Manmarjiyan – S9
मनमर्जियाँ – S9
गोलू शगुन को लेने बनारस आया था लेकिन यहाँ आकर उसके सामने एक नयी समस्या आ खड़ी हुई। शगुन की झूठी प्रेग्नेंसी की खबर मिश्रा जी ने गुप्ता जी को दे दी। गोलू और शगुन को जब पता चला तो दोनों एक दूसरे की और देख रहे थे। खैर गोलू का तो जन्म ही इसलिए हुआ था की नयी नयी मुसीबतो में पड़ा रहे। उसे खोया हुआ देखकर गुप्ता जी ने कहा,”गोलू जी हमे लगता है आपको निकलना चाहिए”
“हां हां अंकल हम भी यही कह रहे थे की हमे अब निकलना चाहिए”,गोलू ने गुप्ता जी के पैर छूते हुए कहा
गोलू ने शगुन को गाड़ी में बैठने का इशारा किया और एक नजर प्रीति की और देखा लेकिन आज प्रीति को देखकर ना गोलू का दिल धड़का ना ही कोई भावना जागी , क्योकि उसके दिल के तार तो पहले ही पिंकी से जुड़ चुके थे। प्रीति और गुप्ता जी को नमस्ते कहकर गोलू गाड़ी में आ बैठा गाड़ी स्टार्ट की वहा से निकल गया। प्रीति जाती हुई गाड़ी को देखकर मन ही मन सब ठीक हो जाने की दुआ कर रही थी। गुप्ता जी और प्रीति अंदर चले आये।
कुछ देर बाद पारस वहा आया , घर में आकर उसने देखा शगुन नहीं है तो उसने प्रीति से पूछ लिया,”शगुन कही दिखाई नहीं दे रही ?”
“अरे पारस भैया शगुन दीदी तो अभी अभी कानपूर के लिए निकल गयी आप थोड़ा सा लेट हो गए”,प्रीति ने कहा
“कानपूर ? लेकिन उसे तो वहा जाने से मना किया था”,पारस ने कहा
“बेटा शगुन माँ बनने वाली है ऐसे में उसके ससुराल वाले चाहते थे की वह उन्ही के साथ रहे , दामाद जी भी वही है शगुन वहा रहेगी तो उनका ख्याल रख पायेगी”,गुप्ता जी ने आकर कहा
पारस ने जैसे ही सूना ना जाने क्यों उसके दिल में एक चुभन सी महसूस हुई , शगुन माँ बनने वाली है ये बात शगुन ने उसे क्यों नहीं बताई ? पारस ने अपने मन का हाल चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”ये तो बहुत अच्छी खबर है अंकल”
“हाँ बेटा इसलिए फिर हम लोगो ने उसे जाने से नहीं रोका , यहाँ रहेगी तो दामाद जी के बारे में सोचकर परेशान रहेगी और इसका असर उसके बच्चे पर पडेगा”,गुप्ता जी ने कहा
“आपने सही किया अंकल , मैं शगुन से मिलने ही आया था पर अब जब जा चुकी है तो मैं चलता हूँ”,पारस ने कहा
“क्यों सर ? आप मुझसे और पापा से मिलने नहीं आ सकते , सिर्फ शगुन दी आपकी दोस्त है ?”,प्रीति ने नाराजगी जताते हुए कहा
“अरे नहीं प्रीति ऐसी बात नहीं है , घर पर दीदी आयी हुई है और फिर अगले महीने से कॉलेज भी वापस खुलने वाले है तो डाटा चेक करने होंगे”,पारस ने प्यार से कहा
“फिर भी बेटा टाइम मिले तो आते रहना”,गुप्ता जी ने कहा
“जी अंकल अभी मैं चलता हूँ , अपना ख्याल रखियेगा और कभी भी जरूरत हो तो फोन कर दीजियेगा मैं आ जाऊंगा”,पारस ने कहा और प्रीति गुप्ता जी को बाय बोलकर चला गया।
शगुन को लेकर पारस के मन में जो भावनाये थी , शगुन की प्रेग्नेंसी की खबर सुनकर पारस ने उन भावनाओ को अपने मन के कोने में बंद कर ताला मार दिया और मन ही मन शगुन के अच्छे भविष्य की दुआ करने लगा।
