Main Teri Heer – 28
Main Teri Heer – 28
वंश पूर्वी की बिल्डिंग के सामने सड़क के उस पार जाकर खड़ा हो गया। उसे ये सब अजीब भी लग रहा था लेकिन इस वक्त उसके लिए निशि की माफ़ी ज्यादा जरुरी थी। गार्ड की मदद से वंश को एक बड़ा सा कार्ड बोर्ड भी मिल गया। वंश ने उस पर बड़े बड़े अक्षरों में “Sorry” लिखा और उसे अपने हाथो में लेकर खड़े हो गया। उसकी नजरे पूर्वी की खिड़की पर थी और उसे उम्मीद थी कि निशि का दिल पिघल जाएगा।
उधर पूर्वी खड़े होकर निशि को देखे जा रही थी। पूर्वी को अपनी ओर घूरता पाकर निशि ने कहा,”ऐसे मुझे घूरना बंद करो पूर्वी !”
“निशि तू ये ठीक नहीं कर रही है वो बेचारा तुम्हे सॉरी कहने यहाँ तक आया है और तुमने उस से बात करने से मना कर दिया। तुम्हे इतना भी रुड नहीं होना चाहिए।”,पूर्वी ने कहा
“ओह्ह्ह प्लीज पूर्वी ये लेक्चर देना बंद करो मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है क्या तुम मुझे कॉफी पिलाओगी ?”,निशि ने पूर्वी की बातो को नजरअंदाज कर कहा
“ठीक है तुम बैठो मैं बनाती हूँ।”,पूर्वी ने कहा और किचन की तरफ चली गयी।
सोफे पर बैठी निशि ने अपनी आँखे मूंदकर सर पीछे सोफे से लगा लिया।
उसके जहन में फिर से वंश का ख्याल चलने लगा। निशि भी समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसे एकदम से ये क्या हुआ है वो इतना परेशान क्यों हो रही है ? निशि सोचते रही लेकिन किसी नतीजे पर ना पहुँच सकी। पूर्वी दोनों के लिये कॉफी बनाकर ले आयी। उसने एक कप निशि को दिया और दुसरा खुद लेकर उसके सामने आ बैठी।
“थैंक्स !”,निशि ने कॉफी का कप उठाते हुए कहा
जवाब में पूर्वी मुस्कुरा दी और दोनों कॉफी पीने लगी।
निशि का मूड ऑफ देखकर पूर्वी ने उसके सामने वंश की कोई बात नहीं। वह निशि को आकाश के बारे में बताने लगी साथ ही उसने बताया कि जल्दी ही उसे एक सीरीज में रोल मिलने वाला है। निशि ने सूना तो उसने पूर्वी को बधाई दी और फिर दोनों दोस्त बातें करते हुए कॉफी पीने लगी।
बाते करते हुए वक्त का पता ही नहीं चला शाम के 6 बज रहे थे निशि की नजर जैसे ही घडी पर पड़ी उसने कहा,”अरे 6 बज गए मुझे अब घर जाना होगा वरना डेड गुस्सा होंगे।”
“हम्म्म वक्त का पता ही नहीं चला , चलो मैं तुम्हे नीचे तक छोड़ देती हूँ।”,पूर्वी ने कहा तभी जोर से बिजली कड़की जिस से पूर्वी और निशि दोनों ही डर गयी। पूर्वी ने खिड़की खोलकर देखा तो पाया कि बाहर तेज बारिश हो रही थी। बारिश की फुहारे सीधे उस के मुँह पर आ रही थी इसलिये उसने जल्दी से खिड़की बंद की ओर निशि की ओर आकर कहा,”तुम घर कैसे जाओगी बाहर तो बहुत तेज बारिश हो रही है।”
“ओह्ह्ह शीट अब मैं घर कैसे जाउंगी ? मैंने तुम से पहले ही कहा था कि मुझे घर जाने दो लेकिन नहीं तुम मुझे यहाँ ले आयी और अब ये बारिश,,,,,,,,,!”,निशि ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“अरे तो यार मुझे क्या पता था ऐसे बारिश होने लगेगी। तुम परेशान मत हो थोड़ी देर इंतजार करते है तब तक बारिश भी रुक जाएगी।”,पूर्वी ने कहा
“हम्म्म और कर भी क्या सकते है ?”,निशि ने मायूस होकर कहा
“क्यों ना इतने अच्छे मौसम में पकोड़े बनाकर खाये जाये,,,,,,,,,,,,,? मुंबई की बारिश और उस में गर्मागर्म पकोडो के साथ अदरक वाली चाय,,,,,,,,,,,,बेस्ट कॉम्बिनेशन है , क्या कहती हो ?”,पूर्वी ने कहा
“साथ में धनिये पुदीने की चटनी भी,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
पूर्वी ने निशि को हाई फाइव दिया और उसके साथ किचन की तरफ चली आयी। पूर्वी पकोड़े बनाने की तैयारी करने लगी और निशि चटनी बनाने के लिये धनिया पुदीना साफ करने लगी।
