Sanjana Kirodiwal

मैं तेरी हीर – 14

Main Teri Heer – 14

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 14

बनारस शिवम् का घर
अनु और सारिका वंश के कमरे में बैठी बातें कर रही थी तभी मुरारी वहा आया और कहा,”अरे अनु घर नहीं चलना है या यही रहने का इरादा है।”
“क्यों मुरारी क्या अनु यहाँ नहीं रह सकती ? ये भी तो उसका ही घर है,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने प्यार से कहा
“अरे बिल्कुल भाभी , हम तो कह रहे साल डेढ़ साल के लिए इनको यही रख लीजिए,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“रह लोगे तुम ?”,अनु ने मुरारी की तरफ देखकर पूछा


“एक मिनिट भी नहीं,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने एकदम से कहा तो सारिका मुस्कुरा उठी और कहा,”तुम दोनों की नोक झोक ही तुम दोनों का असली प्यार है मुरारी है। बस हमेशा ऐसे ही एक दूसरे के साथ रहना।”
“अरे भाभी इह हमका कहा छोड़कर जा रही है जे तो महादेव से 7 जन्म के लिए हमका अपने खाते में लिखवा चुकी है।”,मुरारी ने कहा
“चलो बहुत हो गया मजाक अब ये बताओ यहाँ क्या कर रहे हो तुम ? तुमने तो कहा था आज शाम तुम जीजू के साथ सारनाथ जा रहे हो।”,अनु ने कहा


“हाँ वही बताने तो आये थे , हम शिवम् भैया के साथ जा रहे है सारनाथ तो देर से लौटेंगे और तब तक तुमहू यही रह जाओ आई और सारिका भाभी के पास,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“आप सारनाथ जा रहे है ?”,सारिका ने पूछा जिसकी उसे कोई जानकारी नहीं थी
“हाँ भाभी ! अब विधायकी तो रही नहीं तो घर बैठे बैठे ना बोर हो जाते है , भैया चाहते है बनारस की तरह सारनाथ में भी एक सीमेंट फैक्ट्री बन जाये तो बस उसी सिलसिले में जा रहे है। आशीर्वाद दीजिये !”,कहते हुए मुरारी ने सारिका के पैर छू लिए


“खूब आशीर्वाद मुरारी , महादेव आपको खूब सफलता दे पर आपको इस तरह से हमारे पैर,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा तो मुरारी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”अरे भाभी कैसी बातें कर रही है हम कितने भी बड़े हो जाये आप हमारे लिए हमेशा बड़ी ही रहेंगी और वैसे भी भाभी माँ समान होती है।”
“हम्म्म , ध्यान से जाईयेगा।”,सारिका ने कहा
“ठीक है अनु हम चलते है।”,मुरारी ने अनु से कहा और वहा से चला गया


“हाँ ध्यान से जाना , महादेव तुम्हे सफलता दे मुरारी,,,,,,,!!”,अनु ने कहा और फिर वंश के कपडे समेटने में सारिका की मदद करने लगी
नीचें आकर शिवम् और मुरारी सारनाथ के लिए निकल गए। शिवम् ने बहुत बार मुरारी से कहा लेकिन मुरारी अब राजनीती में वापस आना बिल्कुल नहीं चाहता था इसलिए शिवम् ने फैसला किया कि वह अपने सीमेंट वाले बिजनेस को बढ़ाएगा और उसमे मुरारी को शामिल करेगा जिस से मुरारी को घर पर बैठना ना पड़े।

प्रताप का घर
शाम के समय राजन अपने कमरे के बाहर बरामदे में टहल रहा था। राजन की 90% यादास्त जा चुकी थी उसे कुछ भी याद नहीं था। वह अपने घरवालों को भी मुश्किल से पहचान पा रहा था। हॉस्पिटल से घर आये उसे कई दिन हो चुके थे लेकिन प्रताप ने उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया। प्रताप नहीं चाहता था राजन भूषण से मिले और किसी परेशानी में पड़े इसलिए प्रताप ने राजन का ध्यान रखने के लिए आदमी लगा रखे थे जिनसे राजन भी अच्छा खासा परेशान हो चुका था।

