Main Teri Heer – 32
Main Teri Heer – 32
अनु काशी और अंजलि के साथ अपनी गर्ल्स टॉक में बिजी थी। मुन्ना वंश और मुरारी की बातो से बचने के लिए दूसरे कमरे में आकर सो गया। अब बचे मुरारी और वंश तो दोनों ही बिस्तर पर करवटें बदल रहे थे क्योकि दोनों को ही नींद नहीं आ रही थी। वंश उठकर बैठ गया और कहा,”यार चाचू भूख लगी है कुछ खाये क्या ?”
“भूख तो हमे भी लगी है , एक काम करते है नीचे ही चलते है”,मुरारी ने कहा
वंश ने अपना हुडी उठाया पहना और मुरारी के साथ नीचे चला आया। रात के 12 बज रहे थे और सभी सो चुके थे लेकिन वंश और मुरारी दोनों किसी भूत की तरह घर में यहाँ वहा चक्कर काट रहे रहे थे। दोनों दबे पांव किचन की तरफ आये , दीना भी बगल वाले में कमरे में खर्राटे ले रहा था। मुरारी आगे और वंश पीछे , अंधेरे में कुछ दिख भी नहीं रहा था तो चलते चलते वंश मुन्ना से टकरा गया तो मुरारी ने खीजते हुए कहा,”लो आओ हमारी गोद में चढ़ जाओ”
“सॉरी वो अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा ना”,वंश ने दबी आवाज में कहा
“अरे तो लाइट्स जलाई तो मैग्गी जाग जाएगी ना”,मुरारी ने कहा
“ए चाचा आप ये अनु मौसी को मैग्गी क्यों बुलाते हो ?”,वंश ने आज पूछ ही लिया
“अरे का है ना शादी से पहिले उसके बाल ना ऐसे टेढ़े मेढ़े थे , बिल्कुल मैग्गी जैसे बस प्यार से रख दिए उसका नाम मैग्गी”,मुरारी ने कहा
वंश ने सूना तो मुरारी को मुन्ना समझकर आदतन अपना हाथ जोर से उसके कंधे पर दे मारा और हँसते हुए कहा,”कितना फनी रीजन है”
वंश की इस हरकत से मुरारी गिरते गिरते बचा और वंश की ओर पलटकर कहा,”अभी तो यही समाधी बना देते हमारी , बहुते बेसब्र इंसान हो तुम , एक काम करो चलकर हमारे ऑफिस वाले कमरे में बइठो हम वही आते है”
“हम्म ठीक है”,वंश वहा से ऑफिस रूम में चला आया। कमरे में आकर उसने चैन की साँस ली और खुद से कहा,”बच गए वंश”
मुरारी ने किचन में खाने का सामान ढूंढा लेकिन कुछ खास मिला नहीं बस एक बड़ा पैकेट नमकीन था उसे देखते ही मुरारी को पुराने दिन याद आ गए और होंठो पर एक मुस्कान तैर गयी। उसने नमकीन का पैकेट उठाया और अपने ऑफिस रूम में आ गया। वंश वही कुर्सी पर बैठा ऊंघ रहा था मुरारी ने उसके सामने लाकर रखा। ऑफिस में ही बनी अपनी कबर्ड के पास गया वहा से एक बढ़िया शराब की बोतल उठा लाया।
इस कहानी में लेखक किसी भी तरह के नशे को बढ़ावा नहीं देता है , शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।)
मुरारी वंश के सामने आ बैठा। शराब देखकर वंश की आँखे चमकी लेकिन उसकी इतनी हिम्मत कहा की वह मुरारी के सामने पीने की कोशिश भी करे इसलिए उसने शरीफ बनने का नाटक करते हुए कहा,”ये क्या आप तो ये पी लेंगे मैं क्या करूंगा ?”