बारिश में पकोडे खाने की ख़ुशी में दोनों वंश के बारे में तो भूल ही गयी। बेचारा वंश नीचे बारिश में खड़ा निशि की माफ़ी का इंतजार कर रहा था। उसे बारिश में भीगता देखकर गार्ड को बुरा लगा। गार्ड अपना छाता लेकर वंश के पास आया और कहा,”अरे भाई , क्यों बारिश में भीग रहे हो , जाओ घर जाओ बीमार पड़ जाओगे,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मुंबई की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं है वो कब किस को पहचानने से इंकार कर दे। ये मुंबई की बारिश है इतनी जल्दी नहीं रुकेगी , मेरी बात मानो घर जाओ।”
वंश ने गार्ड की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और बोर्ड को हाथो में पकडे वैसे ही खड़ा रहा। उसकी नजरे पूर्वी की खिड़की के ऊपर थी। गार्ड ने वंश को समझाया लेकिन वंश ने उनकी बात नहीं सुनी। वह अपना सब्र और निशि का गुस्सा एक साथ आजमा रहा था। बारिश तेज होने की वजह से गार्ड वहा से चला गया।
निशि और पूर्वी अभी किचन में काम कर ही रही थी कि तभी निशि का फोन बजा। निशि ने देखा फोन नवीन का है तो उसने फ़ोन उठाया और अपने कान से लगा लिया।
“निशि कहा हो बेटा ? तुम अभी तक घर नहीं आयी , क्या तुम सुबह वाली बात को लेकर गुस्सा हो,,,,,,,,,,,,,,,,अगर गुस्सा हो तब भी घर आ जाओ प्लीज , मुझे तुम पर इस तरह से गुस्सा नहीं करना चाहिए था।”,नवीन ने चिंतित होते हुए कहा
“डेड मैं पूर्वी के फ्लेट पर हूँ , मैं घर आ ही रही थी कि यहाँ बारिश शुरू हो गयी , जैसे ही बारिश रूकती है मैं घर आ जाउंगी डेड आप चिंता ना करे।”,निशि ने कहा
“हाँ यहाँ भी मौसम काफी ख़राब है बेटा , एक काम करो तुम पूर्वी के साथ ही रुको मैं गाड़ी लेकर वहा आता हूँ।”,नवीन ने कहा
“नहीं डेड ! आप खामखा परेशान होंगे , बारिश रुकते ही मैं खुद आ जाउंगी डोंट वरी,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
नवीन कुछ कहता इस से पहले ही पूर्वी ने निशि के हाथ से उसका फोन लिया और कहा,”नमस्ते अंकल ! मैं पूर्वी बात कर रही हूँ ,, एक्चुअली यहाँ बहुत तेज बारिश हो रही है और ये कब रुकेगी इसका भी कुछ पता नहीं है। इफ यू डोंट माइंड अंकल क्या आज रात निशि मेरे साथ यहाँ रुक जाये ? कल सुबह मैं खुद इस घर छोड़ दूंगी,,,,,,,,,,,,,प्लीज अंकल !”
पूर्वी निशि की बहुत अच्छी दोस्त है ये बात नवीन जानता था और अक्सर पूर्वी निशि के साथ उसके घर रुक जाया करती थी।
नवीन को पूर्वी पर पूरा भरोसा था इसलिए उसने कहा,”अगर निशि वहा रुकना चाहे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। तुम दोनों अपना ख्याल रखना बेटा,,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू अंकल , आप बहुत स्वीट है। थैंक्यू सो मच”,पूर्वी ने ख़ुश होकर कहा और फोन काट दिया
“तुमने डेड से मेरे यहाँ रुकने की बात क्यों कही ?’,निशि ने हैरानी से पूछा
“क्यों मेरे साथ मेरे घर रहने में तुम्हे कोई दिक्कत है ?”,पूर्वी ने आँखे दिखाते हुए पूछा
“नहीं,,,,,,,,लेकिन अगर मैं यहाँ रुकी तो मुझे पता है तुम ना खुद सोने वाली हो ना मुझे सोने दोगी,,,,,,,!!”,निशि ने वापस किचन की तरफ जाते हुए कहा
“हाहाहाहा वो तो है वैसे अच्छा है न इसी बहाने हम दोनों ढेर सारी बाते कर लेंगे और नयी सीरीज भी देख लेंगे,,,,,,,,,,,,,,और वंश,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते पूर्वी एकदम से रुक गयी
निशि ने वंश का नाम सूना तो कहा,”क्या कहा तुमने वंश ? तुमने वंश कहा ना ?”
