Manmarjiyan – 96
मनमर्जियाँ – 96
वेदी की जिंदगी में प्यार की दस्तक हो चुकी थी और दीपक ने बातो बातो में ये जता भी दिया की वह उसे पसंद करता है। वंदना के घर से निकलकर वेदी सीधा अपने घर चली आयी। उसके आने के कुछ देर बाद ही गुड्डू वहा आया उसके हाथ में दो बैग थे जिनमे शायद कपडे थे आज कितने दिनों बाद उसने अपने लिए कुछ खरीदा था। उसने वेदी को बुलाया और बैग से नयी जींस और शर्ट वेदी को दिखाते हुए कहा,”जे कैसा है ?”
“जे पेंट तो ठीक है पर जे लाल शर्ट काहे लेकर आये हो ?”,वेदी ने लाल रंग के उस शर्ट को देखते हुए कहा
“लाल ना प्यार का रंग होता है”,गुड्डू ने कहा
“मतलब ?”,वेदी ने सवाल किया
” मतलब कुछो नहीं हमे अच्छा लगा तो हमहू खरीद लिए , लाओ इधर दो”,कहकर गुड्डू ने पेंट शर्ट को वापस बैग में डाला और ऊपर चला आया। जब भी गुड्डू कोई नया कपड़ा खरीदता था उसे तुरंत पहन लेता था पर यह लाल वाला शर्ट उसने सहेज कर रख दिया और खुद से ही कहने लगा,”जे ना हम बनारस जायेंगे तब पहनेंगे , थोड़ा इम्प्रेशन पडेगा हमारा शगुन पर,,,,,,,,,,,,,,,पर साला जे वक्त ना बहुते धीरे धीरे कट रहा है।”
शगुन के जाने के बाद से ही गुड्डू अपने कमरे में बहुत कम आता जाता था उसके बिना ये कमरा उसे सुना सूना लगता था। गुड्डू कुछ देर कमरे में रुका और फिर नीचे चला आया आज दुकान से भी वह जल्दी चला आया था। गुड्डू हॉल में आकर टीवी देखने लगा और कुछ देर बाद उसे वही नींद आ गयी। शाम को संध्या आरती के समय मिश्राइन की नजर गुड्डू पर पड़ी तो उसने मन ही मन कहा,”लगता है शगुन के बिना मन नहीं लगता है इसका तभी यहाँ सोया है”
मिश्राइन ने गुड्डू को नहीं जगाया और वहा से चली गयी।
गोलू अपने घरवालो से बहुत नाराज था इसलिए सुबह से घर नहीं गया। शाम को भूख लगी तो दुकान बंद करके बाबू गोलगप्पे वाले के पास चला आया और कहा,”बाबू दुई प्लेट लगाओ और फूल मिर्चा के साथ”
“काहे गोलू भैया का हो गया ऐसा , ज्यादा मिर्ची खाओगे तो तकलीफ हो जाएगी तुम्हो”,बाबू ने प्लेट लगाते हुए कहा
“जियादा चौधरी ना बनो बाबू जितना बोला है उतना करो”,गोलू ने बाबू को घूरते हुए कहा तो उसने गोलू ने एक प्लेट फूल मिर्ची से लबालब प्लेट लगा कर गोलू को थमा दी , गोलू ने एक खाया तेज मिर्च की वजह से सिसकारी निकलने लगी लेकिन उसने दुसरा भी उठाया और खा लिया। बाबू ने एक नजर उसे देखा और फिर अपने काम में लग गया। दो तीन पीस खाने के बाद गोलू की आँखों से आंसू बहने लगे और नाक लाल हो गयी। गोलू ने जैसे ही चौथा पीस उठाया सामने खड़ी पिंकी ने उसके हाथ से छीनकर प्लेट समेत उसे डस्टबिन में फेंक दिया और कहा,”पागल हो गये हो का गोलू जे सब खाकर पेट खराब हो जायेगा तुम्हारा”
गोलू ने कुछ नहीं कहा जेब से पैसे निकाले और रखकर वहा से चुपचाप आगे बढ़ गया। पिंकी को गोलू की इस हरकत पर गुस्सा आया तो वह भी उसके पीछे पीछे चली आयी लेकिन गोलू तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। पिंकी का गुस्सा ये देखकर बढ़ गया वह भागते हुए गोलू के सामने आयी और उसे रुकने का इशारा किया। गोलू उसके सामने रुक गया तो पिंकी ने खींचकर एक थप्पड़ उसे मारा और कहा,”का तमाशा लगा रखा है गोलू हम तब से तुम्हे आवाज दे रहे है तुम हो के चले जा रहे हो”
थप्पड़ पड़ते ही गोलू बच्चो की तरह रो पड़ा , पिंकी ने देखा तो कहा,”अरे चुप हो जाओ , ज्यादा जोर से लगी क्या ? अच्छा ठीक है सॉरी माफ़ कर दो , पर आज तुम्हे हुआ क्या है देवदास बने क्यों घूम रहे हो ?”
