Main Teri Heer – 46
Main Teri Heer – 46
कहानी में एक नया ट्विस्ट आ चुका था और वो था “केशर”
केशर जौनपुर का नामी गुंडा था उसका एक इशारा किसी को तबाह करने के लिए काफी था। अब तक कई जिलों में लोग उसके नाम से भी डरते थे लेकिन एक बनारस ही था जहा केशर की हुकूमत ना चल सकी और इसकी वजह था प्रताप , मुरारी और शिवम्। साथ ही बनारस की कानून व्यवस्था भी कड़ी थी। बनारस के बाहर नदी किनारे जो जमीन थी ये सारा झगड़ा उसी जमीन के लिए था। शिवम् और मुरारी यहाँ शुगर फैक्ट्री बनवाकर बनारस का रोजगार बढ़ाना चाहते थे। वही बनारस का वो व्यापारी जिसका इस जमीन पर 25 फीसदी अधिकार था वह यहाँ शॉपिंग मॉल बनवाना चाहता था। प्रताप इस जगह को अकेले हड़प कर अच्छे दामों में बेचना चाहता था तो वही केशर इस जमीन गैर क़ानूनी रूप से कब्जा करना चाहता था। उसने बाबा को मजबूर किया की वह शिवम से वह फाइल लेकर उसे दे और इसी दबाव के कारण बाबा आज हॉस्पिटल में थे। सारिका को इस बारे में पता था लेकिन शिवम् को ये सब बताकर वह उसके लिए एक नयी मुसीबत खड़ी करना नहीं चाहती थी। शिवम् और मुरारी प्रताप को लेकर परेशान थे तो वही मुन्ना के हाथ कुछ ऐसा लगा की उसे मुरारी पर ही शक होने लगा। सब उलझा हुआ था और सब के मन में कुछ न कुछ चल रहा था जिस से सब अनजान भी थे पर मीलो दूर एक दूसरे से दूर बैठे दो शख्स इन सब से बेखबर एक दूसरे के ख्यालो में डूबे थे पर वो थे शक्ति और काशी
शक्ति को लेकर काशी के दिल में जो भावनाये थी वह उन्हें गौरी के सामने बयां कर चुकी थी। काशी पहली मुलाकात में ही शक्ति को अपना दिल दे बैठी थी लेकिन शक्ति से उसकी ज्यादा बात नहीं हुई और इसी वजह से वह कन्फ्यूज भी थी। गौरी ने काशी को बनारस जाकर शक्ति से मिलने को कहा ताकि वह शक्ति से अपने दिल की बात कह सके साथ ही ये भी जान सके की शक्ति के दिल में क्या है ? वही शक्ति काशी के जाने के बाद खामोश सा रहने लगा था लेकिन उसकी ख़ामोशी के पीछे की वजह काशी नहीं बल्कि कुछ और थी।
केशर बाबा को धमका कर वहा से चला गया। सारिका ने वंश को बाहर किसी काम से भेजा और बाबा के पास आकर कहा,”ये सब क्या है ? हम इन लोगो की शिकायत पुलिस में क्यों नहीं करते है ? हमे उम्मीद है पुलिस हमारी मदद जरुर करेगी।”
“नहीं बिटिया पुलिस इसमें कुछ नहीं करेगी उलटा हमे ही समझाकर बुझाकर भेज देगी। हमने पहिले भी इन लोगो की शिकायत की है लेकिन कोनो फायदा नहीं हुआ बिटिया”,बाबा ने बुझे मन से कहा
“तो फिर क्यों ना हम ये सब मुरारी भैया और शिवम जी को बता दे , हम नहीं चाहते बाबा की आप ऐसे लोगो से डरकर जिए”,कहते हुए सारिका की आँखों में चिंता के भाव उभर आये।
“नहीं बिटिया हम जे नहीं कर सकते है , बहुत मुश्किल से हमने शिवा और मुरारी को इन सब बुरे कामो से बाहर निकाला है अब हम नहीं चाहते की उह दोनों फिर से इह दलदल मा कदम रखे। शिवा एक बार को हमारी बात मान भी ले लेकिन मुरारी,,,,,,,,,,,,उह गुस्से का तेज है जे सब के बारे में उसे बताया तो पता नहीं उह का करेगा ? केशर कोई मामूली आदमी नहीं है बिटिया उह जानवर है जानवर,,,,,,उसमे ज़रा भी दया भावना नहीं है ना ही किसी का डर ,, अगर उसकी बात नहीं मानी तो उह सब बर्बाद कर देगा बिटिया”,बाबा ने सारिका के हाथ को अपने दोनों हाथो में लेकर उदास स्वर में कहा