“वंश ? कौन वंश ? मैंने कहा हम नयी सीरीज देखेंगे और पकोड़े भी एन्जॉय करेंगे। तुम उसके बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रही हो इसलिए तुम्हे अब हर बात में उसी का नाम सुन रहा है। चलो अब फटाफट चटनी बनाओ,,,,,,,,,पकोड़े लगभग तैयार है और मैंने चाय भी चढ़ा दी है।”,पूर्वी ने निशि को बातो में घुमाते हुए कहा और चाय बनाने लगी।
“क्या सच में पूर्वी ने वंश नहीं कहा ? अह्ह्ह्ह शायद , हो सकता है मैं ही उसके बारे में ज्यादा सोच रही हूँ। वो तो अब तक घर जा चुका होगा।”,मन ही मन खुद से कहते हुए निशि ने अपना ध्यान चटनी में लगा लिया।
नीचे खड़ा वंश बारिश में बुरी तरह भीग चुका था लेकिन वहा से हटा नहीं। उसने अपने मन में एक तरह से जिद कर ली थी कि आज वह निशि की माफी लेकर ही घर जाएगा।
पूर्वी और निशि ने चाय पकोड़े बनाये और लेकर हॉल में चली आयी।
साथ ही उन्होंने टीवी पर नयी सीरीज लगा ली जिसके बारे में पूर्वी बात कर रही थी। सीरीज देखते देखते रात के 10 बज चुके थे। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और अभी भी जारी थी। पूर्वी पानी लेने किचन की तरफ चली गयी। निशि ने देखा उसके फोन में नेटवर्क नहीं आ रहा उसे अपने घर पर कॉल करना था। अपना फोन लेकर वह खिड़की की तरफ चली आयी। बाहर का मौसम देखने के लिए उसने खिड़की खोल दी।
फोन से नेटवर्क अभी भी गायब था। बारिश की ठंडी फुहारे आकर निशि के चेहरे पर पड़ी तो उसने अपनी आँखे मूंद ली। निशि ने धीरे से अपनी आँखे खोली तो नजर सामने सड़क पर खड़े वंश पर चली गयी जो कि बारिश में बुरी तरह से भीग चुका था। वंश ने जैसे ही निशि को खिड़की पर देखा तो उसका दिल धड़क उठा। वह हल्का सा मुस्कुराया उसे लगा
निशि उसे माफ़ करने के लिये वहा खड़ी है लेकिन निशि का गुस्सा शायद वंश को लेकर अभी भी कम नहीं हुआ था इसलिए वह कुछ देर खिड़की के पास खड़ी वंश को देखते रही और फिर नजरे घुमा ली।
पूर्वी ने निशि को खिड़की के पास खड़े देखा तो वह उसकी तरफ चली आयी और जब उसने बारिश में भीगते वंश को देखा तो उसे वंश पर दया आने लगी। उसने कहा,”वो शायद शाम से यही खड़ा है , बारिश में भीग भी गया है ऐसे तो वो बीमार पड़ जायेगा।”
“तुम्हे उसकी ज्यादा परवाह हो रही है क्या पूर्वी “,निशि ने कठोरता से कहा
“नहीं निशि लेकिन इतनी तेज बारिश में वो वहा खड़ा है सिर्फ तुम्हारी एक माफ़ी के लिये और तुम्हे इसकी ज़रा भी परवाह नहीं है।”,इस बार पूर्वी ने थोड़ा कठोर होकर कहा
“तुम्हे उसकी परवाह अपनी दोस्त से भी ज्यादा हो रही है शायद,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे पता है ना उसने मेरे साथ क्या किया ? मैं उसे माफ़ नहीं करुँगी चाहे वो सुबह तक यहाँ खड़ा रहे,,,,,,,,,,,!!”,कहकर निशि वहा से चली गयी और पूर्वी बुझी आँखों से बारिश में भीगते वंश को देखने लगी।
बनारस , हनुमान मंदिर
शाम में मुन्ना दर्शन करने हनुमान मंदिर आया था। मंदिर आकर वह कुछ देर वही बैठा उसे काफी अच्छा लग रहा था और उसका मन भी बहुत शांत था। दर्शन करने के बाद मुन्ना मंदिर से बाहर चला आया। मुन्ना ने मंदिर के बाहर आकर गौरी को विडिओ कॉल किया। गौरी उस वक्त काशी ऋतू प्रिया के साथ अपने घर की छत पर थी। मुन्ना का विडिओ कॉल देखकर वह साइड में आयी और कॉल अटेंड करके कहा,”हाय मान !”