पिंकी ने पूछा तो गोलू और फुट फुट कर रोने लगा। पिंकी उसका हाथ पकड़कर सड़क के साइड में मिनी पार्क में लगी बेंच की और लेकर आयी और कहा,”बैठो”
गोलू वहा बैठ गया और सुबकने लगा। पिंकी भी उसकी बगल में बैठ गयी और कहा,”रोना बंद करो और जे बाताओ हुआ का है ?”
गोलू ने भीगी आँखों के साथ पिंकी की और देखा और फिर नीचे देखने लगा , उसकी ख़ामोशी ना जाने क्यों पिंकी को खल रही थी उसने अपना हाथ प्यार से गोलू के हाथ पर रखा और कहा,”गोलू बताओ ना क्या हुआ ?”
पिंकी के हाथ का स्पर्श पाकर गोलू पिघल गया और कहने लगा,”हमाये पिताजी हमायी शादी करना चाहते है , ऐसी लड़की से जिसे हम ना जानते है ना पहचानते है ऊपर से वो इतनी भारी है की हम तो दब के मर जायेंगे उसके नीचे,,,,,,,,,,,,,,,,तुमहू बताओ इह कहा का इंसाफ है”
पिंकी ने देखा रोते रोते गोलू की नाक बहने लगी है तो उसने अपना रूमाल गोलू को दे दिया। अब गोलू तो ठहरा गोलू उसने रुमाल लिया और पहले आँखे पोची फिर नाक की सारी गंदगी उस रुमाल पर निकालते हुए कहा,”हम धोकर वापस दे देंगे”
उस गंदे रुमाल को देखकर पिंकी ने कहा,”नहीं इट्स ओके”
गोलू फिर सुबकने लगा तो पिंकी ने कहा,”पर तुम्हे अपने पिताजी को साफ साफ कहना चाहिए की तुम्हे अभी शादी नहीं करनी , क्या पता आगे चलकर उस से अच्छी लड़की तुम्हे मिल जाये”
“हमाये पिताजी ना सलमान खान के फैन है”,गोलू ने कहा
“मतलब ?”,पिंकी को कुछ समझ नहीं आया
“मतलब जे की एक बार उन्होंने कमिटमेंट कर दी फिर वो किसी के बाप की नहीं सुनते , हमायी जिंदगी में चरस बो देंगे उह पिंकिया”,गोलू ने कहा और फिर रो पड़ा लेकिन इस बार नाक पोछने के लिए उसके पास पिंकी का रुमाल भी नहीं था। गोलू ने आसभरी नजरो से पिंकी की और देखा तो उसने अपने दुप्पटे का कोना गोलू को पकड़ा दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकी जिसने एक बार गुड्डू का चश्मा अपने दुप्पटे से पोछने पर उसे कितना सूना दिया था आज गोलू की नाक पोछने के लिए बिना किसी आनाकानी के उसे अपना दुपट्टा दे दी , गोलू ने अपना नाक और मुंह साफ किया और कहा,”हमे तो कुछो समझ नहीं आ रहा है पिंकिया गुड्डू भैया भी हमायी कोई मदद नहीं किये , शादी मुबारक है बोलकर चले गए अब बताओ हमारी उम्र है का शादी करने की अभी तो हमे तुमसे,,,,,,,,,,,,,,,,!!” कहते कहते गोलू रुक गया
“हमसे का ?”,पिंकी ने गोलू को घूरते हुए पूछा
“हमारा ,मतलब तुमसे पूछ रहे है तुम बताओ हमारी उम्र है का शादी की ?”,गोलू ने कहा
“नहीं शादी की उम्र तो नहीं है तुम्हारी गोलू लेकिन तुम चाहो तो मैं तुम्हे एक आईडीआ दे सकती हूँ”,पिंकी ने कुछ सोचते हुए कहा
“बताओ”,गोलू ने आसभरे स्वर में कहा
“तुम लड़की को ना बोलो इस से अच्छा है कुछ ऐसा करो की लड़की खुद ही ना बोल दे”,पिंकी ने कहा
