Sanjana Kirodiwal

मैं तेरी हीर – 13

Main Teri Heer – 13

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 13

अचनाक गोली चलने से शक्ति और बाकि सब घबरा गए। शक्ति ने गोली की दिशा में देखा तो उसे  सड़क के उस पार सामने वाली बिल्डिंग पर एक शख्स नजर आया जिसने मास्क पहना था। शक्ति ने काशी को साइड किया और दिवार फांदकर भागा।
“शक्ति,,,,,,,,,,,!!”,काशी चिल्लाई लेकिन शक्ति तब तक जा चुका था।
“काशी , ऋतू , प्रिया सब अंदर चलो,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने सबको सम्हालते हुए कहा


काशी की आँखों में शक्ति को लेकर डर अभी भी साफ दिखाई दे रहा था। गौरी सबको अंदर ले आयी और दरवाजा बंद कर लिया। चारो लड़किया घबराई हुई सी हॉल के सोफे पर बैठी थी। काशी को घबराया देखकर गौरी ने उसे पानी का ग्लास दिया और कहा,”रिलेक्स काशी , भगवान का शुक्र है कि गोली किसी को लगी नहीं , लेकिन इतनी घटिया हरकत किसने की होगी ?”
“गौरी , शक्ति एक पुलिस वाला है हो सकता है वो गोली किसी ने शक्ति पर चलाई हो।”,ऋतू ने कहा


शक्ति का नाम सुनकर काशी और ज्यादा घबरा गयी और कहा,”लेकिन शक्ति ही क्यों ? और शक्ति ने किसी का क्या बिगाड़ा है ? लोग उसके पीछे क्यों पड़े है ? हमे बहुत डर लग रहा है।”
“काशी शांत हो जाओ , ये गोली कैसे चली और क्यों चली ये तो शक्ति ही बता सकता है।”,गौरी ने काशी के पास बैठते हुए कहा और उसे सम्हाला
चारो डरी सहमी सी बैठी एक दूसरे को देखते रही।

कुछ देर बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया और चारो एक बार फिर घबरा गयी। गौरी दरवाजा खोलने के लिये उठी तो काशी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”हमे बहुत डर लग रहा है प्लीज बाहर मत जाओ।”
“काशी देखने तो दो बाहर कौन है ? रुको मुझे दरवाजा खोलने दो,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी ने धीरे से काशी के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी।
ऋतू और प्रिया भी काशी के पास चली आयी। गौरी ने दरवाजा खोला सामने शक्ति को देखकर गौरी ने राहत की साँस ली और कहा,”ओह्ह्ह शक्ति तुम हो , तुम ठीक हो ना ?”


“हाँ हम ठीक है , तुम सब ठीक हो ?”,शक्ति ने अंदर आते हुए कहा
शक्ति को सही सलामत देखते ही काशी उठी और उसके गले आ लगी। काशी को देखकर ही शक्ति समझ गया कि वह इस वक्त बहुत डरी हुयी है। शक्ति ने धीरे से काशी के सर को सहलाया और कहा,”काशी कुछ नहीं हुआ है देखो सब ठीक है।”
“वो गोली किस ने चलाई थी और क्यों क्यों चलाई ? क्या कोई तुम्हे मारना चाहता है शक्ति , तुम तुम यहाँ नहीं रुको तुम हमारे साथ नानू के घर चलो यहाँ तुम सेफ नहीं हो।”,काशी ने घबराये हुए स्वर में कहा


“हाँ शक्ति काशी ठीक कह रही है , देखो अगर वो गोली तुम पर चली है तो फिर तुम यहाँ बिल्कुल सेफ नहीं हो तुम्हे नानाजी के घर रुकना चाहिये।”,गौरी ने कहा
“गौरी हम एक पुलिस वाले है ये सब हमारे लिए सामान्य है , और तुम क्या कह रही हो हम यहाँ से चले जाये , जो गोली यहाँ चली है क्या वो नानाजी के घर में नहीं चलेगी ?”,शक्ति ने गौरी की तरफ देख कर कहा
शक्ति की बात सुनकर चारो उसकी तरफ देखने लगी।

