Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – S29

Manmarjiyan – S29

Manmarjiyan - S29

Manmarjiyan – S29

शगुन वापस कानपूर आ चुकी थी। मिश्रा जी और मिश्राइन शगुन से बहुत प्यार करते थे और उनका प्यार शगुन को साफ दिखाई दे रहा था। देर रात शगुन बैठकर मिश्राइन से बाते करती रही और फिर दोनों सोने चली गयी। शगुन ने पहली बार गुड्डू को किस किया था और ये अहसास बार बार उसका दिल धड़का रहा था। रात भर शगुन करवटें बदलती रही लेकिन सो नहीं पाई गुड्डू का ख्याल उसे सोने ही नहीं दे रहा था। वही ऊपर अपने कमरे में गुड्डू घोड़े बेचकर सो रहा था। सुबह शगुन उठी तो मिश्राइन उसके पास आयी और एक साड़ी उसे देकर कहा,”शगुन आज तुमहू जे साड़ी पहनना”
“आज कुछ खास है क्या माजी ?”,शगुन ने साड़ी लेते हुए कहा
“आज प्रदोष व्रत है , महादेव का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। तुम्हायी और गुड्डू के जीवन में जो परेशानिया है वो महादेव ही कम कर सकते है इहलिये आज तुमको इह व्रत रखना होगा”,मिश्राइन ने कहा
“ठीक है माजी मैं रख लुंगी”,शगुन ने कहा
“ठीक है तुमहू तैयार होकर आओ हम पूजा की तैयारी करते है”,कहकर मिश्राइन वहा से चली गयी। शगुन नहाने चली गई वापस आकर उसने वो साड़ी पहनी , सिंदूर लगाकर बालो में छुपा लिया , हाथो में कंगन , गले में मंगलसूत्र पहने शगुन कमरे से बाहर चली आयी। मिश्राइन तब तक पूजा की सारी तैयारियां कर चुकी थी। आज कितने दिनों बाद मिश्राइन ने शगुन को साड़ी में देखा था वह बहुत प्यारी लग रही थी। शगुन आकर मिश्राइन के साथ पूजा के लिए बैठ गयी। मिश्राइन ने प्रदोष व्रत कथा आरम्भ की और शगुन को सुनाने लगी , शगुन बड़े ध्यान से सुन रही थी। आधे घंटे की पूजा के बाद मिश्राइन ने शगुन को पूरा दिन फलाहार रहने को कहा और अपना व्रत निभाने को कहा। पूजा सम्पन्न होने के बाद मिश्राइन ने कहा,”शगुन ये धूप ना पुरे घर में कर दो , हमहू तब तक मिश्रा जी के लिए नाश्ता बना देते है”
“ठीक है माजी”,शगुन ने धुप का बर्तन लेते हुए कहा और घर के हर कोने कमरे में जाकर आने लगी। निचे पुरे घर में धुप की खुशबु बिखरी हुई थी। शगुन सीढ़ियों से ऊपर चली आयी। ऊपर हॉल में वह धुप लेकर घूम रही थी। सामने सोनू भैया के घर में गाने चल रहे थे। शगुन बालकनी की तरफ आयी वापसी में साड़ी पौधे में लगे काँटों में उलझ गयी। गुड्डू अपने कमरे में सो रहा था लेकिन गाने की आवाज से जाग गया और आँखे मसलता हुआ कमरे से बाहर आया। जैसे ही उसकी नजर बालकनी की ओर गयी उसने देखा कोई लड़की साड़ी पहने उसकी तरफ पीठ करके खड़ी है। गुड्डू के कदम सहसा ही उसकी ओर बढ़ गए। गाने की आवाज साफ़ साफ़ गुड्डू के कानो में पड़ रही थी , किसी हिंदी फिल्म का कोई गाना चल रहा था फिर एकदम से बंद हो गया। गुड्डू शगुन के बिल्कुल पीछे खड़ा था , शगुन ने काँटों से अपनी साड़ी निकाली और धुप लेकर जैसे ही जाने के लिए पलटी अपने पीछे खड़े गुड्डू से टकराते टकराते बची। शगुन को इस रूप में देखकर गुड्डू तो बस उसे देखता ही रह गया। शगुन भी उसकी आँखों में देखने लगी। गुड्डू का दिल तेज धड़कने लगा , शगुन के हाथ में पकड़ी धुप की खुशबु दोनों के चारो ओर फ़ैल रही थी। धुप में से उठते धुएं में से गुड्डू की नजरे बस शगुन पर थी। गाने की आवाज फिर तेज हो गई