सारिका ने देखा ये सब कहते हुए बाबा के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये ऐसी हालत में सारिका बाबा को और परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए कहा,”आप चिंता मत कीजिये बाबा सब ठीक हो जाएगा , हमे महादेव पर पूरा भरोसा है”
“का बातें हो रही है बाप बिटिया में जरा हम भी तो सुने”,आई ने अंदर आते हुए कहा
“कुछ खास नहीं आई बाबा कह रहे है की इन्हे घर जाना है ,, लेकिन डॉक्टर ने कहा है अभी इनके कुछ टेस्ट बाकि है उसके बाद शाम तक इन्हे घर जाने की परमिशन मिल जाएगी।”,सारिका ने बाबा को हाथो को थपथपा कर उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा
“हमे भी जे हॉस्पिटल में रहना बिल्कुल पसंद नहीं है , देखते ही चक्कर आने लगते है”,आई ने कहा
“अच्छा आई आप बाबा के साथ बैठिये हम जरा डॉक्टर से मिलकर आते है”,कहकर सारिका वहा से चली गयी
शक्ति ढाबे के अंदर बैठा खाना खा रहा था। खाने में उसने सिर्फ दाल चावल आर्डर किया था और उन्ही के आने का इंतजार कर रहा था। शक्ति इस वक्त अकेले बैठा था और किसी सोच में डूबा हुआ था। कुछ देर बाद उसकी दाल की प्लेट आयी और उसने दाल को चावल पर उड़ेलकर मिक्स करना शुरू कर दिया। एक हट्टा कट्टा आदमी आकर शक्ति के सामने बैठा और कहा,”शक्ति तू ही है ना ?”
आदमी की इस बात पर शक्ति ने नजरे उठाकर उसे देखा और बिना जवाब दिए दाल चावल खाने लगा।
शक्ति का जवाब ना पाकर आदमी ने स्वर में कहा,”केशर ने तुझे बुलाया है”
“हम उसके बाप के नौकर नहीं है , केशर को बोल हमसे आकर मिले”,शक्ति ने बिना आदमी की तरफ देखे कहा
“तू जानता भी है तू क्या कह रहा है ? केशर भाई को आने को बोल रहा है तेरे टुकड़े करके गंगा में बहा देंगे वो समझा”,आदमी ने गुस्से से कहा तो शक्ति ने आंव देखा ना तांव प्लेट में बचा दाल चावल सामने बैठे आदमी के मुंह पर फेंका और उसी प्लेट को उसके सर पर दे मारा। आँखों में दाल गिरने की वजह से आदमी बिलबिलाने लगा तो शक्ति ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और मुंह में रखते हुए कहा,”अब जाकर अपने उस दो कौड़ी के केशर को बोल की शक्ति ने उसे बुलाया है , और अगर वो नहीं आया तो उसके टुकड़े नहीं करूंगा बल्कि जिन्दा गाड़ दूंगा”
आदमी आँखे मसलते हुए उठा और वहा से चला गया। शक्ति ने आधे में ही सिगरेट को ऐशट्रे में बुझाया और आवाज लगाई,”एक प्लेट दाल चावल”
लड़का आया टेबल पर कपड़ा मारा और दूसरी प्लेट रखकर चला गया। शक्ति ने दाल फिर से चावल में उड़ेली और खाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वह उठा बिल चुकाया और चला गया।
उसी शाम मणिकर्णिका घाट के बगल वाले खंडर में शक्ति विष्णु से बातें कर रहा था। बाहर एक बड़ी सी गाडी आकर रुकी जिसमे से केशर अपने आदमियों के साथ उतरा और शक्ति की तरफ चला आया। शक्ति का हाथ पीछे पेंट में खोंसी हुई अपनी बन्दुक पर चला गया। केशर को देखते ही विष्णु मन ही मन घबराने लगा क्योकि उस रात उसका पीछा करने वाले लोग केशर के ही थे जिन्हे शक्ति ने पीटा था। केशर ने अपने आदमियों को रुकने का इशारा किया और खुद शक्ति की ओर चला आया। शक्ति के सामने आकर केशर ने एकदम से उसके सर के सामने बन्दुक तान दी। वही शक्ति की बंदूक भी तन चुकी थी। दोनो की उंगलिया बन्दुक के ट्रिगर पर ही थी और फिर केशर ने अपनी बन्दुक नीचे कर ली और हसंते हुए कहने लगा,”शक्ति,,,,,,,,,,,तुम्हारा ये अंदाज पसंद आया मुझे , मैंने अपने एक आदमी को तुम्हे लेने भेजा था और तुमने उस से कहा की तुम मेरे बाप के नौकर नहीं हो,,,,,,,,,,,तुम्हारी ये बात मुझे बिल्कुल बुरी नहीं लगी लेकिन मेरे आदमी ने आदमी ने आकर मुझे बताया तो मुझे बुरा लगा,,,,,,,,,,,,मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कोई मेरे सामने आकर किसी और की तारीफ करे”