बरामदे में घूमते हुए राजन के दिमाग में कई ख्याल आ जा रहे थे , उसके साथ क्या हुआ ? कैसे हुआ उसे कुछ याद नहीं था। घूमते घामते राजन की नजर बरामदे के पीछे वाले खम्बे पर पड़ी जहा से चढ़कर को ऊपर आ रहा था।  राजन उस तरफ आया और देखा वो शख्स कोई और नहीं बल्कि वही आदमी था जो उस शाम खुद को राजन का दोस्त बता रहा था।
प्रताप के आदमी उस शख्स को देख ना ले सोचकर जैसे ही वह आदमी ऊपर आया राजन ने उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे में ले आया।


आदमी जो कि कोई और नहीं बल्कि भूषण था राजन के सामने खड़ा उसे ही देख रहा था। राजन भी एकटक भूषण को देखता रहा और फिर कहा,”ऐसे चोरो की तरह काहे आये ? अगर तुमको किसी ने हिया देख लिया तो अच्छा नहीं होगा।”
“राजन भैया हमहू जानते है आपकी यादास्त जा चुकी है इहलीये आप हमे ना पहिचान रहे हो पर हम , हम आपको अच्छे से जानते है। अरे पूरा बचपन और जवानी बिताये है आपके साथ आपको कैसे भूल जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,

हम भूषण है , आपके बचपन के दोस्त , आपको ऐसी हालत में देखकर बहुते बुरा लगा पर महादेव का शुक्रिया उह आपको बचा लिये,,,,,,,प्रताप चाचा तो हमको मना किये रहय पर आपको देखने का दिल किया इहलिये चले आये , अब हम चलते है अपना ख्याल रखियेगा। हर हर महादेव,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,भूषण ने कहा और जाने लगा
“सुनो भूषण,,,,,,,,,!!”,राजन ने कहा तो भूषण रुक गया और पलटकर ख़ुशी से राजन की तरफ देखा उसे लगा राजन को सब याद आ गया है


राजन भूषण के पास आया और आसभरे शब्दों में कहा,”हमका बाहिर जाना है का तुम हमे थोड़ी देर के लिए हिया से लेकर जा सकते हो ?”
भूषण की ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी राजन ने अभी भी उसे नहीं पहचाना था वह तो बस भूषण के साथ घर से बाहर जाना चाहता था लेकिन भूषण अपने राजन भैया की बात भला कैसे टाल सकता था ? उसने हामी में सर हिला दिया और भूषण से वही रुकने का इशारा कर कमरे से बाहर चला गया।  


कमरे से बाहर आकर भूषण ने वहा पड़े एक पड़े में आग लगायी और उसे नीचे पड़े सूखे घास के ढेर में फेंक दिया जिस से घर जलने लगी। अचानक से लगी आग देखकर प्रताप के सारे आदमी उस तरफ भागे और आग बुझाने लगे। मौका देखकर भूषण राजन को अपने साथ लेकर दूसरे रास्ते से घर से बाहर निकल गया। कुछ ही दूर भूषण की बाइक खड़ी थी। भूषण राजन को लेकर वहा आया और बाइक स्टार्ट करते हुए कहा,”बैठो भैया”
राजन नहीं बैठा वह बस खामोश खड़ा भूषण को देखता रहा। भूषण ने देखा राजन अभी भी वही खड़ा तो कहा,”का हुआ बैठिये ना ?”


