Manmarjiyan – S28
मनमर्जियाँ – S28
शगुन और गोलू एक बार फिर कानपूर जाने के लिए निकल गए। नींद की वजह से शगुन की पलके भारी हो रही थी ये देखकर गोलू ने कहा,”भाभी एक काम करो आप सो जाओ थक गयी होंगी”
“नहीं गोलू जी मैं ठीक हूँ”,शगुन ने कहा
“कानपूर तो शाम तक पहुंचेंगे , गुड्डू भैया का फोन आया था अकेले मन नहीं लग रहा उनका शायद मिस कर रहे है आपको”,गोलू ने मुस्कुराते हुए कहा
“कल रात मेरे फोन पर भी उनका फोन आया था”,शगुन ने कहा
“का ? उनके फ़ोन में आपका नंबर मतलब गुड्डू भैया को कही सच तो नहीं पता चल गया की आप मिश्रा जी के दोस्त की बेटी नहीं है ,, भाभी जे रायता अलग से फ़ैल जाएगा”,गोलू ने थोड़ा परेशान होकर कहा
“अब कौनसा रायता फैला है ये तो घर जाकर ही पता चलेगा”,शगुन ने चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आये। खैर शाम 6 बजे शगुन और गोलू कानपूर पहुंचे गाड़ी शोरूम में ही छोड़कर गोलू अपनी स्कूटी पर शगुन को ले आया। मिश्रा जी के घर छोड़ा और सीधा निकल गया। शगुन अंदर आयी नजरे बस गुड्डू को ढूंढ रही थी पर गुड्डू तो था ही नहीं। वेदी ने शगुन को देखा तो दौड़कर उसके पास आयी और गले मिलते हुए कहा,”भाभी आ गयी आप , पता है हमने कितना मिस किया आपको ?”
“मैंने भी , अच्छा तुम्हारे भैया कहा है दिखाई नहीं दे रहे ?”,शगुन ने चारो और नजरे दौड़ाते हुए कहा
“भैया ऊपर है अपने कमरे में”,वेदी ने कहा
“लेकिन उनका पैर ?”,शगुन ने चिंता जताते हुए कहा
“अरे भैया का पैर अब एकदम ठीक है , केशव पंडित जी है ना उन्होंने माँ को कुछो दवा दी थी कहा की गुड्डू भैया के पैर की उस से मालिश करे आराम मिलेगा , और देखो गुड्डू भैया अब बिल्कुल ठीक है”,वेदी ने कहा
“ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई तुमने , बस अब जल्दी से वो पहले की तरह हो जाये”,शगुन ने कहा
“अब आप आ गयी हो ना आप ही सम्हालो अपने गुड्डू जी को”,वेदी ने शरारत से कहा तो शगुन ने उसके सर में धीरे से चपत लगाते हुए कहा,”कुछ भी बोलती हो , अच्छा माजी कहा है ?”
“माँ रोशनी दीदी के घर गयी हुई है हम बुलाकर लाते है आप बैठो ना”,कहकर वेदी चली गयी। शगुन को तो बस गुड्डू से मिलना था , कितने दिन हो गए थे उसने गुड्डू को देखा तक नहीं था। शगुन ऊपर छत पर चली आयी देखा गुड्डू ना कमरे में है ना ही बालकनी में , शगुन सीढिया चढ़कर ऊपर आयी देखा गुड्डू अपनी हमेशा वाली जगह पर उदास सा बैठा हुआ है शगुन दबे पांव आयी और गुड्डू की बगल में आकर दिवार पर बैठ गयी। गुड्डू अपनी सोच में इतना खोया हुआ था की उसे अहसास भी नहीं हुआ की शगुन उसके बगल में ही बैठी है। वह सामने देखते हुए कहने लगा,”ऐसे नहीं जाना चाहिए था उनको कम से कम हमे सॉरी बोलने का मौका तो देती , वेदी ने कहा था वापस आएगी वो पर हमे नहीं लगता आएगी , हमने बहुते परेशान किया है उनको फिर वापस काहे आएँगी,,,,,,,,,,, हमहू ना कुछो ज्यादा ही सोच रहे है उनके बारे में”
“तो सोचना बंद कर दीजिये”,बगल में बैठी शगुन ने कहा तो गुड्डू ने एकदम से आवाज वाली दिशा में देखा शगुन उसकी बगल में बैठी थी गुड्डू को अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हुआ था। वह एकदम से दिवार से उठा और कहा,”तुम तुम तुम तुम का सच में हिया हो ? , मतलब जे कैसे हो सकता है हमहू तुम्हाये बारे में सोच रहे थे और तुमहू एकदम से हमाये सामने आ गयी ,,, का जादूगरनी हो का ? पल में वहा पल में यहाँ ,, हमे तो अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा का तुम सच में हो का ?”
