Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – S55

Manmarjiyan – S55

Manmarjiyan – S55

दीपक ने वेदी को सारा सच बता दिया। वेदी ने जब सुना तो उसका दिल टूट गया। गोलू ने जब वेदी को किसी लड़के के साथ देखा तो गुड्डू को फोन करके वहा बुला लिया। गुड्डू ने दीपक को वेदी के साथ देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया और गुस्से में उसने बेचारे दीपक की पिटाई भी कर दी लेकिन जब दीपक ने गुड्डू को सच्चाई बताई तो गुड्डू ने उसे छोड़ दिया। गुड्डू वेदी को लेकर घर के लिए निकल गया। वेदी की आँखों में आंसू थे पहली बार उसने किसी से प्यार किया था और उसी ने उसे धोखा दे दिया। उसका दिल बहुत उदास था वही गुड्डू भी अपनी बहन के लिए दुखी था क्योकि दिल टूटने का दर्द क्या होता है ये गुड्डू से बेहतर कौन जान सकता था ?
गोलू के सामने अब नयी समस्या थी पिंकी का महीना ना आना , बेचारा गोलू ऐसा लग रहा था उसकी किस्मत भगवान ने नहीं जैसे उसके पिताजी ने लिखी हो मतलब एक के बाद एक नया कांड गोलू के सर पड़ता जा रहा था। गुड्डू के जाने के बाद गोलू घर चला आया। जब गुप्ता जी ने उसे देखा तो कहा,”आ गए गोलू महाराज , आरती उतारे तुम्हायी या नारियल फुड़वाये तुम्हाये आगमन”
“अब का हो गवा ? ऐसी बातें काहे कर रहे है ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में कहा
“तुमहू हमको जे बताओ पैदा तुमको हम किये , खाना तुमको हम देते है , सारे ऐशो आराम की जिंदगी हम दे और तुमहू उह मिश्रा जी के घर पड़े रहो , नहीं चल का रहा है जे सब , ऐसा कौनसा काम करते हो तुमहू की चार चार दिन तक घर नहीं आते और आते हो तो खाये पिए फिर निकल गए। तुम्हायी इह घर के प्रति कोनो जिम्मेदारी है की नहीं ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे यार पिताजी बताया तो था आपको की बनारस जा रहे है एक आर्डर के सिलसिले में , और फिर काम करेंगे तो घर से बाहर तो रहना पडेगा ना हमको की आपकी तरह बैठ जाये घर में”,गोलू ने गुस्से से कहा
“साले बाप से बकैती करते हो उठा के मारेंगे एक ठो चप्पल सारी रंगबाजी निकल जाएगी तुम्हायी”,गुप्ता जी ने हवा में हाथ उठाकर गोलू को आँखे दिखाते हुए कहा इतने में गोलू की अम्मा वहा चली आयी और कहा,”अरे अरे का कर रहे हो जवान बेटे पर भला ऐसे कोई हाथ उठाता है कितने दिन से तो घर आया है वो ज़रा बैठने तो दो उसे फिर कर लेना सवाल जवाब”
“हां सर पे बैठाय ल्यो इनको अपने पर जब सर पर तांडव करेंगे ना तब पता चलेगा”,कहते हुए गुप्ता जी अंदर चले गए
“गोलू तू अपने पिताजी की बात पर ध्यान ना दो , चलो आओ अंदर आओ”,कहते हुए गोलू की अम्मा उसे लेकर अंदर चली आयी। गोलू ने बैग रखा और कहा,”अम्मा हम हाथ मुंह धोकर आते है तब तक एक ठो कप चाय बनाय दयो हमाये लिए”
