Manmarjiyan – S10
मनमर्जियाँ – S10
जो सफर प्यार से शुरू हुआ था अब उलझनों पर आकर रुक गया था। हर तरफ मुसीबतें , झूठ , परेशानियाँ , बंदिशे और टूटे दिल ही थे। सबकी जिंदगी उथल पुथल हो चुकी थी और कई ऐसे सवाल थे जिनका कोई जवाब नहीं था। शगुन कानपूर आ चुकी थी , गुड्डू और गोलू की बकैती की वजह से शगुन भी बुरी फंस चुकी थी। अपने कमरे में बैठी शगुन गुड्डू की तस्वीर देख रही थी तभी मिश्राइन वहा चली आयी। शगुन को ध्यान नहीं रहा मिश्राइन आकर उसके बगल में बैठी और कहा,”गुड्डू के बारे में सोच रही हो बिटिया ?”
“माजी आप कब आयी ?”,शगुन ने गुड्डू की तस्वीर को साइड में रखकर उठते हुए कहा। मिश्राइन ने शगुन का हाथ पकड़ा और उसे बैठाते हुए कहा,”बैठो हमे तुमसे कुछो बात करनी है”
“जी माजी”,शगुन ने मन ही मन डरते हुए कहा ना जाने अब कौनसा कांड सामने आया हो। मिश्राइन ने शगुन का हाथ पकड़ा और कहने लगी,”बिटिया जब हमहू पहली बार तुम्हायी तस्वीर देखे रहे हमने तुम्हे उसी पल पसंद कर लिया था हमाये गुड्डू के लिए , और जब तुमसे मिले तो हमे हमारे फैसले पर यकीन हो गया। तुम्हायी गुड्डू से शादी हुयी तुमहू इह घर मा आयी , गुड्डू की इतनी गलतियों और कमियों के बाद भी तुमहू उसको अपना ली , उसको सुधार दिया,,,,,,,,,,गुड्डू के साथ रहते रहते तुमहू भी उसी के रंग में रंग गयी”
शगुन की मिश्राइन की बातें कुछ समझ नहीं आयी तो उसने पलकें उठाकर मिश्राइन की और देखा। मिश्राइन ने एक नजर शगुन को देखा और आगे कहने लगी,”गोलू और गुड्डू तो बकलोल है जब देखो तब कोई ना कोई कहानी बनाते रहते है पर तुमहू भी उनके साथ मिलकर नयी कहानी बनाय के हमे सूना दी”
“मैं कुछ समझी नही”,शगुन ने कहा
“तुम्हाये गर्भवती होने की खबर झूठ है”,मिश्राइन ने सहजता से कहा
मिश्राइन ने जैसे ही ये बात कही शगुन के चेहरे का रंग उड़ गया , मिश्राइन से क्या कहे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था शगुन को खामोश देखकर मिश्राइन कहने लगी,”सोच रही होंगी की हमे जे बात कैसे चली ? तुम्हाये बनारस जाने के बाद लाजो इस कमरे की सफाई कर रही थी तब उसे तुम्हाये टेस्ट की कुछो रिपोर्ट्स मिली , जब रिपोर्ट वेदी को दिखाई तो उसने बताया की तुम गर्भवती नहीं हो , जे बात काहे छुपाई हमसे बिटिया ?”
