Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – 50

Manmarjiyan – 50

Manmarjiyan - 50
Manmarjiya – 50

गुड्डू आराम से सो रहा था और शगुन अपना हाथ उसकी गर्दन के नीचे लगाए बैठी थी। कुछ देर बाद शगुन को अहसास हुआ की सुबह होने वाली है और धीरे धीरे घर के सभी लोग उठ जायेंगे उसे यहाँ गुड्डू के साथ ऐसे नहीं बैठना चाहिए। शगुन ने धीरे से गुड्डू के कंधे को हिलाया लेकिन गुड्डू तो जैसे घोड़े बेच के सोया था उसे फर्क नहीं पड़ा। शगुन ने उसे फिर कंधे से पकड़कर हिलाया तो गुड्डू एकदम से उठा और नींद में कहा,”हां हां पिताजी”
“पिताजी नहीं मैं हूँ”,शगुन ने धीरे से कहा तो गुड्डू को होश आया और वह शगुन की और पलटा। जैसे ही गुड्डू शगुन की और पलटा दोनों एक दूसरे के थोड़ा करीब आ गए और एक दूसरे की आँखों में देखने लगे। बाहर गली में बज रहे गाने की आवाज दोनों के कानो में पड़ रही थी
“ले लवा मैं जींद बेच के , जे मेरा सजन मिल जाये,,,,,,,,,,,,,,,!!!
आये जाये दिल तेरी जानिब , आना जाना लगता है वाजिब
इश्क़ में तेरे दिल है मुसाफिर,,,,,,,,,,,!!
भुला धड़कने तेरी खातिर , है ये वास्ते तेरे हाजिर
इश्क़ में तेरे दिल है मुसाफिर,,,,,,,,,,,!!
नींदे भी ले गए , यु मुझे दे गए बेचैनिया
आये जाये दिल तेरी जानिब , आना जाना लगता है वाजिब
इश्क़ में तेरे दिल है मुसाफिर,,,,,,,,,,,!!
दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ये भी भूल चुके थे की इस वक्त वे वे दोनों किचन में थे। लाजो उबासी लेते हुए जैसे ही किचन में आयी गुड्डू और शगुन को देखकर दरवाजे पर ही रुक गयी। ऐसे रोमांटिक सीन उसने या तो टीवी पर आने वाले सीरियल में देखा था या फिर फिल्मो में देखा था। लाजो बस खड़े खड़े दोनों को देखती रही और मुस्कुराती रही। गुड्डू और शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था की कोई उन्हें देख रहा है। मिश्राइन अपने कमरे से बाहर आयी लाजो को किचन के दरवाजे पर खड़े देखा तो उन्हें बहुत अजीब सा लगा और वे उसके पास चली आयी।
हिया का,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने जैसे ही कहा उनकी भी नजर गुड्डू और शगुन पर चली गयी। शरमा कर मिश्राइन लाजो को अपने साथ ले गयी लेकिन मन ही मन उन दोनों के लिए दुआए मांग रही थी। गुड्डू को होश आया तो वह पीछे हटा। शगुन भी उठी और चुपचाप वहा से चली गयी। गुड्डू उठा और अंगड़ाई लेने लगा। उसी वक्त मिश्रा जी दातून करते हुए वहा से गुजरे उनकी नजर जब गुड्डू पर पड़ी तो उन्होंने कहा,”सस्ती फिल्मो के शाहरुख खान अगर सुबह हो गयी हो तुम्हायी तो बाहिर आकर मंजन वजन कर ल्यो और तैयार होकर शोरूम निकलो”
मिश्रा जी आगे बढ़ गए लेकिन गुड्डू ने रोनी सी शक्ल बना ली और झुंझला उठा। वह किचन से बाहर आया और ऊपर चला आया बिस्तर देखते ही गुड्डू को फिर नींद आने लगी , गुड्डू आकर वापस सो गया। शगुन वही किचन में खड़ी उस पल को महसूस कर रही थी वह गुड्डू के करीब जाना नहीं चाहती थी लेकिन गुड्डू की आँखों में उसे हमेशा मासूमियत दिखाई देती थी। शगुन किचन से बाहर आयी और ऊपर चली आयी। ऊपर आकर देखा गुड्डू सो रहा है शगुन ने धीरे से कबर्ड से अपनी साड़ी निकाली और नहाने चली गयी। शगुन ने बाल धोये थे इसलिए उन्हें तौलिये में लपेट कर वह बाहर आयी उसने साड़ी पहनी और बालो से तौलिया हटाकर उन्हें जैसे ही झटका पानी की बुँदे गुड्डू के चेहरे पर जा गिरी। गुड्डू की नींद में खलल पड़ा तो उसने तकिये में मुंह छुपा लिया। शगुन के बाल गीले थे और जब शगुन उन्हें झटक रही थी तो एक बार फिर पानी के छींटे गुड्डू के हाथ पर जा गिरे। गुड्डू झुंझला कर उठा और शगुन के पास आकर उसकी बांह पकडकर अपनी और घुमाते हुए कहा,”का कर रही हो इह सब ?”