“तुम कौन हो ? और हमरे लिए इतना रिस्क काहे ले लिये ?’,राजन ने असमझ की स्तिथि में पूछा
“वक्त आने पर बता देंगे भैया अभी बैठिये हिया से निकलते है वरना प्रताप चचा के आदमियों ने हमे हिया देख लिया तो अच्छा नहीं होगा। आइये बैठिये।”,भूषण ने कहा तो राजन उसके पीछे आ बैठा और दोनों वहा से निकल गए।
भूषण राजन को लेकर बनारस की गलियों से होकर पंच गंगा घाट पहुंचा। राजन को ये सब नया नया लग रहा था और घर से बाहर आकर वह काफी खुश भी था।

घाट राजन के सभी पुराने लड़के चले आये लेकिन भूषण ने उन्हें राजन के सामने कुछ भी पुरानी बात बोलने से मना कर दिया और राजन से कहा,”भैया इह सब हमरे लड़के है , हमरे साथ ही घूमते फिरते है। आज के बाद कोई भी काम हो इनको बोल सकते हो आप।”
भूषण की बात सुनकर राजन एक एक करके सबसे मिला और फिर भूषण उसे अपने साथ लेकर सीढ़ियों पर आ बैठा। लड़का भूषण को 2 चाय के कप थमाकर चला गया। भूषण ने एक कप राजन को दिया और दुसरा कप खुद लेकर चाय पीने लगा।

शाम हो चुकी थी और सूरज ढलने वाला था। ढलते सूरज की रोशनी में माँ गंगा का पानी बहुत ही खूबसूरत और सुकून भरा नजर आ रहा था। राजन हाथ में चाय का कप पकडे बनारस की खूबसूरती में खोकर रह गया। भूषण इस बात से अनजान अपनी चाय पी रहा था और वहा प्रताप के आदमी इस वहम में थे कि राजन अपने कमरे में आराम कर रहा है

हो भी क्यों ना जब घर का नौकर राजन को देखने उसके कमरे में आया तो देखा राजन अपने बिस्तर पर कम्बल ओढ़े सो रहा है। नौकर दरवाजा धीरे से लगाकर वापस नीचे चला गया। दरअसल नौकर ने जो देखा वो राजन नहीं था बल्कि राजन ने ही बिस्तर पर दो तकिये रखकर उन्हें ऊपर से कम्बल ओढ़ा दी थी।

इंदौर , पुलिस स्टेशन
अपने केबिन में बैठा हाथ में पकड़े आइडेंटी कार्ड को देखे जा रहा था जिस पर कोई तस्वीर नहीं थी बस नाम और कॉलेज का नाम था। दोपहर में गोली चलने के बाद शक्ति ने जिस का पीछा किया था वह शख्स तो शक्ति के हाथ नहीं आया लेकिन भागते वक्त उसकी जेब से ये कार्ड गिर गया था और शक्ति के हाथ लग गया था। कॉलेज का नाम देखकर शक्ति ने इंटरनेट पर सर्च किया तो शक्ति ने पाया कि ये वही कॉलेज है जहा काशी पढ़ती थी और इसी साल उसने अपनी ग्रेजुएशन कम्प्लीट की थी।

कॉलेज का नाम देखकर शक्ति का दिल धड़कने लगा और उसने मन ही मन खुद से कहा,”तो क्या वो गोली काशी पर चलाई गयी थी  लेकिन काशी का दुश्मन कौन हो सकता है और वो उसे मारना क्यों चाहेगा ?”
“एक्सक्यूज मी सर ! DGP सर आपसे मिलना चाहते है। उन्होंने आपको अपने केबिन में बुलाया है।”,कॉन्स्टेबल ने आकर कहा तो शक्ति की तंद्रा टूटी उसने हाथ में पकडे कार्ड को अपने टेबल के ड्रावर में डाला और कहा,”तुम चलो हम आते है।”
“जी सर।”,कहकर कॉन्स्टेबल वापस चला गया

शक्ति उठा और अपने केबिन से बाहर निकलकर दूसरे केबिन में आया जहा DGP सर और कुछ पुलिस वाले पहले से मौजूद थे। अंदर आते ही शक्ति ने अपने सीनियर्स को सेल्यूट किया और कहा,”जय हिन्द सर।”
“जय हिन्द शक्ति , प्लीज सिट”,सर ने कहा
“थैंक्यू सर।”,कहते हुए शक्ति ने कुर्सी खिसकाई और अपनी टोपी निकलकर टेबल पर एक तरफ रख दी।
“इंस्पेकटर शक्ति ये मैं क्या सुन रहा हूँ ?

