Sanjana Kirodiwal

मैं तेरी हीर – 30

Main Teri Heer – 30

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 30

मुंबई , पूर्वी का घर

वंश को बारिश में भीगते देखकर पूर्वी को अच्छा नहीं लगा उस पर निशि ने वंश को माफ करने से भी मना कर दिया ये जानकर पूर्वी को गुस्सा आने लगा। उसने एक नजर वंश को देखा जो कि भीगने की वजह से अब काँपने लगा था। पूर्वी खिड़की से हटी और अंदर आयी तो देखा निशि किसी के साथ फोन पर लगी है। पूर्वी निशि से बात करना चाहती थी लेकिन निशि को बिजी देखकर पूर्वी अपने कमरे में चली आयी।

बिस्तर पर बैठकर वह वंश और निशि के बारे में ही सोच रही थी। सोचते सोचते वह बिस्तर पर लेट गयी और उसे कब नींद आयी उसे पता ही नहीं चला।
निशि भी बाहर टीवी देखते देखते सोफे पर सो गयी। सुबह निशि की आँख खुली तो वह उठी और बाथरूम चली गयी। सुबह के 6 बज रहे थे पूर्वी भी सुबह उठी  और अंगड़ाई ली। उसने कमरे की खिड़की के बाहर देखा बारिश अब रुक चुकी थी। पूर्वी को वंश का ख्याल आया तो वह जल्दी से उठी और हॉल में आकर खिड़की के पास आयी।

पूर्वी ने खिड़की खोली और देखा वंश अभी भी वही खड़ा था। उसे देखकर लग रहा था जैसे वो रातभर यही था और थकान और नींद उसके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी। साथ ही वह काफी उदास भी नजर आ रहा था। पूर्वी वही खड़ी रही उसका चेहरा गुस्से से भरा हुआ था। निशि जैसे ही बाथरूम से बाहर आयी उसने पूर्वी को खिड़की के पास देखा।

निशि पूर्वी के पास चली आयी उसने देखा वंश अभी भी वही खड़ा है तो निशि को अब मन ही मन वंश के लिए हमदर्दी होने लगी और उसने थोड़ा उदास होकर कहा,”ये अभी तक यही खड़ा है।”
पूर्वी ने सूना तो गुस्से से निशि को देखा और कहा,”हाँ और तुम इतनी पत्थर दिल हो कि तुम्हे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता।”
पूर्वी अंदर आ गयी। उसे गुस्से में देखकर निशि भी उसके पीछे आयी और कहा,”मुझे फर्क पड़ता है,,,,,,!!”


“नो निशि ! तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,,,,तुम सिर्फ एक सेल्फिश लड़की हो जिसे सिर्फ अपनी फीलिंग्स की फ़िक्र है। वंश तुम्हे यहाँ सॉरी बोलने आया था लेकिन तुमने उसे माफ़ करना तो दूर उसके सॉरी को एक्सेप्ट तक नहीं किया। वो रातभर बारिश में भीगता रहा और तुम आराम से सो रही थी।”,पूर्वी ने कहा
“पूर्वी तुम होश में हो क्या बकवास कर रही हो ?”,निशि ने कहा


“ओह्ह रियली निशि मैं बकवास कर रही हूँ। तुम खुद को समझती क्या हो ? तुम वंश से सिर्फ इसलिए नाराज थी क्योकि वो तुम्हे छोड़ने एयरपोर्ट नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,,,,वो एयरपोर्ट आया था निशि लेकिन तब तक तुम जा चुकी थी,,,,,,,,,,ये बात उसने मुझे खुद बताई , जब तुमने उसने मुंबई आने की बात बताई तब वो नींद में था इसलिये उसे ये सब याद भी नहीं रहा। इतनी छोटी सी बात के लिये तुमने उसे इतना टॉर्चर किया। तुम्हारे डेड ने तुम्हे वंश के कहने पर नहीं डांटा बल्कि वो भी तुम में आये बदलाव को साफ़ देख रहे थे जो मैंने देखे थे।

फिल्मसिटी में तुमने सबके सामने वंश को इतना सब सुनाया इस के बाद भी वो तुमसे माफ़ी मांगने यहाँ आया और कल शाम से वो सिर्फ तुम्हारी एक माफ़ी के लिये यहाँ खड़ा है बिना इस बात की परवाह किये कि ऐसी बारिश में वो बीमार भी पड़ सकता है। तुम इतनी सेल्फिश कैसे हो सकती हो निशि ? जब तुम बनारस में थी तब क्या उसने तुम्हे ऐसी सिचुएशन में अकेला छोड़ा था ?

