Sanjana Kirodiwal

मैं तेरी हीर – 35

Main Teri Heer – 35

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 35

मुंबई , नवीन का घर
दोपहर से अपने कमरे में बंद निशि ना खाना खाने नीचे आयी। वंश को फ्लेट पर छोड़ने के बाद नवीन सीधा अपने ऑफिस चला गया। मेघना घर में ही थी और वंश के जाने से बहुत उदास भी थी। शाम में नवीन जब घर आया मेघना नीचे आयी। मेघना ने नवीन के लिये गैस पर चाय चढ़ा दी।
“निशि कहा है ? कही नजर नहीं आ रही,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने सोफे पर बैठते हुए पूछा


“अपने कमरे में है , वंश वहा अकेला रह जाएगा ?”,मेघना ने सवाल किया
“मेघना , वंश छोटा बच्चा नहीं है वह एक मेच्योर लड़का है और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझता है। मुझे यकीन है वो जल्दी ही अपने नए घर में एडजस्ट हो जाएगा।”,नवीन ने कहा
“जब से वो गया है घर सुना सुना सा लग रहा है। आप चाय के साथ कुछ लेंगे ?”,मेघना ने कहा
“अह्ह्ह नहीं बस चाय,,,,,,,,,,,,,,,निशि , निशि !”,नवीन ने मेघना से कहा और फिर निशि को आवाज दी।


मेघना किचन में चली गयी। निशि अपने कमरे में सो रही थी इसलिए उसे नवीन की आवाज सुनाई नहीं दी। नवीन उठा और निशि के कमरे की तरफ चला गया। नवीन ने निशि के कमरे का दरवाजा खोला और अंदर आकर देखा निशि सो रही है। नवीन निशि के सिरहाने आकर बैठा और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा,”निशि , बेटा उठ जाओ शाम हो चुकी है।”


निशि ने धीरे से अपनी आँखे खोली ,उसने जब नवीन को वहा देखा तो उठकर बैठ गयी और कहा,”आई ऍम सॉरी डेड मुझे आपसे बदतमीजी नहीं करनी चाहिए थी।”
“इट्स ओके बेटा ! तुमने अगर कुछ कहा तो वह गुस्से में कहा और मैं उसे भूल चुका हूँ। वैसे मुझे भी तुम्हे इस तरह से नहीं डाटना चाहिए था। आई ऍम सॉरी।”,नवीन ने प्यार से कहा


“नो डेड आप सॉरी मत कहिये , आप सही थे मैंने ही कुछ ज्यादा ओवर रिएक्ट कर दिया। मुझे वंश को इतना परेशान नहीं करना चाहिए था।”,निशि ने उदास होकर कहा
निशि को उदास देखकर नवीन ने कहा,”तुम दोनों की ये प्रॉब्लम भी मैंने हमेशा हमेशा के लिये सॉल्व कर दी है , वंश अब हमारे साथ नहीं रहेगा उसका अपना खुद का फ्लेट है आज सुबह ही वह वहा शिफ्ट हो गया।

अब वंश यहाँ नहीं आएगा बेटा और इस से तुम्हे भी उस से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।”
निशि ने सूना तो अंदर ही अंदर उसका दिल टूट गया। वंश अब इस घर में नहीं आएगा जानकर ही निशि को बहुत दुःख हो रहा था लेकिन उसने अपनी भावनाओ को अपने चेहरे पर आने नहीं दिया। उसे लगने लगा उसकी वजह से वंश ये घर छोड़कर गया है। उसने नवीन की तरफ देखा और कहा,”मुझे वंश से कोई प्रॉब्लम नहीं है डेड , ट्रस्ट मी।”


“हाँ मैं जानता हूँ बेटा , तुम दोनों हमउम्र हो और देखो हमउम्र लोगो में या तो झगडे ज्यादा होते है या फिर प्यार,,,,,,,,,वंश सारिका मेडम का बेटा है इसलिये मैं उसे इस घर में लेकर आया था और उसे अपना फॅमिली मेंबर ही समझा। अब अगर वो अकेले रहना चाहता है तो मुझे इस बात से भी कोई दिक्कत नहीं है। वैसे उसका फ्लेट ज्यादा दूर नहीं है , मैं और तुम्हारी मॉम उस से मिलने जाते रहेंगे।”


“हम्म्म्म !”,निशि ने उदास होकर कहा। नवीन निशि के चेहरे पर आये हर हाव भाव को देख रहा था। निशि की भावनाओ से नवीन अनजान तो नहीं था। उसने निशि के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”वैसे तुम्हे वंश को सॉरी बोलना चाहिए , आई थिंक तुमने उसके साथ कुछ ज्यादा ही सख्ती दिखाई है।”
“लेकिन मैं,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा


