Main Teri Heer – 33
Main Teri Heer – 33
किशोर दत्त “वंश गुप्ता” को अरेस्ट करने के लिए मुरारी के घर आया था। मुरारी को इतना अंदाजा तो हो चुका था की कही ना कही किशोर डबल गेम खेल रहा है वरना इतनी सुबह सुबह वह वंश को अरेस्ट करने क्यों आता ? वो भी राजन के लिए”
भूषण पर हाथ उठाने की वजह से किशोर ने मुरारी से कहा,”माफ़ कीजियेगा विधायक जी ऐसे गुस्सा करने से काम नहीं चलेगा। आपके वंश गुप्ता पहले अस्सी घाट के पास वाले मार्किट में पब्लिक के सामने राजन को पिटे है और फिर कल रात उनके घर में घुसकर मारे है उनको। अगर वंश गुप्ता यहाँ है तो बुलाइये अभी सब पता चल जाएगा”
मुरारी ने हाँ में गर्दन हिलाई और किशना से ऊपर जाकर वंश को बुलाकर लाने को कहा। किशना ऊपर आया देखा मुन्ना बाथरूम में है और वंश सो रहा है। उसने वंश को उठाया और कहा,”वंश भैया नीचे पुलिस आयी है”
पुलिस नाम सुनकर वंश नींद से उठा , हालाँकि डरता तो वह किसी से नहीं था लेकिन कल रात जो कांड हुआ उसके बाद कही बात शिवम् तक ना पहुँच जाये सोचकर वंश नीचे चला आया। गनीमत था काशी और अंजलि अभी तक सो रही थी। वंश बाहर आया। किशोर को देखते ही वंश की भँवे तन गयी उसने मुरारी के पास आकर कहा,”हां चचा क्या हुआ ?”
“हम बताते है क्या हुआ ? कल रात तुम कहा थे ?”,किशोर ने सवाल किया
“कहा थे से क्या मतलब यही थे चाचा के साथ”,वंश ने अकड़ के साथ कहा
“तो फिर राजन के घर में कौन था ? और उसकी इतनी बेरहमी से पिटाई किसने की ?”,किशोर ने सवाल किया
“आप तो ऐसे कह रहे है जैसे उसे मैंने पीटा हो”,वंश ने कहा
“हमे पूरा यकीन है वंश गुप्ता , कल पहले तुमने राजन से झगड़ा किया , उसे जान से मारने की धमकी दी और फिर रात में उसके घर जाकर उसे बेरहमी से पीटा क्यों सही कहा ना ?”,किशोर ने वंश को घूरते हुए कहा
“लगता है रात की उतरी नहीं है”,वंश ने कहा
“ए तमीज से,,,,,,,,,,,,,तुम कल रात राजन के घर में थे इस बात का सबूत है हमारे पास”,कहते हुए इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से घडी निकाली और वंश को दिखाते हुए कहा,”ये तुम्हारी ही है न”
वंश ने घडी को देखा और कहा,”ऐसी घडिया चोर बाजार में बहुत मिल जाएगी , बोलो कितनी चाहिए”
किशोर ने सूना तो गुस्से से वंश को घूरने लगाऔर कहा,”लेकिन ये घडी तुम्हारी ही है वंश गुप्ता”
“कल को कह दोगे जे पुलिस की गाड़ी भी मेरी है। ऐसी घडिया बनारस के हर मार्किट में मिल जाएगी वो भी बनारस के आधे से ज्यादा लौंडो के हाथ में”,वंश ने कहा
“ठीक है मान लिया ये घड़ी तुम्हारी नहीं है लेकिन राजन को सबके सामने मारने की धमकी देना वो तो सच है ना ?”,किशोर ने वंश की आँखों में देखते हुए कहा
“ऐसे तो आप लोग भी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले कहते हो की ईमानदारी से काम करोगे,,,,,,,,,,,,करते हो क्या ?”,वंश ने किशोर की आँखों में देखते हुए कहा
“ए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,किशोर ने वंश को घूरते हुए कहा
“ए क्या ?,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने भी किशोर को घूरते हुए कहा
मुरारी ने देखा तो किशोर से कहा,”ए दरोगा जी आपको ना कोनो गलफहमी हुई है , वंश कल हमारे साथ था उह राजन को कैसे मार सकता है ? आप ना ठीक से छान बीन करो जे ऑपोजिशन की कोनो चाल है”
“लेकिन विधायक जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,किशोर ने कहना चाहा तो मुरारी ने उसके सामने हाथ कर उसे रोकते हुए कहा,”देखो दरोगा जी अगर वंश के खिलाफ पुख्ता सबूत हो तो इसे ले जाओ हम कुछ नहीं कहेंगे लेकिन बिना किसी सबूत के हमारे घर के बच्चो का नाम उछालना मतलब मुरारी मिश्रा का नाम उछालना ,, और हमको ना हमारे नाम से बड़ा प्यार है। चाय पिएंगे ?”
