Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – S52

Manmarjiyan – S52

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S52 

चाची के घर के बाहर भीड़ देखकर गुड्डू वहा चला आया देखा एक आदमी उन्हें बुरा भला कह रहा है तो गुड्डू उसे समझाने लगा लेकिन आदमी ने गुड्डू को ही धक्का मार दिया। गुस्से में गुड्डू ने जैसे ही उस पर हाथ उठाने की कोशिश की सामने छत पर खड़ी शगुन से उसकी नजरे जा मिली
गुड्डू का हाथ हवा में ही रुक गया उसे आज सुबह शगुन से किया वादा याद आ गया। गुड्डू शगुन की तरफ देख रहा था की तभी आदमी ने एक घुसा गुड्डू के मुंह पर दे मारा। गुड्डू नीचे जा गिरा। शगुन ने देखा तो उसके मुंह से आह निकल गयी वह दौड़ते हुए नीचे आयी। गुड्डू उठा और कपडे झाड़ते हुए कहा,”अबे मार काहे रहे हो बैठकर बात करते है ना ?”
लेकिन आदमी ने गुड्डू को एक घुसा पेट में दे मारा , गुड्डू को दर्द हुआ लेकिन उसने सामने से हाथ नहीं उठाया। शगुन आयी उसने देखा की आदमी गुड्डू को मार रहा है लेकिन बदले में गुड्डू उसे हाथ तक नहीं लगा रहा वह गुड्डू को छुड़ाने गयी तो आदमी ने शगुन की तरफ हाथ उठाया लेकिन गुड्डू ने बीच में ही उसका हाथ रोकते हुए ना में गर्दन हिला दी। गुड्डू खुद मार खा सकता था लेकिन कोई शगुन पर हाथ उठाये ये गुड्डू को कहा बर्दास्त था। आदमी ने गुस्से से अपना हाथ झटका और कहा,”किसी के मामले में बीच में पड़ने से पहले जान लो मेटर क्या है ? ये जो औरत देख रहे हो ना इसने लॉन लिया था मुझसे अब जब पैसे वापस देने की बारी आयी तो आनाकानी कर दी। और साले तुम हम ही पे हाथ उठा रहे हो हो कौन तुम ? नए आये हो यहाँ ?”
“दामाद है इस घर के और वो जो सामने खड़ी है वो सास है हमारी तो अपनी आँखो के सामने तो उनको बुरा भला कहते हमहू बिल्कुल नहीं सुन सकते”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उसके चेहरे की तरफ देखने लगी और सोचने लगी,”क्या गुड्डू जी को सब याद आ गया है ?”
अंदर गोलू ने जब शोर सूना तो वह भी उठकर बाहर चला आया और उसके साथ साथ वेदी और प्रीति भी चली आयी। गोलू ने देखा गुड्डू एक आदमी के सामने खड़ा बस उसे घूर रहा है तो गोलू आया और आदमी से बात करते हुए साइड में आया और उसे समझा बुझाकर भेज दिया। चाची ने जब देखा की जिस गुड्डू और शगुन से वह नफरत करती थी आज उन्होंने ने ही उनके मान सम्मान को बचाया था। शगुन गुड्डू के सामने आयी उसने गुस्से और दुखभरे मिले जुले भावो के साथ कहा,”आपने उसे मारा क्यों नहीं ?”
गुड्डू ने सूना तो शगुन की आँखों में देखने लगा , उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी जो की शगुन को तकलीफ पहुंचा रही थी। शगुन की आँखो मे नमी देखकर गुड्डू ने कहा,”कमाल करती हो शगुन गुप्ता , सुबह खुद ही हमसे वादा ले ली की किसी पर हाथ नहीं उठाये और अब खुद ही पूछ रही हो की मारा क्यों नहीं ?”
