Main Teri Heer – 47
Main Teri Heer – 47
किशोर को जिस अनजान आदमी का फोन आया था उसने किशोर को नदी किनारे वाले पुल के पास बुलाया। किशोर वहा चला आया लेकिन उस अनजान शख्स ने मास्क पहना हुआ था और अपनी पहचान छुपा ली। किशोर ने ध्यान से देखा वह कोई 24-25 साल का लड़का दिखाई दे रहा था। किशोर और वह लड़का कुछ देर तक एक दूसरे को घूरते रहे और फिर किशोर ने कहा,”ऐसा क्या सबूत है तुम्हारे पास शिवम् और प्रताप के खिलाफ ?”
“उनके खिलाफ हमारे पास कोई सबूत नहीं है हां लेकिन कुछ ऐसा है जो आपको नाम और शोहरत दोनों दिला सकता है”,लड़के ने अपनी सर्द आवाज में कहा
किशोर ने सूना तो उसकी आँखे चमक उठी लेकिन उसने अपने मन का हाल चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”तुम क्या यहाँ मुझे खरीदने आये हो ?”
“कुछ रुपयों के लिए अगर आप प्रताप जैसे घटिया आदमी की जी हुजूरी कर सकते है तो हमारा ऑफर मानने में भी कोई बुराई नहीं है”,लड़के ने सहजता से कहा तो किशोर को गुस्सा आ गया और उसने कहा,”ए तुम जानते ही क्या हो मेरे बारे में ? मैं प्रताप के साथ क्यों था पता भी है तुम्हे ?”
“हम आपके बारे में सब जानते है सर इसलिए डिपार्टमेंट के किसी और आदमी के पास ना जाकर आपके पास आये है,,,,,,,,,,,,,,आपके कमिशनर साहब भी इस काबिल नहीं थे की हम उनसे इस बारे में बात कर सके”,लड़के ने कहा तो किशोर की आँखे सिकुड़ गयी
“हम ये भी जानते है की आपने बनारस में पोस्टिंग क्यों ली ? जितना आप अपने बारे में नहीं जानते उतना हम जानते है इसलिए बेहतर होगा इस विषय पर बहस ना करके हम वो बात करे जिसके लिए हम यहाँ आये है”,लड़के ने एक बार फिर अपनी सर्द आवाज में कहां तो किशोर ने हामी भर दी।
लड़के ने अपने पीछे से एक फाइल निकाली और वही पुल की दिवार पर रखकर किशोर को कुछ समझाने लगा उस फाइल में बहुत सी जरुरी जानकारी थी जिन्हे देखते हुए किशोर के चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के भाव थे। लड़का एक एक करके हर बात उसे समझाते जा रहा था किशोर को अब लड़के की पहचान से ज्यादा जरुरी उस फाइल में मौजूद सबूत लगे। लड़के ने सारी बात बताकर फाइल को बंद कर दिया और कहा,”इस फाइल में वो सब जानकारी है जो आप पिछले दो महीने से ढूंढने की कोशिश कर रहे है।”
“लेकिन इसमें शिवम् और मुरारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है ,, उन दोनों के पास भी करोडो की सम्पति है और इतना बड़ा कारोबार है।”,किशोर ने कहा
“इस सारे मामले में उन दोनों को फसाया गया है उनकी अच्छाई और भरोसे का फायदा उठाया गया है। शिवम् गुप्ता को इस बात का पता भी नहीं है की जिस प्रोजेक्ट को लेकर वह दिन रात काम कर रहे है वो गैर क़ानूनी है। रही बात विधायक जी की तो उनसे गलती हुई है और उसे वो खुद सुधारेंगे”,लड़के ने सहजता से कहा
लड़के की बाते सुनकर किशोर उसे देखने लगा और कहा,”लेकिन तुम उन दोनों की तरफदारी क्यों कर रहे हो ? क्या रिश्ता है तुम्हारा उनसे ?”
“हम सिर्फ सही का साथ दे रहे है सर , अगर इन सबको अभी नहीं रोका गया तो बहुत बड़ा कांड होगा और उसके बाद इस शहर को आप तो क्या कोई भी बर्बाद होने से नहीं बचा सकता। इस पुरे खेल के पीछे कौन है ये हम आपको बता चुके है अब इस खेल को खत्म कैसे करना है ये आपके हाथ में है बस ध्यान रहे की शिवम् गुप्ता या उनके परिवार पर कोई आंच ना आने पाए”,लड़के ने कहा और जाने लगा
“सुनो,,,,,,,,,,,,,!”,किशोर ने उसे आवाज दी तो लड़का रुक गया और वापस किशोर की तरफ पलटा
“तुम चाहते तो खुद भी इन सबका पर्दाफाश कर सकते थे फिर मुझे ये सब क्यों बताया ?”,किशोर ने कहा
“ये सब राजनीती के दलदल में फंसे लोग है सर और हमे राजनीती बिल्कुल पसंद नहीं है। आप अगर इस खेल को खत्म करेंगे तो आपका प्रमोशन पक्का है सर , साथ ही ये शहर आपकी सारी गलतियों को माफ़ कर आपको अपना भी लेगा।”,लड़के ने फिर सर्द आवाज के साथ कहा
किशोर मुस्कुराया और कहा,”तुम जानते हो तुम एक बहुत अच्छा काम कर रहे हो , इन लोगो के इरादे मैं हरगिज पुरे नहीं होने दूंगा। लेकिन एक बात मुझे अभी भी समझ नहीं आ रही है की ये सब करके तुम्हे क्या मिलेगा ?”