“इसीलिए तो तुम्हारे लिए ये लाये है नमकीन , फाको”,मुरारी ने ढक्कन खोलते हुए कहा
“खाली नमकीन से क्या होगा ?”,वंश ने कहा
“तो तुम्हारे लिए भी बना दे,,,,,,,,,,,,,,,पैग”,मुरारी ने अपने ग्लास में थोड़ी सी शराब उड़ेलते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं चाचा कैसी बातें कर रहे है आप ? मैं ये सब नहीं पीता”,वंश ने कहा
मुरारी ने सूना तो उसकी भँवे चढ़ गयी और उसने कहा,”बेटा नशेड़ियों की मण्डली और बनारस के लौंडो की कुंडली ना हमारी नजरो से छुपी नहीं है ,, जिस स्कूल में तुम पढ़े हो ना उस स्कूल में हम टीचर रह चुके है जे पट्टी ना हमको ना पढ़ाओ”
वंश ने सूना तो मुरारी का मुंह ताकने लगा , अब मुरारी मिश्रा से तो कुछ छुपा नहीं था लेकिन आज वंश कुछ और ही मूड में था इसलिए कहा,”अरे चचा आपकी छोड़ दिए है , मुन्ना ने कसम दे रखी है”
“ए बेटा तुम ना एक्को काम करो हमारी कसम खाना छोड़ दो , साला किसी दिन पता चले मौत से बचे लेकिन तुम्हारी कसम खाने की आदत से चल बसे”,मुरारी ने कहा
“बहुत बकवास जोक है”,वंश ने उठते हुए कहा
“अरे गर्माते काहे हो बैठो यार , शिवम् भैया के बाद तुम्ही तो हो जिस से थोड़ा फ्रेंडली हो जाते है”,मुरारी ने कहां तो वंश वापस बैठ गया
वंश नमकीन खाने लगा और मुरारी धीरे धीरे अपना पैग खत्म करने लगा। नमकीन खाते हुए वंश ने कहा,”अच्छा चाचा एक बात पूछे”
“एक काहे दो पूछो”,मुरारी ने कहा
“ये आपका पासवर्ड क्या है ? मतलब बहुत बार सुने है आपके मुंह से”,वंश ने कहा
“अच्छा पासवर्ड”,कहते हुए मुरारी मुस्कुराया और फिर कहने लगा,”एक ज़माने में हमारी भी सहेलिया हुआ करती थी , तो करते थे की फेसबुक , इंस्टाग्राम , फोन का पासवर्ड उन्ही के नाम से रखते थे। पर जब तुम्हारी मौसी मिली साला हम सारे पासवर्ड ही भूल गए। उसके बाद ना कोई नहीं सिर्फ उन्ही के नखरे उठा रहे है”
“अच्छा ये तो आपने बता दिया की मौसी के लिए कितना प्यार है अब ये बताओ की राधिका भुआ से कितना प्यार है आपको”, वंश ने मुरारी को टटोलते हुए कहा
“राधिका,,,,,,,,,,,,,अरे उह तो हमारी और शिवम् भैया की इकलौती बहन है। उसने शिवम् भैया के साथ साथ हमेशा हमे अपना भाई समझा और हम भी जब तक जियेंगे अपनी बहन ख़ुशी के लिए सब करेंगे”,मुरारी को अब थोड़ी थोड़ी चढ़ने लगी थी
“मान लो अगर राधिका भुआ को कोई छेड़े तो आप क्या करोगे ?”,वंश ने पूछा
“ज़िंदा गाड़ देंगे ससुरे को , बनारस में किसकी हिम्मत जो हमारी बहन को छेड़े,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे थोड़े कहने के लिए उसके भाई है”,मुरारी ने कहा तो वंश कुछ सोचने लगा और फिर उठकर जाने लगा,”अब तुम कहा चले ?”
“वाशरूम”,कहते हुए वंश वहा से चला गया। बाहर आकर वंश ने डायनिंग पर रखी मुन्ना की बाइक की चाबी उठाई और बाहर चला आया। बाइक लेकर वंश वहा से चला गया। आँखों में गुस्सा और चेहरे पर कठोरता के भाव थे। वंश ने बाइक प्रताप के घर के पीछे हिस्से में रोकी। पीछे लगे पाइप से प्रताप के घर की बालकनी में आया। दबे पाँव वंश प्रताप के कमरे की खिड़की के बाहर आया। ये तो कन्फर्म हो चूका था की वंश यहाँ राजन को पीटने के इरादे से आया था। उसने धीरे से खिड़की खोली और अंदर कूद गया लेकिन अंदर का नजारा देखकर वंश हैरान था। राजन पहले से किसी के हाथो मार खाकर नीचे जमीन पर पड़ा बिलबिला रहा था , उसकी आँख , नाक मुंह सब लाल हो चुके थे। वंश तो खुद उसे पीटने आया था लेकिन कोई पहले ही राजन को पीट चुका था। वंश ने जैसे ही साइड में देखा आराम कुर्सी पर पैर पसारे बैठा मुन्ना इत्मीनान से सिगरेट के कश लगा रहा था। वंश को ये देखकर और ज्यादा हैरानी हुई वह मुन्ना के पास आया और कहा,”तू यहाँ क्या कर रहा है ? और ये राजन को तूने पीटा”
“तुमको क्या लगता है काशी सिर्फ तुम्हारी बहन है ?”,मुन्ना ने बहुत ही सधे हुए स्वर में कहा तो वंश मुस्कुराये बिना ना रह सका। उसने दो चार घुसे राजन को और जड़ दिए। सिगरेट खत्म हो चुकी थी मुन्ना उठा और वंश को वहा से लेकर जाने लगा। चलते चलते वंश ने राजन के पेट में एक लात और जड़ दी। राजन में इतनी हिम्मत नहीं थी की वह उठकर वंश या मुन्ना का मुकाबला करे। वंश और मुन्ना बालकनी से नीचे आये। वंश ने बाइक स्टार्ट की और मुन्ना से बैठने का इशारा किया। मुन्ना उसके पीछे आ बैठा वंश ने बाइक आगे बढ़ा दी। कुछ दूर चलने के बाद वंश ने कहा,”तू अकेला यहा क्यों चला आया ? राजन के लोग अगर हमला कर देते तो ?”