आज तुम पर गोली चली है और वो भी घर में,,,,,,,,,,,,, सरकार की तरफ से तुम्हे सरकारी बंगला और सुरक्षा गार्ड मिला है लेकिन तुमने दोनों मना कर दिये और बिना सिक्योरिटी के तुम एक 2 BHK घर में शिफ्ट हुए हो। आज तुम पर गोली चली है कल को कुछ भी हो सकता है,,,,,,,,,,,,.”,DGP सर चिंता जताते हुए कहा
“सर अगर जनता की सुरक्षा करने वाला अपने लिए सुरक्षाकर्मी रखने लगा तो फिर हो गयी कि सुरक्षा , हम सरकार की सुविधाओं का सम्मान करते है सर लेकिन वो घर हमारे माँ बाप के लिये एक सपना था जिसे हमने पूरा किया

, वो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनका सपना पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। जिसने भी ये गोली चलाई है उसका पता हम जल्द से जल्द लगा लेंगे , हो सकता है नए केस से हमारा ध्यान हटाने के लिये किसी ने ये जान बुझकर किया हो , बट डोंट वरी सर हम इसका पता लगा लेंगे। “,शक्ति ने सहजता से कहा
“मुझे तुम पर पूरा भरोसा है शक्ति इसलिए डिपार्टमेंट में तुम मेरे सबसे अजीज हो , तुम्हे किसी तरह की मदद की जरूरत है तो तुम मुझे बेझिझक कह सकते हो।”DGP सर ने शक्ति की तरफ देखकर कहा


“सर फ़िलहाल तो हमे घर जाने की परमिशन चाहिए , आज शाम हमे फॅमिली के साथ डिनर के लिये जाना है और हम लेट नहीं हुआ चाहते।”,शक्ति ने झिझकते हुए कहा
“ओह्ह्ह हाँ याद आया , तुमने सगाई कर ली , कोन्ग्रेचुलेशन,,,,,,,,,,,,,,,तुम जा सकते हो।”,DGP सर ने मुस्कुरा कर कहा
“थैंक्यू सर।”,शक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा
वह उठा अपनी टोपी ली और एक बार फिर सेल्यूट कर वहा से निकल गया


शक्ति वापस अपने केबिन में आया और अपना जरुरी सामान लेकर वहा से निकल गया। घर आकर शक्ति नहाकर अपने कमरे में आया और अलमारी से कपडे निकालने लगा। उसने क्रीम रंग की फॉर्मल पेण्ट और गहरे हरे रंग का शर्ट निकाला और पहनकर शीशे के सामने चला आया। शक्ति ने बाल बनाये और चेहरा भी चमका लिया। पुलिस की वर्दी में शक्ति जितना कठोर और अनुशासन से भरा लगता था फॉर्मल कपड़ो में वह बिल्कुल एक साधारण मासूम लड़के जैसा लग रहा था। शक्ति ने अपनी कलाई पर घडी पहनी और परफ्यूम लगाने लगा।

परफ्यूम लगते हुए शक्ति की नजर घडी पर पड़ी जो कि रात के आठ बजा रही थी।
“हमे अब निकलना चाहिए काशी हमारा इंतजार कर रही होगी।”,कहते हुए शक्ति ने अपना फोन और पर्स उठाया और वहा से निकल गया।

शक्ति गाड़ी में आकर बैठा और आगे बढ़ा दी। गोली चलने वाले हादसे के बाद से भी काशी काफी डरी हुयी थी उसे चीयर अप करने और उसके साथ थोड़ा वक्त बिताने का सोचकर ही शक्ति ने आज शाम डिनर का प्लान बनाया था। गाड़ी चलते हुए शक्ति ने काशी को फोन मिलाया। दूसरी तरफ से काशी ने फोन उठाया और वह कुछ कहती इस से पहले ही शक्ति ने कहा,”10 मिनिट बाद हम तुम्हारे घर के बाहर होंगे , तैयार होकर बाहर आ जाओ।”


