपर अपने कमरे में चला आया। उसने कबर्ड खोला तो देखा सारे कपडे तह करके रखे हुए है , उसके बाद गुड्डू ने कमरे में नजर दौड़ाई देखा कमरे की एक एक चीज वयवस्तिथ रखी हुयी है ये सब देखकर गुड्डू मुस्कुरा उठा और कहा,”जरूर जे सब शगुन ने किया होगा”
गुड्डू ने कपडे लिए और नहाने चला गया। वापस आकर वह शीशे के सामने खड़ा हो गया ,, बाहर कही जाना नहीं था इसलिए ट्राउजर और टीशर्ट पहन ली। परफ्यूम लगाया , बाल बनाये और अपनी दाढ़ी पर हाथ घूमाने लगा। कितने दिनों बाद वह शीशे के सामने खड़े होकर इत्मीनान से खुद को देख रहा था। गुड्डू शीशे के सामने से हटा और आकर बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद उसे झुमको का ख्याल आया तो उसने अपना बैग खोला और उसमे रखे झुमके निकाले वेदी को देने वाले साइड में रख दिए और जो दूसरी जोड़ी थी उन्हें बड़े ही प्यार से देखने लगा। गुड्डू उन झुमको को देख ही रहा था की तभी वेदी वहा आयी और कहा,”अरे गुड्डू भैया आप कब आये ?”
वेदी को वहा देखकर गुड्डू ने जल्दी से झुमके की जोड़ी को ट्राउजर की जेब में रख लिया और कहा,”थोड़ी देर पहले ही आये थे वेदी तुम कहा थी ?”
“हम ना रौशनी के घर थे आपको पता है रौशनी माँ बनने वाली है”,वेदी ने खुश होकर कहा
“जे तो बहुते ख़ुशी की बात है कहा है रौशनी हम भी मिलकर आते है”,गुड्डू उठने को हुआ तो वेदी ने कहा,”वो तो अभी अभी निकल गयी पर कोई बात नहीं जल्दी ही वापस आएगी कुछ दिन यहाँ रहने जे लिए। अच्छा ये सब छोडो और ये बताओ आप बरेली गए थे ना मेरे लिए क्या लेकर आये ?”
“वहा रखा है देख लो”,गुड्डू ने वेदी के लिए लाये झूमको की ओर इशारा करके कहा
वेदी ने झुमके उठाये और उन्हें देखते हुए कहा,”अरे वाह भैया जे तो बहुते सुन्दर है , थैंक्यू”
“तुम्हे पसंद आये ?”,गुड्डू ने पूछा
“हाँ बहुत”,वेदी उन्हें अपने कानो से लगाकर देखने लगी और फिर एकदम से कहा,”बस हमारे लिए लेकर आये हो ? हमारा शगुन के लिए कुछ भी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“उनके लिए क्यों लाएंगे , हमे तुम याद थी हम तुम्हारे लिए ले आये। जाओ पहनकर अम्मा को दिखाओ”,गुड्डू ने वेदी को भेजते हुए कहा
“हा हम अभी जाकर अम्मा को ये दिखाते है”,वेदी ने कहा और ख़ुशी ख़ुशी वहा से चली गयी। गुड्डू उठा और छत पर चला आया। शाम हो चुकी थी और इस वक्त छत से कानपूर का नजारा बहुत सुंदर लगता था लेकिन आज मौसम कुछ खराब था। आसमान में काले बादल छाये हुए थे और ठंडी हवाएं चल रही थी। गुड्डू आकर दिवार पर बैठ गया और मौसम का लुफ्त उठाने लगा। कुछ देर बाद ही हल्की बूंदा बांदी होने लगी। गुड्डू को आज भीगने में मजा आ रहा था। मिश्राइन ने देखा की बारिश होने लगी है तो उन्होंने शगुन से कहा,”शगुन बिटिया , ऊपर वाली छत पर बेडशीट्स और कुछ जरुरी कपडे सुख रहे है। हमसे जाया नहीं जाएगा बिटिया तुमहू जाकर ले आओ”