शक्ति ने काशी को शांत किया और कहा,”जिसने गोली चलाई थी हमने उसका पीछा किया था लेकिन वो हमारे हाथ से निकल गया और हम उसे नहीं पकड़ पाए लेकिन हम पता लगा लेंगे वो कौन है ?”
“वो जो कोई भी हो लेकिन हम तुम्हे मुसीबत में नहीं डाल सकते,,,,,,,,,,,,,,,,आज गोली चली है कल कुछ और,,,,,,,,,,,,,,,,महादेव ना करे ऐसा कुछ हो।”,काशी ने कहा
शक्ति ने काशी के चेहरे को अपने हाथो में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”काशी कुछ नहीं हुआ है हमे और जब तक तुम हमारे साथ हो कुछ नहीं होगा हमे ,

एक पुलिसवाले की होने वाली पत्नी हो तुम और इतनी छोटी सी बात से घबरा रही हो।”
“हम तुम्हे खोना नहीं चाहते शक्ति,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने आँखों में आँसू भरकर कहा तो शक्ति ने उसे अपने सीने से लगा लिया। पास खड़ी गौरी ने जब सूना तो वो भी काशी का सर सहलाने लगी। ऋतू प्रिया भी उसके पास चली आयी और काशी को समझाने लगी।


शक्ति ने गौरी से सबको घर ले जाने को कहा और खुद अपनी यूनिफॉर्म पहनकर घर से बाहर निकल गया। वो कहा जा रहा है इस बारे में किसी को कोई खबर नहीं थी।

मुंबई एयरपोर्ट
दोपहर के 3 वंश अपने सामान के साथ एयरपोर्ट से बाहर आया। नवीन अपनी गाड़ी के साथ बाहर ही खड़ा था। नवीन को देखते ही वंश के चेहरे पर ख़ुशी चमकने लगी। वह आया और नवीन को गले लगाते हुए कहा,”वाह अंकल मैंने सोचा नहीं था आप मुझे लेने आएंगे।”
“सारिका मैडम का फोन आया था उन्होंने बताया तुम आ रहे हो , उन्होंने बताया तुम्हारी फ्लाइट भी लेट है आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई बेटा ?’,नवीन ने वंश का सामान उठाते हुए कहा


“अरे अरे अंकल दीजिये मुझे मैं रखता हूँ,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश नवीन के हाथ बैग लिया और खुद ही गाड़ी की डिग्गी में रखने लगा।
नवीन ने बाकी सामान रखने में उसकी मदद की और फिर दोनों गाड़ी में आ बैठे। नवीन ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। रास्ते भर वंश नवीन से कुछ ना कुछ बाते करता रहा। इस बार नवीन ने वंश में काफी बदलाव देखे और साथ ही वंश को इतना खुश मिजाज देखकर खुश भी था।

दोनों घर पहुंचे नवीन ने वंश को अंदर चलने को कहा और खुद बाहर फोन पर किसी से बात करने लगा। वंश ने आकर डोरबेल बजायी। दरवाजा मेघना ने खोला , वंश को सामने देखकर मेघना बहुत खुश हुई
“नमस्ते आंटी , कैसी है आप ?”,वंश ने मेघना के पैर छूकर कहा
मेघना वंश के इन्ही संस्कारो से तो इम्प्रेस थी। उसने खुश होकर कहा,”मैं बिल्कुल ठीक हूँ बेटा , तुम बताओ आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ?’