“निशि कभी कभी कोई रिश्ता बचाने के लिये झुकना पड़े तो हमे थोड़ा झुक जाना चाहिए एंड मैं जानता हूँ कि तुम्हारे और वंश के बीच भी एक अच्छा रिश्ता बन सकता है,,,,,,,,,,,,,,,,,एक दोस्ती का रिश्ता। तुम्हे उसे सॉरी बोलना चाहिए बाकि मैं तुम्हे फ़ोर्स नहीं करूंगा।”,नवीन ने कहा


निशि हैरानी से नवीन को देखने लगी। अपने पापा को ऐसे बाते करते देख निशि क्या किसी को भी हैरानी होगी लेकिन निशि जानती थी कि उसके पापा काफी समझदार और शांत इंसान है।
निशि को खामोश देखकर नवीन ने कहा,”आओ चलो नीचें चलते है , तुम्हारी मॉम चाय के लिये इंतजार कर रही है।”
निशि बिस्तर से नीचे उतरी और नवीन के साथ नीचे चली आयी। मेघना दोनों के लिये चाय ले आयी और वही बैठकर सबके साथ चाय पीने लगी।

इंदौर , गौरी का घर
“गौरी सगाई एक महीने बाद है तो तुमने अभी से इतनी सारी शॉपिंग क्यों कर ली ?”,नंदिता ने गौरी का सामान देखते हुए कहा
“मैंने भी यही कहा आंटी लेकिन हमे लगता है गौरी को अपने ससुराल जाने की बहुत जल्दी है।”,पास बैठी काशी ने शरारत से कहा तो सामने बैठी गौरी ने कुशन  फेंका और कहा”जब तुम्हारी बारी आयेगी तब तुम से पूछूँगी एंड मॉम मेरी शॉपिंग के अलावा भी तो घर में इतने सारे काम होंगे ना इसलिये मैंने अपनी शॉपिंग पहले ही ख़त्म कर ली।”


“हाँ लेकिन मानवेन्द्र जी से पहले,,,,,,,,,,,,,,,एक बार उनसे भी पूछ लिया होता वो क्या पहनने वाले है ?”,नंदिता ने कहा
“मॉम मान इतना स्वीट है मैं उसे जो कहूँगी वो पहन लेगा। वैसे उसे मेरे लहंगे के मैचिंग का सूट पहनना चाहिए”,गौरी ने इतराते हुए कहा
“हम नहीं मानते , मुन्ना भैया कपड़ो के मामले में किसी की नहीं सुनते ,,,,,,,हमे नहीं लगता वो सूट पहनेंगे।”,काशी ने कहा


“तुम्हारे मुन्ना भैया हमारी सगाई में सूट ही पहनेंगे वो भी बो के साथ,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने अपनी आँखों को छोटा करके काशी को घूरते हुए कहा
“लगी शर्त ?”,काशी ने मौके पर चौका मारते हुए कहा
“मेरे 500,,,,,!!”,कुछ ही दूर डायनिंग टेबल के पास बैठे जय ने कहा
गौरी ने जब काशी के साथ साथ जय को भी शर्त लगाते हुए देखा तो कहा,”डन लगी शर्त अगर मान ने सगाई में सूट नहीं पहना तो मैं तुम दोनों को पार्टी दूंगी”


“डन,,,,,,,,!!”,काशी ने भी विश्वास से भरकर कहा
“तुम सब के बीच रहकर पता नहीं बेचारे मानवेन्द्र जी का क्या होगा ?”,नंदिता ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
“मॉम ! क्या ये आप जब देखो तब मान को मानवेन्द्र जी बुलाते रहती हो , आप उसे मुन्ना कहकर भी बुला सकती हो।”,गौरी ने कहा


नंदिता ने किचन से झांका और कहा,”मैं अभी तुम्हारे जितनी बेशर्म नहीं हुई कि अपने होने वाले दामाद को ऐसे नामो से बुलाऊ , एक हमारा जमाना था जब लड़किया अपने पति को नाम से बुलाना तो दूर किसी के सामने उनका नाम तक लेने में शर्माती थी और एक आजकल का जमाना है कोई लाज शर्म नहीं,,,,,,,,,,!!”
“अरे जब होने वाला पति इतना स्मार्ट और प्यारा हो तो नाम लेने में क्या हर्ज है ?

क्यों काशी जैसे तुम दिनभर कहती हो शक्ति शक्ति शक,,,,,,,,,,,!!”,गौरी आगे कहती इस से पहले ही काशी ने अपने हाथ से उसका मुँह बंद किया और नंदिता को देखकर खिंसिया कर मुस्कुरा दी।
“पता नहीं क्या होगा तुम्हारा ?”,कहकर नंदिता अपने काम में लग गयी
“होगा क्या मान से मेरी शादी होगी और फिर मैंने हमेशा हमेशा के लिए बनारस चली जाउंगी,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा तो काशी ने अपना सर पीट लिया कि उसे कैसी अजीब भाभी मिली है ?