शगुन ने सूना तो उसकी आँखों में भरे आंसू गालो पर लुढ़क आये। उसने उस वक्त किसी की परवाह नहीं की और गुड्डू के गले आ लगी। जैसे ही शगुन गुड्डू के गले लगी गुड्डू को महसूस हुआ जैसे उसका कोई अपना उसके गले लगा हो। उसके हाथ अपने आप शगुन की पीठ पर चले गए और उसने कसकर शगुन को गले लगा लिया। वहा खड़े गोलू , वेदी , प्रीति ने देखा तो तीनो के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे
शगुन गुड्डू के गले लगी रही उसे बहुत बुरा लग रहा था की उसकी वजह से गुड्डू को मार खानी पड़ी। वह गुड्डू से दूर हटी और कहा,”सॉरी , माफ़ कर दीजिये”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस शगुन के आंसू पोछ दिए और मुस्कुरा उठा। चाची गुड्डू और शगुन के पास आयी तो और उनसे माफ़ी मांगते हुए कहा,”मुझे माफ़ कर दो शगुन मैंने तुम सबके साथ बहुत गलत किया और उसी गलती की मुझे सजा मिल रही है। मैं बहुत बुरी इंसान हूँ मैं तुम्हारी माफ़ी के लायक भी नहीं हूँ”
“अरे नहीं नहीं आप काहे माफ़ी मांग रही है , वैसे भी गलती उनकी है वो आपसे बदतमीजी कर रहे थे”,गुड्डू ने चाची के हाथो को नीचे करते हुए कहा।
गुड्डू का बड़प्पन देखकर चाची की आँखे भर आयी उन्होंने गुड्डू के हाथो को थामकर कहा,”मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है दामाद जी जो मैंने आपको गलत समझा , आप जैसा खरा सोना मैं पहचान नहीं पाई (कहते हुए चाची शगुन की तरफ पलटी और कहा) मुझे माफ़ कर दो शगुन”
“नहीं चाची आप उम्र में मुझसे बड़ी है आप माफ़ी मत मांगिये , वो सब बुरे वक्त की वजह से था वक्त के साथ ही गुजर गया”,शगुन ने कहा तो चाची ने उसे गले लगाते हुए कहा,”मैं कभी तुम्हारी माँ नहीं बन पाई बेटा लेकिन तुमने हमेशा अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है। तुम्हारे जितना बड़ा दिल मेरा नहीं है शगुन”
पारिवारिक माहौल देखकर गोलू ने वहा मौजूद भीड़ को अपने अपने घर जाने को कहा और फिर शगुन से भी अंदर चलने को कहा। चाची ने प्रीति से भी माफ़ी मांगी पहली बार प्रीति को उनकी आँखों में सच्चाई दिखी प्रीति ने भी उन्हें माफ़ कर दिया और सभी अंदर चले आये। शगुन को बस गुड्डू की चिंता हो रही थी वह ऊपर छत पर आयी जहा गुड्डू दिवार के पास खड़ा था उसके होंठ पर लगी चोट से खून निकल आया था और गुड्डू उसे ही सही करने की कोशिश कर रहा था। शगुन ने गुड्डू को वहा खड़े देखा तो उसके पास आयी उसने गुड्डू से कुछ नहीं कहा बस उसकी कलाई पकड़ी और उसे अपने साथ लेकर चली गयी। कमरे में आकर शगुन ने गुड्डू को बिस्तर पर बैठने को कहा और खुद सामने पड़ा मेडिकल बॉक्स ले आयी और लाकर गुड्डू के सामने रख कर खुद भी उसके सामने बैठ गयी। गुड्डू ख़ामोशी से बस सब देख रहा था। शगुन ने डिब्बे से कॉटन और उसे डेटॉल में भिगोकर जैसे ही गुड्डू के जख्म पर लगाने लगी गुड्डू ने थोड़ा पीछे होकर कहा,”जे का कर रही हो ?”