वंश अंदर आया और कहा,”अरे नहीं आंटी सब ओके था , वैसे आप और अंकल काशी की सगाई में नहीं आये माँ आपसे नाराज है।”
“सॉरी बेटा उस वक्त मेरा और नवीन का बाहर जाना बहुत जरुरी थी इसलिए तो हमने निशि को भेजा था। तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती हूँ।”,मेघना ने किचन में जाते हुए कहा
“मेघना एक कप मेरे लिए भी,,,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने अंदर आते हुए कहा  


निशि का नाम सुनकर वंश का दिल धड़कने लगा। उसने इधर उधर देखा लेकिन निशि उसे कही दिखाई नहीं दी। नवीन और मेघना से भी डायरेक्ट पूछ नहीं सकता था इसलिए खामोश रहना ही बेहतर समझा। कुछ देर बाद मेघना तीन कप कॉफी ल आयी और वंश को देकर कहा,”ये लो तुम्हारी फेवरेट कॉफी।”
“फेवरेट कॉफी ?”,वंश ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे भूल गए तुमने ही तो नवीन को फोन करके कहा था कि तुम मेरे हाथो से बनी कॉफी को मिस कर रहे हो ,,

भूल गए क्या ?”,मेघना ने दुसरा कप नवीन को देकर कहा और अपना कप लेकर नवीन के बगल में आ बैठी।
“ओह्ह्ह हाँ , सच में आप बहुत अच्छी कॉफी बनाती है,,,,,,,,,!”,वंश ने कहा
“देखा नवीन अब तो वंश ने भी मेरी कॉफी की तारीफ कर दी पता नहीं तुम कब करोगे ?”,मेघना ने शिकायती लहजे में प्यार से कहा


“अच्छा तो क्या मैंने कभी तुम्हारी कॉफी की तारीफ नहीं की,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने भी प्यार से मेघना की तरफ देखते हुए कहा
उन दोनों को देखकर वंश मुस्कुराया और अपनी कॉफी पीने लगा।

कॉफी खत्म कर वंश ने जैसे ही कप रखा नवीन ने कहा,”चलो वंश तुम्हे तुम्हारा नया घर दिखा देता हूँ।”
“नया घर ?”,वंश ने हैरानी से कहा
“हाँ सारिका मैडम ने तुम्हे बताया नहीं क्या ? मुंबई में उन्होंने तुम्हारे लिए एक वन BHK फ्लेट खरीदा है ताकि तुम बिना किसी डिस्टबेंस के आराम से उसमे रह सको। यहाँ से बस 2 किलोमीटर दूर है , तो चले ?”,नवीन ने कहा
वंश ने सूना तो उसको झटका सा लगा क्योकि सारिका ने तो उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया था।

वंश का चेहरा उदासी से घिर गया। उसने सोचा नवीन के घर रहेगा तो निशि से मिलकर सब चीजे शार्ट आउट भी कर लेगा लेकिन वह निशि से मिला भी नहीं और नवीन उसे चलने के लिए कह रहा था।  
“नवीन वो अभी अभी आया है उसे थोड़ा साँस तो लेने दो , क्या वो आज आज यहाँ नहीं रुक सकता ? आज आज इसे हमारे घर में रुकने दो फिर वंश चाहे तो कल अपने नए घर में शिफ्ट हो जाएगा। क्यों वंश क्या मैं गलत कह रही हूँ ?”,मेघना ने वंश की तरफ देखा


“अह्ह्ह्ह नहीं आंटी आप ठीक कह रही है लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही नवीन बोल पड़ा,”ऑफकोर्स वंश यहाँ रुक सकता है इसके लिए इसे किसी की परमिशन की जरूरत नहीं लेकिन मेघना तुम तो निशि के बिहेवियर के बारे में जानती हो ना , मैं नहीं चाहता वो वंश के साथ फिर से बदतमीजी से पेश आये,,,,,,,,,,,,,!!”
“इट्स ओके अंकल आंटी के लिये मैं आज आज निशि का टॉर्चर और झेल लूंगा,,,,,,!!”,वंश ने मेघना के कंधो पर अपना हाथ रख उन्हें साइड हग करते हुए कहा