“गुड्डू जी मैं ही हूँ”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने अपना हाथ आगे बढाकर उसके हाथ को धीरे से छूकर देखा। शगुन सच में थी। शगुन को वहा देखकर गुड्डू को ख़ुशी हुई लेकिन उसने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”वापस काहे आयी हो ?”
शगुन मन ही मन मुस्कुराई जबकि गुड्डू की आँखों में उसे अपने आने की ख़ुशी साफ़ दिखाई दे रही थी। शगुन ने गुड्डू के करीब आते हुए कहा,”वही सुनने आये है जो आप कहना चाहते थे”
“हम हम का कहना चाहते थे ?”,गुड्डू ने पीछे जाते हुए कहा शगुन भी उसकी आँखों में देखते हुए उसकी तरफ बढ़ने लगी। गुड्डू का दिल धड़कने लगा , शाम का वक्त हल्का अन्धेरा हो चुका था लेकिन शगुन का चेहरा गुड्डू को साफ नजर आ रहा था। शगुन गुड्डू के करीब आते जा रही थी और बेचारा गुड्डू पीछे जाता जा रहा था , चलते चलते उसकी पीठ दिवार से जा लगी , शगुन बिल्कुल उसके सामने खड़ी थी और अब गुड्डू ना तो वहा से कही जा सकता था , ना ही शगुन की आँखों में देख सकता था इसलिए गुड्डू शगुन से नजरे चुराने लगा। शगुन को गुड्डू इस वक्त बहुत क्यूट लग रहा था। उसका शर्माना ही शगुन को पसंद था। गुड्डू को चुप देखकर शगुन ने कहा,”तो क्या कहने वाले थे आप मुझसे ?”
“हम हम तो कुछ नहीं कह रहे थे”,गुड्डू के माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी
“उस रात जो हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,शगुन अपनी बात पूरी करती उस से पहले ही गुड्डू बोल पड़ा,”वो हमने जान बुझकर नहीं किया गलती से हो गया और उसके बाद से हमहु तुमसे सॉरी बोलना चाह रहे थे लेकिन तुमहू चली गयी , कितना गिल्टी फील हो रहा था हमे,,,,,,,,,,,,,सच में गंगा मैया की कसम हमहू जान बूझकर नहीं किये थे”
गुड्डू एक साँस में सब बोल गया शगुन बस उसके मासूम चेहरे को देखते रही और ना जाने उसे क्या सूझी के वह खुद को रोक नहीं पायी और गुड्डू के गाल पर एकदम से किस कर दिया। गुड्डू को एकदम से करंट जैसा महसूस हुआ , उसकी धड़कने सामान्य से तेज हो गयी और आवाज गले में ही अटक गयी , शगुन थोड़ा सा पीछे हटी और धीरे से कहा,”आपने जान बुझकर नहीं किया मुझे पता है लेकिन मैंने जान बुझकर किया है,,,,,,,,,,,,,,हिसाब बराबर”
कहकर शगुन वहा से चली गयी गुड्डू वही खड़ा रह गया। उसने अपना हाथ अपने गाल पर लगाया और कहा,”बवाल चीज है बे जे लड़की , दूर रहना होगा इनसे”
उसी वक्त सोनू भैया छत पर आये और गुड्डू को देखकर कहा,”का गुड्डू मिश्रा जे अपना हाथ अपने गाल पर काहे सटाये हुए हो ?”