मुझे नहीं लगता उसने ऐसा कुछ किया होगा क्योकि वो लड़का अपनी जिम्मेदारियां और अपनी मर्यादा जानता है। मैं उसकी दोस्त नहीं हूँ और उस से सिर्फ दो बार मिली हूँ लेकिन फिर भी मैं इतना तो समझ गयी कि वो लड़का कभी किसी लड़की को जान बुझकर हर्ट नहीं कर सकता लेकिन तुमने,,,,,,,,,,,,तुमने उसके साथ जान बुझकर ये सब किया है अपना ईगो सेटिस्फाइड करने के लिये,,,,,,,,,,,,,,,

मुझे तुम्हे अपना दोस्त कहने में भी शर्म आ रही है निशि तुम वंश के साथ ऐसा कैसे कर सकती हो ?”,कहते कहते पूर्वी की आँखों से निशि के लिये गुस्से के भाव झलकने लगे
निशि को अहसास हुआ कि पूर्वी की कही एक एक बात सही है , उसने वंश के साथ जो किया वो गलत था। वह वंश को देखने खिड़की पर आयी लेकिन उसने देखा वंश वहा से जा चुका था।

रातभर बारिश में खड़े होने के बाद वंश को अहसास हुआ कि निशि उसे माफ़ नहीं करेगी। उदास सा वंश वहा से घर के लिए निकल गया। वंश ठण्ड से काँप रहा था। कैब के ड्राइवर ने जब देखा तो सीट पर पड़ा तौलिया वंश की और बढाकर कहा,”सर ये लीजिये अपना सर पोछ लीजिये , आप शायद बारिश में भीग गए थे।”
“थैंक्स !”,वंश ने तौलिया लेकर अपना सर पोछते हुए कहा हालाँकि वंश के कपडे थोड़े सुख चुके थे। वंश ने अपना सर पोछा और तौलिया वापस ड्राइवर की तरफ बढ़ा दिया।


“वैसे मुंबई की बारिश का कोई भरोसा नहीं है सर , कब शुरू हो जाए ? यहाँ का मौसम बाकी शहरो से अलग ही चलता है। वैसे आप यहाँ के नहीं लगते,,,,,,,,!!”,ड्राइवर ने पूछा
“मैं बनारस से हूँ यहाँ मुंबई अपने सपने पुरे करने आया हूँ।”,वंश ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा
“यहाँ सब अपने सपने लेकर ही आते है सर , पर सबके सपने पुरे नहीं होते,,,,,,,,,,,,,,,,सपनो के लिये किस्मत भी तो जरुरी है। आपकी किस्मत अच्छी है सर।”,ड्राइवर ने कहा


“शायद नहीं,,,,,,,,,,,,और शायद हाँ”,वंश ने सोचते हुए कहा ये ना निशि को लेकर था और हाँ उसके सपने को लेकर,,,,,,,,,,,!!
गाड़ी अपनी स्पीड से चलती रही। बारिश होने की वजह से हलकी ठंड हो चुकी थी। वंश के कहने पर ड्राइवर ने गाड़ी एक चाय की टपरी पर रोक दी। वंश गाडी से नीचे उतरा और टपरी पर चला आया उसने दो कप चाय देने को कहा। एक कप ड्राइवर की ओर बढ़ा दिया। ड्राइवर ने चाय का कप लिया और  गाडी के पास आकर खड़ा हो गया। वंश ने चाय का कप लिया और पीने लगा।

चाय पीते हुए वंश ने सामने उगते सूर्य को देखा। जिसे देखते हुए वंश को बनारस की याद आने लगी। वंश एकटक उस उगते हुए सूरज को देखते रहा। उसने महसूस किया बनारस में सब कितना अच्छा था वहा कितना अपनापन था और यहाँ मुंबई में जिन्हे वह अपना समझता था उन्होंने उसके साथ गैरो जैसा बर्ताव किया। वंश को अपने सीने में एक चुभन का अहसास होने लगा उसने अपनी चाय खत्म की और पैसे चुकाकर वापस गाड़ी की तरफ चला आया। वंश गाड़ी में आ बैठा और ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

कुछ देर बाद गाड़ी नवीन के घर के सामने आकर रुकी। वंश नीचे उतरा पैसे दिए और अपना बैग लेकर घर के सामने चला आया। अंदर आकर वंश ने बेल बजायी। दरवाजा मेघना ने खोला वंश को सामने देखकर कहा,”वंश आओ अंदर आओ , कल रात तुम कहा थे तुम्हारा फोन भी नहीं लग रहा था मुझे और नवीन को कितनी टेंशन हो रही थी। तुम ठीक हो ना बेटा ?”