“नहीं शुक्रिया ?”,किशोर ने वंश को देखते हुए कहा।
“हम तो पिएंगे , जय हिन्द”,कहते हुए मुरारी वंश को लेकर वहा से चला गया। वंश ने पलटकर देखा तो उसे जीप के साइड में खड़ा भूषण दिखाई दिया। उसे देखते ही उसकी भँवे फिर तन गयी लेकिन मुरारी साथ था ऐसे में वंश ऐसी कोई हरकत करना नहीं चाहता था जिस से माहौल और ज्यादा खराब हो .
किशोर अपने मनसूबे में सफल नहीं हो सका भूषण उसके सामने आया और कहा,”अरे दरोगा जी जे का किये ? ऐसे ही चले जाने दिया उसको गिरफ्तार काहे नहीं किया ?”
मुरारी के तेवर और वंश के जवाबो से किशोर का दिमाग पहले से ही गर्म था उसने भूषण को एक थप्पड़ मारा और कहा,”तुम लोगो ने पुलिस को समझ क्या रखा है ? ये (घडी दिखाते हुए) सबूत है वंश के खिलाफ इस से घंटा कुछ नहीं उखड़ने वाला है इस लड़के का ,, ऊपर से विधायक का भतीजा है बिना सबूत के गिरफ्तार करेंगे तो ऊपर भी जवाब देना पडेगा। तुम लौंडो के आपसी झगडे के चक्कर में हमे सुनना पड़ रहा है। कॉन्स्टेबल जीप निकालो”
भूषण सुबह सुबह अपने दोनों गालो पर थप्पड़ खा चुका था उसने इस वक्त कुछ बोलना ठीक नहीं समझा इसलिए चुपचाप वहा से चला गया। किशोर का मूड खराब हो चुका था। अभी कुछ ही दूर चले होंगे की किशोर का फोन बजा किशोर ने फोन उठाया और कहा,”हेलो सर”
“अभी के अभी सिटी हॉस्पिटल पहुंचो”,दूसरी तरफ से एक रौबदार आवाज गुजरी और फोन कट गया। किशोर का खराब मूड और ज्यादा खराब हो गया उसने हाथ में पकड़ा फोन जीप के डेशबोर्ड पर फेंका तो बगल में बैठे कॉन्स्टेबल ने कहा,”का हुआ सर ?”
“जीप सिटी हॉस्पिटल की तरफ लो , साला सबने पुलिस वालो को अपना गुलाम समझ रखा है”,किशोर ने चिढ़ते हुए कहा
कुछ देर बाद जीप सिटी हॉस्पिटल पहुंची , किशोर ICU के बाहर पहुंचा प्रताप अपने कुछ आदमियों के साथ वहा मौजूद था और गुस्से में यहाँ से वहा टहल रहा था। किशोर को देखते ही प्रताप उसकी ओर आया तो प्रताप ने कहा,”नमस्ते सर”
“नमस्ते गया भाड़ में , हमको जे बताओ हमारे बेटे को मारने वाले को गिरफ्तार किया या नहीं ?”,प्रताप ने गुस्से से उबलते हुए कहा
“आपके बेटे को मारने वाला कौन है अभी पता नहीं चला है सर ? पुलिस तलाश कर रही है”,किशोर ने धीमी आवाज में कहा
“ए दरोगा 24 घंटे के अंदर अंदर हमको उह चाहिए जिसने हमरे बेटे को मारा है।”,प्रताप ने किशोर को घूरते हुए कहा
किशोर वहा से नीचे चला आया गुस्सा किस पर उतारे इसलिए अपना हाथ जीप के बोनट पर दे मारा। किशोर को समझ नहीं आ रहा था आखिर क्या करे ? बनारस में आते ही उसने प्रताप से हाथ मिला लिया था और नतीजा ये हुआ की अब उसे प्रताप के इशारो पर नाचना पड़ रहा था। किशोर थाने चला आया और कॉन्स्टेबल से कहा,”हमे प्रताप और मुरारी का बैकग्राउंड चाहिए”
“ठीक है सर”,कहकर कॉन्स्टेबल चला गया।
किशोर के सामने दो नाम थे पहला मुरारी और दुसरा प्रताप , इन दोनों के बैकग्राउंड के बारे में जानना किशोर के लिए जरुरी हो गया था। वैसे भी किशोर के दिमाग में क्या चल रहा था ये तो सिर्फ किशोर ही जानता था।
किशोर के घर आने से सुबह सुबह मुरारी का मूड खराब हो चुका था वह वंश को साथ अंदर ना जाकर बाहर बगीचे में पड़ी कुर्सियों पर आ बैठा और किशना से चाय लाने का इशारा किया। वही वंश उलझन में था ये जानकर की भूषण किशोर के साथ क्यों आया था ? अगर वह राजन का आदमी था तो उस दिन मुन्ना पर हमला करवाने वाला राजन था। लेकिन मुरारी और किशोर के सामने भूषण को लेकर वंश को चुप रहना पड़ा क्योकि वह नहीं चाहता था दिवाली वाली रात की बात सबके सामने आये। वंश को सोच में डूबा देखकर मुरारी ने कहा,”हां तो वंश बाबू खुद से बताओगे या हम उगलवाए तुमसे”
वंश की तंद्रा टूटी तो वह मुरारी के सामने पड़ी खाली कुर्सी पर बैठने को हुआ लेकिन मुरारी ने सख्त स्वर में कहा,”खड़े रहो चुपचाप , इह बख्त जो तुम्हारे सामने बैठे है वो तुम्हारे चाचा नहीं है बल्कि बनारस के विधायक मुरारी कुमार मिश्रा है समझे”
“सॉरी”,वंश ने धीरे से कहा
“काहे मारे राजन को ?”,मुरारी ने वंश के चेहरे की और देखते हुए कहा जिस पर भाव आ जा रहे थे
“हमने नहीं मारा”,वंश ने मासूमियत से कहा
“बेटा जे तो हुआ झूठ , अब जे बताओ क्यों मारा ?”,मुरारी ने कहा तो वंश समझ गया की सच बोलने में ही भलाई है उसने मार्किट में हुई सारी बात मुन्ना को बता दी साथ ही राजन को मारने वाली बात भी खुद पर ले ली क्योकि इन सब में वह मुन्ना को फ़साना चाहता था। मुरारी ने शांति से सारी बात सुनी और फिर थोड़ा गुस्से से कहा,”अबे पगला गए हो , साला हम हिया दिन रात बनारस में शांति का माहौल बनाने की कोशिश में है और हमरे ही घर के लौंडे उत्पात मचा रहे है। का जरूरत थी सबके सामने उसको मारने की ?”
