Main Teri Heer – 40
शक्ति के सीने से लगी काशी शक्ति को इस हाल में देखकर डरी-सहमी हुई थी। कुछ देर बाद वह शक्ति से दूर हटी और कहा,”ये सब कैसे हुआ शक्ति ? और तुमने हमे बताया क्यों नहीं ?”
“हम तुम्हे परेशान करना नहीं चाहते थे काशी,,,,,,,,,जिस नौकरी में हम है उसमे ये सब होना आम बात है , तुम चिंता मत करो हम बिल्कुल ठीक है।”,शक्ति ने प्यार से कहा
“हाँ वो तो दिख रहा है कितने ठीक हो तुम,,,,,,,ऐसी नौकरी भी किस काम की शक्ति जो तुम्हारी जान को जोखिम में डाले,,,,,,,,,,अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता ?”,काशी ने आँखों में आँसू भरकर कहा
शक्ति काशी के करीब आया और अपने हाथ से उसकी बाँह छूकर कहा,”ओह्ह्ह काशी ! तुम अब एक DCP की होने वाली पत्नी हो तुम्हे इन सब की आदत डाल लेनी चाहिए,,,,,,,,,,,,तुम्हे हिम्मत से काम लेना होगा , अगर ऐसी छोटी मोटी चोट पर तुम परेशान होने लगी तो हम अपनी ड्यूटी नहीं कर पाएंगे,,,,,,,,,,,!!”
“हमारा दिल इतना मजबूत नहीं है कि हम तुम्हे दर्द में देख पाये,,,,,,,,!!”,काशी ने शक्ति का चेहरा अपने हाथो में थामकर कहा तो शक्ति मुस्कुरा उठा , एक काशी ही तो थी उसकी जिंदगी में जो उस से इतनी मोहब्बत करती थी।
“हम तुम्हारे लिये परेशान है और तुम हंस रहे हो,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“हम हंस नहीं रहे बल्कि तुम्हे अपनी परवाह देखकर खुश है। वैसे तुम इस वक्त यहाँ कैसे ?”,शक्ति ने कहा
काशी ने शक्ति की बाँह पकड़कर धीरे से उसे सोफे पर बैठाते हुए कहा,”कल गौरी की सगाई है ना तो उसी के घर से लौट रहे थे , रास्ते में तुम्हारा ख्याल आया तो मन बैचैन हो गया और हम तुम से मिलने चले आये,,,,,,,,,,,,,,और अब तुम्हे इस हाल में देखकर हमे लग रहा है हमने यहाँ आकर सही किया”
“काशी ! यहाँ बैठो,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा तो काशी उसके बगल में आ बैठी
शक्ति ने अपने होंठो से काशी के ललाट को छुआ और कहा,”जब तक तुम हमारे साथ हो हमे कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,!!”
“अहममम अहम्म्म्म , लगता है मैं गलत टाइम पर आ गया”,दरवाजे से अंदर आते हुए पंकज ने जब शक्ति और काशी को एक दूसरे के करीब देखा तो वापस पलटते हुए कहा
पंकज की आवाज सुनकर शक्ति काशी से दूर हटा और कहा,”अंदर आ जाओ,,,,,,,,!!”
“कुछ और मिला नहीं तो मैं आपके लिये वेज पुलाव और पनीर ले आया,,,,,,,,,,,,!!”,पंकज ने खाना टेबल पर रखते हुए कहा
“थैंक्यू !!”,शक्ति ने कहा
“हम तुम्हारे लिये खाना परोस देते है,,,,,,,,,,,,आप खड़े क्यों है बैठिये न”,काशी ने उठते हुए पंकज से कहा
काशी ने टेबल पर रखा खाना उठाया और उसे परोसकर ले आयी। एक प्लेट उसने पंकज के सामने रखी और दूसरी शक्ति के सामने तो पंकज ने कहा,”अरे मैडम ! आप लोग खाइये मैं घर जाकर खा लूंगा”
“कोई बात नहीं पंकज तुम हमारे साथ खा सकते हो”,शक्ति ने कहा
“दरअसल मैं आप लोगो की प्रायवेसी में दखल देना नहीं चाहता था पर आप कह रहे है तो , मैं इसे बाहर ले जाता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी खुले आसमान के नीचे खाने का अपना अलग मजा है। आप लोग शुरू कीजिये”,कहते हुए पंकज ने अपनी प्लेट को उठाया और बाहर लॉन में लगे झूले पर आ बैठा और अपना खाना खाने लगा
“क्या हुआ ? तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो ?”,काशी ने शक्ति को खामोश बैठे देखकर कहा
“जब बचपन में हम बीमार हो जाया करते थे या हमे चोट लग जाती थी तब हमारी माँ अपने हाथो से हमे खाना खिलाया करती थी,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने धीमे स्वर में कहा
“तुम चाहते हो हम तुम्हे अपने हाथो से खाना खिलाये , यही ना,,,,,,,!!”,काशी ने शक्ति की तरफ देखकर कहा
“पर तुम हमारी माँ नहीं हो काशी,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने बुझी आँखों से काशी को देखकर कहा
काशी उठी और शक्ति के बगल में बैठकर प्लेट अपनी गोद में रखा। उसने चावल और पनीर को आपस में मिलाकर एक निवाला बनाया और शक्ति की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”प्रेम जब बचपना छोड़कर गंभीरता की ओर बढ़ता है तब प्रेम में पड़ी प्रेमिका अपने प्रेमी के साथ एक माँ बनकर पेश आती है।”
शक्ति ने जब सुना तो खामोश आँखों से काशी को देखने लगा , कभी कभी काशी जब इस तरह की बातें किया करती थी तो उसमे उसे सारिका नजर आती थी। शक्ति को खामोश अपनी ओर देखते पाकर कहा,”क्या हुआ ?”
