Manmarjiyan – S69
Manmarjiyan – S69
अमन अपनी आगे की पढाई के लिए वापस जा रहा था , जाने से पहले वह वेदी से मिलना चाहता था ताकि उसके दिल की बात जान सके। अमन को वेदी शगुन की शादी से ही पसंद थी लेकिन उसकी भावनाये मजबूत प्रीति की सगाई में हुई। अमन ने जब शगुन को बताया की वह वापस जा रहा है और प्रीति की शादी में नहीं रहेगा तो वह उदास हो गयी। वेदी सबके लिए चाय ले आई।
“अमन शादी तक रुक जाता , प्रीति की शादी है उसकी शादी में उसका भाई नहीं रहेगा तो उसे बुरा लगेगा”,शगुन ने अमन से कहा
“दी टिकट्स बन चुके है और एक हफ्ते बाद एग्जाम्स भी है तो जाना जरुरी है दी ,, पर कोशिश करूंगा प्रीति की शादी वाले दिन आ सकू”,अमन ने कहा
“अच्छा चाचा चाची कैसे है ? और पापा ,, पापा ठीक है न”,शगुन ने पूछा
“हाँ दी सब ठीक है और माँ तो पूरा प्रीति दी के पास ही रहती है एक-डेढ़ महीना बचा है उनकी शादी में तो उन्हें कोई काम भी नहीं करने देती है। सारा काम खुद ही करती है।”,अमन ने कहा
“तुम दोनों भाई बहन बैठकर बातें करो तब तक हमहू नाश्ता भिजवाते है”,कहते हुए मिश्राइन उठी और वहा से चली गयी
“अरे वेदी तुम खड़ी क्यों हो बैठो ना”,अमन ने कहा तो वेदी आकर शगुन के बगल में बैठ गयी। अमन शगुन से बाते करते हुए बीच बीच में वेदी की तरफ भी देख रहा था। मिश्राइन नाश्ता ले आयी तो शगुन ने अमन के सामने एक प्लेट रखी और दूसरी प्लेट वेदी के सामने रखते हुए कहा,”तुम दोनों खाओ मैं अभी आती हूँ”
अमन और वेदी एक दूसरे के सामने बैठे थे। दोनों ख़ामोशी से कभी एक दूसरे को देखते तो कभी प्लेटो को ,, वेदी ने अमन की ओर देखा और कहा,”क्या हुआ खाओ ना ?”
“वो मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी”,अमन ने धीरे से कहा
“हां कहो ना”,वेदी ने कहा
“यहाँ सबके सामने नहीं अकेले में”,अमन ने कहा
“अकेले में,,,,,,,,,,,,?”,वेदी ने थोड़ा घबराकर कहा
“अरे मेरा मतलब , मैं दी और आंटी जी के सामने तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा इसलिए कहा , अगर तुम्हे ठीक नहीं लग रहा तो इट्स ओके”,अमन ने कहा
“ठीक है तुम नाश्ता करो हम अपना हुलिया ठीक करके आते है , बाहर चलेंगे”,वेदी ने कहा
“ठीक तो लग रही हो”,अमन ने वेदी को देखकर कहा
“हाँ लेकिन ऐसे बाहर थोड़े जायेंगे , तुम रुको हम आते है”,कहकर वेदी वहा से चली गयी। अमन बैठकर नाश्ता करने लगा कुछ देर बाद वेदी वहा आयी और कहा,”चले ?”
अमन ने देखा तो बस देखता ही रह गया , हरे रंग की कुर्ती और उसके साथ लाल रंग का दुपट्टा लगाए वेदी बहुत ही प्यारी लग रही थी। अमन को अपनी ओर देखते पाकर वेदी ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाया और कहा,”ओह्ह्ह हेलो कहा खोये हो ?”
“कही नहीं , चलते है”,कहते हुए अमन उठा इतने में मिश्राइन चली आयी और कहा,”तुम दोनों कही जा रहे हो ?”
