Main Teri Heer – 64
वंश को मुरारी की नजरो से बचाकर गौरी मुरारी के साथ वहा से निकल गयी। कुछ ही दूर पेट्रोल पम्प था जहा आकर गौरी ने स्कूटी में पेट्रोल भरवाया और फिर मुरारी के साथ चाय की उसी टपरी पर चली आयी जहा कुछ देर पहले वंश और निशि ने चाय पी थी। गौरी ने मुरारी से बैठने को कहा और खुद चाय लेने चली गयी। मुरारी वहा पड़ी बेंच पर आ बैठा। उसने देखा रात के इस वक्त भी वहा चाय पीने वालो की तादात काफी ज्यादा थी।
मुरारी को वो जगह काफी रोमांचक लगी , आस पास बैठे लोग , कुछ दोस्त झुण्ड बनाकर बैठे थे तो कुछ प्रेमी जोड़े अलग खड़े चाय पी रहे थे। उन सबको देखकर मुरारी को अपने जवानी के दिन याद आ गए जब वह शिवम् भैया के साथ बैठकर चाय की चुस्किया लिया करता था। बनारस में ऐसी कोई दुकान नहीं थी जहा मुरारी ने चाय ना पी और पान ना खाया हो।
“ये लीजिये अंकल आपकी गर्मागर्म चाय विथ बन-बटर,,,,,,,,,!!”,गौरी ने ट्रे मुरारी के सामने रखते हुए कहा जिसमे 2 बड़े कांच के गिलास रखे थे जिनमे चाय भरी थी। एक प्लेट थी जिसमे दो बन रखे थे और एक छोटी प्लेट में बिस्किट,,,,,,,,,,,गौरी की आवाज से मुरारी की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”गौरी ! जे तो बहुते सही जगह है,,,,,,,,,,!!”
“मैंने कहा था ना आपकी उदासी यू चुटकी में गायब हो जाएगी,,,,,,,,,अब ज़रा ये चाय पीकर देखिये , असली स्वाद तो इसमें है”,गौरी ने मुरारी के सामने बैठते हुए कहा।
मुरारी मुस्कुराया और चाय का गिलास उठाकर एक घूंठ भरा चाय वाकई में बहुत अच्छी बनी थी। उसने गौरी की तरफ देखा और कहा,”चाय भी गजब है,,,,,,,,,,इस चाय ने तो बनारस की याद दिला दी गौरी,,,,,,,,,,!!”
“अरे हमारा इंदौर बनारस से कम है क्या अंकल,,,,,,,,!!”,गौरी ने थोड़ा ज्यादा ही जोर से बोल दिया तो आस पास बैठे लोग उसे देखने लगे गौरी झेंप गयी और प्लेट में रखा बन उठाकर मुरारी की तरफ बढाकर कहा,”अरे ये लीजिये ना साथ में,,,,,,,,!!
मुरारी ने एक हाथ में चाय का गिलास पकड़ा और दूसरे हाथ में बन लेकर खाने लगा। गौरी मुरारी को अपने कॉलेज के दिनों का एक किस्सा सुनाने लगी। मुरारी चाय पीते हुए सुन रहा था। गौरी की बातो से मुरारी अनु की नाराजगी को भूल गया और उसके होंठो पर पुराने वाली हंसी फिर से आ गयी। गौरी के साथ बैठकर मुरारी अपनी उम्र भूल गया और उसकी बात पर खिलखिलाकर हंसने लगा
गौरी ने देखा मुरारी की वो पहले वाली मुस्कान लौट आयी है , साथ ही मुरारी के गिलास की चाय भी खत्म हो चुकी है तो गौरी ने कहा,”मेरे पास एक और किस्सा है और वो इस से भी ज्यादा मजेदार है,,,,,,,,,!!”
“तो सुनाओ,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने चाय का खाली गिलास नीचे रखते हुए कहा
“लेकिन उसके लिए एक गिलास चाय और लगेगी,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मासूमियत से कहा
“तो मंगवा लेते है,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
गौरी ने सूना तो ख़ुशी से मुरारी को हाई फाइव देने के लिए हाथ आगे करते हुए कहा,”अरे यार आप तो बिल्कुल मेरे जैसे हो,,,,,,,,,हम्म्म दो ना”
गौरी का हाथ देखकर मुरारी समझा नहीं गौरी क्या चाहती है ? मुरारी को असमझ में देखकर गौरी ने कहा,”अरे हाई फाइव दीजिये ऐसे,,,,,,,,,,,,हम्म्म ये हुई ना बात,,,,,,,,!”