“कभी कभी तुम बिल्कुल अपनी माँ की तरह बात करती हो,,,,,,,,,,,,हमे यकीन है ये गुण तुम में उन्ही से आया है।”,शक्ति ने काशी के हाथ से निवाला खाते हुए कहा
काशी मुस्कुराई और कहा,”नहीं ये गुण हमारे अंदर हमारे पापा की देन है , हमने उन्ही से सीखा है कैसे प्रेम में एक लड़की अपने प्रेमी के लिये माँ बन जाया करती है जब वो उसकी परवाह करती है।”
शक्ति ने सुना तो मुस्कुरा उठा। काशी ने शक्ति को खिलाना जारी रखा और कहा,”वैसे कल सुबह माँ और पापा सबके साथ इंदौर पहुँच जायेंगे,,,,,,,,,,,कितने दिनों बाद हम उनसे मिलेंगे,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हमे भी उनसे मिलना है ताकि हम उनसे शादी की बात कर सके,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी को छेड़ने के लिये कहा
“क्या ? शादी इतनी जल्दी,,,,,,,,,,,अभी तो हमारी इंटर्नशिप भी शुरू नहीं हुई है शक्ति”,काशी ने हैरानी से कहा
“जल्दी कहा है काशी ? वैसे भी हमे लगता है यही सही वक्त है और अब हमे तुम्हारे साथ रहने की आदत हो चुकी है,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी के करीब आते हुए कहा
“श श शक्ति ये क्या कर रहे हो तुम ?”,काशी ने घबराकर कहा
“क्यों काशी क्या तुम नहीं चाहती हमारी शादी हो,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए कहा
“”हम हम चाहते है लेकिन इतनी जल्दी,,,,,,,,,,,,शक्ति”,काशी ने पीछे खिसकते हुए कहा लेकिन सोफे पर इतनी जगह नहीं थी ,,, हालाँकि शक्ति बस काशी को छेड़ने के लिये ये सब कर रहा था। काशी को घबराते देखकर शक्ति हंस पड़ा और पीछे हट गया और कहा,”मजाक कर रहे है”
काशी ने सुना तो राहत की साँस ली और शक्ति की बाँह पर मारते हुए कहा,”अह्ह्ह्हह तुम कितने बुरे हो,,,,,,,,,हम जा रहे है यहाँ से,,,,,,,,,,!!”
काशी ने जैसे ही उठना चाहा शक्ति ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”क्या तुम आज रात यहाँ रुक सकती हो ?”
काशी ने सुना तो अपनी आँखों को बड़ा करके हैरानी से शक्ति की तरह देखा तो शक्ति ने कहा,”डरो हम अपनी मर्यादा जानते है,,,,,,,,,,,,,,बस आज की रात”
“लेकिन घर पर क्या कहेंगे ?”,काशी ने मासूमियत से कहा
“उसके लिये गौरी से बेहतर आईडीया तुम्हे कोई नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा तो काशी मुस्कुरा उठी और अपना फोन लेकर गौरी का नंबर डॉयल करने लगी
निशि से हुए धमाकेदार झगडे के बाद वंश खुद को नॉर्मल कर वापस अपनी सीट की तरफ आया। उसकी अपर बर्थ थी जैसे ही उसने ऊपर देखा निशि और मेघना पहले से दोनों अपर बर्थ पर थी। वंश ने नीचे वाली बर्थ पर लेटे नवीन को देखकर कहा,”आंटी मेरी बर्थ पर क्या कर रही है ?”