“ओह्ह्ह्हह थैंक्यू सो मच बेटा तुम बहुत प्यारे हो,,,,,,,,,,,!!!”,मेघना ने वंश के लाड दुलार करते हुए कहा
“क्या तुम मेरी बेटी को टॉर्चर कह रहे हो ?”,नवीन ने वंश को घूरते हुए कहा
“उप्स सॉरी मेरा वो मतलब नहीं था,,,,,,,,!!”,वंश ने अपना कान पकड़कर धीरे से कहा
नवीन उसके नजदीक आया और कहा,”वैसे तुम उसे थोड़ी अजीब कह सकते हो।”
नवीन ने कहा तो वंश और मेघना हंस पड़े और फिर उनके साथ साथ नवीन भी हसने लगा

मेघना ने वंश को गेस्ट रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा और खुद ऊपर अपने कमरे में चली गयी। नवीन भी किसी काम से बाहर चला गया। वंश अपना सामान लेकर गेस्ट रूम में आया और कपडे लेकर फ्रेश होने चला गया। नवीन के घर में था इसलिए सारिका ने उसे सलीके से कपडे पहनने की हिदायत दी थी। वंश ने कार्गो ट्राउजर और सफेद रंग की टीशर्ट निकालकर बिस्तर पर रखी और नहाने चला गया। कुछ देर बाद वंश बाहर आया ,

कपडे पहने और शीशे के सामने आकर बाल पोछने लगा। बाल पोछते हुए वंश की नजर शीशे पर गयी वहा कुछ लिखा हुआ था वंश थोड़ा सा पास आया और देखा शीशे पर छोटे  छोटे अक्षरों में लाल रंग से “चिरकुट” लिखा हुआ था। वंश पहले तो उस नाम को देखकर मुस्कुराया और फिर एकदम से चिढ़कर कहा,”हाह इस चिपकली से मैं और उम्मीद भी क्या कर सकता हूँ ? मुंबई आते ही दिखा दी ना इसने अपनी औकात ,, तुमने यहां चिरकुट लिखकर अच्छा नहीं किया मिस निशि तुम्हे तो मैं बताऊंगा ये चिरकुट आई मीन वंश गुप्ता क्या चीज है,,,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए वंश ने उस नाम को हटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन अगले ही पल हाथ वहा से हटा लिया और उस नाम को वैसे का वैसा छोड़ दिया। वंश आकर बिस्तर पर लेट गया और आराम करने लगा कब उसे नींद आयी उसे पता ही नहीं चला।

बनारस , शिवम् का घर
सारिका वंश के कमरे में थी और उसके बिखरे हुए कमरे को जमा रही थी। वंश का जाने के बाद ये कमरा कितना शांत नजर आ रहा था। सारिका ने वंश की किताबे और विडिओ गेम्स सही जगह रखे। कमरे की खिड़किया बंद करके उन पर परदे लगा दिए। बिस्तर की बेडशीट सही की और सभी तकिये सही किये। हालाँकि दीना ने कहा था वह कर देगा लेकिन सारिका को ये सब करना अच्छा लगता था इसलिए उसने उन्हें दूसरे काम करने को कहा।

वंश के कबर्ड और बाहर बिखरे कपडे उठाये और उन्हें बिस्तर पर रख दिया। सारिका बिस्तर पर एक तरफ आकर बैठी और एक एक करके कपड़ो को तह करने लगी। कपडे तह करते हुए सारिका के हाथ में वंश की एक सफ़ेद शर्ट आयी जिसे देखते ही सारिका को बीते वक्त की कुछ बाते याद आने लगी।
“माँ देखिये ये शर्ट कैसा है ?’,वंश ने एकदम से सफ़ेद शर्ट सारिका के सामने करके कहा
“ये बहुत प्यारा लग रहा है। तुम पर बहुत जचेगा।”,सारिका ने कहा