“बाल सूखा रही हूँ”,शगुन ने धीरे से कहा
“ऐसे सुखओगी,,,,,,,,,,,,,,,रुको एक मिनिट”,कहकर गुड्डू अपने कबर्ड की और गया और उसमे कुछ ढूंढने लगा। कुछ देर बाद वह हेयर ड्रायर लेकर आया और उसका तार प्लग में लगाकर ड्रायर शगुन की और बढाकर कहा,”इस से सुखाओ बिना हमे परेशान किये”
गुड्डू शगुन को ड्रायर थमा कर चला गया। शगुन मुस्कुरा उठी और फिर उसने उसी ड्रायर से अपने बालो को सुखाया। तैयार होकर शगुन नीचे चली आयी। रसोई की जिम्मेदारी शगुन सम्हाल ही चुकी थी इसलिए आज सुबह का नाश्ता भी उसी ने बनाया। जब मिश्रा जी नाश्ता करने बैठे तो उन्होंने कहा,”गुड्डू उठा नहीं अभी तक”
“नहीं वो सो रहा है”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी उठे और कहा,”उसे हम उठाकर आते है”
“हम उठा देते है ना”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी ने अपना हाथ आगे करके उन्हें रोक दिया , उनके चेहरे से पता चल रहा था की आज फिर वो गुड्डू से नाराज है। मिश्रा जी ऊपर आये गुड्डू बेफिक्र सो रहा था। मिश्रा जी कमरे में दाखिल हुए और देखा गुड्डू मस्त सो रहा है उन्होंने पास ही टेबल पर रखा पानी का जग उठाया और उसमे भरा पानी दे मारा सीधा गुड्डू के मुंह पर।
“अरे यार का है शगुन मतलब चैन से सोने नहीं देना है”,गुड्डू बड़बड़ाते हुए उठा और देखा सामने मिश्रा जी खड़े है तो उसकी नींद एकदम से उड़ गयी और कहा,”पि पि पिताजी आप हिया का कर रहे है ?”
