Main Teri Heer – 29
Main Teri Heer – 29
माखन भैया से बंगले के पेपर लेने के बाद मुरारी वही बैठकर सुस्ताने लगा। बंगले में काम करने वाला रसोईया मुरारी के पास आया और हाथ बांधकर कहा,”भैया जी आप कुछ लेंगे चाय कॉफी ?”
“हमहू गार्ड लेंगे,,,,,,,,!!”,मुरारी ने पेपर पढ़ते हुए कहा
“गार्ड ?”,रसोईये ने पूछा
“अरे मतलब गार्ड को बुलाओ हमारे पास,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा तो रसोईया वहा से चला गया और थोड़ी देर बाद गार्ड डरता-घबराता मुरारी के सामने आ खड़ा हुआ। मुरारी ने गार्ड को देखा उनकी उम्र मुरारी से भी ज्यादा थी और वह काफी घबराये हुए भी थे। मुरारी ने पेपर कुर्ते के जेब में रखे और कहा,”का चचा अब से रोकेंगे गाडी,,,,,,,,,,,!!”
“अरे नहीं भैया पहिले पता होता तो काहे रोकते , वैसे अच्छा ही किये माखन भैया को भेज दिए यहाँ से काफी उत्पात मचा रखा था उन्होंने,,,,,,,,,,,,!!”,गार्ड ने अब थोड़ा सहज होते हुए कहा
“ऐसा है चचा बनारस है हमरा घर और घर में गंदगी हो तो उसे तुरंत निकाल के फेंक देना चाहिए। जे बँगला किसी और का है , और इह की असल हक़दार अब से हिया रहेगी तो तुम दोनों की तरफ से कोई शिकायत ना आये। कुछो परेशानी हो तो हमका बताय दियो ,,,,,,,,का समझे ?”,मुरारी ने कहा
“समझ गए मुरारी भैया,,,,,,,,,!!!”,दोनों ने एक साथ कहा
“हाँ बाबू ! अब पिलाओ चाय और साथ मा कुछो नमकीन भी,,,,,,,,,,,,,,फटाफट लाओ फिर हमको निकलना भी है।”,मुरारी ने मचिया को सीधी कर उस पर अपने पैर टिकाते हुए कहा।
रसोईया और गार्ड दोनों वहा से चले गए और मुरारी अपने हाथो को सर के पीछे लगाकर वही कुर्सी पर पसर गया। रेडिओ पर विजयपथ फिल्म का गाना बज रहा था।
“राहो में उनसे मुलाकात हो गयी , जिस से डरते थे वही बात हो गयी,,,,,,,,,,,,,,लालाला।”
मुरारी ने सूना तो एकदम से उसे वो रात याद आ गयी जब वह उर्वशी से पहली बार मिला था। मुरारी मुस्कुरा उठा और मन बड़बड़ाया,”बनारस में अब भी तुम्हरा भौकाल कायम है मिश्रा,,,,,,,,,,,!!”
आँखे मूंदे मुरारी खुद में अपनी तारीफ करके खुश हो ही रहा था कि तभी माखन की आवाज मुरारी के कानो में पड़ी,”तुमको का लगता है मुरारी तुम कहोगे और इतना आराम से हम यहाँ से चले जायेंगे।”
मुरारी ने अपनी आँखे खोली और देखा माखन 20 लड़के लेकर उसके सामने खड़ा था और बदले के भाव उसकी आँखों से साफ़ झलक रहे थे
मुरारी उठा और कहा,”लगता है हमरी बात तुमरे समझ में नहीं आयी , हम तुमको प्यार से समझाए रहे लेकिन तुम साला जूते खाकर ही मानोगे।”
“मुरारी तू अकेला है और मेरे पीछे खड़ी ये फौज देख रहा है। 2 मिनिट में ये तुझे ऐसे गायब करेंगे जैसे तू यहाँ था ही नहीं,,,,,,,,,,,,,!”,माखन ने मुरारी को धमकाते हुए कहा
“इनके लिए तो हम अकेले ही काफी है , और हम तो जे सोच रहे है कि इनके बाद तुमरा का होगा ?”,मुरारी ने अपनी आँखों से चश्मा निकालकर मचिया पर रखते हुए कहा
इसके बाद शुरू हुई माखन के आदमियों और मुरारी में लड़ाई बेचारा मुरारी अकेला उन से कब तक लड़ पाता। उसने कुछ को मारकर गिराया भी लेकिन खुद भी थक गया। बस फिर क्या था माखन भैया के आदमी ने मुरारी को एक दो घुसे जड़ दिए। माखन भैया ने मुरारी को पस्त होते देखा तो एक घुसा खुद भी मारा। मुरारी जाकर किसी के पैरो में गिरा। गिरने से उसके होंठ पर जरा सी लग गयी और खून निकल आया।
मुरारी ने देखा वो पैर बहुत ही खूबसूरत थे और उन्हें देखकर साफ पता चल रहा था कि वो पैर किसी औरत के है। मुरारी ने अपनी गर्दन उठाकर देखा तो पाया वो पैर किसी और के नहीं बल्कि उर्वशी के थे। मुरारी उठा और अपने कपडे झाड़कर कहा,”आप हिया का कर रही है ?”