“हाँ अम्मा वो टेलर को हमने अपने ड्रेस सिलने को दिए थे ना तो सोचा अमन के साथ जाकर ले आये”,वेदी ने अमन के कहने से पहले ही बोल दिया।
“बिटिया अमन मेहमान है बेचारा अभी अभी तो आये है और तुमहू इन्हे बाहर लेकर जा रही हो”,मिश्राइन ने कहा
“कोई बात नहीं आंटी , मैं लेकर जाऊंगा”,अमन ने मुस्कुरा कर कहा
”लेकिन बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा जिन्हे अमन का इस तरह जाना अच्छा नहीं लग रहा था
“अरे तो मैं भी तो इस घर का ही सदस्य हूँ ना , आप मुझे पराया समझती है क्या ?”,अमन ने कहा
“अरे नहीं नहीं बेटा कैसी बाते कर रहे हो ? अच्छा होकर आओ हम तब तक तुम्हाये लिए अच्छा सा खान बनवाते है”,मिश्राइन ने कहा और चली गयी
“तुम रुको मैं अभी आती हूँ”,कहकर वेदी अंदर चली गयी कुछ देर बाद वापस आयी तो उसके हाथ में गुड्डू की बाइक की चाबी थी उसने चाबी अमन की ओर बढाकर कहा,”इस से चलेंगे”
“ये बाइक किसकी है ? गुड्डू जीजू की ?”,अमन ने बाइक की तरफ आते हुए कहा
“हाँ भैया तो बरेली गए है ना इसलिए बाइक यही छोड़कर गए है , अब चलो बाकि बातें रस्ते में पूछ लेना वरना फिर कोई आएगा और कहेगा घर के मेहमान को लेकर मैं कहा जा रही हूँ”,वेदी ने अमन को बाइक स्टार्ट करने का इशारा किया और खुद अपना हाथ उसके कंधे पर रखकर उसके पीछे आ बैठी। अमन ने बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। वेदी अमन को लेकर अपने कॉलेज के पीछे वाली गली में बने कॉफी हॉउस में लेकर आयी। अमन ने बाइक साइड में लगाईं और दोनों अंदर चली आयी। वेदी ने दोनों के लिए एक एक कप आइसक्रीम ऑर्डर की और आकर अमन के सामने बैठते हुए कहा,”हां तो अब बताओ क्या बात है ?”
अमन को वेदी से अचानक इस सवाल की उम्मीद नहीं थी उसने कहा,”थोड़ा साँस तो ले लो फिर बताता हूँ ,, अच्छा तुम्हारा कम्प्यूटर कोर्स कैसा चल रहा है ?”
“ठीक चल रहा है”,वेदी ने कहा
“हम्म्म और घर में सब बढ़िया ?”,अमन ने पूछा
“अमन ऐसे घुमा फिर के बात मत करो जो कहना है साफ साफ कहो”,वेदी ने कहा तो अमन टेबल पर रखी बोतल , टिशू बॉक्स , शुगर बॉक्स सब साइड में रखने लगा ये देखकर वेदी ने भँवे उचकाई तो अमन कहने लगा,”वेदी मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे लिए आया था”
“हमारे लिए ?”,वेदी ने चौंकते हुए कहा
“हाँ तुम्हारे लिए , जबसे तुम बनारस से लौटी हो ना मैं ठीक से सो पा रहा हूँ ना खा पा रहा हूँ ,, कुछ अच्छा नहीं लगता है , हर वक्त बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ। मैं जानता हूँ तुम्हे मेरी बातें फ़िल्मी लग रही होगी लेकिन ये सच है। पूरा दिन घर में खामोशी से बैठे रहता हूँ , ना किसी से बात करने का दिल करता है ना घर से बाहर जाने का ,, मुझे ऐसे देखकर पापा ने मेरी वापसी की टिकट्स करवा दी उन्हें लगा शायद पढाई की टेंशन से मैं बर्ताव कर रहा हूँ , लेकिन वो