“देखने आये थे की तुमहू उठे की नहीं , कल इतना सब कहा लेकिन मजाल है तुम्हाये भेजे में कुछ घुसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गोबरप्रसाद ही रहोगे तुम ! अब उठोगे की चार लोग बुलाये तुम्हाये लिए”,मिश्रा जी ने लगभग गुड्डू को घूरते हुए कहा तो गुड्डू बिस्तर से नीचे उतरा और सीधा बाथरूम में घुस गया। मिश्रा जी बड़बड़ाते हुए नीचे चले आये। गुड्डू भी नहाकर तैयार होकर तुरंत नीचे चला आया। मिश्राइन ने गुड्डू के लिए भी नाश्ता लगा दिया। गुड्डू ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया और अपनी बाइक लेकर शोरूम के लिए निकल गया। मिश्रा जी को किसी काम से अपने दोस्त के घर जाना था इसलिए वे उधर चले गए। मिश्राइन रौशनी के घर चली गयी। घर में सिर्फ वेदी , दादी माँ , लाजो और शगुन थी। घर के कामो के बाद शगुन अपने कमरे में चली आयी देखा कमरा बहुत ही अस्त-व्यस्त था। शगुन कमरे की सफाई में लग गयी उसने कमरे का हुलिया ही चेंज कर दिया। लाजो की मदद से बिस्तर को कमरे के कोने में शिफ्ट किया और बिस्तर के बिल्कुल बांयी ओर दिवार से सटाकर सोफे को रखा जहा से गुड्डू को सोते हुए वह देख सकती थी। कबर्ड को साफ किया , कबर्ड साफ करते हुए शगुन को गुड्डू की कुछ तस्वीरें मिली शगुन ने देखा उन पर गर्द जम चुका है शगुन ने उन्हें साफ किया और बिस्तर के पास वाली दिवार पर सबको कोलाज बनाकर लगा दिया। उन तस्वीरों से वह दिवार बहुत अच्छी लग रही थी। शगुन ने ड्रेसिंग को भी अच्छे से जमाया , एक्स्ट्रा सामान को ड्रावर में जमा दिया। कमरे के बाहर छोटे से गमले में बेल लगी थी जिसके पत्ते बहुत ही खूबसूरत थे। शगुन ने उसे अच्छे से साफ किया और फिर कमरे में ले आयी शगुन ने उस गमरे को दरवाजे के साइड वाले कॉर्नर पर रखा और बेल को ऊपर उठाकर हुक में लगा दिया ,, दिवार से लगी वो बेल बहुत अच्छी दिखाई दे रही थी। शगुन ने कमरे की सफाई की। कमरा पहले से ज्यादा अच्छा लग रहा था बस एक ही कमी थी की उस कमरे में कोई खिड़की नहीं थी। इतना सब करने के बाद शगुन थोड़ा थक चुकी थी इसलिए सो गयी।
गुड्डू दिनभर शोरूम में बैठा हिसाब किताब में उलझा रहा। उसका वहा काम करने में जरा भी मन नहीं था। उस पर पिंकी के फोन और मेसेज ने अलग से उसका दिमाग ख़राब कर रखा था। गुड्डू ने परेशान होकर फोन ही बंद कर लिया। शाम में गोलू आया और कहा,”अरे भैया फोन कहा है तुम्हारा ? दोपहर से फोन कर रहे है तुम्हे”
“कैसे का हुआ ?”,गुड्डू ने पूछा
“भैया हम बताने आये है की रिजल्ट आ चुका है तुम्हारा और हमेशा की तरह इस बार भी तुम्हायी नैया डूब गयी है”,गोलू ने दबी आवाज में कहा
“हां मालूम है , उसके लिए पिताजी कल ही लतिया चुके है अब तुम नमक ना लगाओ जख्मो पर”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू भैया वैसे एक ठो बात कहे आपका नाम ना गुड्डू की जगह तबला होना चाहिए था , का है की तुमहू जब देखो तब बजते रहते हो मिश्रा जी के हाथो”,गोलू ने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा तो गुड्डू ने उसे घूरकर देखा और कहा,”जियादा ना बोलो बेटा वरना यही पेल देंगे”
“अरे मजाक कर रहे है हम तो ,, अच्छा बताओ पिज़्ज़ा खाओगे ?”,गुड्डू ने पूछा
“किस ख़ुशी में ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“अरे तुमको नहीं पता हम पास हो गए है और आज से हम है तुम्हाये सीनियर”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने सूना तो उसने केलकुलेटर गोलू पर फेंका और कहा,”सीनियर होगी हमायी जुत्ती , और तुमहू ना बेटा जियादा फुदको मत उह तो शादी के चक्कर में ठीक से पढ़े नहीं थे हम वरना टॉप करते इस बार कॉलेज में”