लड़का किशोर को देखने लगा और कुछ देर बाद कहा,”हमे जो मिलेगा वो बहुत जल्द आपको भी पता चल जाएगा , चलते है सर बेस्ट ऑफ़ लक”
कहकर लड़का अपनी बाइक के पास आया बाइक स्टार्ट की और किशोर के बगल में आकर बाइक रोकी और सामने देखते हुए कहा,”आप सोच रहे होंगे की हमने आप पर भरोसा कैसे कर लिया ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,!”,किशोर ने कहा
“आप फाइल का आखरी पन्ना देखना भूल गए थे सर , इत्मिनान से देख लीजियेगा।”,कहकर लड़के ने अपनी बाइक को रेस दी और वहा से निकल गया।
उसके जाते ही किशोर ने जल्दी से आखरी पन्ना देखा जिसमे किशोर के खिलाफ भी सबूत थे। सर्दी में भी किशोर के माथे से पसीना टपकने लगा , उसने फाइल बंद की और अपने ही सर पर तीन चार बार मारते हुए कहा,”इस आवाज को कही तो सूना है मैंने,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन कहा ? इसने तो मेरे ही खिलाफ सबूत जमा कर दिए”
किशोर ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे वो पल याद आया जब लड़के ने फाइल उसकी तरफ बढ़ाई थी और किशोर की नजरो ने उसके हाथ पर बने महादेव के नाम को देखा था। किशोर ने फिर अपना पैर पटका , हाथ झटका क्योकि ऐसा हाथ उसने पहले कभी नहीं देखा था और एक हाथ के जरिये वह किसी इंसान को कैसे ढूंढता। वह बड़बड़ाया,”ये जो भी है इसे मैं बाद में देखूंगा पहले इन सबकी बारात निकालता हूँ”
देर रात किशोर भी वहा से निकल गया।
बाबा घर आ चुके थे उनकी हालत अभी खराब ही थी इसलिए डॉक्टर ने उन्हें सिर्फ रेस्ट करने को कहा। बाबा अपने कमरे में थे। शिवम् , मुरारी , सारिका , अनु , वंश और आई सभी कमरे में मौजूद थे। मुन्ना बाहर से आया और सीधा बाबा के कमरे में चला आया। उसे देखकर मुरारी ने कहा,”इति देर कहा थे तुम ?”
“वो पापा हम जरा रवि से मिलने गए थे वो कॉलेज में स्टूडेंट्स के कोर्स को लेकर कुछ प्रॉब्लम थी उसी से रिलेटेड कुछ काम था”,मुन्ना ने कहा
“फॅमिली से इम्पोर्टेन्ट कुछ नहीं है मुन्ना”,मुरारी ने थोड़ा कठोरता से कहा क्योकि उसने दो घंटे पहले मुन्ना को बुलाया था और मुन्ना अब आ रहा था।
“मुरारी,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुरारी से शांत रहने का इशारा किया तो मुरारी वहा से बाहर चला आया। शिवम् ने सबको बाबा के कमरे से बाहर चलने को कहा और बाबा को आराम करने को कहा।
बाबा अब ठीक थे जानकर सब खुश थे बस सारिका के चेहरे से ख़ुशी गायब थी। शिवम् ने देखा तो कहा,”सरु क्या बात है कुछ परेशान दिख रही है आप ?”