गोलू और शगुन बनारस बाहर आ गए दोनों शांत , बात कहा से शुरू करे दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। गोलू मन ही मन खुद से कहने लगा,”मिश्रा जी ने भाभी के प्रेग्मेंट होने की बात पुब्लिक करके सही नहीं किया , मतलब इतना सब उलझा पड़ा है और इनको बधाईया बाटने की जल्दी पड़ी है
जब मिश्रा जी को पता चलेगा की जे सब झूठ है तो हमारे और गुड्डू भैया के साथ साथ वो शगुन भाभी को भी गलत समझ लेंगे , कही ऐसा ना हो वो भाभी को घर से ही निकाल दे , नहीं नहीं हमहू ऐसा नहीं होने देंगे पर हम कर भी का सकते है , एक मुसीबत से निकलते नहीं के दूसरी में जा गिरते है। जे प्रेग्नेंसी वाली बात बहुते बड़ा बवाल हो जाएगी अपने आप में , गुड्डू भैया को कुछो याद नहीं है , मिश्रा जी सच जान के भाभी को घर से निकाल देंगे , ससुराल वालो से आहत भाभी कही गलत कदम ना उठा लिए,,,,,,,,,,,,,ऐसा कुछो हुआ तो साला हम तो खुद को कभी माफ़ ही ना कर पाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछो सोचो गोलू मिश्रा इह
सब रायता फैला है इसे समेटो”
गोलू ने एकदम से गाड़ी रोक दी और दरवाजा खोलकर बाहर निकल आया। सुनसान सड़क गोलू ने बाहर आकर एक गहरी लम्बी साँस ली और फिर जितना तेज चिल्ला सकता था चिल्लाया- आहहहहहहहह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
शगुन ने सूना तो हैरानी से गाड़ी से बाहर आकर गोलू की तरफ आयी और कहा,”गोलू जी क्या हुआ आप ठीक तो है ना ?”
गोलू वही नीचे सड़क पर आलथी पालथी मरकर बैठ गया , बांये हाथ की कोहनी अपने घुटने पर टिकाई और माथा हथेली से लगा लिया , शक्ल पर 12 बजे थे
बेचारी शगुन कुछ समझ पाती इस से पहले ही गोलू मिमियाते हुए कहने लगा,”हमायी तो कुछो समझ में नहीं आ रहा है भाभी , एक तरफ भैया है दूसरी तरफ आप है , उस पर हमाये पिताजी हमायी शादी के पीछे पड़े है और बचे मिश्रा जी तो उह अलग से हमायी जिंदगी में चरस बो रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे का जरूरत थी आपके पिताजी को बताने की आप गर्भवती है ,, एक तो ऐसे ही हमसे जे रायता समेटा नहीं जा रहा उस पर मिश्रा जी उसमे बूंदी पर बूंदी मिलाये जा रहे है,,,,,,,,,,,,,,अब तो ऐसा दिल कर रहा गुड्डू भैया के साथ साथ हमायी भी यादास्त चली जाती तो अच्छा होता”
“कैसी बाते कर रहे है आप गोलू जी और वैसे भी जो झूठ गुड्डू जी ने और हमने पापाजी से कहा है वो एक ना एक दिन तो सबके सामने आना ही था , आप परेशान मत होईये प्लीज हम मिलकर कोई ना कोई हल निकाल लेंगे”,शगुन ने गुड्डू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“हल का पता नहीं हमायी रैली जरूर निकलेगी कानपूर में अगर मिश्रा जी को पता चला जे सब कांडो में हमारा भी हाथ है”,गोलू ने लगभग रोते हुए कहा
“गोलू जी शांत हो जाईये अब तक आप अकेले सब सम्हाल रहे थे अब मैं हूँ ना आपके साथ हम मिलकर कोई ना कोई हल निकाल ही लेंगे , आप ऐसे निराश मत होईये आपको मुझ पर भरोसा है न ?”,शगुन ने गोलू के हाथो को थामते हुए कहा
“अब तो आप ही पर बचा है जल्दी से जे सब सही हो जाये बस”,गोलू ने कहा