“जे सेम आईडीआ तुमहू गुड्डू भैया की दी थी का हुआ बन गयी ना शगुन हमायी भाभी”,गोलू ने बिफरते हुए कहा
“अच्छा ठीक है एक आइडिआ और है”,पिंकी ने मुंह बनाते हुए कहा
“हम्म्म बोलो”,गोलू ने कहा
“किसी लड़की को अपने घरवालों से मिलवादो और कहो की तुम उस से प्यार करते हो , उसके बाद का ही कर लेंगे तुम्हाये पिताजी”,पिंकी ने मजाक में गोलू के कंधे पर मारते हुए कहा। गोलू ने उसे घुरा और कहा,”का कर लेंगे ? नीम की संटी से मार मार के तशरीफ़ लाल कर देंगे हमायी और उस लड़की की कुटाई अलग से जिसको लेकर जायेंगे”
“अच्छा तो फिर कोई आइडिआ दू”,पिंकी ने जैसे ही कहा गोलू ने अपने हाथ कोहनी तक जोड़ते हुए कहा,”बस करो देवी तुमहू हमे बचाने के नहीं मरवाने के आइडिआ दे रही हो , हमही कुछो जुगाड़ करेंगे पर उस लड़की से सादी हम नहीं करेंगे”
“हम्म्म्म सब ठीक हो जाएगा गोलू”,पिंकी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो गोलू के मन में एक गुदगुदी सी होने लगी। अभी वह उस प्रेजेंस को ठीक से फील भी नहीं कर पाया था की तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर पिताजी का नाम देखकर गोलू ने झट से फोन उठाया और कहा,”हेलो , जी जी पिताजी”
“घर आओगे की हम ही बारात लेकर पहुंचे ?”,गोलू के पिताजी ने कहा
“बस बस आ ही रहे है पिताजी”,गोलू ने कहा और फोन काट दिया
“हम चलते है पिंकिया तुमहू अपना ख्याल रखना”,कहते हुए गोलू उठा और वहा से चला गया। गोलू के ये आखरी शब्द अपना ख्याल रखना सीधा जाकर पिंकी के दिल पर लगे। आज से पहले गुड्डू ने भी उसे कभी ये नहीं कहा था पर आज पहली बात गोलू ने ये बात कही। पिंकी उठी और घर जाने के लिए पैदल ही चल पड़ी , शाम का वक्त था और मौसम भी खुशनुमा था , चलते हुए पिंकी की आँखो के सामने गोलू के साथ बिताये वो सारे पल एक एक करके पिंकी की आँखों के सामने आने लगे , गोलू का उस से बात बात पर झगड़ना , उसे छेड़ना , अपने सीने से लगाकर चुप कराना , पिंकी का हाथ थामकर उसे रोकना , गोलू का उसे थप्पड़ मारना और फिर उसे किस करना। चलते चलते पिंकी के होंठो पर मुस्कान तैर गयी। वह धीमे कदमो से सड़क पर चले जा रही थी की बारिश की हल्की बुँदे गिरने लगी पर पिंकी ने खुद को भीगने से बचाने की कोशिश नहीं की बल्कि वह वैसे ही बारिश में भीगते हुए चलती रही,,,,,,,,,,,,इन बारिश की बूंदो में भीगना उसे एक अलग ही सुकून दे रहा था। चलते चलते वह रुकी और अपनी आँखे बंद करके दोनों हाथ हवा में फैलाते हुए चेहरा आसमान की और उठा दिया बारिश की बुँदे उसके चेहरे पर गिर रही थी।