सोनू भैया की आवाज गुड्डू के कानो में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी और उसने जल्दी से अपना हाथ गाल से हटाते हुए कहा,”कुछो नहीं एक मच्छर ने काट लिया”
“अब यार तुमहू हो ही इतने चिकने की मच्छर भी फिसल गए तुम पे”,सोनू भैया ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा।
“अगर जे जोक था ना तो बहुते बुरा जोक था सोनू भैया”,गुड्डू ने कहा
“अरे यार गुड्डू नाराज काहे हो रहे हो मजाक कर रहे है बाबू , अच्छा जे प्लास्टर कब खुलेगा ?”,सोनू भैया ने बात बदलते हुए कहा
“दो-तीन हफ्ते बाद खुल जाएगा , हमहू तो परेशान हो गए है जे पिलास्तर से”,गुड्डू ने कहा
“पिलास्तर नहीं प्लास्टर होता है गुड्डू”,सोनू ने कहा
“हां तो तुमहू मस्टर नहीं हो अंग्रेजी के हमाये , हम नीचे जा रहे है”,कहकर गुड्डू चला गया
“जे साला गुड्डू भी जबसे यादास्त गयी है बौराया हुआ है”,कहकर सोनू भैया भी चले गए। गुड्डू निचे आया मिश्रा जी आ चुके थे। आज रात का खाना मिश्राइन ने ही बनाया और शगुन को आराम करने को कहा। गुड्डू जब खाना खाने आया तो शगुन से उसकी नजरे मिली और दिल धड़कने लगा। शगुन गुड्डू को देखे जा रही थी , गुड्डू ने जैसे ही शगुन की तरफ देखा शगुन ने अपनी भँवे उचकाई तो गुड्डू का हाथ ऑटोमैटिक अपने उस गाल पर चला गया जिसे कुछ देर पहले शगुन ने चूमा था। गुड्डू को ऐसा करते देखकर शगुन मन ही मन मुस्कुराने लगी और फिर वहा से चली गयी ताकि गुड्डू आराम से खाना खा सके। खाना खाने के बाद गुड्डू हॉल में चला आया पैर मे हल्का हल्का दर्द था। मिश्राइन आयी और उसके सामने पड़े मुढ्ढे पर बैठते हुए कहा,”मना किये थे ना गुड्डू ज्यादा नहीं चलना है देखो हो गया ना फिर से पैर में दर्द , लाओ हम दवा लगा देते है”
मिश्राइन ने जैसे ही गुड्डू के पैर में दवा लगाना शुरू किया मिश्रा जी ने आवाज दी। मिश्राइन ने देखा शगुन उधर से गुजर रही है तो कहा,”अरे शगुन जरा हिया आना बिटिया”
“जी”,शगुन ने कहा
“जे दवा ना गुड्डू के पैर में लगा दो हम जाकर आते है”,मिश्राइन ने दवा शगुन को देते हुए कहा
“ठीक है”,शगुन ने कहा और गुड्डू के सामने आकर बैठ गयी ,जैसे ही शगुन ने दवा लगानी चाही गुड्डू ने अपना पैर पीछे कर लिया और कहा,”अरे जे का कर रही हो ? तुमहू हमाये पैर को हाथ काहे लगाय रही हो ?”