“चलिए उठिये”,शगुन ने कहा तो गोलू उठ खड़ा हुआ और गाड़ी के पास चला आया , शगुन ने गाड़ी में रखी पानी की बोतल उठायी और गोलू को पीने के लिए दिया। गोलू ने पानी पीया और बचे हुए पानी से मुंह धो लिया लेकिन मुंह पोछने के लिए कुछ नहीं था तो शगुन ने अपनी साड़ी का पल्लू आगे कर दिया।
“अरे नहीं भाभी , आपकी साड़ी खराब हो जाएगी”,गोलू ने कहा
“भाभी मानते है ना आप हमे और भाभी माँ जैसी होती है , पोछ लीजिये”,शगुन ने बड़े ही प्यार से कहा
गोलू ने सूना तो उसका दिल भर आया और उसने कहा,”आप कितनी अच्छी है भाभी बहुते दुःख हो रहा है आज हमे आपको इस हाल में देखकर , पर आप चिंता ना करो हम आपको और गुड्डू भैया को जरूर मिलाएंगे भले हमे कुछ भी करना पड़े”
“फ़िलहाल तो मुंह पोछिए और कानपूर चलिए मुझे उनसे मिलना है”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा
“हां भाभी चलते है आपके आने से हमायी आधी परेशानी तो ऐसे ही खत्म हो जाएँगी”,कहते हुए गोलू ड्राइवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी स्टार्ट की। शगुन भी बगल में आकर बैठ गयी और दोनों चल पड़े कानपूर !
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
सुबह पिंकी उठी और तैयार होकर जैसे ही जाने लगी घर के हॉल में बैठे शर्मा जी ने कहा,”कहा जा रही हो ?”
“मंदिर”,पिंकी ने कहा
“कही जाने की जरूरत नहीं है चुपचाप घर में बैठो”,शर्मा जी ने गुस्से से कहा
“लेकिन मंदिर ही तो जा रही हूँ”,पिंकी ने कहा
“हमने कहा ना कही नहीं जाना है , आज से तुम घर में रहकर घर का काम सिखोगी , बहुत कर ली पढाई और बहुत देख लिया मंदिर अब से तुम बिना मेरी इजाजत के बाहर नहीं जाओगी समझी तुम ?”,शर्मा जी ने कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने उन्हें समझाना चाहा
“हमने कहा ना अंदर जाओ”,शर्मा जी ने गुस्से से कहा तो पिंकी अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया। उसी वक्त शर्मा जी ने अपने निजी पंडित जी को फोन किया और उन्हें पिंकी के लिए कोई अच्छा लड़का देखने की बात कही।
अपने कमरे में आकर पिंकी गुस्से से अपना दुपट्टा उतार कर बिस्तर पर फेंका और कमरे में टहलते हुए बड़बड़ाने लगी,”पापा समझते क्या है खुद को ऐसे हमारा बाहर जाना कैसे बंद करवा सकते है वो ? आज से पहले तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था , हमे बाहर जाना है हमे गोलू से मिलना है यार हमे बताना है उसे की हम उस से कितना प्यार करते है”
पिंकी की किस्मत भी बड़ी अजीब थी जब पहले वह लड़को से दोस्ती रखती थी तब उसके पापा को खबर नहीं थी पर जबसे गोलू के साथ उसकी नजदीकियां बढ़ने लगी है तबसे शर्मा जी गुस्से में है , वजह ये है ना पहले पिंकी सिर्फ टाइम पास करती थी इसलिए किस लड़के से कहा मिलना है ? कितना हद में रहना है उसे पता था इसलिए कभी वह लोगो की और शर्मा जी की नजरो में नहीं आयी लेकिन गोलू से नजदीकियां बढ़ने के बाद पिंकी सबके सामने गोलू से बात करती दिखाई पड़ती , कभी उसके साथ उसकी स्कूटी पर तो कभी उसकी दुकान के सामने ,, और यही वजह थी की शर्मा जी पिंकी से बहुत नाराज थे। पिंकी बिस्तर पर आ बैठी और गोलू को फोन लगाया लेकिन उसका फोन आउट ऑफ़ रीच आ रहा था।