“चोट लगी है आपको इधर आईये”,शगुन ने गुड्डू की कॉलर पकड़ कर उसे अपनी तरफ करके कहा तो गुड्डू ने एकदम से उठते हुए कहा,”हमने तुम्हारे पति बनने का नाटक का किया तुमहू तो सच समझ बैठी। नीचे सबके सामने जो कुछ भी था वो सिर्फ नाटक था जो गोलू के कहने पर हम कर रहे थे। हमारी कोई शादी वादी नहीं हुई है तुमसे”
शगुन का दिल टूटने के लिए इतना काफी था , गुड्डू को अभी भी कुछ याद नहीं था शगुन गुड्डू को देखते रही तो गुड्डू वापस उसके सामने बैठा और उसके हाथ से कॉटन लेकर खुद ही लगाते हुए कहने लगा,”हमे सब पता है शगुन , तुमहू किसी के साथ घर छोड़कर चली गयी थी और उस लड़के ने तुम्हे धोखा दे दिया तो तुमहू हमाये घर चली आयी। यहाँ तुम अपनी बहन की सगाई के लिए आयी और जब हम तुम्हाये साथ आये तो सबने हमे वो लड़का समझ लिया। तुम्हायी बहन की सगाई में कोई खलल ना पड़े इसलिए हमने भी गोलू के कहने पर कुछ देर के लिए जे नाटक
कर लिया”
शगुन ने जब सब सूना तो उसे बहुत बुरा लगा अब तक वह खुश थी की गुड्डू के दिल में फिर से उसे लेकर भावनाये पनपने लगी है लेकिन ये सब सिर्फ झूठ था। वह उठी और वहा से सीधा नीचे चली आयी। उसने देखा गोलू वेदी और प्रीति के साथ खड़ा किसी बात पर हंस रहा है खिलखिला रहा है। शगुन उसकी ओर आयी उसने गोलू को अपनी तरफ किया और खींचकर एक तमाचा उसके गाल पर रसीद कर दिया।
शगुन को गुस्से में देखकर प्रीति और वेदी भी सहम गयी। गोलू कुछ समझ पाता इस से पहले शगुन ने कहना शुरू किया,”समझते क्या है अपने आप को ? कुछ भी कहानी बनाकर आप किसी के भी जज्बातो से खेलेंगे। क्या जरूरत थी गुड्डू जी को झूठी कहानी सुनाने की ? जिंदगीभर भी उन्हें हमारे रिश्ते का सच पता नहीं चलता तब भी मैं खुश रहती ये सोचकर की कम से कम वो मेरी आँखों के सामने है। आपने ये ठीक नहीं किया गोलू जी मेरे भरोसे और प्यार का आपने ये सिला दिया। कितना खुश थी मैं गुड्डू जी को यहाँ देखकर लेकिन अब तकलीफ हो रही है मुझे ये जानकर की अब तक जो कुछ था वो सब एक नाटक था एक झूठ था,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा क्यों किया गोलू जी ? क्यों ?”
कहते कहते शगुन रो पड़ी प्रीति और वेदी ने उसे सम्हालना चाहा तो शगुन ने हाथ आगे करके उन्हें रोक दिया और वहा से चली गयी। गोलू को बहुत बुरा लग रहा था उसने सोचा भी नहीं था की ऐसा कुछ हो जाएगा। उसकी वजह से शगुन का दिल दुखा , उसकी आँखों में आंसू आये सोचकर गोलू अंदर ही अंदर दुःख से भरा जा रहा था।
ऊपर शगुन के कमरे में बैठा गुड्डू खुद से कहने लगा,”काहे कहा उनसे की जे सब नाटक था ? देखा कैसे एकदम से चेहरा उतर गया उनका , और जे बात तुम भी जानते थे की ये सिर्फ नाटक है लेकिन चाहते तो तुमहू भी थे की कभी खत्म ना हो , फिर काहे अपनी बात से उनका दिल दुखाया ? शगुन बहुते अच्छी लड़की है गुड्डू उनका दिल दुखाने का तुम्हे तो का दुनिया के किसी लड़के को नहीं होना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,जे का कर दिया यार हमने , हम जाकर माफ़ी मांग लेंगे उनसे वो बहुते अच्छी है माफ़ कर देगी हमे”
गुड्डू उठा बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धोया और फिर नीचे चला आया नीचे आकर देखा मिश्रा जी , मिश्राइन , गुप्ता जी और बाकि सब आ चुके है। हल्का अँधेरा हो चुका था। गुड्डू उन सबके बीच चला आया लेकिन नजरे शगुन को ढूंढ रही थी। शगुन कही नहीं थी , गोलू भी मुंह लटकाये कुछ ही दूर खड़ा था। गुड्डू शगुन के बारे में कुछ पूछ पाता इस से पहले ही अमन आया और कहा,”जीजाजी चलिए ना आपको बाहर घुमाकर लाते है”
गुड्डू ने मिश्रा जी की तरफ देखा तो उन्होंने जाने का इशारा किया। गुड्डू शगुन से नहीं मिल पाया उसे जाना पड़ा।

कुछ देर बाद गुड्डू वापस आया तो चाची ने सबको अपने साथ चलने को कहा आज उन्होंने खाने की दावत अपने घर में जो रखी थी। विनोद और अमन को तो विश्वास ही नहीं हुआ की वह बदल गयी है लेकिन चाची सच में बदल गयी थी। सभी चाची के घर जाने लगे तो गुप्ता जी ने कहा,”शगुन कहा है ?”