गुड्डू भीगते भागते घर चला आया गनीमत था की गुप्ता जी से उसे मार नहीं पड़ी ना ही कुछ सुनने को मिला क्योकि उस वक्त वे किसी और ही बात पर पडोसी से उलझे हुए थे और गोलू नजरे बचाकर अंदर चला गया। बारिश के थपेड़ो की आवाज सुनकर गुड्डू उठा और ऊपर चला आया , शगुन के बिना उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था उदासी से चेहरा घिरा हुआ था। गुड्डू हमेशा की तरह घर की ऊपरी छत पर चला आया और दरवाजे पर ही खड़ा हो गया क्योकि बारिश हो रही थी , बारिश की कुछ बुँदे आकर गुड्डू पर गिरी तो उसने आँखे मूँद ली और बारिश में चला आया उसने अपने दोनों हाथो को बालो में से घुमाते हुए चेहरा आसमान की और उठा दिया और हाथ हवा में फैला दिया ,, आज उसे शगुन की बहुत याद आ रही थी ,,बारिश के पानी में कब उसकी आँखों के आंसू भी घुल गए उसे पता ही नहीं चला। गुड्डू ने अपनी आँखे खोली , एक दर्द उसे अपने सीने में महसूस हो रहा था उसने अपने निचले होंठ को दबा लिया और एक बार फिर अपने गीले बालो में से हाथ घुमाते हुए झूले पर जा बैठा।
बनारस में अस्सी घाट की सीढ़ियों पर शगुन उदास खड़ी शगुन महादेव से बस सब सही हो जाने की दुआ कर रही थी। उसकी आँखों से निकला आंसू लुढ़ककर नीचे जा गिरा ,, उसकी जिंदगी में परेशानिया बहुत थी जिनका हल था सिर्फ गुड्डू और इस वक्त शगुन पुरे दिल से गुड्डू और उसकी कमी को महसूस कर रही थी
शगुन ने अपनी आँखे खोली और आंसू पोछे , उसका मन इस वक्त बहुत भारी था वह उन्ही सीढ़ियों पर बैठ गयी और सामने बहते पानी को देखने लगी। शाम के बनारस सुकून की एक अलग ही चादर ओढ़ लिया करता था , झिलमिलाती लाईटो की रौशनी जब उसके पानी पर गिरती तो और भी खूबसूरत नजर आती थी। वहा गूंजते शंखनाद मन को एक अलग ही भावना से भर देते है। हवा में घुली धुप-बाती की खुशबु ऐसे लगता जैसे हजारो फूलो की क्यारियों से गुजरे हो। उन नजारो को देखते हुए आँखे थकने का नाम नहीं लेती थी। शगुन वही बैठी थी लेकिन इस वक्त ऐसे दर्द में थी जिसे वह किसी के भी सामने बयां नहीं कर सकती थी। गुप्ता जी घर में किसी तरह का झगड़ा नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी वह घर अपने भाई को दे दिया। शगुन उदास सी बैठी थी की प्रीति ने पीछे से आकर उसे धप करते हुए कहा,”जीजू के बारे में सोच रही हो ना ?”
शगुन ने जल्दी से अपनी आँख के आंसू पोछे और कहा,”तुम यहाँ ? मैं बस घर आ ही रही थी”
“मैं जानती हूँ दी आप और आपका बनारस के लिए प्यार अगर कोई बुलाने नहीं आये ना तो आप सारी रात यहाँ बैठने को तैयार है , अब चलिए घर पापा राह देख रहे है”,प्रीति ने शगुन का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा
“हम्म्म”,शगुन ने धीरे से कहा और उठ खड़ी हुई प्रीति के साथ चलते हुए उदास आँखों से उसने एक बार महादेव को देखा और मन ही मन सब सही करने की प्रार्थना की।
क्रमश – मनमर्जियाँ – 97
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संजना किरोड़ीवाल