“मुझे माफ़ कर दीजिये माफ़ी ये सब एक गतफहमी की वजह से शुरु हुआ”,शगुन ने हिम्मत करके कहा
“कैसी ग़लतफ़हमी ?”,मिश्राइन ने पूछा
“उस दिन सुबह मेरे उलटी होने की वजह रात में खाया खाना था लेकिन लाजो ने आपसे कहा की मैं पेट से हूँ और अापने मान लिया। मैंने आपको सच बताने की कोशिश भी लेकिन उस वक्त किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। गुड्डू जी को भी उस वक्त सच्चाई का पता नहीं था और उन्होंने पापा जी के समाने हामी भर दी। गुड्डू जी मैं उसी दिन आप सबको सच बताना चाहते थे लेकिन पापाजी को इतना खुश देखकर गोलू जी और गुड्डू जी ने मना कर दिया और उसके बाद ये झूठ चलता रहा”,शगुन ने पलके झुकाकर सारा सच कह दिया।
मिश्राइन ने सूना तो उन्हें बहुत दुःख हुआ लेकिन उन्हें पता था कही न कही इसमें उनकी भी गलती है उन्होंने उस दिन शगुन को अपनी बात कहने का मौका ही नहीं दिया था। मिश्राइन ने शगुन की और देखा और कहने लगी,”बिटिया मिश्रा जी को तो अभी भी जे सच ही लगता है , तुम्हाये साथ साथ इस झूठ में हम सबकी गलती है”
“नहीं माजी,,,,,,,,,,!”,शगुन ने कहना चाहा तो मिश्राइन ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा,”नहीं बिटिया तुमने अकेले नहीं किया बल्कि तुम्हाये साथ साथ उह दो नालायको का भी हाथ है इसमें , गुड्डू को तो इस बख्त हमहू कुछो नहीं कह सकते लेकिन उह गोलूवा को हम छोड़ेंगे नहीं”
“गोलू जी की इसमें कोई गलती नहीं है माजी”,शगुन ने कहा
“वो तो अच्छा है की बाहर किसी को नहीं पता है इस बारे में , वरना का जवाब देते हम,,,,,,,,,,,,,,,,और तुमहू सुनो बिटिया इस बारे मे किसी से कोई बात नहीं करनी है जितना जल्दी हो सकेगा हम मिश्रा जी को सच बता देंगे”,मिश्राइन ने कहा।
“लेकिन एक परेशानी है माजी,,,,,,,,,,,,,,,,!”,शगुन ने फिर डरते डरते कहा
“का ?”,मिश्राइन ने पूछा
“आज सुबह ही पापाजी ने मेरे पापा को बता दिया की मैं माँ बनने वाली हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने धीरे से कहा
“अई दादा जे मिश्रा जी भी ना,,,,,,,,,,,,,,,,इतनी भी का जल्दी थी इनको , अब का करेंगे ?”,मिश्राइन ने कहा
दोनों सास बहू बैठकर इस बारे में सोच ही रही थी की तभी गोलू वहा चला आया और सीधा अंदर आते हुए कहा,”भाभी आपकी एक ठो परेशानी हमने सॉल्व कर दी , जे देखो फर्जी रिपोर्ट और हमने ये मिश्रा जी को दिखाकर उनसे कहा है की उस दिन एक्सीडेंट की वजह से आपका मिसकैरेज हो गवा,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी हमे जे सब नहीं कहना चाहिए था पर का करे और कोई रास्ता नहीं था ना हमाये पास”
शगुन ने सूना तो मन गोलू की इस बेवकूफी पर सर पीट लिया , गोलू ने ध्यान ही नहीं दिया की पीछे बिस्तर पर मिश्राइन भी बैठी है। गोलू की बात सुनकर मिश्राइन ने कहा,”शाबाश गोलू शाबाश,,,,!!
मिश्राइन की आवाज सुनकर गोलू हैरानी से शगुन को देखने लगा शगुन ने पीछे देखने का इशारा किया तो मिश्राइन को वहा देखकर गोलू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। आवाज जैसे उसके गले में अटक गयी मुश्किल से उसने थूक गटकते हुए कहा,”चाची तुमहू हिया ?”