“एक तो ये गोलू भी ना जब हमे उसकी जरूरत होती है गायब रहता है”,पिंकी ने झुंझलाकर फोन साइड में रखते हुए कहा
दोपहर में गोलू ने गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने रोकी और कहा,”भाभी चलो कुछो खा लेते है , भूख लगी होगी आपको भी”
“गोलू जी आप खा लीजिये मेरा मन नहीं है”,शगुन ने कहा
“आप नहीं खायेगी तो हम भी खाएंगे , चलते है फिर कानपूर”,गोलू ने कहा तो शगुन को लगा की उसकी वजह से कही गोलू भूखा न मर जाये इसलिए कहा,”अच्छा चलिए”
गोलू मुस्कुराया और फिर शगुन के साथ रेस्टोरेंट में चला आया , रेस्टोरेंट के बाहर खुले में भी टेबल्स लगी थी गोलू और शगुन वही आकर बैठ गए। कुछ देर बाद गोलू ने कहा,”भाभी आप बैठो हम आर्डर देकर आते है”
“हम्म्म ठीक है”,शगुन ने कहा तो गोलू वहा से चला गया , उसने अपने और शगुन के लिए दो प्लेट खाने का आर्डर दिया और वापस चला आया। शगुन को सोच में डूबा देखकर गोलू ने कहा,”भैया के बारे में सोच रही है आप ?’
“नहीं गोलू जी मैं सोच रही हूँ की ऐसा क्या करू जिस से मैं गुड्डू जी के साथ उसी घर में रह सकू”,शगुन ने कहा
“वही तो हम भी सोच रहे है , क्योकि उस घर में आप रहेंगी लेकिन गुड्डू भैया के साथ नहीं अलग और उस पर उनसे कहेंगे क्या की आप कौन है ? और तो और वो आपको उस दिन हॉस्पिटल में भी देख चुके है”,गोलू ने कहा
“हाँ गोलू जी झूठ तो उनसे कह नहीं सकते और सच बताना सही नहीं रहेगा , खैर महादेव है ना वो सब सही करेंगे”,शगुन ने कहा
लड़का दोनों के लिए खाना ले आया और रखकर चला गया। शगुन चुपचाप खाना खाने लगी गोलू शगुन की और देखते हुए सोचने लगा,”भाभी को पिंकिया के बारे में बताये या नहीं ? बताया तो पता नहीं कैसा रिएक्ट करेंगी ,, अभी रहने देते है बाद में जब परेशानिया थोड़ी खत्म होगी तब बता देंगे”
“गोलू जी खाइये ना किस सोच में डूबे है आप ?”,शगुन ने गोलू को खोया हुआ देखकर पूछा
“कही नहीं भाभी खाते है”,कहकर गोलू भी खाना खाने लगा और फिर दोनों वहा से वापस कानपूर के लिए रवाना हो गए , अभी 3 घंटे का सफर और तय करना था। गोलू ख़ामोशी से गाडी चला रहा था और शगुन सीट से सर लगाए खिड़की से बाहर देखते जा रही थी। जब गुड्डू के साथ बनारस आयी थी तब कितना अच्छा था सब , गुड्डू का उसे चिढ़ाना , उस पर गुस्सा होना , उस से बहस करना शगुन को सब एक एक करके याद आ रहा था। इन यादों से बचने के लिए शगुन ने अपनी आँखे बंद कर ली। गोलू ने गाड़ी की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
शाम के 5 बजे गोलू शगुन को लेकर कानपूर पहुंचा , हॉस्पिटल ना ले जाकर गोलू उसे घर ले आया। शगुन को वहा देखकर मिश्राइन खुश हो गयी , वेदी तो शगुन से गले आ लगी और कहा,”अच्छा हुआ आप आ गए भाभी”
शगुन ने वेदी का सर सहलाया और मिश्राइन के पैर छूकर कहा,”
मुझे माफ़ कर दीजिये माजी मैं उनका ध्यान नहीं रख सकी”