“ये लाल इश्क़,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये मलाल इश्क़,,,,,,,,,,,,,,,,ये ऐब इश्क़,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये गैर इश्क़,,,,,,,,,,!!!”
गुड्डू शगुन को पहली बार इस रूप में देख रहा था। उसकी पलके तक नहीं झपक रही थी। शगुन को होश आया तो वह गुड्डू से नजरे बचाकर वहा से जाने लगी जाते जाते शगुन की साड़ी के पल्लू की डोरी गुड्डू के ब्रासलेट में फंस गयी शगुन को लगा गुड्डू ने जान बूझकर उसे रोकने के लिए पल्लू पकड़ा है उसका दिल तेज तेज धड़कने लगा। शगुन ने बिना पलटे हुये कहा,”ये क्या कर रहे है आप ? मुझे नीचे बहुत काम है”
शगुन ने कहा तो गुड्डू ने कुछ नहीं कहा उसने देखा साड़ी का पल्लू उसके ब्रासलेट में उलझा है तो उसने अपना हाथ उठा दिया। गुड्डू की तरफ से कोई जवाब ना पाकर शगुन उसकी तरफ पलटी तो देखा गुड्डू ने उसका पल्लू नहीं पकड़ा है बल्कि उसके ब्रासलेट में फंसा हुआ है। शगुन उसकी तरफ आयी और अपना पल्लू निकालने लगी एक बार फिर शगुन गुड्डू के सामने खड़ी थी और गुड्डू एकटक उसे देखे जा रहा था। गुड्डू का इस तरह देखना शगुन को बेचैन कर रहा था। साड़ी की डोरी जब नहीं निकली तो शगुन ने उसे खींचा , खींचने से पल्लू निकल गया और शगुन चली गयी। शगुन के जाने के बाद गुड्डू की नजर अपने ब्रासलेट की तरफ गयी जिसमे शगुन की साड़ी का छोटा सा झुमका उलझा हुआ था। गुड्डू ने उसे निकाला और उसे गौर से देखते हुए कहने लगा,”तुम्हायी तरह तुम्हायी चीजे भी हमसे उलझने लगी है”
गुड्डू ने उसे अपने शर्ट की जेब में रख लिया और नीचे चला आया। निचे आकर गुड्डू ने हॉल की सीढ़ियों पर बैठते हुए कहा,”अम्मा चाय”
“पहिले मुंह तो धो लो गुड्डू दिन ब दिन तुम्हायी आदते खराब होती जा रही है”,मिश्राइन ने मिश्रा जी के लिए टेबल पर नाश्ता रखते हुए कहा
“अरे हम धोकर आये है ऊपर से , पीला दो ना यार अम्मा”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन ने शगुन की तरफ देखा शगुन ने इशारा किया की वह दे देगी चाय। शगुन ने गुड्डू के लिए चाय बनाई और लाकर उसे दे दी तो गुड्डू ने कहा,”सुनो !”
“जी”,शगुन ने पलटकर कहा
“एक ठो बात बताओ जे इतना सज धज के कहा जा रही हो तुम ?”,गुड्डू ने एकदम से सवाल किया
“कही कही नहीं , मैं कहा जाउंगी ?”,शगुन ने कहा
“का पता सजी धजी तो ऐसे हो जैसे किसी की शादी में जाना हो तुम्हे”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा
“ये साड़ी मुझे आंटी ने दी है अब उन्हें ना थोड़े कह सकती हूँ इसलिए पहन ली , आप चाय पीजिये”,कहकर शगुन वहा से चली गयी
“हमायी अम्मा भी ना किसी को भी कुछ भी दे देती है , ऐसे तो हमायी होने वाली दुल्हिन के लिए कुछो नहीं बचेगा”,गुड्डू धीरे से बड़बड़ाया और चाय पीने लगा