“हमारा घर है गोलू हम का तुम्हायी परमिशन लेंगे कही भी जाने की , जे रायता तुमहू गुडडुआ के साथ मिलकर फैलाये हो ना उह अब समेटने में नहीं आ रहा है , ऊपर से मिश्रा जी को फर्जी रिपोर्ट दिखाकर तुमहू नंगी तलवार अपनी गर्दन अपर लटकाय लिए हो गोलू”,मिश्राइन ने कहा
गोलू ने सूना तो एक बार फिर शगुन की और देखा तो उसने कहा,”माजी को सच पता चल गया है गोलू जी”
गोलू पहले तो अंदर ही अंदर डर गया फिर थोड़ी हिम्मत करके मिश्राइन के पास आया और कहा,”अरे चाची का बताये सिचुएशन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“सटाक,,,,,,,,,,!!”,एक थप्पड़ आकर गोलू के गाल पर लगा और मिश्राइन ने कहा,”तुम्हायी वजह से हमायी सीधी साधी बहू भी तुम्हारे चक्कर में आकर झूठ बोलने लगी है , तुमने और गुड्डू ने मिलके हमाये साथ साथ शगुन की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया है”
“हमहू का किये यार , साला कुछो अच्छा करने जाओ तब भी हम ही पेले जाते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और मिश्रा जी कम है जो अब आप भी हमहि पर बरस रही है”,गोलू ने कहा
“गोलू जी शांत हो जाईये वो माजी ने परेशानी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप बुरा मत मानियेगा”,शगुन ने गोलू से माफ़ी मांगते हुए कहा
“कान खोल कर सुन लो गोलू जे रायता तुम्ही फैलाये हो अब तुम्ही स्मेटोगे ,, चरस बो रखी है सबने मिलके हमायी जिंदगी में?”,कहते हुए मिश्राइन वहा से चली गयी। बेचारा गोलू जब देखो तब किसी ना किसी से पीट जाता था।
“सॉरी गोलू जी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने गोलू के पास आकर कहा
“अरे भाभी आप काहे सॉरी बोल रही है गुस्सा तो हमे गुड्डू भैया पर आ रहा है एक बार उह ठीक हो जाये साला इतना मारेंगे ना हम उनको”,गोलू ने झल्लाते हुए कहा तो शगुन उसके सामने आयी और कहने लगी,”गलती तो हम सब से हुई है ना गोलू जी , उस दिन अगर हमने ये बात नहीं छुपाई होती तो इतना सब नहीं होता , खैर ये समस्या तो हल हुई अब धीरे धीरे सब सही कर लेंगे”
“तब तक ना जाने कितने थप्पड़ और खाने होंगे हमे”,गोलू ने अपना गाल सहलाते हुए कहा
शगुन के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए वह बाहर चली गयी। गोलू भी पीछे पीछे चला आया। शाम का हल्का अन्धेरा था गोलू नीचे आया तो देखा वेदी प्लेट में पकोड़े लेकर आयी है , गोलू ने देखा तो तुरंत उसकी और चला आया और एक उठाते हुए कहा,”अरे वाह जे किस ख़ुशी में वेदी ?”
“ऐसी ही दादी का मन था तो उनके लिए बनाये है”,वेदी ने प्लेट साइड करते हुए कहा
“अरे दादी के दाँत नहीं है इधर दो वैसे भी थप्पड़ खाकर आये है भूख लगी है”,कहते हुए गोलू ने प्लेट के सारे पकोड़े लिए और वहा से चला गया।
शर्मा जी ने पिंकी का घर से निकलना बंद करवा दिया। सुबह से वह अपने कमरे में थी वह गोलू से मिलना चाहती थी , उस से बात करना चाहती थी लेकिन कुछ वक्त बाद शर्मा जी ने उस से उसका फोन भी छीन लिया। शाम ने पिंकी ने सूना की उसके पापा ने शुक्ला जी (मिश्रा जी का रिश्तेदार) के लड़के से उसका रिश्ता पक्का कर दिया है और जल्दी ही उसकी शादी कर देंगे। पिंकी ने जैसे ही सूना उसका दिल बैठ गया , पहली बार किसी से उसे सच्चा प्यार हुआ था और उसे ही वह कह नहीं पा रही थी , उस पर उसके पापा उसके साथ इतनी सख्ती बरत रहे थे। पिंकी परेशान सी कमरे में यहाँ से वहा घूम रही थी। जब कुछ समझ नहीं आया तो बिस्तर पर गिरकर रो पड़ी