“इतनी हिम्मत है उन लोगो में”,मुन्ना ने जवाब ना देकर सामने से सवाल किया
“पर मैंने सोचा नहीं था तू ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,वंश कहते कहते रुक गया
“सही सोचा था तुमने लेकिन आज जब अपनी बहन की आँख में आँसू देखे तो बर्दास्त नहीं हुआ। चाहते तो उस राजन को वही सबक सीखा सकते थे लेकिन वो वक्त और जगह दोनों सही नहीं थी”,मुन्ना ने कहा
“लेकिन तू ऐसे पैदल ही चला आया बाइक ले आता”,वंश ने कहा
“बाइक हमने जान बुझकर तुम्हारे लिए छोड़ी थी , हमे पता था तुम जरूर आओगे क्योकि आज की रात राजन का पीटना तय था”,मुन्ना ने कहा
“समझ में नहीं आ रहा तुझे थैंक्यू कैसे कहू ?”,वंश ने कहा
“क्या मुश्किल है ? कहो थैंक्यू मुन्ना भैया”,मुन्ना ने कहा
“भैया और वो भी तुम्हे इस जन्म में तो कोई चांस नहीं है , वैसे तू चाहे तो पूजा को भाभी कहकर बुला सकता हूँ मैं”,वंश ने मुन्ना को छेड़ते हुए कहा
“एक और बार तूने उसका नाम लिया ना तो पक्का हमसे पिट जायेगा”,मुन्ना ने चिढ़ते हुए कहा
“मतलब तुम्हे वो पसंद नहीं है ?”,वंश ने पूछा
“अच्छी लड़की है लेकिन हम उसे उस नजर से नहीं देखते की तुम उसे भाभी कहना शुरू कर दो”,मुन्ना ने कहा
“मतलब थोड़ी सी भी फीलिंग नहीं है , उसे देखकर कुछ नहीं होता तुझे ?”,वंश ने फिर कहा
“नहीं”,मुन्ना ने कहा
“डॉक्टर को दिखाया तूने ?”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने उसका कान मरोड़ते हुए कहा,”बहुत शरारत सूझ रही है ना तुम्हे”
“अरे अरे मुन्ना मजाक कर रहा था , छोड़ ना दर्द हो रहा है। अच्छा बाबा सॉरी”,वंश ने मिमियाते हुए कहा तो मुन्ना ने उसका कान छोड़ दिया और कहा,”आखरी बार बोल रहे है हमारे मन में उसके लिए कुछ नहीं है”
“वैसे एक बात कहू मुझे भी कुछ खास पसंद नहीं आयी तुम दोनों की जोड़ी , तुम्हारे जैसे शांत लड़के के लिए एक दम तेज तर्रार लड़की की जरूरत है जो तुम्हारे लिए किसी से भीड़ जाये। जिसकी जबान चले एकदम कैंची जैसी , जो दिखने में मासूम लेकिन दिमाग से तेज”,वंश ने कहा
जैसे ही वंश ने कहा मुन्ना की आँखों के आगे इंदौर वाला वो सीन आ गया जब बार में वह गौरी से टकराया था और गौरी ने कहा था,”ओह्ह हेलो देखकर नहीं चल सकते क्या ?”