गोलू का घर -:
“तुमहू जे बताओ की रमाकांत की भांजी से सादी करोगे या नहीं ?”,गुप्ता जी ने गोलू को चप्पल लेकर घर में दौड़ाते हुए कहा। गोलू भागकर छ्ज्जे पर चढ़ गया और कहा,”अरे नहीं करेंगे हम उस से सादी और काहे हमायी जिंदगी में चरस बोन का सोच रहे है आप ?”
“हमे वजह बताओ काहे नहीं करनी ? तुम्हायी उम्र में आते आते लड़के बेसब्र हो जाते है सादी के लिए तुमहू हो के सादी के नाम से भाग पडते हो”,गुप्ता जी ने गोलू को घूरते हुए देखकर कहा
“अरे हमायी उम्र में लड़के ना जाने का का करते है तो हमहू भी करे ? और नहीं है हमहू बेसब्र सादी के लिए”,गोलू ने झुंझलाकर कहा
“काहे नहीं हो ? कोनो गुप्त बीमारी है तुमको ?”,गुप्ता जी ने गोलू के नजदीक जाकर धीरे से कहा
“अरे ! अरे का बोल रहे है आप ? पिताजी हमे कोई बीमारी नहीं है और इस तरह की बाते ना करो हमसे”,गोलू ने अपना सर पीटते हुए कहा
“अच्छा नीचे आओ , छज्जे पर बंदर बनकर काहे बैठे हो ? नीचे आओ”,गुप्ता जी ने थोड़ा नरमी से पेश आते हुए कहा
“हमहू नहीं आएंगे पीट देंगे आप”,गोलू ने कहा
“अबे नहीं पीटेंगे निचे तो मरो पहिले”,गुप्ता जी ने कहा तो गोलू डरते डरते नीचे चला आया फिर क्या था लगे हाथ गुप्ता जी ने पेल दिया उसे , पीटने के बाद गोलू खड़ा हुआ और कहा,”आप तो कहे थे नहीं मारेंगे”
“बेटा फ्री की शराब और कानपूर के बाप कभी भी चढ़ सकते है , अब सुनो हमायी बात नहीं करनी रमाकांत की बेटी शादी से सादी ना करो बस हमायी एक ठो बात सुन लो की इस साल हमे देखना है तुम्हाये सर पर सेहरा का समझे ?”,गुप्ता जी ने कहा
“हां तो करते है ना आपकी जे ख्वाहिश पूरी , पिंकिया के बाप से बात कर ल्यो कल ही कर लेंगे सादी”,गोलू ने कहा
“फिर तो बेटा तुम्हायी बारात और हमायी मयत ना साथ ही निकलेगी ,, का है की हमहू तो उस पंडित की लड़की को अपने घर में कबो नहीं लाने वाले”,गुप्ता जी ने कहा तो गोलू कहने लगा,”का दिक्कत है गुड्डू भैया भी तो पंडित हो के गुप्ता से सादी किये है हमहू काहे नहीं कर सकते ? अरे हम पसंद करते है पिंकिया को”
“पसंद तो तुम्हे गली के बैल भी करते है , सादी करवा दे , फेरे पड़वा दे उनके साथ ,, हम अपना डिसीजन नहीं बदलेंगे भले तुमहू घर बदल ल्यो”,गुप्ता जी ने उठते हुए कहा
“तो फिर हम भी नहीं करेंगे किसी और से सादी , पिंकिया नहीं तो कोई भी नहीं”,गोलू ने तेश में आकर कहा
“तो फिर रहो रंडवे”,कहते हुए गुप्ता जी ने बाटा की चप्पल गोलू की तरफ फेंकी जो की सीधी जाकर लगी उसके गाल पर और गाल लाल हो गया। पैर पटकते हुए गोलू वहा से चला गया। अच्छा गोलू पिंकी से शादी भी करना चाहता था और गुप्ता जी के खिलाफ भी नहीं जाना चाहता था , बेचारा गोलू अजीब दुविधा में था