“नहीं शिवम् वो बस हम सोच रहे थे की काशी को इस बारे में बताये या नहीं ?”,सारिका ने कहा
“अरे भाभी काशी बिटिया को काहे परेशान करना जे सब में , उह वहा इंदौर मा है खामखा उसकी पढाई पर असर पडेगा”,मुरारी ने कहा
“हां दी ये ठीक कह रहे है काशी को इस बारे में कुछ मत बताना”,अनु ने कहा
“हम्म्म्म , हम सबके लिए खाना लगवा देते है”,सारिका ने कहा और किचन की तरफ जाने लगी तो अनु ने कहा,”दी मैं भी आती हूँ”
शिवम् बस खामोशी से सारिका के चेहरे के भावो को देख रहा था उसे समझते देर नहीं लगी की सारिका किसी और वजह से परेशान है। वंश मुन्ना से बात कर रहा था शिवम् ने मुन्ना को साइड में आने को कहा। मुन्ना साइड में आया और कहा,”जी बड़े पापा”
“हमने जो कहा वो किया तुमने ?”,शिवम् ने पूछा
“हाँ बड़े पापा ऑलमोस्ट हो चुका है लेकिन एक दिक्कत आ रही है”,मुन्ना ने कहा
“क्या ?”,शिवम् ने कहा
“दरअसल हम जब सब चेक कर रहे थे तब हमे पता चला की एक बड़ा ट्रांजेक्शन है जो उसने कही करवाया है और वो अकाउंट पापा के बैंक से है तो अगर हमे पापा के बैंक के चेकबुक्स और पासबुक्स मिल जाती तो हम कुछ पता लगा पाते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम खुद मांगेंगे तो पापा गुस्सा करेंगे इसलिए अगर आप,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने बात अधूरी छोड़ दी।
“ठीक है हम मुरारी से कह देंगे वो तुम्हे साडी डिटेल्स दे देगा”,शिवम् ने कहा
“हम्म्म्म जल्दी ही हम सब डिटेल्स आपको दे देंगे”,मुन्ना ने कहा और फिर सारिका के बुलाने पर सब खाना खाने चले आये।
केशर कुछ दिनों के लिए बनारस में ही था और शक्ति से भी उसकी दुश्मनी हो चुकी थी लेकिन शक्ति को किसी का डर नहीं था। राजन पूरी तरह ठीक हो चुका था और प्रताप के कहने पर शांत था। राजन इन दिनों घर में ही था और दिनभर काशी के बारे में सोचता रहता था। वह काशी को चाहने लगा था बनारस में कई लड़कियों से राजन का मिलना जुलना था लेकिन काशी के बाद जैसे उसने सबसे किनारा कर लिया। एक दोपहर वह घर के बरामदे में अपनी खटिया पर लेटा काशी के बारे में सोच ही रहा था की भूषण वहा आया और पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”और राजन भैया किस सोच में डूबे हो ?”
“यार हम सोच रहे है की उह दिन हमको काशी के साथ बदतमीजी नहीं करनी चाहिए थी , हमारी वजह से कितना बवाल हुआ साला”,राजन ने कहते हुए उठकर बैठ गया।
“अरे का बात कर रहे हो भैया , उह लौंडिया में ना बहुते अकड़ है उसकी अकड़ तो निकलनी ही चाहिए। उह तो प्रताप चचा की वजह से शांत बैठे रहे हम वरना घसीट कर तुम्हरे सामने ला डालते उसको”,भूषण ने चौडाते हुए कहा
राजन ने सूना तो उसकी आँखों में गुस्सा उतर आया और भँवे चढ़ गई उसने खींचकर एक तमाचा भूषण के गाल पर धरा और कहा,”साले तमीज से भाभी है तुम्हारी , का है ?”
“भा भा भाभी,,,,,,,,,,,,!”,भूषण ने अपना गाल सहलाते हुए कहा उसको राजन के थप्पड़ की उम्मीद नहीं थी
“बनारस में सेंकडो लड़किया होगी पर काशी जैसा कोई नहीं है , प्यार करने लगे है उनसे और उनके खिलाफ ना एक शब्द नहीं सुनेंगे इहलिये थोड़ा तमीज से”,राजन ने भूषण को समझाते हुए कहा तो भूषण ने हाँ में गर्दन हिला दी और मन ही मन कहा,”लगता है दिमाग पे बहुते गहरी चोट लगी है”
राजन भूषण से इधर उधर की बाते करता रहा और फिर भूषण से एक कागज और पेन लाने को कहा। भूषण ने उसे कागज और पेन लाकर दिया तो राजन बैठकर उस पर कुछ लिखने लगा। उसने कागज में कुछ लिखा और फिर लिफाफे में डालकर भूषण की ओर बढाकर कहा,”जे कागज पर काशी के कॉलेज का पता लिखो और पोस्ट कर दो”
“अरे भैया पर उसके कॉलेज का पता हमें कैसे पता होगा ?”,भूषण ने कहा।
“साले तुमको यहाँ सिर्फ का रोटियां तोड़ने के लिए रखे है , थोड़ी मेहनत करो और उसका पता निकलवाओ और जे लेटर पोस्ट कर दो वरना तुमको पोस्ट बॉक्स बनाकर चौराहे पर खड़ा कर देंगे”,कहकर राजन वहा से जाने लगा
“अरे भैया लेकिन जे लेटर काहे ? फोन से मेसेज करके भी बोल सकते हो जो बोलना है”,भूषण ने कहा
राजन सीढिया चढ़ते हुए दिवार की तरफ झुका और भूषण से कहा,”मोबाइल के ज़माने में खत लिखने का मजा तुम का जानो ? चलो अब निकलो और बिना पोस्ट किये आना नहीं वापस वरना मार खाओगे”
भूषण उस लेटर को लेकर वहा से चला गया जैसे तैसे उसने काशी के कॉलेज का एड्रेस निकलवाया और लेटर पर लिखकर पोस्ट ऑफिस की तरफ चल पड़ा। रस्ते में उसे वंश मिला तो भूषण वापस पलट गया और जल्दी जल्दी चलने लगा। वंश की नजर अचानक उस पर पड़ गयी उसे बौखलाया देखकर वंश ने बाइक लाकर उसके सामने ही रोक दी। वंश को अपने सामने देखकर भूषण ने जल्दी से लेटर छुपा लिया उसे हड़बड़ाता देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ बे ? मुझे देखकर ऐसे भागे क्यों ?”