“उसने काशी के साथ बदतमीजी की थी , हम का देखते रहते दिए उठा के दो कंटाप का गलत किये ?”,वंश भी ताव में आ गया
“बेटा जे उम्र में गुस्सा जल्दी आता है हमको पता है लेकिन तुमहू जो किये हो उसके बाद प्रताप का शांत बैठेगा ? एक तो पहले से ही उसके और हमारे बीच गहमागहमी का माहौल है ,, उह दिन मुन्ना उसकी कॉलर पकड़ लिए आज तुम उसके बेटे को पीट आये ,, तुम दोनों मिलके हमारी कुर्सी खतरे में डाल दोगे बेटा बता रहे है”,मुरारी ने कहा
वंश को अब मुन्ना की बात समझ आ रही थी की मुन्ना बार बार उसे क्यों समझा रहा था ? जिस बैकग्राउंड से वंश और मुन्ना थे उनके लिए ये छोटी छोटी चीजे आगे जाकर समस्या पैदा करने वाली थी। वंश ख़ामोशी से सर झुकाये मुरारी की बात सुनता रहा। उधर मुन्ना नहाकर आया देखा वंश नहीं है तो टीशर्ट और लोअर पहनकर नीचे चला आया। उसने देखा अनु किचन में है किशना उधर से चाय लेकर गुजरा तो मुन्ना ने उसे रोककर पूछा,”किशना भैया वंश कहा है ?”
“वंश बाबू बाहर है मुरारी भैया के साथ ,
थोड़ी देर पहले दरोगा जी आये थे , वंश भैया से पूछताछ करने”,किशना ने कहा
मुन्ना ने सूना तो सीधा बाहर चला आया , उसने मुरारी के सामने आकर कहा,”पापा राजन को हमने पीटा था”
मुरारी ने शांत भाव से मुन्ना को देखा और कहा,”एक दूसरे को बचाने की जे कलाकारी ना रहने दो तुम दोनों , वंश सच बोल चूका है”
मुन्ना ने वंश की तरफ देखा तो वंश ने आँखों ही आँखो में मुन्ना से चुप रहने का इशारा किया। मुरारी आगे कुछ कहता इस से पहले ही उसका फोन बज उठा। मुरारी फोन लेकर साइड में चला आया। मुन्ना वंश की ओर पलटा और कहा,”तूने पापा से झूठ क्यों बोला ?”
“तुमने भी तो हमे कितनी बार पापा की डांट से बचाया है ना”,वंश ने कहा
“हम्म्म , वो दरोगा क्यों आया था यहाँ ?”,मुन्ना ने फिर पूछा
“राजन के बाप ने हमारे खिलाफ कम्प्लेन की है की हमने राजन को मारा है , उसी के लिए पूछताछ करने आया था। चाचा ने सबूत माँगा सबूत उनके पास था नहीं तो कैसे धरते हमको ? चला गए वापस”,वंश ने बेपरवाही से कहा
“तुमको जरा भी डर नहीं लगता ना वंश ?”,मुन्ना ने थोड़ा परवाह जताते हुए कहा
“मुन्ना डर तो मुझे तब भी नहीं लगा था जब मैं गलत था और इस बार तो ना मैं गलत हूँ ना ही प्रताप मेरा बाप है”,वंश ने कहा और वहा से चला गया।
Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33 Main Teri Heer – 33
क्या मुरारी इस मामले को सुलटा पायेगा ? क्या प्रताप अपने बेटे का बदला लेगा ? इस कहानी में किशोर किसके साथ है ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 34
Read More – “मैं तेरी हीर” – 32
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संजना किरोड़ीवाल