“आंटी ने ही कहा है दवा लगाने को”,शगुन ने कहा
“अरे अम्मा तो ऐसे ही ,लड़कियों को ना ऐसे मर्दो के पैर नहीं छूने चाहिए”,गुड्डू ने कहा
“वो सब बनावटी बातें है लाईये अपना पैर दीजिये”,कहते हुए शगुन ने गुड्डू के पैर का अंगूठा पकड़ा और पैर आगे करके उस पर दवा लगाने लगी। शगुन को अपनी इतनी परवाह करते देखकर गुड्डू को थोड़ा अजीब लग रहा था। गुड्डू की नजर में उसके और शगुन के बीच कोई रिश्ता नहीं था और शगुन का ऐसे करीब आना गुड्डू के मन में उलझन पैदा कर रहा था। दवा लगाने के बाद शगुन उठी और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”सुनो”
“जी”,शगुन ने गुड्डू के सामने आकर कहा
“तुम्हे ना हमाये इतने करीब नहीं आना चाहिए”,गुड्डू ने शगुन से नजरे बचाते हुए कहा
“और वो क्यों ?”,शगुन ने शरारत से पूछा
“समझ जाओ यार मतलब हम लड़के है तुमहू लड़की हो कुछो ऊंच नीच हुई तो पिताजी जुतिया देंगे हमे ,, हमायी किस्मत तो पहिले से ख़राब है हमाये साथ रहकर तुम्हायी भी हो जाएगी ,, इसलिए हमसे ना थोड़ा डिस्टेंस में रहो”,गुड्डू ने इस बार भी बिना शगुन की तरफ देखे कहा
“मैंने जो किया उस से आपको बुरा लगा ?”,शगुन ने गुड्डू का मन टटोलते हुए कहा
“कोनसे लौंडे को बुरा लगेगा अगर एक लड़की उसे ऐसे किस करेगी तो”,गुड्डू अपने आप में बड़बड़ाया
“आपको बुरा लगा ?”,शगुन ने अपना सवाल फिर दोहराया तो गुड्डू उसकी ओर पलटा और कहा,”बुरा नहीं लगा पर तुमहू थोड़ा मर्यादा में रहोगी तो अच्छा रहेगा”
“अच्छा एक बात बताईये आपकी कोई सबसे पसंदीदा चीज गुम हो जाये या थोड़ी देर के लिए आपके सामने से गायब हो जाये , आपको मिले नहीं और फिर एकदम अचानक से मिले तो आपको कैसा लगेगा ?”,शगुन ने अटपटा सा सवाल किया
“अरे बहुते ख़ुशी होगी हम तो चुम लेंगे उसे”,गुड्डू ने एक्साइटेड होकर कहा
“वही तो मैंने किया”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखते हुए शांत लहजे में कहा। गुड्डू ने सूना तो एक बार फिर उसका दिल धड़कने लगा और उसने उठते हुए कहा,”हमे लगता है हमे ना अब यहाँ से जाना चाहिए”
शगुन ने कुछ नहीं कहा वह बस ख़ामोशी से गुड्डू को देख रही थी। गुड्डू उठा और वहा से चलकर धीरे धीरे सीढ़ियों से ऊपर चला गया। एक तो वह पहले से ही उलझन में था और अब शगुन की बातो ने उसे और उलझन में डाल दिया !