“आप ये क्या कर रहे है ? इस बंगले के लिये आप इन लोगो से झगड़ा कर रहे है।
मैं अभी भैया को फोन करके कहती हूँ कि मुझे ये बँगला नहीं चाहिए , इस बंगले के लिए मैं आपकी जान को खतरे में नहीं डाल सकती,,,,,,,,!!”,कहते हुए उर्वशी ने मुरारी के होंठ पर लगे खून को जैसे ही साफ किया मुरारी के बदन में एक सिहरन सी उठी। सामने खड़ी उर्वशी उसे स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी। वह एकटक उर्वशी को देखता रहा , ऐसे लग रहा था जैसे उर्वशी ने उस पर कोई जादू कर दिया हो। उर्वशी जो कह रही थी उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था बल्कि सब स्लो मोशन में दिख रहा था
“क्या हुआ मुरारी दो घुसे खाकर औरत के पल्लू में छुप गया , मैंने तो सुना तो बनारस के लोग तुम से डरते है लेकिन यहाँ तो सीन कुछ और है।”,माखन भैया ने कहा तो सभी हंस पड़े
उनकी हंसी सुनकर मुरारी को होश आया और उसने उर्वशी से कहा,”आपको हिया नहीं आना चाहिए था , और जे खून जे तो मामूली बात है। आप घर जाईये हम ज़रा इनको समझा कर आते है।”
“मुरारी जी , आप क्यों अपने आपको मुसीबत में डाल रहे है। इस बंगले के लिये ना हम भैया से कह देंगे हमे ये नहीं चाहिए। प्लीज आप उन लोगो से झगड़ा मत कीजिये”,उर्वशी ने मुरारी की परवाह करते हुए कहा
मुरारी ने सूना तो उसे अच्छा लगा लेकिन बात यहाँ इज्जत की थी इसलिए मुरारी ने कहा,”चिंता ना करो हम अभी मेटर को सुलटा कर आते है।”
“क्या हुआ मुरारी दीदी ने लड़ने से मना कर दिया का ? वैसे सही भी है इह उम्र मा लड़ना तुमरे बस की बात नहीं,,,,,,,,,!!”,माखन भैया ने मुरारी का मजाक उड़ाते हुए कहा
किसी महिला के सामने मुरारी का मजाक उड़े ये भला उसे कहा मंजूर था। उसने अपने कुर्ते के बाजू मोडे और माखन की तरफ बढ़ गया। उर्वशी ने रोका लेकिन मुरारी अब कहा रुकने वाला था।
मुरारी एक बार फिर अकेला ही माखन और उसके आदमियों से भीड़ गया। उर्वशी एक तरफ खड़ी उन्हें लड़ते देखते रही। जब उसने देखा मुरारी पिट रहा है तो वह साइड में जाकर अपने भाई को फोन लगाने लगी।
माखन के आदमियों ने मुरारी के दोनों हाथो को पकड़ लिया और मचिया पर डाल दिया। चार आदमियों ने मुरारी के हाथ पैर पकड़ रखे थे मुरारी खुद को उन से छुड़ा नहीं पाया।
माखन ने जेब से चाकू निकाला और मुरारी की तरफ बढ़ते हुए कहा,”बस बहुत हो गया मुरारी आज तुम्हरा काम ही खत्म कर देते है। जानते हो बनारस में जे हमरा पहला क़त्ल होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,और वो भी तुम्हरा,,,,,,,,,,,,,कस के पकड़ो बे इसे !”