काशी कुछ देर गौरी के घर रुकी और फिर घर के लिये निकल गयी। काशी घर पहुंची जैसे ही अंदर आयी अधिराज जी ने कहा,”काशी ! बेटा आने में बहुत देर की तुमने ?”
“हाँ नानू वो गौरी के साथ मार्किट गए थे। उसे अपनी सगाई के लिये कपडे लेने थे तो बस उसी में थोड़ा वक्त लग गया।”,काशी ने कहा
“अच्छा यहाँ आओ,,,,,,,,,,,,,!!”,अधिराज जी ने कहा


“जी नानू !”,काशी ने उनके पास आकर कहा
“गौरी अब सिर्फ तुम्हारी दोस्त नहीं बल्कि होने वाली भाभी है तो उसे भाभी कहकर बुलाया करो बेटा।”,अधिराज जी ने कहा
“ठीक है नानू , हम फ्रेश होकर आते है।”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा और अपने कमरे की ओर बढ़ गयी। अधिराज जी भी उठे और हाथ मुंह धोने चले गए।

काशी अपने कमरे में आयी और कपडे बदलने सीधा बाथरूम में चली गयी। काशी नेपकिन से अपना मुँह पोछते हुए बाहर आयी तभी खिड़की के बाहर काशी को कुछ दिखा। काशी खिड़की के पास आयी तो बाहर देखने लगी। कुछ ही दूर एक बोर्ड के साथ दो हाथ ऊपर आये जिन पर बड़े बड़े अक्षरों में Sorry लिखा था। काशी को बड़ी हैरानी हुई। कुछ देर बाद एक और बोर्ड आया जिस पर “I Love You” लिखा था।

उसे देखकर काशी मुस्कुरा दी। काशी को मुस्कुराते देखकर बोर्ड के पीछे छुपा शक्ति सामने आया और अपने दोनों कान पकड़ लिये काशी ने शक्ति को वहा देखा तो दौड़कर कमरे से बाहर चली गयी। शक्ति उदास हो गया उसे लगा काशी अभी भी उस से नाराज है लेकिन अगले ही पल शक्ति ने देखा काशी अपने घर से दौड़कर उसकी तरफ ही आ रही है। काशी भागते हुए शक्ति के सामने आकर रुक गयी और उसे देखने लगी।


शक्ति ने काशी को अपने सामने देखा तो मासूमियत से कहा,”आई ऍम सॉरी !”
शक्ति के मुंह से सॉरी सुनकर काशी की आँखों में नमी तैर गयी और उसने शक्ति को मारते हुए कहा,”तुम बहुत बुरे हो , हमे बहुत तंग करते हो , जाओ यहाँ से हमे बात नहीं करनी तुम से,,,,,,,,,,!!!”
शक्ति हँसते हुए काशी के नाजुक हाथो से मार खाता रहा हालाँकि उसको लग बिल्कुल नहीं रही थी।

कुछ देर बाद शक्ति ने काशी के दोनों हाथो को पकड़ा और कहा,”अच्छा बस करो , हम थोड़ा बिजी थे इसलिए तुम से नहीं मिल पाये लेकिन तुम्हे हम से ऐसे नाराज होने का कोई हक़ नहीं है।”
“तो तुम्हे भी हमे इस तरह सताने का कोई हक़ नहीं है।”,काशी ने नाराज होते हुए कहा
“हम तो तुम्हे जिंदगीभर सताने वाले है काशी,,,,,,,,,,,,क्योकि तुम्हे तंग करके हमे बहुत अच्छा लगता है।”,शक्ति ने काशी को अपनी बांहो में भरते हुए कहा


“पुलिस वालो के मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती मिस्टर शर्मा,,,,,,,,!”,कहते हुए काशी ने शक्ति को पीछे धकेला और जाने लगी तो शक्ति ने काशी का हाथ पकड़ा और उसे रोकते हुए कहा,”अरे अभी आयी और अभी वापस जा रही हो।”
“हाँ , नानू नानी ने देखा तो क्या सोचेंगे ? तुम से मिलने इतनी रात में हम घर से बाहर है।”,काशी ने अपनी आँखों को छोटा करते हुए कहा  


“ठीक है फिर हम घर में आजाते है !”,शक्ति कहते हुए जैसे ही काशी की तरफ बढ़ा काशी ने उसे रोककर कहा,”ऐसे रोज रोज शादी से पहले ससुराल में आना अच्छा नहीं होता है शक्ति,,,,,,,,,,,,,,जाओ !”
“पक्का जाये ?”,शक्ति ने प्यार से काशी की तरफ देखते हुए कहा