गुड्डू ऊपर अपने कमरे में चला आया। शगुन की बाते और व्यवहार आज उसे थोड़ा बदला बदला सा लग रहा था। गुड्डू शगुन में भले दोस्ती हो चुकी थी लेकिन शगुन के करीब जाने पर गुड्डू को घबराहट होने लगती थी। अपने कमरे में आकर गुड्डू शीशे के सामने आकर खड़ा हो गया और खुद से कहने लगा,”ऐसा का देख लिया हमाये इस चेहरे में उन्होंने जो सीधा किस,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब ऐसी तो नहीं है वो कही उस रात हमायी अनजाने में हुई हरकत को गलत तो ना ले लिया उन्होंने,,,,,,,,,,,,,,जे सब क्लियर करना होगा गुड्डू ,, पर पहिले साला इह पिलास्तर खुले तो चैन आये। इसके चक्कर में ना ढंग सो पा रहे है ना कुछो और,,,,,,,,,,,और जे गोलू पता नहीं कहा मरा पड़ा है ऐसे दिनभर हमारा पीछा नहीं छोड़ते थे और अब देखो शक्ल ही नहीं दिखाते,,,,,,,,,,,,,,,कुछ तो बदला है गुड्डू जे सब लोग बदले बदले काहे नजर आ रहे है , पिताजी भी ऐसे नहीं थे पर अब गुस्सा नहीं करते शांत रहते है। हमाये इस एक्सीडेंट से शायद डर गए हो,,,,,,,,,,,,,हमहू भी ना का का सोच रहे है बस जल्दी से जे पिलास्तर खुले और हम पहले वाले गुड्डू बन जाये , तबही सुकून से सो पाएंगे हम”
“गुड्डू अकेले में किस से बात कर रहे हो ?”,मिश्राइन दूध के साथ गुड्डू के कमरे में आती है
“अरे अम्मा तुम हो आओ ना कुछ नहीं बस ऐसे ही देखो ना कैसे सकल बदल गयी है हमायी”,गुड्डू ने शीशे के सामने से हटकर बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“शक्ल बदले चाहे तुमहू बदलो तुम्हायी अम्मा तो तुम्हे उतना ही प्यार करने वाली है , ल्यो दूध पीओ”,मिश्राइन ने ग्लास गुड्डू की ओर बढाकर कहा। गुड्डू ने दूध पीया और मुंह पोछते हुए कहा,”पता है अम्मा कभी कभी ना हमे लगता है जैसे हमहू से ना कुछो छूट गया है , एक अजीब सा डर रहता है मन में जैसे कुछो खो दिया हो हमने और कभी कभी तो लगता है जैसे हम पहले भी जे सब देख चुके है जी चुके है,,,,,,,,,,,,,,,,,,जे सब का हो रहा है हमहू समझ नहीं पा रहे”
“कहो तो तुम्हायी शादी करवा दे , उसके बाद सब ठीक हो जायेगा”,मिश्राइन ने कहा
“का यार अम्मा , मतलब हर समस्या का हल का सादी ही होता है , तुम्हारा बस चले ना तो कल ही मण्डप में बैठा दो हमे”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“मजाक कर रहे है बेटा”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू ने अपना सर उनकी गोद में रख लिया और कहने लगा,”एक ठो बात पूछे आपसे”
“हां पूछो”,मिश्राइन ने गुड्डू का सर सहलाते हुए कहा
“पिताजी में ऐसा का पसंद आया की उनसे सादी कर ली आपने”,गुड्डू ने सवाल किया
“तुम्हाये पिताजी ना उस बख्त बहुत बातूनी और हिम्मतवाले थे। उनका दिल बहुत बड़ा था , अभी भी है बस अब थोड़ा कम बोलते है। पर जब हमायी उनसे शादी हुई तब जे घर नहीं था एक छोटा सा घर था मिश्रा जी ने खूब मेहनत की काम किया और जे घर बनाया , शोरूम बनाया”,मिश्राइन ने कहा
“मतलब पिताजी की खूबसूरती नहीं देखी ?”,गुड्डू ने पूछा
“बेटा खूबसूरती देखकर सिर्फ आकर्षण होता है पियार नहीं , तुम्हाये पिताजी से प्यार हमे उनके गुणों के कारण हुआ। उनका स्वाभाव , उनका रहन सहन , उनकी बातें हमाये मन को भा गयी और हमे उनसे प्रेम हो गया। उसके बाद तुम आये वेदी आयी हमायी जिंदगी में खुशिया आ गयी। खूबसूरती का और प्रेम का न कोई कनेक्शन नहीं है जिस से प्रेम होता है वही खूबसूरत लगने लगता है”,मिश्राइन ने कहा