“गौरी गेस करो हम कहा है ?”,मुन्ना ने खुश होकर कहा
“अह्ह्हम्म्म तुम इस वक्त बनारस के किसी घाट पर होंगे।”,गौरी ने तुक्का मारते हुए कहा क्योकि उसे लगता था मुन्ना को बनारस में सबसे ज्यादा घाट ही पसंद है और वह हमेशा वही मिलेगा
मुन्ना मुस्कुराया और अपने फोन का बेक कैमेरा ऑन कर मंदिर दिखाते हुए कहा,”हम यहाँ है,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह ये तो हनुमान टेम्पल है।”,गौरी ने कहा
“हाँ यहाँ तुलसी के पोधो का बगीचा है जिनकी खुशबु आम तुलसी के पौधे से कई गुना ज्यादा और अलग है। इसके अलावा यहाँ लाल पेड़ा प्रशाद भी बहुत फेमस है इस बार तुम आओगी तब हम तुम्हे यहाँ जरूर लेकर आएंगे।”,मुन्ना ने कहा
“लड़के अपनी गर्लफ्रेंड को गोआ , मनाली , कश्मीर ले जाने की बाते करते है और ये मान मुझे मंदिर घुमाने की बातें कर रहा है वो भी इस उम्र में,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह ये मैंने किस लड़के से प्यार कर लिया।”,गौरी दूसरी तरफ देखकर बड़बड़ाई
“क्या हुआ तुम कुछ कह रही हो ?”,मुन्ना ने पूछा
“अह्ह्ह नहीं मैं ये कह रही थी कि तुम्हे मंदिर कुछ ज्यादा ही पसंद है ना शायद,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,अच्छा अभी हम घर जा रहे है , घर जाकर बात करते है।”,मुन्ना ने कहा क्योकि उसके फोन की बैटरी अब कम होने लगी थी
“हम्म्म ठीक है।”,गौरी ने कहा और फोन काट दियामुन्ना का फोन काटकर गौरी अपनी दोस्तों के बीच आयी तो ऋतू ने पूछ लिया,”किसका फोन था गौरी ? कही हमारे होने वाले जीजाजी का तो नहीं ?”
ऋतू की बात सुनकर काशी और प्रिया खिलखिलाकर हंस पड़ी। गौरी ने अपना फोन हाथ में घुमाते हुए कहा,”मान का फोन था वो भी विडिओ कॉल , पता है वो क्या कह रहा था ?”
“क्या कह रहा था ?”,प्रिया ने बहुत ही प्यार से पूछा
“वो बनारस के किसी हनुमान मंदिर के बाहर था , उसने बताया कि वो मंदिर आया है दर्शन करने और अगली बार जब मैं बनारस जाउंगी तब वो मुझे भी वहा लेकर जायेगा क्योकि वहा का प्रशाद बहुत फेमस है ।”,गौरी ने कहा
“हाउ स्वीट ! यार काशी तेरा भाई कितना स्वीट है यार आज के टाइम में जहा लड़के क्लब और डिस्को जाते है वहा तुम्हारे मुन्ना भैया मंदिर जाते है। सच में बहुत अलग है यार वो,,,,,,,,,!!”,ऋतू ने कहा
“आखिर हमारे मुन्ना भैया है ही सबसे अलग,,,,,,,,,,,,,,क्यों गौरी ?”,काशी ने गौरी की तरफ देखकर शरारत से कहा
“हाँ इतने अलग है कि बुढ़ापे से पहले ही मैं उसके साथ अपने सारे पाप धो लुंगी,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा तो सब हंस पड़ी
मुन्ना ने फोन जेब में रखा और जैसे ही जाने के लिये आगे बढ़ा सामने से आती उर्वशी से टकरा गया।
“लगता है किस्मत बार बार हमे मिलवाने की कोशिश करती है , तभी तो तुम बार बार आकर मुझसे टकरा जाते हो।”,उर्वशी ने प्यार भरी नजरो से मुन्ना को देखते हुए कहा
“माफ़ करना हमने ध्यान नहीं दिया रही किस्मत की बात तो हमारी किस्मत इतनी बुरी भी नहीं है कि हमे बार बार आपसे टकराना पड़े।”,मुन्ना ने बिना उर्वशी की तरफ देखे कहा
“बनारस में मेहमानो से ऐसे बर्ताव किया जाता है ?”,उर्वशी ने मुन्ना के गाल पर अपनी ऊँगली घुमाकर कहा
मुन्ना ने उर्वशी का हाथ साइड में किया और उसकी तरफ देखकर कहा,”मेहमान आप हमारे पापा की है हमारी नहीं,,,,,,,,,,!!!”
कहकर मुन्ना वहा से चला गया और उर्वशी उसे जाते हुए देखते रही। मुन्ना को लेकर उसकी आँखों में आकर्षण साफ नजर आ रहा था जिसे वह चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी।
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संजना किरोड़ीवाल
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