वंश अंदर आया और कहा,”मैं ठीक हूँ आंटी , वो शूटिंग का पहला दिन था तो वहा थोड़ा टाइम लग गया और फिर आते वक्त बारिश होने लगी। मुंबई मेरे कुछ दोस्त है तो मैं उन्ही के घर रुक गया। बारिश में भीगने की वजह से मेरा फोन बंद हो गया।”
“तुम फ्रेश हो जाओ मैं तुम्हारे लिए गरमा गर्म कॉफी और नाश्ता बनाती हूँ।”,मेघना ने कहा
वंश बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की तरफ चला गया। उसने बैग से कपडे लिये और नहाने चला गया।

नहाने के बाद वंश को थोड़ा अच्छा लग रहा था। नहाकर उसने कपडे पहने और बाहर चला आया। मेघना तब तक उसके लिए नाश्ता और कॉफी बना चुकी थी। वंश हॉल में पड़े सोफे पर आ बैठा। मेघना ने उसे नाश्ता और कॉफी लाकर दी।
वंश चुपचाप नाश्ता करने लगा। मेघना भी अपनी कॉफी लेकर सोफे पर आ बैठी और कहा,”कल शाम से निशि भी घर नहीं आयी है , नवीन ने बताया बारिश की वजह से वो पूर्वी के घर रुक गयी , क्या तुम्हारी उस से बात हुई थी ?”


मेघना की बात सुनकर वंश की आँखों के सामने वो पल आ गया जब निशि शूटिंग पर सबके सामने उस पर चिल्लाई थी। वंश कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”अह्ह्ह नहीं आंटी मेरी उस से कोई बात नहीं हुई।”
“मेघना मेरी कॉफी कहा है ?”,नवीन ने सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए कहा
“मैं किचन से लाती हूँ।”,मेघना ने कहा


“अरे नहीं ! तुम बैठो मैं ले लूंगा,,,,,,,,,!!”,कहकर नवीन खुद ही किचन से अपने लिये कॉफी ले आया और आकर सोफे पर बैठ गया। वंश का उदास चेहरे देखकर नवीन ने कहा,”क्या हुआ वंश तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना बेटा ? तुम कुछ थके थके से लग रहे हो।”
“थका थका तो लगेगा ना नवीन तुम नहीं जानते ये शूटिंग वाले आर्टिस्ट को कितना परेशान करते है। एक एक सीन के लिए ना जाने कितने शॉट देने पड़ते है।

वंश इसके बाद तुम अपने कमरे में आराम कर लेना।”,मेघना ने कहा
“अंकल मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है।”,वंश ने कहा
“हाँ बेटा कहो ना , क्या बात है ?”,नवीन ने कहा
 “माँ ने बताया थी कि इस बार जब मैं मुंबई आऊंगा तो मुझे यहाँ रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी , उन्होंने मेरे लिये फ्लैट बुक किया है जिसके बारे में आपको पता है।

मैं जिस सीरीज में काम कर रहा हूँ उसकी शूटिंग कल से शुरू हो चुकी है इसलिए अब मेरा घर से जाने और वापस आने का कोई फिक्स टाइम नहीं रहेगा। डोंट माइंड अंकल बट मैं चाहता हूँ मैं अब से अपने फ्लैट में रहू ताकि मेरी वजह से आप लोगो को किसी तरह की परेशानी ना हो। आप दोनों बहुत अच्छे है यहाँ रहकर मुझे कभी लगा नहीं मैं अपने घर से दूर हूँ तो क्या मैं अपने फ्लेट में जा सकता हूँ ?”,वंश ने कहा
मेघना ने सूना तो उसे वंश का जाना अच्छा नहीं लगा लेकिन वह वंश को रोक भी नहीं सकती थी।

नवीन ने ही सारिका के कहने पर वंश के लिये फ्लेट बुक किया था इसलिए वह भी वंश को रोकना नहीं चाहता था फिर भी उसने कहा,”ठीक है वंश लेकिन तुम चाहो तो कुछ दिन और यहाँ रह सकते है , हमे अच्छा लगेगा।”
“अह्ह्ह थैंक्यू अंकल , एक न एक दिन तो मुझे यहाँ से जाना ही होगा इसलिये मुझे लगा आज सही रहेगा। वैसे भी शूटिंग में बिजी होने के बाद मैं शिफ्ट नहीं कर पाऊंगा।”,वंश ने कहा


“ठीक है बेटा मैं तुम्हे ज्यादा फ़ोर्स नहीं करूंगा। अगर तुम्हे ठीक लगे तो हम नाश्ते के बाद चलते है।”,नवीन ने अपनी कॉफी खत्म करके कहा
“हम्म्म,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और अपना नाश्ता करने लगा।

नाश्ता करने के बाद वंश उठा और अपने कमरे में आकर अपना सामान पैक करने लगा। उसने अपना सब सामान पैक किया और बैग से तोहफे निकाले जिन्हे वह नवीन और मेघना के लिये लेकर आया था। वंश ने नवीन और मेघना को तोहफे दिए। मेघना साड़ी देखकर थोड़ा इमोशनल हो गयी ये देखकर वंश ने उन्हें गले लगाया और कहा,”डोंट वरी आंटी आप जब कहेंगी मैं आपसे मिलने आऊंगा।”