“वैसे जे किसलिए था ?”,मुरारी ने अपना हाथ नीचे करते हुए कहा
“मुझे आपकी बात अच्छी लगी और मैं आपकी बात से सहमत हूँ इसलिए,,,,,,,,,,,,मैं चाय लेकर आती हूँ”,गौरी ने उठते हुए कहा
“तुम बइठो हम लेकर आते है”,मुरारी ने उठते हुए कहा
गौरी ने ख़ुशी ख़ुशी हामी में गर्दन हिला दी और बैठकर मुरारी का इंतजार करने लगी। मुरारी चायवाले के पास आया और दो स्पेशल चाय देने को कहा।
बनारस का विधायक रह चुका मुरारी इंदौर की टपरी पर खड़े होकर चाय का इंतजार कर रहा था।
“ये लीजिये भैया,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चायवाले ने चाय के दो गिलास रखते हुए मुरारी से कहा
मुरारी गिलास को उठा पाता इस से पहले एक लड़का वहा आया और चाय के दोनों गिलास उठाते हुए कहा,”चचा आप दूसरी ले लो,,,,,,,,,,,!!”
लड़के ने मुरारी के जवाब का इंतजार भी नहीं किया और एक चाय अपने बगल में खड़े अपने दोस्त को पकड़ा दी और दूसरी खुद लेकर जैसे ही पीने को हुआ चाय का गिलास उसके होंठो तक पहुँच ही नहीं पाया।
लड़के ने पूरी जान लगाईं लेकिन ना गिलास होंठो तक जा पाया ना होंठ गिलास तक आ पाए और ऐसा इसलिए हुआ क्योकि मुरारी ने उसके हाथ को पकड़ रखा था।
बगल में खड़े दोस्त ने देखा तो उसने चाय पिए बिना ही गिलास को रखा और मुरारी के हाथ से अपने दोस्त का हाथ छुड़ाते हुए कहा,”अबे छोड़ !”
मुरारी ने उस लड़के को देखा जिसका हाथ उसने पकड़ रखा था और बहुत ही सहजता से कहा,”का बाबू ? बाप का माल समझे हो,,,,,,,,,,,जो उठाये और चल दिए,,,,,,,,!!”
“अबे तू है कौन?”,दूसरे लड़के ने कहा
“उम्र के हिसाब से तो तुम्हरे बाप हुए और बात करे ओहदे की तो बेटा ऐसा है उस तक तुम्हरा असल बाप भी नहीं पहुँच सकता,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी ने लड़के के हाथ से चाय का गिलास लिया और एक घूंठ भरकर चायवाले से कहा,”चाय बहुते बढ़िया है आपके हिया की,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू !”,लड़के ने कहा और अपने काम में लग गया
मुरारी ने दुसरा गिलास गौरी के लिए उठाया और वहा से चला गया।
जिस लड़के का हाथ मुरारी ने पकड़ा था वह अपना हाथ सहलाते हुए जाते हुए मुरारी को गुस्से में देखता रहा और कहा,”लगता है इसे सबक सिखाना ही पडेगा,,,,,,,,लड़को को बुला”
कहकर लड़का मुरारी के पीछे आया और उसकी पीठ पर धक्का दिया ताकि मुरारी गिर जाये लेकिन मुरारी नहीं गिरा , वह लड़खड़ाया लेकिन सम्हल गया हाँ हाथ में पकडे चाय के गिलास नीचे गिर चुके थे। मुरारी पलटा तो पाया दो लड़को के साथ 2 लड़के और थे।
मुरारी पलटा तो एक लड़के ने कहा,”क्या अंकल खुद को हीरो समझ रहे हो , अभी तुम्हारी हीरोगिरी निकालता हूँ,,,,,,,,,!!!”
कहते हुए लड़के ने जैसे ही मुरारी को मारने के लिए हाथ उठाया , कही से आकर एक जोर का थप्पड़ लड़के को पड़ा और लड़का नीचे ,, अगले ही पल कोई मुरारी के बगल में खड़ा था और उसकी आवाज मुरारी के कानों पड़ी,”का बे ? अकेले समझे हो,,,,,,,,,,!!”
मुरारी को ये आवाज जानी पहचानी लगी उसने बगल में देखा तो वंश खड़ा था। वंश को वहा देखकर मुरारी को और ज्यादा हैरानी हुई उसने कहा,”तुम हिया का कर रहे हो ? और अभी जो झाड़ियों में जो पिरोगराम चल रहा था वो तुम ही थे ना ?”