“जी माजी मैं जाती हूँ”,कहकर शगुन ऊपर छत पर चली आयी। गुड्डू के कमरे का दरवाजा बंद था शगुन को लगा गुड्डू अंदर सो रहा होगा इसलिए बिना उसे डिस्टर्ब किये वह ऊपर छत पर चली आयी। शगुन जैसे ही आगे बढ़ी सामने से आते गुड्डू से टकरा गयी। गुड्डू ने उसे सम्हाल लिया लेकिन नजरे शगुन के चेहरे पर चली गयी जिस पर बारिश के पानी की कुछ बुँदे झिलमिला रही थी। गुड्डू एक पल के लिए शगुन के चेहरे में खो सा गया। उसे खोया हुआ देखकर शगुन ने कहा,”गुड्डू जी मुझे घूरना बंद कीजिये और ये कपडे उतारने में मेरी मदद कीजिये”
“हाँ , हाँ करते है”,कहकर गुड्डू तार की तरफ चला गया और एक एक करके कपडे उतारने लगा। उसने सभी कपडे सीढ़ियों पर रखी खाली कुर्सी पर रखे और आखरी बेडशीट की तरफ चला गया। उसने जैसे ही बेडशीट को खींचा उसके साथ साथ शगुन भी उसकी बांहो में आ गिरी क्योकि शगुन भी उसी बेडशीट को तार से उतार रही थी। बारिश तेज हो चुकी थी , शगुन और गुड्डू एक दूसरे के करीब थे और दोनों की धड़कनो का शोर बारिश के शोर में दब गया लेकिन उनकी आँखों में एक दूसरे के लिए प्यार साफ नजर आ रहा था। गुड्डू और शगुन बारिश में भीगते हुए एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। शगुन के चेहरे से गुजरती वो पानी की बुँदे उस वक्त उसे और भी खूबसूरत बना रही थी। गुड्डू की नजरे जाकर शगुन के होंठो पर ठहर गयी। उसका हाथ शगुन की कमर पर था और दूसरे हाथ में बेडशीट ,, गुड्डू को कुछ होश नहीं था वह शगुन के थोड़ा सा करीब आया , शगुन ने अपनी आँखे मूँद ली उसकी धड़कने तेज तेज चली रही थी। गुड्डू के होंठ शगुन के होंठो से कुछ दूरी पर आकर रुक गए। शगुन की गर्म सांसो को वह महसूस कर रहा था ,, गुड्डू खुद को नहीं रोक पाया जैसे ही उसने अपने होंठो से शगुन के होंठो को छुआ तेज बिजली कड़की और शगुन गुड्डू से पीछे हट गयी। गुड्डू को होश आया की अभी अभी उसने क्या किया था। उसने शगुन की तरफ देखा जो की बारिश में बुरी तरह भीग चुकी थी उस पर गुड्डू का उसके पास आना ,, गुड्डू ने जैसे ही शगुन को देखा शगुन कपडे लेकर वहा से चली गयी।
गुड्डू ने अपने हाथो को अपने बालो से निकाला उसे अहसास हुआ की बिना शगुन की इजाजत के वह उसके इतना करीब चला गया। गुड्डू को अब बुरा लग रहा था। बारिश जारी थी गुड्डू दिवार से पीठ लगाकर खड़ा हो गया और आँखे मूंद सर भी दिवार से लगा लिया। उसकी आँखों में कुछ देर पहले वाला सीन घूमने लगा। पहली बार गुड्डू ने किसी लड़की के इतना करीब आया था। उसके दिल में अजीब सी फीलिंग चल रही थी जिसे समझने की कोशिश कर रहा था