“तुम यहाँ सोओगे , नीचे मेरी आँखों के सामने”,नवीन ने कहा
“हाह ! क्या आप मुझपर नजर रखना चाहते है ? क्या मैं आपको ऐसा लड़का लगता हूँ ?”,वंश ने हैरानी से कहा
“नहीं मैं क्यों तुम पर नजर रखूंगा ? वो दोनों लेडीज है उनका यहाँ नीचे वाली बर्थ पर सोना सही नहीं है , तुम तो जानते ही हो आजकल ट्रेन में कैसे कैसे लोग आते है ?”,नवीन ने धीमे स्वर में कहा
“ओहके फाइन”,वंश ने कहा
नवीन का बर्ताव वंश को कुछ अजीब लगा , उसने अपना तकिया लिया और सर के नीचे लगाकर सीट पर लेट गया।
जैसे ही उसने अपनी आँखे बंद की उसकी आँखों के सामने कुछ देर पहले वाली घटना आ गयी और वंश ने बेचैनी से अपनी आँखे खोली , वह जैसे ही पलटा उसने देखा नवीन उसे ही देख रहा है। बेचारा वंश वापस सीधा लेट गया और मन ही मन खुद से कहा,”अह्ह्ह ये मैं कहा फंस गया हूँ,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हे कुछ चाहिए ?”,नवीन ने कहा
“अह्ह्ह नहीं मैं ठीक हूँ , आप सो जाईये,,,,,,,,,,गुड नाईट”,अक्षत ने कहा और मुंह फेरकर सो गया
“मुझे सुलाकर कही इसका कोई प्लान तो नहीं है , कही ये निशि के साथ भागने का तो नहीं सोच रहा है,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्हह्ह नहीं ये ऐसा नहीं कर सकता,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन कर भी सकता है , अगर ये निशि को सीरीज में काम करने के लिये राजी कर सकता है तो उसे अपने साथ भागने के लिये क्यों नहीं ? नहीं नहीं नहीं ये नहीं होना चाहिए,,,,,,,,,,,,अगर ऐसा हुआ तो मैं सारिका मैडम को क्या मुंह दिखाऊंगा ? वो क्या सोचेगी मेरे बारे में ?”
मन ही मन ये सब सोचते हुए नवीन ने ऊपर वाली बर्थ पर सो रही मेघना को देखा और मन ही मन खुद से कहा,”अह्ह्ह्ह ये मेघना को तो जैसे कोई परवाह ही नहीं है , उसे नहीं पता निशि और वंश के बीच क्या चल रहा है,,,,,,,,,,,,,इस उम्र में बच्चे भावनाओ में बहकर अक्सर गलतिया कर देते है मुझे निशि और वंश दोनों को समझाना होगा,,,,,,,,,,,,ये सब सही नहीं है , मैं निशि का डेड हूँ तो क्या हुआ मैं दोस्त बनकर उस से बात करूंगा और उसे समझाऊंगा कि वो ऐसा कोई भी कदम ना उठाये,,,,,,,,,,,,,
आज जितना करीब मैंने इन दोनों को देखा उस से तो यही लगता है कि दोनों एक दूसरे को लेकर बहुत सीरियस है,,,,,,,,,,,निशि से इस बारे में पूछकर मैं उसे ऑफेंड नहीं कर सकता , मुझे वंश के साथ मेन टू मेन कन्वर्जेशन करनी होगी”
नवीन उठा और वंश के पास आकर झुककर देखकर लगा कि वंश सच में सो रहा है या नहीं ? नवीन वंश के चेहरे की तरफ कुछ ज्यादा ही झुका हुआ था। बेचारा वंश उसने जैसे ही अपनी आँखे खोली नवीन को अपने इतना पास देखकर वह चिल्लाया,”आह्ह्हह्ह्ह्ह !”
इस बार भी उसका हाथ अपने सीने पर चला गया और वह मन ही मन बड़बड़ाया,”लगता है ये बाप बेटी मेरी बायपास सर्जरी करवा कर मानेंगे”
वंश की आवाज सुनकर निशि ने नीचे झांका तब तक नवीन वंश से दूर हट चुका था। वंश उठकर बैठा और घबराते हुए कहा,”ये क्या कर रहे थे आप ?”
“मैं बस देख रहा था कि तुम जाग रहे हो या नहीं ?”,नवीन ने धीरे से कहा
“हाह ! ऐसे कौन देखता है ? आपने तो मुझे डरा ही दिया मुझे लगभग दिल का दौरा आने भी वाला था,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह !!”,वंश ने अपनी धड़कनो को काबू में करते हुए कहा
नवीन ने देखा वंश कुछ ज्यादा ही डर गया है तो उसने पानी का बोतल वंश की तरफ बढाकर कहा,”ये लो पानी पी लो”
“थैंक्स”,वंश ने बोतल लेकर कहा और एक साँस में आधी बोतल खत्म कर दी।
वंश जैसे ही वापस लेटने को हुआ नवीन ने कहा,”वंश ! क्या दो मिनिट तुम मेरे साथ आओगे ?”