“शक्ति,,,,,,,,,,!!”,काशी बस इतना ही कह पायी कि शक्ति ने फोन काट दिया।
“अह्ह्ह उसने हमारी बात सुने बिना ही फोन काट दिया , हम बोलने वाले थे कि हमे टाइम लगेगा।”,काशी ने बिस्तर पर बैठी गौरी को देखकर कहा जो कि अपने फोन में बिजी थी।
“गौरी , गौरी , हम तुम से बात कर रहे है।”,काशी ने थोड़ा गुस्सा होकर कहा तो गौरी की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”हाँ कहो क्या हुआ ?”


“10 मिनिट बाद शक्ति आ रहा है और हम दोनों डिनर पर जाने वाले है,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“ओह्ह्ह सो स्वीट , शक्ति कितना रोमांटिक है ,, पता नहीं मुझे कब मान के साथ ऐसी डिनर डेट पर जाने का मौका मिलेगा ?”,गौरी ने अपने हाथो को अपने गालों से लगाकर कहा
“गौरी हम यहाँ परेशान है और तुम्हे मुन्ना भैया के साथ डेट पर जाना है , शक्ति घर आ रहा है और हम अभी तक तैयार भी नहीं हुए है , हमे तो समझ ही नहीं आ रहा हम क्या पहने ?”,काशी ने परेशानी भरे स्वर में कहा और बिस्तर पर आ बैठी


“ओह्ह्ह काशी तुम कुछ भी पहनो तुम पर अच्छा ही लगेगा।”,गौरी ने उसके पास आकर कहा
“हाँ लेकिन आज हमे थोड़ा ज्यादा अच्छा दिखना है।”,काशी ने बच्चो की तरह मासूमियत से कहा
“ठीक है चलो फिर मैं तुम्हे तैयार करती हूँ। “,गौरी ने बिस्तर से उठकर कबर्ड की तरफ जाते हुए कहा

गौरी ने काशी के लिये एक प्यारा सा लाल रंग का अनारकली सूट निकाला और साथ में मैचिंग झुमके और चुडिया भी। गौरी ने काशी को जल्दी जल्दी तैयार  किया और इस बीच उन दोनों में ना जाने कितनी ही बार बहस भी हुई लेकिन अंतत काशी तैयार थी
काशी ने खुद को शीशे में देखा वह बहुत प्यारी लग रही थी उसने खुश होकर गौरी को गले लगाया और कहा,”थैंक्यू सो मच गौरी,,,,,,,,,,,!!”


“अब अपनी होने वाली ननद के लिये मैं इतना तो कर ही सकती हूँ।”,गौरी ने इतराते हुए कहा तो काशी खिलखिलाकर हंस पड़ी
शक्ति घर के बाहर आ चुका था उसने गाडी का हॉर्न बजाया लेकिन काशी को बाहर ना पाकर वह गाड़ी से उतरा और अंदर चला आया। अधिराज जी और अम्बिका से काशी पहले ही परमिशन ले चुकी थी और उन्हें कोई आपत्ति भी नहीं थी क्योकि वे लोग शक्ति पर पूरा भरोसा करते थे।


“लगता है शक्ति आ गया तुम्हे जाना चाहिए , एन्जॉय योर डिनर डेट,,,,,,,,,!!”,गौरी ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा
“थैंक्यू , तुम हमारे साथ चलो हम तुम्हे घर छोड़ देंगे।”,काशी ने अपने सेंडल पहनते हुए कहा
“थैंक्यू मिस काशी लेकिन मुझे कबाब में हड्डी बनने का बिल्कुल शौक नहीं है मेरी स्कूटी बाहर खड़ी है मैं खुद से चली जाउंगी , तुम शक्ति के साथ जाओ देर हो रही है।”,गौरी ने पलटकर कहा
“हमसे ज्यादा तो तुम एक्साइटेड हो गौरी,,,,,,,!!”,काशी ने कहा