“हाँ हम बनाते है , साथ में मठरी भी बना देते है ,, कितने दुबला गए हो खाते पीते नहीं हो का ठीक से ?”,गुप्ताइन ने रसोई की तरफ जाते हुए कहा। गोलू वाशबेसिन के सामने आया और मुंह धोने लगा। मुंह पर पानी के थपेड़े मारते हुए गोलू के कानो में पिंकी की आवाज गूंज रही थी – महीना नहीं हुआ है हमको
ये एक ही बात बार बार रिपीट होकर चलने लगी तो गोलू को एकदम से होश आया उसने खुद को शीशे में देखा और मन ही मन खुद से कहने लगा,”जे का कांड कर दिया गोलू ? अगर पिंकिया सच में प्रेग्नेंट हुयी तो सिर्फ तुम्हारे पिताजी ही नहीं , पिंकी के पिताजी और मिश्रा जी भी सुताई करेंगे तुम्हायी और गुड्डू भैया उह तो जिन्दा नहीं छोड़ेंगे तुमको ,,,,, साले दोस्त की गर्लफ्रेंड को कौन प्रेग्नेंट करता है। कुछो सोच गोलू अब तक जितने भी कांड किये है जे वाला कांड उन सबका बाप है इस से तुम्हायी लंका भी लगेगी और हड्डिया भी टूटेगी”
“अपना चेहरा निहार लिए हो तो हिया आकर चाय पि ल्यो”,गुप्ता जी ने चाय लेकर सोफे पर बैठते हुए कहा
गोलू की तंद्रा टूटी उसने एक बार फिर मुंह धोया और आकर चाय का कप उठाकर पीने लगा। उसे चुप देखकर गुप्ता जी ने कहा,”तुम्हाये लिए लड़की देखी है अगले हफ्ते उसे देखने चलना है , जाकर नवरत्न दर्जी को कपड़ो का नाप दे आओ”
“लेकिन हमे शादी नहीं करनी हम सिर्फ पिंकिया से शादी करेंगे”,गोलू ने डरते डरते कहा
“तो फिर एक काम करो हमे मार दो और हमायी चिता के फेरे ले ल्यो क्योकि हमाये जीते जी तो पिंकी का उसके खानदान की किसी लड़की से शादी नहीं होने देंगे हम तुम्हायी”,गुप्ता जी ने भड़क कर कहा
“पर का खराबी है पिंकिया में ?”,गोलू को भी गुस्सा आ गया
“हमको पसंद नहीं है जे एक कारण काफी ना है”,गुप्ता जी ने गोलू को आँखे दिखाते हुए कहा
“अरे तो शादी हमको करनी है आपको थोड़े ना करनी है”,गोलू ने बैठते हुए कहा
“देखो बेटा ऐसा है हमसे ना बहस तो करो मत , चाय पीकर नवरतन के पास जाओ और नाप देकर आओ , अगर बिना नाप दिए घर आये तो बेटा फिर तुमको हम नाप देंगे ,,,,,,, बाकि हम नहीं चाहते अगले हफ्ते हमे लंगड़े लड़के के साथ लड़की देखने जाये”,गुप्ता जी ने उठते हुए कहा
“लंगड़ा लड़का कौन ?”,गोलू ने कहा
“तुम और कौन अगर नाप देकर नहीं आये तो आज शाम तुम्हायी टाँगे हम तोड़ देंगे”,कहकर गुप्ता जी चले गए
गोलू ने अपने बाल नोच लिए एक तरफ पिंकी थी जो की गोलू की गर्दन पर तलवार लगाए बैठी थी दूसरी तरफ उसके पिताजी जो गोलू के सर पर सहरा देखने खा ख्वाब देख रहे थे जबकि गोलू अच्छे से जानता था की जब सर ही नहीं रहेगा तो सेहरा बंधेगा किस पर ?
बहुत सोचने के बाद भी जब गोलू को कोई हल नहीं मिला तो उसने नाप देना ही सही समझा क्योकि फ़िलहाल उसे अपनी तीली जैसी टाँगो की बहुत जरूरत थी उसने स्कूटी उठायी और निकल गया नवरत्न से मिलने।