“रहने दो गुड्डू भैया तुम्हाये बस का कुछ ना है , हम जा रहे है अपनी ख़ुशी सेलिब्रेट करने भाभी के पास”,कहकर गोलू वहा
“हां हां जाओ पार्टी बदल ली साले , दोस्त के फ़ैल होने पर पार्टी करने वाला दोस्त पहली बार देखे है गोलू ,,, पिज़्ज़ा पचेगा नहीं तुमको याद रखना”,गुड्डू ने पीछे से कहा लेकिन गोलू ने ध्यान ही नहीं दिया और बाहर चला गया। गोलू पिज़्ज़ा खरीदने पिज़्ज़ा हट आया तो देखा पिंकी अपनी सहेलियों के साथ बैठकर पिज़्ज़ा खा रही है। उसे देखते ही गोलू बोखला सा जाता था। उसने अपना आर्डर पैक करने को कहा और पास ही पड़ा सॉस का बोतल उठाकर पिंकी की और बढ़ गया। गोलू ने आकर पिंकी के सामने पड़े पिज़्ज़ा पर बहुत सारा सॉस डाल दिया ये देखकर पिंकी को गुस्सा आ गया और उसने कहा,”ये सब का है गोलू हमारा सारा पिज़्ज़ा खराब कर दिया”
“अच्छा और जो तुमहू गुड्डू भैया की जिंदगी खराब करने पर तुली हो उसका का ? तुम्हायी नियत में तो हमे पहले ही खोट नजर आ रहा था और अब तुमने गुड्डू के साथ साथ हमायी भाभी को भी परेशान करना शुरू कर दिया”,गोलू ने भी पिंकी को घूरते हुए कहा
“हम और गुड्डू एक दूसरे से प्यार करते है”,पिंकी ने कहा
“ना ना ना तुमहू इह कहो की गुड्डू तुमसे प्यार करता है और तुम उसके पैसो से”,गोलू ने कहा
“बकवास बंद करो”,पिंकी ने गुस्से से बिफरते हुए कहा
“काहे सच सुनते हुए मिर्ची लगती है , सच तो यही है पिंकिया और गुड्डू भैया की आँखों पर ना तुम्हाये नाम की पट्टी बंधी है जिस दिन खुलेगी ना सबसे पहले लात गुड्डू भैया तुम्हे ही मारेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,का समझी”,गोलू ने अकड़ते हुए कहा
गोलू की इस बात पर पिंकी हंसने लगी और कहा,”लात तो बहुत जल्द तुम्हारी फेवरेट भाभी शगुन को पड़ने वाली है , गुड्डू की जिंदगी के साथ साथ वो उसके घर से भी बाहर होने वाली है”
पिंकी की बात सुनकर गोलू थोड़ा परेशान हो गया क्योकि पिंकी कितनी चालाक थी इह बात गोलू बहुत अच्छे से जानता था ,, जिस तरह से उसने गुड्डू को अपने जाल में फ़ांस रखा था ये तो कन्फर्म था पिंकी कुछ बड़ा कांड करने वाली थी। गोलू को चुप देखकर पिंकी ने कहा,”का हुआ गोलू अभी से भाभी की विदाई के सपने देखने लगे ?”
गोलू मुस्कुराया और कहा,”ऐसा है पिंकिया हमहू तुम्हारे बारे में सोच रहे है , शगुन भाभी उसी घर में गुड्डू के साथ रहेगी इह वादा है हमारा हम तो बस यह सोच रहे की उसके बाद तुम्हारा का होगा ? टेंशन मत लो तुम्हाये लिए लड़का हम ढूंढ देंगे”
“गलत पंगा ले रहे हो गोलू”,पिंकी ने गोलू को घूरते हुए कहा तो गोलू पिंकी के थोड़ा करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”हमाये गुड्डू भैया अगर राम है तो हम है हनुमान और तुमहू तो पिंकिया किसी एंगल से सीता माता नहीं लगती हो। जो करना है कर लो जितना जोर लगाना है लगा लो गुड्डू भैया के दिल में अगर शगुन भाभी की एंट्री नहीं करवाई तो कसम भोलेनाथ की आधी मुछ मुंडवा देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,का समझी”
“ए गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहना चाहा तो गोलू ने शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा,”अब इत्ते प्यार से ए गोलू मत कहो कही हमको तुमको ही प्यार ना हो जाये”
“आअह्ह्ह्हह शट अप”,कहकर पिंकी वहा से चली गयी। गोलू काउंटर पर आया और अपना पिज़्ज़ा लेकर घर के लिए निकल गया।
गोलू पिज़्ज़ा लेकर मिश्रा जी के घर आया और वेदी से पूछा,”भाभी कहा है दिखाई नहीं दे रही है ?”