“दी अपने कमरे में है पापा उन्हें थोड़ा सर में दर्द हो रहा था इसलिए सो रही है”,प्रीति ने झूठ कहा
“उसने बताया क्यों नहीं मैं देखकर आता हूँ”,कहते हुए गुप्ता जी जैसे ही जाने लगे वेदी ने आगे आकर कहा,”अंकल जी भाभी अभी अभी दवा लेकर सोइ है जगायेंगे तो परेशान हो जाएगी”
“समधी जी वेदी सही कह रही है , आज दिनभर इतनी भागदौड़ की उसने थक गयी होगी उसे आराम करने दीजिये। जब उठेगी तब खा लेगी”,मिश्रा जी ने कहा तो सभी उनके साथ चल पड़े।
गुड्डू को बिल्कुल अच्छा है लग रहा था उसे बस शगुन को देखना था , उसे सॉरी कहना था लेकिन शगुन तो कही नजर ही नहीं आ रही थी। सभी चाची के घर चले आये और खाना खाने बैठे। गुड्डू , गोलू , वेदी और प्रीति किसी के भी गले से खाना नीचे नहीं उतर रहा था। गुड्डू ने मुश्किल से खाना खाया और उठकर चला गया। प्रीति खाना खाने के बाद चाची कली मदद करने चली गयी। मिश्रा जी , मिश्राइन , विनोद और गुप्ता जी बैठक में बैठकर बाते करने लगे। कितने दिनों बाद इन चारो की जिंदगी में सुकून था कुछ देर बाद चाची भी आकर इनमे शामिल हो गयी। प्रीति का फोन बजने लगा देखा रोहन का है तो वह वही किचन में खड़ी उस से बातें करने लगी। वेदी अकेले बैठी थी तो अमन को उस से बात करने का मौका मिल गया और वह उसके पास चला आया। बात कहा से शुरू करे कुछ समझ नहीं आया तो उसने वेदी से कहा,”खाना कैसा था ?”