“मुन्ना , ए मुन्ना , मुन्ना अबे कहा खो गए ?”,वंश ने ऊँची आवाज में कहा तो मुन्ना अपने ख्यालों से बाहर आया और कहा,” कही नहीं चल घर चल पापा को पता चला ना प्रॉब्लम हो जाएगी”
“अरे डोंट वरी तेरे पापा मस्त दारू पीकर सो रहे है”,वंश ने कहा
“क्या पापा घर में पी रहे थे ?”,मुन्ना ने पूछा
“हाँ मैं ही कम्पनी देकर आया हूँ उन्हें”,वंश ने बेपरवाही से कहा
“शर्म नहीं आती उनके साथ ड्रिंक करते हुए , वो भी उनके सामने”,मुन्ना ने वंश के सर पर चपत लगाते हुए कहा
“अरे इसमें शर्म कैसी ? वैसे भी तेरे पापा बड़े कूल है उनके साथ बैठकर ना दोस्तों वाली फीलिंग आती है”,वंश ने कहा
“हमे नहीं आती”,मुन्ना ने उखड़े हुए स्वर में कहा
“ओके स्टॉप , अब इस टॉपिक पर बात नहीं होगी”,कहते हुए वंश बाइक घर के अंदर ले आया। दोनों अंदर चले आये वंश ऊपर कमरे की और चला गया। चलते हुए मुन्ना की नजर मुरारी के ऑफिस की तरफ चली गयी जहा मुरारी आराम कुर्सी पर सो रहा था। मुन्ना दूसरे कमरे से एक कम्बल ले आया और ऑफिस रूम में आकर मुरारी को ओढ़ा दी। हाथ में पकड़ा ग्लास लेकर टेबल पर रख दिया। मुन्ना कुछ देर तक एकटक मुरारी को देखता रहा। कितना सुकून नजर आ रहा था इस वक्त उसके चेहरे पर। उसने कमरे की लाइट बंद की और ऊपर अपने कमरे में चला आया।
सुबह मुरारी उठा तो उसका सर दर्द कर रहा था वह कमरे से बाहर आया और किशना से कहा,”ए किशना एक्को स्ट्रांग चाय देना जरा”
कहते हुए मुरारी जैसे ही सोफे की तरफ आया बाहर काम कर रहे माली ने आकर कहा,”विधायक जी उह दरोगा जी मिलने आये है आपसे , बाहर खड़े है”
“सुबह सुबह इनको का चाहिए अब , आते है”,कहते हुए मुरारी उठा और बाहर चला आया। बाहर आकर उसने देखा किशोर दत्त अपने दो चार कॉन्स्टेबल के साथ खड़ा है। मुरारी उसके पास आया और कहा,”का दरोगा सबेरे सबेरे थाने जाने के बजाय हिया ?”
किशोर ने हाथ में पकड़ा कोई डाक्टरी कागज मुरारी की तरफ बढ़ा दिया। मुरारी ने कागज को उलट पलट कर देखा , उसका सर पहले ही दर्द कर रहा था उस पर नींद से आँखे बोझल उसने कागज पास खड़े कॉन्स्टेबल की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”पढ़ो जरा का लिखा है”
कॉन्स्टेबल ने कागज लिया और पढ़ने लगा,”मरीज का नाम राजन प्रताप सिंह , उम्र 25 साल ,, 4 फ्रेक्चर पैर में , 3 दाहिने हाथ में , बांये हाथ में प्लास्टर , 12 टाँके , और 7 टाँके सर में”
“ए दरोगा जे सब हमको काहे बता रहे हो ? का अस्पताल का बिल हमसे भरवाओगे ?”,मुरारी ने कहा
“माफ़ करना विधायक जी लेकिन हमारे पास “वंश गुप्ता” के खिलाफ अरेस्ट वारंट है , कल रात उसने राजन सिंह के घर में घुसकर उसे बुरी तरह मारा है , उसके पिताजी ने उसके खिलाफ थाने में रपट दर्ज करवायी है। हमे वंश गुप्ता को गिरफ्तार करना होगा”,किशोर ने कहा
“और जे सब वंश ने ही किया है इह का सबूत है ?”,मुरारी ने पूछा क्योकि दरोगा की बात पर उसे यकीन नहीं हो रहा था
“हम है सबूत और हमारे साथ साथ अस्सी घाट पर मौजूद ये लोग”,पीछे से भूषण ने आते हुए कहा
मुरारी ने देखा तो भूषण ने आदमी को मुरारी के सामने करके कहा,”बताओ विधायक जी को कल दिन में का हुआ था ?”
आदमी बेचारा पहले से डरा हुआ था , मुरारी को देखकर और डर गया लेकिन मिमियाते हुए कहने लगा,”वंश बाबू और राजन में कल किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। वंश बाबू ने सबके सामने उनको धमकी दी की जान से मार देंगे”
आदमी का इतना कहना था की भूषण चोड में मुरारी के सामने आया और हाथो नचाते हुए कहने लगा,”अब बोलो बिधायक जी है कुछो जवाब , हमरे राजन भैया के साथ जो किये है तुम्हारे वंश गुप्ता का वो ठीक है ,, चुप काहे खड़े है जवाब दीजिये ?”
मुरारी था उलटी खोपड़ी , भूषण जैसे लोगो से दिन में उसका एक आध बार पाला पड़ ही जाता था उसने जब भूषण को ज्यादा फड़फड़ाते देखा तो खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद किया और कहा,”बेटा मर्यादा में तुमहू मास्टर नहीं लगे हो जो तुमको जवाब दे ,, कायदे में रहो फायदे में रहोगे”
भूषण ने सूना तो अपना गाल सहलाते हुए साइड में चला गया।
Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 Main Teri Heer – 32 – 32
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 33
Read More – “मैं तेरी हीर” – पार्ट 31
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संजना किरोड़ीवाल