“ऊपर अपने कमरे में है , ये तुम्हारे हाथ में का है ?”,वेदी ने पूछा
“पिज़्ज़ा चलो मिलकर भाभी के साथ खाएंगे , वैसे भी कानपूर आने के बाद हमने उनको कुछ पार्टी वार्टी ही नहीं दी”,गोलू ने कहा तो वेदी उसके साथ ऊपर चली आयी। शगुन उठ चुकी थी और बाथरूम में थी। गोलू और वेदी जैसे ही कमरे में आये। दोनों की आँखे खुली की खुली रह गयी। शगुन ने कमरे का हुलिया ही बदल दिया था। वेदी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था की गुड्डू भैया का कमरा इतना सुंदर भी लग सकता है। शगुन मुंह पोछते हुए जैसे ही कमरे में आयी गोलू और वेदी को वहा देखकर मुस्कुरा दी। गोलू शगुन के पास आया और उसके पैर छूते हुए कहा,”सबसे पहले तो हमका आशीर्वाद दो हम पास हो गए है और दूसरी बात इह बताओ की इस कबाड़ख़ाने का नक्सा किसने बदला आपने ?”
“हां मैंने ही ठीक किया सब बहुत बिखरा हुआ था और बिखरी हुई चीजे मुझे पसंद नहीं”,शगुन ने कहा
“अरे भाभी बहुते गजब काम की हो गुड्डू भैया देख्नेगे तो खुश हो जायेंगे , अच्छा आओ बैठो आपके लिए पिज़्ज़ा लेकर आये है जरा खाकर बताओ कैसा है ?”,गोलू ने पिज़्ज़ा का बॉक्स ओपन करते हुए कहा
शगुन और वेदी दोनों आ बैठी , पिज़्ज़ा देखते ही वेदी के मुंह में तो पानी आ गया। गोलू ने शगुन से खाने को कहा तो शगुन ने एक पीस उठा लिया। पिज़्ज़ा सच में बहुत टेस्टी था तीनो बातें करते हुए पिज़्ज़ा का लुफ्त उठाने लगे। आखरी स्लाइस बचा तो वेदी और गोलू झगड़ने लगे फिर दोनों ने आधा आधा खाया।
“गोलू भैया मै चाय बनाने जा रही हूँ आप पिएंगे ?”,शगुन ने कहा
“आपके हाथो से तो हमहू जहर भी हसंते हँसते पि लेंगे”,गोलू ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी और गोलू वेदी भी उसके साथ नीचे चले आये। शगुन रसोई में आकर सबके लिए चाय बनाने लगी। गोलू आया और कहा,”भाभी आपसे एक ठो बात पूछनी है थोड़ी पर्सनल है आप असहज हो तो जवाब मत दीजियेगा”
“हम्म्म पूछिए”,शगुन ने कहा
“गुड्डू भैया का व्यवहार ठीक है ना आपके साथ , मतलब आपकी केयर करते है ना उह”,गोलू ने बेचैनी से पूछा शगुन समझ गयी गोलू क्या कहना चाहता है इसलिए उसने चाय का कप गोलू की और बढाकर कहा,”कुछ लोग साथ इसलिए होते है क्योकि उन्हें एक दूसरे की जरूरत होती है , और कुछ लोग साथ इसलिए होते होते है क्योकि उनकी किस्मत उन्हें साथ ले आती है। हमारे और गुड्डू जी के रिश्ते के बीच भी कुछ ऐसा ही है ,,,,,,,,,!!!”
शगुन चली जाती है और गोलू उसे देखते रहता है

Manmarjiyan - 50
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क्रमश : manmarjiyan-51

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