नहीं जानते की मुझे तुमसे प्यार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जब पहली बार तुम्हे शगुन दी की शादी में देखा तब तुम अच्छी लगी , उसके बाद जब जब तुम्हे देखा तुम और ज्यादा अच्छी लगने लगी। तुमसे बात कर पाता इस पहले ही पढाई के लिए बाहर जाना पड़ा , उसके बाद प्रीती की सगाई में देखा तो तुम्हारे लिए मेरी भावनाये और गहरी होने लगी ,,लेकिन इस बार भी मैं तुमसे कुछ कह नहीं पाया लेकिन आज कहने का मन किया और मैं चला आया। एक बार यहाँ से गया तो पता नहीं वापस कब आना हो”
अमन की बातें सुनकर वेदी अवाक् रह गयी , अमन के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर उसके मन में भी था लेकिन इतनी जल्दी ये सब होगा उसने सोचा नहीं था। वेदी हैरानी से अमन को देखते रही तो अमन आगे कहने लगा,”मुझे कोई जल्दी नहीं है वेदी तुम चाहो तो थोड़ा वक्त ले सकती हो ,, जरुरी नहीं है जो फीलिंग्स मेरे दिल में है वो तुम्हारे दिल में भी हो लेकिन मैं ये भी जानता हूँ की प्यार का कोई वक्त नहीं होता ये कभी भी हो सकता है,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे लिए इतना कर सकता हूँ की तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा , कभी तुम्हारी आँखों में आंसू नहीं आने दूंगा और जिंदगी भर सिर्फ तुमसे प्यार करूँगा”
वेदी ने सूना तो उसका दिल धड़कने लगा , कुछ दिन पहले ही उसे दीपक के सच का पता चला था और इतनी जल्दी वह अमन पर भरोसा कैसे कर ले कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे चुप देखकर अमन ने उदास होकर कहा,”शायद तुम्हारी ना है”
“वो सब सामान साइड क्यों किया ?”,वेदी ने कहा
“वो मुझे लगा मेरी बात सुनकर कही तुमने कुछ फेंक कर मारा तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी सेफ्टी के लिए”,अमन ने मासूमियत से कहा तो वेदी मुस्कुराने लगी और फिर अमन की तरफ देखकर कहने लगी,”अमन हम दोनों बहुते अच्छे दोस्त है , तुम हमारे परिवार का हिस्सा भी हो। तुम जानते हो भैया और भाभी के बीच इस वक्त सब बिखरा हुआ है , ऐसे हालत में हम तुम्हारे बारे में कुछ नहीं सोच सकते,,,,,,,,,,,,,हमे थोड़ा वक्त चाहिए”
अमन ने सूना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा। उसने अपना हाथ वेदी के हाथ पर रखा और कहा,”मैं वादा करता हूँ तुम्हारे सम्मान पर कोई आंच नहीं आने दूंगा तुम्हे जितना वक्त चाहिए तुम ले सकती हो”
वेदी अमन की आँखों में देखते हुए खुद से कहने लगी,”गैरो पर अपना वक्त और भावनाये बहुत बर्बाद की है इस बार किसी अपने पर सही , अगर हमारी किस्मत तुमसे जुडी है तो हम तुम्हे जरूर मिलेंगे अमन”
“क्या हुआ कहा खोयी हो ?”,अमन ने वेदी के सामने हाथ हिलाते हुए कहा तो वेदी की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”तुमने इस बारे में किसी को बताया तो नहीं ना ?”