पिंकी का घर -:
सुबह सुबह पिंकी ने सपने में गोलू को देखा और एकदम से उठ बैठी और कहा,”इतना बुरा सपना लगता है गोलू पर कोई मुसीबत आने वाली है , हमे उस से मिलना चाहिए उस दिन हॉस्पिटल से आने के बाद ना हम गोलू से मिले ना ही उस से बात की , एक काम करते है आज उस से मिलकर आते है”
पिंकी उठी और मुंह धोने बाहर आयी। शर्मा जी हॉल में ही बैठकर अख़बार पढ़ रहे थे। पिंकी मुंह धोने लगी तभी शर्मा जी का फोन बजा कुछ देर बाद उन्होंने सामने वाली की बात सुनी और कहा,”माफ़ कीजियेगा भाईसाहब अभी बिटिया का रिश्ता नहीं कर रहे है , क्या है की अभी उसकी पढाई भी जारी है और फिर अभी पिंकी का भी मन नहीं है”
पिंकी ने सूना तो हैरानी से अपनी मम्मी की ओर देखा लेकिन उनको भी कुछ समझ नहीं आया। जिन शर्मा जी को पिंकी की शादी की जल्दी थी वे सामने से रिश्ते वालो को इंकार कर रहे थे। शर्मा जी के फोन रखने के बाद पिंकी की मम्मी उनके पास आयी और कहा,”किसका फोन था जी ?”
“कुछ नहीं वो दिल्ली वाले भाईसाब थे पिंकी के लिए कोई रिश्ता बता रहे थे तो हमने मना कर दिया”,शर्मा जी ने कहा
“मना क्यों किया जी दिल्ली वाले भाईसाब ने बताया है तो अच्छा ही होगा देखने में क्या जाता है ?”,पिंकी की मम्मी ने शर्मा जी का मन टटोलते हुए कहा
शर्मा जी ने एक नजर पिंकी को देखा और फिर कहा,”हमे नहीं लगता इसकी अभी शादी की उम्र है , वैसे भी इकलौती बेटी है इतनी दूर नहीं भेजेंगे इस अपने ही शहर में रहे तो ज्यादा अच्छा है जब मन करेगा मिल आएंगे”
पिंकी ने सूना तो मन ही मन खुश हो गयी की चलो अब ये रोज रोज के शादी के झंझट से तो बची। पिंकी को सोच में डूबा देखकर शर्मा जी ने कहा,”पिंकी तुम्हे वो आगे की पढाई के लिए कॉलेज में फॉर्म लगाने थे ना , आज चली जाना”
“ठीक है पापा”,पिंकी ने खुश होकर कहा आज कितने दिनों बाद वह अपने पापा में पहले वाले पापा को देख रही थी। पिंकी ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में चली आयी।
कॉलेज जाने के लिए तैयार होकर पिंकी ने नाश्ता किया और फिर अपनी सहेली को फोन कर दिया। पिंकी की सहेली चली आयी तो दोनों कॉलेज जाने के लिए निकल गयी। कॉलेज का काम खत्म करते करते सुबह से दोपहर हो गयी। दोनों सहेलिया घर जाने के लिए कॉलेज से निकली तो पिंकी की सहेली ने कहा,”अरे पिंकी ! चल ना आज गोलगप्पे खाते है , कितने दिनों से खाये नहीं है”
“हम्म्म मन तो हमारा भी है चलो चलते है”,पिंकी ने कहा तो उसकी सहेली ने स्कूटी मार्किट की तरफ मोड़ दी। स्कूटी आकर बाबू गोलगप्पे वाले के पास आकर रुकी दोनों ने गोलगप्पे खाये। बाबू पिंकी को ही देख रहा था तो पिंकी ने कहा,”क्या हुआ ?”
“वो गोलू भैया मिले थे आज कह रहे थे की आपसे मिलने को कहे”,बाबू ने धीरे से कहा
“कौनसी सदी में जी रहा है तुम्हारा जे गोलू , मतलब हमे फोन भी कर सकता है ,, अगर हम नहीं आते तो कैसे बताते की उसने बुलाया है”,पिंकी ने गुस्से से कहा तो बाबू ने कहा,”अरे गोलू भैया रोज आपका इंतजार करते है , हमसे कहा जब भी पिंकी दिखे उसे बोल देना तो कह दिया”
पिंकी ने अपना सर पीट लिया
“ए पिंकी चला ना कितनी धुप है”,सहेली ने कहा
“तू चल हमे कुछ काम है हम बाद में आएंगे”,पिंकी ने कहा तो उसकी सहेली स्कूटी लेकर चली गयी। पिंकी ने देखा घडी में 3 बज रहे थे। पिंकी ने बाबू से कहा,”कहा मिलेगा गोलू ?”
“5 बजे मोती झील आएगा”,बाबू ने कहा और अपने काम में लग गया पिंकी को गुस्सा गोलू पर था लेकिन खुन्नस बाबू पर निकालते हुए कहा,”तुमने ये गोलगप्पे का ठेला क्यों लगाया है ? शादी डॉट कॉम खोल लो न”
“अरे दीदी का मजाक करती हो”,बाबू ने कहा तो पिंकी वहा से चली गयी। मोती झील आकर गोलू का इंतजार करने लगी , यहाँ से वहा घूमते हुए वह बड़बड़ा रही थी और फिर थककर झील किनारे बैठ गयी कुछ देर बाद गोलू आया और पिंकी की बगल में बैठते हुए कहा,”हमे लगा नहीं था तुम आओगी”
पिंकी गुस्से में गोलू की तरफ पलटी लेकिन चोट के निशान देखकर कहा,”जे कैसे हुआ ?”
“पिताजी ने पीट दिया आज सुबह”,गोलू ने कहा तो पिंकी ने उसका हाथ थाम लिया और चूमते हुए कहा,”हमारे लिए कितना दर्द सहना पड़ रहा है तुमको”
पिंकी का छूना गोलू के जख्मो पर मरहम जैसा था उसने माथे पर ऊँगली रखते हुए कहा,”यहा भी दर्द है”
पिंकी मुस्कुराई और गोलू का सर चूमते हुए कहा,”अब ठीक है”
“यहाँ भी हो रहा है ?”,गोलू ने ऊँगली गाल पर रखते हुए कहां तो पिंकी ने उसका गाल भी चुम लिया। गोलू ने पिंकी की आँखों में देखा और अपनी ऊँगली होंठो पर रख दी। पिंकी गोलू की आँखों में देखने लगी।

क्रमश – Manmarjiyan – S30

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संजना किरोड़ीवाल

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