“आपके साथ ?”,वंश ने हैरानी से कहा
“हाँ ! मुझे तुम से कुछ बात करनी है”,नवीन ने कहा
“ठीक है आप चलिये मैं आता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“नहीं साथ चलते है,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा तो वंश उठकर उनके साथ बाथरूम की तरफ चला आया।
पिछले 5 मिनिट से नवीन वंश से कुछ पूछने की कोशिश कर रहा था लेकिन कहा से शुरू करे उसे समझ नहीं आ रहा था। वंश जिसका सफर निशि पहले ही खराब कर चुकी थी अब उसे निशि के साथ साथ नवीन पर भी गुस्सा आ रहा था। वंश को अपनी ओर घूरते पाकर नवीन ने कहा,”यहाँ हवा अच्छी आ रही है ना ?”
नवीन के मुंह से ऐसी अजीब बात सुनकर वंश ने कहा,”आप ये कहने के लिये मुझे यहाँ लेकर आये थे ?”
“अह्ह्ह नहीं ! मुझे तुमसे कुछ और बात करनी थी , मुझे निशि के बारे में,,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने इतना ही कहा कि वंश निशि का नाम सुनकर बोखला गया और गुस्से से चिड़चिड़ाते हुए कहा,”नाम मत लो उस बेवकूफ लड़की का,,,,,,,,,,,,अरे उसे झगड़ा करने के अलावा आता ही क्या है ? जब देखो तब मरने मारने को
तैयार रहती है वो , अरे मैंने कभी उसके मुंह से दो शब्द प्यार के नहीं सुने , जबान तो ऐसी है जैसे कड़वा करेला और उस पर उसका ऐटिटूड,,,,,,,,,,,,,,
बाप रे बाप वो लड़की अपने आगे किसी को कुछ समझती ही नहीं है,,,,,,,,,,,,,,जो मुंह में आता है बोलती है , जो दिल करता है करती है फिर चाहे सामने वाले को हार्ट अटेक ही क्यों ना आ जाये,,,,,,,,,,,,,और चिल्लाती तो ऐसे है जैसे उसकी चोंच किसी दरवाजे के बीच आ गयी हो,,,,,,,,,,,,,मैं बता रहा हूँ आपको वो एक नंबर की बददिमाग और बद्तमीज लड़की है।”
वंश के मुंह से निशि की इतनी तारीफ सुनकर नवीन का मुंह खुला का खुला रह गया। उसे लगा वंश और निशि का चक्कर चल रहा है लेकिन यहाँ तो वंश के मुंह से उसे कुछ और ही सुनने को मिला।
वह वंश के थोड़ा सा करीब आया और कहा,”तो इसका मतलब तुम निशि को पसंद नहीं करते ?”
वंश ने सुना तो कहा,”पसंद और उसे ? मुझे क्या किसी पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं उसे पसंद करूंगा,,,,,,,,,,,,,,अरे वो इतनी इरिटेटिंग है उसे पसंद नहीं उसे तो किसी बोरे में बंद करके जंगल में छोड़ देना चाहिए,,,,,,,,,,,,!!”
“ए वो मेरी बेटी है,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने थोड़ा कठोरता से कहा
वंश को याद आया वह नवीन के सामने उसकी बेटी की ही बुराई कर रहा है तो खुद को थोड़ा सम्हाला और कहा,”सॉरी वो मैं बस भावनाओ में थोड़ा बह गया था।”
“इट्स ओके निशि थोड़ी अन्नोयिंग है पर इतनी भी नहीं है,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा तो वंश को थोड़ी ख़ुशी हुई कि उसके विचारो से कोई तो सहमत है। नवीन खुश था कि वह जो सोच रहा था वैसा कुछ नहीं था निशि और वंश जिस तरह से एक दूसरे से झगड़ते थे उनके बीच प्यार होने का कोई चांस ही नहीं था।
नवीन ने राहत की साँस ली और जेब से सिगरेट निकालकर जला ली। वंश भी अब तक काफी ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो चुका था वह ट्रेन के दरवाजे पर नवीन के दूसरी तरफ खड़ा हो गया और कहा,”क्या मुझे भी मिल सकती है ?”
नवीन ने सुना तो वंश की तरफ देखा और फिर अपने हाथ में पकड़ी जली हुई सिगरेट वंश की तरफ बढ़ा दी। वंश ने सिगरेट ली और कश लगाते हुए बाहर देखने लगा। नवीन वंश को एकटक देखता रहा और मन ही मन खुद से कहा,”अह्ह्ह्हह ! अच्छा हुआ निशि और तुम्हारे बीच कुछ नहीं है क्योकि मैं कभी नहीं चाहूंगा निशि की शादी जिस से हो वो सिगरेट पिये”
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