“फिर हमसे किसी को प्रेम कैसे होगा हमायी शक्ल देखकर या हमाये गुणों से ?”,गुड्डू ने भावनाओ में बहते हुए कहा
“तुम्हाये लिए महादेव ने भेज दी है और देखना जब उह तुम्हे मिलेगी , जब उसका प्रेम तुम्हे नजर आएगा न तो तुमहू खुद उसके पीछे दौड़े दौड़े जाओगे”,मिश्राइन ने कहा और गुड्डू का सर सहलाती रही। माँ की गोद का असर था की गुड्डू की आँख लग गयी और वह सो गया। उसे सोया देखकर मिश्राइन ने कहा,”तुमसे प्रेम करने वाली लड़की तुम्हाये जीवन में आ चुकी है गुड्डू , उह तुमसे इतना प्रेम करती है की तुम्हायी जिंदगी बचाने के लिए उसने अपने प्रेम का त्याग कर दिया , अपनी भावनाओ को मन के किसी कोने में दबा लिया। अब तो महादेव से बस एक ही विनती है की उह तुम्हाये मन में उसके लिए फिर से प्रेम जगाये , फिर से तुम दोनों के करीब लाये और फिर से तुम्हे एक दूसरे का कर दे। सो गया लगता है पगला”
मिश्राइन ने गुड्डू को सुलाया और चददर ओढ़ाकर कमरे की लाइट बंद कर के हल्की लाइट जला दी। मिश्राइन निचे चली आयी। निचे आयी तो देखा शगुन अकेली सीढ़ियों पर बैठी थी। उसे अकेले बैठा देखकर मिश्राइन आयी और उसके बगल में बैठते हुए कहा,”का बात है शगुन हिया काहे बैठी हो बिटिया सोना नहीं है ?”
“नींद नहीं आ रही है माजी , हमेशा उनके कमरे में सोने की आदत है लेकिन आज वो अपने कमरे में वापस चले गये”,शगुन ने कहा
“अभी गुड्डू के कमरे से ही आ रहे है उसे सुलाकर , तुम्हायी भावनाये समझ सकते है बिटिया। शादी के बाद भी तुमहू कभी शादी शुदा नहीं जीवन नहीं जी। पहले गुड्डू की वजह से और अब जे हादसे की वजह से,,,,,,,,,,,,,पर एक ठो बात बताये बिटिया हमाये गुड्डू के मन में भी ना तुम ही हो , भले उसे अहसास ना हो पर जब तुमहू नहीं थी तब उदास उदास घूमता था दिनभर , तुम हमाये गुड्डू की जिंदगी में प्रेम बनकर आयी हो बिटिया तुमसे जियादा प्यार हमाये गुड्डू को कोई नहीं कर सकता , तुमहू हमाये गुड्डू के लिए जो की हो उह आज बख्त में कोई नहीं करता है बिटिया”,कहते कहते मिश्राइन थोड़ा भावुक हो गयी
शगुन ने देखा तो उनका हाथ अपने हाथो में ले लिया और कहने लगी,”माजी गुड्डू जी हमारे पति है हमने उनके लिए जो भी किया है वो हमारा पत्नीधर्म है। कुछ सालो के लिए मुझे उनका प्यार ना भी मिले तो ना सही पर आपके रूप में एक माँ का प्यार मुझे हमेशा मिला है। मैंने बचपन में ही अपनी माँ को खो दिया था पर गुड्डू जी से शादी के बाद मुझे वो वापस मिल गयी आपके रूप मे , रही बात गुड्डू जी की तो उनकी ख़ुशी के लिए मैं जिंदगीभर ऐसे रहने के लिए तैयार हूँ और इस बात का मुझे कभी अफ़सोस नहीं होगा”
शगुन की बातें सुनकर मिश्राइन की आँखे डबडबा गयी उन्होंने शगुन को सीने से लगाते हुए कहा,”तुम हमायी बहू नहीं कोई पिछले जन्म की बिटिया रही होंगी ,, तुमहू हमाये घर की लक्ष्मी हो बिटिया और तुम्हायी ख़ुशी के लिए हम गुड्डू के मन में तुम्हाये लिए प्रेम फिर से जगायेंगे और जे हमारा वादा है तुमसे”
मिश्राइन के सीने से लगी शगुन को इस वक्त माँ का ममत्व मिल रहा था उसकी आँख से एक आंसू निकलकर गाल पर लुढ़क आया।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S29
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संजना किरोड़ीवाल