“अरे बहुते अच्छा था , हमारे कानपूर में तो इस से थोड़ा फीका खाना बनता है लेकिन यहाँ चटपटा बनता ,,,,,,,!!”,वेदी ने आँखों में चमक भरते हुए कहा।
“तुम्हे पसंद आया चलो मेहनत काम आयी”,अमन ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“क्या जे सब तुमने बनाया ?”,वेदी ने हैरानी से पूछा
“नहीं मैंने सिर्फ सब्जिया काटी”,कहकर अमन हसने लगा तो वेदी भी हंस पड़ी। हँसते हुए वह अमन को बहुत प्यारी लग रही थी। अमन उसकी हंसी में खोकर रह गया।

गुड्डू घर में आया शगुन को ढूंढा पर शगुन नीचे किसी भी कमरे में नहीं थी। गुड्डू ऊपर चला आया लेकिन ऊपर के दो कमरों में भी शगुन नहीं थी। गुड्डू वापस जाने के लिए मुड़ा तो कमरे के पास वाली दिवार की तरफ एक परछाई दिखाई दी। गुड्डू उस तरफ चला आया जब उसने शगुन को वहा देखा तो उसकी जान में जान आयी वह शगुन के पास चला आया और उसकी बगल में आकर खड़ा हो गया। उसने देखा शगुन का चेहरा उदासी से घिरा हुआ है , रोने की वजह से आँखे लाल हो चुकी है और अभी भी नम है। शगुन सामने अस्सी घाट के दूर तक फैले पानी को देखे जा रही थी। उसकी ख़ामोशी से पता चल रहा था की उसके मन में कितना शोर था। शगुन को जब अहसास हुआ की गुड्डू वहा है तो वह वहा से जाने लगी। गुदूद ने शगुन की कलाई पकड़ कर उसे रोक लिया और कहा,”शगुन हमे तुमसे बात करनी है”
“मुझे इस वक्त आपसे कोई बात नहीं करनी है , प्लीज मेरा हाथ छोड़िये और मुझे जाने दीजिये”,शगुन ने उदास लहजे में कहा तो गुड्डू ने उसे अपनी तरफ करके कहा,”लेकिन हमे करनी है”
गुड्डू की इस जिद पर शगुन को गुस्सा आ गया और उसके दुःख का बांध टूट गया , उसकी आँखों में आँसू भर आये और वह कहने लगी,”क्यों करनी है मुझसे बात , हाँ पता है मुझे आपने जो किया वो सब नाटक था और इन सब से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,बेवकूफ तो मैं थी जो सब सच मान लिया। आप गलत नहीं है गुड्डू जी गलत मैं हूँ जिसने आपने इतनी उम्मीदे रखी। आपको लगता है ये सब करने के बाद सामने वाले को कोई फर्क नहीं पड़ता है पर सब आपकी तरह नहीं है , आप जितना कठोर मन सबके पास नहीं होता है। क्यों बात करनी है आपको मुझसे ? मत कीजिये मुझे फिर से आपकी आदत हो जाएगी और आप,,,,,,,,,,,,आप फिर से चले जायेंगे”
कहते हुए शगुन की आँखों रुके आंसू बह गए आज वह गुड्डू के सामने खुद को नहीं रोक पाई , शगुन को देखकर गुड्डू को अहसास हुआ की उसकी एक बात की वजह से शगुन को कितना दुःख पहुंचा था उसने कुछ नहीं कहा बस आगे बढ़कर शगुन को गले लगा लिया और कहने लगा,”सॉरी हम तुम्हे हर्ट करना नहीं चाहते थे,,,,,,,,,,,,,हम खुद बहुते परेशान है शगुन , कुछो समझ नहीं पा रहे है हमारे साथ का हो रहा है ? तुम्हारे साथ होते है तो बहुत बार ऐसा लगता है जैसे जे सब पहिले घट चुका है। आज जब किसी और लड़के के साथ तुमहू बात कर रही थी तो तकलीफ हो रही थी हमे ,,,,,,,,तुमसे किया वादा पहली बार निभाने का दिल किया हमारा। जे सब क्यों हो रहा है हम नहीं जानते,,,,,,,,,,,,,,,,पर जानना चाहते है”
कहते हुए गुड्डू शगुन से दूर हटा और कहने लगा,”हमे एक मौका दो शगुन हम जानना चाहते है की हम दोनों के बीच का रिश्ता है , हमे जानना है क्यों हम तुम्हे तकलीफ में नहीं देख पाते,,,,,,,,,,,,,,,,,हम तुम्हे अपने साथ कानपूर ले जाना चाहते है , हमे गलत मत समझना हमे बस तुम्हारे साथ रहकर देखना है की का सच में हमरा कोई रिश्ता है या फिर जे सब हमाये वहम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे बस एक मौका चाहिए शगुन उस के बाद तुम कहोगी तो हम तुम्हे कभी अपनी शक्ल भी नहीं दिखाएंगे”
शगुन ने नम आँखों से गुड्डू की तरफ देखा उसकी आँखों में जो बेचैनी थी वह शगुन को साफ नजर आ रही थी।

क्रमश – Manmarjiyan – S53

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संजना किरोड़ीवाल

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