“हाँ तुम जाओगी तभी तो मेरा नंबर आएगा,,,,,,,,,!!”,गौरी धीरे से बड़बड़ाई
“हाँ ? क्या कहा तुमने ?”,काशी ने कुछ कुछ सुन लिया था इसलिए पूछा
“कुछ नहीं मैंने कहा जाओ , बाहर शक्ति वेट कर रहा है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने काशी को कमरे से बाहर धकियाते हुए कहा तो काशी उसे बाय बोलकर वहा से चली गयी
चलते चलते काशी ने ध्यान दिया वह अपने बालों में रबड़ डालना तो भूल ही गयी।

चलते चलते उसने टेबल पर रखा जुड़ा पेन्सिल उठाया और अपने बालों को समेटते हुए बाहर आयी देखा शक्ति बाहर ही है तो उसने शक्ति की तरफ आते हुए कहा,”सॉरी वो हम बस आ ही रहे थे।”
“इट्स ओके , चले ?”,शक्ति ने पूछा
“हम्म्म , चलो”,काशी ने पेन्सिल अपने बालों में डालकर कहा और आगे बढ़ गयी।


चलते चलते शक्ति ने उसके बालों से पेन्सिल निकाल दी। घने लम्बे चमकदार बाद नीचे आ गए और काशी की कमर तक झूलने लगे। काशी ने हैरानी से शक्ति को देखा तो शक्ति ने कहा,”तुम्हारे बाल खुले हुए ज्यादा सुंदर लगते है , हमारे लिए इन्हे ऐसे ही रहने दो।”
काशी ने सूना तो मुस्कुरा उठी क्योकि शक्ति से रोमांटिक होने की उम्मीद काशी को कम ही थी। दोनों आकर गाड़ी में बैठे और वहा से निकल गए। खिड़की पर खड़ी गौरी मुस्कुराते हुए उन्हें देख रही थी और उनके जाने के बाद आसमान में देखकर कहा,”इन दोनों का मामला तो सेट है ,

अब मेरा भी कुछ करो ना महादेव ,, उस पत्थर दिल को याद दिलाओ कि मीलो दूर एक मासूम लड़की है जो उसे बहुत मिस करती है।”
गौरी अभी ये सब कह ही रही थी कि उसका फोन बजा।
“क्या बात है महादेव बड़ी जल्दी सुन ली आपने मेरी,,,,,,,,,,,,मुहआ थैंक्यू।”,कहकर गौरी बिस्तर की तरफ आयी जहा उसका फोन रखा था। फोन मुन्ना का होगा सोचकर उसने फोन उठाया लेकिन स्क्रीन पर अपनी मॉम का नाम देखकर उसकी ख़ुशी गायब हो गयी और उसने फोन उठाकर कहा,”हेलो मॉम !”


“बेटा गौरी क्या तुमने अभी से उस घर को अपना ससुराल मान लिया है और तुम वहा रहने चली गयी हो ?”,नंदिता ने बड़े ही प्यार से गौरी से कहा
“नो मॉम”,गौरी ने कहा
“नहीं तो फिर इतनी रात में तुम वहा कर क्या रही हो ? क्या तुम्हारी अपनी कोई रेस्पोंसिब्लिटी नहीं बनती है ? सुबह से तुम घर से बाहर हो क्या तुम्हे और कोई काम नहीं है बोलो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने गुस्से से कहा तो गौरी ने रोनी सी सूरत बना ली और कहा


“मैं बस घर आ ही रही थी,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“10 मिनिट के अंदर घर पहुंचो वरना मैं तुम्हारी परमानेंट बनारस के लिये टिकट बनवा दूंगी,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा
“है क्या सच में मॉम ?”,गौरी ने खुश होकर कहा क्योकि बनारस का नाम सुनते ही उसे तो बस मुन्ना दिखाई देता था
“ओह्ह्ह शट अप पागल लड़की , घर आओ तुम चुपचाप,,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा और फोन काट दिया।
गौरी ने अपना फोन जेब में रखा और नाना-नानी को गुड नाईट बोलकर घर से निकल गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

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