“माँ क्या इसे पहनकर मैं बिल्कुल पापा की तरह लगूंगा , मैंने इसे वही से लिया है जहा से पापा सफ़ेद शर्ट लिया करते थे। वो दुकान मुझे मुरारी चाचा ने बताई थी उन्होंने ये भी बताया कि आपको पापा पहली बार मिले तब उन्होंने ऐसा ही शर्ट पहना था।”,वंश ने शरारत से कहा
“धत्त बदमाश , अपनी माँ से ऐसी बातें करते हो।”,सारिका ने वंश के गाल पर हलकी सी चपत लगाते हुए कहा


“अच्छा ठीक है मैं इसे पहनकर आता हूँ फिर बताना कैसा लग रहा है।”,कहते हुए वंश गया और कुछ देर बाद शर्ट पहनकर सारिका के सामने आकर कहा,”माँ अब बताईये क्या अब मैं पापा जैसा लग रहा हूँ ?”
“अहंमम नहीं,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
वंश ने शर्ट की बाजु चढ़ाई और कहा,”अब ?”
“हम्म्म अब भी नहीं,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा


वंश थोड़ा झुंझलाया तो सारिका मुस्कुराने लगी। वंश ने शर्ट के ऊपर के दो बटन खोले और थोड़ा स्टाइल से बिल्कुल शिवम् की तरह खड़े होकर कहा,”अब ?”
सारिका ने देखा उस सफ़ेद शर्ट में वंश बिल्कुल वैसा ही लग रहा था जैसा सालों पहले वह शिवम् से मिली थी। सारिका मुस्कुराने लगी,,,,,,,,,!!

“क्या हुआ दी आप अकेले में बैठकर ऐसे क्यों मुस्कुरा रही है ?”,अनु ने कहा जो कि सारिका के लिए चाय लेकर आयी थी। अनु की आवाज से सारिका की तंद्रा टूटी उसने हाथ में पकड़ी शर्ट को नीचे रख दिया और कहा,”अरे अनु ! तुम कब आयी ? आओ बैठो।”
“मैं तो कब से आपके लिए चाय लिए खड़ी थी पर आप ना जाने कहा खोयी थी , लो चाय पीओ आपके मुरारी मिश्रा ने खुद अपने हाथो से बनायीं है।”,अनु ने चाय का कप सारिका की और बढ़ाकर कहा


“क्या सच में ? अरे मुरारी ने चाय क्यों बनायीं हम से कहा होता हम बना देते ?”,सारिका ने कहा
“ओह्ह्ह कम ऑन दी एक चाय ही तो है और फिर मुरारी ने कहा कि आज वो अपने शिवम् भैया को अपने हैं से चाय बनाकर पिलाना चाहता है तो मैंने कहा क्यों ना सब के लिये हो जाये , बस उसने बना दी।”,अनु ने अपनी चाय का कप उठाते हुए कहा
“अनु ! अपने पति से कोई ऐसे काम करवाता है क्या ? वो भी तब जब वो इतनी बड़ी पोस्ट पर रह चुके हो।”,सारिका ने कहा


“दी ! आप भी तो मुंबई में इतनी बड़ी पोस्ट पर थी फिर भी अपने परिवार के लिए आपने वो सब काम किये ना जो आपने पापा के घर पर कभी नहीं किये थे , तो मुरारी क्यों नहीं कर सकता ? और वैसे भी दी मेरा और मुरारी का रिश्ता तो दोस्त जैसा है हम दोनों एक दूसरे से कुछ भी कह सकते है।”,अनु ने चहकते हुए कहा
अनु की बात सुनकर सारिका की आँखों के सामने मुंबई , उसकी कम्पनी और उसका काम आ गया। तब सारिका कुछ और हुआ करती थी लेकिन बनारस आने के बाद उसने खुद को जैसे बनारस तक ही सिमित कर लिया था।

उसने अपना वक्त और अपना सब कुछ जैसे इस घर और घर के लोगो के लिए समर्पित कर दिया था।
“दी आप फिर से क्या सोचने लगी , चाय पीजिये ठंडी हो जाएगी।”,अनु ने कहा तो सारिका अपने ख्यालो से बाहर आयी और चाय पीने लगी सच में चाय बहुत अच्छी बानी थी

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