मुरारी ने देखा इस बार वह बुरी तरह फंस चुका है तो उसने मन ही मन महादेव को याद किया और अपनी आँखे मूंद ली मुरारी आँखे मूंदे हुए था लेकिन माखन के चाकू ने उसे छुआ तक नहीं। मुरारी ने धीरे से अपनी आँखे खोली और देखा चाकू ठीक उसकी गर्दन पर है लेकिन मुरारी की गर्दन को छू नहीं पा रहा है। मुरारी ने माखन के हाथ को देखा तो पाया किसी ने मजबूती से माखन की कलाई को थामा हुआ है।
मुरारी ने बगल में देखा तो उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी। माखन की कलाई पकड़ने वाला कोई और नहीं बल्कि शिवम् था। शिवम् ने माखन की कलाई को मरोड़कर हाथ उसकी पीठ से लगा दिया और घुसा मारकर उसे दूर फेंका। मुरारी को जिन आदमियों ने पकड़ा था वे सब मुरारी को छोड़कर शिवम् के पास आये और शिवम् ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया। शिवम् को वहा देखकर मुरारी में भी हिम्मत आयी।
शिवम् और मुरारी को एक साथ वहा देखकर माखन के आदमी वहा से भाग गए। शिवम् ने माखन की कॉलर पकड़कर उसे उठाया और कहा,”जे लड़ाई झगड़ा हम बहुत पहिले छोड़ चुके है हमको फिर से पुराना शिवम् बनने पर मजबूर ना करो माखन,,,,,,,,,जो तुम्हे हक़ का है वो हम तुमसे छीनेंगे नहीं और अपने हक़ का हम तुमरे पास छोड़ेंगे नहीं। आज के बाद अगर तुम इह बंगले और मुरारी के आस पास भी दिखे तो गंगा मैया की कसम ज़िंदा जमीन में गाड़ देंगे तुमको,,,,,,,,,,,का समझे !”
शिवम् की आँखों में गुस्सा देखकर माखन समझ गया कि वह गलत लोगो से भीड़ गया है उसने अपने हाथ जोड़े और कहा,”हमको माफ़ कर शिवम् भैया , आज के बाद हिया नाही दिखेंगे।”
“जाओ यहाँ से,,,,,,,,!!”,शिवम् ने गुस्से से कहा तो माखन दुम दबाकर वहा से भाग गया।
माखन के जाने के बाद मुरारी शिवम् के पास आया और कहा,”अरे थैंक्यू भैया आप समय पर आ गए वरना आज तो हम स्वर्गीय मुरारी मिश्रा हो जाते।”
शिवम् ने एक नजर मुरारी को देखा और अपने पैर से सेंडिल निकालकर मुरारी को पीटते हुए कहा,”समझते का हो तुम खुद को ? अकेले यहाँ चले आये बिना ये सोचे कि यहाँ कुछ भी हो सकता है। तुमको का लगता है मुरारी तुम अभी भी वही 24-26 वाले मुरारी हो जो किसी से भी भीड़ जाओगे,,,,,,,,
आज अगर हम बख्त पर ना पहुँचते तो जानते हो का होता तुमरे साथ,,,,,,,,,,,नालायक कही के इतने बड़े हो गए हो लेकिन अक्ल ना आयी है तुम में,,,,,,,,,रुको तुम्हे हम बताते है। आज हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं मुरारी,,,,,,!!”
“अरे भैया माफ़ कर दयो , हम आपको परेशान करना नहीं चाहते थे। हमका थोड़े पता था जे साला माखन इत्ते आदमी लेकर हिया आ जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,अरे भैया बस करो यार जे उम्र मा मार खाते अच्छे लगेंगे हम,,,,,,,,,,,,,
का कर रहे हो यार बनारस में थोड़ी इज्जत है यार हमारी,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने शिवम् से बचते हुए कहा लेकिन ऐसा करते हुए 2-4 चप्पल तो उसको पड़ ही चुकी थी
“तुम्हारी इज्जत तो हम करते है,,,,,,!!”,कहते हुए शिवम् ने एक चप्पल मुरारी को और जड़ दी।
आख़िरकार मुरारी ने शिवम् के सामने अपने हाथ जोड़ दिए और कहा,”अच्छा बाबा माफ़ कर दयो हमका आज के बाद कही भी जायेंगे आपको पूछकर जाएंगे।”
“जाओ मुरारी ! तुम साले एक बार भी नहीं सोचे तुमको कुछ हो जाता तो,,,,,,,,,,,,,हम आज अगर बख्त पर ना पहुँचते तो उह माखन,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने दर्दभरे स्वर में कहा
मुरारी को अहसास हुआ कि अनजाने में ही सही उसके यहाँ अकेले आने से शिवम् को बहुत हर्ट हुआ है। मुरारी शिवम् के पास आया और उसके हाथो को अपने हाथो में थामकर कहा,”भैया ए भैया सॉरी ना , हम मानते है हमने गलत किया पर का करे चौहान साहब का फोन आया रहा उनको मना नहीं कर पाये।
और रही बात माखन की तो जब तक आप हमरे साथ हो तब तक उह का कोई भी हमको छू तक नहीं सकता। हमने महादेव का नाम लिया और देखो आप आ गए,,,,,,,,,,,,,चलो अब गुस्सा थूक दयो आज के बाद हम ऐसा कुछो नहीं करेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
“ऐसे नहीं मुरारी हमरे सर पर हाथ रखकर कसम खाओ आज के बाद ऐसे मेटर से दूर रहोगे तुम,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा
मुरारी धर्म संकट में पड़ गया क्योकि बिना लड़ाई झगडे , बिना किसी को फटकारे , बिना किसी को कंटाप रखे मुरारी जिंदगी कैसे जी सकता था ? लेकिन मुरारी शिवम् से इतना प्यार करता था कि उसने शिवम् के सर पर हाथ रखा और कहा,”आपके सर की कसम भैया आज से जे सब बंद,,,,,,,,,,,,,साधु आदमी बन जायेंगे।”
शिवम् ने सुना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”सॉरी हमने तुमको चप्पल से मारा”
“अरे कोई बात नहीं भैया बुरा नहीं लगा हमको वैसे भी हमको आप में आई नजर आ रही थी,,,,,,,,,,!!”,कहकर मुरारी हंस पड़ा और उसके साथ शिवम् भी हंस दिया
बनारस , मुरारी का घर
हनुमान मंदिर से निकल कर मुन्ना सीधा अपने घर चला आया। उसे उर्वशी से चिढ होने लगी थी बार बार उर्वशी का उसके सामने आना और उसे इस तरह से देखना मुन्ना को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। घर आकर मुन्ना ने प्रशाद अनु को दिया और बाकि प्रशाद किशना को देकर कहा,”किशना भैया ! एक कप चाय पीला देंगे ?”