शगुन भीग चुकी थी वह नीचे आयी उसने कपडे कुर्सी पर रखे। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”अरे बिटिया तुमहू तो पूरा भीग गयी हो जाओ जाकर कपडे बदलो , जे हम ले जायेंगे”
शगुन बाथरूम में चली आयी उसने वेदी से अपने सूखे कपडे लाने को कहा। बाथरूम में आकर शगुन दिवार से पीठ लगाकर खड़ी हो गयी। गुड्डू के करीब आने का , उसके होंठो को छूने का अहसास उसे अभी तक गुदगुदा रहा था। शादी के बाद ये पहली बार था जब गुड्डू उसके इतना करीब आया था और उसमे भी बारिश ने खलल डाल दिया।
“भाभी , भाभी , शगुन भाभी आप ठीक तो है”,गुड्डू के खयालो में खोयी शगुन के कानो में वेदी की आवाज पड़ी तो उसे होश आया उसने अधखुले दरवाजे से हाथ बाहर निकाला और कपडे लेकर दरवाजा बंद कर लिया। शगुन ने कपडे बदले और बालो को पोछते हुए बाहर चली आयी। वेदी बाहर ही खड़ी थी शगुन को देखकर उसने कहा,”आप ठीक हो ना”
“आअह्हह्ह्ची हाँ मैं ठीक हूँ”,शगुन ने छींकते हुए कहा
“लगता है भीगने की वजह से आपको ठंड लग गयी है आप चलो मैं आपके लिए गर्मागर्म चाय लेकर आती हु”,वेदी ने कहा तो शगुन वेदी के कमरे की और चली गयी। शीशे के सामने आकर शगुन बालो को पोछने लगी। जैसे ही शीशे में उसने खुद को देखा उसे वही मंजर याद आ गया और शगुन एक बार फिर उसमे खोकर रह गई।
वेदी चाय लेकर आयी उसने अकेले में शगुन को मुस्कुराते देखा तो चाय टेबल पर रखते हुए कहा,”लगता है आज आप सच में पगला गयी है भाभी”
“वेदी तुम,,,,,,,,,,,,,आह,,,,,,,,,,, वो मैं,,,,,,,,,,,तुम”,शगुन हकलाने लगी
“वो मैं तुम मैं वो,,,,,,,,,,,,छोड़िये और ये चाय पीजिये”,वेदी ने कहा तो शगुन को याद आया की उसके साथ साथ गुड्डू भी भीगा था उसने चाय का कप उठाया और कहा,”वेदी एक काम करोगी , ये चाय अपने भैया को देकर आ जाओ ,, मैं किचन से दूसरी ले लुंगी”
“आप खुद क्यों नहीं चली जाती ?”,वेदी ने कहा
शगुन ने सूना तो उसकी आँखों के सामने फिर से बारिश वाला सीन आने लगा और उसके दिल की धड़कने बढ़ गयी उसने कहा,”वो मुझे ना बहुत काम है तुम ज्यादा सवाल मत करो चलो जाओ”
वेदी चाय लेकर वहा से चली गयी। ऊपर गुड्डू के कमरे में आयी तो देखा गुड्डू भी शीशे के सामने खड़ा अपने बालो को तोलिये से पोछ रहा था। वेदी ने चाय टेबल पर रखी और जाने लगी , गुड्डू ने तौलिया साइड में रखा और चाय का कप उठाकर चाय पीने लगी। वेदी चलते चलते रुकी और पलटकर कहा,”आप और शगुन साथ साथ भीगे थे क्या ?”