गुड्डू वेदी को लेकर घर पहुंचा वेदी की आँखों में आंसू देखकर गुड्डू ने उसके आंसू पोछे और कहा,”बाबू कुछो नहीं है उसे बुरा सपना समझकर भूल जाओ , अंदर पिताजी और अम्मा तुमको ऐसे देखेंगे तो परेशान होंगे , हम है ना तुम्हाये साथ”
“हमसे बहुते बड़ी गलती हो गयी भैया , हमे दीपक पर भरोसा नहीं करना चाहिए था”,कहते हुए वेदी की आँखों में फिर आंसू आ गए तो गुड्डू ने उसके चेहरे को हाथो में लेकर कहा,”वेदी पगला गयी हो , तुमहू कुछो गलत नहीं की हो हमे पूरा भरोसा है तुम पर ,, ऐसे सिर्फ कहने के लिए तुम्हारे भाई नहीं है हम , जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर भूल जाओ ,,, बाकि जे आंसू पोछो और अंदर चलो हमाये साथ”
गुड्डू की बातो से वेदी को थोड़ा सुकून मिला , कम से कम गुड्डू को उस पर भरोसा तो था उसने अपने आंसू पोछे और गुड्डू के साथ अंदर चली आयी। वेदी को देखते ही मिश्राइन ने कहा,”अरे वेदी कहा थी तुमहू बिटिया तुम्हे फोन किया तो फोन भी हिया पड़ा था ?”
वेदी के कहने से पहले ही गुड्डू बोल पड़ा,”शालू के घर गयी थी अम्मा”
वेदी ने गुड्डू की तरफ देखा तो गुड्डू ने अपनी पलके झपकाकर उसे आस्वस्त कर दिया।
“अच्छा कोई बात नहीं जाओ जाकर रसोई में शगुन की थोड़ी सी मदद कर दयो हमहू रौशनी के घर जा रहे है किसी काम से”,कहते हुए मिश्राइन चली गयी। मिश्रा जी अपने कमरे में हिसाब किताब कर रहे थे। गुड्डू ने वेदी के कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”शगुन की मदद हम कर देंगे तुमहू अपने कमरे में जाओ”
वेदी चली गयी गुड्डू को लगा शगुन को इस बारे में पता नहीं होगा , वेदी को ऐसे देखकर कही वह उस से सवाल जवाब ना करने लगे सोचकर गुड्डू ने वेदी को वहा से भेज दिया और खुद किचन की तरफ चला आया। चूड़ीदार सलवार सूट पहने शगुन किचन में काम कर रही थी। गुड्डू अंदर आया और कहा,”लाओ हम तुम्हायी मदद कर देते है”
“आप मेरी मदद क्यों करेंगे ? मैं कर लुंगी इतना ज्यादा काम भी नहीं है”,शगुन ने कहा
“ठीक है फिर हम अपने लिए चाय बना लेंगे”,गुड्डू ने पतीला गैस पर चढ़ाते हुए कहा
“अच्छा आपको चाय बनानी आती है ?”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखते हुए कहा
“हुंह्ह अभी तुमने देखा ही का है ? चाय का बहुत कुछ बना लेते है हम ,,,,,!!”,गुड्डू ने पतीले में दूध डालते हुए कहा
“अच्छा बनाइये फिर देखते है”,शगुन ने गुड्डू की बगल में खड़े होकर काम करते हुए कहा
शगुन की बगल में खड़ा गुड्डू इत्मीनान से चाय बनाने लगा। शगुन के लिए तो इतना ही काफी था की गुड्डू उसके पास खड़ा था। कपड़ो से आती गुड्डू के परफ्यम की खुशबु शगुन को आ रही थी।
गुड्डू ने चाय बनाई कप में छानी और जैसे ही शगुन की तरफ बढ़ाई उसने देखा शगुन के दोनों हाथो में आटा लगा हुआ है। गुड्डू शगुन के पास आया और कहा,”रुको हम पिला देते है”
गुड्डू ने चाय को फूंक मारी और शगुन को अपने हाथ से चाय पिलाने लगा वो मोमेंट शगुन के लिए बहुत ही अनमोल था वह प्यार से बस गुड्डू की आँखों में देखे जा रही थी और गुड्डू बड़े प्यार से शगुन को अपने हाथ से चाय पिला रहा था। एक दो घूंठ के बाद शगुन ने कहा,”आप रख दीजिये हम पि लेंगे”
गुड्डू ने शगुन कप साइड में रखा और अपना कप उठाकर प्लेटफॉर्म से पीठ लगाकर चाय पिने लगा।
शगुन ने खाना बनाया तब तक गुड्डू वहा खड़ा उस से इधर उधर की बाते करता रहा।
रात का खाना शगुन ने बाहर डायनिंग पर लगा दिया और गुड्डू को हाथ मुंह धोकर आने को कहा तब तक मिश्राइन भी आ चुकी थी और मिश्रा जी भी चले आये। गुड्डू , मिश्राइन , अम्मा और मिश्रा जी बैठे थे शगुन ने सबके लिए खाना परोसा। मिश्रा जी ने देखा वेदी नहीं आयी तो उन्होंने मिश्राइन से पूछा,”बिटिया कहा है ?”
“पिताजी वेदी अपने कमरे में है”,मिश्राइन से पहले ही गुड्डू बोल पड़ा
“खाना खाने नहीं आएगी वो ?”,मिश्रा जी ने फिर पूछा
“शालू के घर जाकर आयी थी लगता है वही कुछो खा लिया होगा , आप खाइये हमहू बाद में खिला देंगे ,,, शगुन बिटिया तुमहू भी खाय ल्यो”,मिश्राइन ने मिश्रा जी से कहते हुए शगुन से कहा
“मैं वेदी के साथ खा लुंगी आप सब खाइये”,शगुन ने कहा और गुड्डू की तरफ देखा गुड्डू के चेहरे के बदले भाव देखकर शगुन समझ गयी की वेदी के साथ कुछ परेशानी तो है। वही मिश्रा जी के मन में भी यही बात चल रही थी की आज वेदी खाने पर क्यों नहीं आयी। सब चुपचाप खाने लगे