काशी शक्ति के पास आयी उसके गाल को अपने होंठो से छुआ तो शक्ति ने अपनी आँखे मूँद ली। काशी शक्ति से दूर हटी और कहा,”अब जाओ !”
काशी वहा से चली गयी और शक्ति भी मुस्कुराते हुए अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

बनारस , मुरारी का घर

मुरारी को उर्वशी के साथ देखने के बाद अनु मार्किट ना जाकर सीधा घर चली आयी। वह गुस्से से लाल थी और वजह क्या थी ये मुन्ना भी नहीं जानता था। अनु को घर छोड़कर मुन्ना किसी जरुरी काम से बाहर चला गया और अनु गुस्से से अपने कमरे में यहाँ वहा चक्कर काटने लगी।
सारिका और आई अकेले ही शॉपिंग कर घर चली आयी। सारिका अनु से मिलना चाहती थी इसलिए आई को साथ लेकर अनु के घर के लिये निकल गयी।


उर्वशी से बचकर मुरारी घर आया। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। अनु इस वक्त किन हालातो में होगी और मुरारी को देखते ही उसका रिएक्शन क्या होगा सोचकर ही मुरारी की हालत पतली हुई जा रही थी। मुरारी बिना आवाज किये धीरे धीरे अंदर आया।
“मुरारी भैया,,,,,,,,,,!!”,किशना ने आकर धीरे से कहा और ये मुरारी को हार्ट अटैक देने के लिये काफी था। मुरारी गिरते गिरते बचा और अपने दिल पर हाथ रखकर कहा,”ए किशना,,,,,,,,,,,,,,,का कर रहे साला जान लेबो हमरी !”


“भैया हम जे कह रहे भाभी बहुते गुस्से में है,,,,,,,,,,,,,,इतना गुस्से में तो कबो ना देखे है उनको , हम तो भाजी लेने जा रहे है भैया आप देख लेना अपने हिसाब से,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर किशना चला गया
“जे ससुरा हमको बताकर गया है के धमकाकर , बैसे हम साला जो कांड किये है ओह के बाद डरना तो बनता है मिश्रा,,,,,,,,,,,,,साला तुमहू हो एक नंबर के रंगबाज , अरे काहे गए उर्वशी के पीछे,,,,,,,,,,,

कर दी न तुम्हरी तपस्या भंग अब झेलो,,,,,,,,,,,,,साला हमरा माथा खराब था जो हम उनकी मदद करने का सोचे,,,,अब लग गयी न हमरी लंका उह भी ऐसी कि बचना मुश्किल है,,,,,,,,,,,,,अब तुम्ही सहारा हो महादेव सम्हाल ल्यो , वादा करते है आज के बाद किसी महिला के पीछे नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,!”

महादेव को याद करते हुए और उनसे अपने किये की माफ़ी मांगते हुए मुरारी अपने कमरे की तरफ चला आया। मुरारी जैसे ही कमरे में आया अनु की नजर उस पर पड़ी और उसने ड्रेसिंग पर रखा पॉट उठाकर मुरारी की तरफ फेंका लेकिन गनीमत था कि मुरारी को लगा नहीं और पॉट के टुकड़े हो गए।
“अरे अरे का कर रही हो अनु लग जाएगी , पगला गयी हो का यार ?”,मुरारी ने कहा


“हाँ हाँ पगला गए है , आज तुम्हारी असलियत देखकर पगला गयी हूँ मैं,,,,,,,,,,,,,,,अब पता चला ये महंगे महंगे परफ्यूम लगाकर कहा जाते थे ?”,कहते हुए अनु ने मुरारी की सबसे महंगे वाली परफ्यूम उठायी और मुरारी की तरफ फेंकी जो कि मुरारी को लगते लगते बची


“अरे अनु का कर रही हो परफ्यूम के साथ हमे काहे तोड़ रही हो यार,,,,,,,,,एक बार हमरी बात तो सुनो तुम जो समझ रही हो वैसा कुछो नहीं है , हमरा यकीं करो”,मुरारी ने कहा
अनु ने मुरारी की बात नहीं सुनी और एक के बाद एक कमरे के सामान को तोड़ना शुरू कर दिया। साथ ही जो हाथ में आता उसे गुस्से से मुरारी पर फेंके जा रही थी।

सारिका और आई हँसते मुस्कुराते बातें करते जैसे ही अंदर आयी तोड़ फोड़ की आवाज सुनकर दोनों ने हैरानी से एक दूसरे को देखा।
“सारिका बिटिया जे कैसी आवाजे है ?”,आई ने कहा


“हाँ आई लगता है कुछ हुआ है।”,कहते हुए सारिका आई को साथ लेकर अनु के कमरे की तरफ बढ़ गयी जहा से ये आवाजे आ रही थी। अंदर आकर आई और सारिका ने देखा कमरे में टुटा फूटा सामान फैला हुआ था और मुरारी दुबक कर खिड़की के ऊपर चढ़ा हुआ था।

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