रात में शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ पिंकी के कमरे में आये। पिंकी की लाल आँखे और उतरा हुआ चेहरा देखा तो समझ गए। अपने पापा को देखते ही पिंकी ने पास पड़ा दुपट्टा लिया और गले में डालकर बिस्तर पर बैठ गयी। शर्मा जी कुछ दूरी बनाकर बैठ गए और कहने लगे,”बहुत नाजो से पाला है हमने तुम्हे , तुम हमारी इकलौती बेटी हो तुम्हारे बाद दूसरा बच्चा नहीं किया हमने क्योकि उसमे तुम्हारी माँ की जान को खतरा होता। तबसे लेकर आज तक तुम्हे अपने बेटे की तरह रखा , कभी किसी चीज के लिए ना नहीं कहा तुम्हे लेकिन इसका मतलब ये नहीं था पिंकी की तुम अपने बाप की इज्जत को ऐसे उछालो , हमने शुक्ला जी के लड़के की शादी तुमसे फिक्स की है तुम भी सब भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो। गोलू तुम्हारे लायक नहीं है ये बात तुम जितनी जल्दी मान लो उतनी जल्दी ठीक है , तुम्हारी हां तो हम कल ही उन्हें बुला लेता है और अगर ना है तब भी हम उन्हें बुलाएँगे। तुम्हारे पास वक्त है अच्छे से सोच विचार करो और अपना फैसला बदल लो। दरवाजा खुला है बाहर आकर खाना खा लो।”
कहकर शर्मा जी वहा से चले गए। पिंकी ख़ामोशी से सब सुनती रही उसने एक शब्द अपने पापा से नहीं कहा क्योकि वह जानती थी शर्मा जी बहुत जिद्दी किस्म के इंसान है , वो गोलू का रिश्ता पिंकी से कभी नहीं करेंगे। पिंकी की आँखों से आंसू बहने लगे , वह उठी और अपने कमरे का दरवाजा बंद करके वापस बिस्तर पर आकर बैठ गयी। दिमाग कह रहा था शर्मा जी सही है लेकिन दिल कह रहा था गोलू सही है , एक तरफ परिवार की इज्जत तो दूसरी तरफ गोलू का प्यार था , पिंकी काफी देर तक इसी कश्मकश में उलझी रही और आखिर में दिल जीत गया। प्यार अँधा होता है ये पिंकी के मामले में सही साबित हुआ। पिंकी उठी बाथरूम में आकर मुंह धोया और बाहर चली आयी। अपनी अलमीरा खोली और उसमे से अपने पैसे और कुछ जरुरी सामान लेकर एक छोटे बैग में डाल दिया। एक बहुत बड़े फैसले के साथ पिंकी बिस्तर पर आ बैठी और रात गहराने का इंतजार करने लगी। रात 10 बजे जब सब सो गए पिंकी अपना बैग लेकर दबे पाँव घर से निकल गयी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करना है ? कहा जाना है ? वह बस चले जा रही थी ,सड़क किनारे आकर उसने ऑटोवाले को सिटी हॉस्पिटल चलने को कहा क्योकि गोलू उसे वही मिलने वाला था।
गुड्डू के घर से निकलकर गोलू पहले अपने घर आया वहा खाना खाया और उसके बाद हॉस्पिटल चला आया। मिश्राजी हॉस्पिटल ही थे गोलू के आने से वे गोलू के साथ डॉक्टर के पास चले गए और गुड्डू के बारे में बात करने लगे। एक घंटे की बात-चीत के बाद डॉक्टर ने गुड्डू को अगले दिन डिस्चार्ज करने की बात कही तो गोलू ने चैन की साँस ली और मिश्रा जी का चेहरा ख़ुशी से खिल गया। गुड्डू की हालत में अब सुधार था लेकिन उसे अभी भी बीते कुछ महीनो की बातें याद नहीं थी। गोलू और मिश्रा जी डॉक्टर के चेंबर से बाहर चले आये। चलते चलते मिश्रा जी ने कहा,”इतने दिनों बाद कुछो ढंग का सुनने को मिला गोलू अब गुड्डू घर आ जाएगा।”
“हां चचा आप भी इतने दिन से यहाँ रह रहकर परेशान हो गए है”,गोलू ने कहा
“परेशान तो हम शगुन के बारे में सोचकर हो रहे है गोलू , उस बच्ची की जिंदगी में कितनी सारी तकलीफे लिख दी महादेव ने , अभी शादी का सुख देखा भी नहीं था की गुड्डू को उस से दूर कर दिया और तो और उसका बच्चा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मिश्रा जी रुक गए
“चिंता ना करो चचा गुड्डू भैया ठीक हो जाये उसके बाद लाइन लग जाएगी बच्चो की”,गोलू ने बिना सोचे समझे कहा
“अबे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बकलोल के बकलोल ही रहोगे तुम गोलू बड़ो के सामने कैसे बात करते है कुछो ज्ञान नहीं है तुमको , अब चलो”,कहते हुए मिश्रा जी गोलू के साथ गुड्डू के पास चले आये। गुड्डू बिस्तर पर बैठा ऊँघ रहा था। मिश्रा जी और गोलू अंदर आये मिश्रा जी ने गुड्डू से पूछा,”कैसे हो बेटा ?’