अपने पिताजी के कहने पर गोलू नवरत्न की दुकान पर पहुंचा और कहा,”सूट का नाप लेय ल्यो”
नवरत्न ने जैसा ही सूना गोलू की उतरी हुयी शक्ल देखकर हसने लगा और कहा,”का गोलू मतलब तुम्हारा भी कटने वाला है , जे सही है बेटा गुड्डू और तुम्हाये साथ तो जे होना बनता है”
“हाँ चच्चा लेय ल्यो मजे , तुम्हायी शादी नहीं हुई ना तो तुम्हे का पता शादी का दुःख,,,,,,,,,,,,,,,,,,लौंडे को दुसरो की शादी में नागिन डांस करना पड़े तो मजा आता है खुलकर करते है पर जब अपनी शादी में करना पड़े तो तशरीफ़ हाथ में आ जाती है। खैर हमाओ दर्द तुमहू ना समझी हो ,, नाप लो और जाने दो हमे”,गोलू ने उदास लहजे में कहा
“नाप तो हम ले ही लेंगे गोलू पर याद है उह रात का किये थे तुमहू और गुड्डू , नकली कट्टा हमायी कनपटी पर रखे और रात भर हमसे मेहनत करवाए उह भी शर्मा जी की लौंडिया के लिए”,नवरत्न ने मुंह बनाकर कहा
“ए पिंकिया के लिए कुछो कहे तो तुम्हायी कैंची तुम्हाये पेट में घुसा देंगे समझे”,गोलू ने गुस्से से कहा। पिंकी के लिए गोलू की परवाह देखकर नवरतन को थोड़ा अजीब लगा उसने गोलू के करीब आकर कहा,”अबे गोलू कही शर्मा जी की लोंड़िया के चक्कर में तो नहीं पड़ गए हो ?”
“तुमको का करना है ? तुमहू नाप ल्यो और सूट सिलों , साला सबको फ़टी में टांग अडानी है”,गोलू ने खीजते हुए कहा
“ठीक है ठीक लेते है नाप , इतनी का जल्दी है”,कहते हुए नवरत्न ने इंचटेप निकाला और गोलू के गले का माप लेने लगा। गोलू को गले में गले पड़ा इंचटेप फांसी का फंदा लग रहा था जिसका एक हिस्सा पिंकी के हाथ में था और दूसरा गोलू के पिताजी के हाथ में।

क्रमश – manmarjiyan-s56

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संजना किरोड़ीवाल

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