“मुरारी चाचा ये वक्त रोमांटिक बाते करने का नहीं है , मारो इन्हे,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने लड़को को पीटना शुरू कर दिया। मुरारी ने देखा तो लगे हाथ उसने भी हाथ साफ कर लिया। गर्मागर्म चाय के साथ फाइट देखने का मौका भला कौन छोड़ता है इसलिए वहा बैठे सभी लोग वंश और लड़को की फाइट देखने लगे। लड़किया तो वंश पर फ़िदा ही हो गयी।
गौरी ने देखा काफी देर से मुरारी चाय लेकर नहीं आया है तो वह उठी और खुद ही टपरी की तरफ चली आयी। चाय का आर्डर देते हुए गौरी की नजर वंश पर पड़ी , उसे यकीन नहीं हुआ उसने अपनी आँखे मसली और फिर से देखा वो वंश ही था।
“ये वंश यहाँ क्या कर रहा है ? अह्ह्ह्हह ये तो लड़को को बुरी तरह मार रहा है,,,,,,,,,,,,,अरे वंश क्या कर रहे हो ये इंदौर है तुम्हारा बनारस नहीं,,,,,,,,,,,,,,पुलिस कंप्लेंट हुई तो बाहर निकलना मुश्किल हो जायेगा,,,,,,,,
अब मैं क्या करू ? मान , मान को फोन करती हूँ वही आकर वंश को रोक सकता है।”,बड़बड़ाते हुए गौरी ने मुन्ना को फ़ोन लगाया और उसे सारी बात बता दी लेकिन ये नहीं बताया कि वंश और उसके अलावा मुरारी भी वहा है। मुन्ना को लगा जैसे बनारस में एक बार देर रात वंश और गौरी घूमने निकले थे वैसे यहाँ भी निकल गए होंगे,,,,,,,,,,,,,,उसने गौरी से लोकेशन भेजने को कहा और वहा से निकल गया।
ये सच ही था कि टेंशन के समय गौरी का दिमाग काम करना बंद कर देता था इसलिए तो उसने ऐसी सिचुएशन में मुन्ना को फोन किया। मुन्ना को आने में वक्त लगेगा सोचकर गौरी वंश को रोकने उसकी तरफ आयी और कहा,”वंश , वंश क्या कर रहे हो चलो यहाँ से , वंश,,,,,,,,,,,,!!”
वंश ने गौरी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया , उलटा बीच बचाव के चक्कर में गौरी को ही एक थप्पड़ आकर लगा जो सामने वाला लड़का वंश को मार रहा था। बस फिर क्या था गौरी का गुस्सा सांतवे आसमान पर उसने वंश को साइड फेंका और लड़के को खींचकर एक थप्पड़ लगाते हुए कहा,”पगला गए हो , साले मारने से पहले देख तो लो सामने कौन है ?”
गौरी की आवाज सुनकर मुरारी ने उस तरफ देखा , मुरारी को तो अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी होने वाली बहू किसी लड़के को इतनी बुरी तरह से गरिया रही है। लड़का गौरी को कोई नुकसान ना पहुंचाए सोचकर मुरारी उस तरफ आया , वंश ने एक लड़के को छोड़ा तो दूसरे से उलझ गया , बाल बिखर चुके थे , कपड़ो पर यहाँ वहा धूल लगी थी लेकिन वंश को होश नहीं। एक अच्छे घर का होकर भी वंश आवारा लड़को जैसा लग रहा था
मुरारी गौरी और लड़के के पास आया और दोनों को दूर करके कहा,”ए भैया ! तनिक शर्म करो यार लड़की है अब का लड़की के साथ झगड़ा करोगे,,,,,,,,,,!!”
“हाँ तो फिर अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर जाओ ना अंकल , ये क्या यहाँ हीरो बन रही है,,,,,,,!!”,लड़के ने गौरी को घूरते हुए कहा
मुरारी ने गौरी के लिए गलत शब्द सुना तो खींचकर एक थप्पड़ लड़के को मारा और कहा,”साले ! बिटिया है हमारी , एक और शब्द बोला ना इसके बारे में तो यही ज़िंदा जमीं में गाड़ देंगे,,,,,,,,,,,!!