“हमहू ठीक है बस हमारा बिल्कुल मन नहीं लग रहा है हिया”,गुड्डू ने कहा
“कल घर चलेंगे”,मिश्रा जी ने कहा
“का सच में ? सच कहे तो हम यही दुआ कर रहे थे की जल्दी से घर जाने को मिले हमे , तो कल हम पक्का घर जा रहे है ना पिताजी ?”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“हाँ पक्का तुमहू आराम करो हम बाहर है”,मिश्रा जी ने कहा और वहा से चले गए। गुड्डू ख़ुशी ख़ुशी बिस्तर पर लेट गया , गोलू कुछ देर उसके साथ रुका और फिर पिंकी की याद आने पर उसे फोन करने बाहर चला गया। पिंकी का फोन बंद आ रहा था , गोलू ने फोन वापस जेब में डाला आज कई दिनों बाद गोलू की सिगरेट पीने की इच्छा हुई वह हॉस्पिटल के पीछे वाले गेट के पास लगी गुमठी के पास आया और सिगरेट खरीद कर वही पीने लगा।
हॉस्पिटल के मेन गेट के पास आकर रिक्शा रुका पिंकी ने उसे पैसे दिए और अपना बैग लेकर हॉस्पिटल चली आयी उसने बैग रिसेप्शन पर रख दिया और गुड्डू के बारे में पूछकर उस और चली गयी। पिंकी जानती थी गोलू इस वक्त गुड्डू के पास ही मिलेगा। पिंकी की किस्मत अच्छी थी की उस वक्त मिश्रा जी बाथरूम गए हुए थे। पिंकी ने रूम का दरवाजा खोला और अंदर आयी , गुड्डू ने जैसे ही पिंकी को वहा देखा उठकर बैठ गया। उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ की पिंकी वहा खड़ी थी। गोलू वहा नहीं था गुड्डू को देखकर पिंकी ने कहा,”कैसे हो गुड्डू ?”
“अब ठीक है”,गुड्डू ने प्यार से पिंकी को देखते हुए कहा
पिंकी को समझ नहीं आ रहा था की वह गुड्डू से क्या बात करे क्योकि वह तो गोलू के लिए यहाँ आयी थी। पिंकी को दरवाजे पर खड़े देख गुड्डू ने कहा,”वहा काहे खड़ी हो अंदर आओ ना”
पिंकी अंदर चली आयी गुड्डू बिस्तर से उतरा और पिंकी की और आने की कोशिश की , पहले से काफी कमजोर हो चुका था। पिंकी की और आते हुए गुड्डू जैसे ही लड़खड़ाया पिंकी ने सम्हालते हुए कहा,”गुड्डू ध्यान से”
गुड्डू पिंकी के सामने आ खड़ा हुआ , उसकी आँखों में एक चमक थी और चेहरे पर ख़ुशी , पिंकी कुछ समझ पाती इस से पहले गोलू वहा आ पहुंचा लेकिन गुड्डू पिंकी को साथ देखकर दरवाजे पर ही रुक गया। गुड्डू ने पिंकी को गले लगाते हुए कहा,”हमे पता था तुम जरूर आओगी”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S11
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संजना किरोड़ीवाल