कहते हुए केशर ने अपने पीछे खड़े अपने ही आदमी के माथे पर गोली चला दी और वह वही ढेर हो गया। ये वही आदमी था जो शक्ति से ढाबे पर मिला था। केशर ने उसे मार गिराया ये देखकर उसके बाकी आदमियों के पसीने छूटने लगे।
केशर ने गुस्से से शक्ति को देखा और फिर एकदम से मुस्कुरा उठा और कहने लगा,”मेरा बाप कहता था मैं थोड़ा सनकी हूँ , मुझे एक बार कुछ पंसद आ जाये तो फिर मैं उसे हासिल करके ही छोड़ता हूँ। मैं जानता हूँ तुम किसके लिए काम करते हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड़ पैसे के लिए किसी के साथ भी काम किया जा सकता है लेकिन पॉवर का क्या ?,,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे हाथ मिला लो शक्ति , मेरे साथ से तुम्हारी पॉवर डबल हो जाएगी और दोनों मिलकर बनारस पर राज करेंगे क्या बोलते हो ?”
शक्ति ख़ामोशी से सब सुनता रहा और फिर कहने लगा,”तूने अभी अभी पॉवर की बात की ना , तेरे बुलाने पर हम नहीं आये पर तेरे एक आदमी को मारा तो तू कुत्ते की तरह दौड़ा चला आया। मुझसे मिलने के लिए भी तू अपने 6 बॉडीगार्ड साथ लेकर आया है और आते ही तूने बन्दुक भी तान दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसे तू पॉवर कहता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे पावर को हम अपनी बंदूक की नोक पर रखते है केशर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे बस देखता था की तू चीज क्या है ? बहुत नाम सूना था तेरा पर तू चिन्दी निकला आते ही हाथ मिलाने का ऑफर दे दिया। बनारस पर हमे राज करना जरूर है मगर अकेले हां तू चाहे तो तेरे इन नल्ले बॉडीगार्ड्स के जैसे मेरा वफादार बनकर रह सकता है”
शक्ति की बातें सुनकर केशर का चेहरे गुस्से से तिलमिला उठा और उसने कहा,”तू जानता भी है तू किस से बात कर रहा है ? मेरे एक इशारे पर मेरे आदमी तुझे और तेरे इस दोस्त को गोलियों से भून डालेंगे। तेरा अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं होगा”
“मौत से वो लोग डरते है जिन्हे जिंदगी से लगाव होता है हम तो हर रोज अपनी जिंदगी को अपने हाथ पर लेकर निकलते है। हमारा मकसद कुछ और है केशर उसके आड़े मत आ वरना लोग भूल जायेंगे कोई केशर भी था”,शक्ति ने भी उतने ही गुस्से से केशर को घूरते हुए कहा
“मैं यहाँ तुझसे दोस्ती का हाथ मिलाने आया था लेकिन तूने तो दुश्मनी मोल ले ली , (अपने आदमियों की तरफ पलटकर कहता है ) इस बच्चे को कोई समझाओ ज्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहने वाला है ये”,कहकर केशर हसने लगता है , लेकिन जैसे ही वापस शक्ति की तरफ देखता है शक्ति और विष्णु वहा से गायब हो जाते है।
“ये दोनों कहा गए ?”,केशर हैरानी से अपने आदमियों से कहता है इतने में ही वहा गोलिया चलने लगती है।
“भाई लगता है पुलिस आ गयी है जल्दी निकलो यहाँ से”,केशर का आदमी कहता है और बाकि सब केशर को प्रोटेक्ट करते हुए वहा से ले जाने लगते है।
जाते हुए केशर सामने देखता है एक खम्बे की आड़ से शक्ति निकलता है और केशर को घूरते हुए दूसरी तरफ चला जाता है। केशर उसे देखता रहता है शक्ति की चाल और तेवर देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई शेर अपने शिकार को देखते हुए चलता है। केशर गाड़ी में आ बैठा और तुरंत वहा से निकल गया।