थप्पड़ इतनी जोर का था कि लड़के का कान कुछ देर के लिए सुन्न हो गया लेकिन गौरी मुरारी को देखने लगी। उसके कानो में बार बार मुरारी के कहे शब्द गूंज रहे थे “साले ! बिटिया है हमारी , एक और शब्द बोला ना इसके बारे में तो यही ज़िंदा जमीं में गाड़ देंगे,,,,,,,,,,,!!”
गौरी की आँखों में चमक और होंठो पर मुस्कान तैर गयी उसने मुरारी को साइड हग करते हुए कहा,”ओह्ह्ह्हह पापा , लव यू,,,,,,,,,मैं हमेशा से चाहती थी पापा के जाने के बाद मेरे पास ऐसे पापा हो जो मुझे ऐसे प्रोटेक्ट करे,,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने सुना तो ख़ुश भी हुआ और हैरान भी , अब तक गौरी के मुंह से उसे “अंकल” सुनने को मिल रहा था और अब एकदम से गौरी ने उन्हें “पापा” कहा
काश इस वक्त मुन्ना यहाँ होता और गौरी के मुंह से मुरारी के लिए पापा सुनता तो उसके मन की उलझन कम हो जाती,,,,,,,,,,,,,,!!
“अरे बिटिया ! लेकिन तुम हिया का कर रही हो ? चलो यहाँ से बेकार लड़के है खामखा पिट गए हमसे,,,,,,,,,,,,ए वंश चलो हिया से”,मुरारी ने पहले सहजता से गौरी से कहा और फिर वंश को आवाज दी।
“अबे बस कर भाई ! कौन है वो जिसके लिए तू हम सबको इतना मार रहा है”,वंश के चंगुल में फंसे लड़के ने मरे हुए स्वर में पूछा
“वो लड़की भाभी है मेरी और जिनके साथ तुम बदतमीजी किये हो ना वो चाचा है , और चाचा विधायक है हमारे,,,,,,,,,,,,,,,इंदौर में हो इसलिए छोड़ रहे है बनारस में होते ना काट के गंगा जी में फेंक देते किसी को लाश भी ना मिलती तुम्हारी,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने लड़के को घूरते हुए धीमे स्वर में कहा
“सॉरी भैया पता नहीं था,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा तो वंश ने उसे छोड़ दिया और वहा से चला आया।
वंश निशि को बाइक के पास छोड़कर आया था और निशि भी बाइक पर बैठी अपना फोन चला रही थी उसे झगडे से कोई मतलब नहीं था वह फ़ोन में अपना फेवरेट कोरियन ड्रामा “द बेड प्रोसिक्यूटर” देख रही थी।
वंश मुरारी और गौरी की तरफ आया तो मुरारी ने कहा,”इतना काहे मारा उन सबको,,,,,,,,,!!”
“अब कोई मेरे चाचा और मेरी होने वाली भाभी के साथ बदतमीजी करेगा तो क्या मैं उसकी पूजा करूंगा,,,,,,,,,,,क्यों भाभी सही किया ना मैंने ?”,वंश ने गौरी के सामने इतराते हुए कहा
“बिल्कुल देवर जी,,,,,,,,,,,,अरे वो तो पापा ने मुझे रोक लिया वरना एक दो को तो मैं भी मजा चखा देती,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने गुस्से से उबलते हुए कहा
“बहुत सही ! इस से बढ़िया विचार कोई हो तो वो भी बता दो गौरी शर्मा”,एकदम से मुन्ना की आवाज तीनो के कान में पड़ी और तीनो के होंठो से मुस्कराहट गायब।
“मुन्ना यहाँ कैसे?”,वंश ने धीमे स्वर में दाँत पीसते हुए बगल में खड़ी गौरी से कहा
“एक्चुली मैंने ही उसे फोन करके उसे यहाँ बुलाया था , मुझे लगा कही वो सब लड़के मिलकर तुम्हे पीट ना दे,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने भी धीमे स्वर में कहा
“ओह्ह्ह गौरी ! तुम सच में पागल हो,,,,,,,,,,,,उन लड़को से तो मैं निपट चुका लेकिन अब मुन्ना,,,,,,,,,,,,तुम सच में पागल हो,,,,,,,,!!”,वंश ने गुस्से से धीमे स्वर में कहा
गौरी ने रोआँसा होकर मुंह बनाया और मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने धीरे से कहा,”थोड़ी सी तो हो,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी ने सुना तो खीजते हुए जमीन पर अपने पैर पटके।
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संजना किरोड़ीवाल