“सिर्फ प्रीति को पता है उसी ने तो मुझे यहाँ भेजा है”,अमन ने कहा
“हम्म्म लेकिन तुम ये सब हमाये भैया और शगुन भाभी को मत बताना , वे दोनों पहले से इतनी सारी परेशानियों में पड़े है और परेशान हो जायेंगे ,, सही वक्त आने पर तुम्हारे पापा से कहना वो आकर हमारे पापा से बात करेंगे”,वेदी ने कहा
“मतलब तुम्हे हमसे प्यार नहीं है ?”,अमन ने पूछा
“अमन जरुरी नहीं है प्यार शादी से पहले हो , अगर प्यार सच्चा है तो वो तो शादी के बाद भी हो सकता है”,वेदी ने बड़े ही प्यार से कहा
“अरे वाह बहुत अच्छी बात कही कहा से सीखी ?”,अमन ने कहा
“अपनी भाभी से जैसे उन्हें हमारे भैया से हुआ है”,वेदी ने मुस्कुराते हुए कहा
“शगुन दी ना बहुत लकी है जिसे इतना प्यार करने वाले लोग मिले है”,अमन ने कहा तो वेदी मुस्कुरा उठी। दोनों ने आईस क्रीम खाई , अमन खुश था की वेदी ने उसके प्यार को मंजूरी दे दी और ना नहीं कहा। वही वेदी खुश थी की उसकी भाभी के ही घर में उसका रिश्ता हो जाएगा और वह हमेशा के लिए शगुन के साथ ही रहेगी।
दोनों वहा से बाहर चले आये वेदी आकर अमन के पीछे बैठी और दोनों घर के लिए निकल गए वही से गुजरते हुए शालू की नजर उन दोनों पर पड़ गयी उन्हें जाते देखकर शालू ने कहा,”कुत्ती कही की मुझे कहती है कोई चक्कर नहीं है और यह बाइक पर घुमा जा रहा है , कल क्लास में मिलना बताती हूँ तुझे”
शालू वेदी को कोसते हुए वहा से चली गयी।
दिवाली के 11 दिन बाद ही गोलू और पिंकी की शादी की डेट फिक्स हो गयी। शादी में अभी डेढ़ महीना था पिंकी ने अभी से अपनी शादी की तैयारियां शुरू कर दी। धीरे धीरे मोहल्ले में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी की पिंकी का रिश्ता हुआ है लेकिन किस से हुआ है ये कोई पता नहीं लगा पाया क्योकि मिश्रा जी की शर्त के अनुसार मोहल्ले में किसी को पता नहीं चलना चाहिए था की पिंकी की शादी किस से हो रही है ? उधर गोलू के घर वालो ने भी तैयारियां शुरू कर दी। अमन उसी शाम वापस बनारस के लिए निकल गया लेकिन बहुत खुश भी था अपने और वेदी के रिश्ते को लेकर अब बस उसे वेदी के लायक बनना था और मिश्रा जी से उसका हाथ मांगना था।
बरेली , उत्तर-प्रदेश
बरेली वाली शादी सम्प्पन्न कर गोलू और गुड्डू अपने स्टाफ के साथ वापस कानपूर के लिए निकल गए। गाडी जब बरेली के बाजार से निकली तो गुड्डू ने गोलू से कहा,”यार गोलू बरेली में सबसे फेमस का है ?”
“यहाँ के झुमके”,गोलू ने एकदम से कहा
“ठीक है फिर गाडी रोको , हमे लेना है”,गुड्डू ने कहा
“का भैया इस उम्र में झुमके पहनेंगे आप , पगला गये है”,गोलू ने कहा
“अभी देंगे एक रख के , तुम्हे का हम जनानी दिखते है ,, अबे वेदी के लिए ले रहे है ,, जायेंगे तो कहेगी की कुछ नहीं लाये उसके लिए इसलिए ,, अब बिना कोई सवाल के गाड़ी साइड में लगाओ”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने गाडी साइड में लगा दी
गुड्डू ने स्टाफ वाली गाड़ी को वहा से चलने को कहा और खुद गोलू के साथ दुकान में चला आया और आकर झुमके देखने लगा। गुड्डू ने दो जोड़ी झुमके लिए और पैक करने को कहा। दुकानदार ने झुमके पैक करके गुड्डू को दे दिए और गुड्डू उन्हें लेकर गोलू के साथ दुकान से बाहर चला आया। चलते चलते गोलू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा,”भैया एक जोड़ी तो वेदी के लिए है ठीक है पर दूसरी वाली का करोगे ?”
“हम पहनेंगे , काहे दिक्कत है तुमको ?”,गुड्डू ने गोलू को घूरते हुए कहा तो गोलू चुपचाप उसके साथ चलने लगा। दोनों आकर गाड़ी में बैठे। गोलू ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। गुड्डू ने झुमको को एक बार देखा और फिर मुस्कुरा कर जेब में रख लिया। गोलू ने अभी ताजा ताजा लेक्चर सूना था इसलिए गुड्डू से कुछ पूछना सही नहीं समझा।
कुछ देर खामोश रहने के बाद गुड्डू ने कहा,”अच्छा गोलू उह शर्मा जी वाली लड़की से बात कुछो आगे बढ़ी तुम्हायी ?”