मेघना ने अपने आँसू पोछे और वंश के ललाट को चूमकर कहा,”अपना ख्याल रखना और भूलना नहीं ये घर भी तुम्हारा अपना घर है।”
नवीन ने वंश के बैग उठाये और उसे बाहर आने को कहा। वंश के पास एक तोहफा और था जो कि निशि के लिये था।

वंश ने देखा मेघना किचन में है तो वह चुपचाप निशि के कमरे में आया और ड्रेसिंग के पर अपना तोहफा रख दिया। साथ ही एक चिट भी जिस पर निशि के लिये एक मैसेज था।
वंश बिना वक्त गवाए नीचे आया और घर से बाहर चला आया। मेघना भी उसे बाय बोलने बाहर आयी। वंश ने मेघना को बाय बोला और नवीन के साथ वहा से निकल गया।

 इंदौर , पुलिस स्टेशन

सुबह के 6 बजे अपने केबिन में बैठा शक्ति अपने लेपटॉप पर कुछ जरुरी काम कर रहा था। कुछ देर बाद कॉन्स्टेबल हाथ में चाय का गिलास लेकर आया और टेबल पर रखते हुए कहा,”सर चाय !”
“थैंक्यू !”,शक्ति ने चाय का गिलास उठाते हुए कहा
“सर बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछे ?”,कॉन्स्टेबल ने कहा
“हाँ पूछो !”,शक्ति ने कहा


“सर कल शाम से आप यही है , रात में भी घर नहीं गए। क्या आप किसी केस को इन्वेस्टीगेट कर रहे है ?”,कॉन्स्टेबल ने डरते डरते पूछा क्योकि शक्ति की वजह से उसे भी कल शाम से शक्ति के साथ यही रुकना पड़ा
शक्ति ने सूना तो कॉन्स्टेबल को देखने लगा जिस से कॉन्स्टेबल मन ही मन घबरा गया और खुद को कोसने लगा कि उसने ऐसा सवाल क्यों किया ?


कॉन्स्टेबल की बुझी आंखे और उतरा हुआ चेहरा देखकर शक्ति को याद आया कि वह कल शाम से यही है और उसके साथ कॉन्स्टेबल भी।
“हाँ लेकिन ये थोड़ा पर्सनल है हम डिपार्टमेंट को इसमें इन्वॉल्व नहीं कर सकते। वैसे तुम्हे घर जाना चाहिए और थोड़ा रेस्ट करना चाहिए थोड़ी देर में हम भी यहाँ से निकल जायेंगे,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा तो कॉन्स्टेबल ने राहत की साँस ली और शक्ति को सेल्यूट कर वहा से चला गया।


शक्ति जिस केस को इन्वेस्टीगेट कर रहा था ये काशी से जुड़ा था और शक्ति नहीं चाहता था काशी की इमेज पर कोई आंच आये इसलिए अकेले ही सब कर रहा था। शक्ति ने अपना काम खत्म किया और घर के लिये निकल गया। रास्तेभर शक्ति अपने ही ख्यालो में उलझा रहा। काशी से उसकी आखरी बार बात तब हुई थी जब काशी ने उसे मंदिर आने के लिये कहा था और शक्ति ने मना कर दिया उसके बाद शक्ति को इतना टाइम नहीं मिला कि वह काशी को फोन कर सके और ना ही काशी ने उसे कोई फोन किया।


शक्ति काशी के बारे में सोचता हुआ गाड़ी चला रहा था कि अचानक से उसे गाडी को ब्रेक लगाना पड़ा। सामने एक गाय का बच्चा आ गया था अगर शक्ति समय पर ब्रेक नहीं लगाता तो बच्चे को चोट लग जाती। शक्ति ने एक गहरी साँस ली और अपनी आँखे मूंदकर सर सीट से लगा लिया। अगले ही पल शक्ति की गोद में एक पेपर आकर गिरा शक्ति ने आँखे खोली। उसने अपने गोद में पड़े कागज को उठाया और देखा जिस पर लिखा था “काशी सिर्फ मेरी है उस से दूर रहो”


शक्ति ने जल्दी से गाडी का दरवाजा खोला और नीचे उतरकर यहाँ वहा देखा लेकिन उस खाली सड़क पर गाय के बच्चे के अलावा कोई नहीं था। शक्ति उस अनजान शख्स को ढूंढते हुए कुछ दूर गया भी लेकिन उसे कोई नहीं मिला। शक्ति ने हाथ में पकडे कागज को देखा और फिर उसे फाड़कर फेंक दिया। शक्ति वापस अपनी गाड़ी की तरफ चला आया। शक्ति समझ नहीं पा रहा था आखिर ये कौन था जो उसके साथ आँख मिचौली खेल रहा था ?

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