“धत पगली कैसी बातें करती हो ? जो कुछ भी हुआ है एक हादसा है उसमे तुम्हायी और गुड्डू की का गलती , तुम दोनों ठीक हो हमाये लिए जे ही काफी है”,मिश्राइन ने प्यार से शगुन का गाल छूकर कहा। अपनी सास में इस वक्त शगुन को अपनी माँ की छवि दिखाई दे रही थी। वह खुश थी की उसे इतना प्यार करने वाले सास ससुर मिले है। वेदी शगुन को लेकर अंदर चली आयी गोलू ने गाड़ी की चाबी मिश्राइन को दी और वहा से चला गया। अंदर आकर शगुन अम्मा से मिली तो अम्मा ने शगुन को देखकर आँखों में आंसू लाते हुए कहा,”जे सब का हो गवा बिटिया ? गुड्डू और तुम्हायी सादी-सुदा जिंदगी की किसकी नजर लग गयी”
“मैं ठीक हूँ अम्मा और गुड्डू भी जल्दी ही ठीक हो जायेंगे आप परेशान मत होईये”,शगुन ने उनके दोनों हाथो को थामकर कहा
“हमहू किती बार कहे आनंद से की हमे एक बार हमाये गुड्डू की सूरत दिखाय दो पर कोई हमायी बात सुनय नहीं रहा घर मा”,अम्मा ने रोते हुए कहा
“बिटिया तुमहू तो जानती हो अम्मा की तबियत खराब रहती है ऐसे में गुड्डू को उस हालत में देखकर कही ज्यादा परेशान ना हो जाये सोचकर हम ही मना किये रहय”,मिश्राइन ने कहा
शगुन ने प्यार से उनके हाथो को सहलाते हुए कहा,”अम्मा गुड्डू जी बिल्कुल ठीक है जल्दी ही वे घर आ जायेंगे तब आप उनसे मिलना”
“तुमहू आ गयी हो बिटिया हम ठीक है बस हमे हमाये गुड्डू से मिलवा दो एक ठो बार फिर हम चैन से मर जाई”,अम्मा ने कहा
“नहीं अम्मा ऐसा नहीं कहते , अच्छा चलिए मैं आपको अपने हाथो से बनी अच्छी सी चाय पिलाती हूँ”,कहते हुए शगुन उठी और कमरे से बाहर चली आयी। गुड्डू के लिए दादी का प्यार देखकर शगुन के मन को बहुत अच्छा लगा , सब गुड्डू को चाहते थे , पसंद करते थे , उस से बहुत प्यार करते थे और ये सब देखकर शगुन बहुत खुश थी। उसने अम्मा के साथ साथ सबके लिए चय बनाई और सबको पिलाकर ऊपर अपने कमरे में चली आयी। जब शगुन ने कमरे के दरवाजे खोले तो पाया कमरा कई दिनों से बंद था। शगुन ने कमरे की लाइट जलाई , कमरा साफ सुथरा जमा हुआ था शायद लाजो ने ये सब किया हो सोचकर शगुन एक एक करके कमरे की हर चीज को छूकर देखने लगी , वही खूबसूरत अहसास जो हमेशा गुड्डू की मौजूदगी पर होता था। शगुन ने ड्रेसिंग के पास रखी गुड्डू की तस्वीर को उठाया और अपनी साड़ी के पल्लू से साफ करते हुए कहने लगी,”सब आपसे बहुत प्यार करते है गुड्डू जी , आपके बिना ये घर , ये कमरा सब अधूरा लगता है। आपका होना मेरी जिंदगी में क्या है ये आपसे दूर रहकर जाना मैंने , आपको बहुत मिस करती हूँ प्लीज वापस आ जाईये , मैं कभी आपको परेशान नहीं करुँगी , आपको जितने कपडे रखने है रखिये , आपको जो खाना हो खाइये मैं आपको बिल्कुल नहीं रोकूंगी , बस वापस आ जाईये आपकी शगुन को आपकी जरूरत है”
ये सब कहते हुए शगुन के मन में गुड्डू के लिए असीम प्यार उमड़ रहा था , इतना की अगर गुड्डू इस वक्त पास होता तो वह शायद उसके सीने से आ लगती।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S10
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संजना किरोड़ीवाल