“हाँ हाँ ! आप बैठो हम अभी बनाकर लाते है।”,किशना ने कहा
मुन्ना हॉल में पड़े सोफे पर आ बैठा। मुन्ना ने अपना फोन निकाला। स्क्रीन पर उसने अपनी और वंश की प्यारी सी तस्वीर लगाई हुई थी जिसे देखते ही मुन्ना को वंश की याद आ गयी। मुन्ना को याद आया वंश सुबह उस से नाराज था और उसके बाद से वंश का ना कोई फोन आया था ना ही मैसेज। मुन्ना को वंश की याद आने लगी उसने वंश का नंबर डॉयल किया लेकिन वंश का फोन नहीं लगा।
मुन्ना ने फोन वापस सोफे पर रख दिया और मन ही मन खुद से कहने लगा,”हमे माफ करना वंश हमने सुबह शायद तुम्हे कुछ ज्यादा ही परेशान कर दिया। वैसे निशि अच्छी लड़की है उसकी आँखों में तुम्हारे लिए भावनाये देखी थी हमने,,,,तुम शायद अभी समझ ना पाओ पर निशि तुम्हे पसंद करती है और तुम भी उसे पसंद करते हो तभी तो उस सुबह कैसे उस से मिलने के लिये तुम एयरपोर्ट चले आये थे।
तुम्हे लगता है हमे कुछ दिखाई नहीं देता , पर तुम शायद भूल गए हो वंश आज जिन भावनाओ से तुम गुजर रहे हो उन भावनाओ से हम पहले गुजर चुके है ये अहसास ही ऐसे होते है कि कुछ समझ नहीं आता। तुम में और निशि में अभी थोड़ा बचपना है बस इसलिए तुम दोनों एक दूसरे की भावनाये समझ नहीं पा रहे हो पर देखना जिस दिन तुम्हे ये समझ आएगा निशि तुम्हे दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की नजर आएगी।
बस पहले तुम्हे अपने सपनो को पूरा करना है उसके बाद तुम खुद अपने लिये निशि को चुनना पुरे दिल से। वैसे हमे तो सोचकर ही अच्छा लग रहा है तुम्हारी और निशि की लव स्टोरी कितनी प्यारी होगी जिसमे तुम दोनों के छोटी छोटी बातो पर झगडे होंगे , तुम दोनों की फीलिंग्स होगी और एक दूसरे के लिये ढेर सारा प्यार होगा।”
“मुन्ना बाबा ! आपकी चाय”,किशना ने चाय टेबल पर रखते हुए कहा तो मुन्ना अपने ख्यालो से बाहर आया
मुन्ना को अकेले में मुस्कुराते देखकर किशना ने पूछा,”क्या बात मुन्ना बाबा आज बड़े खुश नजर आ रहे है आप ?”
”बस ऐसे ही किशना भैया , वंश के बारे में सोच रहे थे।”,मुन्ना ने चाय का कप उठाते हुए कहा
“वैसे एक बात कहे मुन्ना बाबा , वंश बाबा जब भी इह घर मा आते थे तब घर मा चहल पहल रहती थी अब जब से वो मुंबई गए है इह घर तो खामोश ही हो गया है। “,किशना ने भी वंश को याद करते हुए कहा
“हाँ किशना भैया हमे भी ऐसा ही लगता है।”,मुन्ना ने कहा और एक बार फिर वंश के बारे में सोचने लगा।
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