विष्णु एक दिवार के पीछे छुपा हुआ था वह बाहर आया और कहा,”अच्छा हुआ पुलिस वाले चले गए”
विष्णु ने जैसे ही चैन की साँस ली उसके कानो में गोलियों की आवाज पड़ी तो वह डरकर भागने को हुआ उसकी हालत देखकर शक्ति हसने लगा तो विष्णु वापस पलटा और हैरानी से शक्ति को देखने लगा। शक्ति ने अपने हाथ में पीछे छुपाया सायरन निकाला तो विष्णु को समझ आया की कोई पुलिस नहीं आयी थी बल्कि शक्ति ने केशर को बेवकूफ बनाया था। उसने शक्ति से कहा,”क्या आदमी है यार तू , कैसे वो केशर दुम दबाकर भागा यहाँ से ,,कितना दिमाग है तुझमे , तुझे तो पुलिस में होना चाहिए था।”
जवाब में शक्ति सिर्फ मुस्कुरा दिया और विष्णु को वहा से लेकर चला गया।
एक हफ्ते बाद –
किशोर थाने में अपने केबिन में बैठा था की उसका फोन बजा। किशोर ने अननोन नंबर देखकर फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“हेलो सर आज शाम 5 बजे मणिकर्णिका घाट के पास वाले वाले लॉज में मिलिए आपसे कुछ जरुरी बात करनी है”,दूसरी तरफ से एक सर्द आवाज आयी
“कौन बोल रहा है ? और क्यों मिलना है ? तुमने क्या पुलिस को फिजूल समझ रखा है ,,, फोन रखो”,कहते हुए किशोर ने जैसे ही फोन काटना चाहा दूसरी तरफ से आवाज आयी,”फोन मत काटियेगा सर , मेरे पास आपके लिए कुछ जरुरी जानकारी है जो की आपके बहुत काम आ सकती है”
“देखो तुम सिर्फ पुलिस का वक्त बर्बाद कर रहे हो दोबारा फोन किया तो सीधा अंदर कर दूंगा,,,,,,,,,,समझे”,किशोर ने चिढ़ते हुए कहा
“अगर हम कहे हमारे पास प्रताप और शिवम् गुप्ता से जुडी कुछ बड़ी खबर है तब भी नहीं आएंगे ?”,दूसरी तरफ से किसी ने कहा
प्रताप और शिवम् का नाम सुनते ही किशोर के कान खड़े हो गए यही तो वह चाहता था उन दोनों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत , उसने कहा,”तुम हो कौन ? और कहा से बोल रहे हो ?”
“सर आप आज शाम मुझसे मिलिए आपको सबको पता चल जाएगा। उम्मीद है आप आएंगे”,दूसरी तरफ से आवाज आयी
“हम्म्म”,किशोर ने कहा तो दूसरी तरफ से फोन कट गया। किशोर ने कॉन्स्टेबल को बुलाया और उस नंबर की डिटेल्स निकलवाने को कहा। दोपहर तक कॉन्स्टेबल डिटेल्स ले आया और कहा,”सर आपने जो नंबर दिया है वो अस्सी घाट के पास वाले पीसीओ का है , दिनभर में वहा से 100-150 फोन किये जाते है सर आपको फोन किसने किया पता लगाना मुश्किल है ?”
“हम्म्म तुम जाओ”,किशोर ने कहा और शाम होने का इंतजार करने लगा। शाम में किशोर अकेले ही अपनी जीप लेकर उस अनजान शख्स से मिलने जा पहुंचा। जीप नदी किनारे वाले पुल के पास पहुंची। किशोर जीप से नीचे उतरा और पुल के पास चला आया। उस से मिलने आने वाला वह अनजान शख्स वही खड़ा था जब वह किशोर की तरफ पलटा तो किशोर के चेहरे के भाव बदल गए क्योकि उसने अपने चेहरे पर एक मास्क पहना हुआ था अपनी पहचान छुपाने के लिए। दोनों एक दूसरे को देखते रहे और फिर किशोर ने कहा,”ये चेहरा क्यों ढका है तुमने ?”
“आपको सबूत चाहिए या अपनी बेटी ब्याहनी है हमारे साथ ?”,सामने वाले शख्स ने सर्द आवाज में कहा तो किशोर उसे घूरने लगा।
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क्या सारिका लेगी शिवम् और मुरारी की मदद ? आखिर क्या रंग लाएगी केशर और शक्ति की दुश्मनी ? किशोर से मिलने वाला ये शख्स कौन है ? जानने के लिए पढ़ते/सुनते रहिये “मैं तेरी हीर”
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संजना किरोड़ीवाल