“हां हां भैया चल रही है ,, देखते है कब तक मानते है शर्मा जी”,कहते हुए गोलू का हलक सुख गया
गुड्डू की नजर गोलू के हाथ की ऊँगली पर पड़ी जिसमे सोने की अंगूठी जगमगा रही थी। गुड्डू ने उसकी ऊँगली से अंगूठी निकालते हुए कहा,”जे कहा से आयी ? बहुते सुंदर है और चमक भी बहुत रही है”
गोलू ने सूना तो उसका खून ही सुख गया उसने बात को सम्हालते हुए कहा,”जे तो हमने मेले से खरीदी थी 40 रूपये में पर सोने जैसी चमक है इसकी”
“का गोलू इतना पैसा कमाते हो और जे खोट का सामान पहना है फेंको इसे”,कहते हुए गुड्डू ने अंगूठी गाडी के बाहर फेंक दी। गोलू ने देखा तो तुरंत ब्रेक लगाया और कहा,”जे का किया ? अरे यार हमायी फेवरेट थी वो”
गुड्डू ने हाथ वापस गाड़ी के अंदर किया और अंगूठी गोलू की ओर बढाकर कहा,”जे लो तुम्हारा तो कलेजा ही मुंह को आ गया जैसे हमने असल में फेंक दी हो , अब बताओ का चक्कर है इस अंगूठी का ?”
मरता क्या न करता गोलू ने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए एक नयी कहानी बनाकर गुड्डू को सूना दी,”वो खरीदी मेले से ही है लेकिन हमने नहीं शर्मा जी की लड़की ने उसी ने अपने प्यार की निशानी के रूप में हमे दी है”
“जे सही है हमे तो आज तक किसी ने कुछो ना दिया”,कहते हुए गुड्डू ने अपना हाथ गाड़ी के डेशबोर्ड पर रखा तो उसके हाथ में पड़ा चाँदी का कडा कलाई पर झूलने लगा उसे देखकर गुड्डू ने कहा,” यार गोलू एक बात बताओ जे कडा हमाये हाथ में कैसे आया ? हमने बहुते याद करने की कोशिश की लेकिन जे हमने कब खरीदा कुछो याद नहीं ?”
“अरे दिया होगा आपकी किसी चाहने वाली ने याद नहीं होगा आपको”,गोलू ने कहा अब बेचारा सीधा सीधा शगुन का नाम कैसे ले ? गुड्डू ने कड़े को गौर से देखते हुए कहा,”हमे नहीं लगता पिंकिया कभी हमे इतना महंगा तोहफा देगी”
गोलू ने सूना तो गुड्डू की तरफ देखा और मन ही मन कहा,”जे तोहफा आपको जिसने दिया है उसने तो आपके नाम अपनी पूरी जिंदगी कर दी है पता नहीं आपको कब अहसास होगा ?
“कुछो कहा तुमने ?”,गुड्डू ने गोलू की तरफ देखकर कहा
“हां वो हम पूछंना चाह रहे थे एक जोड़ी झुमका तो वेदी के लिए लिया है दुसरा वाला किसके लिए है ?”,गोलू ने डरते डरते कहा
गुड्डू ने सूना तो पहले तो गोलू को घुरा और फिर खिड़की से बाहर देखते हुए कहने लगा,”दिल तो उन्हें अपने हाथो से पहनाने का है , पर का करे अभी हमारा उन पर इतना हक़ नहीं बनता है”
गुड्डू को सोच में डूबा देखकर गोलू मुस्कुराने लगा जैसे वह जानता हो की दूसरी जोड़ी किसके लिए थी ? जानते तो आप सब पाठक भी है लेकिन गुड्डू के अंदाज में पढ़ना ज्यादा अच्छा लगेगा इसलिए मिलते है कल !!
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क्रमश – Manmarjiyan – S70
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