“भागे,,,,,,,,,,,,,हम कहा भाग रहे है हम तो चलकर जा रहे है”,भूषण ने अनजान बनते हुए कहा
“अच्छा बेटा हमसे होशियारी पीछे क्या छुपाया है ?”,वंश ने कहा जिसे भूषण के हाथ में लिफाफा दिख चुका था
“जे जे तो लेटर है,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने लेटर को मोड़कर अपनी जेब में डालते हुए कहा
“अबे पगलेट हो फोन के ज़माने में लेटर कौन देता है बे ? का कोई सेटिंग है तुम्हारी ?”,वंश ने भूषण के मजे लेते हुए है
“है भी तो तुमको,,,,,,,,,,,,!”,भूषण ने इतना ही कहा की वंश ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा भूषण समझ गया की वंश उस से क्या चाहता है इसलिए अपनी जबान तुरंत सम्हाल ली और कहा,”हमारा मतलब है भी तो आपको क्यों बताये ?”
“मुझे तेरी लव स्टोरी जानने में कोई इंट्रेस्ट भी नहीं चल जा”,वंश ने कहा और बाइक उसके सामने से हटा ली। मौका मिलते ही भूषण 9 2 11 हो गया। वंश भी वहा से चला गया और बाइक चलाते हुए कहा,”लेटर लिखा है,,,,,,,,,,,हाउ बोरिंग”
किशोर को फाइल देने वाला लड़का कौन था ? मुन्ना को क्यों चाहिए मुरारी के अकाउंट डिटेल्स ? क्या राजन का लेटर काशी तक पहुंचेगा ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47 Main Teri Heer – 47
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 48
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संजना किरोड़ीवाल
भूषण उस लेटर को लेकर वहा से चला गया जैसे तैसे उसने काशी के कॉलेज का एड्रेस निकलवाया और लेटर पर लिखकर पोस्ट ऑफिस की तरफ चल पड़ा। रस्ते में उसे वंश मिला तो भूषण वापस पलट गया और जल्दी जल्दी चलने लगा। वंश की नजर अचानक उस पर पड़ गयी उसे बौखलाया देखकर वंश ने बाइक लाकर उसके सामने ही रोक दी। वंश को अपने सामने देखकर भूषण ने जल्दी से लेटर छुपा लिया उसे हड़बड़ाता देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ बे ? मुझे देखकर ऐसे भागे क्यों ?”
“भागे,,,,,,,,,,,,,हम कहा भाग रहे है हम तो चलकर जा रहे है”,भूषण ने अनजान बनते हुए कहा
“अच्छा बेटा हमसे होशियारी पीछे क्या छुपाया है ?”,वंश ने कहा जिसे भूषण के हाथ में लिफाफा दिख चुका था
“जे जे तो लेटर है,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने लेटर को मोड़कर अपनी जेब में डालते हुए कहा
“अबे पगलेट हो फोन के ज़माने में लेटर कौन देता है बे ? का कोई सेटिंग है तुम्हारी ?”,वंश ने भूषण के मजे लेते हुए है
“है भी तो तुमको,,,,,,,,,,,,!”,भूषण ने इतना ही कहा की वंश ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा भूषण समझ गया की वंश उस से क्या चाहता है इसलिए अपनी जबान तुरंत सम्हाल ली और कहा,”हमारा मतलब है भी तो आपको क्यों बताये ?”
“मुझे तेरी लव स्टोरी जानने में कोई इंट्रेस्ट भी नहीं चल जा”,वंश ने कहा और बाइक उसके सामने से हटा ली। मौका मिलते ही भूषण 9 2 11 हो गया। वंश भी वहा से चला गया और बाइक चलाते हुए कहा,”लेटर लिखा है,,,,,,,,,,,हाउ बोरिंग”