गुड्डू ने जैसे ही सूना उसके मुंह में भरी चाय बाहर आ गिरी और वह खांसने लगा। वेदी उसके पास आयी और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”अरे भैया आराम से , हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे।”
“का मतलब है तुम्हारा हम साथ में काहे भीगेंगे हम तो नहाकर आ रहे है”,गुड्डू ने बात छुपाने के लिए कहा तो वेदी मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी। गुड्डू ने गीला तौलिया बाहर रेंक पर डाल दिया और अपने कमरे में चला आया और शीशे के सामने आकर खुद से कहने लगा,”जे का करने वाले थे आज तुम गुड्डू मिश्रा ,, मतलब कतई इमरान हाश्मी बने हुए हो ,, अपने हार्मोन्स को ना थोड़ा कंट्रोल में रखो”
गुड्डू परेशान होकर अपने चेहरे पर हाथ घूमाने लगा ,, शगुन के करीब जाना उसे अच्छा लग रहा था लेकिन इन सबको लेकर शगुन की भावनाओ से अनजान था। उसे बार बार शगुन का ख्याल आ रहा था। गुड्डू जब बहुत ज्यादा उलझन में होता था तो सीधा गोलू को फ़ोन लगाता था , आज भी उसने गोलू को फोन लगाया लेकिन गोलू का फोन बिजी था क्योकि गोलू तो हमारे पिंकी के साथ लगे हुए थे। गुड्डू ने फोन बेड पर डाल दिया
गुड्डू आकर बिस्तर पर लेट गया और खुद से कहने लगा,”जे सब का हो रहा है हमाये साथ , बार बार उनके करीब जाने का दिल क्यों कर रहा है ? उन्हें छूकर ऐसा लग रहा है जैसे वो हमायी अपनी हो। हम यहाँ शगुन को इसलिए लेकर आये थे की उन्हें समझ सके उनके लिए जो भावनाये है वो समझ सके लेकिन हम तो उनमे उलझते जा रहे है। हम जितना उनसे दूर जाने का सोच रहे है वो हमाये उतना ही पास आती जा रही है ,, उनका हमायी परवाह करना , हम पर हक़ जताना , हमारे बार बार गलती करने पर भी हमे माफ़ कर देना , हमारी हर बात मानना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ये प्यार है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम जे सब काहे सोच रहे है , ऐसा कुछो होता तो वो हमसे जरूर कह देती पर हमे क्यों ये सब महसूस हो रहा है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक तो पहले ही हम इतनी गलतिया कर चुके है उस पर अब जे किस,,,,,,,,,,,,,,,,,पता नहीं शगुन का सोच रही होगी हमाये बारे में ?”
खुद से बाते करते करते गुड्डू ने आँखे बंद कर ली और कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी। वेदी खाने के लिए बुलाने आयी तो गुड्डू को सोया देखकर वापस नीचे चली आयी।
देर रात मिश्रा जी घर आये उनके चेहरे को देखकर ही मालूम पड़ रहा था की काफी थक चुके है। उन्होंने हाथ मुंह धोया तब तक मिश्राइन ने उनके लिए खाना लगा दिया। मिश्रा जी आकर खाना खाने बैठ गए। खाना खाने के बाद मिश्रा जी कुछ देर के लिए आकर आँगन में पड़े अपने तख्ते पर आकर बैठ गए। गुड्डू नींद से जगा उसने देखा जग में पानी नहीं है तो वह पानी लेने नीचे आया। सीढ़ियों से उतरते हुए गुड्डू की नजर आँगन में तख्ते पर बैठे मिश्रा जी पर चली गयी और वह सीढ़ियों पर ही रुक गया। गुड्डू ने देखा मिश्रा जी के चेहरे से थकान टपक रही थी और आँखे उदासी और खालीपन से भरी थी। मिश्रा जी अपने हाथो से अपने ही घुटनो को दबा रहे थे और ये देखकर गुड्डू को अपने सीने में एक दर्द का अहसास हुआ। मिश्रा जी के चेहरे पर बेबसी देखकर उसे बहुत बुरा लग रहा था उनके सामने से गुजरने की गुड्डू की हिम्मत नहीं हुई वह बिना पानी पिए ही वापस अपने कमरे में चला आया।
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संजना किरोड़ीवाल